
हिंदी सेक्स कहानी - मेरी आशिकी तुमसे ही है
Re: हिंदी सेक्स कहानी - मेरी आशिकी तुमसे ही है
Thanks jasmeet..
Re: हिंदी सेक्स कहानी - मेरी आशिकी तुमसे ही है
” क्या हूवा … क्यो मुस्कुरा रही हो ?” अंजलीने उसे पुछा.
शरवरीभी बडी चतूराईसे अपने चेहरेके भाव छिपाकर गंभीर मुद्रा धारण करती हूई बोली,
” कहां… मै कहा मुस्कुरा रही हूं ?… ”
तभी अंजलीके कॉम्प्यूटरका बझर बजा. अंजलीने झटसे मुडकर अपने कॉम्प्यूटरके मॉनीटरकी तरफ देखा और फिरसे रिपोर्ट पढनेमें व्यस्त हो गई.
” दो दिनसे मै देख रही हूं की जबभी चाटींगका बझर बजता है तुम सारे कामधाम छोडकर मॉनीटरकी तरफ देखती हो … क्या किसीके मेसेजकी या मेलकी राह देख रही हो ? ” शरवरीने पुछा.
” नहीतो ?” अंजलीने कहा और फिरसे अपने टेबलपर रखे रिपोर्ट पढनेमें व्यस्त होगई, या कमसे कम वैसे जतानेकी कोशीश करने लगी. कॉम्प्यूटरका बझर फिरसे बजा. अंजलीने फिरसे छटसे मॉनीटरकी तरफ देखा और इस बार वह अपनी पहिएवाली कुर्सी झटकेसे घुमाकर कॉम्प्यूटरकी तरफ अपना रुख कर बैठ गई.
” यह जरुर विवेकका मेसेज है ” शरवरी फिरसे उसे छेडते हूए बोली.
” किस विवेकका ?” अंजलीभी कुछ समझी नही ऐसा जताते हूए बोली.
” किस विवेकका? … वही जो उस दिन चॅटींगपर मिला था ” शरवरीभी उसे छोडनेके मुडमें नही थी.
” यह तुम इतने यकिनके साथ कैसे कह सकती हो ?” अंजलीने कॉम्प्यूटरपर काम करते हूए पुछा.
” मॅडम आपके चेहरेकी लाली सब कुछ बता रही है ” शरवरी मुस्कुराते हूए बोली.
पहले तो अंजलीके चेहरेपर चोरी पकडने जैसे झेंपभरे भाव आ गए. लेकिन झटसे अपने आपको संभालते हूए वह शरवरीपर गुस्सा होते हूए बोली.
” तूम जरा मेरा पिछा छोडोगी… कबसे मै देख रही हो मेरे पिछेही पडी हो… उधर बाहर देखो ऑफिसके कितने काम पेंडीग पडे हूए है…. वह जरा देखके आओ.. जाओ ..” अंजलीने कहा.
अंजलीका इशारा समझकर शरवरी वहांसे उठ गई और मुस्कुराते हूए वहांसे चली गई.
शरवरी जानेके बाद अंजलीने झटसे कॉम्प्यूटर पर अभी अभी आया हूवा विवेकका मेसेज खोला.
अंजलीने कॉम्प्यूटरपर आया हुवा विवेकका चॅटींग मेसेज खोला तो सही, लेकिन खोलते वक्त उसका दिल जोर जोरसे धडक रहा था. उसे अपने इस बेचैन स्थितीपर खुदही आश्चर्य हो रहा था. उसने झटसे उसने भेजा हुवा मेसेज पढा –
” हाय गुड मॉर्निंग … हाऊ आर यू?” उसके मेसेज विंडोमें लिखा था.
वह कही उसमें फसती तो नही जा रही है – इस बातकी उसने तस्सल्ली करते हूए बडी सावधानीसे जवाब टाईप किया –
” फाईन…”
और अपने मनकी अधिरता वह भांप ना पाए इसलिए मनही मन सौ तक गिना और फिर काफी समय हो गया है इसकी तसल्ली करते हूए ‘सेंड’ बटनपर क्लीक किया.
” कल मै बाहर गया था ” उधरसे तूरंत विवेकका मेसेज आ गया.
‘ तूम कल चॅटींगपर क्यो नही मिले ?’ इस अंजलीके दिमागमें घुम रहे सवालका जवाब देकर उसने मानो उसके दिलका हाल जान लिया था ऐसा उसे लगा.
वह अपने मनको पढ तो नह सकता है? …
अंजलीके मन मे आया.
” अच्छा अच्छा ” उसने भी खबरदारी के तौरपर अपनी रुखी रुखी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
” और कुछ पुछोगी नही ?” उसने पुछा.
वह उसका मेसेज आनेके बाद जवाब देनेमें जानबुझकर देरी लगा रही थी, लेकिन उसके मेसेजेस तुरंत, मानो मेसेज मिलनेके पहलेही टाईप किए हो ऐसे जल्दी जल्दी आ रहे थे.
” तूमही पुछो ” उसने रिप्लाय भेजा.
उसे लडकी देखनेके लिए लडका आनेके बाद, एक अलग कमरेमें जाकर जैसे बाते करते है, ऐसा लग रहा था.
” अरे हां उस दिन मैने तुम्हे ब्लॅंक मेल इसलिए भेजी थी की मुझे तुम्हारी कुछभी जानकारी नही… फिर क्या लिखता ?… लेकिन मेल भेजे बिनाभी रहा नही जा रहा था … इसलिए भेज दी ब्लॅंक मेल..”
फिर उसनेही पहल करते हूए पुछा, ” अच्छा तुम क्या करती हो? … मेरा मतलब पढाई या जॉब?”
” मैने बी. ई. कॉम्प्यूटर किया हूवा है … और जी. एच. इन्फॉरमॅटीक्स इस खुदके कंपनीकी मै फिलहाल मॅनेजींग डायरेक्टर हूं ” उसने मेसेज भेजा.
उसे पता था की चॅटींगमें पहलेही खुदकी सच जानकारी देना खतरनाक हो सकता है. फिरभी वह खुदको रोक नही सकी, मानो जानकारी टाइप कर रही उंगलीयोंपर उसका कोई कन्ट्रोल नही रहा था.
“” अरे बापरे!.. ” उधरसे विवेककी प्रतिक्रिया आ गई.
” तुम्हे तुम्हारे उम्रके बारेमें पुछा तो गुस्सा तो नही आएगा ?… नही … मतलब मैने कही पढा है की लडकियोंको उनके उम्रके बारेमें पुछना अच्छा नही लगता है. … ” उसने उसे बडी खबरदारीके साथ सवाल पुछा.
उसने भेजा , ” 23 साल”
” अरे यह तो मुझे पताही था… मैने तुम्हारे मेल आयडीसे मालूम किया था…. सच कहूं ? तूमने जब बताया की तूम मॅनेजींग डायरेक्टर हो … तो मेरे सामने एक 45-50 सालके वयस्क औरतकी तस्वीर आ गई थी… ” वह अब खुलकर बाते कर रहा था.
शरवरीभी बडी चतूराईसे अपने चेहरेके भाव छिपाकर गंभीर मुद्रा धारण करती हूई बोली,
” कहां… मै कहा मुस्कुरा रही हूं ?… ”
तभी अंजलीके कॉम्प्यूटरका बझर बजा. अंजलीने झटसे मुडकर अपने कॉम्प्यूटरके मॉनीटरकी तरफ देखा और फिरसे रिपोर्ट पढनेमें व्यस्त हो गई.
” दो दिनसे मै देख रही हूं की जबभी चाटींगका बझर बजता है तुम सारे कामधाम छोडकर मॉनीटरकी तरफ देखती हो … क्या किसीके मेसेजकी या मेलकी राह देख रही हो ? ” शरवरीने पुछा.
” नहीतो ?” अंजलीने कहा और फिरसे अपने टेबलपर रखे रिपोर्ट पढनेमें व्यस्त होगई, या कमसे कम वैसे जतानेकी कोशीश करने लगी. कॉम्प्यूटरका बझर फिरसे बजा. अंजलीने फिरसे छटसे मॉनीटरकी तरफ देखा और इस बार वह अपनी पहिएवाली कुर्सी झटकेसे घुमाकर कॉम्प्यूटरकी तरफ अपना रुख कर बैठ गई.
” यह जरुर विवेकका मेसेज है ” शरवरी फिरसे उसे छेडते हूए बोली.
” किस विवेकका ?” अंजलीभी कुछ समझी नही ऐसा जताते हूए बोली.
” किस विवेकका? … वही जो उस दिन चॅटींगपर मिला था ” शरवरीभी उसे छोडनेके मुडमें नही थी.
” यह तुम इतने यकिनके साथ कैसे कह सकती हो ?” अंजलीने कॉम्प्यूटरपर काम करते हूए पुछा.
” मॅडम आपके चेहरेकी लाली सब कुछ बता रही है ” शरवरी मुस्कुराते हूए बोली.
पहले तो अंजलीके चेहरेपर चोरी पकडने जैसे झेंपभरे भाव आ गए. लेकिन झटसे अपने आपको संभालते हूए वह शरवरीपर गुस्सा होते हूए बोली.
” तूम जरा मेरा पिछा छोडोगी… कबसे मै देख रही हो मेरे पिछेही पडी हो… उधर बाहर देखो ऑफिसके कितने काम पेंडीग पडे हूए है…. वह जरा देखके आओ.. जाओ ..” अंजलीने कहा.
अंजलीका इशारा समझकर शरवरी वहांसे उठ गई और मुस्कुराते हूए वहांसे चली गई.
शरवरी जानेके बाद अंजलीने झटसे कॉम्प्यूटर पर अभी अभी आया हूवा विवेकका मेसेज खोला.
अंजलीने कॉम्प्यूटरपर आया हुवा विवेकका चॅटींग मेसेज खोला तो सही, लेकिन खोलते वक्त उसका दिल जोर जोरसे धडक रहा था. उसे अपने इस बेचैन स्थितीपर खुदही आश्चर्य हो रहा था. उसने झटसे उसने भेजा हुवा मेसेज पढा –
” हाय गुड मॉर्निंग … हाऊ आर यू?” उसके मेसेज विंडोमें लिखा था.
वह कही उसमें फसती तो नही जा रही है – इस बातकी उसने तस्सल्ली करते हूए बडी सावधानीसे जवाब टाईप किया –
” फाईन…”
और अपने मनकी अधिरता वह भांप ना पाए इसलिए मनही मन सौ तक गिना और फिर काफी समय हो गया है इसकी तसल्ली करते हूए ‘सेंड’ बटनपर क्लीक किया.
” कल मै बाहर गया था ” उधरसे तूरंत विवेकका मेसेज आ गया.
‘ तूम कल चॅटींगपर क्यो नही मिले ?’ इस अंजलीके दिमागमें घुम रहे सवालका जवाब देकर उसने मानो उसके दिलका हाल जान लिया था ऐसा उसे लगा.
वह अपने मनको पढ तो नह सकता है? …
अंजलीके मन मे आया.
” अच्छा अच्छा ” उसने भी खबरदारी के तौरपर अपनी रुखी रुखी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
” और कुछ पुछोगी नही ?” उसने पुछा.
वह उसका मेसेज आनेके बाद जवाब देनेमें जानबुझकर देरी लगा रही थी, लेकिन उसके मेसेजेस तुरंत, मानो मेसेज मिलनेके पहलेही टाईप किए हो ऐसे जल्दी जल्दी आ रहे थे.
” तूमही पुछो ” उसने रिप्लाय भेजा.
उसे लडकी देखनेके लिए लडका आनेके बाद, एक अलग कमरेमें जाकर जैसे बाते करते है, ऐसा लग रहा था.
” अरे हां उस दिन मैने तुम्हे ब्लॅंक मेल इसलिए भेजी थी की मुझे तुम्हारी कुछभी जानकारी नही… फिर क्या लिखता ?… लेकिन मेल भेजे बिनाभी रहा नही जा रहा था … इसलिए भेज दी ब्लॅंक मेल..”
फिर उसनेही पहल करते हूए पुछा, ” अच्छा तुम क्या करती हो? … मेरा मतलब पढाई या जॉब?”
” मैने बी. ई. कॉम्प्यूटर किया हूवा है … और जी. एच. इन्फॉरमॅटीक्स इस खुदके कंपनीकी मै फिलहाल मॅनेजींग डायरेक्टर हूं ” उसने मेसेज भेजा.
उसे पता था की चॅटींगमें पहलेही खुदकी सच जानकारी देना खतरनाक हो सकता है. फिरभी वह खुदको रोक नही सकी, मानो जानकारी टाइप कर रही उंगलीयोंपर उसका कोई कन्ट्रोल नही रहा था.
“” अरे बापरे!.. ” उधरसे विवेककी प्रतिक्रिया आ गई.
” तुम्हे तुम्हारे उम्रके बारेमें पुछा तो गुस्सा तो नही आएगा ?… नही … मतलब मैने कही पढा है की लडकियोंको उनके उम्रके बारेमें पुछना अच्छा नही लगता है. … ” उसने उसे बडी खबरदारीके साथ सवाल पुछा.
उसने भेजा , ” 23 साल”
” अरे यह तो मुझे पताही था… मैने तुम्हारे मेल आयडीसे मालूम किया था…. सच कहूं ? तूमने जब बताया की तूम मॅनेजींग डायरेक्टर हो … तो मेरे सामने एक 45-50 सालके वयस्क औरतकी तस्वीर आ गई थी… ” वह अब खुलकर बाते कर रहा था.