चुदसी आंटी और गान्डू दोस्त sex hindi long story
Re: चुदसी आंटी और गान्डू दोस्त sex hindi long story
अजय: “किसलिए भैया?”
में: “तेरे जैसे मस्तने लौंदे से जब मेरा जैसा पक्का लौंडेबाज़ पेंट खोलने के लिए कहता है तो तू मतलब समझ.”
अजय: “भैया मुझे आज नहीं मरानी.”
में: “देखा, समझ आ गई ना. पर मराएगा नहीं तो क्या आपनी आंटी छुड़ाएगा.?”
अजय: “आप आंटी को बार बार बीच में लाते हैं. आप आंटी के सामने भी कह रहे थे की मेरे दोस्त आंटी को भी सकर्कंड खिलाते थे या नहीं. उन दोनो की क्या मज़ाल की मेरी आंटी की तरफ आँख उठा के भी देख लेते; सालों के काट के हाथ में पकड़ा देता. भैया आपकी भी हद हो गई. आंटी को कह दिया की उसके लिए केलों की कमी नहीं रखेंगे. भला आंटी क्या सोचेगी? अच्छा बताइए, क्या आप आपने नीचे वाला केला आंटी को भी खिला देंगे?”
में: “अरे तू नहीं जानता आंटी जैसी जवान, शौकीन और मस्त औरात की पीड़ा. अंकल ने पिच्छले 15 साल से बिस्तर पकड़ रखा था. वी आपने खुद के काम खुद नहीं कर सकते थे. तो आंटी को चोदना तो दूर उसे वी शायद हाथ भी ना लगाते हू. और आपनी आंटी जैसी स्वाभिमानी और मन मर्यादा का ख़याल रखने वाली औरात से यह उम्मीद थोड़े ही की जा सकती है की उसने गाँव में यार पाल रखे हो. कहने का मतलब पिच्छले 15 साल से उसकी चुत उँचुद़ी है, वा चुदसी है, उसे लंड की ज़रूरात है. दोस्त आंटी की मस्त गड्राई चुत और फूली गान्ड की सेवा के लिए मेरा लॅंड तो हमैइषा तैयार है. अरे बाबा ना… ना…. मेने भी किस के सामने यह बात कह दी. तू कहीं मेरा भी काट के मेरे हाथ में ना पकड़ा दे.”
अजय: “मेरे हाथों आप वाले की काटने की बात… भैया सुन के ही मेरे शरीर में तो झुरजुरी सी दौड़ गई. आप वाले गुड्डे को तो में आपनी तीजौरी में बंद करके टला लगा दूँगा.”
में: “अब पेंट भी खोलो ना, आपनी तीजौरी के मुख का तो दर्शन काराव. आंटी को चोदने की बात करके लंड मूसल सा खड़ा हो गया है. आपनी मस्त आंटी को चोदने की बात करके यह हाल है तो उसको पूरी नंगी करके चोदते समय क्या होगा?” अजय खड़ा हो गया और उसने आपनी पेंट और शर्ट उतार दी. अब वा ब्रीफ और बाणयान में था.
अजय: “भैया कल आपने मेरा चूस के जो मज़ा दिया था उस मज़ा को तो में बता नहीं सकता. वैसा मज़ा मुझे कल से पहले जिंदगी में कभी नहीं मिला. लंड चुसवाने में इतना मज़ा है मुझे पता ही नहीं था. में तो सातवें आसमान की शायर कर रहा था. भैया आज में भी आप का चूसूंगा और आपको भी वा मज़ा दूँगा जो मज़ा कल आपने मुझे दिया था.” मेने ब्रीफ के उपर से अजय की उभरी गान्ड आपनी मुट्ठी में कस ली और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
में: “तो तू मेरा लंड चूसेगा? कल तो तू बार बार मुझे माना कर रहा था. तुझे पेशाब करने वाली चीज़ से घिन नहीं आएगी?”
अजय: “भैया, अब तो आप मेरे मुख में धार भी मार देंगे तो घिन नहीं आएगी. भैया जितना प्यार मुझे आपसे है उतना ही प्यार आपके लंड से है.. में आपका ग्युलम हूँ, आपके लंड का सेवक हूँ, आपकी हर बात मानना ही मेरा सबसे बड़ा धर्म है.”
में: “अरे मुन्ना आज तो तू बड़ी सयानी सयानी बातें कर रहा है. एक ही दिन में तू बड़ा हो गया रे. जैसे कंवारी लड़की एक बार छुड़ाते ही पूरी सयानी हो जाती है वैसे ही भैया से एक बार गान्ड मरवाते ही तू तो पूरा सयाना हो गया. इसका मतलब उन दोनो छूतियों ने तेरी उपर उपर से मारी थी. वास्तव में तो तेरी गान्ड कुँवारी ही थी, इसकी सील तो कल मेने ही तोड़ी है. तो तू भैया का चूसेगा? तू भी क्या याद रखेगा? कल जीतने प्यार से तेरी मारी थी आज उतने ही प्यार से तुझे चूसवँगा.” यह कह मेने आपना नाइट पयज़ामा, ब्रेइफ और गांजी सारे कपड़े उतार दिए. मेने दोनो टाँगें सोफे के हॅंडल पर रख ली और सामने शीशे में खूँटे सा सर उठाए मेरे लंड का प्रातिबिंब मुझे गौरवान्वित कर रहा था.
अजय ब्रेइफ और बानयन में खड़ा मेरे लंड को निहार रहा था. तभी में उठा और अजय के पिच्चे खड़ा हो गया. मेरा बिल्कुल सीधा खड़ा लंड उसकी गान्ड के दरार में धँस रहा था. मेने अजय की बानयन खोल दी और ठुड्डी से पकड़ उसका चेहरा उपर उठा लिया और उसके चेहरे पर झुक गया. मुन्ना के मंद मंद मुस्काते होंठों को आपने होंठों में कस लिया और अत्यंत कामतूर हो उसके होंठ चूसने लगा. प्यारे दोस्त का लूंबा सा चुंबन लेने के बाद में अजय के आयेज घुटनों के बाल बैठ गया और उसका ब्रेइफ भी खोल दिया. अजय का लंड बिल्कुल खड़ा था. कुच्छ देर में उसकी गोटियों को डबाता रहा और उनसे खेलता रहा. दो टीन बार लंड को भी मुट्ठी में कसा. अब में वापस खड़ा हो गया और एक पाँव ड्रेसिंग टेबल पर रख दिया.
में: “ले मुन्ना, देख इसे और खूब प्यार कर. खूब प्यार से पूरा मुख में ले चूसना. ऐसा मस्त लंड चूसेगा तो पूरा मस्त हो जाएगा. जितना मज़ा चुसवाने वाले को आता है उतना ही मज़ा चूसने वाले को भी आता है. आज कल की फॉर्वर्ड और मस्त तबीयत की औरातें तो चुदवाने से पहले मर्दों का पूरा मुख में ले जी भर के चूस्टी है और जब पूरी मस्त हो जाती है तब गान्ड उच्छल उच्छल के चुद़वति है.” मेरी बात सुन के अजय ड्रेसिंग टेबल पर मेरे खड़े लंड के सामने बैठ गया, मेरा मस्ठाना लंड उसके चेहरे पर लहरा रहा था. मेने आपना लंड एक हाथ में ले लिया और अजय के चेहरे पर लंड को फिराने लगा. ड्रेसिंग टेबल के आदमकद आईने में दोनो दोस्त यह मनोरम दृश्या देख रहे थे की बड़ा भैया आपने कमसिन छ्होटे दोस्त को आपना मस्ठाना लंड कैसे दिखा रहा है.
में: “क्यों मुन्ना मुख में पानी आ रहा है क्या? ले चूस इसे. देख भैया तुझे कितने प्यार से आपना लॅंड चूसा रहे हैं?” मेरी बात सुन अजय ने मेरे लंड का सुपारा आपने मुख में ले लिया. वा कई देर मेरे सुपारे पर आपनी जीभ फिराता रहा. तभी में और आयेज सरक गया और अजय के सर के पिच्चे आपने दोनो हाथ रख उसके सर को मेरे लंड पर दबाता चला गया. मुन्ना जैसे जैसे आपना मुख खोलता गया वैसे ही मेरा लंड उसके मुख में समाने लगा. मेरा लंड शायद उसके हलाक तक उतार गया था. उसके मुख में थोड़ी भी जगह शेष नहीं बची थी. लंड उसके मुख में तस गया और चूसने के लिए उसके मुख में और जगह नहीं बची थी.
में: “तेरा तो पूरा मुख मेरे इस लंड से भर गया. चल पलंग पर चल. वहाँ तुझे लिटा कर तेरा मुख ठीक से पेलूँगा.” मेरी बात सुन अजय ने लंड मुख से निकाल दिया और बेड पर चिट लेट गया. मेने उसके मुख के दोनों और आपने घुटने रख आसान जमा लिया और उसके खुले मुख में लंड पेलने लगा. आब में लंड बाहर भीतर कर रहा था जिससे की लंड उसके थूक से तार हो चिकना हो रहा था. जैसे जैसे लंड थूक से तार होने लगा वा आसानी से मुख के अंदर सामने लगा और लंड को बाहर भीतर कर मुन्ना के मुख को चोदने में भी सहूलियत होने लगी. इस आसान में मेईन कई देर अजय के मुख को चोदता रहा.
फिर इसी आसान में में अचानक पलट गया जिससे की मेरी गान्ड अजय के चेहरे के सामने हो गई और मेरा मुख ठीक अजय के खड़े लंड के सामने आ गया. मेने पूरा मुख खोल गॅप से अजय के लंड को आपने मुख में भर लिया. में पूरी मस्ती में था. में बहुत तेज़ी से आपना मुख उपर नीचे करते हुए अजय के लंड को चूसने लगा. मेरी इस हरकत से अजय भी पूरी मस्ती में आ गया और पुर मनोयोग से मेरे लंड को चूसने लगा. हूँ दोनो पुर जवान सगे दोस्त वासना में भरे एक दूसरे के तगड़े लंड चूज़ जा रहे थे. तबाही में करवट के बाल लेट गया और अजय की मस्ठानी गान्ड मुट्ठी में जाकड़ उसे भी करवट के बाल कर लिया. मेने अजय का लंड जड़ तक आपने मुख में ले उसे कस के आपने मुख पर भींच लिया. मेरी देखा देखी अजय ने भी वैसा ही किया. हम 69 की पोज़िशन का पूरा मज़ा ले रहे थे. एक दूसरे के पेल्विस को आपने आपने मुखों पर दबाए आपने जोड़ीदार को ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा देने की कोशिश कर रहे थे. वासना के अतिरेक में मेने अजय की गान्ड में एक अंगुल पेल दी और उसे आपने मुख पर जकड़ने लगा.
में: “तेरे जैसे मस्तने लौंदे से जब मेरा जैसा पक्का लौंडेबाज़ पेंट खोलने के लिए कहता है तो तू मतलब समझ.”
अजय: “भैया मुझे आज नहीं मरानी.”
में: “देखा, समझ आ गई ना. पर मराएगा नहीं तो क्या आपनी आंटी छुड़ाएगा.?”
अजय: “आप आंटी को बार बार बीच में लाते हैं. आप आंटी के सामने भी कह रहे थे की मेरे दोस्त आंटी को भी सकर्कंड खिलाते थे या नहीं. उन दोनो की क्या मज़ाल की मेरी आंटी की तरफ आँख उठा के भी देख लेते; सालों के काट के हाथ में पकड़ा देता. भैया आपकी भी हद हो गई. आंटी को कह दिया की उसके लिए केलों की कमी नहीं रखेंगे. भला आंटी क्या सोचेगी? अच्छा बताइए, क्या आप आपने नीचे वाला केला आंटी को भी खिला देंगे?”
में: “अरे तू नहीं जानता आंटी जैसी जवान, शौकीन और मस्त औरात की पीड़ा. अंकल ने पिच्छले 15 साल से बिस्तर पकड़ रखा था. वी आपने खुद के काम खुद नहीं कर सकते थे. तो आंटी को चोदना तो दूर उसे वी शायद हाथ भी ना लगाते हू. और आपनी आंटी जैसी स्वाभिमानी और मन मर्यादा का ख़याल रखने वाली औरात से यह उम्मीद थोड़े ही की जा सकती है की उसने गाँव में यार पाल रखे हो. कहने का मतलब पिच्छले 15 साल से उसकी चुत उँचुद़ी है, वा चुदसी है, उसे लंड की ज़रूरात है. दोस्त आंटी की मस्त गड्राई चुत और फूली गान्ड की सेवा के लिए मेरा लॅंड तो हमैइषा तैयार है. अरे बाबा ना… ना…. मेने भी किस के सामने यह बात कह दी. तू कहीं मेरा भी काट के मेरे हाथ में ना पकड़ा दे.”
अजय: “मेरे हाथों आप वाले की काटने की बात… भैया सुन के ही मेरे शरीर में तो झुरजुरी सी दौड़ गई. आप वाले गुड्डे को तो में आपनी तीजौरी में बंद करके टला लगा दूँगा.”
में: “अब पेंट भी खोलो ना, आपनी तीजौरी के मुख का तो दर्शन काराव. आंटी को चोदने की बात करके लंड मूसल सा खड़ा हो गया है. आपनी मस्त आंटी को चोदने की बात करके यह हाल है तो उसको पूरी नंगी करके चोदते समय क्या होगा?” अजय खड़ा हो गया और उसने आपनी पेंट और शर्ट उतार दी. अब वा ब्रीफ और बाणयान में था.
अजय: “भैया कल आपने मेरा चूस के जो मज़ा दिया था उस मज़ा को तो में बता नहीं सकता. वैसा मज़ा मुझे कल से पहले जिंदगी में कभी नहीं मिला. लंड चुसवाने में इतना मज़ा है मुझे पता ही नहीं था. में तो सातवें आसमान की शायर कर रहा था. भैया आज में भी आप का चूसूंगा और आपको भी वा मज़ा दूँगा जो मज़ा कल आपने मुझे दिया था.” मेने ब्रीफ के उपर से अजय की उभरी गान्ड आपनी मुट्ठी में कस ली और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
में: “तो तू मेरा लंड चूसेगा? कल तो तू बार बार मुझे माना कर रहा था. तुझे पेशाब करने वाली चीज़ से घिन नहीं आएगी?”
अजय: “भैया, अब तो आप मेरे मुख में धार भी मार देंगे तो घिन नहीं आएगी. भैया जितना प्यार मुझे आपसे है उतना ही प्यार आपके लंड से है.. में आपका ग्युलम हूँ, आपके लंड का सेवक हूँ, आपकी हर बात मानना ही मेरा सबसे बड़ा धर्म है.”
में: “अरे मुन्ना आज तो तू बड़ी सयानी सयानी बातें कर रहा है. एक ही दिन में तू बड़ा हो गया रे. जैसे कंवारी लड़की एक बार छुड़ाते ही पूरी सयानी हो जाती है वैसे ही भैया से एक बार गान्ड मरवाते ही तू तो पूरा सयाना हो गया. इसका मतलब उन दोनो छूतियों ने तेरी उपर उपर से मारी थी. वास्तव में तो तेरी गान्ड कुँवारी ही थी, इसकी सील तो कल मेने ही तोड़ी है. तो तू भैया का चूसेगा? तू भी क्या याद रखेगा? कल जीतने प्यार से तेरी मारी थी आज उतने ही प्यार से तुझे चूसवँगा.” यह कह मेने आपना नाइट पयज़ामा, ब्रेइफ और गांजी सारे कपड़े उतार दिए. मेने दोनो टाँगें सोफे के हॅंडल पर रख ली और सामने शीशे में खूँटे सा सर उठाए मेरे लंड का प्रातिबिंब मुझे गौरवान्वित कर रहा था.
अजय ब्रेइफ और बानयन में खड़ा मेरे लंड को निहार रहा था. तभी में उठा और अजय के पिच्चे खड़ा हो गया. मेरा बिल्कुल सीधा खड़ा लंड उसकी गान्ड के दरार में धँस रहा था. मेने अजय की बानयन खोल दी और ठुड्डी से पकड़ उसका चेहरा उपर उठा लिया और उसके चेहरे पर झुक गया. मुन्ना के मंद मंद मुस्काते होंठों को आपने होंठों में कस लिया और अत्यंत कामतूर हो उसके होंठ चूसने लगा. प्यारे दोस्त का लूंबा सा चुंबन लेने के बाद में अजय के आयेज घुटनों के बाल बैठ गया और उसका ब्रेइफ भी खोल दिया. अजय का लंड बिल्कुल खड़ा था. कुच्छ देर में उसकी गोटियों को डबाता रहा और उनसे खेलता रहा. दो टीन बार लंड को भी मुट्ठी में कसा. अब में वापस खड़ा हो गया और एक पाँव ड्रेसिंग टेबल पर रख दिया.
में: “ले मुन्ना, देख इसे और खूब प्यार कर. खूब प्यार से पूरा मुख में ले चूसना. ऐसा मस्त लंड चूसेगा तो पूरा मस्त हो जाएगा. जितना मज़ा चुसवाने वाले को आता है उतना ही मज़ा चूसने वाले को भी आता है. आज कल की फॉर्वर्ड और मस्त तबीयत की औरातें तो चुदवाने से पहले मर्दों का पूरा मुख में ले जी भर के चूस्टी है और जब पूरी मस्त हो जाती है तब गान्ड उच्छल उच्छल के चुद़वति है.” मेरी बात सुन के अजय ड्रेसिंग टेबल पर मेरे खड़े लंड के सामने बैठ गया, मेरा मस्ठाना लंड उसके चेहरे पर लहरा रहा था. मेने आपना लंड एक हाथ में ले लिया और अजय के चेहरे पर लंड को फिराने लगा. ड्रेसिंग टेबल के आदमकद आईने में दोनो दोस्त यह मनोरम दृश्या देख रहे थे की बड़ा भैया आपने कमसिन छ्होटे दोस्त को आपना मस्ठाना लंड कैसे दिखा रहा है.
में: “क्यों मुन्ना मुख में पानी आ रहा है क्या? ले चूस इसे. देख भैया तुझे कितने प्यार से आपना लॅंड चूसा रहे हैं?” मेरी बात सुन अजय ने मेरे लंड का सुपारा आपने मुख में ले लिया. वा कई देर मेरे सुपारे पर आपनी जीभ फिराता रहा. तभी में और आयेज सरक गया और अजय के सर के पिच्चे आपने दोनो हाथ रख उसके सर को मेरे लंड पर दबाता चला गया. मुन्ना जैसे जैसे आपना मुख खोलता गया वैसे ही मेरा लंड उसके मुख में समाने लगा. मेरा लंड शायद उसके हलाक तक उतार गया था. उसके मुख में थोड़ी भी जगह शेष नहीं बची थी. लंड उसके मुख में तस गया और चूसने के लिए उसके मुख में और जगह नहीं बची थी.
में: “तेरा तो पूरा मुख मेरे इस लंड से भर गया. चल पलंग पर चल. वहाँ तुझे लिटा कर तेरा मुख ठीक से पेलूँगा.” मेरी बात सुन अजय ने लंड मुख से निकाल दिया और बेड पर चिट लेट गया. मेने उसके मुख के दोनों और आपने घुटने रख आसान जमा लिया और उसके खुले मुख में लंड पेलने लगा. आब में लंड बाहर भीतर कर रहा था जिससे की लंड उसके थूक से तार हो चिकना हो रहा था. जैसे जैसे लंड थूक से तार होने लगा वा आसानी से मुख के अंदर सामने लगा और लंड को बाहर भीतर कर मुन्ना के मुख को चोदने में भी सहूलियत होने लगी. इस आसान में मेईन कई देर अजय के मुख को चोदता रहा.
फिर इसी आसान में में अचानक पलट गया जिससे की मेरी गान्ड अजय के चेहरे के सामने हो गई और मेरा मुख ठीक अजय के खड़े लंड के सामने आ गया. मेने पूरा मुख खोल गॅप से अजय के लंड को आपने मुख में भर लिया. में पूरी मस्ती में था. में बहुत तेज़ी से आपना मुख उपर नीचे करते हुए अजय के लंड को चूसने लगा. मेरी इस हरकत से अजय भी पूरी मस्ती में आ गया और पुर मनोयोग से मेरे लंड को चूसने लगा. हूँ दोनो पुर जवान सगे दोस्त वासना में भरे एक दूसरे के तगड़े लंड चूज़ जा रहे थे. तबाही में करवट के बाल लेट गया और अजय की मस्ठानी गान्ड मुट्ठी में जाकड़ उसे भी करवट के बाल कर लिया. मेने अजय का लंड जड़ तक आपने मुख में ले उसे कस के आपने मुख पर भींच लिया. मेरी देखा देखी अजय ने भी वैसा ही किया. हम 69 की पोज़िशन का पूरा मज़ा ले रहे थे. एक दूसरे के पेल्विस को आपने आपने मुखों पर दबाए आपने जोड़ीदार को ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा देने की कोशिश कर रहे थे. वासना के अतिरेक में मेने अजय की गान्ड में एक अंगुल पेल दी और उसे आपने मुख पर जकड़ने लगा.
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अजय भी उधर खूब तेज़ी से मेरे लंड को मुख से बाहर भीतर कराता हुवा चूज़ जा रहा था. उसने भी मेरे दोनो नितंब आपने हाथों में समा लिए थे और मेरे लंड को जड़ तक आपने मुख में ले आपने नातुने मेरे झांतों से भरे जंगल में गाड़ा दिए. मेरी मर्दाना खुश्बू में मस्त हो मेरा दोस्त मेरा लंड बड़े चाव से चूसे जा रहा था. अब में किसी भी समय छूट सकता था. मेरी साँसें तेज़ तेज़ चलने लगी. मेने अजय के लंड को आपने मुख में कस लिया मानो की में उसके रस की एक एक बूँद निचोड़ लेना चाहता हूँ. तभी मेने आपनी दोनों टाँगों के बीच अजय के सर को जाकड़ लिया ताकि जब में च्चार्च्छरा के झदून तब मेरा लंड किसी भी हालत में उसके मुख से बाहर ना निकले.
तभी मेरे लंड से लावा बह निकला. में पूर्ण संतुष्ट हो कर झाड़ रहा था. रह रह कर मेरे वीर्या की धार अजय के मुख में गिर रही थी. अजय ने मेरे पुर लंड को मुख में ले रखा था और दोस्त के इस अनमोल मर्डाने रस को सीधे आपने हलाक में उतार रहा था. तभी अजय ने भी गाढ़े वीर्या की पिचकारी मेरे मुख में छोड़ दी. मेने उसके लंड को मुँह में कस लिया और उसके वीर्या की एक एक बूँद उसके लंड से निचोड़ पीने लगा. उधर अजय भी मेरे वीर्या की एक भी बूँद व्यर्थ नहीं कर रहा था. हम दोनो दोस्त इसी मुद्रा में कई देर पड़े रहे. अजय का लंड मेरे मुख में सिथिल पड़ता जा रहा था साथ ही मेरा लंड भी मुरझाने लगा. कई देर बाद अजय उठा. उसने ब्रीफ और बानयन पहन ली और बेड पर निढाल हो प़ड़ गया. में वैसे ही पड़ा रहा और उसी मुद्रा में मुझे नींद आ गई. सुबह जब नींद खुली तो अजय गाढ़ी नींद में था. में आपनी स्थिति देख और रात के घटनाकरम की याद कर मुस्करा उठा और वैसे ही बाथरूम में घुस गया.
स्टोर पाहूंछ मेने एक वक़ील से बात की और अजय को उसके साथ कोर्ट भेज दिया. उसने पवर ऑफ अटर्नी तैयार कर दी. यह तय हो गया की अजय आज रात ही 10 बजे ट्रेन से गाँव के लिए निकल जाएगा जो गाँव से 25 काइलामीटर दूर स्टेशन पर सुबह पाहूंछ जाती थी. रात घर पाहूंछ अजय को खेत के पत्ते और अन्या ज़रूरी कागजात सौंप दिए, सारी बातें समझा दी और उसे आपनी बाइक पर बिठा स्टेशन छोड़ दिया. स्टेशन से वापस घर पाहूंचने के बाद आंटी से कोई बात नहीं हुई और में आपने रूम में जा सो गया.
दूसरे दिन सुबह जब नींद टूटी तो में आपनी आंटी के बड़े में सोचने लगा. मेरी आंटी यानी की मेरी प्यारी राधा रानी 46 साल की है पर किसी भी हालत में 40 से ज़्यादा की नहीं लगती. आंटी भी हम दोनो भाइयों की तरह ही कद्दावर कद की और सुगठित शरीर की है. आंटी का शरीर मांसल और भरा हुवा है पर किसी भी हालत में मोटी नहीं कही जा सकती; एक सुंदर औरात के शरीर में जहाँ भराव होने चाहिए वहीं पर भराव हैं. गोल चेहरा और उस पर फूले फूले गाल की गालों को चूस्टे चूस्टे जी नहीं भरे, सदा मुस्करते रसीले होंठ जिन का रास्पान करने कोई भी आतुर हो जाय, च्चती पर दो कसे हुए बड़े बड़े गोल स्तन की उनका मर्दन करने हथेली में खुजली चल पड़े, फिर कुच्छ पतली कमर और कमर ख़त्म होते ही भारी उभरे हुए नितंब और विशाल फैली हुई जांघें की बस उनका तकिया बना सोते रहें और सोते रहें.
खेली खाई, बड़ी उमर की, भरे बदन की सलीके से रहनेवाली औरातें सदा से ही मेरी कमज़ोरी रही है. फिर मेरी आंटी तो साक्षात राति देवी की अवतार थी और हर दिन नये नये रूप में नही सजधज के साथ मेरी आँखों के आयेज रहती थी तो उसकी ओर मेरा आकर्षण होना स्वाभाविक था. जैसे मुझे अजय के रूप में अनायास ही एक पता पटाया मस्त, चिकना लौंडा मिल गया और दो ही दिन में वा मेरा दीवाना हो गया, मेरे हर हुकाँ का ग्युलम हो गया क्या वैसे ही मेरे सपनों की रानी राधा भी मुझे मिल जाएगी. में आंटी के मामले में कोई भी जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था, ऐसी कोई भी हरकत नहीं करना चाहता था की उसका दिल दुख जाय. में धीरे धीरे आंटी को आपनी बना लेना चाहता था की उसके साथ खुल के में आपनी हवस मितओन, आपने जैसी बेबाक बेशरम बना के खुल के उसके साथ व्यभिचार करूँ, बिल्कुल खुली बातें करते हुए उसके शरीर के खजाने को भोग़ूण. ऐसी आंटी पाने के लिए में कितना ही इंतज़ार कर सकता था. आंटी के साथ यह सब करने में अजय अब मेरे लिए बढ़ा नहीं था बल्कि मेरा सहयोगी साहबित होने वाला था. अजय जैसे शौकीन लौंदे के साथ आंटी को भोगने में तो और मज़ा आएगा. अजय गान्डू तो है पर पूरा मर्द भी है, एक बार उसे आंटी की जवानी चखा दूँगा तो वा मेरा और पक्का चेला बन जाएगा.
सुबह 10 बजे स्टोर जाते समय माने रोज की तरह नास्टा कराया. हम दोनो दोस्त दिन का भोजन स्टोर के कांतीं में ही करते थे. नास्टा करते समय मेने आंटी से कहा,
“आंटी अभी कुच्छ ही दीनो पहले चंडीगार्ह में एक बहुत आलीशान मल्टिपलेक्स खुला है. उसमें बड़ी मस्त पिक्चर लगी है. उसमें शहर की सबसे अच्छी रेस्टोरेंट भी खुली है. मेने भी उसे अभी तक नहीं देखा. बोलो, तुम्हारी इच्छा हो तो शाम को पिक्चर देखेंगे और वहीं खाना खाएँगे.”
आंटी: ” में तो आज से 10-12 साल पहले पास वाले शहर में गाँव की कुच्छ लुगायों के साथ ‘जे संतोषी आंटी‚ देखने गई थी. मुझे तो पिक्चर देख के बहुत मज़ा आया था. उसके बाद तो मुझे वहाँ गाँव से शहर पिक्चर दिखाने कौन ले जाता?.”
में: “अरे आंटी अब पूरनी बातों को भूल जाओ. अब में हूँ ना. तुम्हें खूब पिक्चर दिखावँगा. में 5 बजे घर आ जवँगा और आज बाहर का ही मज़ा लेंगे.” माअनए खुश हो हामी भर दी.
शाम को मेरे स्टोर में कुच्छ काम आ गया तो मेने आंटी को मोबाइल पर कह दिया की वा रीडी हो कर 6 बजे तक स्टोर में ही आ जाय वहीं से सीधे सिनिमा हॉल में चले जाएँगे. मेने अड्वान्स में 2 टिकेट्स बुक करवा न्यू एअर थी और शो ठीक 6.30 पर शुरू होने वाला था. आंटी सजधज के 6 बजे स्टोर में आ गई. माने हल्के गुलाबी रंग की सारी और मॅचिंग ब्लाउस पहन रखा था. हल्के मेक उप में भी आंटी का रूप निखरा हुवा था. हम फ़ौरन स्टोर से निकल गये और 15 मिनिट में हम बाइक पर हॉल में पाहूंछ गये. हॉल बहुत ही शानदार बना था. हॉल के इंटीरियर मन को मोहने वाले थे. पिक्चर शुरू होने के कुच्छ देर पहले हम हॉल में आ गये.
कुच्छ ही देर में हॉल की बत्तियाँ गुल हो गई और कुच्छ आड्स के बाद पिक्चर शुरू हो गई. पिक्चर कुच्छ रोमॅंटिक और बहुत मस्त थी. हीरो हेरिने की च्छेड़छाड़, मस्त गाने, द्वि आराती संवाद, बेडरूम सीन इत्यादि सारा मसाला था. पिक्चर 9 बजे के करीब ख़त्म हो गई. कुच्छ देर मल्टिपलेक्स के शॉपिंग सेंटर्स देखे और फिर रेस्टोरेंट में आ गये. आंटी की पसंद पुचहके खाने का ऑर्डर दिया, तबीयत से दोनोने भोजन का आनंद लिया और 10.30 के करीब घर पाहूंछ गये. हमारी आजकी शुरुआती शाम बहुत ही अच्छी गुज़री. आंटी को सब कुच्छ बहुत अच्छा लगा.
घर पाहूंछ कर आंटी बहुत खुश थी. सोफे पर बैठते हुए आंटी बोली, “विजय तुम मेरा कितना ख़याल रखते हो. तुम्हारे साथ पिक्चर देख के, घूम के, होटेल में खाना ख़ाके बहुत अच्छा लगा. यहाँ शहर में लोग आपने हिसाहब से जिंदगी जीते हैं. में तो गाँव में लोगों का ही सोचती रहती थी की लोग क्या सोचेंगे, लोग क्या कहेंगे और आपनी सारी जिंदगी यूँ ही गँवा डी.”
आंटी की यह बात सुनते ही में बोल पड़ा,”आंटी गँवा कहाँ दी अभी तो शुरू हुई है.”
आंटी पिक्चर की बात च्छेदती हुई बोली,”बताओ इन सिनेमाओं की हेरोइनों के रख-रखाव और अंदाज़ के सामने हम लोगों की क्या जिंदगी है?”
में,”आंटी वी हेरोयिन तुम्हारे सामने क्या हैं? वी तो पाउडर और करीम में पूती हुई रहती हैं. तुम्हारे सामने तो ऐसी हज़ारों हेरोयिन पानी भाराती हैं.”
आंटी,”अच्छा तो ऐसा मेरे में क्या देखा है?”
तभी मेरे लंड से लावा बह निकला. में पूर्ण संतुष्ट हो कर झाड़ रहा था. रह रह कर मेरे वीर्या की धार अजय के मुख में गिर रही थी. अजय ने मेरे पुर लंड को मुख में ले रखा था और दोस्त के इस अनमोल मर्डाने रस को सीधे आपने हलाक में उतार रहा था. तभी अजय ने भी गाढ़े वीर्या की पिचकारी मेरे मुख में छोड़ दी. मेने उसके लंड को मुँह में कस लिया और उसके वीर्या की एक एक बूँद उसके लंड से निचोड़ पीने लगा. उधर अजय भी मेरे वीर्या की एक भी बूँद व्यर्थ नहीं कर रहा था. हम दोनो दोस्त इसी मुद्रा में कई देर पड़े रहे. अजय का लंड मेरे मुख में सिथिल पड़ता जा रहा था साथ ही मेरा लंड भी मुरझाने लगा. कई देर बाद अजय उठा. उसने ब्रीफ और बानयन पहन ली और बेड पर निढाल हो प़ड़ गया. में वैसे ही पड़ा रहा और उसी मुद्रा में मुझे नींद आ गई. सुबह जब नींद खुली तो अजय गाढ़ी नींद में था. में आपनी स्थिति देख और रात के घटनाकरम की याद कर मुस्करा उठा और वैसे ही बाथरूम में घुस गया.
स्टोर पाहूंछ मेने एक वक़ील से बात की और अजय को उसके साथ कोर्ट भेज दिया. उसने पवर ऑफ अटर्नी तैयार कर दी. यह तय हो गया की अजय आज रात ही 10 बजे ट्रेन से गाँव के लिए निकल जाएगा जो गाँव से 25 काइलामीटर दूर स्टेशन पर सुबह पाहूंछ जाती थी. रात घर पाहूंछ अजय को खेत के पत्ते और अन्या ज़रूरी कागजात सौंप दिए, सारी बातें समझा दी और उसे आपनी बाइक पर बिठा स्टेशन छोड़ दिया. स्टेशन से वापस घर पाहूंचने के बाद आंटी से कोई बात नहीं हुई और में आपने रूम में जा सो गया.
दूसरे दिन सुबह जब नींद टूटी तो में आपनी आंटी के बड़े में सोचने लगा. मेरी आंटी यानी की मेरी प्यारी राधा रानी 46 साल की है पर किसी भी हालत में 40 से ज़्यादा की नहीं लगती. आंटी भी हम दोनो भाइयों की तरह ही कद्दावर कद की और सुगठित शरीर की है. आंटी का शरीर मांसल और भरा हुवा है पर किसी भी हालत में मोटी नहीं कही जा सकती; एक सुंदर औरात के शरीर में जहाँ भराव होने चाहिए वहीं पर भराव हैं. गोल चेहरा और उस पर फूले फूले गाल की गालों को चूस्टे चूस्टे जी नहीं भरे, सदा मुस्करते रसीले होंठ जिन का रास्पान करने कोई भी आतुर हो जाय, च्चती पर दो कसे हुए बड़े बड़े गोल स्तन की उनका मर्दन करने हथेली में खुजली चल पड़े, फिर कुच्छ पतली कमर और कमर ख़त्म होते ही भारी उभरे हुए नितंब और विशाल फैली हुई जांघें की बस उनका तकिया बना सोते रहें और सोते रहें.
खेली खाई, बड़ी उमर की, भरे बदन की सलीके से रहनेवाली औरातें सदा से ही मेरी कमज़ोरी रही है. फिर मेरी आंटी तो साक्षात राति देवी की अवतार थी और हर दिन नये नये रूप में नही सजधज के साथ मेरी आँखों के आयेज रहती थी तो उसकी ओर मेरा आकर्षण होना स्वाभाविक था. जैसे मुझे अजय के रूप में अनायास ही एक पता पटाया मस्त, चिकना लौंडा मिल गया और दो ही दिन में वा मेरा दीवाना हो गया, मेरे हर हुकाँ का ग्युलम हो गया क्या वैसे ही मेरे सपनों की रानी राधा भी मुझे मिल जाएगी. में आंटी के मामले में कोई भी जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था, ऐसी कोई भी हरकत नहीं करना चाहता था की उसका दिल दुख जाय. में धीरे धीरे आंटी को आपनी बना लेना चाहता था की उसके साथ खुल के में आपनी हवस मितओन, आपने जैसी बेबाक बेशरम बना के खुल के उसके साथ व्यभिचार करूँ, बिल्कुल खुली बातें करते हुए उसके शरीर के खजाने को भोग़ूण. ऐसी आंटी पाने के लिए में कितना ही इंतज़ार कर सकता था. आंटी के साथ यह सब करने में अजय अब मेरे लिए बढ़ा नहीं था बल्कि मेरा सहयोगी साहबित होने वाला था. अजय जैसे शौकीन लौंदे के साथ आंटी को भोगने में तो और मज़ा आएगा. अजय गान्डू तो है पर पूरा मर्द भी है, एक बार उसे आंटी की जवानी चखा दूँगा तो वा मेरा और पक्का चेला बन जाएगा.
सुबह 10 बजे स्टोर जाते समय माने रोज की तरह नास्टा कराया. हम दोनो दोस्त दिन का भोजन स्टोर के कांतीं में ही करते थे. नास्टा करते समय मेने आंटी से कहा,
“आंटी अभी कुच्छ ही दीनो पहले चंडीगार्ह में एक बहुत आलीशान मल्टिपलेक्स खुला है. उसमें बड़ी मस्त पिक्चर लगी है. उसमें शहर की सबसे अच्छी रेस्टोरेंट भी खुली है. मेने भी उसे अभी तक नहीं देखा. बोलो, तुम्हारी इच्छा हो तो शाम को पिक्चर देखेंगे और वहीं खाना खाएँगे.”
आंटी: ” में तो आज से 10-12 साल पहले पास वाले शहर में गाँव की कुच्छ लुगायों के साथ ‘जे संतोषी आंटी‚ देखने गई थी. मुझे तो पिक्चर देख के बहुत मज़ा आया था. उसके बाद तो मुझे वहाँ गाँव से शहर पिक्चर दिखाने कौन ले जाता?.”
में: “अरे आंटी अब पूरनी बातों को भूल जाओ. अब में हूँ ना. तुम्हें खूब पिक्चर दिखावँगा. में 5 बजे घर आ जवँगा और आज बाहर का ही मज़ा लेंगे.” माअनए खुश हो हामी भर दी.
शाम को मेरे स्टोर में कुच्छ काम आ गया तो मेने आंटी को मोबाइल पर कह दिया की वा रीडी हो कर 6 बजे तक स्टोर में ही आ जाय वहीं से सीधे सिनिमा हॉल में चले जाएँगे. मेने अड्वान्स में 2 टिकेट्स बुक करवा न्यू एअर थी और शो ठीक 6.30 पर शुरू होने वाला था. आंटी सजधज के 6 बजे स्टोर में आ गई. माने हल्के गुलाबी रंग की सारी और मॅचिंग ब्लाउस पहन रखा था. हल्के मेक उप में भी आंटी का रूप निखरा हुवा था. हम फ़ौरन स्टोर से निकल गये और 15 मिनिट में हम बाइक पर हॉल में पाहूंछ गये. हॉल बहुत ही शानदार बना था. हॉल के इंटीरियर मन को मोहने वाले थे. पिक्चर शुरू होने के कुच्छ देर पहले हम हॉल में आ गये.
कुच्छ ही देर में हॉल की बत्तियाँ गुल हो गई और कुच्छ आड्स के बाद पिक्चर शुरू हो गई. पिक्चर कुच्छ रोमॅंटिक और बहुत मस्त थी. हीरो हेरिने की च्छेड़छाड़, मस्त गाने, द्वि आराती संवाद, बेडरूम सीन इत्यादि सारा मसाला था. पिक्चर 9 बजे के करीब ख़त्म हो गई. कुच्छ देर मल्टिपलेक्स के शॉपिंग सेंटर्स देखे और फिर रेस्टोरेंट में आ गये. आंटी की पसंद पुचहके खाने का ऑर्डर दिया, तबीयत से दोनोने भोजन का आनंद लिया और 10.30 के करीब घर पाहूंछ गये. हमारी आजकी शुरुआती शाम बहुत ही अच्छी गुज़री. आंटी को सब कुच्छ बहुत अच्छा लगा.
घर पाहूंछ कर आंटी बहुत खुश थी. सोफे पर बैठते हुए आंटी बोली, “विजय तुम मेरा कितना ख़याल रखते हो. तुम्हारे साथ पिक्चर देख के, घूम के, होटेल में खाना ख़ाके बहुत अच्छा लगा. यहाँ शहर में लोग आपने हिसाहब से जिंदगी जीते हैं. में तो गाँव में लोगों का ही सोचती रहती थी की लोग क्या सोचेंगे, लोग क्या कहेंगे और आपनी सारी जिंदगी यूँ ही गँवा डी.”
आंटी की यह बात सुनते ही में बोल पड़ा,”आंटी गँवा कहाँ दी अभी तो शुरू हुई है.”
आंटी पिक्चर की बात च्छेदती हुई बोली,”बताओ इन सिनेमाओं की हेरोइनों के रख-रखाव और अंदाज़ के सामने हम लोगों की क्या जिंदगी है?”
में,”आंटी वी हेरोयिन तुम्हारे सामने क्या हैं? वी तो पाउडर और करीम में पूती हुई रहती हैं. तुम्हारे सामने तो ऐसी हज़ारों हेरोयिन पानी भाराती हैं.”
आंटी,”अच्छा तो ऐसा मेरे में क्या देखा है?”
Re: चुदसी आंटी और गान्डू दोस्त sex hindi long story
में,”तुमको क्या पता है की तुम्हारे में क्या है. कहाँ तुम्हारा सब कुच्छ नॅचुरल और उनका सब कुच्छ बनावटी और दिखावटी”
“तूँ आजकल बातें बड़ी प्यारी प्यारी करते हो और आजकल मेरा लाड़ला बहुत शराराती हो गया है. यह सब ऐसी पिक्चर देखने का असर है.” माने मेरी और देख हँसके कहा.
में,”आंटी तुम्हारी ऐसी मुस्कराहट पर तो में सब कुच्छ कुर्बान कर डून.”
हम कुच्छ देर इसी तरह बातें करते रहे और फिर आंटी उठ खड़ी हुई और आपने रूम की और चल डी. में भी आपने रूम में आ गया और बेड पर पड़ा पड़ा कई देर आंटी के बड़े में ही सोचता रहा और ना जाने कब नींद आ गई.
दूसरे दिन सुबह जब नींद टूटी तो में आपनी आंटी के बड़े में सोचने लगा. मेरी आंटी यानी की मेरी प्यारी राधा रानी 46 साल की है पर किसी भी हालत में 40 से ज़्यादा की नहीं लगती. आंटी भी हम दोनो भाइयों की तरह ही कद्दावर कद की और सुगठित शरीर की है. आंटी का शरीर मांसल और भरा हुवा है पर किसी भी हालत में मोटी नहीं कही जा सकती; एक सुंदर औरात के शरीर में जहाँ भराव होने चाहिए वहीं पर भराव हैं. गोल चेहरा और उस पर फूले फूले गाल की गालों को चूस्टे चूस्टे जी नहीं भरे, सदा मुस्करते रसीले होंठ जिन का रास्पान करने कोई भी आतुर हो जाय, च्चती पर दो कसे हुए बड़े बड़े गोल स्तन की उनका मर्दन करने हथेली में खुजली चल पड़े, फिर कुच्छ पतली कमर और कमर ख़त्म होते ही भारी उभरे हुए नितंब और विशाल फैली हुई जांघें की बस उनका तकिया बना सोते रहें और सोते रहें.
खेली खाई, बड़ी उमर की, भरे बदन की सलीके से रहनेवाली औरातें सदा से ही मेरी कमज़ोरी रही है. फिर मेरी आंटी तो साक्षात राति देवी की अवतार थी और हर दिन नये नये रूप में नही सजधज के साथ मेरी आँखों के आयेज रहती थी तो उसकी ओर मेरा आकर्षण होना स्वाभाविक था. जैसे मुझे अजय के रूप में अनायास ही एक पता पटाया मस्त, चिकना लौंडा मिल गया और दो ही दिन में वा मेरा दीवाना हो गया, मेरे हर हुकाँ का ग्युलम हो गया क्या वैसे ही मेरे सपनों की रानी राधा भी मुझे मिल जाएगी. में आंटी के मामले में कोई भी जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था, ऐसी कोई भी हरकत नहीं करना चाहता था की उसका दिल दुख जाय. में धीरे धीरे आंटी को आपनी बना लेना चाहता था की उसके साथ खुल के में आपनी हवस मितओन, आपने जैसी बेबाक बेशरम बना के खुल के उसके साथ व्यभिचार करूँ, बिल्कुल खुली बातें करते हुए उसके शरीर के खजाने को भोग़ूण. ऐसी आंटी पाने के लिए में कितना ही इंतज़ार कर सकता था. आंटी के साथ यह सब करने में अजय अब मेरे लिए बढ़ा नहीं था बल्कि मेरा सहयोगी साहबित होने वाला था. अजय जैसे शौकीन लौंदे के साथ आंटी को भोगने में तो और मज़ा आएगा. अजय गान्डू तो है पर पूरा मर्द भी है, एक बार उसे आंटी की जवानी चखा दूँगा तो वा मेरा और पक्का चेला बन जाएगा.
सुबह 10 बजे स्टोर जाते समय माने रोज की तरह नास्टा कराया. हम दोनो दोस्त दिन का भोजन स्टोर के कांतीं में ही करते थे. नास्टा करते समय मेने आंटी से कहा,
“आंटी अभी कुच्छ ही दीनो पहले चंडीगार्ह में एक बहुत आलीशान मल्टिपलेक्स खुला है. उसमें बड़ी मस्त पिक्चर लगी है. उसमें शहर की सबसे अच्छी रेस्टोरेंट भी खुली है. मेने भी उसे अभी तक नहीं देखा. बोलो, तुम्हारी इच्छा हो तो शाम को पिक्चर देखेंगे और वहीं खाना खाएँगे.”
आंटी: ” में तो आज से 10-12 साल पहले पास वाले शहर में गाँव की कुच्छ लुगायों के साथ ‘जे संतोषी आंटी‚ देखने गई थी. मुझे तो पिक्चर देख के बहुत मज़ा आया था. उसके बाद तो मुझे वहाँ गाँव से शहर पिक्चर दिखाने कौन ले जाता?.”
में: “अरे आंटी अब पूरनी बातों को भूल जाओ. अब में हूँ ना. तुम्हें खूब पिक्चर दिखावँगा. में 5 बजे घर आ जवँगा और आज बाहर का ही मज़ा लेंगे.” माअनए खुश हो हामी भर दी.
शाम को मेरे स्टोर में कुच्छ काम आ गया तो मेने आंटी को मोबाइल पर कह दिया की वा रीडी हो कर 6 बजे तक स्टोर में ही आ जाय वहीं से सीधे सिनिमा हॉल में चले जाएँगे. मेने अड्वान्स में 2 टिकेट्स बुक करवा न्यू एअर थी और शो ठीक 6.30 पर शुरू होने वाला था. आंटी सजधज के 6 बजे स्टोर में आ गई. माने हल्के गुलाबी रंग की सारी और मॅचिंग ब्लाउस पहन रखा था. हल्के मेक उप में भी आंटी का रूप निखरा हुवा था. हम फ़ौरन स्टोर से निकल गये और 15 मिनिट में हम बाइक पर हॉल में पाहूंछ गये. हॉल बहुत ही शानदार बना था. हॉल के इंटीरियर मन को मोहने वाले थे. पिक्चर शुरू होने के कुच्छ देर पहले हम हॉल में आ गये.
कुच्छ ही देर में हॉल की बत्तियाँ गुल हो गई और कुच्छ आड्स के बाद पिक्चर शुरू हो गई. पिक्चर कुच्छ रोमॅंटिक और बहुत मस्त थी. हीरो हेरिने की च्छेड़छाड़, मस्त गाने, द्वि आराती संवाद, बेडरूम सीन इत्यादि सारा मसाला था. पिक्चर 9 बजे के करीब ख़त्म हो गई. कुच्छ देर मल्टिपलेक्स के शॉपिंग सेंटर्स देखे और फिर रेस्टोरेंट में आ गये. आंटी की पसंद पुचहके खाने का ऑर्डर दिया, तबीयत से दोनोने भोजन का आनंद लिया और 10.30 के करीब घर पाहूंछ गये. हमारी आजकी शुरुआती शाम बहुत ही अच्छी गुज़री. आंटी को सब कुच्छ बहुत अच्छा लगा.
घर पाहूंछ कर आंटी बहुत खुश थी. सोफे पर बैठते हुए आंटी बोली, “विजय तुम मेरा कितना ख़याल रखते हो. तुम्हारे साथ पिक्चर देख के, घूम के, होटेल में खाना ख़ाके बहुत अच्छा लगा. यहाँ शहर में लोग आपने हिसाहब से जिंदगी जीते हैं. में तो गाँव में लोगों का ही सोचती रहती थी की लोग क्या सोचेंगे, लोग क्या कहेंगे और आपनी सारी जिंदगी यूँ ही गँवा डी.”
आंटी की यह बात सुनते ही में बोल पड़ा,”आंटी गँवा कहाँ दी अभी तो शुरू हुई है.”
आंटी पिक्चर की बात च्छेदती हुई बोली,”बताओ इन सिनेमाओं की हेरोइनों के रख-रखाव और अंदाज़ के सामने हम लोगों की क्या जिंदगी है?”
में,”आंटी वी हेरोयिन तुम्हारे सामने क्या हैं? वी तो पाउडर और करीम में पूती हुई रहती हैं. तुम्हारे सामने तो ऐसी हज़ारों हेरोयिन पानी भाराती हैं.”
आंटी,”अच्छा तो ऐसा मेरे में क्या देखा है?”
में,”तुमको क्या पता है की तुम्हारे में क्या है. कहाँ तुम्हारा सब कुच्छ नॅचुरल और उनका सब कुच्छ बनावटी और दिखावटी”
“तूँ आजकल बातें बड़ी प्यारी प्यारी करते हो और आजकल मेरा लाड़ला बहुत शराराती हो गया है. यह सब ऐसी पिक्चर देखने का असर है.” माने मेरी और देख हँसके कहा.
में,”आंटी तुम्हारी ऐसी मुस्कराहट पर तो में सब कुच्छ कुर्बान कर डून.”
हम कुच्छ देर इसी तरह बातें करते रहे और फिर आंटी उठ खड़ी हुई और आपने रूम की और चल डी. में भी आपने रूम में आ गया और बेड पर पड़ा पड़ा कई देर आंटी के बड़े में ही सोचता रहा और ना जाने कब नींद आ गई.
इसके दूसरे दिन रात के खाने के बाद में और आंटी टीवी के सामने बैठे थे.
में: “आंटी, तुम्हें कल अच्छा लगा ना?”
“तूँ आजकल बातें बड़ी प्यारी प्यारी करते हो और आजकल मेरा लाड़ला बहुत शराराती हो गया है. यह सब ऐसी पिक्चर देखने का असर है.” माने मेरी और देख हँसके कहा.
में,”आंटी तुम्हारी ऐसी मुस्कराहट पर तो में सब कुच्छ कुर्बान कर डून.”
हम कुच्छ देर इसी तरह बातें करते रहे और फिर आंटी उठ खड़ी हुई और आपने रूम की और चल डी. में भी आपने रूम में आ गया और बेड पर पड़ा पड़ा कई देर आंटी के बड़े में ही सोचता रहा और ना जाने कब नींद आ गई.
दूसरे दिन सुबह जब नींद टूटी तो में आपनी आंटी के बड़े में सोचने लगा. मेरी आंटी यानी की मेरी प्यारी राधा रानी 46 साल की है पर किसी भी हालत में 40 से ज़्यादा की नहीं लगती. आंटी भी हम दोनो भाइयों की तरह ही कद्दावर कद की और सुगठित शरीर की है. आंटी का शरीर मांसल और भरा हुवा है पर किसी भी हालत में मोटी नहीं कही जा सकती; एक सुंदर औरात के शरीर में जहाँ भराव होने चाहिए वहीं पर भराव हैं. गोल चेहरा और उस पर फूले फूले गाल की गालों को चूस्टे चूस्टे जी नहीं भरे, सदा मुस्करते रसीले होंठ जिन का रास्पान करने कोई भी आतुर हो जाय, च्चती पर दो कसे हुए बड़े बड़े गोल स्तन की उनका मर्दन करने हथेली में खुजली चल पड़े, फिर कुच्छ पतली कमर और कमर ख़त्म होते ही भारी उभरे हुए नितंब और विशाल फैली हुई जांघें की बस उनका तकिया बना सोते रहें और सोते रहें.
खेली खाई, बड़ी उमर की, भरे बदन की सलीके से रहनेवाली औरातें सदा से ही मेरी कमज़ोरी रही है. फिर मेरी आंटी तो साक्षात राति देवी की अवतार थी और हर दिन नये नये रूप में नही सजधज के साथ मेरी आँखों के आयेज रहती थी तो उसकी ओर मेरा आकर्षण होना स्वाभाविक था. जैसे मुझे अजय के रूप में अनायास ही एक पता पटाया मस्त, चिकना लौंडा मिल गया और दो ही दिन में वा मेरा दीवाना हो गया, मेरे हर हुकाँ का ग्युलम हो गया क्या वैसे ही मेरे सपनों की रानी राधा भी मुझे मिल जाएगी. में आंटी के मामले में कोई भी जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था, ऐसी कोई भी हरकत नहीं करना चाहता था की उसका दिल दुख जाय. में धीरे धीरे आंटी को आपनी बना लेना चाहता था की उसके साथ खुल के में आपनी हवस मितओन, आपने जैसी बेबाक बेशरम बना के खुल के उसके साथ व्यभिचार करूँ, बिल्कुल खुली बातें करते हुए उसके शरीर के खजाने को भोग़ूण. ऐसी आंटी पाने के लिए में कितना ही इंतज़ार कर सकता था. आंटी के साथ यह सब करने में अजय अब मेरे लिए बढ़ा नहीं था बल्कि मेरा सहयोगी साहबित होने वाला था. अजय जैसे शौकीन लौंदे के साथ आंटी को भोगने में तो और मज़ा आएगा. अजय गान्डू तो है पर पूरा मर्द भी है, एक बार उसे आंटी की जवानी चखा दूँगा तो वा मेरा और पक्का चेला बन जाएगा.
सुबह 10 बजे स्टोर जाते समय माने रोज की तरह नास्टा कराया. हम दोनो दोस्त दिन का भोजन स्टोर के कांतीं में ही करते थे. नास्टा करते समय मेने आंटी से कहा,
“आंटी अभी कुच्छ ही दीनो पहले चंडीगार्ह में एक बहुत आलीशान मल्टिपलेक्स खुला है. उसमें बड़ी मस्त पिक्चर लगी है. उसमें शहर की सबसे अच्छी रेस्टोरेंट भी खुली है. मेने भी उसे अभी तक नहीं देखा. बोलो, तुम्हारी इच्छा हो तो शाम को पिक्चर देखेंगे और वहीं खाना खाएँगे.”
आंटी: ” में तो आज से 10-12 साल पहले पास वाले शहर में गाँव की कुच्छ लुगायों के साथ ‘जे संतोषी आंटी‚ देखने गई थी. मुझे तो पिक्चर देख के बहुत मज़ा आया था. उसके बाद तो मुझे वहाँ गाँव से शहर पिक्चर दिखाने कौन ले जाता?.”
में: “अरे आंटी अब पूरनी बातों को भूल जाओ. अब में हूँ ना. तुम्हें खूब पिक्चर दिखावँगा. में 5 बजे घर आ जवँगा और आज बाहर का ही मज़ा लेंगे.” माअनए खुश हो हामी भर दी.
शाम को मेरे स्टोर में कुच्छ काम आ गया तो मेने आंटी को मोबाइल पर कह दिया की वा रीडी हो कर 6 बजे तक स्टोर में ही आ जाय वहीं से सीधे सिनिमा हॉल में चले जाएँगे. मेने अड्वान्स में 2 टिकेट्स बुक करवा न्यू एअर थी और शो ठीक 6.30 पर शुरू होने वाला था. आंटी सजधज के 6 बजे स्टोर में आ गई. माने हल्के गुलाबी रंग की सारी और मॅचिंग ब्लाउस पहन रखा था. हल्के मेक उप में भी आंटी का रूप निखरा हुवा था. हम फ़ौरन स्टोर से निकल गये और 15 मिनिट में हम बाइक पर हॉल में पाहूंछ गये. हॉल बहुत ही शानदार बना था. हॉल के इंटीरियर मन को मोहने वाले थे. पिक्चर शुरू होने के कुच्छ देर पहले हम हॉल में आ गये.
कुच्छ ही देर में हॉल की बत्तियाँ गुल हो गई और कुच्छ आड्स के बाद पिक्चर शुरू हो गई. पिक्चर कुच्छ रोमॅंटिक और बहुत मस्त थी. हीरो हेरिने की च्छेड़छाड़, मस्त गाने, द्वि आराती संवाद, बेडरूम सीन इत्यादि सारा मसाला था. पिक्चर 9 बजे के करीब ख़त्म हो गई. कुच्छ देर मल्टिपलेक्स के शॉपिंग सेंटर्स देखे और फिर रेस्टोरेंट में आ गये. आंटी की पसंद पुचहके खाने का ऑर्डर दिया, तबीयत से दोनोने भोजन का आनंद लिया और 10.30 के करीब घर पाहूंछ गये. हमारी आजकी शुरुआती शाम बहुत ही अच्छी गुज़री. आंटी को सब कुच्छ बहुत अच्छा लगा.
घर पाहूंछ कर आंटी बहुत खुश थी. सोफे पर बैठते हुए आंटी बोली, “विजय तुम मेरा कितना ख़याल रखते हो. तुम्हारे साथ पिक्चर देख के, घूम के, होटेल में खाना ख़ाके बहुत अच्छा लगा. यहाँ शहर में लोग आपने हिसाहब से जिंदगी जीते हैं. में तो गाँव में लोगों का ही सोचती रहती थी की लोग क्या सोचेंगे, लोग क्या कहेंगे और आपनी सारी जिंदगी यूँ ही गँवा डी.”
आंटी की यह बात सुनते ही में बोल पड़ा,”आंटी गँवा कहाँ दी अभी तो शुरू हुई है.”
आंटी पिक्चर की बात च्छेदती हुई बोली,”बताओ इन सिनेमाओं की हेरोइनों के रख-रखाव और अंदाज़ के सामने हम लोगों की क्या जिंदगी है?”
में,”आंटी वी हेरोयिन तुम्हारे सामने क्या हैं? वी तो पाउडर और करीम में पूती हुई रहती हैं. तुम्हारे सामने तो ऐसी हज़ारों हेरोयिन पानी भाराती हैं.”
आंटी,”अच्छा तो ऐसा मेरे में क्या देखा है?”
में,”तुमको क्या पता है की तुम्हारे में क्या है. कहाँ तुम्हारा सब कुच्छ नॅचुरल और उनका सब कुच्छ बनावटी और दिखावटी”
“तूँ आजकल बातें बड़ी प्यारी प्यारी करते हो और आजकल मेरा लाड़ला बहुत शराराती हो गया है. यह सब ऐसी पिक्चर देखने का असर है.” माने मेरी और देख हँसके कहा.
में,”आंटी तुम्हारी ऐसी मुस्कराहट पर तो में सब कुच्छ कुर्बान कर डून.”
हम कुच्छ देर इसी तरह बातें करते रहे और फिर आंटी उठ खड़ी हुई और आपने रूम की और चल डी. में भी आपने रूम में आ गया और बेड पर पड़ा पड़ा कई देर आंटी के बड़े में ही सोचता रहा और ना जाने कब नींद आ गई.
इसके दूसरे दिन रात के खाने के बाद में और आंटी टीवी के सामने बैठे थे.
में: “आंटी, तुम्हें कल अच्छा लगा ना?”