जुली को मिल गई मूली compleet

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raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:38

जुली को मिल गई मूली--15

गतान्क से आगे...................

पहले ही काफ़ी देर हो चुकी थी और हम अगली सुबह के लिए, हमारी हनी मून की पहली सुबह मे तरो ताज़ा रहना चाहते थे. मैं उनके कंधे पर सिर रख कर सो गई और वो भी मेरा हाथ पकड़े सो गये.

हमारा हवाई जहाज़ सही समय पर सुबह जल्दी ज़ूरिच एरपोर्ट पहुँचा. स्विट्ज़र्लॅंड हमारे लिए जाना पहचाना था क्यों कि हम दोनो ही वहाँ काफ़ी बार आ चुके थे. वहाँ काफ़ी सर्दी थी और तापमान सुन्य से 2 डिग्री नीचे था. हम ने गरम कपड़े पहन रखे थे. हम ने वहाँ से ल्यूज़र्न जाने वाली ट्रेन पकड़ी जहाँ हमारी होटेल की बुकिंग थी. ल्यूज़र्न अपनी सुंदरता, झीलों, पहाड़ों और चुदाई के सभी सामानों के लिए जाने जाने वाला शहर है.

हम होटेल मे अपने कमरे मे पहुँचे और जल्दी जल्दी एक सुबह की चुदाई करके, तय्यार हो के नाश्ता करने बाहर आए.

नाश्ता करके हम घूमने निकल गये और जब वापस होटेल पहुँचे तब तक शाम हो चुकी थी. ये जगह मुझे बहुत पसंद है क्यों कि यहाँ सेक्स पर कोई पाबंदी नही है. सब कुछ खुल्लम खुला होता है. यहाँ पर आप अपनी चुदाई की भावनाओं को कहीं भी दिखा सकते है जैसे चुंबन लेना, बाहों मे लेना, चुचियाँ दबाना, गंद दबाना, कपड़ों के उपर से लंड पकड़ना और कपड़ों के उपर चूत पर हाथ फिराना आदि. ये सब यहाँ नॉर्मल है और कोई इस पर ज़्यादा ध्यान भी नही देता. हम ने भी दिन मे घूमते हुए ये सब कई बार किया.

दिन मे हम घूमते हुए एक चुदाई के सामान की दुकान पर गये. वहाँ हम नेचुदाई के बहुत से सामान देखे जैसे नकली लंड और नकली चूत आदि आदि. हम ने वहाँ से गंद मारने और मरवाने के सामान का पॅक खरीदा.

गंद मारने का ये पॅक पूरी तरह सुरक्षा देने वाला है. गंद मारने और मरवाने वाले इस को काम मे लेते है चाहे किसी मर्द को मर्द की गंद मारनी हो या किसी मर्द को औरत की गंद मारनी हो. विदेशी धरती पर मेरी पहली बार पूरी तरह गंद मरवाने के अवसर पर मैं इस पॅक के सामान के बारे मे भी बता रही हूँ.

हम अपने होटेल के कमरे मे कपड़े उतार कर गंद मारने और मरवाने का खेल खेलने के लिए तय्यार थे. हालाँकि बाहर काफ़ी सर्दी थी पर होटेल के कमरे मे हीटर होने की वजह से तापमान नॉर्मल था. नंगे होने के बावजूद भी हम को सर्दी नही लग रही थी. मैं अपनी गंद मरवाने के लिए काफ़ी उत्साहित थी. मेरे पति का चोद्ने का औज़ार, उनका लंड नुन्नि की तरह नरम था तथा नीचे की तरफ लटका हुआ था. मैं देख रही थी कि धीरे धीरे वो खड़ा होने लगा, बड़ा होता चला गया , लंबा होता चला गया , मोटा और कड़क होता चला गया . जल्दी ही हमेशा की तरह वो तन कर, अपना सिर उठा कर खड़ा हो गया और जैसे वो मेरी तरफ चोद्ने के लिए देख रहा था.

मेरे पति ने का पॅकेट खोला. उस मे से एक बिना सुई वाला इंजेक्षन निकला. उस पर सुई की जगह एक पतली, सुई जितनी लंबी नली थी, एक बड़ी बॉटल थी जिसमे चिकना सा, पानी जैसा कुछ था और एक बड़ी ट्यूब निकली जिसमे क्रीम थी.

उन्होने इंजेक्षन ले कर बॉटल खोली और उस मे निशान लगी जगह तक बॉटल से चिकना पानी भरा. वो मेरी तरफ देख कर मुश्कराए. मैं जानती थी कि ये मेरी गंद मे डालने के लिए है. मैं अपने पति की तरफ अपनी गंद करके थोड़ा झुक गई ताकि उनको मेरी गंद का छेद नज़र आए.

उन्होने इंजेक्षन की नली मेरी गंद के छेद पर रखी और उस पतली नली को मेरी गंद मे डाल दिया. मैं उस पतली नली को मेरी गंद मे थोड़ा अंदर तक महसूस कर रही थी. जब उन्होने इंजेक्षन का पंप दबा कर वो चिकना पानी मेरी गंद के अंदर छ्चोड़ा तो मुझे कुछ अजीब सा लगा और मेरी गंद मे गुदगुदी सी होने लगी. मैने अपनी गंद मे पहले ऐसा कभी भी महसूस नही किया था.

वो बोले – कुछ समय तक रुकना पड़ेगा जली. तुम्हारी गंद मे गई दवा तुम्हारी गंद को अंदर से पूरी तरह सॉफ करके सब बाहर निकाल देगी और तुम्हारी गंद तुम्हारी चूत की तरह सॉफ हो जाएगी. अंदर कुछ भी गंदगी नही रहेगी. फिर मैं बिना कॉंडम के तुम्हारी गंद मार सकता हूँ. इन्फेक्षन का कोई डर नही रहेगा.


raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:39

मैं सीधी खड़ी हो गई और बहुत रोमांचित थी. हम ने एक दूसरे को पकड़ा और हमारे होंठ आपस मे जुड़ गये.

थोड़ी ही देर मे मुझे अपनी गंद मे कुछ हलचल सी महसूस हुई और मुझे लगा कि बाथरूम जाना ही पड़ेगा. मैं बाथरूम जा कर बैठी तो जल्दी ही मेरी गंद से सारी गंदगी निकल गई और मैं हल्का महसूस करने लगी. मैने गरम पानी से अपनी गंद सॉफ की तो मैने पाया कि मेरी गंद का छेद बहुत नरम और चिकना हो गया है. मैं गंद सॉफ कर के बाहर आ गई.

अब मैं अपने पति से गंद मरवाने को पूरी तरह तय्यार थी. सुहागरात को तो उन्होने केवल शगुन के तौर पर ही मेरी गंद मारी थी, आज मैं अपनी गंद पूरी तरह मरवाने वाली थी.

वो बिस्तर मे मेरा इंतज़ार कर रहे थे. मैं कूद कर बिस्तर पर चढ़ि और उनके गरमा गरम लौडे को अपने मूह मे ले लिया. जवाब मे उन्होने मेरी चुचियों को ज़ोर ज़ोर से दबाया और मसला. मैं गरम और सेक्सी होने लगी. मैं अपनी सफाचट चिकनी चूत को चुदाई की चाह मे गीली होने से नही रोक सकी.

उनका कड़क लॉडा मेरे मूह मे और भी कड़क हो गया . मैं उसको ऐसे चूस रही थी जैसे दूध ही निकल आएगा. मैं ज़्यादा इंतज़ार नही करना चाहती थी. जल्दी से जल्दी उनके फड़फड़ाते हुए लौडे को अपनी सॉफ की हुई गंद मे पूरा, अंदर तक लेना चाहती थी.

वो मेरी चाहत समझ गये और पलंग के किनारे मुझे घोड़ी बन ने को कहा. वो नीचे ज़मीन पर खड़े हो गये और मैने अपनी गंद उनका लंड अंदर लेने के लिए सही सही ऊँचाई पर की.

उन्होने ट्यूब लेकर थोड़ी क्रीम मेरी गंद पर और थोड़ी अपने तने हुए लंड पर लगाई. मेरी गंद पर लगी हुई क्रीम को अपनी उंगली से मेरे गंद के छेद मे अंदर डाला.

और हम दोनो तय्यार थे गंद मारने और गंद मरवाने का पूरा मज़ा लेने के लिए. उन्होने मुझे मेरी गंद का छेद ढीला छोड़ने को कहा और अपना लंड मेरी गंद के दरवाजे पर लगाया. उनके थोड़ा सा ज़ोर लगाने पर उनके लंड का सूपड़ा मेरी गंद के अंदर घुस गया . मेरी गंद मे थोड़ा सा दर्द हुआ पर दर्द से ज़्यादा रोमांच हुआ. उनके थोड़ा और ज़ोर लगाने पर थोड़ा दर्द और थोड़ा मज़ा, पर उनका लंड मेरी चिकनी गंद के अंदर घुसने लगा.

वो बोले – ठीक तो हो डार्लिंग? दर्द तो नही हो रहा?

मैने कहा – मैं ठीक हूँ डियर……… तुम अंदर डालो.

सही पोज़िशन ले कर, थोड़ा सा लंड वापस बाहर निकाल कर जो ज़ोर का धक्का उन्होने लगाया तो उनका लंड तन तनाता हुआ आधा मेरी गंद मे घुस गया . मैने अपना हाथ पीछे करके , अपनी गंद के उपर उनके लंड को पकड़ कर जाना कि सचमुच ही उनका आधा लंड मेरी गंद मे घुस गया है. वैसे भी उनका लंड किसी औसत लंड से काफ़ी लंबा और मोटा है. उनके पूरे लंड को अपनी गंद मे लेने का मतलब किसी बड़ी सफलता से कम नही है.

raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:39

मुझे गंद मे थोड़ा दर्द ज़रूर हो रहा था पर जैसा की मैने लिखा है, मेरी गंद अब पूरी तरह चिकनी हो चुकी थी, भला हो गंद मारने और मरवाने वाले पॅकेट का.

वो पीछे से मेरी गोल गोल गंद को बहुत ही सेक्सी अंदाज़ मे पकड़े हुए थे जो मेरी गंद का बॅलेन्स सही ऊँचाई रखने मे सहायक हो रहे थे.

अब, जैसे वो मेरी चूत छोड़तें है, वैसे अपने लंड को मेरी गंद मे अंदर बाहर…….. अंदर बाहर करने लगे. वो अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकालते और हर धक्के के साथ, चतुराई के साथ और अंदर तक घुसा देते.

मेरी पूरी तरह से पहली गंद मराई हो रही थी और थोड़े दर्द के बावजूद मुझे मज़ा आ रहा था. मेरी आँखें मज़े के मारे बंद होने लगी. मैं अपनी गंद मरवाई का पूरा मज़ा लूटना चाहती थी. मुझे लग रहा था कि मैं अपनी गंद मरवा कर झाड़ सकती हूँ.

उन के लंड का मेरी गंद मे आना जाना, धक्के लगाना जारी था और थोड़ी ही देर मे मैने उनके लंड के नीचे की गोलियों की थैली को अपनी चूत पर टकराते हुए महसूस किया. इस का मतलब अब उनका पूरे का पूरा, लंबा लंड मेरी गंद मे आ जा रहा था. मुझे गंद मे ज़्यादा दर्द भी नही हो रहा था और ये मुझे चूत मे लंड ले कर चुद्वाने जैसा आसान लग रहा था. कुछ वैसा ही मज़ा आ रहा था. सचमुच उस पॅकेट ने मेरी गंद मरवाई कितनी आसान करदी थी. मेरी गंद नरम और चिकनी, बिल्कुल चूत जैसी हो गई थी, जिस ने उनके लंबे और मोटे लंड को अपने अंदर पूरी तरह समा लिया था.मुझे नही लगा था कि मैं गंद मरवाते हुए उनके पूरे लंड को अपनी गंद मे ले लूँगी. अब उनका लंबा लंड , मेरी गंद के अंदर से मुझे अपने दिल के पास पहुँचता लग रहा था. आख़िर मैने उन से पूछ ही लिया कि क्या उनका पूरा लंड अंदर है, तो उन्होने बताया कि हां, पूरा अंदर चला गया है. जिस तरीके से, वो अपना गरमा गरम लंबा और मोटा लॉडा मेरी गंद मे अंदर बाहर घुमा रहे थे, मुझे नशा सा होने लगा. उनकी गंद मारने की बढ़ती रफ़्तार बता रही थी की उनको भी मेरे जितना मज़ा आ रहा था.

मेरी पहले से गीली चूत और गीली और गरम हो गई, उपर से उनके लंड के नीचे लटकी गोलियों की थैली मेरी चूत से हर धक्के के साथ टकरा कर मेरी चूत मे और आग लगा रही थी. मुझे लग रहा था कि उनकी गोलियों की थैली भी मेरी चूत से निकलते रस से गीली हो गई थी.

मैं चाहती थी कि वो मेरी गंद तब तक मारते रहे जब तक उनके लंड का पानी मेरी गंद मे ना निकल जाए.

आप तो जानते ही है कि उनके लंड से पानी निकलने मे काफ़ी वक़्त लगता है. और कई बार तो मेरी पूरी चुदाई होने के बाद, मेरे एक बार से ज़्यादा झाड़ चूकने के बाद मुझे मेरा हाथ और मूह इस्तेमाल करना पड़ता है उनके लंड रस को निकालने मे. मगर इस बार मैने सोच लिया था कि चाहे जितना समय लगे, मैं उनके लंड रस की बरसात अपनी गंद के अंदर कर्वाउन्गि.

अचानक……. मेरी गंद मारते मारते वो अपना हाथ मेरी चूत पर ले गये और मेरी चूत को, चूत के दाने को मसल्ने लगे, मेरी गीली चूत से खेलने लगे. ये तो सोने पर सुहागा था. दोहरी चुदाई का आनंद. उन का लंड मेरी गंद मार रहा था और उनका हाथ मेरी रसीली, चिकनी चूत से खेल रहा था. उनका लंड तेज़ी से मेरी गंद मे आ जा रहा था और उनकी उंगलियाँ तेज़ी से मेरी चूत मे घूम रही थी.

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