मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
जैसे ही मैं नाज़ दीदी के घर के सामने पौंची तो मुझे सामने से आकाश आता दिखाई दिया. नाज़ दीदी के घर के आगे वाला घर आकाश का ही था. जैसे ही मेरी नज़र उस से मिली तो उसने मुझे स्माइल की मगर मैं उसकी स्माइल का कोई जवाब ना देते हुए नाज़ दीदी के घर में घुस गई.
अंदर जाते ही मैं ज़ोर ज़ोर च्चिलाने लगी.
रीता-नाअज़ डीडीिईईई………..दीदी कहाँ हो आप……..
मेरी आवाज़ सुनकर टाई जी किचन से बाहर निकली और बोली.
टाई जी-अरे रीतू किउन शोर मचा रही है.
रीता-टाई जी नाज़ दीदी कहाँ हैं.
टाई जी-वो अपने रूम में है.
मैं सीधा नाज़ दीदी के रूम में जाकर घुस गई. नाज़ दीदी बेड पे बेठी किताभ पढ़ रही थी. वो क्ब कराती थी और बस हमेशा पढ़ती रहती थी. मुझे देखते ही वो बोली.
गुलनाज़-अरे स्वीतू आप यहाँ आज हमारी कैसे याद आ गई.
रीता-दीदी रोज़ तो आपके पास आती हूँ मैं.
नाज़-वो तो ठीक है मगर आज आपके तेवर कुछ ठीके लग रहे हैं.
रीता-हन दीदी वो आप जल्दी से टीवी ऑन करो.
नाज़-ओह तो बची मॅच देखने आई है यहाँ.
रीता-आपको कैसे पता चला.
नाज़-आप जाभ भी ऐसे ठीके तेवर लेकर यहाँ आती हो तो मुझे पता होता है की घर में चाची जी ने आपको दांता होगा और आप यहाँ चली आई मॅच देखने.
रीता-ओह हो अब बातें मत करो जल्दी से टीवी ऑन करो.
दीदी ने टीवी ऑन किया और मैने रिमोट उठकर सेट मॅक्स लगा दिया.
अंदर जाते ही मैं ज़ोर ज़ोर च्चिलाने लगी.
रीता-नाअज़ डीडीिईईई………..दीदी कहाँ हो आप……..
मेरी आवाज़ सुनकर टाई जी किचन से बाहर निकली और बोली.
टाई जी-अरे रीतू किउन शोर मचा रही है.
रीता-टाई जी नाज़ दीदी कहाँ हैं.
टाई जी-वो अपने रूम में है.
मैं सीधा नाज़ दीदी के रूम में जाकर घुस गई. नाज़ दीदी बेड पे बेठी किताभ पढ़ रही थी. वो क्ब कराती थी और बस हमेशा पढ़ती रहती थी. मुझे देखते ही वो बोली.
गुलनाज़-अरे स्वीतू आप यहाँ आज हमारी कैसे याद आ गई.
रीता-दीदी रोज़ तो आपके पास आती हूँ मैं.
नाज़-वो तो ठीक है मगर आज आपके तेवर कुछ ठीके लग रहे हैं.
रीता-हन दीदी वो आप जल्दी से टीवी ऑन करो.
नाज़-ओह तो बची मॅच देखने आई है यहाँ.
रीता-आपको कैसे पता चला.
नाज़-आप जाभ भी ऐसे ठीके तेवर लेकर यहाँ आती हो तो मुझे पता होता है की घर में चाची जी ने आपको दांता होगा और आप यहाँ चली आई मॅच देखने.
रीता-ओह हो अब बातें मत करो जल्दी से टीवी ऑन करो.
दीदी ने टीवी ऑन किया और मैने रिमोट उठकर सेट मॅक्स लगा दिया.
Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
स्कोर्कार्ड को देखकर दीदी बोली.
नाज़-आज तो लगता है आपकी मुंबई जीत जाएगी.
दीदी जानती थी की मर्द फेव. करिककटर सचिन है.
रीता-लगता तो है दीदी.
फिर मैं वहाँ बैठकर मॅच देखने लगी. मुंबई की बॅटिंग आ गई और उन्हे सिर्फ़ 130 का टारगेट मिला. लेकिन ये क्या मुंबई के 3 व्क्ट्स सिर्फ़ 2 रन्स पे ही आउट हो गये.
मैं अपने सर पे हाथ माराती हुई बोली.
रीता-ओह तेरी ये क्या हो गया.
नाज़-आपकी मुंबई की हालत पतली हो गई और क्या.
आख़िरकार मॅच ख़त्म हुया और मुंबई हार गई. मैं लटका सा मूह लेकर वहाँ से जाने लगी तो नाज़ दीदी बोली.
नाज़-आप बस मॅच देखने आई थी स्वीतू मेरे पास नही बैतोगी.
मैं दीदी के पास बेड पे जाकर बैठ गई और बोली.
रीता-नही दीदी आप जब भी मेरे पास होती हो तो मुझे बहुत अछा लगता है.
नाज़-मुझे भी आप की ये चुलबुली सी हरकते बहुत अछी लगती हैं स्वीतू और बताओ आपकी स्टडी कैसी चल रही है.
रीता-ब्स चल रही है दीदी.
नाज़-रीतू बचे ध्यान से पढ़ा कर और अच्छे मार्क्स लेकर पास होना है आपको.
रीता-क्या दीदी आप भी ना मेरी आंटी बन जाती हो. और ये क्या ‘आप-आप‚ लगा न्यू एअर है आपने. मैं कितनी छ्होटी हूँ आपसे मुझे ‘तुम‚ कहा करो प्ल्स.
नाज़-अरे स्वीतू एक मैं ही तो हूँ जो आपको इज़्ज़त से बुलाती हूँ. बाकी घर वाले तो आपको गलियाँ ही देते हैं.
रीता-ये बात तो है दीदी तभी तो मैं भी आपसे कितना प्यार कराती हूँ.
गुलनाज़ दीदी ने मेरे फोरहेड पे किस की और मैने उनके चीक्स पे किस करते हुए उन्हे बाये बोला और अपने घर में आ गई.गुलनाज़ दीदी के घर से वापिस आने के बाद मैं अपने रूम में गयी और पढ़ने के लिए किताब उठाई मगर मेरा दिल पढ़ने में नही लगा और मैने बुक बंद की और अपने घर की चाट पे चली गई और टहलने लगी. शाम का मौसम था थोड़ा तोड़ा अंधेरा आसमान में आने लगा था हवा भी ठंडी चल रही थी जिस से सीने को ठंडक पॉंच रही थी. काफ़ी देर तक मैं वहाँ तहलती रही और फिर जब काफ़ी अंधेरा हो गया तो मैं नीचे आ गई. आंटी खाना बना रही थी और भैया टीवी देख रहे थे. मैं भैया के पास जाकर बैठ गई. मुझे देखते ही भैया बोले.
नाज़-आज तो लगता है आपकी मुंबई जीत जाएगी.
दीदी जानती थी की मर्द फेव. करिककटर सचिन है.
रीता-लगता तो है दीदी.
फिर मैं वहाँ बैठकर मॅच देखने लगी. मुंबई की बॅटिंग आ गई और उन्हे सिर्फ़ 130 का टारगेट मिला. लेकिन ये क्या मुंबई के 3 व्क्ट्स सिर्फ़ 2 रन्स पे ही आउट हो गये.
मैं अपने सर पे हाथ माराती हुई बोली.
रीता-ओह तेरी ये क्या हो गया.
नाज़-आपकी मुंबई की हालत पतली हो गई और क्या.
आख़िरकार मॅच ख़त्म हुया और मुंबई हार गई. मैं लटका सा मूह लेकर वहाँ से जाने लगी तो नाज़ दीदी बोली.
नाज़-आप बस मॅच देखने आई थी स्वीतू मेरे पास नही बैतोगी.
मैं दीदी के पास बेड पे जाकर बैठ गई और बोली.
रीता-नही दीदी आप जब भी मेरे पास होती हो तो मुझे बहुत अछा लगता है.
नाज़-मुझे भी आप की ये चुलबुली सी हरकते बहुत अछी लगती हैं स्वीतू और बताओ आपकी स्टडी कैसी चल रही है.
रीता-ब्स चल रही है दीदी.
नाज़-रीतू बचे ध्यान से पढ़ा कर और अच्छे मार्क्स लेकर पास होना है आपको.
रीता-क्या दीदी आप भी ना मेरी आंटी बन जाती हो. और ये क्या ‘आप-आप‚ लगा न्यू एअर है आपने. मैं कितनी छ्होटी हूँ आपसे मुझे ‘तुम‚ कहा करो प्ल्स.
नाज़-अरे स्वीतू एक मैं ही तो हूँ जो आपको इज़्ज़त से बुलाती हूँ. बाकी घर वाले तो आपको गलियाँ ही देते हैं.
रीता-ये बात तो है दीदी तभी तो मैं भी आपसे कितना प्यार कराती हूँ.
गुलनाज़ दीदी ने मेरे फोरहेड पे किस की और मैने उनके चीक्स पे किस करते हुए उन्हे बाये बोला और अपने घर में आ गई.गुलनाज़ दीदी के घर से वापिस आने के बाद मैं अपने रूम में गयी और पढ़ने के लिए किताब उठाई मगर मेरा दिल पढ़ने में नही लगा और मैने बुक बंद की और अपने घर की चाट पे चली गई और टहलने लगी. शाम का मौसम था थोड़ा तोड़ा अंधेरा आसमान में आने लगा था हवा भी ठंडी चल रही थी जिस से सीने को ठंडक पॉंच रही थी. काफ़ी देर तक मैं वहाँ तहलती रही और फिर जब काफ़ी अंधेरा हो गया तो मैं नीचे आ गई. आंटी खाना बना रही थी और भैया टीवी देख रहे थे. मैं भैया के पास जाकर बैठ गई. मुझे देखते ही भैया बोले.
Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
हॅरी-स्वीतू कहाँ थी तू.
रीता-उपर चाट पे थी भैया.
हॅरी-ओक जा आंटी की हेल्प करा जाकर किचन में.
रीता-उम्म्म भैया मैं बहुत ताकि हुई हूँ.
हॅरी-तक कैसे गई तू कोई काम तो किया नही तूने दिन भर में.
रीता-नही भैया वो मेरी पीठ में दर्द है.
हॅरी-बहाने-बाज़ कब तक आंटी के हाथ की खाती रहेगी. शादी के बाद देखूँगा तुझे जब सारा दिन किचन में ही गुज़र जाएगा तेरा.
रीता-तब की तब देखेंगे. फिलहाल तो आंटी के सर पे ऐश करलू.
हॅरी-करले बचु जितनी ऐश करनी है. पापा को बोल कर लड़का ढूनडते हैं तेरे लिए.
रीता-भैया पहले आपको मेरे लिए भाभी ढुंडनी पड़ेगी फिर मेरी शादी की बात करना.
तभी आंटी बाहर आई और बोली.
आंटी-किसकी शादी की बात करनी है रीतू.
रीता-भैया की.
आंटी-हन अब तो करनी पड़ेगी.
हॅरी-आंटी आप भी इस नटखट के साथ मिल गई. अभी मुझे पढ़ना है जब शादी का टाइम आएगा मैं खुद बता दूँगा.
रीता-भैया कहीं पहले से तो नही ढुंड न्यू एअर मेरी भाभी.
हॅरी-देखो आंटी ये बिगड़ती जा रही है.
आंटी-अरे बुढ़ू वो मज़ाक कर रही है. तू जनता तो है इसे.
तभी पापा भी आ गये और फिर हम सभ ने मिल कर खाना खाया और फिर सब अपने अपने रूम में चले गये. मैने थोड़ी देर पढ़ाई की और फिर घोड़े बीच कर सो गई. सुबह फिरसे आंटी ने मुझे उठाया और मैने फ्रेश हो कर चाय पे और जल्दी से स्कूल के लिए रीडी हो गई. आज भैया को पापा के साथ कही जाना था इसलिए मुझे आज बस से जाना पड़ा. वैसे तो बस स्टॉप पे बस कोई रुकती नही थी लेकिन सुबह के टाइम एक बस आती थी जो सभी गाव में रुक कर जाती थी. और हमारे स्कूल के भी काफ़ी स्टूडेंट उसमे जाते थे. मैं जब स्टॉप पे पौंची तो देखा आकाश वहीं पे खड़ा था. महक इसी बस से आती थी इसी लिए शायद आशिक़ मिया भी बस के आने का ही इंतेज़ार कर रहे थे. मैं जाकर बस स्टॉप पे खड़ी हो गई. एक दो लोग और खड़े थे वहाँ पे मुझे देखते ही आकाश मेरे पास आया और बोला.
रीता-उपर चाट पे थी भैया.
हॅरी-ओक जा आंटी की हेल्प करा जाकर किचन में.
रीता-उम्म्म भैया मैं बहुत ताकि हुई हूँ.
हॅरी-तक कैसे गई तू कोई काम तो किया नही तूने दिन भर में.
रीता-नही भैया वो मेरी पीठ में दर्द है.
हॅरी-बहाने-बाज़ कब तक आंटी के हाथ की खाती रहेगी. शादी के बाद देखूँगा तुझे जब सारा दिन किचन में ही गुज़र जाएगा तेरा.
रीता-तब की तब देखेंगे. फिलहाल तो आंटी के सर पे ऐश करलू.
हॅरी-करले बचु जितनी ऐश करनी है. पापा को बोल कर लड़का ढूनडते हैं तेरे लिए.
रीता-भैया पहले आपको मेरे लिए भाभी ढुंडनी पड़ेगी फिर मेरी शादी की बात करना.
तभी आंटी बाहर आई और बोली.
आंटी-किसकी शादी की बात करनी है रीतू.
रीता-भैया की.
आंटी-हन अब तो करनी पड़ेगी.
हॅरी-आंटी आप भी इस नटखट के साथ मिल गई. अभी मुझे पढ़ना है जब शादी का टाइम आएगा मैं खुद बता दूँगा.
रीता-भैया कहीं पहले से तो नही ढुंड न्यू एअर मेरी भाभी.
हॅरी-देखो आंटी ये बिगड़ती जा रही है.
आंटी-अरे बुढ़ू वो मज़ाक कर रही है. तू जनता तो है इसे.
तभी पापा भी आ गये और फिर हम सभ ने मिल कर खाना खाया और फिर सब अपने अपने रूम में चले गये. मैने थोड़ी देर पढ़ाई की और फिर घोड़े बीच कर सो गई. सुबह फिरसे आंटी ने मुझे उठाया और मैने फ्रेश हो कर चाय पे और जल्दी से स्कूल के लिए रीडी हो गई. आज भैया को पापा के साथ कही जाना था इसलिए मुझे आज बस से जाना पड़ा. वैसे तो बस स्टॉप पे बस कोई रुकती नही थी लेकिन सुबह के टाइम एक बस आती थी जो सभी गाव में रुक कर जाती थी. और हमारे स्कूल के भी काफ़ी स्टूडेंट उसमे जाते थे. मैं जब स्टॉप पे पौंची तो देखा आकाश वहीं पे खड़ा था. महक इसी बस से आती थी इसी लिए शायद आशिक़ मिया भी बस के आने का ही इंतेज़ार कर रहे थे. मैं जाकर बस स्टॉप पे खड़ी हो गई. एक दो लोग और खड़े थे वहाँ पे मुझे देखते ही आकाश मेरे पास आया और बोला.