माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

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The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 22:02

गतांक से आगे.....................

बेटा क्या निहार रहा है माँ के चूतड, एक दम खुले पडे है गाँड भी दिख रही होगी तेरे को तभी तेरा मन मचल गया है बेटा चिंता मत कर मैं गाँड से खेलने भी दूंगी और गाँड मारने भी दूंगी तब पूरा अंदर डाल कर अपनी माँ की गाँड कि गहरायी नापना अपने लंड से मना नंही करूगी समझा पर अभी उसका वक्त नंही आया है चल आ जा माँ के सामने आकर सोफे पर बैठ माँ को थोडी ताकत चाहिये और देख तेरा ये मूसल का सुपाडा कैसा गीला हो गया है चल माँ को चूस लेने दे तेरा लंड थोडी देर। तेरा लंड चूस कर थोडी ताकत आयेगी फिर मैं तेरी भूख मिटाऊंगी। बहुत पसीना जमा हो गया है पी लेना सारा पहले मेरे पीछवाडे का पसीना ही पी लेना ठीक है मना थोडी कर रही हूँ चल अब अच्छे बच्चे की तरह आजा और अपनी माँ को अपना मूसल चूसने दे। चल अच्छे बच्चे जिद नंही करते माँ से और माँ का कहना मानते है मेरा कहना मनेगा तो माँ चूत का प्रसाद देगी तेरे को। चूत के प्रसाद के अर्थ को मैं उस वक्त समझ नंही सका पर जब रीमा ने सही मैं अपने चूत का प्रसाद मुझे दिया मैं रीमा के विकृत और चुदक्कड दिमाग को दाद दिये बिना न रह सका।

मैं माँ कि गाँड निहार रहा था और उस दर्श्य से मंत्र मुग्ध हो गया था। उसके दो चूतड मुझे दो बडे तरबूज लग रहे थे। और उसके बीच उसकी गाँड का छोटा भूरा छेद प्यार की दवात दे रहा था मेरे लंड को बुला रहा था जैसे वह लंड की माँ चूत की सहेली और अब अपनी सहेली के जवान मस्ताने बेटे की जवानी देख कर उससे चुदवाना चाहाती हो और लंड को अपने अंदर समा लेना चाहाती जिसका मजा कुछ देर पहले उसकी सहेली चूत ने लिया था। एक तरफ रीमा अपने गीले चूत रूपी मुँह में मेरा लंड लेना चाहाती थी और दूसरी और उसकी गाँड मुझे आमंत्रित कर रही थी। पर मेरा लंड रीमा का गुलाम बन चुका था जो जो मुझसे करती थी और जैसे जैसे करती थी उससे लंड को बहुत मजा मिला था इसलिये उसने रीमा की बात ही मानी और गाँड जैसे कसे हुये छेद को छोड कर रीमा की बात मानते हुये एक आखरी बार गाँड को देखा और जाकर रीमा के सामने सोफे पर बैठ गया।

रीमा बहुत खुश हुयी और बोली मेरा प्यारा बेटा मुझे पता है तुझे मेरी गाँड या ये कहूँ किसी भी औरत की गाँड कितनी पंसद है और तू गाँड को चूत से भी ज्यादा चाहाता है और मुझे पता है तेरा ये मूसल जैसा लंड किसी भी मस्तानी औरत की गाँड को मजा देने के लिये ही बनाया गया है परन्तु तू ये नंही जानता तेरे जैसे लंड वाले कितने ही लडके सोचते है कि वह औरत को कितना मजा देंगे पर वह औरत को संतुष्ट नंही कर पाते क्योकी वह सिर्फ अपने मजे के बारे में सोचते है। तेरे जैसे लंड मेरे जैसी चुदैल औरतो को मजा देने के लिये ही बन है और मैं तुझे बताऊंगी की चुदैल औरत को कैसे मजा देते है ऐसे ही मेरी बात मनता जा मस्त मजा आयेगा। हाँ माँ मुझे पता है कि आप मुझे जरुर मजा दोगी। रीमा ने मेरा लंड प्यार से पकड लिया था और उस पर अपनी कोमल उंगलिया चला रही थी। चल अब थोडा आगे को खिसक जा मेरे लाल माँ ने मेरे घुटनो पर हाथ रखा और अपने को सोफे के एक दम किनारे पर ले आयी। ऐसा करने से उसकी एक एक किलो वाली मोटी चूचीयाँ किसी पेड पर लटकी पके पपीते कि तरह हिलने लगी।

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 22:03

रीमा ने मुझे पैर चौडा करने को कहा। मैं अपने पैर चौडे करके अपने चूतड को सोफे के किनारे पर टिका कर बैठ गया। और रीमा मेरे लंड के पास आ गयी उसने मेरा लंड पकडा जो नाडा बंधा होने के कारण उसकी एक एक नस तन कर खडी थी। मेरी और देख कर मुस्कुरायी और बोली बेटा तेरा लंड भी मेरा पसीना और चूत चटायी करके थोडा गर्म हो गया होगा अपने मुँह मे लूगी और अपने थूक से गीला करूंगी तो तेरे इस मूसल को कुछ ठंडक पहुंचेगी नंही तो इस गर्म रूप मे मेरे नीचे के किसी छेद मे घुस गया तो मेरा वह छेद तो शहिद हो जायेगा। और फिर अपने जीभ को अपने होंठो पर फिराती हुयी बोली और मुझे भी लालीपॉप चूसने का बडा मन कर रहा था तेरे लंड को शांत करने के बहाने तेरी माँ लालीपॉप भी चूस लेगी। फिर रीमा ने अपना पूरा मुँह खोल कर अपनी जीभ गोल गोल घुमा कर मुझे दिखायी और नीचे मुँह करके अपने खुले मुँह मे मेरा लंड भर लिया। मेरे लंड के एक तिहायी हिस्से को मुँह मे भर कर अपने होंठो मे मेरे लंड को जकड लिया लंड को अपने जीभ और मुँह के उपरी भाग से कैद कर लिया। रीमा के गीले चूत रूपी मुँह मे समाते ही मुझे ऐसा लगा जैसे किसी धक्कती हुयी भट्टी किसी ने मिट्टी का तेल डाल दिया जिससे आग और भी भडक उठी हो। उसके मुँह में कैद होते ही मेरे मुँह से के आह निकल गयी। मेरे लंड का सुपाडा काम अग्नि मे जलने लगा।

रीमा ने कुछ देर मेरे लंड को इस तरह ही मुँह मे रखा। और फिर अपनी जीभ मेरे लंड के सुपाडे पर गोल गोल घुमाने लगी। उसने अपने जीभ मे बहुत सारा थूक लिया और मेरे लंड को अपने थूक से नहलाने लगी। मेरे लंड के मूत्र छिद्र से निकलता लंड का प्रीकम भी उसके थूक के साफ मिल कर मेरे लंड पर लिथडने लगा। रीमा ने धीरे धीरे अपन थूक जमा करना शुरु कर दिया और थोडी ही देर में मेरा लंड रीमा के मुँह के अंदर थूक के तलाब मे डूब गया। रीमा के होंठो ने मेरे लंड को जकड रखा था फिर एक दम रीमा ने सारा थूक गटक लिया जिससे मेरा लंड उसकी जीभ और उसके तालू के बीच कस कर चिपक गया। रीमा ने लंड मुँह मे लेने से पहले मेरे सुपाडे के उपर से लंड की खाल उतार दी थी जब वह मुझे अपने थूक से नहला रही थी तब मुझे बहुत मजा आ रहा था पर जैसे ही रीमा ने मेरे सुपाडे को जीभ से दबाया सुपाडे वाला भाग नर्म और संवेदनशील होने के कारण मुझे वह दर्द और मस्ती का अहसास सहन नंही हुया। मेरे मुँह से एक जोर की करहा निकल गयी। रीमा को पता था वह मेरे लंड के साथ क्या कर रही है इसलिये थोडी देर इसीतरह मुँह मे दबाये रखने के बाद रीमा ने अपनी गीली जीभ फिर से मेरे लंड के सुपाडे के उपर गोल गोल घुमाने लगी। लंड के सुपाडे को गीला करके रीमा ने अपना मुँह और खोला और मेरा लंड और अंदर घुसेड लिया।

मेरा लंड रीमा के हलक से टकराने लगा। मेरा करीब आधा लंड रीमा के मुँह मे समा चुका था। फिर रीमा अपने मुँह को उपर नीचे करने लगी जैसे वह मेरे लंड को चोद रही हो। मेरे लंड को चूसते हुये रीमा ने आँख उठा कर देखा उसकी आँखो मे वासाना चमक थी। थोडी देर मुँह चोदने के बाद रीमा ने लंड निकाला और बोली क्या मोटा मूसल है तेरा बडा ही मीठा है बहुत मजा आ रहा है चूसने मे। अभी तो मैं हू कुछ दिन एक दिन पूरा सिर्फ तेरा लंड चूसूंगी और अपनी चूत चुसवाउंगी। और कुछ भी नंही तेरा मुँह मेरी चूत पर और मेरा मुँह तेरे लंड पर। फिर रीमा ने लंड अपने मुँह मे घुसेड लिया और मेरे लंड को पकड कर मुँह के अंदर गोल गोल घुमाने लगी। फिर तो जैसे रीमा ने मेरे लंड पर अपने प्यार कि झडी लगा दी। कभी जोर जोर से मेरे लंड को चूसती, कभी अपने मुँह से मेरे लंड को चोदती तो कभी प्यार से अपनी जीभ मेरे लंड के सुपाडे पर घुमाती तो कभी मेरे मूत्र छिद्र को अपनी जीभ की नोक से कुरेदती। मैं एक मूक दर्शक बन कर अपना लंड चुसवाता रहा। मेरा लंड चूसे जाने से बहुत ही गुस्से में आ गया। उसकी नसे फटने को तैयार थी। जब रीमा ने देखा कि मेरी हालत बहुत ही खराब है तो उसने आखरी बार कस के मेरा लंड चूसा और मेरे लंड को अपने मुँह से निकाल दिया और मेरे लंड के सुपाडे पर चुम्बन दिया फिर मेरी और देखा और बोली बोल बेटा आया मजा। मेरे गीले गीले चूत रूपी मुँह मे लंड डाल कर चुसवाने में। जैसे चूत लंड लेती है ऐसे ही मैं भी लंड खा रही थी न। ओह माँ मेरा लंड तो एक दम पत्थर हो गया है। तुम्हारे मुँह ने तो मेरे लंड कि एक दम जान ही निकाल दी। और कुछ देर तुम मेरे लंड को चूसती तो मेरा लंड कि नसे फट ही जाती।

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 22:03

चल अब थोडी देर चूस लिया तेरा लंड अब तू मेरा पसीना चाट देख मोती की कितनी बूंदे मेरी पीठ और चूतड पर जमा है चुन ले ये मोती अपने मुँह से। चल मैं ऐसे ही कुतिया बनी खडी हूँ तू पी मेरा पसीना । कह कर रीमा थोडा पीछे खिसकी और कुतिया बन कर खडी हो गयी। मैं उठ कर उसके बगल में आ गया और उसकी पीठ निहारने लगा। फिर मैं उसके बगल में घुटनो के बल बैठ गया। सबसे पहले मैं उसकी गर्दन का पसीना पीना चाहाता था। तो मैंने झुक कर उसके गर्दन पर अपने होंठ रखे और चूमा। रीमा की गर्दन बहुत ही संवेदनशील थी मेरे चुम्बन लेते ही रीमा के बदन मे झुरझुरी दौड गयी और रीमा के मुँह से एक आह निकली। मैंने अपनी जीभ उसकी गर्दन पर घुमाने शुरु कर दी रीमा को मेरे चाटने से बहुत ही गुदगुदी हो रही थी श्याद तभी वह अपनी गर्दन हिला कर और अपने बदन को कडा करके उसको रोकने की कोशिश कर रही थी। मैंने चूमते हुये उसकी गर्दन से उसका पसीना पी लिया और। गर्दन से पसीना पीने के बाद अब उसकी चिकनी पीठ की बारी थी। रीमा चौपाया खडी बिल्कुल कुतिया लग रही थी जो कि कुत्तो को रीझा रही हो। मैंने उसके एक तरफ बैठ कर उसका पसीना चाटा एक एक बूंद को पीया और फिर उसकी चिकनी पीठ को अपने थूक से नहलाया यंहा तक की मैंने खुद उसके बदन पर थूक दिया और फिर खुद ही उस थूक को चाटा।

क्योकी मैंने एक तरफ बैठ कर उसकी पीठ को चाटा था इसलिये उसकी आधी पीठ थूक मे चमकने लगी। मैंने उसके चूतडो का न तो देखने की कोशिश की और न ही पसीना चाटा पहले मैं पीठ चाटना चाहाता था फिर उसके चूतड और गाँड पर अच्छे से समय वयतीत करना चाहाता था उसकी गाँड मे जीभ घुसा कर उसकी गाँड मे घुस गया पसीना भी निकाल कर पीना चाहाता था। फिर मैंने दूसरी तरफ की पीठ भी अच्छे से चूम चूस और चाट कर अपने थूक से चमका दी। रीमा करहा और गाली देती हुयी मुझे उकसा कर उत्तेजित कर रही थी और उसकी चूत भी लगता था अब फिर से गर्म होने लगी थी क्योकी गर्म चूत होने पर वह गालियाँ बकती थी। लो माँ मैने तुम्हारी पीठ को चाट कर एक दम चमका दी है। अब मैं तुम्हारे चूतडो को भोगूंगा। रीमा ने अपने गोल मटोल तरबूज जैसे चूतडो को हिलाय और बोली अरे मेरे प्यारे लाल मैं भे तुझे कंहा मना कर रही हूँ मेरे चूतड और गाँड तो न जाने कब से तडप रहे है प्यार के लिये। मेरे चूतड अच्छे है तो कई लोग बोलते है पर गाँड चाटने या चूतड चूमने को बोलो तो बस गाँड मे लंड डाल कर साले सब अपना मन बहलाते है। प्यार करने का किसी को टाईम ही नंही है। सब सिर्फ अपना मजा देखते। तू पहला मर्द है जिसने मेरे मजे को इतनी अहमियत दी है। इसलिये तेरे से मुझे बहुत आशायें है कि ये करेगा वो करेगा मेरी इस मोटी गाँड के साथ अब देख मेरा भरोसा मत तोडना और पूरा न्याय करना इन कीमती चूतडो के साथ।

माँ तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारा भरोसा बिल्कुल भी नंही तोडूंगा और जैसा और जो भी तुम कहोगी वही करूगां जब तक तुम्हारा मन न भर जाये तब तक कहना मेरा चेहरा तुम्हारे चूतडो में ही घुसा रहेगा। तुम्हारी गाँड और चूतडो के एक के इंच को प्यार करूंगा और चाटूंगा मैं। मैंने तो जबसे तुम्हारे चूतड देखे है इनकी सुंदरता ने मेरा मन मोह लिया है। मेरे दिलो दिमाग पर झा गया है तुम्हारे चूतडो का ये मनमोहक नजारा। तो आजा बेटा अब अपनी इस माँ को और मत तडपा और अपनी माँ के जनमो के भूखे इन चूतडो को प्यार कर मेरे लाल मेरी चूत के जने घुसा दे अपना मुँह मेरी गाँड में बहुत प्यासी है बेचारी तुझे भी बहुत प्यार देगी अगर तू इसे प्यार देगा। लाओ माँ दो मुझे अपने चूतड उपहार में आज तो इनको जन्नत का सुख दूंगा। तो चल आ जा मेरे पीछवाडे मैं कब मना कर रही हूँ खुद ही गाँड खोल कर कुतिया बनी खडी हूँ। मैं रीमा की पीछे आ गया और रीमा के मोहक चूतड मेरे सामने आ गये। गोल मोटे माँस से भरे दो बडे फुटबाल जैसे थे उसके चूतड। उसके कूल्हो पर भी अच्छा माँस जमा था। उसके चूतडो की दरार कोई गहरी खायी थी। जिसके अंदर छलांग लगाने मे मुझे कोई भी ऐतराज नंही था। मेरे लिये तो वह जीवन से भरपूर खायी थी।

रीमा के पीछे आकर मैं घुटनो के बल बैठ गया। कमरे में गर्मी होने के कारण उसके चूतड पर पसीने की बूदे जमा थी। यहाँ तक उसके चूतड की दरार में भी पसीना भरा पडा था। मेरे मस्ती का इतना बडा खजाना मेरी आँखो के सामने था। रीमा जानती थी की मैं औरत के चूतडो को कितना पंसद करता हूँ वह भी चाहाती थी कि मैं मन भर कर उसके चूतडो को निहारू क्योकी सिर्फ चूतड दर्शन से ही मेरे लंड पर जबर्दस्त असर होता था और एक बार मेरा चूतडो का मतवाला लंड अपने आपे से बाहर हो गया तो वह मुझे अपनी मस्ती के लिये कितना भी गंदे से गंदा काम करने पर मजबूर कर सकता था और मैं अपने आप को नंही रोक सकता था। रीमा ये जानती थी तभी वह चाह रही थी कि जब मैं उसके चूतडो में मुँह घुसाऊ तो वह जो कहे वह मैं बिना झिझक कर संकू। उसने थोडी देर अपने चूतडो को एक दम स्थिर कर रखा था तकि मेरे लिये कोई भी विघन न हो। मन मोहक चूतडो के दर्शन पाकर मेरा नाडे मे कसा लंड अधीर होने लगा और मुझे लगा कि लंड सारी जंजीरे तोड देगा और इधर उधर उछल कर नाडे की कैद से आजाद होने की नाकाम कोशिश कर रहा था। नाडा भी मेरे लंड की खाल मे अंदर तक घुसे जा रहा था। जिससे मेरा दर्द थोडा और बढ गया था दर्द और मस्ती का ये संगम मेरे को कोई अलग ही दुनिया मे ले जा रहा था।


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