raj sharma stories
एक वेश्या की कहानी--2
गतान्क से आगे.......................
और वो राज के हाथों से तेल लेते हुए…उसके पैरो मे प्यार से लगती है…राज तो वैसे भी उसके कोमल हाथों का स्पर्श पाकर ही दर्द भूल चुका था..राज भी सोचता है यही सही वक़्त है अपने प्यार का इज़हार करने का…और वो बोलता है…
राज:- राधा तुम बहुत अच्छी हो…बहुत प्यारी हो…मैने आज तक अपने गाँव मे क्या आस-पास के गाँव मे भी तुमसे खूबसूरत लड़की नही देखी…तुम सूरत की ही नही तुम दिल की भी बहुत नेक लड़की हो…राधा तुम्हारे इस स्वाभाव ने मेरे दिल को छू लिया है..मैं तुम्हारे प्यार मे पड़ चुका हू राधा…आइ लव यू..
और राज उसकी की तरफ बढ़ता है… और उसके गाल पे एक चुम्मि देता है….
राधा एक दम से इस चुंबन से सहम जाती है और राज का पैर एक तरफ बिल्कुल पटक कर भाग जाती है….. राज तड़प जाता है दर्द के मारे……उसके मूह से बहुत ही ज़ोर से आहह…निकलती है……और वो बोलता है……अरे इतना दर्द देने वाली….कम से कम जवाब तो देती जाओ…
राधा पर्दे के पीछे से उसे झाँक कर देखती है………और उस पर खिलखिला कर हस पड़ती है…और फिर अंदर भाग जाती है…..
राज की मनोदशा इस समय देखने लायक रहती है….बाहर पैरो मे सूजन का दर्द और दूसरी तरफ..लड़की के मुस्कुराने की ख़ुसी..क्यूकी उसने भी ये सुन रखा था…लड़की हसी तो फसि…
राज लड़खड़ाते हुए उसके घर से बाहर निकलता है……और राधा उसे मुस्कुराती हुई देखती रहती है..और आँखों ही आँखों मे उस पर ना जाने कितना प्यार लूटा बैठती है….और इस प्रकार दोनो के प्यार का आरंभ होता है…..
आज इन दोनो का प्यार इतना गहरा हो चुका है……के अब ये दोनो एक दूसरे के लिए अपनी जान भी दे सकते है…कम से कम राधा तो यही सोचती है….तभी तो आज राधा इतना बढ़ा कदम उठा रही है….
राज और राधा का प्यार इतना अटूट हो चुका था कि अब वो शादी के बारे मे सोच रहे थे…पर राज अभी उस स्तिथि मे नही था के वो शादी करके राधा के साथ रह सके. आख़िर वो था तो एक एलेक्ट्रीशियन वो भी गाँव मे.
राज जहाँ काम करता था वहाँ के मालिक ने उसे एक सुझाव दिया के उसकी एक दुकान शहर मे है,तुम चाहो तो उसे खरीद कर उसमे अपना बिज़्नेस कर लो.
राज और राधा दोनो को ही ये सुझाव पसंद आया पर बात आकर पैसो मे अटक गयी थी. इनके पास तो इतने भी पैसे नही थे के गाँव मे ही कोई धंधा शुरू किया जा सके फिर तो ये शहर मे दुकान खोलने की बात हो रही थी.
राज ने भी बहुत हाथ-पाँव मारे, दोस्तो-भाइयों, रिश्तेदारो से उधर पैसे लिए पर फिर भी एक-तिहाई भी जमा नही कर पाए. दोनो थक हार कर राधा के घर पर ही बैठे थे. दोनो के चेहरो पे मायूसी के भाव सॉफ दिखाई दे रहे थे. दोनो को अपने भविश्य की चिंता हो रही थी….
एक वेश्या की कहानी compleet
Re: एक वेश्या की कहानी
राधा :- राज अब हम क्या करेंगे, क्या हम भी यूही भूक मरी,ग़रीबी, लाचारी मे मर जाएँगे? क्या हमारा कोई भविश्य नही होगा ?
कुछ देर चुप रहने के बाद……….
राज :- राधा हमारा एक सुंदर भविश्य होगा, लेकिन उसको पाने के लिए अब हमे कुछ तो खोना ही होगा..
राधा:- राज तुम भी कैसी बात करते हो, मैं तो तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हू. तुम जो बोलो वो मैं करूँगी. आख़िर ये हमारे भविस्य का सवाल है.
राज:- राधा अब मैं जो तुम्हे बोलने वाला हू वही मुझे पैसो का आखरी समाधान दिख रहा है…अगर तुम्हे इस बात का ज़रा भी बुरा लगे तो तुम मुझे माफ़ कर देना…
राधा उसकी तरफ एक टुक देखे जा रही थी…के राज ऐसा क्या बोलने वाला है..जो मुझे इतना बुरा लग सकता है….
राज:- राधा शहर मे मैने बहुत सी लड़कियों को जिस्म फ़रोशी का धंधा करते देखा है, उन पर लोग रोज लाखो रुपये भी लुटाते है…उनमे से हज़ारो तो गाँव की ही लड़कियाँ होती है. आज उनके पास गाड़ी-बांग्ला, ऐशो-आराम की सारी चीज़े है..अगर तुम 10-15 दिनो के लिए ही वो काम करने लग जाओगी तो हम आसानी से अपनी दुकान क्या अपना खुद का मकान भी शहर मे बना सकते है…
राधा:- राज, ये तुम क्या कह रहे हो…तुम होश मे तो हो…तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो…नही राज मैं ये सब नही कर सकती…मुझे माफ़ करो राज…सॉरी.
राज:- नही राधा, सॉरी तो मुझे बोलना चाहिए जो मुझे तुम्हे ये सब बोलना पड़ रहा है...फिर हमारे पास और कोई चारा भी नही रह जाता..अब तो यूही जिंदगी गुज़रेगी…..ग़रीबी और बेबसी मे…..(और राज अपना मूह लटका कर चला जाता है.)
उस दिन राधा के दिलो-दिमाग़ मे मानो जैसे जंग चल रही हो…एक तरफ तो वो सोच रही थी…के आख़िर राज उसे ऐसे कैसे ये सब करने को कह सकता है…तो दूसरी तरफ वो ये भी सोच रही थी के वो ये सब हमारे लिए ही तो कह रहा था..और वो भी सिर्फ़ 15 दिनो के लिए ही….इसी गुथम-गुथि मे वो दिन भर उलझी रही…और शाम जो जाकर राज को हां बोल कर आ गयी…….लेकिन उसके दिल मे डर भी था के वो ये सब कैसे निभा पाएँगी.
राधा:- राज मैं तैयार हू. तुम जो कहोगे वो मानुगी. पर मैं ये सब कैसे कर पाउन्गि. मैने तो कभी किसी मर्द को भी आँख उठा कर भी नही देखा, फिर ये सब…
राज:- तुम इस सब की चिंता मत करो, मैने अगर तुम्हे ये सब करने के लिए कहा है तो कुछ सोच समझकर ही तो कहा होगा ना..मेरा एक दोस्त है..शहर मे वो ऐसी जगहों पर आता जाता रहता है उसी ने तो मुझे ये सब बताया था..बस मैं उसी बात करके सब सेट करवा दूँगा…तुम फिकर मत करो बस मुझे पर विश्वास रखो.
और आज इसी कारण मैं यहाँ खड़ी हू….राज को जाता देखते हुए….मेरे दिल से बस यही दुआ निकल रही है कि वो जल्दी से जल्दी कामयाब हो जाए और मुझे यहाँ से ले जाए.. अब मुझे यहाँ से सड़क पार करके उस तरफ बने एक घर मे जाना था. इस वक़्त मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर्से धड़क रहा था, आस-पास का महॉल भी ऐसा ही कुछ था. वहाँ बहुत सारी कातरो मे पान की दुकाने थी,उनमे से तेज संगीत आ रहा था..कुछ मवाली किस्म के लड़के खड़े थे, मैं तो उनको देखते ही काँप सी गयी थी.
कुछ देर चुप रहने के बाद……….
राज :- राधा हमारा एक सुंदर भविश्य होगा, लेकिन उसको पाने के लिए अब हमे कुछ तो खोना ही होगा..
राधा:- राज तुम भी कैसी बात करते हो, मैं तो तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हू. तुम जो बोलो वो मैं करूँगी. आख़िर ये हमारे भविस्य का सवाल है.
राज:- राधा अब मैं जो तुम्हे बोलने वाला हू वही मुझे पैसो का आखरी समाधान दिख रहा है…अगर तुम्हे इस बात का ज़रा भी बुरा लगे तो तुम मुझे माफ़ कर देना…
राधा उसकी तरफ एक टुक देखे जा रही थी…के राज ऐसा क्या बोलने वाला है..जो मुझे इतना बुरा लग सकता है….
राज:- राधा शहर मे मैने बहुत सी लड़कियों को जिस्म फ़रोशी का धंधा करते देखा है, उन पर लोग रोज लाखो रुपये भी लुटाते है…उनमे से हज़ारो तो गाँव की ही लड़कियाँ होती है. आज उनके पास गाड़ी-बांग्ला, ऐशो-आराम की सारी चीज़े है..अगर तुम 10-15 दिनो के लिए ही वो काम करने लग जाओगी तो हम आसानी से अपनी दुकान क्या अपना खुद का मकान भी शहर मे बना सकते है…
राधा:- राज, ये तुम क्या कह रहे हो…तुम होश मे तो हो…तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो…नही राज मैं ये सब नही कर सकती…मुझे माफ़ करो राज…सॉरी.
राज:- नही राधा, सॉरी तो मुझे बोलना चाहिए जो मुझे तुम्हे ये सब बोलना पड़ रहा है...फिर हमारे पास और कोई चारा भी नही रह जाता..अब तो यूही जिंदगी गुज़रेगी…..ग़रीबी और बेबसी मे…..(और राज अपना मूह लटका कर चला जाता है.)
उस दिन राधा के दिलो-दिमाग़ मे मानो जैसे जंग चल रही हो…एक तरफ तो वो सोच रही थी…के आख़िर राज उसे ऐसे कैसे ये सब करने को कह सकता है…तो दूसरी तरफ वो ये भी सोच रही थी के वो ये सब हमारे लिए ही तो कह रहा था..और वो भी सिर्फ़ 15 दिनो के लिए ही….इसी गुथम-गुथि मे वो दिन भर उलझी रही…और शाम जो जाकर राज को हां बोल कर आ गयी…….लेकिन उसके दिल मे डर भी था के वो ये सब कैसे निभा पाएँगी.
राधा:- राज मैं तैयार हू. तुम जो कहोगे वो मानुगी. पर मैं ये सब कैसे कर पाउन्गि. मैने तो कभी किसी मर्द को भी आँख उठा कर भी नही देखा, फिर ये सब…
राज:- तुम इस सब की चिंता मत करो, मैने अगर तुम्हे ये सब करने के लिए कहा है तो कुछ सोच समझकर ही तो कहा होगा ना..मेरा एक दोस्त है..शहर मे वो ऐसी जगहों पर आता जाता रहता है उसी ने तो मुझे ये सब बताया था..बस मैं उसी बात करके सब सेट करवा दूँगा…तुम फिकर मत करो बस मुझे पर विश्वास रखो.
और आज इसी कारण मैं यहाँ खड़ी हू….राज को जाता देखते हुए….मेरे दिल से बस यही दुआ निकल रही है कि वो जल्दी से जल्दी कामयाब हो जाए और मुझे यहाँ से ले जाए.. अब मुझे यहाँ से सड़क पार करके उस तरफ बने एक घर मे जाना था. इस वक़्त मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर्से धड़क रहा था, आस-पास का महॉल भी ऐसा ही कुछ था. वहाँ बहुत सारी कातरो मे पान की दुकाने थी,उनमे से तेज संगीत आ रहा था..कुछ मवाली किस्म के लड़के खड़े थे, मैं तो उनको देखते ही काँप सी गयी थी.
Re: एक वेश्या की कहानी
मैने जैसे-तैसे सड़क पार की और उस घर की तरफ बढ़ी. दरवाज़े के पास आकर मुझे थोड़ी राहत मिली. लेकिन अब उस दरवाज़े को खटखटाने मे मेरे पसीने छूट रहे थे. मैने अपना आत्मविश्वास बढ़ाते हुए, एक गहरी साँस ली…….और दरवाज़ा खटखटाया….
अंदर से आवाज़ आई…..कौन है !!!
मैं बोली:- नमस्ते, मैं वो लड़की हू जो…………
मेरे इतना कहते ही उन्होने दरवाज़ा खोल दिया…..दरवाज़ा एक बूढ़ी औरत ने खोला था…..
अंदर आ जाओ….उस बूढ़ी औरत ने कहा.
दरवाज़ा इतना छोटा था कि मुझे उस मे से झुक कर अंदर आना पड़ा…जैसे ही मैं झुकी मेरी फ्रॉक पीछे से थोड़ी उठ गयी…..और वहाँ खड़े कुछ लड़को ने मेरी गान्ड देखकर जो सीटी मारी…वो मुझे सॉफ सुनाई दी…मैं जल्दी से अंदर घुस गयी..और उस बूढ़ी औरत ने दरवाज़ा अच्छी तरह से बंद कर दिया.
उस बूढ़ी औरत ने मेरे हाथो से मेरा बॅग लिया और अंदर जाने लगी. मैं भी उसके पीछे-पीछे हो ली. एक बड़े से हॉल के दरवाज़े के बाहर ही उसने मुझसे रुकने को कहा और वा खुद अंदर चली गयी.
मैं वही खड़े-खड़े बाहर से ही कमरे को निहार रही थी..बाहर से जैसी ये इमारत बदसूरत गंदी सी लगती थी..अंदर से ये हॉल तो किसी महल की तरह सज़ा हुआ था. मेरी नज़ारे तब फटी-फटी रह गयी जब मैने हॉल के बीचो-बीच एक बड़ी सी मूर्ति देखी जिसमे एक लड़का एक लड़की को अपनी बाहों मे उठा रखा था..और उसके बाए स्तन को चूस रहा था…मेरी हालत तो उसके लंड के आकार को देख कर ही खराब हुई थी..इतना बड़ा लंड वो भी चॅम-चमाता हुआ. मैने किसी आदमी का क्या किसी मूर्ति या फोटो मे भी इतना बड़ा लंड कभी नही देखा था….
तभी उस मूर्ति के पीछे से मुझे एक लंबी सी औरत जिसके हाथो मे एक कुत्ता था..आती दिखाई दी, उसके पीछे वो बूढ़ी औरत भी थी. उस लंबी सी औरत ने बड़े ग्लास के चस्मे लगाए हुए थे..और आते ही उसने मुझसे कहा….
अरे वाह जैसा उन्होने बताया था…तुम तो उससे लाख गुना खूबसूरत हो….कहाँ से हो तुम…
मैं बोली:- जी यही पास के गाँव से…. उस औरत ने कहा- मैं ये शर्त लगा के कह सकती हू…जिस प्रकार बाकी वेश्याओं को अपनी गान्ड पे नाज़ होता है……अपनी जीभ का सही इस्तेमाल करना आता है….तुमको भी उतना ही मज़ा आएगा..
मैं बोली:- मुझे कुछ ज़्यादा अनुभव नही है…
वो बोली:- उसकी फिकर तुम मत करो….वेश्या घर का एक दिन बाहर की दुनिया के 10 साल के बराबर है..(उसने अपनी गर्दन उची करते हुए कहा)…मुझे अपना हाथ तो दिखाओ..
मैने अपने दोनो हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिए……
वो बोली:- हाथ ही योनि का दर्पण होता है(और मेरे हाथों को देखने लगी)
वो अपने हाथ मेरे हाथों पे फेरने लगी..और बोली..
बहुत अच्छे हाथ है तुम्हारे…..इससे जाहिर होता है कि तुम एक उच्च दर्जे की लड़की हो..(वो अभी भी मेरे हाथ अपने हाथों मे लिए हुई थी)
मैं उन्हे धन्यवाद करते हुए बोली…थॅंक यू, मॅ’म.
वो मुझे घूरती हुई बोली….मुझे मेडम मत बुलाओ..मैं मस्तानी चाची हू..यहाँ की मॅनेजर.(एक बार फिर वो ऐसे ही बोली अकड़ के और मेरा हाथ छोड़ दी.)..मेरी मा साउत इंडियन थी…और मैं अपनी जवानी मे डॅन्स बार मे नाचती थी(वो किन्ही सपनो मे खोते हुए बोली)…
अंदर से आवाज़ आई…..कौन है !!!
मैं बोली:- नमस्ते, मैं वो लड़की हू जो…………
मेरे इतना कहते ही उन्होने दरवाज़ा खोल दिया…..दरवाज़ा एक बूढ़ी औरत ने खोला था…..
अंदर आ जाओ….उस बूढ़ी औरत ने कहा.
दरवाज़ा इतना छोटा था कि मुझे उस मे से झुक कर अंदर आना पड़ा…जैसे ही मैं झुकी मेरी फ्रॉक पीछे से थोड़ी उठ गयी…..और वहाँ खड़े कुछ लड़को ने मेरी गान्ड देखकर जो सीटी मारी…वो मुझे सॉफ सुनाई दी…मैं जल्दी से अंदर घुस गयी..और उस बूढ़ी औरत ने दरवाज़ा अच्छी तरह से बंद कर दिया.
उस बूढ़ी औरत ने मेरे हाथो से मेरा बॅग लिया और अंदर जाने लगी. मैं भी उसके पीछे-पीछे हो ली. एक बड़े से हॉल के दरवाज़े के बाहर ही उसने मुझसे रुकने को कहा और वा खुद अंदर चली गयी.
मैं वही खड़े-खड़े बाहर से ही कमरे को निहार रही थी..बाहर से जैसी ये इमारत बदसूरत गंदी सी लगती थी..अंदर से ये हॉल तो किसी महल की तरह सज़ा हुआ था. मेरी नज़ारे तब फटी-फटी रह गयी जब मैने हॉल के बीचो-बीच एक बड़ी सी मूर्ति देखी जिसमे एक लड़का एक लड़की को अपनी बाहों मे उठा रखा था..और उसके बाए स्तन को चूस रहा था…मेरी हालत तो उसके लंड के आकार को देख कर ही खराब हुई थी..इतना बड़ा लंड वो भी चॅम-चमाता हुआ. मैने किसी आदमी का क्या किसी मूर्ति या फोटो मे भी इतना बड़ा लंड कभी नही देखा था….
तभी उस मूर्ति के पीछे से मुझे एक लंबी सी औरत जिसके हाथो मे एक कुत्ता था..आती दिखाई दी, उसके पीछे वो बूढ़ी औरत भी थी. उस लंबी सी औरत ने बड़े ग्लास के चस्मे लगाए हुए थे..और आते ही उसने मुझसे कहा….
अरे वाह जैसा उन्होने बताया था…तुम तो उससे लाख गुना खूबसूरत हो….कहाँ से हो तुम…
मैं बोली:- जी यही पास के गाँव से…. उस औरत ने कहा- मैं ये शर्त लगा के कह सकती हू…जिस प्रकार बाकी वेश्याओं को अपनी गान्ड पे नाज़ होता है……अपनी जीभ का सही इस्तेमाल करना आता है….तुमको भी उतना ही मज़ा आएगा..
मैं बोली:- मुझे कुछ ज़्यादा अनुभव नही है…
वो बोली:- उसकी फिकर तुम मत करो….वेश्या घर का एक दिन बाहर की दुनिया के 10 साल के बराबर है..(उसने अपनी गर्दन उची करते हुए कहा)…मुझे अपना हाथ तो दिखाओ..
मैने अपने दोनो हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिए……
वो बोली:- हाथ ही योनि का दर्पण होता है(और मेरे हाथों को देखने लगी)
वो अपने हाथ मेरे हाथों पे फेरने लगी..और बोली..
बहुत अच्छे हाथ है तुम्हारे…..इससे जाहिर होता है कि तुम एक उच्च दर्जे की लड़की हो..(वो अभी भी मेरे हाथ अपने हाथों मे लिए हुई थी)
मैं उन्हे धन्यवाद करते हुए बोली…थॅंक यू, मॅ’म.
वो मुझे घूरती हुई बोली….मुझे मेडम मत बुलाओ..मैं मस्तानी चाची हू..यहाँ की मॅनेजर.(एक बार फिर वो ऐसे ही बोली अकड़ के और मेरा हाथ छोड़ दी.)..मेरी मा साउत इंडियन थी…और मैं अपनी जवानी मे डॅन्स बार मे नाचती थी(वो किन्ही सपनो मे खोते हुए बोली)…