देखने-पढ़ने से मन नहीं भरता अब - Hindi sex strory
Re: देखने-पढ़ने से मन नहीं भरता अब - Hindi sex strory
मैंने कहा- ठीक है भाभी।
और फिर हम दोनों मुख्य-द्वार बन्द करके किरण के घर चले गए। किरण कोचिंग के बाद इस वक्त अकेली ही घर पर रहती थी क्योंकि उसके भाई और भाभी दोनों एक ही साथ ऑफिस में काम करते थे और एक ही साथ आते-जाते थे।
खैर, मैंने किरण से पूछा- क्या समस्या है?
तो उसने कहा- आज मेरा इंग्लिश का टेस्ट हुआ था उसमे बहुत कम अंक मिले, सर ने कहा है कि रीडिंग और स्पीकिंग सही करो। मेरा उच्चारण भी सही नहीं है। तो मुन्ना भैया बताइये कि मैं कैसे सुधार करूँ।
मैंने कहा- बहुत आसान है, नेट पर ऑनलाइन बहुत सी साइट हैं जिस पर तुम प्रैक्टिस कर सकती हो।
तो वो बोली- प्लीज़ आप नेट पर सर्च कर दीजिए।
मैंने कहा- ठीक है, कम्प्यूटर कहां है?
उसने कहा- मेरे बेडरूम में है।
और फिर बोली- आइये !
मैं उसके पीछे उसके बेडरूम चल दिया। उसका बेडरूम बहुत सलीके से सजा था, एक डबलबेड कमरे के बीचोंबीच था, उसके पैताने एक कम्प्यूटर-टेबल पर कम्प्यूटर रखा था उसके सामने एक कुर्सी थी और उसके बगल में कमरे का दरवाजा था।
उसने कुर्सी पर बैठ कर अपना कम्प्यूटर ऑन किया और नेट कनेक्ट करके मुझसे कहा- आप सर्च करिये, तब तक मैं कपड़े बदल कर आप के लिए चाय बनाती हूँ।
मैंने कहा- हाँ, चाय तो चलेगी।
फिर मैं गूगल पर साइट सर्च करने लगा। एक साइट मुझे कुछ समझ में आई कि अचानक लाइट चली गई और यूपीएस न होने की वजह से कम्प्यूटर भी बन्द हो गया। इसी बीच किरण अपनी जीन्स-टॉप उतार कर और गाउन पहन कर अपने दोनों हाथों से चाय की ट्रे पकड़े हुए कमरे में आई और बोली- लीजिए आप चाय पीजिये ! तब तक शायद बिजली आ जाये।
मैंने कहा- ठीक है ! उसने ट्रे कम्प्यूटर-टेबल के एक कोने पर रख दी और खुद मेरे बगल में बिस्तर पर बैठ कर चाय पीने लगी। अभी हम लोग चाय पी ही रहे थे कि बिजली आ गई। मैंने कप रखा और कम्प्यूटर ऑन किया। फिर नेट कनेक्ट किया, फिर ब्राउज़र खोला, फिर मैंने सोचा कि दुबारा सर्च करने से क्या फायदा, वेब हिस्ट्री में तो पड़ा ही होगा, उसी से दुबारा साइट खोल लेंगे।
फिर मैंने वेब हिस्ट्री खोली, उसमें वो साइट तो थी ही लेकिन मेरी नजर sex story साइट पर पड़ी तो मैंने बगल में बैठी चाय पीते हुए किरण से पूछा कि ये सिस्टम कौन-2 प्रयोग करता है?
तो उसने कहा- मैं और मेरी भाभी।
फिर मैंने सीधे ही पूछ लिया कि तुम sex story साइट की कहानियाँ पढ़ती हो?
यह सुनते ही उसके चेहरे का रंग उड़ गया और घबरा कर बोली- नहीं तो !
मैंने कहा- देखो यहाँ ! पिछ्ले एक हफ्ते में रोज यह साइट खोली जाती है।
इस पर वो कुछ नहीं बोली और निगाहें नीचे करके बिल्कुल डरी सी बैठी रही।
मैंने सोचा कि ज्यादा हड़काना ठीक नहीं है फिर मैंने उसे कूल डाउन किया यह बोल कर कि- अरे यार आजकल तो ज्यादातर लड़के-लड़कियाँ ये कहानियाँ पढ़ते हैं। इसमे डरने जैसी कौन सी बात है, मैं खुद पढ़ता हूँ इस पर वो कुछ सामान्य हुई।
मैंने फिर पूछा- अच्छा यह बताओ कि तुमने Hot School Girl पढ़ी है?
तो उसने सकुचाते हुए कहा- हाँ पढ़ी है !
मैंने फिर पूछा- कैसी लगी?
तो उसने बताया- अच्छी है।
फिर मैंने पूछा- क्या तुम उस लेखक से चैट करती हो? सच बताना, नहीं तो मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं करूँगा।
तो वो थोड़ा सा रुक कर बोली- हाँ, मैं रोज उनसे बात करती हूँ।
तो मैंने कहा- तुम उससे रीमा नाम से बात करती हो ना?
तुरन्त उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव आए और उसने पूछा कि आप को कैसे पता?
मैंने कहा- वो मुन्ना सिंह मैं ही हूँ जिससे तुम रोज चैट करती हो।
इस पर वो शरमा गई और मेरे पीठ पर हल्के से हाथ मार कर कहा- आपने तो मेरी जान ही निकाल दी थी, मैं तो बहुत घबरा गई थी कि न जाने आप क्या सोचेंगे।
मैंने कहा- चलो, भगवान जो करता है वो ठीक ही करता है। वैसे भी तुम मुझसे मिलने का वादा कर चुकी हो।
इस पर वो शरमा कर मुस्कुराने लगी।
फिर मैंने कहा- उस दिन तो तुमने चैटिंग में मेरा के एल पी डी कर दिया था, आज जब भगवान ने खुद मौका दिया है तो उसका लाभ लेना चाहिए।
इस पर वो बोली- आज नहीं कल ! आज मैं मानसिक तौर से तैयार नहीं हूँ, आपने तो आज मुझे कई झटके दिये हैं पहले मैं सामान्य तो हो जाऊँ।
फिर मैंने उससे सीधे पूछा- यह बताओ कि तुम्हारे पीरियड तो नहीं चल रहे हैं?
और फिर हम दोनों मुख्य-द्वार बन्द करके किरण के घर चले गए। किरण कोचिंग के बाद इस वक्त अकेली ही घर पर रहती थी क्योंकि उसके भाई और भाभी दोनों एक ही साथ ऑफिस में काम करते थे और एक ही साथ आते-जाते थे।
खैर, मैंने किरण से पूछा- क्या समस्या है?
तो उसने कहा- आज मेरा इंग्लिश का टेस्ट हुआ था उसमे बहुत कम अंक मिले, सर ने कहा है कि रीडिंग और स्पीकिंग सही करो। मेरा उच्चारण भी सही नहीं है। तो मुन्ना भैया बताइये कि मैं कैसे सुधार करूँ।
मैंने कहा- बहुत आसान है, नेट पर ऑनलाइन बहुत सी साइट हैं जिस पर तुम प्रैक्टिस कर सकती हो।
तो वो बोली- प्लीज़ आप नेट पर सर्च कर दीजिए।
मैंने कहा- ठीक है, कम्प्यूटर कहां है?
उसने कहा- मेरे बेडरूम में है।
और फिर बोली- आइये !
मैं उसके पीछे उसके बेडरूम चल दिया। उसका बेडरूम बहुत सलीके से सजा था, एक डबलबेड कमरे के बीचोंबीच था, उसके पैताने एक कम्प्यूटर-टेबल पर कम्प्यूटर रखा था उसके सामने एक कुर्सी थी और उसके बगल में कमरे का दरवाजा था।
उसने कुर्सी पर बैठ कर अपना कम्प्यूटर ऑन किया और नेट कनेक्ट करके मुझसे कहा- आप सर्च करिये, तब तक मैं कपड़े बदल कर आप के लिए चाय बनाती हूँ।
मैंने कहा- हाँ, चाय तो चलेगी।
फिर मैं गूगल पर साइट सर्च करने लगा। एक साइट मुझे कुछ समझ में आई कि अचानक लाइट चली गई और यूपीएस न होने की वजह से कम्प्यूटर भी बन्द हो गया। इसी बीच किरण अपनी जीन्स-टॉप उतार कर और गाउन पहन कर अपने दोनों हाथों से चाय की ट्रे पकड़े हुए कमरे में आई और बोली- लीजिए आप चाय पीजिये ! तब तक शायद बिजली आ जाये।
मैंने कहा- ठीक है ! उसने ट्रे कम्प्यूटर-टेबल के एक कोने पर रख दी और खुद मेरे बगल में बिस्तर पर बैठ कर चाय पीने लगी। अभी हम लोग चाय पी ही रहे थे कि बिजली आ गई। मैंने कप रखा और कम्प्यूटर ऑन किया। फिर नेट कनेक्ट किया, फिर ब्राउज़र खोला, फिर मैंने सोचा कि दुबारा सर्च करने से क्या फायदा, वेब हिस्ट्री में तो पड़ा ही होगा, उसी से दुबारा साइट खोल लेंगे।
फिर मैंने वेब हिस्ट्री खोली, उसमें वो साइट तो थी ही लेकिन मेरी नजर sex story साइट पर पड़ी तो मैंने बगल में बैठी चाय पीते हुए किरण से पूछा कि ये सिस्टम कौन-2 प्रयोग करता है?
तो उसने कहा- मैं और मेरी भाभी।
फिर मैंने सीधे ही पूछ लिया कि तुम sex story साइट की कहानियाँ पढ़ती हो?
यह सुनते ही उसके चेहरे का रंग उड़ गया और घबरा कर बोली- नहीं तो !
मैंने कहा- देखो यहाँ ! पिछ्ले एक हफ्ते में रोज यह साइट खोली जाती है।
इस पर वो कुछ नहीं बोली और निगाहें नीचे करके बिल्कुल डरी सी बैठी रही।
मैंने सोचा कि ज्यादा हड़काना ठीक नहीं है फिर मैंने उसे कूल डाउन किया यह बोल कर कि- अरे यार आजकल तो ज्यादातर लड़के-लड़कियाँ ये कहानियाँ पढ़ते हैं। इसमे डरने जैसी कौन सी बात है, मैं खुद पढ़ता हूँ इस पर वो कुछ सामान्य हुई।
मैंने फिर पूछा- अच्छा यह बताओ कि तुमने Hot School Girl पढ़ी है?
तो उसने सकुचाते हुए कहा- हाँ पढ़ी है !
मैंने फिर पूछा- कैसी लगी?
तो उसने बताया- अच्छी है।
फिर मैंने पूछा- क्या तुम उस लेखक से चैट करती हो? सच बताना, नहीं तो मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं करूँगा।
तो वो थोड़ा सा रुक कर बोली- हाँ, मैं रोज उनसे बात करती हूँ।
तो मैंने कहा- तुम उससे रीमा नाम से बात करती हो ना?
तुरन्त उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव आए और उसने पूछा कि आप को कैसे पता?
मैंने कहा- वो मुन्ना सिंह मैं ही हूँ जिससे तुम रोज चैट करती हो।
इस पर वो शरमा गई और मेरे पीठ पर हल्के से हाथ मार कर कहा- आपने तो मेरी जान ही निकाल दी थी, मैं तो बहुत घबरा गई थी कि न जाने आप क्या सोचेंगे।
मैंने कहा- चलो, भगवान जो करता है वो ठीक ही करता है। वैसे भी तुम मुझसे मिलने का वादा कर चुकी हो।
इस पर वो शरमा कर मुस्कुराने लगी।
फिर मैंने कहा- उस दिन तो तुमने चैटिंग में मेरा के एल पी डी कर दिया था, आज जब भगवान ने खुद मौका दिया है तो उसका लाभ लेना चाहिए।
इस पर वो बोली- आज नहीं कल ! आज मैं मानसिक तौर से तैयार नहीं हूँ, आपने तो आज मुझे कई झटके दिये हैं पहले मैं सामान्य तो हो जाऊँ।
फिर मैंने उससे सीधे पूछा- यह बताओ कि तुम्हारे पीरियड तो नहीं चल रहे हैं?
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वो बोली- नहीं अभी काफी दिन हैं।
मैंने फिर पूछा- तुमने बुर के बाल कब शेव किये थे?
तो उसने कहा- एक महीने पहले किये थे !तो मैं बोला- अब तो बड़े हो गये होंगे?
वो बोली हाँ, कुछ तो बड़े हैं।
मैंने कहा- एक काम करो !
वो बोली- क्या?
मैंने कहा- आज ही तुम अपनी झांटों को इस तरह बनाओ कि मेरे नाम का पहला अक्षर तुम्हारी झांटों से लिख जाए। तभी मैं समझूंगा कि तुम मुझसे प्यार करती हो।
वो सिर्फ मुस्करा कर बोली- आप बहुत बदमाश हैं ! लेकिन मुझे यह बताइये कि नाम वाला आइडिया आप को कहाँ से मिला?
मैंने कहा- तुम्हारी भाभी का आइडिया है !
उसने बड़े आश्चर्य से पूछा- राधा भाभी का?
मैंने कहा- हाँ !
फिर मैंने 15-6-2010 की राधा भाभी और सुरेश की चुदाई की सारी बात किरण को बताई।जिसको सुन कर किरण मुस्कराने लगी और बोली- राधा भाभी बहुत सेक्सी हैं, वो भी अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ती हैं, कई बार तो वो मुझे बताती हैं कि कौन सी कहानी बहुत अच्छी है। आपकी कहानी भी उन्होंने ही मुझे पढ़ने को कहा था, तभी मैंने पढ़ी थी।
यह जान कर मैं बहुत खुश हुआ।
फिर किरण बोली- अच्छा अब आप जाइये !
मैंने कहा- ठीक है, कल इसी समय तुम मेरे घर आ जाना और भाभी के सामने मुझे किसी बहाने बुला लेना।
उसने कहा- ठीक है !
फिर मैंने उसको एक साइट सर्च कर के दी और कहा- इस पर तुम रीडिंग करो और हेड फोन से सुनो और बोल कर प्रैक्टिस करो।
उसने कहा- थैन्क्स।
मैंने कहा- अब इसकी कोई जरूरत नहीं।
और फिर मैंने उसको पकड़ कर एक जोरदार चुम्बन लिया और उसकी एक चूची हल्के से दबा दी और कहा- सी यू टुमॉरो।
इसके बाद मैं अपने घर आकर अपने लण्ड को सोहराते हुए सो गया।
आज ऑफिस आने में कुछ देर हो गई। आते ही मैंने अपने असिस्टेन्ट को बुला कर आज के काम की लिस्ट मंगाई, फिर मैंने काम के अनुसार असिस्टेन्ट को सब कुछ समझा दिया और कहा कि आज मुझे 1 बजे एक खास मीटिंग में जाना है, बाकी का काम तुम देख लेना।
वो बोला- ठीक है सर, आप टेन्शन मत लो मैं सब देख लूंगा।
यह कह कर वो मेरे केबिन से चला गया। फिर मैंने तुरन्त अपना याहू मेसेन्जर लॉग-इन किया। भाग्यवश मेरी एक बहुत ही खास दोस्त जो कि कर्नाटक के एक शहर में रहती है, वो ऑनलाइन थी। मैं उससे हर तरह की बातें खुल कर करता था, वो बहुत ही बिन्दास और समझदार लड़की है। वो इतना प्रतिभाशाली है कि पूछो मत, उसकी और मेरी वेवलेन्थ लगभग बराबर है, मैं उससे बहुत ज्यादा प्रभावित हूँ, उससे बातें करने में मजा आता है, जाने क्यों मुझे चैन नहीं पड़ता जब तक कि मैं उससे चैट न कर लूं या फिर फोन पर बात न कर लूं। यह मेरा उसके प्रति लगाव क्या है मुझे नहीं पता जबकि मैंने अभी तक उसकी फोटो भी नहीं देखी है।
खैर!!!
मैंने उससे कहा- यार, एक मेरी चैट फ्रेन्ड है उसने मुझे चुदाई के लिए बुलाया है। शायद आज उसका फोन आयेगा।
तो उसने कहा- पूरी तैयारी कर ली है या नहीं?
तो मैंने कहा- हाँ कर ली है !
तो उसने पूछा- कौन सा कन्डोम खरीदा है?
तो मैंने कहा- डॉटेड मूड चॉकलेट फ्लेवर !
तो उसने पूछा- वो वर्जिन है या नहीं?
मैंने कहा- पता नहीं !
फिर उसने सलाह दी- यदि वो अक्षतयौवना होगी तो डॉटेड कन्डोम से उसका बैन्ड बज जायेगा और उसको बहुत तकलीफ होगी। तुम ऐसा करो कि एक प्लेन कन्डोम भी खरीद लो। अगर वो वर्जिन हो तो प्लेन वाला अन्यथा डॉटेड कन्डोम यूज करना। फिर वो और इन्जवाय करेगी।
मैंने तुरन्त उसकी बात मान ली क्योंकि वो बहुत प्रैक्टिकल है।
फिर मैं प्लेन कन्डोम खरीदने मार्केट चला गया। साथ ही मैंने कुछ उसके लिये चॉकलेट्स, एक खूबसूरत सा पेन उसकी परीक्षा के लिए, क्योंकि मुझे लगता है कि किसी इन्सान के लिये पढ़ाई और व्यव्हारिक ज्ञान बहुत जरूरी है, और एक लाल गुलाब की कली खरीदी। यह सब करते करीब दिन के एक बज गये थे और मैं बेसबरी से उसके फोन का इन्तजार कर रहा था।
इतने में किरण(आई डी नेम रीमा) का फोन आ गया और उसने बताया- आज भैया और भाभी ऑफिस नहीं गए है, आज का कार्यक्रम रद्द करो कल शनिवार को रखो। वैसे तो उन लोगों का शनिवार ऑफ रहता है लेकिन आज की बजाए वो लोग कल ऑफिस जायेंगे।
मेरा मूड बहुत खराब हो गया। किरण के केस में यह मेरा तीसरी बार के एल पी डी हुआ था।
मैंने फिर पूछा- तुमने बुर के बाल कब शेव किये थे?
तो उसने कहा- एक महीने पहले किये थे !तो मैं बोला- अब तो बड़े हो गये होंगे?
वो बोली हाँ, कुछ तो बड़े हैं।
मैंने कहा- एक काम करो !
वो बोली- क्या?
मैंने कहा- आज ही तुम अपनी झांटों को इस तरह बनाओ कि मेरे नाम का पहला अक्षर तुम्हारी झांटों से लिख जाए। तभी मैं समझूंगा कि तुम मुझसे प्यार करती हो।
वो सिर्फ मुस्करा कर बोली- आप बहुत बदमाश हैं ! लेकिन मुझे यह बताइये कि नाम वाला आइडिया आप को कहाँ से मिला?
मैंने कहा- तुम्हारी भाभी का आइडिया है !
उसने बड़े आश्चर्य से पूछा- राधा भाभी का?
मैंने कहा- हाँ !
फिर मैंने 15-6-2010 की राधा भाभी और सुरेश की चुदाई की सारी बात किरण को बताई।जिसको सुन कर किरण मुस्कराने लगी और बोली- राधा भाभी बहुत सेक्सी हैं, वो भी अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ती हैं, कई बार तो वो मुझे बताती हैं कि कौन सी कहानी बहुत अच्छी है। आपकी कहानी भी उन्होंने ही मुझे पढ़ने को कहा था, तभी मैंने पढ़ी थी।
यह जान कर मैं बहुत खुश हुआ।
फिर किरण बोली- अच्छा अब आप जाइये !
मैंने कहा- ठीक है, कल इसी समय तुम मेरे घर आ जाना और भाभी के सामने मुझे किसी बहाने बुला लेना।
उसने कहा- ठीक है !
फिर मैंने उसको एक साइट सर्च कर के दी और कहा- इस पर तुम रीडिंग करो और हेड फोन से सुनो और बोल कर प्रैक्टिस करो।
उसने कहा- थैन्क्स।
मैंने कहा- अब इसकी कोई जरूरत नहीं।
और फिर मैंने उसको पकड़ कर एक जोरदार चुम्बन लिया और उसकी एक चूची हल्के से दबा दी और कहा- सी यू टुमॉरो।
इसके बाद मैं अपने घर आकर अपने लण्ड को सोहराते हुए सो गया।
आज ऑफिस आने में कुछ देर हो गई। आते ही मैंने अपने असिस्टेन्ट को बुला कर आज के काम की लिस्ट मंगाई, फिर मैंने काम के अनुसार असिस्टेन्ट को सब कुछ समझा दिया और कहा कि आज मुझे 1 बजे एक खास मीटिंग में जाना है, बाकी का काम तुम देख लेना।
वो बोला- ठीक है सर, आप टेन्शन मत लो मैं सब देख लूंगा।
यह कह कर वो मेरे केबिन से चला गया। फिर मैंने तुरन्त अपना याहू मेसेन्जर लॉग-इन किया। भाग्यवश मेरी एक बहुत ही खास दोस्त जो कि कर्नाटक के एक शहर में रहती है, वो ऑनलाइन थी। मैं उससे हर तरह की बातें खुल कर करता था, वो बहुत ही बिन्दास और समझदार लड़की है। वो इतना प्रतिभाशाली है कि पूछो मत, उसकी और मेरी वेवलेन्थ लगभग बराबर है, मैं उससे बहुत ज्यादा प्रभावित हूँ, उससे बातें करने में मजा आता है, जाने क्यों मुझे चैन नहीं पड़ता जब तक कि मैं उससे चैट न कर लूं या फिर फोन पर बात न कर लूं। यह मेरा उसके प्रति लगाव क्या है मुझे नहीं पता जबकि मैंने अभी तक उसकी फोटो भी नहीं देखी है।
खैर!!!
मैंने उससे कहा- यार, एक मेरी चैट फ्रेन्ड है उसने मुझे चुदाई के लिए बुलाया है। शायद आज उसका फोन आयेगा।
तो उसने कहा- पूरी तैयारी कर ली है या नहीं?
तो मैंने कहा- हाँ कर ली है !
तो उसने पूछा- कौन सा कन्डोम खरीदा है?
तो मैंने कहा- डॉटेड मूड चॉकलेट फ्लेवर !
तो उसने पूछा- वो वर्जिन है या नहीं?
मैंने कहा- पता नहीं !
फिर उसने सलाह दी- यदि वो अक्षतयौवना होगी तो डॉटेड कन्डोम से उसका बैन्ड बज जायेगा और उसको बहुत तकलीफ होगी। तुम ऐसा करो कि एक प्लेन कन्डोम भी खरीद लो। अगर वो वर्जिन हो तो प्लेन वाला अन्यथा डॉटेड कन्डोम यूज करना। फिर वो और इन्जवाय करेगी।
मैंने तुरन्त उसकी बात मान ली क्योंकि वो बहुत प्रैक्टिकल है।
फिर मैं प्लेन कन्डोम खरीदने मार्केट चला गया। साथ ही मैंने कुछ उसके लिये चॉकलेट्स, एक खूबसूरत सा पेन उसकी परीक्षा के लिए, क्योंकि मुझे लगता है कि किसी इन्सान के लिये पढ़ाई और व्यव्हारिक ज्ञान बहुत जरूरी है, और एक लाल गुलाब की कली खरीदी। यह सब करते करीब दिन के एक बज गये थे और मैं बेसबरी से उसके फोन का इन्तजार कर रहा था।
इतने में किरण(आई डी नेम रीमा) का फोन आ गया और उसने बताया- आज भैया और भाभी ऑफिस नहीं गए है, आज का कार्यक्रम रद्द करो कल शनिवार को रखो। वैसे तो उन लोगों का शनिवार ऑफ रहता है लेकिन आज की बजाए वो लोग कल ऑफिस जायेंगे।
मेरा मूड बहुत खराब हो गया। किरण के केस में यह मेरा तीसरी बार के एल पी डी हुआ था।
Re: देखने-पढ़ने से मन नहीं भरता अब - Hindi sex strory
खैर मैं कर भी क्या सकता था सिवाय इन्तजार के अलावा।
शनिवार दिनांक 10-07-10 को एक गम्भीर समस्या यह थी कि मुझे ऑफिस के काम से दोपहर की फ्लाइट से 5-6 दिनों के लिये मुम्बई जाना था, मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ।
फिर मैं अपने ऑफिस वापस आ गया और बचे हुए काम निपटाने लगा।
आज मैं जल्दी ऑफिस आ गया क्योंकि कुछ फाइल्स लेकर मुझे मुम्बई जाना था।
करीब 10-20 पर किरण का फोन आया, उसने बताया- भाभी-भैया अभी ऑफिस के लिए निकल चुके हैं, आप आ जाइए।
मैंने उससे कहा- यार, मेरी भाभी भी तो हैं, मैं क्या बहाना बनाउंगा?
तो उसने बताया- आपकी भाभी अभी-2 पड़ोस की आंटी के घर हवन में गई हैं और मुझसे कह गई है कि आप आज जल्दी घर आयेंगे और वो 2 बजे तक वापस आयेंगी। आप तुरन्त आ जाइए।
मैंने कहा- मैं आता हूँ।
फिर मैंने तुरन्त उसका सारा सामान जो कल खरीदा था, लेकर घर रवाना हो गया। किरण अपने गेट पर ही खड़ी थी, उसने कहा- आपके घर कि चाभी मेरे पास है।
मैंने उससे चाभी ली और घर खोल कर अपना समान रखा और बाथरूम में जाकर अपने लण्ड को पानी से खूब साफ किया और फिर वापस अपना घर बन्द कर के किरण के घर चला गया। तब तक किरण घर के अन्दर जा चुकी थी। किरण ने अपने ड्राइंगरूम का दरवाजा खुला ही छोड़ रखा था। मैं सीधे ही ड्राइंगरूम में पहुँच गया।
किरण सोफे के सामने खड़ी मेरा इन्तज़ार कर रही थी। आज किरण कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी, उसने बहुत ही प्यारा सा गुलाबी सलवार-कुर्ता पहन रखा था, बहुत हल्का सा मेकअप किया था। उसके सामने पहुँचते ही मैं अपने घुटने के बल बैठ गया और उसका एक हाथ पकड़ कर चूम लिया और फिर उसको चॉकलेट के बॉक्स पर लाल गुलाब की कली लगी हुई, भेंट की और कहा- प्लीज़ एक्सेप्ट इट, माई स्वीट हाईनेस।
इस पर वो बहुत खिलखिला कर हंसी और बोली- येस माई ड्रीम प्रिंस !
और फिर उसने अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मुझे खड़ा किया।
इस पर मैं भी मुस्कराने लगा, खड़े होकर मैंने हल्के से उसके माथे को चूम लिया और अपनी बाहों में उसको जकड़ लिया, फिर मैंने उसके होठों को चूमा।
वो भी मेरे निचले होंठ को चूसने लगी।
इतने से जैसे मेरे लण्ड में करेन्ट दौड़ गया हो और फिर अनायास ही सलवार के ऊपर से ही मैं उसकी उभरी हुई गाण्ड पर हाथ फेरने लगा और कस-कस के दबाने लगा।
मेरा लण्ड तो मानो पैन्ट को फाड़ने के लिए मचलने लगा हो, मुझसे रहा नहीं गया और चूमते-चूमते अपने एक हाथ से उसकी चूची कस कर दबाने लगा।
अचानक किरण के मुँह से आह्ह्ह्ह की आवाज निकली, वो बोली- थोड़ा सब्र रखिये ! यहीं खड़े खड़े सब कुछ करेंगे क्या?
फिर मैं उससे अलग हुआ और बोला- सॉरी यार ! अब रहा नहीं जाता !
तो वो मुस्कराने लगी और बोली- क्या लेंगे। ठन्डा या गरम?
तो मैंने मादक मुस्कराहट के साथ अपनी जुबान होठों पर फेरते हुए कहा- मैं तो गर्म-गर्म तुम्हारा बुर-रस पियूँगा।
वो कुछ शरमाते हुए बोली- धत्त ! आप बहुत बदमाश हैं।
मैंने कहा- यह आपकी ही मेहरबानी है।
फिर मैंने उसकी कमर में हाथ डालते हुए उसके बेडरूम में ले गया और उसको बिस्तर पर बैठा दिया। साथ ही उससे चिपक कर मैं बैठ गया और उसकी चूचियों पर से दुपट्टा हटा दिया।
उसने गहरे गले का कुर्ता पहन रखा था जिससे उसकी लगभग आधी चूची बाहर नजर आ रही थी। वो गजब की सेक्सी लग रही थी यह देख कर तो मेरा लण्ड ही अकड़ गया। फिर मैं कुर्ते से बाहर आधी निकलती हुई चूचियों को चूमने चाटने लगा और दोनों चूचियों के बीच की दरार(क्लीवेज़) में जीभ डाल कर चूसते-चूसते हम दोनों एक साथ बिस्तर पर अपनी-2 टांगें बिस्तर के नीचे लटकाते हुए लेट गए।
फिर उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूचियों पर दबाना शुरू कर दिया और अपनी आँख बन्द कर के सीसियाने लगी। कुछ देर के बाद मैं फिर से उसके होठों को चूमने लगा और एक हाथ से उसकी चूची दबाने लगा और अपनी एक टांग उसकी कमर पर रख दिया।
यह सिलसिला करीब 8-10 मिनट चला। फिर मैंने उसको उठाया और उसका कुर्ता उतार दिया। उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी थी जिसमें उसके बड़ी-2 चूचियाँ कैद थी।
मैंने उससे कहा- तुम्हारे इन कबूतरों को कैद से छुड़ा दूँ?
इस पर उसने मदहोश निगाहों से देखा और धीरे से बोली- यह सब आपकी ही अमानत हैं, इनके साथ जो करना हो वो करिये।
शनिवार दिनांक 10-07-10 को एक गम्भीर समस्या यह थी कि मुझे ऑफिस के काम से दोपहर की फ्लाइट से 5-6 दिनों के लिये मुम्बई जाना था, मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ।
फिर मैं अपने ऑफिस वापस आ गया और बचे हुए काम निपटाने लगा।
आज मैं जल्दी ऑफिस आ गया क्योंकि कुछ फाइल्स लेकर मुझे मुम्बई जाना था।
करीब 10-20 पर किरण का फोन आया, उसने बताया- भाभी-भैया अभी ऑफिस के लिए निकल चुके हैं, आप आ जाइए।
मैंने उससे कहा- यार, मेरी भाभी भी तो हैं, मैं क्या बहाना बनाउंगा?
तो उसने बताया- आपकी भाभी अभी-2 पड़ोस की आंटी के घर हवन में गई हैं और मुझसे कह गई है कि आप आज जल्दी घर आयेंगे और वो 2 बजे तक वापस आयेंगी। आप तुरन्त आ जाइए।
मैंने कहा- मैं आता हूँ।
फिर मैंने तुरन्त उसका सारा सामान जो कल खरीदा था, लेकर घर रवाना हो गया। किरण अपने गेट पर ही खड़ी थी, उसने कहा- आपके घर कि चाभी मेरे पास है।
मैंने उससे चाभी ली और घर खोल कर अपना समान रखा और बाथरूम में जाकर अपने लण्ड को पानी से खूब साफ किया और फिर वापस अपना घर बन्द कर के किरण के घर चला गया। तब तक किरण घर के अन्दर जा चुकी थी। किरण ने अपने ड्राइंगरूम का दरवाजा खुला ही छोड़ रखा था। मैं सीधे ही ड्राइंगरूम में पहुँच गया।
किरण सोफे के सामने खड़ी मेरा इन्तज़ार कर रही थी। आज किरण कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी, उसने बहुत ही प्यारा सा गुलाबी सलवार-कुर्ता पहन रखा था, बहुत हल्का सा मेकअप किया था। उसके सामने पहुँचते ही मैं अपने घुटने के बल बैठ गया और उसका एक हाथ पकड़ कर चूम लिया और फिर उसको चॉकलेट के बॉक्स पर लाल गुलाब की कली लगी हुई, भेंट की और कहा- प्लीज़ एक्सेप्ट इट, माई स्वीट हाईनेस।
इस पर वो बहुत खिलखिला कर हंसी और बोली- येस माई ड्रीम प्रिंस !
और फिर उसने अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मुझे खड़ा किया।
इस पर मैं भी मुस्कराने लगा, खड़े होकर मैंने हल्के से उसके माथे को चूम लिया और अपनी बाहों में उसको जकड़ लिया, फिर मैंने उसके होठों को चूमा।
वो भी मेरे निचले होंठ को चूसने लगी।
इतने से जैसे मेरे लण्ड में करेन्ट दौड़ गया हो और फिर अनायास ही सलवार के ऊपर से ही मैं उसकी उभरी हुई गाण्ड पर हाथ फेरने लगा और कस-कस के दबाने लगा।
मेरा लण्ड तो मानो पैन्ट को फाड़ने के लिए मचलने लगा हो, मुझसे रहा नहीं गया और चूमते-चूमते अपने एक हाथ से उसकी चूची कस कर दबाने लगा।
अचानक किरण के मुँह से आह्ह्ह्ह की आवाज निकली, वो बोली- थोड़ा सब्र रखिये ! यहीं खड़े खड़े सब कुछ करेंगे क्या?
फिर मैं उससे अलग हुआ और बोला- सॉरी यार ! अब रहा नहीं जाता !
तो वो मुस्कराने लगी और बोली- क्या लेंगे। ठन्डा या गरम?
तो मैंने मादक मुस्कराहट के साथ अपनी जुबान होठों पर फेरते हुए कहा- मैं तो गर्म-गर्म तुम्हारा बुर-रस पियूँगा।
वो कुछ शरमाते हुए बोली- धत्त ! आप बहुत बदमाश हैं।
मैंने कहा- यह आपकी ही मेहरबानी है।
फिर मैंने उसकी कमर में हाथ डालते हुए उसके बेडरूम में ले गया और उसको बिस्तर पर बैठा दिया। साथ ही उससे चिपक कर मैं बैठ गया और उसकी चूचियों पर से दुपट्टा हटा दिया।
उसने गहरे गले का कुर्ता पहन रखा था जिससे उसकी लगभग आधी चूची बाहर नजर आ रही थी। वो गजब की सेक्सी लग रही थी यह देख कर तो मेरा लण्ड ही अकड़ गया। फिर मैं कुर्ते से बाहर आधी निकलती हुई चूचियों को चूमने चाटने लगा और दोनों चूचियों के बीच की दरार(क्लीवेज़) में जीभ डाल कर चूसते-चूसते हम दोनों एक साथ बिस्तर पर अपनी-2 टांगें बिस्तर के नीचे लटकाते हुए लेट गए।
फिर उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूचियों पर दबाना शुरू कर दिया और अपनी आँख बन्द कर के सीसियाने लगी। कुछ देर के बाद मैं फिर से उसके होठों को चूमने लगा और एक हाथ से उसकी चूची दबाने लगा और अपनी एक टांग उसकी कमर पर रख दिया।
यह सिलसिला करीब 8-10 मिनट चला। फिर मैंने उसको उठाया और उसका कुर्ता उतार दिया। उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी थी जिसमें उसके बड़ी-2 चूचियाँ कैद थी।
मैंने उससे कहा- तुम्हारे इन कबूतरों को कैद से छुड़ा दूँ?
इस पर उसने मदहोश निगाहों से देखा और धीरे से बोली- यह सब आपकी ही अमानत हैं, इनके साथ जो करना हो वो करिये।