एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

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Fuck_Me
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Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

Unread post by Fuck_Me » 29 Sep 2015 08:18

“क्या मैं पूछ सकती हूँ की आपने गौरव मेहरा को क्यों गिरफ्तार किया है.”

“हू अरे यू, बाये थे वे” रोहित ने पूछा.

“मैं स्वेता गुप्ता हूँ, गौरव की वकील.”

“खून किए हैं उसने, वो भी 2. ये वजह काफ़ी है उसे गिरफ्तार करने की.”

“शो मे अरेस्ट वॉरेंट” स्वेता गुप्ता ने कहा.

“उसने मुझ पर फिरे किया. इश्लीए उठा लाया उसे मैं यहा.”

“ये इल्लीगल डिटेन्षन है इनस्पेक्टर.”

“लीगल ओर इल्लीगल वो बाद में देखेंगे. आप यहा से जायें अभी.”

तभी रोहित का फोन बाज उठा. फोन शालिनी का था.

“एस मेडम?” रोहित ने कहा.

“रोहित, क्या तुमने गौरव मेहरा को गिरफ्तार किया है?”

“जी हाँ मेडम.”

“क्यों अरेस्ट वॉरेंट के बिना तुम कैसे गिरफ्तार कर सकते हो उशे.”

“मेडम, उसने मुझ पर फिरे किया.”

“ओह”

“इश्लीए मुझे उसे उशी वक्त गिरफ्तार करना पड़ा.”

“फिलहाल उसे छोड़ दो. चीफ मिनिस्टर का फोन आया था मुझे अभी अभी. दुबारा पकड़ लेना उशे…मगर पूरे प्रोसीजर से.”

“ठीक है मेडम, जैसा आप कहें.” रोहित ने कहा.

फोन रखने के बाद रोहित ने भोलू को आवाज़ दी.

“जी सिर.”

“छोड़ दो गौरव मेहरा को फिलहाल.”

“ओक सिर.”

“स्वेता जी अब तो ख़ूस्स हैं ना आप. पर उम्मीद है की जल्द मुलाक़ात होगी. घसीट कर लवँगा मैं गौरव मेहरा को उशके घर से. वो भी वॉरेंट के साथ.”

“तब की तब देखेंगे.” स्वेता ने कहा.

भोलू, गौरव मेहरा को ले आया.

“क्या हुवा मिस्टर पांडे निकल गयी सारी हेकड़ी” गौरव मेहरा ने कहा.

“हाहहाहा… हेकड़ी तो तेरी निकली है बेटा…मुझे सबूत मिल जाने दे…घसीट कर लवँगा तुझे वापिस यही” रोहित ने कहा.

“चलो स्वेता…” गौरव ने कहा.

गौरव स्वेता को लेकर बाहर आ गया.

“सारा मूड खराब कर दिया सेयेल ने. तुझे अब मेरा मूड ठीक करना होगा.” गौरव ने कहा.

“सिर मुझे एक केस के शील्षिले में देल्ही निकलना है तुरंत.”

ये शुंते ही गौरव ने बाल पकड़ लिए स्वेता के और बोला, “बहाना बनाती है साली. तुझे कहा था ना की जब मेरा मन होगा तुझे देनी पड़ेगी.”

“आअहह….सॉरी सिर…प्लीज़ बाल छोड़ दीजिए आअहह” स्वेता कराह उठी.

“चल बैठ जल्दी अपनी कार में. तेरे साथ ही चलूँगा मैं और खुद ड्राइव करूँगा. तेरी कार में भी राइड करूँगा और तुझे भी राइड करूँगा, साली कुट्टिया.”

स्वेता चुपचाप अपनी कार में बैठ गयी. गौरव ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और कार स्टार्ट कर दी.

“तूने आने में इतनी देर क्यों की. तुझे पता है ना मुझे लापरवाही बिल्कुल पसंद नही है.”

“सिर जैसे ही मेडम ने फोन किया मैं थाने आ गयी.”

“वो साली तो चाहती ही है की मैं जैल चला जौन. मुझसे छुटकारा चाहती है वो. पर मुझसे छुटकारा आसान नही. ये तो तुम भी समझ ही गयी होगी अब.” गौरव ने कहा.

“सिर कहा ले जा रहे हैं आप मुझे.”

“अपने घर”

“पर घर पर तो मेडम हैं …”

“तो रहने दो. आज उशके सामने ही लूँगा तेरी. देखता हूँ कैसे रिक्ट कराती है.”

गौरव स्वेता को अपने घर ले आया.

गौरव को देखते ही दीपिका उशके पास आई और बोली, “सब ठीक तो है ना.”

“नाटक बंद कर और जल्दी से बेडरूम में आजा.” गौरव ने कहा.

गौरव स्वेता का हाथ पकड़ कर बेडरूम की तरफ चल दिया. दीपिका हैरानी में देखती रही. स्वेता और दीपिका की नज़रे टकराई. दीपिका समझ गयी की गौरव उसे ज़बरदस्ती लाया है वाहा. दीपिका भी गौरव के पीछे पीछे बेडरूम में आ गयी.

“आप क्या करना चाहते हैं.” दीपिका ने पूछा.

“चुपचाप सोफे पर बैठ जा और कुछ सीख स्वेता से. बहुत अतचे से देती है चुत ये. तू भी कुछ सीख ले.”

स्वेता चुपचाप खड़ी थी.

“स्वेता सोच क्या रही है. चल निकाल मेरा लंड बाहर और चूसना शुरूण कर. मेरी बीवी को सकिंग नही आती. सीखा दे इशे की सकिंग कैसे की जाती है.” गौरव ने कहा.

“सिर इनके सामने मैं कैसे……” स्वेता गिड़गिडाई.

दीपिका वाहा से जाने लगी तो गौरव ने उसे दबोच लिया और बोला, “स्वेता की चुदाई देखे बिना तू कही नही जाएगी. ”

गौरव ने दीपिका को ज़बरदस्ती वही बीता दिया, “अगर तू यहा से हिली तो तुझे गोली मार दूँगा मैं.”

गौरव ने स्वेता को आवाज़ दी, “इधर आ साली. यही इश्कि नज़रो के बिल्कुल सामने शककर.”

स्वेता नज़रे झुका कर चुपचाप गौरव के पास आ गयी.

“जल्दी से लंड निकाल मेरा बाहर और दीखा इशे की लंड कैसे चूसा जाता है.” गौरव ने कहा.

स्वेता चुपचाप गौरव के सामने बैठ गयी और उष्की पेंट की ज़िप खोल कर गौरव के लिंग को बाहर निकाल लिया.

“गुड अब अपने स्टाइल से इशे चूसना शुरू करो.” गौरव ने कहा.

स्वेता ने मूह खोल कर गौरव के लंड को मूह में घुसा लिया और धीरे धीरे चूसने लगी.

“दीपिका देखो किश तरह से चूस रही है ये. इसे तरह से चूसना चाहिए तुम्हे लंड को.” गौरव ने कहा.

गौरव ने स्वेता के बाल पकड़ लिए और उशके मूह में धक्के मारने लगा. स्वेता की हालत पतली हो गयी.

कुछ देर तक गौरव यू ही उशके मूह में धक्के माराता रहा. दीपिका ने तो अपनी आँखे बंद कर ली थी.

अचानक गौरव ने अपने लिंग को स्वेता के मूह से निकाल लिया और बोला, “चल अब दीपिका के घुतनो पर हाथ रख कर झुक जा. मेरी बीवी तुझे सपोर्ट देगी और मैं पीछे से तेरी चुत मारूँगा…हाहाहा.”
दीपिका और स्वेता की नज़रे टकराई. बहुत से स्वाल थे दोनो की आँखो में. जिनका जवाब दोनो में से किशी के पास नही था.

गौरव ने स्वेता की सलवार का नाडा खोल कर उसे अपने आगे झुका दिया. स्वेता को ना चाहते हुवे भी दीपिका के घुतनो पर हाथ रखना पड़ा. एक झटके में लंड डाल दिया गौरव ने स्वेता की चुत में.

“आअहह….सिर मेडम के सामने मैं एंजाय नही कर पवँगी.” स्वेता ने कराहते हुवे कहा.

“ये चुदाई तेरे लिए नही बल्कि मेडम को दीखने के लिए ही है…हाहहाहा.”

गौरव ने ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिया स्वेता के अंदर. शिसकियाँ गूंजने लगी बेडरूम में स्वेता की. गौरव के तेज तेज धक्को के कारण स्वेता के हाथ बार बार दीपिका के घुतनो से हट जाते थे. मगर वो बार बार वापिस घुतनो पर हाथ रख देती थी. दीपिका आँखे बंद किए बैठी थी.

“दीपिका आँखे बंद क्यों कर न्यू एअर है. देख कैसे चुदया रही है ये रंडी…तुझे भी आशीए ही छुड़वाना चाहिए. हाहहाहा”

स्वेता की शिसकियाँ और तेज होती जा रही थी. वो अपने चरम के नझडीक थी.

“सिर…आआहह प्लीज़ रुक जाओ….आअहह.”

“वेरी गुड स्वेता. दीपिका को समझाओ ये सब. कितना मज़ा कर रही हो तुम. इतना मज़ा ये क्यों नही कर सकती.”

गौरव भी झाड़ गया स्वेता के अंदर. उसने फ़ौरन स्वेता की चुत से लंड निकाल लिया और उसे ज़ोर से धक्का दिया एक तरफ, “चल दफ़ा हो जा यहा से रंडी कही की. तुझे शरम नही आती हज़्बंद वाइफ के बीच आकर अपनी चुत मरवाते हुवे. जा जहा जाना है तुझे. देल्ही जा रही थी ना तू. जा जाकर देल्ही में गान्ड मरवा अपनी. साली रंडी.”

स्वेता ने अपने कपड़े ठीक किए और चुपचाप वाहा से निकल गयी.

“सोन ऑफ आ बिच…” स्वेता ने घर से निकलते हुवे कहा.

……………………………………………………………………….

रोहित अपने कॅबिन में ही बैठा था. भोलू अंदर आया तो उसने पूछा, “कुछ पता चला क्या?”

“हन सिर 2006 में एक फिर दर्ज हुई थी गौरव मेहरा के खिलाफ. एक शॉपकीपर ने कंप्लेंट की थी की गौरव मेहरा ने उशके भाई को उशके ही सामने करिकेट बेट से इतना मारा की वो मार गया. बात सिर्फ़ इतनी थी की वो कह रहा था की इंडिया जीतेगा और गौरव मेहरा बेट लगा रहा था की पाकिस्ठान जीतेगा. उन दीनो कोई सीरीस चल रही थी.”

“कोई हैरानी नही हुई मुझे. जैसा उष्का बिहेवियर है वो कुछ भी कर सकता है.”

“पर सिर बाद में उष केस का कुछ नही बना. गौरव मेहरा के खिलाफ कोई ठोस सबूत नही मिले. और हाँ सिर उष वक्त सब इनस्पेक्टर विजय ज़्यादा ही इंटेरेस्ट ले रहे थे इसे केस में.”

“क्या विजय जानता था गौरव को?”

“शायद. मुझे अब याद आ रहा है की विजय सिर ने गौरव के लिए उष वक्त के आस्प से काफ़ी रिकवेस्ट की थी. शायद आस्प साहिब को मोटी रकम भी दी गयी थी केस को रफ़ा दफ़ा करने के लिए.

“उष वक्त तो चौहान भी था ना यहा.”

“जी हाँ वो भी थे. वही तो केस को हॅंडल कर रहे थे.”

एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 40
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Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

Unread post by sexy » 03 Oct 2015 09:19

“तुम्हे क्या लगता है, क्या चौहान भी गौरव और विजय के साथ मिला हुवा था उष वक्त.” रोहित ने भोली से पूछा.

“मुझे नही लगता सिर की वो मिले हुवे थे. क्योंकि अगर ऐसा होता तो उन्हे आस्प साहिब की सिफारिस लगाने की ज़रूरात ना पड़ती. हाँ शायद उन पर दबाव बनाया गया और दबाव में आकर उन्होने कोई आक्षन नही लिया.” भोलू ने कहा.

“ह्म…ठीक है तुम जाओ” रोहित ने कहा.

भोलू के जाने के बाद रोहित गहरी सोच में डूब गया.

अगली सुबह रोहित को शालिनी से खूब दाँत प़ड़ रही थी.

“ये क्या नॉनसेन्स है रोहित. तुम क्या किशी के भी घर में घुस्स कर उसे थाने उठा लाओगे. इनही बातों से पुलिस की छवि खराब होती है.”

“मेडम मुझे शक था की गौरव ही साएको है. इश्लीए उशके घर गया था पूचेटाछ करने.मगर उसने फिरे किया मेरे उपर. और मेडम उसने दो लड़कियों का खून करके उनकी डेड बॉडीस कही गायब कर दी हैं. और सस्पेक्ट तो वो था ही पहले से. ब्लॅक स्कॉर्पियो में जो घूमता है वो.”

“वो सब ठीक है, मगर क़ानून नाम की भी कोई चीज़ होती है. हमें लॉ और प्रोसीजर को ध्यान में रखते हुवे ही अपनी ड्यूटी करनी है.”

“फिर तो 1000 साल इंतेज़ार कीजिएगा मेडम. फिर भी शायद ही हाथ आए वो साएको.”

“शूट उप. मैं कुछ नही शन-ना चाहती.”

“सॉरी मेडम.”

“यू कॅन गो नाउ.” शालिनी ने कहा.

रोहित मूह लटका कर बाहर आ गया. “अब मेडम को कैसे समझाओन की करिमिनल्स को पकड़ने के लिए उनके ही तरीके आज-माने पड़ते हैं.”

रोहित जंगल में साएको की अंदरग्राउंड कन्स्ट्रक्षन की इंक्वाइरी पे निकल दिया. मगर उसे कोई जानकारी नही मिली. वो एस्टेट ऑफीस गया, ड्म ऑफीस गया मगर कोई सुराग नही मिला उष कन्स्ट्रक्षन के बड़े में.

“अजीब बात है, जंगल में अंदरग्राउंड कन्स्ट्रक्षन किशणे की, कब की, कही भी कोई रेकॉर्ड नही है इश्का. साएको ने बहुत सोच समझ कर अपना ठीकना बनाया था. अगर मन लिया जाए की गौरव मेहरा ही साएको है तो मुझे उशके आस पास के लोगो से ही इंक्वाइरी करनी चाहिए. सबसे पहले उष्की बीवी से मिलता हूँ. मोहित से उष्का नंबर लेता हूँ.”

रोहित मोहित से दीपिका का नंबर ले कर उसे फोन कराता है. वो मिलने के लिए तैयार हो जाती है.

“कल मैं मोहित के ऑफीस जा रही हूँ. सुबह 11 बजे आप वही मिल सकते हैं मुझे” दीपिका ने कहा.”

“ओक थॅंकआइयू दीपिका जी.” रोहित ने कहा.
“गौरव मेहरा पर पूरी तरह फोकस करने से पहले, ब्लॅक स्कॉर्पियो के बाकी 2 ओनर्स की भी जाँच पड़ताल कर लूँ. दीपिका से कल ही मुलाक़ात होगी, तब तक ये काम निपटा लेता हूँ. केस इंता पेचीदा है की जल्दबाज़ी में गौरव मेहरा को साएको मान-ना भूल होगी. हालाँकि सबसे बड़ा सस्पेक्ट अभी वही है.”

रोहित पहले देवेंदर सिंग (आर्मी कर्नल) के घर पहुँचता है. उशके घर के बाहर ही एक ब्लॅक स्कॉर्पियो खड़ी थी. रोहित उसे बड़े गौर से देखता है.

“ह्म…कही इशी कार में तो नही घूमते हो तुम मिस्टर साएको” रोहित ने मन ही मन सोचा.

रोहित कार को आतची तरह से देखने के बाद घर के दरवाजे की तरफ बढ़ा. उसने दूर बेल बजाई तो एक बुजुर्ग ने दरवाजा खोला.

“क्या मैं कर्नल देवेंदर सिंग से मिल सकता हूँ.” रोहित ने कहा.

“साहब तो मुंबई गये हुवे हैं.”

“कब तक लौटेंगे वो.”

“कुछ कह नही सकता, उनका आने जाने का कोई टाइम फिक्स नही होता.”

“ह्म आप कौन हैं.”

“मैं इसे घर का नौकर हूँ.”

“क्या एक गिलास पानी मिलेगा काका.”

“हन हाँ बिल्कुल आओ अंदर आओ…मैं अभी लाता हूँ पानी.”

रोहित अंदर आया तो उसने देवार पर एक पैंटिंग लगी देखी. पैंटिंग बहुत ही अजीब थी. उसमें एक घोड़े की पीठ पर आदमी का कटा हुवा सर रखा था. आस पास घाना जंगल था.

“ये कैसी अजीब सी पैटिंग है. ऐसी पैटिंग किशणे बनाई. और कर्नल ने इशे अपने ड्रॉयिंग रूम में लगा रखा है. कुछ बहुत ही अजीब सा महसूस हो रहा है इसे पैंटिंग को देख कर.”

“ये लीजिए पानी”

रोहित ने पानी पिया और बोला, “ये कैसी अजीब सी पैंटिंग है काका.”

“पता नही कहा से ले आए साहिब इशे. हो सकता है की उन्होने खुद बनाई हो. मुझे भी ये यहा तंगी अजीब सी लगती है.”

“क्या वो पैटिंग का शॉंक रखते हैं.”

“हन पैंटिंग बनाते भी हैं और खड़ीद खड़ीद कर एक्कथा भी करते रहते हैं. पर इसे पैंटिंग का मुझे नही पता की उन्होने ये खड़ीदी है या खुद बनाई है.”

“क्या ऐसी अजीब सी पैटिंग और भी हैं या फिर ये एक ही है.”

“ऐसी अजीब पैंटिंग और तो कोई नही देखी मैने.”

“ह्म…वैसे कैसा स्वाभाव है आपके साहिब का”

“अतचा स्वाभाव है. सभी से बहुतब शालीनता से पेश आते हैं.”

“अतचा काका…मैं बाद में मिलूँगा उनसे. फिर किशी दिन आऊगा.”

रोहित निकल आया वाहा से बाहर.

“साएको खुद को आर्टिस्ट बोलता है. कर्नल पैटिंग का शॉंक रखते हैं. बहुत ही अजीबो ग़रीब पैटिंग टाँग न्यू एअर है उन्होने घर में. क्या कर्नल को सस्पेक्ट माना जा सकता है. काका के अनुसार उनका स्वाभाव अतचा है. क्या साएको ऐसा व्यक्ति हो सकता है जीशकि समाज में इज़्ज़त हो. मेरे ख्याल से बिल्कुल हो सकता है. अगर ऐसा ना होता तो वो अब नकाब लगा कर नही घूमता. विजय छील्ला छील्ला कर खुद को साएको बता रहा था. मगर वो सिर्फ़ कॉपी कॅट था. गौरव मेहरा भी खुद को साएको साहबित करने पे तुला हुवा है. साएको जैसा शातिर दीमग ऐसा कभी नही करेगा. फिर भी अभी किशी नतीज़े पर नही पहुँच सकते. गौरव के साथ साथ अब कर्नल पर भी कड़ी नज़र रखनी होगी मुझे. फिलहाल सिमरन से भी मिल आता हूँ. उशके पास भी तो ब्लॅक स्कॉर्पियो है.” रोहित ने मन ही मन सोचा.

रोहित अपनी जीप में बैठा और सिमरन के घर की तरफ चल दिया. घर जा कर पता चला की वो बॅंक में है. इसीसी में ब्रांच मॅनेजर थी वो. रोहित इसीसी बॅंक पहुँच गया.

जब वो सिमरन के ऑफीस में घुस्सा तो बोला, “अरे तुम”

“वॉट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़. आओ-आओ बैठो” सिमरन ने कहा.

सिमरन और रोहित एक दूसरे को जानते थे. देल्ही में एक मॅरेज रिसेप्षन के दौरान मुलाक़ात हुई थी उन दोनो की. रोहित ने उष दिन तोड़ा-तोड़ा फ्लर्ट भी किया था उष दिन सिमरन से… …. फँस ही गयी थी सिमरन जाल में मगर पता नही कहा से उष्का भाई आ गया अचानक और सारा मामला बिगड़ गया …

“मुझे नही पता था की आप देहरादून में हो.”

“8 महीने पहले ही आई हूँ यहा. आप क्या पुलिस में हैं.”

“जी हाँ ये वर्दी किशी नाटक में भाग लेने के लिए नही पहनी मैने ……”

“अरे हाँ याद आया आपने बताया था की आप पुलिस में हैं. कहिए कैसे आना हुवा यहा.”

“चलिए पहले काम की बात करते हैं. बाकी बाते तो अब होती ही रहेंगी …”

“बाकी बाते मतलब … …”

“वो सब बाद में. पहले ये बतायें की क्या आपके पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है.”

“हन है…क्यों?”

“आपको पता ही होगा की सहर में साएको का आतंक है.”

“हन बिल्कुल पता है. मैं खुद शाम ढलते के बाद कभी घर से बाहर नही जाती. ऑफीस से घर भी जल्दी चली जाती हूँ. पर इसे सबका मेरी ब्लॅक स्कॉर्पियो से क्या लेना देना.”

“दरअसल साएको ब्लॅक स्कॉर्पियो में ही घूमता है.”

“तो क्या मैं तुम्हें साएको नज़र आती हूँ …”

“अरे नही सिमरन, कैसी बात कराती हो. मुझे पता लगा था की एक ब्लॅक स्कॉर्पियो आप के पास भी है. मुझे नही पता था की आप वही ब्यूटिफुल सिमरन हैं जिन्हे मैं देल्ही में मिला था.”

“अतचा.”

“जी हन…ई मिस्ड यू आ लॉट. आपने अपना नंबर भी नही दिया था वरना आप से बात चीत होती रहती”

“अतचा नंबर दे कर क्या मैं आपके फ्लर्ट को बढ़ावा देती.”

“फूल भंवरे को बढ़ावा नही देगा तो कैसे चलेगा. हम तो आपके देवने हो गये थे आपको देखते ही.”

“हम बाद में मिलें. अभी मैं थोड़ा बिज़ी हूँ. लिख लो मेरा नंबर अब.”

“लिखने की ज़रूरात नही है, आप बोल दीजिए नंबर…दिल की गहराई में उतार जाएगा वो.”

“अतचा.” सिमरन शर्मा गयी ये शन कर.

“आप बिल्कुल नही बदली. आज भी वैसे ही शर्मा रही हैं.”

“प्लीज़…ऐसी बातें ना करें अभी. बॅंक के काम में मन उलझा हुवा है अभी.”

सिमरन ने अपना नंबर बता दिया रोहित को. रोहित ने उसे दिल में छाप लिया

सिमरन से मिलने के बाद रोहित सीधा थाने पहुँचा. वो शालिनी से मिल कर केस को डिसकस करना चाहता था.

“मेडम कुछ नयी बाते सामने आईं हैं, सोचा आप से डिसकस कर लूँ.”

“हन बोलो…क्या बात है?”

“मेडम एक उलझन पैदा हो गयी है. मैं आज कर्नल देवेंदर सिंग के यहा गया था. उनके ड्रॉयिंग रूम में एक बहूत ही अजीब पैंटिंग देखी मैने.” रोहित ने डीटेल में पूरी बात बताई.

“ह्म…एक और ओनर था ना ब्लॅक स्कॉर्पियो का, क्या नाम था उष्का ..”

“हन मेडम सिमरन नाम है उष्का, उष से भी मिल आया हूँ मैं. उष पर शक का कोई कारण नही है. वैसे भी हमारा सस्पेक्ट एक माले है और सिमरन फीमेल है. और मैं उसे जानता भी हूँ.”

“ह्म…तुम गौरव और देवेंदर दोनो पर कड़ी नज़र रखो…साएको इन दोनो में से ही एक होना चाहिए.”

“जी मेडम”

रोहित जैसे ही शालिनी के कमरे से बाहर निकला उसे चौहान दीखाई दिया. रोहित को देखते ही वो आग बाबूला हो गया, “सेयेल कब से ढुंड रहा हूँ तुझे मैं. आज तेरी खैर नही.”

चौहान आग बरसाता हुवा रोहित की तरफ बढ़ा. रोहित के कुछ समझ नही आया की वो अब क्या करे. भागने का रास्ता भी नही था . शूकर है तभी आस्प साहिबा बाहर आ गयीं.

“रोहित तुम मेरे साथ चलो, स्प साहिब ने बुलाया है. वैसे मैं अकेली ही जा रही थी मगर अभी-अभी वाहा से फोन आया है की स्प साहिब तुमसे भी मिलना चाहते हैं.”

रोहित ने शालिनी के आने से राहत की साँस ली. वो चौहान के कहर से बच गया था.

“जाओ बेटा आज तुम्हारी खैर नही. खूब खाल उधेड़ेंगे आज स्प साहिब तुम्हारी.” चौहान ने धीरे से रोहित को कहा.

रोहित ने चौहान को कुछ भी कहना ठीक नही समझा. वो चुपचाप शालिनी के साथ चल दिया.

जैसी की उम्मीद थी शालिनी और रोहित को खूब दाँत पड़ी.

“जंगल में उंड़र्गौँड कन्स्ट्रक्षन बहुत बड़ा शुराग है पर तुम दोनो कुछ नही कर पा रहे. अरे पता करो उशके बड़े में. ऐसे ही चलता रहा तो मेरी नौकरी चली जाएगी. रोज दाँत मुझे शन-नि पड़ती है. कितना वक्त और चाहिए तुम्हे इसे हरांखोर साएको को पकड़ने के लिए.”

“सिर हमें कुछ इंपॉर्टेंट क्लू मिलें हैं. हमें उम्मीद है की हम जल्द साएको को पकड़ लेंगे.”

“तट इस गुड न्यूज़. बट ई नींद सम्तिंग इन रियल डियर. जींदा या मुर्दा चाहिए मुझे वो साएको. अपनी पूरी ताक़त लगा दो. जल्दी से मुझे कुछ रिज़ल्ट दो.”

स्प साहिब के रूम से निकल कर शालिनी ने कहा, “ गौरव और देवेंदर पर 24 घंटे निगरानी रखो. हमें कुछ ना कुछ हाथ ज़रूर लगेगा.”

“जी मेडम आप चिंता ना करें. ई विल टके केर ऑफ एवेरितिंग.”

आस्प साहिबा अपनी जीप में बैठ कर अपने घर चली गयी. रोहित ने गौरव और कर्नल देवेंदर सिंग की निगरानी के लिए 2-2 कॉन्स्टेबल्स लगा दिए और उनके हिदायत दे दी की पल-पल की खबर वो उसे देते रहें.

रोहित सहर के रौंद पर निकल पड़ा. काफ़ी देर तक वो यहा वाहा घूमता रहा. अचानक उसे रीमा का ख्याल आया. उसने अपना मोबाइल निकाला जेब से और रीमा का नंबर डाइयल किया. मगर डाइयल करते ही तुरंत काट दिया, “अफ फोन तो उष कामीने चौहान के पास. लगता है रीमा पर पाबंदियाँ लगा दी हैं चौहान ने. लगता है ये अफेर यही ख़त्म हो गया है. अचानक ही हम मिले और अचानक ही बीछड़ गये. टके केर रीमा. हम चाहे मिले ना मिले पर हमारी दोस्ती बनी रहेगी.”

अचानक रोहित को सिमरन का ख़याल आया. “अरे सिमरन को फोन कराता हूँ. उशके साथ भी तो कुछ संभावनायें हैं ..”

रोहित ने सिमरन को फोन मिलाया.

“ही सिमरन…शो गयी क्या?”

“हू इस तीस?”

“अरे मैं रोहित बोल रहा हूँ.”

“ओह तुम. सॉरी तुम्हारा नंबर नही था ना मोबाइल में इश्लीए तुम्हे पहचान नही पाई.”

“कोई बात नही सिमरन जी. अब तो पहचान लिया ना. कहा हैं आप इसे वक्त.”

“मैं अपने घर पर हूँ.”

“अकेली हैं क्या …”

“क्यों .. …”सिमरन ने पूछा.

“अगर आप अकेली हैं तो हम आपके पास आ जाते हैं आपका मन बहलाने के लिए.”

“अतचा…”

“जी हन…बोलिए क्या कहती हैं आप. बड़े दीनो बाद मिलें हैं हम आज. क्यों ना आज के दिन को यादगार बना दे हम.”

“यादगार कैसे बनाएँगे वो भी बता दीजिए.”

“आप मिलिए तो सही…हमारी मुलाक़ात खुद-ब-खुद यादगार बन जाएगी.”

सिमरन मुश्कुरा कर बोली, “आप कहा हैं इसे वक्त?”

“मैं सहर का रौंद ले रहा हूँ. आप कहेंगी तो तुरंत आपके पास आ जवँगा.”

“क्यों आ जाएँगे, साएको को नही पकड़ना क्या आपको.”

“पकड़ना है बिल्कुल पकड़ना है. दिन रात इशी चक्कर में रहता हूँ. आज रात आपको पकड़ लेता हूँ, साएको को बाद में देख लूँगा.”

“ह्म…मुझे पकड़ कर क्या कीजिएगा. जैल में तो नही डाल देंगे कही.”

“हाहाहा, जैल में नही आपको पकड़ कर अपने दिल में डालने का इरादा है. आ ज़ाऊ क्या आपको अपने दिल में डालने के लिए.”

“ह्म आ जाओ…”
“अपना अड्रेस दे दीजिए. मैं अभी तुरंत आ जवँगा आपके पास.”

सिमरन ने अपना अड्रेस दे दिया रोहित को. रोहित बिना वक्त गवाए कोई 20 मिनिट में पहुँच गया सिमरन के घर.

रोहित ने सिमरन के घर पहुँच कर गौर किया की उशके घर के बाहर ब्लॅक स्कॉर्पियो नही है. “हो सकता है की उसने गॅरेज में खड़ी की हो स्कॉर्पियो.”

रोहित ने कन्फ्यूज़्ड माइंड से सिमरन के घर की बेल बजाई. सिमरन ने दरवाजा खोला.

“ही सिमरन…एक बात बताओ, तुम्हारी ब्लॅक स्कॉर्पियो कहा खड़ी कराती हो तुम.”

“छोड़ो भी…यहा इन्वेस्टिगेशन करने आए हो या फिर…..”

“पुलिस वाला हूँ ना कोई ना कोई सवाल घूमता रहता है दीमग में. बताओ ना, कहा खड़ी कराती हो अपनी कार तुम.”

“हद करते हो. आते ही सवाल जवाब शुरू. पहले अंदर तो आओ.”

ना जाने क्यों रोहित का माता कुछ ठनक रहा था. “बड़ी जल्दी मन गयी वैसे सिमरन. इतनी जल्दी मुझे घर इन्वाइट कर लेगी, सोचा नही था मैने. अपनी स्कॉर्पियो के बड़े में भी कुछ नही बता रही. कही कुछ गड़बड़ तो नही.”

“आओ ना रोहित सोच क्या रहे हो?”

“नही कुछ नही…अतचा लगा मुझे जो की आपने मुझे इन्वाइट किया अपने घर.”

“फिर झीजक क्यों रहे हैं. आईए ना.” सिमरन ने कहा.
सिमरन रोहित को अंदर इन्वाइट कर रही थी मगर, रोहित के मन में काई सवाल घूम रहे थे. वो सोच रहा था की आख़िर सिमरन सॉफ-सॉफ ये क्यों नही बता रही की उष्की ब्लॅक स्कॉर्पियो कहा हैं. क्योंकि हर सवाल का जवाब उसे सिमरन से ही मिलना था इश्लीए वो मुश्कूराता हुवा सिमरन के घर में घुस्स गया.

“क्या लेंगे आप छाए या कॉफी या कुछ ठंडा.”

“फिलहाल हो सके तो अंगूर खिला दीजिए. आपके टॉप से बाहर निकले जा रहे हैं ये. क्या कीजिएगा इन्हे संभाल कर, दे दीजिए हमें हम संभाल लेंगे इन्हे.”

“बहुत बेशरम हैं आप…ऐसा कहता है क्या कोई. …”

“अब आप पूछ रही थी की क्या लूँगा तो अपनी चाय्स बता दी.”

“घर में घुसते ही क्या आपको बस अंगूर नज़र आए.” सिमरन ने पूछा.

“नज़र तो बहुत कुछ आया मगर अंगूर कुछ इसे तरह ज़ोर मार रहें हैं आपके टॉप के पीछे से की देखता ही रह गया. थे अरे वेरी शार्प, कही फाड़ ना दें आपके टॉप को.”

“अतचा.”

“जी हन, वैसे आप बहुत आतची लग रही हैं.”

“फ्लर्ट में तो माहिर हैं आप. बैठिए आप मैं छाए लाती हूँ. कुछ तो लेना ही पड़ेगा आपको.”

रोहित ने आगे बढ़ कर सिमरन का हाथ पकड़ लिया और इसे से पहले की वो कुछ समझ पाती उशके होंटो को अपने होंटो में जाकड़ लिया.

“उम्म्म्म… छोड़िए.” सिमरन ने कहा.

“छाए क्यों ला रही हैं. मैं बहुत कुछ लेने वाला हूँ आप चिंता ना करें. …”

“वैसे छाए के बाद मैं ज़्यादा एग्ज़ाइटेड फील कराती हूँ…सोच लीजिए.”

“अफ अगर ऐसा है तो छाए मुझे भी दीजिए…वैसे छाए में कुछ मिलाती तो नही हैं आप .. …”

“नही बस सिंपल छाए लेती हूँ मैं.”

“कूल, ले आईए छाए, ई आम वेटिंग.”

रोहित सोफे पर बैठ गया. सिमरन किचन में चली गयी.
कुछ देर बाद सिमरन छाए ले कर आई. एक कप उसने रोहित को दे दिया और एक कप खुद लेकर रोहित के सामने दूसरे सोफे पर बैठ गयी.

रोहित को ना जाने क्यों सिमरन पर कुछ शक हो रहा था. वो सोफे से उठा और बोला, “आईए अपने कप एक्सचेंज कर लेते हैं, इसे से प्यार बढ़ता है.”

रोहित को लग रहा था की अगर उसने उशके कप में कुछ मिलाया होगा तो वो कप एक्सचेंज करने से माना कर देगी. मगर सिमरन ने चुपचाप मुश्कूराते हुवे कप एक्सचेंज कर लिए.

“ह्म आतची छाए बनाई है आपने. देखने वाली बात अब ये है की आप कितनी एग्ज़ाइट होती हैं छाए पे कर. शायद मुझे एग्ज़ाइट्मेंट में एक ब्लो जॉब मिल जाए.”

“हाहाहा…इतनी भी एग्ज़ाइट नही होती हूँ मैं की किशी का डिक मूह में ले लूँ.”

“वैसे इतना एग्ज़ाइट करने के लिए क्या करना होगा मुझे, ई वॉंट तो प्लेस माई डिक बिट्वीन युवर ब्यूटिफुल लिप्स.” रोहित ने हंसते हुवे कहा.

“तुम कुछ नही कर सकते, ई डोंट लीके सकिंग. …” सिमरन भी हंसते हुवे बोली.

रोहित सिमरन के पास आया और उसे उष्का हाथ पकड़ कर सोफे से उठा लिया और बोला, “आपको क्या पसंद है और क्या नही वो सब हम बाद में देखेंगे, मुझे अपने अंगूर दे दीजिए फिलहाल …”

“अंगूर खट्टे हुवे तो ?”

“इतनी शुनदर बगिया के अंगूर खट्टे हो ही नही सकते.” रोहित ने कहा और सिमरन के टॉप को उतारने लगा.
“वैसे चख कर देख लेता हूँ अभी ..”

“बड़े उतावले हो रहे हैं आप. रुकिये थोड़ी देर. थोड़ा बात चीत तो कर लें.”
“बात चीत भी होती रहेगी और काम भी होता रहेगा …” रोहित ने कहा और एक झटके में सिमरन का टॉप उतार कर सोफे पर फेंक दिया.

“अरे ये अंगूर तो बिना ब्रा के ही टॉप के पीछे छुपे थे. तभी काहु क्यों टक्कर मार रहे हैं टॉप में. यू हॅव गॉट ब्यूटिफुल बूब्स सिमरन.”

“अतचा”

“हन, बहुत शुनदर हैं…लेट मे शकदेम नाउ.” रोहित ने सिमरन के बायें बूब्स को थाम लिया और उशके निपल्स को चूसने लगा.

“आअहह….इतनी जल्दी सब शुरू हो जाएगा मैने सोचा नही था.”

“आपने मुझे घर बुला लिया अपने तो जल्दी तो मुझे करनी ही थी हहहे.”

“यू अरे डर्टी कॉप.”

“ई नो, बट ई आम हार्मलेस…”

“आअहह दाँत मार दिए और बोलते हो हार्मलेस …”

“सॉरी…सॉरी…सॉरी हड़बड़ी में गड़बड़ी हो गयी.” रोहित ने हंसते हुवे कहा.

“निकालो अपना पेनिस बाहर मैं भी दाँत मारूँगी.”

“विल यू शकइट पर तुम तो लीके नही कराती ना.” रोहित ने कहा.

“शकनही करूँगी बल्कि दाँत मारूँगी…निकालो बाहर.”

“ओक बाये थे वे माई डिक लाएक्स अड्वेंचर, देखते हैं की क्या करोगी तुम.” रोहित ने अपनी ज़िप खोल कर अपने लिंग को बाहर खींच लिया.

“ह्म… नाइस डिक…नाउ ई विल गिव थे सेम ट्रीटमेंट तो युवर डिक विच यू हॅव गिवन तो माई निपल्स. अरे यू रीडी.”

“ऑल्वेज़ रीडी फॉर यू, कम ऑन शकइट हार्ड और नाइस.” रोहित ने कहा.

सिमरन रोहित के सामने घुतनो के बाल बैठ गयी और उशके लिंग को अपने होंटो के बीच दबा लिया.

“आआहह वेरी गुड, प्लीज़ कंटिन्यू….” रोहित ने कहा. मगर अगले ही पल रोहित कराह उठा, “आउच.”

“क्या हुवा रोहित.” सिमरन ने पूछा.

“यार तुमने सच में दाँत मार दिए, ये सच में अड्वेंचर हो गया. अब आपके मूह में लंड रखना ख़तरे से खाली नही…आपकी चुत ही ठीक रहेगी लंड रखने के लिए.”

“ग़लती से लग गये दाँत. सॉरी…मैने इंटेन्षनली नही किया.”
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 41

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Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

Unread post by sexy » 03 Oct 2015 09:20

“इट्स ओक…बुत ई कॅन’त टके थे रिस्क…प्लीज़ आपकी चुत को सामने लायें और हमें सुखद परवेश परदान करें.”

रोहित ने सिमरन को अपनी गोदी में उठा लिया और बोला, “चलिए आपके बेडरूम में चलते हैं. अगर यही ड्रॉयिंग रूम में ही ठुकवानी है तो वो भी बोल दीजिए.”

“नही मेरा मखमली बिस्तर मुझे अतचा लगता है. फील फ्री तो टके मे तेरे.”

रोहित सिमरन को उशके बेडरूम में ले आया और तुरंत उशके सारे कपड़े उतार दिए. खुद के कपड़े उतार कर वो सिमरन के उपर चढ़ गया और बोला, “पहली बार संभोग में उतार रहे हैं हम दोनो. मेरे लंड को किश पोज़िशन में परवेश देना पसंद करेंगी आप.”

“ह्म…ई ऑल्वेज़ प्रिफर मिशनरी पोज़िशन. रेस्ट अप्ट यू.”

“अब आपको जो पसंद है उशी पोज़िशन में परवेश करेंगे. टांगे खोल कर मेरी कमर पर काश लीजिए आपको एक लंबे सफ़र पे ले जा रहा हूँ मैं ..”

“अतचा…”

“जी हाँ बिल्कुल.”

रोहित ने सिमरन की टांगे खोल कर उष्की योनि पर अपना लिंग टीका दिया और ज़्यादा वक्त ना गवाते हुवे एक धक्के में अपने लिंग को तकरीबन आधा सिमरन की योनि में सरका दिया. सिमरन कराह उठी, “ऊओह एस…”

“वाउ वॉट आ स्मूद पुसी यू हॅव. वेरी नाइस. लीजिए अब पूरा जाकड़ लीजिए मेरे लंड को.” रोहित ने खुद को पूरा ढकैयल दिया सिमरन की योनि में. इसे दौरान सिमरन ने बिस्तर की चादर को पूरे ज़ोर से मुति में भींच रखा था.

“उफ़फ्फ़ आपने जान निकाल दी मेरी.”

“इतनी जल्दी जान निकल गयी, अभी जब आपकी रेल बनेगी तब क्या होगा …”

“रेल बनेगी मतलब… … क्या मतलब है तुम्हारा.”

“कुछ नही घबराए नही मज़ाक कर रहे हैं हम. अब अगर आपकी इज़ाज़त हो तो हम आपकी तुकाई कर लें.”

“कीजिए ना हमने रोका है क्या, वैसे रेल का मतलब क्या था …”

रोहित ने बिना कुछ कहे सिमरन की योनि को अपने लिंग से रगड़ना शुरू कर दिया और बोला, “रेल का मतलब भी पता चल जाएगा, ज़रा धारया रखें.”

कुछ ही मिंटो में सिमरन की शिसकियाँ गूँज रही थी कमरे में. वो अपने दोनो पाँव पटक रही थी बिस्तर पर.

“उउउहह रोहित प्लीज़ रुकना मत आआहह”

ये शुंते ही रोहित रुक गया और सिमरन की योनि से अपना लिंग निकाल लिया और बोला, “अब एक स्वाल है.”

“वॉट मज़ाक मत करो, जल्दी वापिस डालो, मेरा ऑर्गॅज़म रोक दिया तुमने …” सिमरन ने निरासा भरे शब्दो में कहा.

“डाल दूँगा वापिस पहले विवेक भाई की तरह कुछ सवाल पूछ लॅंड …”

“ये क्या मज़ाक है रोहित, प्लीज़ डाल दो ना.” सिमरन गिड़गिडाई.

“पहले ये बताओ की तुम्हारी ब्लॅक स्कॉर्पियो कहा है.”

“यार तुम यहा अपनी इन्वेस्टिगेशन पे आए हो या फिर मुझसे मिलने ….”

“ड्यूटी सबसे पहले है, बाकी काम बाद में. आपने भी तो आज दिन में मुझे अपने ऑफीस से चले जाने को बोल दिया था. मुझे अपने सवालो के जवाब चाहिए, अगर जवाब नही मिलेगा तो आपकी चुत प्यासी रह जाएगी.”

“ये तो हद हो गयी. किशी ने मेरे साथ ऐसा नही किया.”

“बताओ ना मुझे की कहा है तुम्हारी कार. क्यों झीजक रही हो. जल्दी से बताओ, ई विल फक यू ईवन हार्डर आफ्टर तट.”

“कार मेरे बॉय फ्रेंड के पास है. वो देल्ही ले गया है ड्राइव करके. कल शाम तक लौट आएगा. तुम्हे अपने बॉय फ्रेंड के बड़े में बठाना नही चाहती थी इश्लीए झीजक रही थी.”

“ह्म… क्या नाम है तुम्हारे बॉय फ्रेंड का.”

“उष से तुम्हे क्या मतलब? तुम मुझसे मतलब रखो.”

“मतलब है मुझे. सहर में साएको ने आतंक मचा रखा है और वो ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूमता है. क्या अक्सर तुम्हारी कार तुम्हारे बॉय फ्रेंड के पास होती है.”

“हन होती तो है…तुम्हे क्या लेना देना, हटो मेरे उपर से ई डोंट वॉंट युवर डिक अनीमोर.”

मगर रोहित ने तुरंत अपने लिंग को सिमरन की योनि में डाल दिया.

“आअहह… अब क्यों डाला तुमने.”

“काफ़ी सवालो के जवाब मिल गये इश्लीए. प्लीज़ बताओ ना की कौन है तुम्हारा बॉय फ्रेंड.”

“संजय नाम है उष्का…”

“ह्म…लोवे अफेर चल रहा है क्या तुम्हारा उशके साथ.”

“पागल हो क्या, हे इस मॅरीड ओर अगर लव अफेर चल रहा होता तो तुम अपना ये ब्लॅकमेलिंग डिक डाल कर नही पड़े होते मेरे अंदर. हे इस जस्ट टाइम पास.”

“टाइम पास फ्रेंड…वाह मन गया आपको ….” रोहित हँसने लगा.

“हँसो मत और अब अपना काम करो.”

“बस एक और सवाल.” रोहित ने कहा.

“अब क्या है…लगता है तुम्हारा संभोग का मूड नही है.”

“बस संजय का अड्रेस दे दीजिए मुझे.”

“क्या उष्का अड्रेस क्यों दु तुम्हे. तुम उष पर शक मत करो. वो बहुत शरीफ बंदा है.”

“शरीफ बंदे की ही तलाश है मुझे. मुझे लगता है साएको कोई शरीफ बंदा ही है जीश पर की हमारी नज़र नही गयी अब तक. वैसे ये अंदाज़ा ही है.”

“यार तुम साएको को पाकड़ो जाकर मेरा क्यों मूड खराब कर रहे हो. कब से अंदर डाल कर पड़े हो, एक धक्का भी नही मारा तुमने. दे दूँगी अड्रेस…पहले ये काम फिनिश करो.”

“धन्यवाद आपका, ये लीजिए अब आपकी रेल बनेगी.” रोहित ने कहा और बिस्तर पर तूफान मचा दिया.

वो इतनी ज़ोर से धक्के मार रहा था की बेड भी आवाज़ करने लगा.

“आअहह एस… प्लीज़ कंटिन्यू….अब मत रुकना.”

“हाहहाहा…..वैसे एक सवाल बाकी है अभी …”

“क्या नहियीईई प्लीज़ मेरा ऑर्गॅज़म हो जाने दो. मैं बहुत नझडीक हूँ. प्लीज़…कंटिन्यू आआहह.”

“जस्ट जोकिंग सिमरन, एंजाय युवर ऑर्गॅज़म.”

“थॅंक्स रोहित. आआहह यू अरे टू गुड. ईच थ्रस्ट ऑफ युवर्ज़ इस वेरी-वेरी पॉवेरफ़ुल्ल. ई आम फीलिंग युवर थ्रस्ट ऑल ओवर माई बॉडी. प्लीज़ रुकना मत अब.”

वैसे रोहित अब रुकने के मूड में नही था. सभी सवालो के जवाब उसे मिल गये थे. उशके धक्को की तेज़ी बढ़ती जा रही थी.

अचानक सिमरन बहुत ज़ोर से छील्लाई, “ऑश नूऊ…. एस आआहह..प्लीज़ रुक जाओ…आहह.”

सिमरन ने आख़िरकार अपना ऑर्गॅज़म पा लिया था

मगर रोहित ने अपनी मूव्मेंट जारी न्यू एअर. उष्का ऑर्गॅज़म अभी बाकी था. वो लगा हुवा था तेज तेज धक्के मारने में. वो बस पहुँचने ही वाला था अपने चरम पर की अचानक उष्का मोबाइल बाज उठा.

“अफ कौन है इसे वक्त.”

“तुम लगे रहो, बाद में देखना, अपना काम भी तो पूरा करो, ई वॉंट युवर हॉट वॉटर इनसाइड मे.”

“पानी की नदी बहा दूँगा, पहले देख लॅंड की किशका मेसेज आया है.”

रोहित ने बिस्तर पर पड़ी अपनी पेंट को हाथ बढ़ा कर अपनी तरफ खींच लिया. और पेंट की जेब से अपने मोबाइल को निकाल कर मेसेज रीड करने लगा. मेसेज पढ़ते ही उशके होश उस गये.

मेसेज कुछ इसे परकार था.

“मिस्टर रोहित पांडे. मेरे ठिकाने से ही बच कर निकल गये तुम. वेरी नाइस. तुम्हारी आस्प साहिबा भी पूरी पुलिस फोर्स ले कर पहुँच गयी थी जंगल में. वो ना आती तो तुम्हारा वो हाल कराता की दुबारा जानम नही लेते धराती पर. तुम्हारी आस्प साहिबा मेरे कब्ज़े में है. बहुत ही बुरी मौत दूँगा आस्प साहिबा को मैं. कुछ कर सकते हो तो कर लो. तडपा तडपा कर मारूँगा उसे मैं.”

रोहित तुरंत सिमरन के उपर से हट गया.

“क्या हुवा…डोंट यू वॉंट युवर ऑर्गॅज़म.”

“ऑर्गॅज़म से भी ज़्यादा कीमती चीज़ दाँव पर लगी है सिमरन. मुझे तुरंत जाना होगा.”

रोहित ने फ़ौरन अपने कपड़े पहन लिए और बोला, “मुझे संजय का अड्रेस दो जल्दी.”

“आख़िर बात क्या है बताओ तो.”

“प्लीज़ गिव मे थे डॅम अड्रेस. बाते करने का वक्त नही है.”

सिमरन ने रोहित को संजय का अड्रेस दे दिया. रोहित तुरंत वो अड्रेस ले कर सिमरन के घर से निकल गया. उशके चेहरे पर बहुत ज़्यादा गुस्सा था.

सिमरन के घर से निकलते ही रोहित ने आस्प साहिबा को फोन मिलाया. वो कन्फर्म करना चाहता था की साएको सच बोल रहा है या झुत. मगर फोन साएको ने उठाया.

“हेलो मिस्टर पांडे, अब जब आस्प साहिबा मेरे कब्ज़े में हैं तो फोन भी तो मेरे पास ही होगा. कैसे बेवकूफ़ पुलिस वाले हो तुम. चलो कोई बात नही. मैं खुद तुम्हे फोन करने वाला था. सोच रहा हूँ क्यों आस्प साहिबा की खूबसूराती को बेकार किया जाए. वो भी प़ड़्‍मिनी से कम शुनदर नही है. अफ क्या गुस्सा है इश्कि आँखो में. बेचारी छटपटा रही है. बहुत ही शुनदर लग रही है. अभी दर नही है इश्कि आँखो में. दर भी आएगा. दर में ये और ज़्यादा शुनदर लगेगी. आस्प साहिबा को भी एक आर्टिस्टिक मौत मिलनी चाहिए. शी डिज़र्व्स आ ब्यूटिफुल डेत.”

“ब्यूटिफुल डेत तो तुम्हे मैं दूँगा, नपुंशकसाएको.” रोहित छील्लाया.

“हाहहाहा, देखते हैं आज की कौन नपुंशकहै. चलो तुम्हे मोका देता हूँ आस्प साहिबा को बचाने का. हालाँकि वो मेरे हाथो हर हाल में मरेगी. अभी इशी वक्त मुस्सूरीए की तरफ माड लो अपनी गाड़ी. पाहाड़ों में चित्रकारी करने का मन है इसे बार. तुम्हे मेरी ब्लॅक स्कॉर्पियो खड़ी मिलेगी सड़क किनारे. बस तुम चलते जाना. जहा ब्लॅक स्कॉर्पियो खड़ी मिले वही रुक जाना. आगे मैं संभाल लूँगा.कोई होशियारी मार करना वरना तुम जानते ही हो की मैं क्या कर सकता हूँ. वेटिंग फॉर यू मिस्टर पांडे. किशी को भी फोन करने की कोशिस मत करना. जीप में कॅमरा है तुम्हारी. देख रहा हूँ तुम्हे मैं. अब चुपचाप मस्सूरीए की हसीन वादियों की तरफ आ जाओ. वैसे तुम्हारे पास चाय्स है ना आने की, वो तुम्हारी लगती भी क्या है. नही आओगे तो अगले 15 मिनिट में आस्प साहिबा मेरी आर्ट का हिस्सा बन जाएगी. अगर आओगे तो आस्प साहिबा के साथ तुम भी सामिल हो जाओगे मेरी आर्ट में. चाय्स तुम्हारी है, बताओ मैं इंतेज़ार करूँ तुम्हारा या फिर बना दम शालिनी की आर्ट इशी वक्त.”

“मैं आ रहा हूँ सेयेल, नामार्द साएको. तेरी बुजदिली जाहिर होती है इन हरकटो से. सच बता तू अपने बाप की औलाद नही है ना. शायद किशी पड़ोसी की मेहरबानी का नतीज़ा हो तुम. “

“तुम्हे मारने में बहुत मज़ा आएगा मिस्टर रोहित पांडे. जल्दी आ जाओ अब देर मत करो. मेरा चाकू प्यासा है. और इसे फोन की कोई ज़रूरात नही है तुम्हे अब. फेंक दो इशे एक तरफ. बंदूक का भी क्या करोगे तुम, उसे भी एक तरफ फेंक दो.” साएको ने फोन काट दिया ये बोल कर

“मेरी जीप में कॅमरा कब लगा गया ये कमीना …बहुत शातिर है ये.” रोहित ने फोन और बंदूक फेंक दिए एक तरफ और जीप में बैठ कर मुस्सूरीए की तरफ चल दिया.

रात के 12 बाज रहे थे. सदके शुनशान थी. हर तरफ खौफनाक सन्नाटा था. रोहित पूरी तेज़ी से मुस्सूरीए की तरफ बढ़े जा रहा था. कोई 40 मिनिट चलने के बाद उसे एक ब्लॅक स्कॉर्पियो दीखाई दी सड़क पर खड़ी हुई. उसने अपनी जीप उशके पीछे रोक दी.

“बहुत बढ़िया कार पे नंबर प्लेट ही नही है. वाह भाई वाह. मन गये साएको जी आपको” रोहित ने मन ही मन कहा.

रोहित चुपचाप जीप से निकल कर बाहर आया.

“आओ मिस्टर रोहित पांडे, बड़ी जल्दी आ गये तुम. मान-ना पड़ेगा हिम्मत बहुत है तुम में.” साएको ने कहा. वो एक पेड़ के सहारे खड़ा था और उशके चेहरे पर काला नकाब था.
“तुम्हारी तरह नपुंशकनही हूँ.”

“हाहहाहा रस्सी जल गयी पर बाल नही गये. अपनी बंदूक निकाल कर अपनी जीप में रख दो और चुपचाप मेरे साथ चलो.”

“एक बात पूछूँ, तुम ये सब क्यों करते हो.”

“आर्टिस्ट को अपना हुनर दीखने के लिए किशी कारण की ज़रूरात नही होती. आओ आपको अंधेरे जंगल में ले चलते हैं.”

“यहा नया ठीकना बना लिया क्या तुमने.”

“जल्दी चलो वरना आस्प साहिबा गहरी खाई में गिर जाएगी.”

“अब कौन सी गेम खेल रहे हो तुम.”

“चलो चुपचाप, सब पता चल जाएगा.”

रोहित चुपचाप साएको के आगे चल दिया.

“अपना चेहरा तो दीखा देते एक बार. इतना डराते क्यों हो तुम.”

“मिस्टर पांडे मैं किशी से नही डराता हूँ, आर्टिस्ट हूँ मैं. खुद को गुमनाम रखना चाहता हूँ.”

“अपने दर को छुपाने की कोशिस कर रहे हो तुम. गुमनाम रहना तो एक बहाना है.”

“चुप कर बहुत हो गयी तेरी बड़बड़, अब एक शब्द भी बोला तो भेजा उसा दूँगा तेरा.”

“हाहहाहा, तू मुझे ऐसे नही मारेगा मुझे पता है. अपने प्लान के मुताबिक मारेगा. देखता हूँ मेरे लिए तेरे जैसे हिजड़े ने क्या प्लान बना रखा है.”

“दीमाग खराब मत कर. प्लान के बिना भी मार सकता हूँ तुझे मैं.”

“वो पता है मुझे. तभी तो तुझे साएको कहते हैं लोग.”

“साएको मत बोलो मुझे, मैं एक आर्टिस्ट हूँ, कितनी बार बठाना पड़ेगा.”

“तुम ले जा कहा रहे हो मुझे.”

“चलते रहो चुपचाप बस कुछ ही देर में पहुँचने वाले हैं.”

कुछ देर बाद साएको बोला, “लो पहुँच गये”

“हर तरफ अंधेरा है. आस्प साहिबा कहा हैं.” रोहित ने पूछा.

साएको ने अपनी जेब से एक टॉर्च निकाली और रोशनी को एक पेड़ की और किया.
रोहित की आँखे फटी की फटी रह गयी पेड़ की तरफ देख कर.

शालिनी के दोनो हाथ रस्सी से बँधे हुवे थे और वो पेड़ के एक लंबे तने के सहारे लटकी हुई थी. उशके मूह में कुछ ठूंस रखा था साएको ने जीशके कारण वो कुछ भी नही बोल पा रही थी. शूकर था की उशके शरीर पर कपड़े थे. वो जीन्स और टॉप पहने हुवे थी.

“अब तुम जाओ और उसे बचा लो. हाथ खोल कर उसे ज़मीन पर गिरा देना. सिंपल सी गेम है. ज़्यादा पेचिदगी नही है. जाओ चढ़ जाओ पेड़ पर.” साएको ने कहा.

“गेम सिंपल नही हो सकती ये. कुछ बहुत बड़ी गड़बड़ है …” रोहित ने सोचा.

“क्या सोच रहे हो. जाओ और उष्की मदद करो. एक मिनिट की भी देरी की तो उसे भी गोलियो से भुन दूँगा और तुम्हे भी.” साएको छील्लाया.

रोहित मन में दुविधा लिए पेड़ की तरफ बढ़ने लगा. रोहित ने पीछे मूड कर दीखा तो पाया की साएको पैंटिंग करने की तैयारी में है. लाइट का इंतेज़ां कर रखा था साएको ने अपनी पैंटिंग के लिए. मगर शालिनी के सिर्फ़ चेहरे पर ही टॉर्च की रोशनी प़ड़ रही थी. बाकी आस-पास का कुछ भी नही दीखाई दे रहा था.

रोहित मन में दुविधा लिए धीरे-धीरे पेड़ की तरफ बढ़ा.

“कोई ख़तरनाक गेम है जो की समझ नही आ रही मुझे.” रोहित के मन में ढेर सारे सवाल थे.

साएको चुपचाप कॅन्वस पर पैंटिंग करने में लग गया. उष पर पेड़ से तंगी शालिनी तो ऑलरीडी पेंटेड थे, अब वो उष टहनी पर जीश पर की शालिनी लटकी थी एक आकृति बना रहा था. जो की शायद रोहित की थी.

“तीस विल बे मास्टरपीस करियेशन. आस्प साहिबा और रोहित पांडे पेड़ के मायाजाल में उलझे हुवे बड़े शुनदर लगेंगे हिहिहीही.” साएको धीरे से मुश्कुरआया.
रोहित बहुत ज़्यादा कन्फ्यूषन में था. उसे साएको की गेम समझ नही आ रही थी.”आख़िर क्या चाहता है ये कमीना साएको. इशके जैसा शातिर और कमीना इतनी आसान गेम नही खेल सकता. कुछ तो है ख़तरनाक इसे गेम में जो की मुझे समझ नही आ रहा.” रोहित पेड़ पर चढ़ते हुवे सोच रहा था.

“आप बिल्कुल चिंता मत करो मेडम, मेरे होते हुवे आपको कुछ नही होगा. हाँ मार गया तो कुछ कह नही सकता, पता नही कैसी गेम है ये इसे कामीने की.”

शालिनी रोहित की बात शुंते ही उष्की तरफ देखते हुवे छटपटाने लगी. उशके मूह में कुछ ठूंस रखा था साएको ने. मगर वो चटपटाते हुवे मूह से बिना शब्दो के घुतन भारी आवाज़ कर रही थी. मानो इशारो में कुछ कह रही हो. रोहित समझ तो कुछ नही पाया मगर उसे इतना अहसास ज़रूर हो गया की आस्प साहिबा कुछ कह रही हैं.

“मिस्टर रोहित पांडे बहुत ढीले पुलिस वाले हो तुम. जल्दी करो, देखो कैसे छटपटा रही हैं आस्प साहिबा. बहुत देर से तंगी हैं ये इसे पेड़ से. जल्दी से रस्सी खोल दो और इन्हे ज़मीन पर गिरा दो. धूल चाहता दो इन्हे ज़मीन की. और हाँ तुम्हारे पास इनको उपर खींचने की ऑप्षन नही है. इन्हे उपर खींचा तो तुरंत गोलियों से भुन दूँगा तुम दोनो को. गेम जैसे मैं कहता हूँ वैसे ही खेलो तुम दोनो का कुछ नही बिगड़ेगा.” साएको ने तेज आवाज़ में कहा.

ये शुंते ही रोहित का माता तनका, “कही ये कमीना मेरे हाथो मेडम को मरवाना तो नही चाहता. कही ज़मीन पर कुछ ऐसा तो नही है जीश पर गिराते ही मेडम की मौत हो जाए और साएको की घिनोनी आर्ट पूरी हो जाए.” रोहित ने बड़े गौर से नीचे देखा. अंधेरा इतना ज़्यादा था की उसे कुछ दीखाई नही दिया.

“क्या सोच रहे हो मिस्टर पांडे, कितना वक्त लगा रहे हो तुम. एक मिनिट की भी देरी की अब तो भून दूँगा तुम दोनो को.” साएको छील्लाया.

“हे भगवान कैसे गिरा दु अंधेरे में मेडम को. नीचे कुछ नज़र नही आ रहा की क्या है. ये कैसी परीक्षा में डाल दिया मुझे. मेरे कारण मेडम को कुछ हुवा तो खुद को कभी माफ़ नही कर पवँगा.”

साएको बंदूक लेकर आगे बढ़ा, “5 तक गिनूंगा मैं, 5 तक इशे नीचे नही गिराया तो भेजा उसा दूँगा इश्का. और इशे मारने के बाद तुम्हे भी टपका दूँगा.”

साएको ने गिनती शुरू कर दी. रोहित ने रस्सी खोलनी शुरू कर दी. उशके हाथ काँप रहे थे रस्सी खोलते हुवे. जैसे तैसे उसने रस्सी खोल दी मगर रस्सी को हाथ में थामे रहा.

“मुझे पता था तुम इशे नीचे नही गिरावगे. यही मेरी गेम थी हाहहाहा.” साएको करूराता से हँसने लगा.

रोहित ये शन कर हैरान रह गया. “सेयेल तू चाहता क्या है. सॉफ-सॉफ बता ना.” शालिनी के कारण रोहित कोई गंदी गाली नही दे पाया साएको को.

“हाहहहाहा अभी पता चल जाएगा थोड़ी देर रुक तो सही.” साएको ने कहा.

साएको ने एक एलेक्ट्रिक लकड़ी कातने की मशीन उठाई और उष तने पर रख दी जीश पर रोहित चढ़ा था.

“धन्यवाद तुम दोनो का मेरी आर्ट का हिस्सा बन-ने के लिए. गो तो हेल नाउ हाहहहाहा.”

रोहित के तो कुछ समझ नही आया की हो क्या रहा है.

“बाइ थे वे, ये पेड़ खाई के बिल्कुल किनारे पर है. इन पहाड़ियों की सबसे गहरी खाई है ये. जाओ इसे खाई का आनंद लो हाहहहाहा.”

कुछ भी करने और कहने का मोका नही मिला रोहित को. पेड़ का ठाना झट से काट दिया साएको ने और तने के काट-ते ही खौफनाक खाई ने खींच लिया रोहित और शालिनी को. गिराते हुवे रोहित छील्लाया, “हम मार रहे हैं पर तुझे तेरे पापो की सज़ा ज़रूर मिलेगी कामीने.”

“मेरा बदला पूरा हुवा. तुम दोनो को भयानक मगर शुनदर मौत दी और मेरी आर्ट का हिस्सा भी बन गये तुम दोनो हिहिहिहीही अब प़ड़्‍मिनी की बारी है. उष्का तो मास्टरपीस बनावँगा मैं. वैसे तुम दोनो की ये मौत भी मास्टरपीस से कम नही है हहेहहे.”

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प़ड़्‍मिनी गहरी नींद से छील्ला कर उठी, “रोहित….”

आवाज़ बाहर जीप में बैठे राजू को भी शुनाई दी. वो दरवाजे की तरफ भागा. और उसने घर की बेल बजाई. घर में कांवाली भाई रुकी ह थी. उसने दरवाजा खोला.

“क्या हुवा, प़ड़्‍मिनी जी क्यों छील्लाई.”

“मुझे नही पता. मैं भी उनकी आवाज़ शन कर अभी उठी.”

राजू प़ड़्‍मिनी के कमरे की तरफ दौड़ा. सीढ़ियाँ चढ़ कर वो उपर आया और प़ड़्‍मिनी के रूम के दरवाजे को पीतने लगा, “प़ड़्‍मिनी जी क्या हुवा, दरवाजा खोलिए.”

प़ड़्‍मिनी काँपते कदमो से उठी बिस्तर से और दरवाजा खोला. वो बहुत डारी हुई लग रही थी.

“क्या हुवा प़ड़्‍मिनी जी आप क्यों छील्लाई थी.”

“मैने बहुत भयानक सपना देखा राजू, मुझे बहुत दर लग रहा है.”

“ओह…सपना ही तो था. इसमे डरने की क्या बात है. वैसे क्या देखा आपने सपने में.”

“मैने देखा की पुलिस स्टेशन में ही साएको ने रोहित की गर्दन….नही बोल सकती मैं…”

“कोई बात नही मैं समझ गया. आप घबराओ मत. लगता है रोहित सिर आपके अतचे दोस्त थे कॉलेज में.”

“हन बहुत अतचे दोस्त थे हम. मैं रोहित से बात करना चाहती हूँ. क्या उष्का नंबर है तुम्हारे पास.”

“नंबर तो है पर इसे वक्त रात के 2 बजे हैं और शायद वो शो रहे होंगे.”

“मुझे नंबर दो प्लीज़ मुझे अभी बात करनी है रोहित से.”

“क्या आप प्यार कराती हैं रोहित सिर से.” राजू ने दर्द भारी आवाज़ में कहा.

“ओह कम ओं, नंबर दो प्लीज़. हम अतचे दोस्त थे बस कितनी बार कहूँ और तुम्हे क्या हक़ है ये सवाल करने का, खुद तो 10-10 लड़कियों से संबंध रखते हो और मुझसे ऐसा सवाल करते हो.”

राजू ने नंबर दे दिया प़ड़्‍मिनी को. प़ड़्‍मिनी ने तुरंत नंबर मिलाया.

“हेलो रोहित, थॅंक गोद तुमने फोन उठाया.”

“ओह तो ये फोन किशी रोहित का है.”

“कौन हो तुम?” प़ड़्‍मिनी ने पूछा.

“मुझे ये फोन सड़क किनारे पड़ा मिला. मैने उठा लिया. सोच रहा था की सुबह पुलिस स्टेशन जमा कर दूँगा. आप अपना अड्रेस दे दो मैं फोन आपके अड्रेस पर दे दूँगा.”

प़ड़्‍मिनी ने फोन काट दिया.

“क्या हुवा प़ड़्‍मिनी जी.”

“फोन किशी आदमी के पास था. कह रहा था की उसे वो सड़क किनारे मिला. मुझे तो रोहित की चिंता हो रही है…कही सच में तो साएको ने उशे….”

राजू ने अपने फोन से फोन मिलाया रोहित का और उष आदमी को प़ड़्‍मिनी के घर का अड्रेस दे दिया.

“है तो बहुत अजीब बात. पर हो सकता है की रोहित सिर का फोन ग़लती से सड़क पर गिर गया हो.”

“राजू, पहले वो सपना अब ये रोहित का फोन सड़क पर मिलना, मुझे किशी अनहोनी का अंदेसा हो रहा है.”

“आप घबराओ मत, शो जाओ आराम से. ये सब इत्तेफ़ाक है”

“नही मेरा दिल घबरा रहा है, कुछ ना कुछ गड़बड़ ज़रूर है.”

“मैं आस्प साहिबा को फोन मिलाता हूँ. शायद उन्हे कुछ पता हो.” राजू ने शालिनी का फोन मिलाया.

“हेलो मेडम मैं राजू बोल रहा हूँ.”

“हिहिहिहीही बोलते रहो बेटा वो तो मेरी आर्ट का हिस्सा बन चुकी है हाहहहाहा अब प़ड़्‍मिनी की बारी है. तू घर पर है ना उशके. उसे समझा की आँखो में ख़ौफ़ भर ले अब उष्का नंबर आ गया है. बहुत इंतेज़ार कर लिया मैने.”

राजू को बहुत गुस्सा आ रहा था मगर प़ड़्‍मिनी के कारण चुप रहा.

“ओह थॅंक यू मेडम, ठीक है रोहित सिर का फोन नही मिल रहा था इश्लीए ट्राइ किया.”

“आबे उल्लू के पाते रोहित भी टपका दिया शालिनी के साथ, और ये अजीब बातें क्यों कर रहा है मेरी बात समझ नही आ रही क्या तुझे हिहिहीही.”

“ओक गुड नाइट मेडम.” राजू ने भारी मन से कहा. उष्की आँखे नाम हो गयी थी रोहित और शालिनी के बड़े में शन कर.

राजू ने फोन काट दिया.

“क्या हुवा तुम्हारी आँखे नाम क्यों हैं.” प़ड़्‍मिनी ने पूछा.

राजू प़ड़्‍मिनी को सब कुछ बता कर डराना नही चाहता था. “कुछ नही मेडम ने आज पहली बार प्यार से बात की.”

“तुम्हारा उशके उपर भी दिल है क्या, निकल जाओ अभी मेरे घर से. पता नही कैसा प्यार है तुम्हारा.”
“खो…खो…आअहह” खाँसते हुवे उठा वो. मूह से मानो खून की नादिया बह रही थी उशके. आँखे खोली उसने. हल्की सी रोशनी दीखाई दी उशे.

“लगता है सुबह हो गयी है” उसने मन ही मन सोचा और अचानक वो बेचैन हो गया और बड़बड़ाया,”मेडम कहा है.”

रोहित ने उठने की कोशिस की पर वो उठ नही पाया.

“खो…खो…आअहह…रोहित”

“मेडम…. आप कहा हो”

“तुम्हारे सर के बिल्कुल उपर. उठो रोहित और मुझे मार दो प्लीज़ आहह.”

“ये..ये आप क्या कह रही हैं…प्लीज़ ये सब मत बोलिए. मुझे माफ़ कर दीजिए कुछ नही कर पाया मैं आपके लिए.”

“तो अब कर दो, मुझे मार दो प्लीज़.” शालिनी गिड़गिडाई.

रोहित के मन में खाई में गिरने का पूरा नज़ारा घूम गया. उपर से गिरने के बाद वो दोनो टीन बार अलग अलग पेड़ में अटके. इसे कारण वो सीधा नीचे गिरने से बच गये मगर अब उनको अपना बचना भी कस्त्दायी लग रहा था.

रोहित ने पूरा ज़ोर लगा कर हल्की सी अपनी गर्दन उठाई. अपने शरीर को देख कर काँप गया वो. उशके घुतने बुरी तरह चील गये थे और उनमे से खून बहे जा रहा था. कुछ ऐसा ही हाल था लगबघ शरीर के हर अंग का. रोहित ने पूरी कोशिस की उठने की मगर उठ नही पाया. किशी तरह से उसने करवट ली और सर को उठा कर शालिनी की तरफ देखा. रो पड़ा वो शालिनी को देख कर. पेट में एक लकड़ी घुस्सी हुई थी शालिनी के और वो दर्द से चाट पता रही थी. अब रोहित को समझ में आया की वो क्यों उसे उष्को मारने को बोल रही थी.

रोहित आँखो में आँसू लिए ज़मीन पर खुद को घसीट-ता हुवा शालिनी की और बढ़ा और उशके पास आ कर बोला, “माफ़ कर दीजिए मुझे मेडम, कुछ नही कर पाया मैं आपके लिए.”

“र..रोहित मैं सह नही पा रही हूँ. प्लीज़ मुझे मार दो.”

“नही कर पवँगा ये पाप, प्लीज़ ये सब करने को ना बोलिए.”

“तुम समझ नही रहे हो मैं तड़प रही हूँ कब से पर ये जान पता नही क्यों नही जा रही….” रोने लगी शालिनी ये बोल कर.

“हे भगवान मेरी मदद कर.” रोहित ने कहा और पूरा ज़ोर लगा कर उठने की कोशिस की.

उठते वक्त उसे ऐसा लगा जैसे की उष्का घुतना बाहर आ जाएगा. मगर शालिनी की हालत देख कर उसमे कुछ करने का जोश आ गया था और वो किशी तरह से उठ गया.

“मेडम आपको हॉस्पिटल ले जवँगा मैं. आप मरने की बाते मत करो प्लीज़.” रोहित बोल कर लड़खड़ा कर फिर से गिर गया.

“कैसे ले जाओगे रोहित. तुम खुद को नही संभाल पा रहे हो. मुझे मार कर निकल जाओ यहा से, प्लीज़.”

“आपके साथ ही मारना पसंद करूँगा मैं यहा से अकेले जाने की बजाए.”

“तुम पागल हो गये हो. अतचा मत मारो मुझे मगर यहा से निकल जाओ तुम. मैं कुछ ही पल की मेहमान हूँ लगता है. मेरे उपर वक्त बर्बाद मत करो…जाओ.”

“आपको छोड़ कर कही नही जा रहा मैं.” रोहित फिर से हिम्मत करके खड़ा हो गया.

“इट्स आन ऑर्डर रोहित चले जाओ.”

“जवँगा तो आपको साथ लेकर ही जवँगा. आपके किशी ऑर्डर को नही मानूँगा आज.”

रोहित ने बड़ी मुश्किल से उठाया शालिमि को और उसे गोदी में लेकर वाहा से चल दिया लड़खड़ाते हुवे कदमो से.

“ये लकड़ी तो खींच लो बाहर कम से कम.” शालिनी गिड़गिडाई.

“नही इशे अभी निकाला तो आपकी जान को ख़तरा बढ़ जाएगा.”

“रोहित खाई में हैं हम. कैसे निकलेंगे यहा से. मुझे उठा कर कैसे चढ़ोगे पहाड़ पर. मेरी बात मानो तुम निकल जाओ यहा से और जींदा मत छोड़ना साएको को. गोली मारना उशके सर में.” शालिनी ने कहा.

“आप मारेंगी उसे गोली और आप चुप रहो बस.. जैसे भी हो मैं आपको ले चलूँगा हॉस्पिटल.”

रोहित हिम्मत करके गोदी में उठा कर चल तो रहा था शालिनी को मगर जल्द ही उसे ये अहसास हो गया की वो हारी हुई बाजी खेल रहा है. खाई के चारो तरफ पहाड़ियाँ बहुत स्टीप थी. उनपर शालिनी को गोदी में लेकर चढ़ना नामुमकिन था. उष्की गोदी में शालिनी दर्द से छटपटा रही थी और उसे शालिनी की मौत नझडीक नज़र आ रही थी. इतना निराश हो गया रोहित की रो पड़ा फिर से.

“मैं क्या करूँ भगवान कोई तो रास्ता दीखाओ, मैं कैसे और कहा से लेकर ज़ाऊ मेडम को हॉस्पिटल.”

शालिनी ने आँखे खोल कर रोहित की और देखा. वो भी रो पड़ी, रोक नही पाई खुद को. उसने रोहित के गाल पर हाथ रखा और बोली, “रोहित एक ही रास्ता है जिसे तुम देख कर भी इग्नोर कर रहे हो. क्यों धो रहे हो मुझे. मरने ही वाली हूँ मैं. तुम बेवजह अपना वक्त बर्बाद कर रहे हो. क्या अपनी मेडम की बात नही मानोगे, प्लीज़ छोड़ दो मुझे मेरे हाल पर और यहा से निकल जाओ. तुम्हे भी मेडिकल अटेन्षन की ज़रूरात है. जाओ तुम्हे उष साएको को गोली मारनी है अभी. मैं बॉस हूँ तुम्हारी मेरी बात मान-नि पड़ेगी तुम्हे.”

“शूट उप, बकवास बंद करो अपनी. आई मेरी बॉस. बॉस हो तो क्या कुछ भी बोलॉगी. तुम्हारे बिना जंगल से नही जवँगा मैं. तुम्हे कुछ हो गया तो खुद को कभी माफ़ नही कर पवँगा. चुप रहो बिल्कुल, एक शब्द भी निकाला मूह से तो थप्पड़ पड़ेगा अब. आई बड़ी बॉस हा.”

“बॉस को दाँत रहे हो, आप से तुम पर आ गये, और थप्पड़ क्यों मारोगे तुम, अपनी हद में रहो आअहह.” शालिनी दर्द से कराह उठी.

एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 42

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