बदनाम रिश्ते

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rajaarkey
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Re: बदनाम रिश्ते

Unread post by rajaarkey » 02 Nov 2014 15:18



लड़के ने तुरंत मां की मान कर अपना मुंह खोला और पारो की बुर पर रख दिया. पारो अब उसके मुंह में मूतने लगी. वह अपनी मां का मूत पीने लगा. पारो उत्तेजित होकर गंदी गंदी गालियां देने लगी. "साले मादरचोद ले पी अपनी मां का मूत. भोसड़ी के मां की पिशाब पी ले."

मूतना खत्म होने पर वह खड़ा हो गया, उसका लंड तन्ना कर उसकी जांघों के बीच खड़ा था. उसकी मां उसके सामने पैर फ़ैला कर खड़ी थी और उसकी जांघों के बीच का छेद पुकपुका रहा था. वह बोली. "बेटा अपनी मां का छेद भर दे." लड़के ने अपने कूल्हे आगे किये और मां से कहा "मां अपना छेद आगे कर." पारो ने पैर और फ़ैलाये और चूत आगे करके अपनी बुर का छेद अपने बेटे के लिये पूरा खोल दिया.

मैं अब मां की चूत मे बेटे का लंड डलता देख उत्तेजित था. लड़के ने लंड अंदर घुसेड़ा और अपनी मां की कमर में हाथ डाल कर उसे अपने शरीर से चिपका लिया. मां को दबोचे हुए वह बोला "साली जरा पास आ. बदन से बदन चिपका." पारो ने भी उसे आलिंगन में भर के कहा. "हाय जरा लंड पूरा अंदर दे के चोद."

मैं भी अब अपनी मां बहन को चोदने के लिये उतावला था. मैं जानता था कि कुछ ही देर में मेरा लंड मेरी मां की चूत में होगा. पर घर जाने के पहले मैं अपने दूसरे दोस्त से मिलना चाहता था जो खेतों के पास ही रहता था. रात बहुत हो गयी थी पर मुझे पता था कि वह मुझे जरूर कुछ बतायेगा. उसके घर के पीछे एक खलिहान था जहां वे अनाज रखा करते थे. खलिहान में से रोशनी आ रही थी. मुझे एक छोटी सी खिड़की दिखी. मैं देखना चाहता था कि वहां कौन है इसलिये एक पत्थर पर चढ़कर अंदर झांकने लगा.

अंदर दो खटिया थीं. मेरे दोस्त की अम्मा एक खाट पर पैर लटका कर बैठी थी और मेरा दोस्त उसके सामने जमीन पर मां के घुटनों को पकड़ा हुआ बैठा था. वे बातें कर रहे थे जो मुझे साफ़ सुनाई दे रही थीं.

मेरा मित्र बोला. "मम्मी थोड़ी टांगें खोल ना." उसकी मां ने जरा सी अनिच्छा से अपनी जांघें थोड़ी सी फ़ैला दीं. ऐसा लगता था कि वह मां को सलवार उतारने को मना रहा था. "मम्मी सलवार उतार दे ना." शायद उसकी मां चुदने को अभी तैयार नहीं थी, मुझे मालूम था कि शुरू में ऐसा होता है. मेरा मित्र मां को मनाता रहा.

वह धीरे धीरे रास्ते पर आ रही थी और चुदने की उसकी अनिच्छा कम हो रही थी. वह बोली "बेटा देख कोई देख तो नहीं रहा है." वह उठा और आंगन में देखने के बाद दरवाजे की सिटकनी लगाकर वापस आ गया. बोला "मम्मी सब दरवाजे बंद हैं. हम दोनों अकेले हैं." उसकी मां ने फ़िर पूछा "ठीक से देखा है ना?" वह बोला "हां मम्मी सब तरफ़ देखा है चल अब अपनी सलवार उतार." मां को नंगा करने को वह मचल रहा था.

उसकी मां खड़ी हो गयी और अपनी कमीज ऊपर उठा कर सलवार का नाड़ा खोल दिया. सलवार अब ढीली होकर उसके पैरों में गिर पड़ी और उसमें से पैर निकाल कर वह आकर फ़िर खाट पर बेटे के सामने बैठ गयी. मेरा दोस्त अब उतावला हो रहा था. अपनी मां की जांघों के बीच हाथ डालकर उसने अपना हाथ बढ़ाया और पैंटी के ऊपर से ही मां की चूत सहलाने लगा. उसके छूने से मस्त होकर उसकी मां ने भी टांगें और फ़ैला दीं.
क्रमशः....................

rajaarkey
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Re: बदनाम रिश्ते

Unread post by rajaarkey » 02 Nov 2014 15:19

गतांक से आगे.....................
दोनों अब जम के उत्तेजित थे. वह बोला "मम्मी कच्छी भी उतार दे." वह उसकी ओर देख कर बोली "तू अपना लंड बाहर निकाल." वह बोला "ठीक है, तू मेरा लंड देख़" उसने फ़िर अपने पैंट की ज़िप खोली और अपना एक फ़ुट लंबा मोटा लंड बाहर निकाल लिया.

उसका मस्त लंड देखकर उसकी मां ने हाथ बढ़ाकर लंड हाथ में ले लिया और बोली "बड़ा भारी लौड़ा है तेरा. देख कैसा तोप की नाल की तरह खड़ा है" वह बोला "मम्मी इसको अपनी चूत तो दिखा." उसकी मां खड़ी हो गयी और अपनी पैंटी भी उतार दी. उसकी फ़ूली सूजी हुई चूत अब उसके बेटे की आंखों के सामने थी और वह उसे बड़ी भूखी नजर से देख रहा था. उसकी जांघों के बीच उसका लंड अब और तन्ना रहा था. मां ने उसके चेहरे की ओर देख कर कहा "हाय बेटे तेरा लंड खड़ा हो गया है."

उसने अपने मचलते लंड को देखा और फ़िर मां के चेहरे को तकने लगा. फ़िर बोला "मम्मी मेरे लंड को तेरी चूत चाहिये." मां की कलाई पकड़ कर खींच कर उसने अपनी मां को गोद में बिठा लिया और फ़िर उसका बांयां स्तन पकड़ कर दबाते हुए बोला "मम्मी मरवाएगी?" उसकी मां हल्के से बोली "अपनी मां की चूत मारेगा?" मेरे मित्र ने अपनी मां की बुर मे उंगली करनी शुरू कर दी. फ़िर उसे खाट पर पटक कर उसकी जांघें खोलीं और अपना मुंह मां की बुर पर रख दिया.

फ़िर मुंह खोल कर मां की चूत चूसने लगा. कुछ ही देर में मां मस्त हो गयी और उसे बोली "रुक बेटे, मैं तेरे लिये चूत ठीक से खोलती हूं, जरा खाट के किनारे मुझे बैठने दे." वह जमीन पर बैठ गया और मां खाट पर चढ़कर मूतने के अंदाज में जांघें फ़ैला कर बैठ गयी. फ़िर उसने अपने बेटे के कंधे सहारे के लिये पकड़ लिये और उसका मुंह खींच कर अपनी चूत पर दबा लिया. वह जोर जोर से मां की खुली हुई चूत चूसने लगा.

खुछ देर बाद बत्ती बंद हो गई. सब तरफ़ अंधेरा और सन्नाटा था. मैंने उसकी मां की धीमी आवाज सुनी. मां काफ़ी उत्तेजित लग रही थी. "बेटे मेरे साथ गांड खाने वाला काम करेगा?" वह मां की चूत रस ले लेकर चूसता रहा और कुछ न बोला. उसने फ़िर पूछा "हाय सुन मेरी गांड खा ना." वह धीरे से बोला "मां, पूरा खिलाएगी? या बीच में छोड़ देगी जैसा उस दिन किया था" उसने उत्तर दिया "हाय गांड पूरी खिलाऊंगी बेटा, खाएगा?"

वह अब मस्त होकर मुठ्ठ मार रहा था, बोला "मम्मी मौका है आज तुझे, पता है तान्त्रिक भी कह रहा था कि मां की गांड का माल खाने से आदमी पूरा मस्त हो जाता है. मां बता ना तूने तान्त्रिक के मुंह में टट्टी की थी ना."

वह बोली "हाय बेटे, वो तो साले सब गांड का माल खाते हैं. उनकी बात छोड़. तू खायेगा मां की गांड से?" मेरा मित्र बोला "मम्मी अपनी गांड आगे कर." उसकी मां ने टांगें फ़ैला कर अपना गुदाद्वार बेटे के मुंह के आगे कर दिया. वह मां की गांड चाटने लगा. उसका लंड बड़ा बुरी तरह से खड़ा था और मस्ती में वह मां की चूत भी चूस रहा था. "मां, खिला ना"

"सबर कर, सुबह खिला दूंगी, मेरे कमरे में आ जाना" उसकी मां बोली.

उन्हें चोदते हुए देख कर मैंने अपनी मां की चूत के बारे में सोचना शुरू किया. मैंने आज देखा था कि मां की बुर का छेद बड़ा है, जिसे भोसड़ा कहते हैं. मुझे मां का भोसड़ा आराम से ठीक से देखने की तीव्र लालसा थी. मैं भाग कर घर पहुंचा. दरवाजा खटखटाया तो मेरी प्यारी सुंदर छोटी बहन प्रीति ने दरवाजा खोला. वह आधी नींद में थी. मुझे दरवाजा खोल कर वह अपने कमरे की ओर सोने चल दी.

पीछे से मैंने उसके भरे हुए कसे कमसिन चूतड़ देखे तो मन ही मन धीरे से बोला "साली क्या मस्त गांड है तेरी मेरी प्यारी बहना. ठहर जा आज रात तेरी गांड में लंड दूंगा." मेरी बहन ने बड़े निर्दोष भाव से पीछे मुड़ कर पूछा "भैया कुछ कहा क्या."

मैं बोला "कुछ नहीं तू जा." मैं जानता था कि प्रीति को चोदने के लिये अभी वक्त था, पहले तो मुझे अपनी मां चोदना थी. मैंने अपनी बहन को पूछा "मम्मी कहां है?"

rajaarkey
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Re: बदनाम रिश्ते

Unread post by rajaarkey » 02 Nov 2014 15:19


वह तपाक से मुड़ कर बोली "बाथरूम में भोसड़ा खोल के मूत रही है." मैं उसे देखने लगा. प्रीति मेरी ओर देखकर शैतानी से मुस्कराई और अपनी चूत पर हाथ रखकर बोली "यह मेरा भोसड़ा है भैया, आज मम्मी का भोसड़ा मारा है आपने खेत में, मेरा भी मार दो." मैंने उसकी ओर मुस्कराकर कहा "पहले मम्मी की चोद लेने दे, फिर तेरी मारूंगा. और भोसड़ा तो ममी का है, तेरी तो बुर है"

मैंने फ़िर ज़िप खोल कर अपना लंबा तगड़ा लंड उसे दिखाया और कहा "यह मेरा लंड देख रही है ना, यह साला पूरा तेरी चूत में दूंगा आज रात को"

वह मेरे खड़े लंड को देखकर चुप हो गयी. मैंने कहा "बहन, फ़िकर मत कर, मम्मी को चोद लेने दे, फ़िर आ के तुझे चोदता हूं" तभी मैंने देखा कि मां दरवाजे पर खड़ी थी. अभी अभी मूत कर आयी थी. मेरे लंड को देखकर बोली "बेटे, अपनी छोटी बहन को अपना लौड़ा दिखा रहा है?"

फ़िर मां मेरी छोटी बहन की ओर मुड़ कर बोली "तू क्या कर रही है खड़ी खड़ी, चल अपने भाई को अपनी चूत खोल कर दिखा". प्रीति शरमा कर हिचकिचा रही थी तो मां ने उसे डांटा. "चूत जल्दी से नंगी कर ना ऽ अपनी" फ़िर मां हमें बोली. "जब मैं छोटी थी ना तब मैं अपने भाई को अपनी चूत पूरी नंगी करके दिखाती थी."

अब तक मेरी बहन ने अपनी सलवार निकाल दी थी और अब चड्डी उतार रही थी. चड्डी उतार कर वह खड़ी हो गयी पर मां ने उसे डांट कर अपनी जांघें खोलने को कहा जिससे मैं ठीक से उसकी चूत देख सकूं. जैसे ही मेरी बहन ने अपनी जांघें खोल कर अपनी गोरी कमसिन चूत मुझे दिखाई, मेरा तन्नाकर और खड़ा हो गया. जब मां ने मेरा खड़ा लंड देखा तो बोली "हाय, भाई का खड़ा ना हो अपनी बहन की चूत देखकर, ऐसा कभी नहीं हो सकता है"

फ़िर मां बोली "जो लड़के अपनी मां बहनों की चोदते हैं, उनके लंड हमेशा टाइट रहते हैं." फ़िर वह बोली कि सिर्फ़ मैं ही पीछे रह गया था नहीं तो हमारे इलाके में परिवार में चुदाई तो आम बात थी. बाहर कोई नहीं जानता पर सब परिवार के लोग आपस में एक दूसरे को खूब चोदते हैं.

मैंने पूछा "मां. सच बता, मामाजी चोदते हैं तुझे?"

"तू तो जानता है बेटा. मेरा भाई तब से मुझे चोदता है जब मैं इतनी सी थी." मां ने कहा.

फ़िर मां मेरे पास आ कर बोली "बेटा, अब तो अपनी मां बहन को नंगी करके नचा दे" मैं अब बहुत उत्तेजित था और उन दोनों को कलाई पकड़ कर बेडरूम की ओर घसीटते हुए बोला "अच्छा! क्या तुम दोनों मेरे लिये नंगी होकर नाचोगी?" मां ने मुड़कर कहा "ठहर मैं घर के सारे दरवाजे बंद करके आती हूं, फ़िर तेरे सामने नंगी होकर ऐसे नाचूंगी कि तू मुझे रंडी कहेगा"

मां जब दरवाजा बंद करने गयी तो मेरी बहन मेरी ओर मुड़कर बोली "भैया, मेरी सब सहेलियों के भाइयों ने उनकी चूतें मार मार के खोल दीं हैं, वो तो सब बैठ के अपने भाइयों के लंड के बारे में बोलती हैं. पर भैया आपने मेरी चूत पहले क्यों नहीं मारी? मामाजी कितना चोदते हैं मां को हर रात, मुझे सब सुनाई देता है. तुम नहीं चोदोगे तो मैं मामाजी से चुदा लूंगी"

मैंने उसे बाहों में लेकर कहा. "सुन, आज तेरी चूत खोल दूंगा." वह बोली "भैया आज मेरे साथ गंदी गंदी बातें करो." मैंने कहा "जरा मां को तो आने दे" हम पलंग पर बैठ कर मां का इंतजार करने लगे. मां वापस आकर हमारे पलंग पर बैठ गयी, मैं बहुत खुश था. आज मैं एक साथ अपनी मां और बहन को चोदने वाला था.

मां आयी और बोली "ऐसे ही बैठा है लंड पकड़कर? मुझे तो लगा था कि अब तक तू प्रीति की ले चुका होगा."

"पहले तेरी लूंगा मां, फ़िर तेरे सामने प्रीति की खोलूंगा" मैंने लंड हाथ में लेकर कहा.

"हाय आज ली तो थी बेटा तूने खेत में! फ़िर पीछे से गांड भी ले ली थी. चल फ़िर से चोद ले मुझे" मां अपनी बुर को सलवार पर से रगड़ते हुए बोली. मैं मां का हाथ पकड़कर अंदर ले गया.

"प्रीति तू भी आ, मेरे बाद तेरी बारी है" मां ने कहा.

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