जिस्म की प्यास--5
गतान्क से आगे……………………………………
ललिता को उस रिक्शा वाले के बदन से ही बू आ रही थी.... पिच्छली बार की तरह वो फिर से काफ़ी तेज़ चला रहा था
रिक्शा मगर साथ ही साथ उसकी नज़रे सानिया के मम्मो पर भी थी जोकि हर हल्के से झटके से उपर नीचे
हुए जा रहे थे... ललिता की ब्रा का पतला सा गुलाबी स्ट्रॅप भी उसपे कंधे पे नज़र आ रहा था उस रिक्शा वाले को...
2-3 बारी उसको अपने लंड को ठीक करना पड़ा क्यूंकी वो उसके कच्छे के साथ कुश्ती में लगा हुआ था...
फिर वहीं थोड़े सुनसान सड़क पे जाके उसने रिक्शा रोक दिया और 2 मिनट का वक़्त माँग कर उन्ही झाड़ियों की तरफ बढ़ा...
वो सड़क पिच्छली बार से ज़्यादा सुनसान लग रही थी ललिता को शायद उसकी सहेली रिचा के ना होने की वजह से ऐसा था...
ललिता की नज़रे उस रिक्शा वाले की ओर ही भटक रही थी... पिच्छली बार की तरह आज उसने पॅंट नहीं पहनी थी...
ललिता को समझ नहीं आ रहा था कि उस लूँगी में वो कैसे पिशाब करेगा....
ललिता चौक गयी देख कर जब उस रिक्शा वाले ने अपनी लूँगी उतार के अपने कंधे पे रख दी और एक गंदा
सा काले रंग के कच्छे को हल्का से नीचे करके मूतने लगा... सानिया ने बचपन में अपने भाई/पापा को
ऐसा देखा होगा मगर इस जवानी में वो पहली बारी किसी मर्द को ऐसे देख रही थी...
इस बारी झाड़ियो पे पिशाब की आवाज़ ज़्यादा तेज़ थी... उस रिक्शा वाले ने मौका नहीं छोड़ा और हल्का सा टेडा
हो गया ताकि रिक्शा में बैठी हुई लड़की उसे देख पाए और वैसा ही हुआ... रिक्शा वाला ने अपनी मुन्डि नही उठाई
मगर ललिता ने उसकी पिशाब की लंबी धार को देख लिया.. नज़ाने क्यूँ उसकी आँखें उस धार को नीचे से उपर
देखती हुई उसकी लंड की तरफ बढ़ी मगर ज़्यादा अंधेरा होने के कारण वो उसे ढंग से देख नहीं पाई... जैसे ही
रिक्शा वाले ने अपने लंड को कच्छा में डाला ललिता ने अपनी नज़रे उल्टी तरफ करदी...
रिक्शा वाले को पता था कि ललिता की नज़रे पहले कहाँ थी और वो लूँगी पहेन कर वापिस रिक्शा में बैठ गया...
वो काफ़ी धीरे धीरे रिक्शा चलाने लगा जैसे वो उस सुनसान सड़क पे ही रहना चाहता हो...
परेशान होके ललिता ने उसे बोला " भैया पॅड्ल पे पाँव मारो और ज़रा जल्दी चलाओ"
ये सुनके रिक्शा वाले ने अपनी भारी आवाज़ में कहा " पॅड्ल की जगह कुच्छ और मारने का मन कर रहा है"
ललिता एक दम चुप हो गयी थी... वो वैसे बहुत ज़्यादा बनती थी अपने परिवार और दोस्तो के सामने मगर उसने इधर
चुप रहना ही ठीक समझा....
जैसे तैसे ललिता घर पहुचि और इस बार ललिता ने उसको पूरे पैसे दिए मगर उस शातिर रिक्शा वाले ने ललिता की
उंगलिओ को छुते हुए पैसे रख लिए...
ललिता का दिमाग़ उस रिक्शा वाले पर ही था और जब वो घर पहुचि तो शन्नो ने उसको अच्छी ख़ासी डाँट लगा दी इतनी लेट घर आने के लिए... दोनो के बीच में काफ़ी बहस हो गई जिसको डॉली और चेतन को सुल झाना पड़ा...
ललिता को चिढ़ इस बात की थी जब डॉली अपने दोस्त के घर पार्टी में जा सकती है तो वो अपनी क्लसेस सेथोड़ी देर से
क्या आ गई तो कौनसा तूफान मच गया....
खैर माहौल फिर से ठीक हो गया और कुच्छ देर डॉली नहा के तैयार होने लग गयी....
उसने एक गहरे हरे रंग की सारी निकाली जिसपे काले रंग की एमब्रोयिडारी थी.. उसके साथ काला ब्लाउस और काला पेटिकोट पहेन लिया....
आँखो पे काजल लगाके और हल्की लाल लिपस्टिक लगा के वो प्रिया की पार्टी के लिए निकल गयी...
उसको घर से पिक कर लिया उसकी बाकी सहेलिया आ रही थी गाड़ी में... वो प्रिया के घर पहुचि तो वहाँ काफ़ी रौनक थी..
अच्छा म्यूज़िक चल रहा था, शोर शराबा लज़ीज़दार खाना और पीने के लिए कोक से लेके बियर तक थी और काफ़ी
अच्छे लोग थे जिनसे डॉली अब कुच्छ ज़ादा दूर चली जाएगी.... उसके पापा-मम्मी आज घर पर नहीं थे तभी
ये सब कुच्छ मुमकिन हो रहा था... काफ़ी लड़कियों और एक-दो लड़को ने डॉली की सारी की तारीफ करी मगर कुच्छ देर के बाद उधर नेहा आई उसने एक पर्पल रंग का नूडल स्ट्रॅप ड्रेस पहेन रखा था जिसकी लंबाई घुटनो के उपर तक थी...
उसने स्ट्रेप्लेस्स ब्रा पहेन रखी थी जिससे कुच्छ लड़को उमीद थी कि शायद इसने अंदर कुच्छ पहना भी ना हो....
ऐसी उमीद इसलिए थी क्यूंकी बड़ी आसानी से राज ने इसको पटा लिया था और उन दोनो के अश्लीलता के काफ़ी चर्चे भी
चल रहे थे कॉलेज में.... उसको देखकर सारे लड़के मानो उसके दीवाने हो गये हो... सब एक दूसरे के कान मे नेहा की
तारीफ करने लगे कुच्छ लड़के अपनी आँखो से उसके कपड़े उतारने लगे... डॉली ने नेहा से दूरी ही रखनी अच्छी समझी....
फिर जब भी दोनो की नज़रे टकराती तो नेहा की नज़रो में एक गुरूर झलक रहा था जैसे कि उसने डॉली को हरा दिया हो
जैसे कि वो डॉली काफ़ी ज़्यादा बढ़िया दिखती है..... सब कुच्छ अच्छा ही जा रहा था फिर डॉली के सेल पे कॉल आया उसकी मम्मी का तो वो बाल्कनी में जाके वो उनसे बात करने लगी... बात करते करते उसने देखा कि उसके पीछे नेहा खड़ी है... डॉली ने फोन काटा तो नेहा ने उसे नीचे गिराते हुए कहा "क्या हुआ डॉली यहाँ आके अकेले रो रही है क्या??
कि नेहा ने मेरे बॉय फ्रेंड को छीन लिया.. उसने मुझे धोका दिया..." डॉली को उसके मुँह से बियर की स्मेल आ रही थी और उसने कुच्छ जवाब ना देना बेहतर समझा और वहाँ से जाने लगी
नेहा फिर से बोली " ऐसी सब कुच्छ तू पूरी दुनिया को सुना रही है ना कि मैं कितनी बड़ी कमिनि हूँ जो बहला फुसला के
राज को तुझसे दूर कर दिया और उसके घर में उससे चुद्वाने चली गयी"
डॉली वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए बोली "देख मुझे तुझसे इस बारे में कुच्छ बात नहीं करनी है" ये कहते हुए
वो बाल्कनी का दरवाज़ा खोलते हुए घर के अंदर बढ़ी तो
नेहा ने ज़ोर से डॉली की कलाई पकड़ी और चिल्ला के बोली "साली खुद तो अपने बॉय फ्रेंड को खुश नहीं कर पाई और फिर बच्ची की तरह रोती रहती है... अगर ज़रा सा भी औरत होती ना राज तुझे छोड़ता ही नहीं"
ये सुनके घर में सारे लोग दन्ग रह गये थे... सबको पता था इन दोनो लड़कियों की किस बात पे बहस हो रही थी....
जब डॉली ने देखा कि सब उसे और नेहा को ही देख रहे है तो उसने अपनी कलाई छुड़ाई नेहा के हाथो से और गुस्से में
बोली "मुझे कुच्छ नहीं लेना देना तुझसे या फिर राज से... भाड़ में जाओ तुम दोनो"
माहौल इतना गरम हो गया था कि नेहा ने डॉली के कंधो पे इतनी ज़ोर से धक्का दिया कि वो अपनी गान्ड पे जाके ज़मीन पे गिरी...
ज़मीन कार्पेट से धकि हुई थी जिस वजह से उसको चोट नहीं आई.... मगर उसकी जूती की हील टूट गयी और उसका पैर भी मूड गया...
डॉली ने नेहा की टाँग को जकड़ा और उसको अपनी तरफ ज़ोर से खीचा जिस वजह से नेहा भी वही पे गिर गयी...
दोनो लड़किया एक दूसरे के हाथा पाई करने लगी... किसी को कुच्छ समझ नहीं आ रहा था कि कौन किसको रोके....
हाथ पाई में डॉली की पिन खुल गयी और उसकी सारी का पल्लू उसके कंधे से लहराता हुआ ज़मीन पे गिरा...
डॉली ने नेहा के हाथ पकड़े और ताक़त लगाते हुए उसको ज़मीन पे रोके रखा... नेहा ज़मीन पे आधी लेटी हुई थी...
वो गुस्से में अपनी टाँगें उठाने लगी ताकि डॉली को मार सके वो तो हो नहीं पाया मगर उसकी ड्रेस
नीचे से काफ़ी उपर हो गयी.... उसकी गुलाबी रंग की चड्डी सबकी नज़र में आ गयी....
सारे लड़के आँखें फाड़ फाड़ के नेहा की चिकनी जाँघ को घूर्ने लगे... कईयो की हँसने की आवाज़ भी आ रही थी...
प्रिया ने डॉली को समझाने की कोशिश करी मगर वो अभी काफ़ी गुस्से में थी और उसकी एक नहीं सुन रही थी....
नेहा ने किसी तरह अपना हाथ छुड़वाया और डॉली के काले ब्लाउस को जकड़ते हुए खीच दिया...
आगे से डॉली का ब्लाउस फॅट गया उसकी काली ब्रा दिखने लगी सबको... उसके कोमल मम्मो की सड़क का भी नज़ारा दिखने लगा...
डॉली शर्मिंदा होकर वहाँ से उठी और अपनी सारी का पल्लू ठीक कर दिया ताकि कोई उसके संतरो को देख ना पाए...
प्रिया डॉली को लेके कमरे में चली गयी और उसको एक टी-शर्ट पहनने के लिए देदि... नेहा भी गुस्से में उस घर
से चली गयी थी और सब शांत हो गया था.... प्रिया को पार्टी बीच में हो रोकनी पड़ी और वो खुद जाके डॉली को
उसके घर छोड़ कर आई....
रात के कुच्छ 12 बज रहे थे और डॉली पापा मम्मी को जगाना नहीं चाहती थी इसलिए उसने चेतन के मोबाइल पे कॉल
किया ताकि वो दरवाज़ा पहले से खोलके रखे.... घर पहूचकर ही वो सीधा अपने कमरे में पहुचि और रोने लगी...
घर में सिर्फ़ चेतन जगा हुआ था उसे समझ नहीं आया कि दीदी बिना मिले सीधा अपने रूम में क्यूँ गयी है....
उसे डर लगा कि कहीं दीदी को पता तो नहीं चला कि उसने उनकी आज की उतरी पैंटी को चुपके से वॉशिंग मशीन से
निकाला था और फिर उसके सूंग कर मूठ मारा था... उसके दिमाग़ में ख़याल आया मगर फिर उसको एहसास हुआ दीदी तो
घर पर ही नहीं थी शाम से तो उनको कैसे पता चला होगा... डॉली के कमरे के पास खड़ा होकर एक गहरी
साँस ली उसने और फिर धीरे से उसका दरवाज़ा खोला... कमरे में अंधेरा था और डॉली बिस्तर पे लेटी हुई थी...
चेतन को डॉली के रोने की आवाज़ आने लगी तो उसने घबराकर पूछा "क्यूँ हुआ दीदी"
डॉली ने उसको कुच्छ जवाब नहीं दिया...
चेतन ने दरवाज़े को आराम से भेड दिया ताकि किसिको दीदी के रोने की आवाज़ ना आए... वो डॉली के बिस्तर के पास गया
और घुटनो के बल जाके बैठ गया... "डॉली दीदी क्या हुआ आपको... आप रो क्यूँ रही हो" ये कहने के बाद ही चेतन हिल
गया क्यूंकी डॉली ने उसको कस के गले लगा लिया और रोने लगी.... चेतन को समझ नहीं आ रहा था कि वो डॉली के आँसू
पौछे या फिर उसके स्तनो का मज़ा ले जोकि उसकी छाति से चिपके हुए थे...
जिस्म की प्यास compleet
Re: जिस्म की प्यास
एक और बारी चेतन के पुच्छने के बाद डॉली बोली "मैं तुझे नहीं बता सकती बस मुझे रोने दे...
चेतन की टी-शर्ट डॉली के आँसुओ से भीग चुकी थी.... चेतन भी आपने हाथ डॉली की उपरी पीठ पे फेरने लगा था...
डॉली की नंगी पीठ बहुत ही ज़ादा कोमल थी एक दम माखन की तरह... डॉली के आँसू जब ख़तम हो गये तो उसने
अपने भाई के कंधे से अपने सिर हटाया और चेतन ने अपने हाथो से डॉली के गालो से आँसू पौछे...
उसके अंदर एक अजीब से जज़्बा आया और उसने डॉली के होंठो को चूम लिया और फिर 1 सेकेंड में अपने होंठ दूर कर लिया...
डॉली को समझ नहीं आया कि ये हुआ क्या... वो खुले मुँह चेतन को देखने लगी तो चेतन ने डॉली की गर्दन पे हाथ
रखते हुए एक और बारी उसको चूम लिया और इस बार चूमता ही रहा... डॉली ने उसको दूर करने की कोशिश करी मगर
फिर वो मदहोश हो गई और चेतन को चूमने लगी.... डॉली को चूमता चूमता वो बिस्तर पर चढ़ गया और
डॉली बिस्तर पे लेट गयी.... डॉली के हाथ चेतन की गर्दन पे थे और दोनो एक दूसरे को अभी तक चूम रहे थे...
चेतन ने चुंबन तोड़ा और अपने होंठो को डॉली की गर्दन पे ले गया.... साथ ही साथ उसने अपना हाथ डॉली की टी-शर्ट
में घुसाया डॉली के गरम पेट को महसूस करने लग गया... डॉली की नाभि पे अपनी उंगली घुमाने लगा...
डॉली ने अपनी आँखें बंद करली थी और अपने भाई को उसने पूरी रज़ामंदी दे दी थी...
चेतन ने अपने दोनो हाथो से डॉली की टी-शर्ट को उतार दिया...... उसने 2 सेकेंड डॉली के पतले पेट को देखा और फिर
उसके स्तनो की तरफ नज़र डाली जोकि काली ब्रा में बंद थे... वो ब्रा को उपर करने लग गया मगर ब्रा काफ़ी टाइट थी जिस वजह से उसे दिक्कत हो रही थी.... डॉली ने अपना हाथ अपनी पीठ की तरफ बढ़ाया और अपने भाई के लिए अपनी ब्रा के हुक को खोल दिया.....
चेतन ने अपने हाथ डॉली के मम्मो की तरफ बढ़ाए और उसकी ब्रा उठाते हुए उनको प्यार से दबाने लग गया....
डॉली बिस्तर पे मचले जा रही थी... और फिर जब चेतन ने उसकी चुचियाँ को दबाया तो उसके मुँह से आह
निकल गयी.... चेतन फिर अपनी बहन के मम्मो को चूसने लग गया.... ना चाहते हुए भी डॉली की सिसकिया रुकने का
नाम ही नहीं ले रही थी.... डॉली ने हल्के से कहा "कोई आ जाएगा" डॉली फिर बिस्तर से उठी और दरवाज़ा लॉक कर्दिआ
और अपने टाय्लेट के अंदर चली गयी.... चेतन को अपनी बहन का इशारा समझ में आया और वो टाय्लेट के अंदर गया....
डॉली ने टाय्लेट की लाइट ऑन नहीं करी थी क्यूंकी वो अपने भाई का चेहरा देख नहीं पाती और चेतन ने भी लाइट ऑफ
रहने मे अपनी भलाई समझी.... डॉली ने चेतन की सीधे हाथ की उंगली को पकड़ा और अपनी चूत की तरफ ले गयी...
जैसी डॉली के नंगे बदन से चेतन की उंगली छुइ उसे एक ज़ोर का झटका लग गया....
"इतनी जल्दी डॉली दीदी ने अपनी सारी और पेटिकोट उतार भी दिया" ये सवाल चेतन के दिमाग़ में आया...
मगर फिर डॉली की चूत को महसूस किया जोकि थोड़ी सी गीली थी... चेतन ने अपनी डॉली की चूत में अंदर बाहर करनी शुरू की...
डॉली की चूत पे हल्के हल्के बाल थे जैसे कि चेतन के लंड के उधर भी थे....जब भी वो डॉली की चूत के अंदर
अपनी उंगली घुसाता डॉली अपने पंजो पे खड़ी हो जाती और चेतन के कंधे पे अपना माथा रख लेती....
फिर चेतन अपनी उंगली बाहर करता तो डॉली का दिमाग़ फिर से उंगली अंदर जाने का इंतजार करता...
डॉली ने चेतन की टी-शर्ट को उतार दिया और उसकी छाति को चूमने लगी... उसकी छाति को चूमते चूमते वो नीचे
बैठी और चेतन के पाजामे के साथ उसके कच्छा को भी नीचे कर दिया... चेतन का जवान लॉडा कूदता हुआ बाहर निकाला....
डॉली ने अपना नाख़ून अपने भाई के लंड पे उपर नीचे किया... चेतन को हल्का सा दर्द हुआ मगर मज़ा भी बहुत आया...
डॉली फिर उसके लंड को चूमने लग गयी और फिर आहिस्ते आहिस्ते चूसने लग गयी.... चेतन ने अपने पाजामे और कछे को
उतारके फेका और दीवार के सहारे खड़ा हो गया.... चेतन ने अपना हाथ डॉली के सिर पे रख दिया और
उसपे फेरने लग गया जैसे किसी कुतिया के अच्छे काम करने पे सबाशी दे रहा हो... डॉली ने सीधे हाथ से लंड को
पकड़ा हुआ था और अपने उल्टे हाथ से वो चेतन के आंडो से खेलने लगी.... चेतन के जिस्म में एक मीठा दर्द जगा और अचानकसे उसका वीर्य डॉली के मुँह के अंदर ही चला गया..... चेतन को अपने पे इतना गुस्सा आया क्यूंकी अब उसका लंड छोटा होना लगा...
डॉली ने चेतन के पानी को तो निगल लिया मगर उसके लंड को छोड़ा नहीं...
अभी भी वो उसको हिलाती रही देखते ही देखते चेतन का लंड फिर से जागने लगा...
चेतन को इसमे काफ़ी अचंभा लगा मगर अब उसे पता था उसे क्या करना है...
उसने अपनी बहन की जाकड़ में से अपना लंड अलग किया और टाय्लेट के फर्श पे लेट गया...
फर्श हल्का सा गीला था शवर के पानी के वजह से मगर चेतन को उस बात से कुच्छ फरक नहीं पड़ा....
डॉली ने अपनी टाँगें चौड़ी करी और चेतन के लंड पे जाके बैठ गयी... चेतन को पहले बहुत दर्द हुआ मगर
जब डॉली की चूत थोड़ा खुल गयी तब उसके लंड को राहत मिली... डॉली ने चेतन के पेट पर हाथ रखा हुआ था
और उसके सहारे उपर नीच हो रही थी वो... चेतन पहले की तरह कोई गड़बड़ नहीं करना चाहता था इसलिए वो अपनी
बहन को सारा काम करने दे रहा था... कुच्छ देर बाद डॉली थक गयी तो वो चेतन के लंड से उठी और चेतन को भी
इशारा करके उठा दिया... दोनो नलो को पकड़ कर वो अपनी चूत हवा में करके चेतन के लंड के सामने खड़ी हो गई...
चेतन ने आहिस्ते से अपना लंड डॉली की गीली चूत में डाला और उसकी कमर को जाकड़ चोद्ने लगा...
चेतन अपनी रफ़्तार तेज़ करने लगा था... और डॉली को इसमे बहुत मज़ा आ रहा था... बीच बीच में
उसका भाई उसके मम्मो को भी मसल्ने लगता जिससे डॉली और पागल हुई जा रही थी...
दोनो हल्की हल्की आवाज़ें निकाल रहे थे मगर वो बाहर वालो को सुनाई नहीं दे सकती थी...
डॉली अब और इंतजार नहीं कर सकती थी और उसका सारा पानी उसकी चूत से निकलने लगा... कयि बूंदे चेतन के लंड पर भी आई...
चेतन ने देखा कि कैसे डॉली दीदी अपनी चूत को रगडे जा रही थी और उसको देखादेखी चेतन भी वोही करने लगा...
जब पानी ख़तम हो गया तो चेतन ने अपना लंड वापस चूत में डाला.... इस बारी चेतन को पता चल गया था कि कब
वो झड़ने वाला है और तभी उसने अपनी दीदी की चूत में से लंड निकाला और उनकी कमर पे वीर्य डाल दिया....
कुच्छ सेकेंड बाद डॉली खड़ी हुई और चेतन के गाल को हल्का सा चूम के थंक्स बोली और वहाँ से चली गई...
चेतन भी फिर कमरे से चला गया और डॉली ने वापस दरवाज़ा बंद कर दिया और बिस्तर पे जाके नंगी
डॉली इतनी थक गयी थी कि उसको अपने जिस्म को ढकने की भी ताक़त नहीं थी दरवाज़ा पे कुण्डी लगा दी और
चदडार ओढ़ के सो गई मगर चेतन को आज नींद कहाँ आने वाली थी... उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि
ये सब इतनी जल्दी हो गया... पहली लड़की जिसको उसने नंगा देखा और अपनी ज़िंदगी में पहली बार चोदा
वो कोई और नहीं उसकी बड़ी बहन है.... उसको एक अजीब सी खुशी मिल रही थी ये सोचके कि बहुत कम ही
खुश नसीब भाई होते होंगे ऐसे.... मगर एक बात तो थी वो डॉली को बहुत पसंद करता था अब वो पसंद एक साधारण
भाई-बहन के रिश्ते वाली थी या फिर किसी और तरीके के रिश्ते की ये समझना उसके बस की बात नहीं थी.....
खैर कुच्छ देर बाद उसकी आँख लग गयी मगर उसको शन्नो ने सुबह स्कूल जाने के लिए उठा दिया और ना
चाहते हुए भी उसको स्कूल जाना पढ़ा... उसकी क्लास के लड़के हमेशा की तरह लड़कियों/हेरोइनो के बारे में
बात कर रहे थे.. वो मन ही मन मुस्कुराने लगा कि ये छिछोर तो बात ही करते रहेंगे और मैने
तो कल अपनी बहन को चोद भी दिया.... उसका पढ़ाई मे तो वैसे ही मन नहीं लगता था मगर आज तो उसका दिमाग़ बस कल रात के उपर ही लगा था.... रिसेस के वक़्त वो सीधा टाय्लेट गया और दरवाज़ा बंद करके उसने देखा कि उसने जो
लिखा हुआ था "कि कल मैने अभी बहन को नंगा अपनी चूत से खेलते हुए देख के मूठ मारा"
उसके आस पास भी कुच्छ चीज़े लिखी हुई थी... पर एक जगह लिखा हुआ था "कितने की मिलेगी तेरी बहन" ये पढ़के चेतन को गुस्सा आ गया...
किसी लड़के ने उसकी बहन को धंधा करने वाली बना दिया ये सोचके उसे अपनी इस हरकत पे भी गुस्सा आया...
खैर जब वो घर पहुचा तो डॉली को वहाँ ना पाके मायूस हुआ... वो किसी भी हालत में डॉली को देखना
चाहता था उससे कल रात के बारे में बात करना चाहता था... पूरा दिन फीका सा बीत गया...
क्रमशः……………………….
चेतन की टी-शर्ट डॉली के आँसुओ से भीग चुकी थी.... चेतन भी आपने हाथ डॉली की उपरी पीठ पे फेरने लगा था...
डॉली की नंगी पीठ बहुत ही ज़ादा कोमल थी एक दम माखन की तरह... डॉली के आँसू जब ख़तम हो गये तो उसने
अपने भाई के कंधे से अपने सिर हटाया और चेतन ने अपने हाथो से डॉली के गालो से आँसू पौछे...
उसके अंदर एक अजीब से जज़्बा आया और उसने डॉली के होंठो को चूम लिया और फिर 1 सेकेंड में अपने होंठ दूर कर लिया...
डॉली को समझ नहीं आया कि ये हुआ क्या... वो खुले मुँह चेतन को देखने लगी तो चेतन ने डॉली की गर्दन पे हाथ
रखते हुए एक और बारी उसको चूम लिया और इस बार चूमता ही रहा... डॉली ने उसको दूर करने की कोशिश करी मगर
फिर वो मदहोश हो गई और चेतन को चूमने लगी.... डॉली को चूमता चूमता वो बिस्तर पर चढ़ गया और
डॉली बिस्तर पे लेट गयी.... डॉली के हाथ चेतन की गर्दन पे थे और दोनो एक दूसरे को अभी तक चूम रहे थे...
चेतन ने चुंबन तोड़ा और अपने होंठो को डॉली की गर्दन पे ले गया.... साथ ही साथ उसने अपना हाथ डॉली की टी-शर्ट
में घुसाया डॉली के गरम पेट को महसूस करने लग गया... डॉली की नाभि पे अपनी उंगली घुमाने लगा...
डॉली ने अपनी आँखें बंद करली थी और अपने भाई को उसने पूरी रज़ामंदी दे दी थी...
चेतन ने अपने दोनो हाथो से डॉली की टी-शर्ट को उतार दिया...... उसने 2 सेकेंड डॉली के पतले पेट को देखा और फिर
उसके स्तनो की तरफ नज़र डाली जोकि काली ब्रा में बंद थे... वो ब्रा को उपर करने लग गया मगर ब्रा काफ़ी टाइट थी जिस वजह से उसे दिक्कत हो रही थी.... डॉली ने अपना हाथ अपनी पीठ की तरफ बढ़ाया और अपने भाई के लिए अपनी ब्रा के हुक को खोल दिया.....
चेतन ने अपने हाथ डॉली के मम्मो की तरफ बढ़ाए और उसकी ब्रा उठाते हुए उनको प्यार से दबाने लग गया....
डॉली बिस्तर पे मचले जा रही थी... और फिर जब चेतन ने उसकी चुचियाँ को दबाया तो उसके मुँह से आह
निकल गयी.... चेतन फिर अपनी बहन के मम्मो को चूसने लग गया.... ना चाहते हुए भी डॉली की सिसकिया रुकने का
नाम ही नहीं ले रही थी.... डॉली ने हल्के से कहा "कोई आ जाएगा" डॉली फिर बिस्तर से उठी और दरवाज़ा लॉक कर्दिआ
और अपने टाय्लेट के अंदर चली गयी.... चेतन को अपनी बहन का इशारा समझ में आया और वो टाय्लेट के अंदर गया....
डॉली ने टाय्लेट की लाइट ऑन नहीं करी थी क्यूंकी वो अपने भाई का चेहरा देख नहीं पाती और चेतन ने भी लाइट ऑफ
रहने मे अपनी भलाई समझी.... डॉली ने चेतन की सीधे हाथ की उंगली को पकड़ा और अपनी चूत की तरफ ले गयी...
जैसी डॉली के नंगे बदन से चेतन की उंगली छुइ उसे एक ज़ोर का झटका लग गया....
"इतनी जल्दी डॉली दीदी ने अपनी सारी और पेटिकोट उतार भी दिया" ये सवाल चेतन के दिमाग़ में आया...
मगर फिर डॉली की चूत को महसूस किया जोकि थोड़ी सी गीली थी... चेतन ने अपनी डॉली की चूत में अंदर बाहर करनी शुरू की...
डॉली की चूत पे हल्के हल्के बाल थे जैसे कि चेतन के लंड के उधर भी थे....जब भी वो डॉली की चूत के अंदर
अपनी उंगली घुसाता डॉली अपने पंजो पे खड़ी हो जाती और चेतन के कंधे पे अपना माथा रख लेती....
फिर चेतन अपनी उंगली बाहर करता तो डॉली का दिमाग़ फिर से उंगली अंदर जाने का इंतजार करता...
डॉली ने चेतन की टी-शर्ट को उतार दिया और उसकी छाति को चूमने लगी... उसकी छाति को चूमते चूमते वो नीचे
बैठी और चेतन के पाजामे के साथ उसके कच्छा को भी नीचे कर दिया... चेतन का जवान लॉडा कूदता हुआ बाहर निकाला....
डॉली ने अपना नाख़ून अपने भाई के लंड पे उपर नीचे किया... चेतन को हल्का सा दर्द हुआ मगर मज़ा भी बहुत आया...
डॉली फिर उसके लंड को चूमने लग गयी और फिर आहिस्ते आहिस्ते चूसने लग गयी.... चेतन ने अपने पाजामे और कछे को
उतारके फेका और दीवार के सहारे खड़ा हो गया.... चेतन ने अपना हाथ डॉली के सिर पे रख दिया और
उसपे फेरने लग गया जैसे किसी कुतिया के अच्छे काम करने पे सबाशी दे रहा हो... डॉली ने सीधे हाथ से लंड को
पकड़ा हुआ था और अपने उल्टे हाथ से वो चेतन के आंडो से खेलने लगी.... चेतन के जिस्म में एक मीठा दर्द जगा और अचानकसे उसका वीर्य डॉली के मुँह के अंदर ही चला गया..... चेतन को अपने पे इतना गुस्सा आया क्यूंकी अब उसका लंड छोटा होना लगा...
डॉली ने चेतन के पानी को तो निगल लिया मगर उसके लंड को छोड़ा नहीं...
अभी भी वो उसको हिलाती रही देखते ही देखते चेतन का लंड फिर से जागने लगा...
चेतन को इसमे काफ़ी अचंभा लगा मगर अब उसे पता था उसे क्या करना है...
उसने अपनी बहन की जाकड़ में से अपना लंड अलग किया और टाय्लेट के फर्श पे लेट गया...
फर्श हल्का सा गीला था शवर के पानी के वजह से मगर चेतन को उस बात से कुच्छ फरक नहीं पड़ा....
डॉली ने अपनी टाँगें चौड़ी करी और चेतन के लंड पे जाके बैठ गयी... चेतन को पहले बहुत दर्द हुआ मगर
जब डॉली की चूत थोड़ा खुल गयी तब उसके लंड को राहत मिली... डॉली ने चेतन के पेट पर हाथ रखा हुआ था
और उसके सहारे उपर नीच हो रही थी वो... चेतन पहले की तरह कोई गड़बड़ नहीं करना चाहता था इसलिए वो अपनी
बहन को सारा काम करने दे रहा था... कुच्छ देर बाद डॉली थक गयी तो वो चेतन के लंड से उठी और चेतन को भी
इशारा करके उठा दिया... दोनो नलो को पकड़ कर वो अपनी चूत हवा में करके चेतन के लंड के सामने खड़ी हो गई...
चेतन ने आहिस्ते से अपना लंड डॉली की गीली चूत में डाला और उसकी कमर को जाकड़ चोद्ने लगा...
चेतन अपनी रफ़्तार तेज़ करने लगा था... और डॉली को इसमे बहुत मज़ा आ रहा था... बीच बीच में
उसका भाई उसके मम्मो को भी मसल्ने लगता जिससे डॉली और पागल हुई जा रही थी...
दोनो हल्की हल्की आवाज़ें निकाल रहे थे मगर वो बाहर वालो को सुनाई नहीं दे सकती थी...
डॉली अब और इंतजार नहीं कर सकती थी और उसका सारा पानी उसकी चूत से निकलने लगा... कयि बूंदे चेतन के लंड पर भी आई...
चेतन ने देखा कि कैसे डॉली दीदी अपनी चूत को रगडे जा रही थी और उसको देखादेखी चेतन भी वोही करने लगा...
जब पानी ख़तम हो गया तो चेतन ने अपना लंड वापस चूत में डाला.... इस बारी चेतन को पता चल गया था कि कब
वो झड़ने वाला है और तभी उसने अपनी दीदी की चूत में से लंड निकाला और उनकी कमर पे वीर्य डाल दिया....
कुच्छ सेकेंड बाद डॉली खड़ी हुई और चेतन के गाल को हल्का सा चूम के थंक्स बोली और वहाँ से चली गई...
चेतन भी फिर कमरे से चला गया और डॉली ने वापस दरवाज़ा बंद कर दिया और बिस्तर पे जाके नंगी
डॉली इतनी थक गयी थी कि उसको अपने जिस्म को ढकने की भी ताक़त नहीं थी दरवाज़ा पे कुण्डी लगा दी और
चदडार ओढ़ के सो गई मगर चेतन को आज नींद कहाँ आने वाली थी... उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि
ये सब इतनी जल्दी हो गया... पहली लड़की जिसको उसने नंगा देखा और अपनी ज़िंदगी में पहली बार चोदा
वो कोई और नहीं उसकी बड़ी बहन है.... उसको एक अजीब सी खुशी मिल रही थी ये सोचके कि बहुत कम ही
खुश नसीब भाई होते होंगे ऐसे.... मगर एक बात तो थी वो डॉली को बहुत पसंद करता था अब वो पसंद एक साधारण
भाई-बहन के रिश्ते वाली थी या फिर किसी और तरीके के रिश्ते की ये समझना उसके बस की बात नहीं थी.....
खैर कुच्छ देर बाद उसकी आँख लग गयी मगर उसको शन्नो ने सुबह स्कूल जाने के लिए उठा दिया और ना
चाहते हुए भी उसको स्कूल जाना पढ़ा... उसकी क्लास के लड़के हमेशा की तरह लड़कियों/हेरोइनो के बारे में
बात कर रहे थे.. वो मन ही मन मुस्कुराने लगा कि ये छिछोर तो बात ही करते रहेंगे और मैने
तो कल अपनी बहन को चोद भी दिया.... उसका पढ़ाई मे तो वैसे ही मन नहीं लगता था मगर आज तो उसका दिमाग़ बस कल रात के उपर ही लगा था.... रिसेस के वक़्त वो सीधा टाय्लेट गया और दरवाज़ा बंद करके उसने देखा कि उसने जो
लिखा हुआ था "कि कल मैने अभी बहन को नंगा अपनी चूत से खेलते हुए देख के मूठ मारा"
उसके आस पास भी कुच्छ चीज़े लिखी हुई थी... पर एक जगह लिखा हुआ था "कितने की मिलेगी तेरी बहन" ये पढ़के चेतन को गुस्सा आ गया...
किसी लड़के ने उसकी बहन को धंधा करने वाली बना दिया ये सोचके उसे अपनी इस हरकत पे भी गुस्सा आया...
खैर जब वो घर पहुचा तो डॉली को वहाँ ना पाके मायूस हुआ... वो किसी भी हालत में डॉली को देखना
चाहता था उससे कल रात के बारे में बात करना चाहता था... पूरा दिन फीका सा बीत गया...
क्रमशः……………………….
Re: जिस्म की प्यास
जिस्म की प्यास--6
गतान्क से आगे……………………………………
शाम को जब डॉली घर पर आई तो वो मुस्कुरा कर चेतन से मिली... डॉली ने एक टाइट सी काली जीन्स पहेन रखी थी
जिसमे उसकी गान्ड काफ़ी बड़ी लग रही थी... इसी गान्ड पे कल उसका हाथ था ये सोचके चेतन मचल उठा....
चेतन को राहत भी थी कि उसकी बहन को कल की रात से कोई फरक नहीं पड़ा अब ऐसी रातें और होंगी ऐसा ख़याल
दिल में रखके वो खुश हो गया.... रात को सबने खाना खा लिया और सब अपने अपने कमरे में चले गये थे...
डॉली चेतन और ललिता के कमरे में गयी और चेतन को कुच्छ काम के लिए बाहर बुला लिया....
चेतन बड़ा खुश होके बाहर गया तो डॉली उसको अपने कमरे में ले गयी और उसको अच्छे से भेड़ दिया...
चेतन डॉली के सामने खड़ा हुआ था उसके चेहरे पे बहुत बड़ी मुस्कान छाइ हुई थी...
कुच्छ देर चुप रहने के बाद डॉली बोली " चेतन कल जो भी हुआ वो नहीं होना चाहिए था...
कल मैं जब घर आई थी तो मैं काफ़ी टूट गयी थी... मैं बस रोए जा रही थी मगर जब तुम आए
कमरे में और तुमने मेरे आँसू पौछे फिर नज़ाने क्यूँ तुमने मुझे किस किया और मैने भी तुम्हे रोका नहीं...
फिर जो भी हुआ मैं उसके लिए शर्मिंदा हूँ..."
चेतन चुप चाप खड़ा ये सब सुनता रहा उसकी मुस्कान अब ख़तम हो गयी थी.. वो अपनी बहन के प्रस्तावे को सुनने जा रहा था...
डॉली फिर बोली "देख ये बात हम दोनो के बीच में ही रहेगी तो सबके लिए अच्छा रहेगा और तू इसको भुला दो और मैं भी इसे भूलने की कोशिश करूँगी"
ये सुनने के बाद चेतन डॉली से कुच्छ कह नहीं पाया सिर्फ़ अपनी गरदन हिलाते हुए वहाँ से चला गया....
भोपाल जाने के दिन पास आते गये.... डॉली चाहती तो थी कि वो ये दिन अपने परिवार के साथ बिताए मगर उसकी
हिम्मत नहीं थी चेतन के साथ वक़्त गुज़ारने की... वो कोशिश कर रही थी कि जितना हो सके वो घर के बाहर रहे....
चेतन का मन भी इन जिस्मी बातों पे नहीं लग रहा था.... वो भी कोशिश कर रहा था कि अपने दोस्तो के साथ
वक़्त गुज़ारे ताकि उसका दिमाग़ डॉली दीदी के बारे में ना सोचे.... उधर नारायण किसी भी हालत में शन्नो को चोद्ना
चाहता था मगर शन्नो ने अब तक नारायण को हरी झंडी नहीं दिखाई थी. उसका लंड हर दूसरे मौके पे खड़ा हो
जाता और चूत की तलाश में रहता मगर उसके पास कोई चारा नहीं ती..... नारायण अपने आप को काबू नही कर पा रहा
था और कयि बारी स्कूल के टाय्लेट में जाके मूठ मारने लगता.
फिर नारायण का आखरी दिन था स्कूल में. हमेशा की तरह स्कूल बोरियत में निकल गया.
आख़िरी पीरियड जोकि फ्री होता था उसमें फिर से वोही दृश्य देखने को मिला... एकता रंजना और सिमरन साथ में
बैठी थी और आशीष अकेला दूसरी ओर. गर्मी के कारण एकता की सफेद शर्ट उसकी पीठ से चिपकी हुई थी और उसकी
ब्रा का सॉफ दृश्य दे रही थी.... आशीष की नज़र एकता की पीठ पर ही थी मगर नारायण का सिर इन तीनो लड़कियों के शोर से फटा जा रहा था. पूरे 15 मिनट से ये तीनो चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी....
नारायण के मना करने के बाद भी ये फिर से शुरू हो जाती...वो अपने मन में ही तीनो को कयि गालिया दे चुका था.
उसने कोशिश करी कि वो अपनी आँखें बंद करके बैठने की मगर फिर भी वो अपने कानो को बंद नहीं कर पा रहा था...
नारायण ने अपनी आँखें ज़ोर से बंद करली और पाँच बारी पूरे आक्रोश से 'स्टॉप' बोला.
स्टॉप
स्टॉप
स्टॉप
स्टॉप
स्टॉप
अचानक से शांति हो गई कमरे में. क्लास के बाहर भी कोई शोर नहीं. पूरे स्कूल में शांति च्छा गयी थी...
नारायण ने अपनी उल्टी आँख खोली और देखा कि आशीष एक ही जगह रुका हुआ है ना उसके हाथ चल रहे थे और ना ही उसकीपलके झपक रही थी.... फिर नारायण ने आहिस्ते से अपनी दूसरी आँख भी खोली और देखा कि ये तीनो लड़किया भी एक हीजगह रुकी हुई थी... कोई ज़रा सा भी हिल नहीं रहा.... एकता टेबल पे बैठी हुई थी और बाकी दोनो लड़कियों के चेहरे उसकी तरफ थे....
नारायण ने अपनी मुन्डी उपर करी तो दीवार पे पंखा चल रहा था और खिड़कियो के बाहर से तेज़
हवा की अभी आवाज़ आ रही थी... वो घबराकर कुर्सी से उठा और क्लास के बाहर देखा तो मिस. किरण
(35 साल की हिन्दी टीचर... सब उसको काली बिल्ली बुलाते थे) बाहर ही खड़ी हुई थी एक पीली सारी में मगर वो भी एक
ही जगह खड़ी हुई थी... फिर नारायण क्लास के अंदर भागा और आशीष को हिलाने लग गया.
नारायण आशीष का हाथ हिला पा रहा था मगर आशीष उसको कोई रेस्पॉन्स नहीं दे रहा था. नारायण ने आशीष की
मुन्डी भी उपर नीचे करी मगर फिर भी वो कुच्छ नहीं बोल रहा था.... नारायण काफ़ी डरा हुआ था...
वो दबे पाओ उन तीनो लड़कियों के पास गया और कुच्छ सेकेंड के लिए उनको देखने लग गया क़ि शायद इनमे से कोई
कुच्छ बोलेगा मगर ऐसा नहीं हुआ... नारायण ने अपने माथे का पसीना पौछा और फिर एकता के कंधे को हल्के से छुआ.
एकता ने कुच्छ नहीं बोला. उसने एकता के दोनो कंधो को पकड़ा और ज़ोर से एकता को हिला दिया मगर
फिर भी कोई जवाब नहीं आया.... नारायण ने फिर रंजना और सिमरन को भी हिलाया मगर उन्होने ने भी कुच्छ नहीं बोला.
ऐसा लग रहा था कि किसी के भी जिस्म में जान है मगर हिलने की ताक़त नहीं है. तेज़ हवा झोका खिड़की में से
आया और एकता के बालो को हिला दिया... एकता की सफेद शर्ट उसकी छाती से सिमट गयी और नारायण आँखें उसके गोल गोल मम्मो पर पढ़ी और नारायण की घबराहट अचानक एक शैतानी हँसी बन गयी. नारायण ने एकता को देखा जोकि टेबल पे बैठी हुई थी. वो थोड़ा सा झुका और एकता की स्कर्ट को हल्के से पकड़ा और थोड़ा सा उपर किया. उसको कुच्छ ढंग से नज़र नहीं आया. उसने अब बिना परवाह किए एकता की स्कर्ट को और ऊचा कर दिया. एकता की कोमल मलाई जैसी जांघें दिखाई दे रही थी. नारायण उसकी जाँघो को देखे ही जा रहा था. घबराते हुए उसने अपना हाथ बढ़ाया औरएकता के घुटनो पे रख दिया... धीरे धीरे उसमें हिम्मत आई और अपना हाथ अब वो एकता की जाँघो पे फेरने लग गया....
उसने फिर पूरी स्कर्ट को उपर कर दिया और उसकी नज़र एकता की सफेद चड्डी पे पड़ी. नारायण ने अपना चश्मा उतार के ज़मीन पे फेक दिया और अपनी नज़र एकता की सफेद पैंटी पे गढ़ा दी. फिर उसने हल्के से अपने कापते हुए हाथ
को एकता के सीधा घुटने पे रख दिया. धीरे धीरे अब वो अपने हाथ को एकता की जाँघ पे फेरने लग गया और उपर ले
जाने लगा. नारायण ने हाथ आगे बढ़ाया और एकता की पैंटी को छुआ. वो एकता की चूत को महसूस कर पा रहा था.
उसने अब नज़र एकता की पैंटी से हटा कर उसके उपरी बदन पे ले गया. नारायण ने आराम से एकता की गर्दन
पे बँधी हुई टाइ को निकाला. एकता के 36 सी इंच के मम्मो को उसने हल्के से दबाया. कमीज़ के उपर ही उसको पता
चल रहा था कि ये कितने मुलायम होंगे. वो अब बिना परवाह किए उन्हे दबाने लगा. जल्दी से नारायण ने एकता की कमीज़ के बटन को खोला और उसको उतार दिया. एकता के बड़े बड़े स्तन बस उसकी सफेद ब्रा को फाड़के
बाहर आने को बेताब हो रहे थे. बिना रुके उसने ब्रा का हुक खोलके उसको फेक दिया.
गतान्क से आगे……………………………………
शाम को जब डॉली घर पर आई तो वो मुस्कुरा कर चेतन से मिली... डॉली ने एक टाइट सी काली जीन्स पहेन रखी थी
जिसमे उसकी गान्ड काफ़ी बड़ी लग रही थी... इसी गान्ड पे कल उसका हाथ था ये सोचके चेतन मचल उठा....
चेतन को राहत भी थी कि उसकी बहन को कल की रात से कोई फरक नहीं पड़ा अब ऐसी रातें और होंगी ऐसा ख़याल
दिल में रखके वो खुश हो गया.... रात को सबने खाना खा लिया और सब अपने अपने कमरे में चले गये थे...
डॉली चेतन और ललिता के कमरे में गयी और चेतन को कुच्छ काम के लिए बाहर बुला लिया....
चेतन बड़ा खुश होके बाहर गया तो डॉली उसको अपने कमरे में ले गयी और उसको अच्छे से भेड़ दिया...
चेतन डॉली के सामने खड़ा हुआ था उसके चेहरे पे बहुत बड़ी मुस्कान छाइ हुई थी...
कुच्छ देर चुप रहने के बाद डॉली बोली " चेतन कल जो भी हुआ वो नहीं होना चाहिए था...
कल मैं जब घर आई थी तो मैं काफ़ी टूट गयी थी... मैं बस रोए जा रही थी मगर जब तुम आए
कमरे में और तुमने मेरे आँसू पौछे फिर नज़ाने क्यूँ तुमने मुझे किस किया और मैने भी तुम्हे रोका नहीं...
फिर जो भी हुआ मैं उसके लिए शर्मिंदा हूँ..."
चेतन चुप चाप खड़ा ये सब सुनता रहा उसकी मुस्कान अब ख़तम हो गयी थी.. वो अपनी बहन के प्रस्तावे को सुनने जा रहा था...
डॉली फिर बोली "देख ये बात हम दोनो के बीच में ही रहेगी तो सबके लिए अच्छा रहेगा और तू इसको भुला दो और मैं भी इसे भूलने की कोशिश करूँगी"
ये सुनने के बाद चेतन डॉली से कुच्छ कह नहीं पाया सिर्फ़ अपनी गरदन हिलाते हुए वहाँ से चला गया....
भोपाल जाने के दिन पास आते गये.... डॉली चाहती तो थी कि वो ये दिन अपने परिवार के साथ बिताए मगर उसकी
हिम्मत नहीं थी चेतन के साथ वक़्त गुज़ारने की... वो कोशिश कर रही थी कि जितना हो सके वो घर के बाहर रहे....
चेतन का मन भी इन जिस्मी बातों पे नहीं लग रहा था.... वो भी कोशिश कर रहा था कि अपने दोस्तो के साथ
वक़्त गुज़ारे ताकि उसका दिमाग़ डॉली दीदी के बारे में ना सोचे.... उधर नारायण किसी भी हालत में शन्नो को चोद्ना
चाहता था मगर शन्नो ने अब तक नारायण को हरी झंडी नहीं दिखाई थी. उसका लंड हर दूसरे मौके पे खड़ा हो
जाता और चूत की तलाश में रहता मगर उसके पास कोई चारा नहीं ती..... नारायण अपने आप को काबू नही कर पा रहा
था और कयि बारी स्कूल के टाय्लेट में जाके मूठ मारने लगता.
फिर नारायण का आखरी दिन था स्कूल में. हमेशा की तरह स्कूल बोरियत में निकल गया.
आख़िरी पीरियड जोकि फ्री होता था उसमें फिर से वोही दृश्य देखने को मिला... एकता रंजना और सिमरन साथ में
बैठी थी और आशीष अकेला दूसरी ओर. गर्मी के कारण एकता की सफेद शर्ट उसकी पीठ से चिपकी हुई थी और उसकी
ब्रा का सॉफ दृश्य दे रही थी.... आशीष की नज़र एकता की पीठ पर ही थी मगर नारायण का सिर इन तीनो लड़कियों के शोर से फटा जा रहा था. पूरे 15 मिनट से ये तीनो चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी....
नारायण के मना करने के बाद भी ये फिर से शुरू हो जाती...वो अपने मन में ही तीनो को कयि गालिया दे चुका था.
उसने कोशिश करी कि वो अपनी आँखें बंद करके बैठने की मगर फिर भी वो अपने कानो को बंद नहीं कर पा रहा था...
नारायण ने अपनी आँखें ज़ोर से बंद करली और पाँच बारी पूरे आक्रोश से 'स्टॉप' बोला.
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अचानक से शांति हो गई कमरे में. क्लास के बाहर भी कोई शोर नहीं. पूरे स्कूल में शांति च्छा गयी थी...
नारायण ने अपनी उल्टी आँख खोली और देखा कि आशीष एक ही जगह रुका हुआ है ना उसके हाथ चल रहे थे और ना ही उसकीपलके झपक रही थी.... फिर नारायण ने आहिस्ते से अपनी दूसरी आँख भी खोली और देखा कि ये तीनो लड़किया भी एक हीजगह रुकी हुई थी... कोई ज़रा सा भी हिल नहीं रहा.... एकता टेबल पे बैठी हुई थी और बाकी दोनो लड़कियों के चेहरे उसकी तरफ थे....
नारायण ने अपनी मुन्डी उपर करी तो दीवार पे पंखा चल रहा था और खिड़कियो के बाहर से तेज़
हवा की अभी आवाज़ आ रही थी... वो घबराकर कुर्सी से उठा और क्लास के बाहर देखा तो मिस. किरण
(35 साल की हिन्दी टीचर... सब उसको काली बिल्ली बुलाते थे) बाहर ही खड़ी हुई थी एक पीली सारी में मगर वो भी एक
ही जगह खड़ी हुई थी... फिर नारायण क्लास के अंदर भागा और आशीष को हिलाने लग गया.
नारायण आशीष का हाथ हिला पा रहा था मगर आशीष उसको कोई रेस्पॉन्स नहीं दे रहा था. नारायण ने आशीष की
मुन्डी भी उपर नीचे करी मगर फिर भी वो कुच्छ नहीं बोल रहा था.... नारायण काफ़ी डरा हुआ था...
वो दबे पाओ उन तीनो लड़कियों के पास गया और कुच्छ सेकेंड के लिए उनको देखने लग गया क़ि शायद इनमे से कोई
कुच्छ बोलेगा मगर ऐसा नहीं हुआ... नारायण ने अपने माथे का पसीना पौछा और फिर एकता के कंधे को हल्के से छुआ.
एकता ने कुच्छ नहीं बोला. उसने एकता के दोनो कंधो को पकड़ा और ज़ोर से एकता को हिला दिया मगर
फिर भी कोई जवाब नहीं आया.... नारायण ने फिर रंजना और सिमरन को भी हिलाया मगर उन्होने ने भी कुच्छ नहीं बोला.
ऐसा लग रहा था कि किसी के भी जिस्म में जान है मगर हिलने की ताक़त नहीं है. तेज़ हवा झोका खिड़की में से
आया और एकता के बालो को हिला दिया... एकता की सफेद शर्ट उसकी छाती से सिमट गयी और नारायण आँखें उसके गोल गोल मम्मो पर पढ़ी और नारायण की घबराहट अचानक एक शैतानी हँसी बन गयी. नारायण ने एकता को देखा जोकि टेबल पे बैठी हुई थी. वो थोड़ा सा झुका और एकता की स्कर्ट को हल्के से पकड़ा और थोड़ा सा उपर किया. उसको कुच्छ ढंग से नज़र नहीं आया. उसने अब बिना परवाह किए एकता की स्कर्ट को और ऊचा कर दिया. एकता की कोमल मलाई जैसी जांघें दिखाई दे रही थी. नारायण उसकी जाँघो को देखे ही जा रहा था. घबराते हुए उसने अपना हाथ बढ़ाया औरएकता के घुटनो पे रख दिया... धीरे धीरे उसमें हिम्मत आई और अपना हाथ अब वो एकता की जाँघो पे फेरने लग गया....
उसने फिर पूरी स्कर्ट को उपर कर दिया और उसकी नज़र एकता की सफेद चड्डी पे पड़ी. नारायण ने अपना चश्मा उतार के ज़मीन पे फेक दिया और अपनी नज़र एकता की सफेद पैंटी पे गढ़ा दी. फिर उसने हल्के से अपने कापते हुए हाथ
को एकता के सीधा घुटने पे रख दिया. धीरे धीरे अब वो अपने हाथ को एकता की जाँघ पे फेरने लग गया और उपर ले
जाने लगा. नारायण ने हाथ आगे बढ़ाया और एकता की पैंटी को छुआ. वो एकता की चूत को महसूस कर पा रहा था.
उसने अब नज़र एकता की पैंटी से हटा कर उसके उपरी बदन पे ले गया. नारायण ने आराम से एकता की गर्दन
पे बँधी हुई टाइ को निकाला. एकता के 36 सी इंच के मम्मो को उसने हल्के से दबाया. कमीज़ के उपर ही उसको पता
चल रहा था कि ये कितने मुलायम होंगे. वो अब बिना परवाह किए उन्हे दबाने लगा. जल्दी से नारायण ने एकता की कमीज़ के बटन को खोला और उसको उतार दिया. एकता के बड़े बड़े स्तन बस उसकी सफेद ब्रा को फाड़के
बाहर आने को बेताब हो रहे थे. बिना रुके उसने ब्रा का हुक खोलके उसको फेक दिया.