हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

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raj..
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Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 07 Nov 2014 15:59


होटल में मंगल

मेरा नाम सरयू है . मैं एक होटल में मेनेजर के पोस्ट पर काम करती हूँ. मेरी असिस्टंट हैं जुली. हम दोनों आपस में बहुत अच्छी दोस्त है. हम दोनों को सेक्स से जुडी हर बात बहुत ही पसंद है. हम कई बार होटल के किसी भी खाली कमरे में चली जाती हैं और अपने सभी कपडे उतारकर एक दूसरे के शरीर के हिस्सों को अपने हाथों से मसलने लग जाती हैं. जब ज्यादा वक्त मिलता है तो हम आपस में लिपटकर एक दूसरे को हर जगह चूमने लग जाती है.
कुछ दिन पहले हमारे होटल में एक पहाडी लड़का किचन में ज्वाइन हुआ था. वो बहुत ही सीधा और खुबसूरत है. हम दोनों उस पर मरने लगी. एक बार हम दोनों उसे लेकर एक खाली कमरे में ले गई. हम दोनों नंगी हो गई. फिर उसे भी नंगा कर दिया. वो लड़का घबरा गया. हम दोनों ने उसे अपने बीच में दबाकर उसे बेतहाशा इतना चूमा की उसकी अंडर वेअर गीली हो गई. वो ऐसा घबराया कि अपने कपडे पहने और भाग गया. इसके बाद वो कभी हमारे हाथ नहीं लग सका क्यूंकि वो दूसरी होटल में चला गया,
कुछ दिन के बाद एक और हमारी उमर का युवक रिसेप्शन में लगा. वो भी खुबसूरत था. हम दोनों ने उसे पटा लिया. उसे दो-टीन बार खाली कमरे में ले गई और हम दोनों ने उसे अपने बीच में दबाकर खूब चूमा और दोनों-तीनों बार उसे गीली अंडर वेअर होने के बाद ही छोड़ा. उसे यह पसंद आ गया. अब हम जब भी इशारा करते वो आ जाता. लेकिन उसे हम इससे आगे नहीं बढ़ने देते थे. हम दोनों ये तय कर रखा था कि कोई भी हम दोनों के जननांगों को नहीं भेदेगा. धीरे धीरे इस तय बात से यह हुआ कि तीन-चार युवक हम दोनों के साथ तो हुए लेकिन दो तीन मीटिंग के बाद हमसे दूर रहने लगे.
जुली ने इसका भी रास्ता निकाल लिया. उसने इन्टरनेट से एक सेक्स टॉय मंगवाया. जुली ने मुझे दिखाते हुए कहा कि इसे डिल्डो कहते हैं. जब दो लडकीयाँ आपस में सेक्स करती हैं तो यही इस्तेमाल करती हैं. लेकिन ना जाने क्यूँ हमें एक मर्द की कमी महसूस होने लगी थी. ये कमी यहीं तक थी कि हम उसे चूमे. इसके बाद जब हम आपस में लिपटें तो वो हमें देखता रहे. ये बड़ा अजीब था लेकिन क्या करते हम दोनों. हमें यही पसंद था.
एक बार एक जोड़ा हनीमून मानाने हमारी होटल में ठहरा. मैं और जुली जब राउंड ले रही थी तो अचानक ही हम दोनों उनके कमरे में घुस गई. उस वक्त वे दोनों बिस्तर में थे और सेक्स करने में इतने मशगुल थे कि हम दोनों कब अन्दर आकर पलंग के सामने की कुर्सी पर आपस में एक दूसरे को बाहों में लेकर बैठ गई उन दोनों को पता ही नहीं चला. करीब दस मिनट के बाद उन दोनों की नजर हम पर पड़ी. वो डर गए. मैंने उन्हें मेरे और जुली के बारे में पूरी बात विस्तार से कह दी. उस लड़के ने हमसे कहा - "इसका मतलब है आप दोनों ही लेस्बियन हैं. इसमें कोई बुराई नहीं है. लेस्बियन को अपनी तरह से जीने का हक़ है. आप आज की रात हमारे कमरे में हमें ज्वाइन कर लेना. आप दोनों अपना काम कर लेना और हम दोनों हमारा काम करते रहेंगे. बीच बीच में हम दोनों आपको भी पूरी मदद करते रहेंगे." हम दोनों खुश होकर उनके कमरे के बाहर आ गई. हम दोनों ने मन में सोचा कि आज हमारा डिल्डो पहली बार काम में आयेगा.
रात को हम दोनों ड्यूटी के बाद उस कमरे में पहुँच गई. वे दोनों पहले से ही तैयार थे. हम चारों ने अपने अपने कपडे उतार दिए. हम दोनों ने पहले उसे अपने बीच में लेकर उसे खूब चूमा. उसकी बीवी ने भी हमें मदद की. एक बार वो भी हम दोनों के बीच में आई और हम दोनों ने उसे भी खूब चूमा. इसके बाद जुली ने डिल्डो निकाल लिया. वे दोनों अब आपस में लिपटकर सेक्स करने लगे. हम दोनों ने उन्हें काफी देर तक देखा. फिर उसकी बीवी ने हम दोनों को नीचे जमीन पर लिटा दिया. हम दोनों के जननांग अब आमने सामने थे. उस ने अब डिल्डो का एक तरफ का हिस्सा पहले मेरे जननांग में धीरे से घुसेड दिया. फिर दूसरी तरफ का हिस्सा जुली के जननांग में घुसाया. अब हम दोनों आपस में जोर लगाकर अपने अपने जननांग एक दूसरे के करीब लाने में लग गई. धीरे धीरे डिल्डो हमारे जननांग में अन्दर जाता चला गया और हम दोनों एक दूसरे के एकदम करीब आ गई. अब उन दोनों में से एक यानि कि वो युवक जुली के ऊपर लेट गया और उसकी बीवी मेरे ऊपर लेट गई. अब वे दोनों हम दोनों के ऊपर हिल हिलकर हमें सेक्स करने में मदद करने लगे. हम दोनों ने अब उन दोनों की मदद की. मैंने अब उन दोनों को जमीन पर उसी तरह से लिटाया जैसे मैं और जुली लेटे थे. मैं एधीरे धीरे उस युवक के लिंग को उसकी बीवी के जननांग में घुसेड दिया. उन्हें थोड़ी तकलीफ हुई लेकिन वो हो गया.
फिर मैं और जुली के उन दोनों के ऊपर लेट गई. अब हम दोनों हिल हिलकर उनकी मदद करने लगे. लेकिन उन्हें बहुत दर्द होने लगा तो हम हट गए.
अब उस युवक ने अपना लिंग अपनी बीवी की उस गीली गुफा में डाल दिया और ऊपर लेट गया. हम दोनों जननांगों में अभी भी डिल्डो फंसा हुआ था. अब मैं जुली के ऊपर आ गई और हम दोनों भी उन दोनों की तरह लेट गए उनके बिलकुल बगल में. अब हम हिल हिलकर सेक्स का मजा ले रहे थे. अचानक मैंने और जुली ने उन दोनों को भी उनके मुंह ; गालों और होंठों पर चूमना शुरू किया.
सेक्स का ये नया तजुर्बा बहुत ही कामयाब रहा था. वे दोनों इसके बाद दो रात और रुके. दोनों रात हम दोनों ने उन दोनों के सहयोग से भरपूर सेक्स का मजा लिया.
तब से हम ऐसे ही जोड़े की तलाश में हैं. क्या आप में से कोई जोड़ा हमारी मदद करेगा??????????





raj..
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Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 07 Nov 2014 16:00


जन्नत

देहरादून का गेलार्ड क्लब. इस क्लब की मेम्बर्स केवल सेना के अफसरों की बीवियां ही है. मैं इस क्लब में बार काउंटर संभालता हूँ और साथ ही इस क्लब की कार का ड्राईवर भी हूँ. मेरा काम बार पर सभी महिलाओं को ड्रिंक्स सर्व करना और जो भी कहे उसे उसके घर तक छोड़ना है. मैं अभी तक कुंवारा ही हूँ.
मेरी किस्मत है कि सेना के अफसरों की इन खुबसूरत बीवियों को बहुत करीब से देखने का मौका मिलता रहता है. जा किसी को घर चोदता हूँ तो अच्छी टिप भी मिल जाती है. दोपहर को एक ग्रुप आता है. इसमें दो मेजर की बीवियां है और तीन अन्य अच्छी पोस्ट वाले अफसरों की. एक है मेजर आनंद की पत्नी माया मैडम . माया गज़ब की खुबसूरत है. एकदम लाल गोरा रंग. एक एक हिस्सा जैसे तराशा हुआ संगमरमर की कोई मूरत. दूसरी थी सीमा मैडम; मेजर सिंह की पत्नी. सीमा अपनी उमर से बहुत छोटी नजर आती थी. उसकी आवाज भी किसी कॉलेज जानेवाली लड़की जैसी थी. सीमा यूँ तो दुबली थी लेकिन उसके बूब्स बड़े थे. अन्य तीन थी हीना ; गुलनार और चित्रा. पाँचों आपस में बहुत ही अच्छी सहेलीयां. ताश की बाजियां चलती रहती और मैं लगातार उनके ग्लास भरते रहता. मैं अक्सर इन्हें इनके घर छोड़ने जाया करता.
एक दिन ये सभी कुछ ज्यादा ही खुश थी. उस दिन माया मैडम ने खूब चढ़ा ली. उनके कदम डगमगा रहे थे. सीमा ने मुझे माया मैडम को घर छोड़ने के लिए कहा. मैं उन्हें सहारा डॉ कार में बैठाया और उनके घर के तरफ चलने लगा. माया का घर आ गया. मैंने बड़ी मुश्किल से उन्हें संभालते हुए उनके घर में ले गया. उन्होंने मुझे नशे में ही कहा " मेरे बे रूम में पहुंचा दो." मैंने उन्हें उनके बेडरूम में ले गया. उन्हें पलंग पर बिठा दिया. अचानक माया मैडम पलंग पर ही ढेर हो गई. जब माया पलंग पर गिरी तो उनके द्वारा पहनी हुई लॉन्ग ड्रेस थोड़ी खिंच गई और उनकी गोरी टांगें घुटनों तक नंगी हो गई. उनकी मजबूत टांगें चमक रही थी. मैंने उनके सैंडल उतारने शुरू किये जिससे कि वो आराम से लेट जाय. मैंने एक सैंडल उतार दिया. जैसे ही दूसरे सैंडल को उतारने लगा माया के पैर में हलचल हुई और उसका पैर ऊपर उठाकर मेरे गालों से टकरा गया. मेरे जिस्म में एक बिजली सी दौड़ी. मैंने माया की मजबूत पिंडलीयों को अपने हाथ से दबाया और पता नहीं क्या मेरे मना में आया मैंने उस पिंडली को अपने होंठों से हलके से चूम लिया. माया थोडा हिली और नशे में ही बड़बड़ाई " नौटी बॉय." मैं वापस क्लब लौट आया.
अगले दिन जब वे पाँचों आई तो मैंने माया मैडम से नजरें चुराता रहा. माया कुछ नहीं बोली. जब सभी घर रवाना होने लगी तो अचानक माया ने मुझसे कहा " तुम्हें आज भी तकलीफ होगी. मेरा बायाँ पैर बहुत दर्द कर रहा है. आते वक्त भी बड़ी मुश्किल से कार चला पाई थी. तुम ड्राइव करो. वापसी में तुम तक्सी से आ जाना मैं अलग से पैसे दे दूंगी." मैं माया मैडम के साथ चला गया. जब हम घर पहुंचे तो माया बेडरूम में चली गई. मैं बाहर ही खड़ा रहा.माया ने आवाज देकर मुझे अन्दर बुलाया. मुझे सौ रुपये का एक नोट दिया. मैंने अहा " मैडम तक्सी के तो केवल बीस रुपये लगेंगे. " माया ने कहा " बाकी के रुपयों के लिए तुम्हें एक काम और करना होगा और वो भी अभी और यहीं." मैं बोला " जी मैं समझा नहीं." माया पलंग पर बैठ गई. उन्होंने आज साड़ी पहन रखी थी. उन्होंने साड़ी को पकड़ा और घुटनों तक ऊपर कर दिया. फिर मेरी तरफ मुस्कुराकर देखा और बोली " कल भी तुमने इन्हें चूमा था. आज भी चूमोगे. मुझे बहुत अच्छा लगा था. इसके साथ साथ तुम यहाँ पर थोड़ी मसाज भी करा देना." मैं अब कुछ नहीं कर सकता था. मैं जमीन पर बैठ गया और माया के दोनों पैरों की पिंडलीयां चूमने लगा. बीच बीच में अपने दोनों हाथों से उनकी मसाज भी करने लगा. माया मैडम को गुदगुदी सी हुई लेकिन उन्होंने अपनी दोनों टांगों से एक क्रोस बनाया और मेरे मुंह को उसमे जकड लिया. मैंने कुछ देर लगातार चूमा; मसाज किया और फिर माया ने कहा " अब तुम जा सकते हो." मैं सारे रास्ते अपने होंठों पर एक मिठास महसूस करता रहा.
अब तो लगभग हर दूसरे - तीसरे दिन माया मैडम मुझे अपने साथ ले जाती और अपनी टाँगें चुमवाती ; मसाज करवाती और फिर एक सौ रुपये का नोट हाथ में थमा देती. एक दिन सीमा मैडम भी माया की कार में आई हुई थी. वापसी में उन दोनों को माया मैडम की कार में लेकर उन्हें घर छोड़ने गया. सीमा मैडम का घर माया मैडम से कुछ कदम की ही दूरी पर था. हमने सीमा मैडम को उनके घर छोड़ा और माया मैडम के घर आ गए. हमेशा की तरह मैं माया मैडम के बेडरूम में था. माया मैडम सोफे पर बैठी हुई थी. आज माया मैडम ने अपनी ड्रेस को घुटनों से भी थोडा सा ऊपर किया हुआ था. मैं उनकी टांगों की मसाज करते हुए बीच बीच उन्हें चूम रहा था. तभी सीमा मैडम भीतर आ गई. उसने मुझे माया मैडम के पैरों को चूमते हुए देख लिया. माया मैडम तो यह बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए उनकी आँखें बंद थी. मेरी और सीमा मैडम की ऑंखें मिल गई. सीमा मैडम ने में चुप रहने और माया मैडम को यह बात ना बताने का इशारा किया और मेरे करीब आकर मेरे हाथ में एक सौ रूपये का नोट रख दिया.
अब अगले दिन मेरी हालत बुरी हो रही थी. सीमा मैडम मुझे बार बार तिरछी नज़रों से देखती; फिर मुस्कुराती और फिर अपने होंठों को गोल कर के चूमने का इशारा करती. जब सभी रवाना होने लगी तो माया मैडम तो सीधी अपनी कार में चली गई. उनका ड्राईवर आया था. सीमा मैडम रुक गई. हीना ; गुलनार और चित्रा मैडम के जाने के बाद सीमा मैडम ने मुझे अपने पास बुलाया और बोली " आज तुम मुझे छोड़ने चल रहे हो. जाओ गाडी निकालो और मेरा इंतज़ार करो." अब मेरे पसीने छुटने लगे. सीमा मैडम घर पहुँचने के बाद बोली " तुम रुको मैं अभी आई." कुछ देर के बाद सीमा मैडम की अपने बेड रूम में से आवाज आई " सुनो , तुम अन्दर आ जाओ ." मैं जब अन्दर गया तो सीमा मैडम पलंग पर बैठी हुई थी और मुस्कुरा रही थी. उसने मुझसे कहा " अब तुम्हें वही करना है जो तुम माया के साथ करते हो. मेरी टांगें दर्द कर रही है. अपने होंठों से जरा मालिश कर दो." अब मेरी हालत खराब हो गई. लेकिन मन ही मन मैं खुश भी हो रहा था कि जिन टांगों को केवल उनके पति ही टच करते हैं मैं आज ना सिर्फ उन्हें अपने हाथों से मसल रहा था बल्कि उन्हें चूम भी रहा था. सीमा ने पलंग के सामने एक स्टूल रख दिया और उस पर अपनी टांगें फैलाकर रख दी. फिर मुझे उन दोनों टांगों के बीच में बैठ जानेको कह दिया. अब मेरा काम शुरू हो चुका था. सीमा बार बार अपने मुंह से कुछ मीठी मीठी आवाजें आह आह करके निकालती और मुझे यह सुन मजा और जोश आ जाता. सीमा मैडम ने मुझे करीब आधे घंटे के बाद छुट्टी दी और मेरे हाथ में सौ रुपये दे दिए.
अब मेरा रोज का काम हो गया था. कभी कभी दोनों के यहाँ एक ही दिन मसाज और चूमने के मौके से मुझे दो सौ रुपये मिल जाते और साथ हो दो जोड़ी गोरी चिकनी टांगों को हाथ से छूने और होंठों से चूमने का मौका भी. मेरे लिए तो अब यही जन्नत थी.
एक दिन उन पांच के अलावा और काफी सारी आर्मी की महिलाओं ने एक बड़ी पार्टी रखी. उन सभी ने जमकर मजा किया. बहुत इ औरतों ने शराब पी और इधर उधर कदम फेंककर उलटा सीधा नाच भी किया. इस शोर शाराबे में सीमा मैडम ने मुझसे एक जाम भरवाया और पीते हुए मुझे एक आँख मारी. मैं एकदम हंस पडा. सीमा मैडम ने मेरा हाथ पकड़ा और क्लब के एक कोने में खम्बे के पीछे ले गई. सीमा मैडम ने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपनी बाहों में जकड लिया. अपने मुंह से एक फूंक मेरे मुंह पर मारी और बोली " आज तो तुम बहुत ही हॉट और सेक्सी लग रहे हो " मैं कुछ ना बोला और इधर उधर यह देखने लगा कि कोई हमें देख ना ले. तभी समा मैडम ने तेजी से मेरे गालों को चूमा और बोली " अब तुम भी जल्दी से एक प्यारा सा किस दो. जल्दी कोई भी आ सकता है." मैं पहले तो थोडा डरा लेकिन फिर ऐसे सुनहरे मौके को ना गंवाते हुए सी मैडम के गालों पर एक चुम्बन जड़ दिया.
नाच गाना काफी देर तक चलता रहा. इस बीच सीमा मैडम ने मुझे दो बार और इसी तरह से कोने में लिया और मुझे भी चूमा और खुद को भी चुमवाया.
जब पार्टी ख़त्म हुई तो एक भी औरत अपने होश में नहीं थी. सीमा और माया मैडम बुरी तरह से लड़खड़ा रही थी. मैं दोनों को सीमा की कार में बिठाया और कार चला दी. पहले माया मैडम को उनके घर में छोड़ा. माया मैडम तो बाहर सोफे पर ही लेट गई. मैं सीमा मैडम कौंके घर में ले आया. सीमा मैडम थोड़े होश में थी. मैंने उन्हें जैसे ही उनके बेडरूम में उनके पलंग पर लेटते उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया.फिर अपनी आँखें घुमती हुई बोली " तुम कहा चल दिए जोंनी. मेरा पूरा बदन अज टूट रहा है. मसाज कौन करेगा!" मैं समझ गया. सीमा मैडम ने सीधे अपनी जींस खोल दी और अपन्खुब्सुरत टांगें फैलाते हुए बोली " प्लीज मसाज कर दो." मैंने उन खुबसूरत टांगों पर अपने हाथ रखे और धीरे धीरे मसाज शुरू कर दिया. सीमा मैडम ने मेरे हाथों को अपने हाथों से खींचते हुए आज पहली बार अपनी जाघों तक ले गई. मेरे हाथ कांपने लगे. सीमा मैडम की जांघें बहुत ही मुलायम और जबरदस्त चिकनी थी. मुझे मजा आने लगा. सीमा मैडम ने मुझे कहा " जॉनी मेरी कमर पर भी मसाज करो आज." सीमा मैडम पलंग पर बैठ गई. उन्होंने अपनी कुर्ती उतार दी. अब सीमा मैडम केवल ब्रा और पंटी में ही थी. उनका भरा हुआ जिस्म मेरे सामने था. उनके अंग अंग से खुशबू आ रही थी. मैंने उनकी पीठ और बाहों पर भी मसाज की. अब सीमा मैडम पीठ केबल लेट गई. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और अपने पेट पर रख दिया. मैंने उनके पेट और कमर के आसपास भी काफी देर तक मसाज की. करीब पौन घंटे की मसाज के बाद सीमा मैडम उठी. उन्होंने एक चद्दर अपने बदन पर लपेट ली. अपने पर्स में से उन्होंने सौ सौ के तीन नोट निकाले और मेरे हाथ में रखते हुए बोली " किसी को मत कहना कि तुमने मेरे बदन पर जगह जगह मसाज किया है." मैंने हाँ कहा. सीमा मैडम ने आगे बढाकर मेरे गालों पर छोटे छोटे दो चुम्बन रख इए उर बोली " दो दिन बाद हम तुमसे मसाज करवाएंगे. तैयार रहना जॉनी." मैं लगभग नाचता हुआ क्लब लौट आया.

raj..
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Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 07 Nov 2014 16:01


करीब तीन दिन के बाद मैं माया मैडम को उनके घर छोड़ने गया. माया मैडम आज बहुत ही ज्यादा बहक चुकी थी. मैंने उन्हें बड़ी मुश्किल से कार से उअतारा और घर में ले आया. उन्होंने मुझे कसकर पकड़ रखा था. मैंने उन्हें पलंग पर लिटाया.उनके सैंडल खोले. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ रखा था. मैंने जैसे ही अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की उन्होंने एक झटके से मुझे खुद पर गिरा लिया. मेरी साँसें उनके गालों से टकरा रही थी. माया ने मुझे अपनी बाहों में भरा और बोली "आज तुम मेरे सारे शरीरी की मसाज करो मेरा बदन टूट रहा है." मैंने माया मैडम की भिईमा मैडम की तरह मसाज की. माया मैडम का सीना सीमा मैडम से बड़ा था लेकिन टांगें सीमा मैडम की ज्यादा रसीली थी. माया मैडम का व्यवहार ज्यादा खुला हुआ लगा. जब काफी मसाज हो गई तो मैं रुक गया.माया मैडम भी पलंग पर बैठ गई. उन्होंने अपनी टांगें मेरी गोद में रख दी. मेरी तरफ मुस्कुराकर देखा और बोली " एक औरत इस तरह से तुम्हारे सामने है और तुम शर्मा रहे हो." मैंने उनकी टांगें हटाई. अब माया मैडम ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ा और मेरे मुंह पर चुम्बनों की बौछार कर दी. मैं तुरंत हुए इस हमले से अपना होश खो बैठा. माया मैडम ने मेरे सारे कपडे उतार दिए. उन्होंने मेरे पूरी मसाज की और बाद में मुझे पकड़कर पलंग पर ही लेट गई. मेरी उत्तेजना अब काबू से बाहर थी. माया ने तभी मेरे होंठ चूम लिए. मैंने भी इसी तरह जवाब दिया. अब हम आपस में गूँथ गए थे. माया और मैं एक दूसरे को चूमने लगे. तभी अचानक मैडम ने घडी देखी और मुझे कहा " अब तुम तुरंत भाग जाओ मेजर के आने का समय हो गया है." मैं क्लब लौट आया .
मैं अब जब भी सीमा और माया मैडम को देखता तो मुझे उनके जिस्म का एक एक मोड़ और गोलाई नजर आने लगती. एक दिन सीमा मैडम ने मुझे रविवार को बड़े सवेरे घर पर बुलाया. घर पहुँचने पर पता चला कि सीमा मैडम के पति मेजर दो दिन के लिए कहीं बाहर गया है. सीमा मैडम ने पहले मुझसे अपने पूरे जिस्म पर मसाज करवाया और उसके बाद मुझे अपनी बाहों में लिया और बिस्तर में आ गई. आज सीमा मैडम ने मुझे जगह जगह बहुत जोश के साथ चूमा. जब मुझ पर नशा छाने लगा तो सीमा मैडम ने अपने और मेरे सारे कपडे उतार दिए. अब उन्होंने मेरे लिंग को अपने हाथों से सहलाना शुरू किया जब वो उत्तेजित होकर कड़क और सीधा हो गया तो तुरंत उस पर एक कंडोम चढ़ाया और मुझे अपनी तरफ खींचते हुए मेरे लिंकों अपनी दोनों टांगों के बीच में फंसा लिया. अब धीरे धीरे मेरा लिंग सीमा मैडम के जननांग की तरफ बढ़ा और फिर उस बाहर से छोटे और कड़क लेकिन अन्दर से बहुत ही गुदगुदे छिद्र यानि कि जननांग में घुस गया.एक झटका सा लगा और हम दोनों पूरे आनंद में थे. सीमा मैडम ने मेरे लिंग को अपने जननांग में करीब आधे घंटे तक फंसाए रखा. जब मेरा लिंग ठंडा होने लगा तब मुझे छोड़ा. मुझे अगले दिन फिर इसी वक्त आने का कहकर सीमा मैडम ने मेरी ख़ुशी को दोगुना कर दिया था. इन सबसे बढ़कर बात यह थी कि सीमा मैडम ने मुझे पूरे चार सौ रुपये भी दिए थे. मैं मन ही मन जबरदस्त खुश होकर सीमा मैडम के घर से निकला. माया मैडम अपने घर के बाहर ही खड़ी थी. उन्होंने मुझे देख लिया. लेकिन मुझे पता नहीं चल पाया कि माया मैडम ने मुझे देखा है. दोपहर को क्लब में माया मैडम ने मुझे अपने पास बुलाया और बोली " आज सवेरे तुम सीमा के घर क्या करने आये थे?" मैं इस सवाल से घबरा गया. माया ने मेरे घबराये हुए चेहरे को दखा और बोली " तुम्हारी घबराहट सब बता रही है कि तुमने क्या किया है? चलो बताओ मुझे कि तुमने वहां क्या किया?" मैंने इस से कि मैं एक बहुत ही छोटा नौकर हूँ और कुछ ना कहने से मेरी नौकरी भी जा सकती है. साथ ही इन दोनों से मिल रही कमाई भी बंद हो सकती है; मैंने सीमा के घर हुई सारी घटना बता दी. माया ने मेरे गाल पर एक चिकोटी कटी और बोली " एक बहुत ही छोटा मुलाजिम और किस्मत तो देखो! तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारे काम आ रही है. अब तो तुम्हें मेरे घर भी आना पडेगा!"
अगले दिन मैं पहले माया मैडम के घर गया. उनके पति तब तक ड्यूटी पर जा चुके थे. माया मैडम मुझे लेकर घर के पिछवाड़े सर्वेंट क्वार्टर में ले आई. उस छोटे से कमरे में एक बिस्तर बिछा हुआ था. माया मैडम ने अपने और मेरे सारे कपडे उतार दिए. फिर इसके बाद हम दोनों उस बिस्तर पर लेट गए. मैंने माया मैडम के सारे जिस्म की मसाज की. माया मैडम का गोरा और मजबूत जिस्म सीमा मैडम से कहीं ज्यादा गरम और आकर्षक था. माया मैडम की कमर औए बाहें ऐसी थी कि कोई भी पिघले बिना ना रहे. अब मैंने माय्म्दम के कहने पर उनके एक एक अंग को चूमना शुरू कर दिया था. माया मैडम बहुत ही आराम से मुझसे यह काम करवा रही थी. मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था. मैंने माया मैडम की सुराहीदार गरदन के नीचे चूमा तो मेरे सारे बदन में आग लग गई. माया मैडम का सारा जिस्म जैसे मलाई था. मैं माया मैडम को अब हर जगह चूमने लगा. माया मैडम ने भी मुझे गालों पर चूमा और मुझे अपने से कसकर लिपटा लिया. आखिर में माया मैडम ने एक कंडोम मेरे हाथों में दिया. मैंने तुरंत अपने तने हुए लिंग पर चढ़ा लिया. अब माया मैडम ने अपनी दोनों टांगों अंग्रेजी के वी की तरह फैला दी. मैं माया मैडम के गोरे गुलाबी और घुंघराले बालों से ढके हुए जननांग को देख अपना होश गँवा बैठा. माया मैडम ने इशारा किया और मैं उन पर लेट गया. जैसे ही ने माया मैडम के जननांग से अपना लिंग स्पर्श कराया हम दोनों के जिस्म में बिजलीयाँ दौड़ गई. मैंने धीरे धीरे अपने लिंग को उनके जननांग पर मसाज जैसे किया. फिर माया मैडम ने मेरे लिंग को अकडा और धीरे से अपने मखमली और रस से लबालब भरे हुए जननांग में डाल दिया. मैंने थोडा जोर लगाया और मेरा लिंग माया मैडम के जननांग के भीतर था. माया मैडम का जननांग सीमा मैडम के जननांग से कहीं ज्यादा गुदगुदा और गीला था. मुझे बहुत मजा आने लगा. ना तो मुझे और ना ही माया मैडम को समय का पता चल पाया. करीब एक घंटे से भी ज्यादा देर तक मैंने माया मैडम के जननांग को भेद भेद कर गरम का दिया. माया मैडम का गोरा जननांग इस से गहरा लाल हो गया था. माया मैडम ने मुझे मेरे होंठों पर अपने नम नरम और रसीले होंठों से बहुत ही नाजुकता से चूमा. न्होंने जैसे ही मुझे इस तरह से चूमा मेरे लिंग से अचानक ही गाढे रस की धार बहकर कंडोम में भरने लगी. कंडोम फैलने लगा और माया मैडम के जननांग में जोर की गुदगुदी होने लगी. माया मैडम ने मुझे जोर से पकड़ लिया. हम दोनों तडपे और फिर दो मिनट के बाद सब शांत हो गया. हम दोनों कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे.

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