प्यास बुझती ही नही compleet

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007
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Re: प्यास बुझती ही नही

Unread post by 007 » 22 Dec 2014 12:33

राज: थ्क्स डार्लिंग..तुम बहुत अच्छी हो.

नेहा: मस्का मत मारो….मे सब समझती हू……आख़िर कार हमे पटा ही लिया

राज: अभी कहाँ पटाया…..??? जब तुम अपनाओगी तभी पटी (फ्लर्टिंग) समझूंगा.

नेहा: आपको शर्म नही आती एक दूसरी औरत से फ्लर्ट करते हुए…जबकि आपके घर मे 2-2 औरते पहले से है.

राज: हमे कोई शर्म नही आती …..जो शर्मा गया वो घर गया…… और फिर अगर शरमाऊँगा तो घोड़ी कैसे चढ़ुंगा……..पर हां मे कभी भी किसी औरत से ज़बरदस्ती नही करता…..औरत की रज़ामंदी मेरे लिए ही सबकुच्छ है.

नेहा: आप महान है….जीजू.

राज: थॅंक्स डार्लिंग……और उसके गले लग गयी…..तभी बाहर कुच्छ नॉक हुआ….

नेहा: लगता है कोई पेशेंट है…आप निकलो.

राज: ठीक है..चलता हू…तुम अपने फ्रेंड से फोन कर लेना …पर हां केस को बिगाड़ने की कोशिश ना करे….इसका ध्यान रहे…………………मे अपने परिवार को गर्त मे देखना नही चाहता ……ये पोलीस का मामला है…..कुच्छ करो.

नेहा: आइ विल डू सम्तिंग …वेल…………….

राज के जाने के बाद नेहा ने 1-2 पेशेंट को और देखा फिर अपनी बेस्ट फ्रेंड सुनीता को फोन मिलाया जो कि देल्ही पोलीस एचके मे काम करती है…..

सुनीता: हाई…..मेरी जान कैसी हो…..सुना है शादी कर ली…पर मुझे नही बुलाया….जीजू कैसे है….सुहाग रात कैसी रही …वग़ैरह-वग़ैरह…..

नेहा: तुम सुनोगी भी मेरी तूफान मेल…..

सुनीता; हाई यार अब मुझसे भी रहा नही जाता…ये पोलीस की नौकरी करते करते थक गयी हू…अब मे भी चाह रही हू कि कोई मुंडा ढूँढ कर अपनी बॅंड बजा दू…जैसे तुम बजाई हो…..कोई खूसखबरी??????

नेहा: अरे यार…उसके लिए खेद है….

सुनीता: क्यो…….??? क्या हुआ….चुदाई नही हो रही है क्या????

नेहा: चुप बेशर्म……कही भी सुरू हो जाती है.

सुनीता: तो फिर ऐसे ही काम चलता है…??? जैसे मेरा चलता है?

नेहा: अच्छा///? तुम्हार क्या चलता है?

सुनीता: अपना हाथ तो जगन्नाथ…………………

नेहा: च्ीईीईईईईईईई

सुनीता: मेरी जान ऐसे मेरी किस्मेत कहाँ जो किसी की बाँहो मे रहू.......................

नेहा: कहो तो बंदोबस्त कर दू

सुनीता: हाई......तब तो मज़ा आ जाएगा....प्लीज़ अगर कुच्छ हो सके तो

नेहा: क्यो नही...पर उसके लिए तुम्हे एक काम करना होगा

सुनीता: कैसा काम

नेहा: अरे यार मेरी दीदी के देवेर के पिच्छने मंत गायब होने की रिपोर्ट पोलीस मे दर्ज कराया गया था.....फिर करीब 6 डेज़ के बाद पोलीस को उसकी लास यमुना नदी से मिली है...पोलीस का शक़ है कि ये केस मर्डर का है................और सारी बाते बता दी...कि कैसे रश्मि को वो इनस्पेक्टर बुरी नज़र से देखता है...

सुनीता: ह्म्‍म्म्म......मामला तो पेचीदा है...और इसमे कोई भी मदद नही कर सकता ...क्योकि पोलीस ने अभी अपनी रिपोर्ट पेश की नही है...सिर्फ़ तहकीकात कर रही है.

तुम ऐसा करो कि पोलीस जो तहकीकात करती है उसे करने दो..उससे घबराने की कोई ज़रूरत नही है.....अरे...जब हम ग़लत नही है तो क्यो डरे?? जहा तक पोलीस इनस्पेक्टर के चाल चलन की बात है तो आप कंप्लेंट भेज दो एचके मे ...मे देख लूँगी........................

उनसे बोल दो कि मत घबराए...अगर पोलीस आती है...तो जो भी पुच्छे सही सही बताओ और चाय पिलाकर बीदा कर दो..घबराने की ज़रूरत नही है.

राज रश्मि को बड़े प्यार से समझा रहा था…….आज पहली बार रश्मि के माथे को कोई सहला रहा था……इतने दिन हो गये राज के साथ सोए हुए……पर अभी भी कुच्छ झिझक रही थी….क्या वो जो कर रही है क्या वो ठीक है? क्या किसी बेवा को शादी और सेक्स करने का अधिकार है? उसके अंदर डबल क्वेस्चन चल रहे थे….पर जब राज ने उसे समझाया तो उसने ठान लिया कि जो होगा देखा जाएगा……..आख़िर कब तक वो समाज से डरती रहेगी….आज तक उसके जीवन मे जो भी हुआ उसके लिए वो खुद तैयार नही थी…हालात ने ही ऐसा कर दिया था…और फिर उसके हज़्बेंड ने ही चाहा था कि वो किसी और मर्द की बाँहो मे सोए……शायद इसलिए कि वो जानता था कि मे इस लायक नही हू कि अपनी वाइफ को खुस रख सकु………………………रश्मि को कभी भी राजेश से प्यार नही हुआ…..हां हमदर्दी ज़रूर थी….और ना ही कभी उसकी कमी खली…..तभी तो उसके गायब होने की खबर वो खुद पोलीस को नही बताई…..

राज; ऐसा कब तक चलेगा.

रश्मि: ह्म्‍म्म्ममम

राज: तुम्हे डरने की ज़रूरत नही है….मे हू ना….और फिर हमने किसी का कत्ल तो नही किया है.

रश्मि: पर समाज और क़ानून को क्या बताओगे…जब प्रश्न पार्ट दर पार्ट खुलेगे तो उंगली हमलोगो पर तो उठेगी ना……?

राज: तो बताओ इसका क्या इलाज है…..हमने वही किया …जो हमारी शारीरिक ज़रूरते थी……मेने और ना ही तुमने कोई ग़लत काम तो किया नही है… मेरी मानो तो हमलोगो को सनडे को शादी कर लेनी चाहिए…..शाम के 6 पीयेम राम मंदिर मे शादी कर लेते है…….

रश्मि: पर अगर इनस्पेक्टर शर्मा पुछ्नेन्गे तो क्या कहेंगे?

राज: उसका इलाज है मेरे पास?

रश्मि: और अगर वो ये कहे कि तुम अभी अभी विधवा हुई हो और अब शादी कर ली वो भी अपने पति के बड़े भाई से……तो?

राज: सवाल तो पेन्चिदा है ज़रूर …पर क्या कर सकते है……

रश्मि: तो मेरी राई ये है कि अभी 2-3 मंत तक ऐसे ही चलते है……जब पोलीस की कार्यवाही ख़त्म हो जाएगी तभी शादी कर लेंगे…….और फिर सेक्स के लिए शादी की क्या ज़रूरत है……हम लोग ऐसे ही मिलेंगे जैसे अभी तक मिलते रहे है….समझे?

राज: बात तो तुम ठीक कह रही हो…अभी शादी की खबर रिस्तेदारो मे जाएगी तो बदनामी होगी…

ठीक है जैसा तुम चाहो…..और उसके होंठो को चूम लिया….रश्मिने भी अपने होठ खोल दिए….और दोनो एक दूसरे मे खो गये….करीब 30 मीं. की जबरदस्त चुदाई के बाद दोनो स्खलित हो गये….आज कई दिन बाद दोनो ने चुदाई की…..उसके बाद रश्मि ने खुद एक पत्नी की तरह राज के सीने को सहलाया और उसकी बाँहो मे ही सो गयी……………….राजने भी बिल्कुल नंगा अपनी वाइफ की तरह रश्मि को चिपका लिया और उसके होंठो और चुचियो से खेलते हुए सो गया………………………………..

007
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Re: प्यास बुझती ही नही

Unread post by 007 » 22 Dec 2014 12:33

रश्मि ने उसके लंड को अपने हाथ मे लिया और उसे चूसने लगी....आज पहली बार उसके लंड का स्वाद उसे अच्छा लग रहा था......लंड इतना मोटा था कि उसके मुँह मे नही आ रहा था ....पर फिर भी रश्मि चूसने की कोशिश कर रही थी...फिर अपना सिर उठाकर पूछा.....

रश्मि: तुम मुझे छोड़ तो नही दोगे ना???? जैसे राजेश ने छोड़ा

राज: अरे नही मेरी जान....तुम तो मेरी जान से भी ज़्यादा हो.........................पर तुम ऐसे सवाल क्यो पुच्छ रही हो

रश्मि: एक डर सा लगता है.......कल के डेट मे कोई उल्टा सीधा हो जाए तो कोई तो हो जो नाव को पार लगाएगा

राज: तुम बेफ़िक्र रहो...जब तक मे जीवित रहूँगा...तब तक तुम मेरी बीबी की तरह रहोगी.....और हां मे अपना बिजनेस पार्ट्नर भी बनाने जा रहा हू...तभी तो मे कह रहा था कि तुम शॉप जाय्न कर लो.....जो मे दूसरे को जॉब दे रहा हू ....वो तुम करो.....नौकरी भी और एंजाय भी....और एक आँख मार दी...राज ने.

रश्मि: मुक्का मारते हुए....बदमास...मे सब जानती हू...तुम नेहा और अनिता के पिछे क्यो पड़े हो......क्या इरादा है......??????

राज: इरादा तो नेक है मेरी जान....पर तुम्हे जितना चोदो.....नशा और होता है.....एक बार और हो जाए....

रस्मी: नही.....सुबह के 8 बज गये है........और खाना भी बनाना है...दीदी आती होगी...

राज: अरे ये रहती कहां है?

रश्मि:पूजा करने गयी थी...मंदिर

राज: जिंदगी भर पूजा ही करेगी या इस पति को खुराक देगी.

रश्मि: इस पति को खुराक देने के लिए मे जो हू.....

राज: यानी की तुमने अपना काम बाँट लिया है

रश्मि : जी....रात को मे और दिन की दीदी

राज: और दोपहर को...???

रश्मि: नेहा, सुनीता, अनिता...और ना जाने कौन कौन.....

राज: तुम बहुत उस्ताद हो गयी हो....किसने बताया ये सब?

रश्मि: बस मालूम है...तुम्हारे मोबाइल को सर्च किया था...जिसमे अनिता का मिस्स्कल्ल और स्मस पढ़ा

राज; अरे ....???? तुम तो अभी से ही वाइफ बन गयी मेरी.

रश्मि: ऑफ कोर्स...वो तो मे हू ही.....

तभी घर का दरवाजा किसी ने खटखटाया......

रश्मि: शायद कोई है...मे जाती हू...आप बाथरूम मे चले जाओ....ना जाने कौन होगा...?????

अनिता की शादी के दिन तय हो गये…..वो अपना शादी का कार्ड ले कर आज आई थी….पूरे हॉस्पिटल और मेडिकल शॉप मे स्टाफ को कार्ड बाँटा…सभी ने उसे मुबारकबाद दिया……राज ने भी उसे मुबारकबाद दिया…पर अनिता कुच्छ बुझी बुझी आज दिखी…उसे ऐसा लग रहा था कि अब उसकी आज़ादी ख़त्म हो रही है……तब राज ने उसे चोट की…..

राज: क्या हुआ मेडम…तुम्हे तो खुस होना चाहिए….तुम्हारी शादी हो रही है…..वेल हॅपी?

अनिता की आँखो मे आँसू आ गये…….पर बोली कुच्छ नही…ह्म्‍म्म्मम

राज: तुम्हारे जो ख्वाब थे वो पूरे हो रहे है….हर लड़की का एक सपना होता है…शादी कर ससुराल जाना और जी भर कर जिंदगी का आनंद लेना……पर तुम इतनी उदास क्यो हो?

अनिता: पता नही…पर मुझे कुच्छ अच्छा नही लग रहा है….

राज: ये स्वाभाविक है….हर लड़की को शादी से पहले होता है….एग्ज़ाइट्मेंट तो होगी ही शादी की.

तुम एक बहुत अच्छी लड़की हो…..हमे तुम्हारे जाने का मलाल रहेगा….

अनिता: क्यो सर?

राज: क्योकि तुम काफ़ी सेक्सी जो हो….

अनिता: ओह फिर फ्लर्ट?

राज: क्या करे आदत से मजबूर जो हू…..

अनिता: अच्छा चलो मुझे कुच्छ शॉपिंग करनी है.

राज: एक शर्त पर चलूँगा….

अनिता: कैसी शर्त?

राज: हमलोग हज़्बेंड वाइफ बन कर चल्लेंगे….

अनिता: ये कैसे संभव है

राज: क्यो नही है?

अनिता : तो आप ही बताओ……और फिर हम दोनो मे उम्र का फासला ज़्यादा भी है

राज: तो क्या हुआ…..दिल से तो हम बन सकते है

अनिता:ह्म ……….अच्छा चलो….और कड़क आवाज़ मे बोली…..जिसमे रौब भी था और अपनापन भी

राज: अरे ये क्या?

अनिता: प्रॅक्टीस कर रही हू वाइफ बनने की

राज: तो फिर मुझे अपनी बाँहो मे उठाओ और दोनो हाथ उप्पर कर दिया

अनिता: उसकी तरफ झुकी और राज ने अपनी दोनो बाँहे उसकी गर्देन के चारो तरफ कर ली और उसे उठा लिया…………..अरे ये क्या….आपने तो मुझे गोदी मे उठा लिया…?

राज: अरे मेरी वाइफ हो तो इतना तो हक़ बनता ही है…………

अनिता: ओ…मिस्टर. वाइफ हू सिर्फ़ मन से तन से नही….ओके?? रिमेंबर

राज: जैसे आपकी इच्छा…पर मन से हो ना…?

अनिता: कुच्छ नही बोली …सिर्फ़ मुस्कुरा दी……………………अब चलो

राज ने उसे अपनी बाँहो मे लिया और उसके गालो पे एक किस कर दिया.

अनिता और राज बाइक पर सवार हो कर जाने लगे तभी अनिता का फोन आ गया …ये फोन था उसकी मा का….राज ने बाइक को किनारे कर दिया और अनिता अपनी मा से बाते करने लगी……करीब 3 मीं तक बाते होती रही और फिर अनिता ने बोला...मम्मी..मुझे थोड़ी देरी होगी...मे करीब 10 बजे तक आऊँगी....तुम खाना खा कर सो जाना.....मा: ठीक है बेटा.....तू अपना ख्याल रखना....

अनिता: ओके......

राज उसे बहुत गौर से घूर रहा था...आज अनिता एक वाइट सूट पहने हुए थी...वाइट शूयिट मे वो एक दम परी लग रही थी जब इंटरॅक्षन ख़त्म हुआ तो राज ने टोका...................क्या बात है आज लगता है मेडम कुच्छ ज़्यादा ही मुझे परेशान करेगी....

अनिता: क्यो...आपको परेशानी क्यो होने लगी.....? शादी की बात है.....शॉपिंग तो करनी होगी...

राज: मेडम.............ठीक है...जल्दी चलो...मौसम खराब होने वाला है....और फिर हम लेट भी हो रहे है......................

वो बात कर ही रहे थे कि ज़ोर ज़ोर से आँधी और आने लगी........................लो आपने कहा और शैतान हाज़िर....आपकी नज़र लग गयी....प्रोग्राम कंसिल.

राज: प्रोग्राम कंसिल क्यो...??? चलो बैठो..और उसने गाड़ी स्टार्ट कर दी.........................तभी बारिश जोरो की होने लगी.....आँधी और पानी का मिलन ऐसा लग रहा था कि आज राज और अनिता का भी मिलन ना हो जाए........................तभी राज ने गाड़ी रोड के किनारे लगाई और दोनो एक घर की बाल्कनी मे चले गये....और अपने आपको बारिश से बचाने लगे..................बारिश जोरो की होने लगी...............उस जगह पर सिर्फ़ ये दोनो ही थे.....पानी से अनिता और राज थोड़ा भींग चुके थे....अनिता के बाल और सूट गीले हो चुके थे.......जब 30 मीं तक बारिश नही बंद हुई तो राज ने घर को गौर से देखा....घर के मुख्य द्वार पर एक ताला लगा हुआ था....जैसे लगे मानो घरवाला कही बाहर गया हुआ है.....................राज ने अनिता से कहा...अगर तुम्हे बुरा ना लगे तो हम्दोनो इस घर मे चले?

अनिता: पर कैसे?

राज: कोई उपाय करते है

अनिता: मुझे सर्दी लग रही है....और पानी की लपते तेज हो गयी है....कही बीमार ना हो जाऊ

राज: अरे नही...मुझे रहते हुए तुम बीमार नही होगी...और हस्ने लगा...

अंटिया: यान्हा कोई चालाकी नही चलेगी ....बॉस. तुम वो ख़याल भी मत रखना.

राज: देखते है? पहले अंदर तो चलो. राज ने अनिता के हेर मे लगे क्लिप को निकाला और उसे ताले मे घुसा कर खोलने की कोशिश करने लगा

क्रमशः.......................................

007
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Re: प्यास बुझती ही नही

Unread post by 007 » 22 Dec 2014 12:34

प्यास बुझती ही नही-19

गतान्क से आगे.............................

ताले खोलने के एक्सपार्टीस को देखते हुए अनिता ने कहा; ताले खोलने मे तुम एक्ष्पर्त हो.....ऐसा लगता है काफ़ी ताले खोल चुके हो...

राज: हस्ते हुए.....कोई शक़ है?

अनिता: हस्ते हुए....नही पर मेरा ताला जब खॉलोगे तो देखेंगे?

राज: देख लेना मेरी जान...फिलहाल घर के अंदर तो चलो......काफ़ी अंधेरा है..............कॅंडल भी नही है और ना ही मोबाइल काम कर रहा है....ये तो सुबह से स्वितचॉफ्फ़ है...तुम अपना मोबाइल ऑन करो...........अनिता ने कहा...मेरा भी मोबाइल काम नही कर रहा है....लगता है पानी चला गया है................अब क्या करे?

राज: देखते है...क्या कर सकते है...तभी दोनो एक शख्त चीज़ से टकरा गये. और दोनो फर्स पर गिर गये.....दोनो एक दूसरे पर ऐसा गिरे कि दोनो के होंठ मिल गये.राज मौके का फयडा उठाने लगा और एक जोरदार किस कर दिया....

अनिता:ह्म्‍म्म्मम ये नही चलेगी मिस्टर.....बिहेव युवर सेल्फ़.

राज: अरे यार ताला खोलने के बदले कुच्छ नही दोगी...

अनिता: वेरी क्लीवर.....पहले लाइट का इंतज़ाम करो..............

तभी अनिता का दाया हाथ किसी लोहे की शख्त चीज़ से टकरा गया.....उसने उसे टटोलते हुए देखा..............ये कोई हथियार था जिसे हम "कुल्हाड़ी" कहते है

अनिता: अरे...ये क्या है????? ये तो कुल्हाड़ी है?

राज: कुल्हाड़ी??? यान्हा कुल्हाड़ी का क्या काम है...और वो भी कुल्हाड़ी को टटोलने लगा.......................वाकई ये तो कुल्हाड़ी है.....जब वो मुट्ते को च्छुआ तो उसपे चिपचिपा सा लगा हुआ था.......जब वो चिपचिपा अपनी नाक से सूँघा तो उसका माथा ठनका...ये तो खून धब्बे है.............ओह माइ गॉड....लगता है किसी का खून हुआ है इस कमरे मे .............भागो.......अनिता.....यान्हा से......पर जब दोनो दरवाजे तक आए...दरवाजा बाहर से लॉक हो चुका था................

राज और अनिता ..ज़ोर ज़ोर से चीखने लगे.....खोलो....दरवाजा, बचाओ...बचाओ...अनिता तो मानो ज़ोर ज़ोर से रोने लगी.......................पर अब किया क्या जा सकता है............................ये सोचना होगा.....

राज ने सोचा......कौन है जो बाहर से दरवाजा बंद किया.... जब वो शेड मे थे तो कोई और वन्हा नही था.....दूर दूर तक सिर्फ़ ये दोनो ही थे....और फिर कमरे मे बाहर से लॉक क्यो था........तभी उसने अनिता से कहा "हमे लगता है कोई हमे फसा रहा है" बहुत बारीकी से सोचना होगा...इस कमरे मे तहकीकात करना होगा...कि आख़िर इस कमरे मे क्या है...? हो सकता है इस कमरे मे किसी की डेड-बॉडी भी होगी....? तुम शांत हो जाओ...मे हू ना तुम्हारे साथ? चलो ढूँढते है...और दोनो एक एक चीज़ को टटोलकर कमरे को सर्च करने लगे.....

बादल की गड़गड़ाहट के साथ बारिश जोरो से हो रही थी…..जब बादल और बिजली कदक्ति थी तो रूम के अंदर रोशनी हो जाती थी जिसकी मदद से घर के दूसरे हिस्से को देख लेता था…राज और अनिता बड़ी सावधानी से कमरे का सर्च कर रहे थे…जहा पर कुल्हाड़ी पड़ी थी उसके 10 कदम पर नोकिया का मोबाइल पड़ा था….अनिता की आँखे चमक गयी उसने नोकिया का फोन उठा लिया और उसे ओन करने की कोशिश करने लगी…पर ये क्या ये तो ऑन ही नही हो रहा…..जब वो मोबाइल के बॅक पे अपनी उंगली ले गयी तो पाया कि मोबाइल की बॅटरी है ही नही…..उसने राज को बोला…..क्या आफ़त है….मे तो पागल हो जाऊंगी….मोबाइल मिला है….और वो भी बिना बॅटरी के…..मोबाइल के नाम पर राज चौंक गया उसने अनिता की ओर देखा और उसे अपनी बाँहो मे भर लिया और कहा…जब मोबाइल मिला है तो बॅटरी भी ज़रूर होगी यही कही…तुम अच्छी तरह चेक करो…मे दूसरी तरफ चेक करता हू……अनिताने एक मगरमच्छ की तरह पूरे फर्स का निरीक्षण किया….तभी उसे बॅटरी और मोबाइल का ढक्कन भी मिला……उसने उसे लिया और ख़ुसी से राज के गले लग गयी….बॅटरी को मोबाइल मे लगाया और ऑन किया………..थोड़ी देर मे मोबाइल ऑन हो गया….दोनो ख़ुसी से पागल हो गये……..राज ने मोबाइल को गौर से देखा…..कि आख़िर ये मोबाइल है किसका पर जब स्क्रीन मे जम देख कर वो बुरी तरह चौंक गया…………ये मोबाइल तो राजेश का है……………राज की धड़कने तेज होने लगी…..उसने मोबाइल का निरीक्षण किया….सेंट, मिस्ड-कॉल आंड इंबॉक्ष……6 मिस्ड-कॉल कोई बॉस लिखा और 2 मिस्ड-कॉल पर ऑफीस लिखा था………….सेंट आइटम मे 4 कॉल रंभा को किया गया था….और इंबॉक्ष मे 23 मे (जिस डेट को राजेश गायब हुआ था) के बाद की कॉल नही आइ थी……

राज को कुच्छ समझ मे नही आ रहा था..कि इस समय क्या किया जाए……तभी उसने सोचा सबसे पहले यान्हा से हमे निकलना चाहिए……तभी उसने सोचा कि मुझे रश्मि को फोन कर बता देना चाहिए कि हम यान्हा है…..जब राज रश्मि को फोन लगा रहा था तभी दरवाजा ज़ोर से खटखाया…..राज और अनिता दोनो एक दूसरे से चिपक गये…..अनिता की तो सिट्टी-पिटी गुम हो गयी वो भगवान से यही फरियाद कर रही थी कि जल्द से जल्द ये………दोनो एक पलंग के नीचे दुबक गये….राज ने देखा ..उस शख्स ने एक मोटी और काली कंबल ओढ़ रखी थी जो कि पानी से गीली थी…पर उस आदमी की शक्ल नही देख पाया…..फिर उसने धीरे से कुच्छ उठाया (कोई बोरे मे रखा समान) और फिर दबे पाँव घर से निकल गया….राज ने सोचा कि उसे दौड़ कर पकड़ लू तभी अनिता ने उसका हाथ खींच लिया…….और वो आदमी बाहर से दरवाजा बंद कर चला गया……………………….

राज: ये क्या किया तुमने??? मे उसे पकड़ सकता था………ना…और फिर वो कौन था और क्या ले जा रहा था…….

अनिता: धीरे से…उसके हाथ मे कॅटर था…जिसे देख कर मे डर गयी…और फिर ये क्यो नही सोचा कि जो समान वो ले जा रहा था वो किसी की लाश थी…………….

राज: लाश??? तुम्हे कैसे पता

अनिता: मेने गौर से देखा….कि जूट के बोरे मे से एक सिर बाहर झाँक रहा था…..वो किसी लड़की का सिर था.

राज: ये तुम दावे के साथ कैसे कह सकती हो???????

अनिता: वो ऐसे इसलिए कि जब मे मोबाइल की बॅटरी खोज रही थी तो मे किसी डेड-बॉडी से टकराई थी….जो कि किसी लड़की के लंबे बाल थे…………………

राज: पर अब क्या करे??? कुच्छ समझ मे नही आ रहा

अनिता: हम दरवाजे की तरफ पुनः चलते है…देखते है क्या कर सकते है…

राज और अनिता दोनो दरवाजे पर गये और ज़ोर ज़ोर से पीटने लगे…पर कुच्छ रेस्पॉन्स नही आ रहा था…हां किसी गाड़ी की स्टार्ट होने की आवाज़ ज़रूर आई…….लगता है वही आदमी लाश लोड कर के जा रहा है कही फेंकने के लिए……………

राज; यार कोई तो रास्ता होगा….

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