जिस्म की प्यास compleet

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raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 28 Oct 2014 08:39

उसने जल्दी से अपनी अलमारी खोली और अपनी स्लावार नीचे गिरा कर अपनी चूत में लंड डालने लगी...

वो लंड को ऑन तो नही कर सकती थी क्यूंकी उसका बेटा वो आवाज़ सुन लेता... काफ़ी कोशिशो के बाद भी उसके जिस्म की प्यास रुकी नही बल्कि और बढ़ गयी.... बारी बारी उसने अपने बदन को नंगा कर दिया और कभी अपने मम्मो को तो कभी अपनी चूत को शांत करने की कोशिश कर रही मगर कुच्छ फ़ायदा नहीं हुआ.... उसको हल्की हल्की आवाज़ अपने कमरे के बाहर से आने लगी... उसके दिल ने उसको कयि बार रोका कि वो अपने कदम को रोके मगर वो रुके नही...

तड़पति हुई उसने अपने कमरे का दरवाज़ा खोला और ड्रॉयिंग रूम रूम का टीवी चल रहा था.... उसे चेतन का चेहरा तो

दिखा नही मगर सामने गंदी पिक्चर चल रही थी... उस चुदाई के दृश्य को देखकर शन्नो का जिस्म गरम होने लगा....

अपने आप ही उसका हाथ अपने बदन को सहलाने लगा... उसने अपने आप को दरवाज़े के पीछे च्छुपाने की पूरी कोशिश

करी ताकि उसे चेतन ना देख सके मगर किसी ताक़त ने वो पूरा दरवाज़ा को धक्का देके खोल दिया...

चेतन ड्रॉयिंग रूम रूम में नहीं बल्कि उसके कमरे के दरवाज़े के पास ही खड़ा था.... उसे शन्नो की हर्कतो के बारे

में भी पता था... टीवी की रोशनी में शन्नो का नंगा बदन सॉफ से चेतन की आँखो के सामने था.....

इस बारी चेतन नही रुका और अपनी मम्मी के मम्मो पर एक दम से झपटा मार दिया....

बड़ी बेदर्दी से वो उन्न मम्मो को मसल्ने लगा..... शन्नो का दिल मना कर रहा था मगर उसकी चुचियाँ मस्ती में

सख़्त हो गयी थी..... चेतन ने ज़रा भी समय बर्बाद नही करा और अपनी एक उंगली शन्नो की चूत में घुसा दी और

शन्नो दर्द में उछल पड़ी.... शन्नो की चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी तो चेतन की उंगली पूरी तरह अंदर बाहर जा रही थी.... चेतन अपना दूसरा हाथ शन्नो की पीठ पर ले गया और उसको बड़ी प्यार से सहलाने लग गया....

शन्नो एक एक कदम पीछे होती गयी मगर चेतन भी उसके साथ साथ पीछे जाता गया....

चेतन नेशन्नो को धक्का दिया और वो बिस्तर पे जा गिरी.... शन्नो के गोल मम्मे हल्की सी निकली हुई तोंद मोटी जांघें

बहता हुआ चूत का पानी और गोरा चेहरा चेतन के सामने मस्ती में झूल रहा था.... मगर चेतन ने शन्नो को

उसके बाद छुआ नही और वहाँ से वापस जाने लगा.... शन्नो बिस्तर से उठी और अपने बेटे को पीछे से जाकर रोक लिया.... शन्नो फर्श पे बैठी और चेतन के पाजामा को नीचे कर दिया... चेतन का लंड उसके चेहरे की तरफ उचक कर आया...

चेतन की तरकीब पूरी तरह कामयाब रही... उसकी मा पूरी तरह आगोश में थी और अब बलात्कार नही बल्कि

हवस का प्यार कहलाया जाएगा जैसा चेतन को पसंद था....

शन्नो ने अपने बेटे को लंड को पकड़ा और उसको चूमने लगी... चेतन ने शन्नो अपने लंड से दूर करा और अपने पाजामे

को अपनी टाँगो से निकालकर बिस्तर पे बैठ गया... शन्नो घुटनो पे चलके चेतन के पास गयी और चेतन के लंड

को चूसने लगी.... चेतन ने शन्नो के बालो को क्लिप की जाकड़ से आज़ाद किया और अपनी मम्मी को अपना लंड चूस्ते हुए देखने लगा.... ज़्यादा रोशनी ना होने के कारण चेतन ने पीछे की तरफ हाथ बढ़ाया और टेबल पे रखे लॅंप को ऑन कर दिया....

कमरे में रोशनी फेलते ही शन्नो ने लंड को चूसना बंद कर दिया मगर अभी भी उसके मुँह में लंड था...

अगले ही सेकेंड उसने चूसना फिर से शुरू करा... अपनी मम्मी को ऐसी रोमांचक हालत में देखकर चेतन का मन मस्ती

में झूम रहा था.... शन्नो को महसूस हो रहा था कि उसकी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि उसका पानी जाँघो से बहता

हुआ ज़मीन पे टपक रहा था...

raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 28 Oct 2014 08:40

शन्नो को अपने बेटे से कहने में शरम आ रही थी मगर हर एक सेकेंड

उसकी चूत की प्यास और बढ़ने लगी थी.... और अगले ही सेकेंड उसके बेटे के लंड ने सारा पानी उसके मुँह में डाल दिया...

चेतन ने शन्नो के गले सहलाया और शन्नो ने पहली बारी वीर्य किसी का वीर्य निगला...

चेतन का लंड छोटा होते देख शन्नो के चेहरे पर मायूसी च्छा गयी... अब उसकी चूत की प्यास कौन भुजाएगा....

फिर चेतन ने शन्नो को बिस्तर पे लिटा दिया और वही पड़े डिल्डो को उठाकर चला दिया... वो डिल्डो शन्नो की आँखों के

सामने हिल रहा था... चेतन ने वो डिल्डो पहले अपनी मम्मी के मुँह में ठूँसा ताकि वो गीला हो जाए और फिर उसे

लेजाकर आहिस्ते आहिस्ते करके शन्नो की चूत में डालने लगा.... शन्नो दर्द के मारे चिल्ला रही थी और

चेतन को वो सुनके बड़ा आनंद मिल रहा था.... जब वो लंड आधा अंदर चला गया तो चेतन ने अपनी ज़ुबान बाहर

निकाली और शन्नो की गीली चूत को चाटने लगा.... उसका एक हाथ लंड को हिला रहा तो दूसरा अपनी मा के स्तनो को सहला रहा...... शन्नो की सिसकियाँ कमरे मे भर गयी थी.... शन्नो इतनी बेशरम हो गयी थी कि उसने अपने बेटे से भारी साँसें लेते हुए पूछा "क्या तुम्हारी मेडम मुझसे भी ज़्यादा अच्छी दिखती थी"

तो चेतन बोला "उसका बदन बिल्कुल आप ही की तरह था... मगर जब पहली बारी मेरी आँखो ने आपका नंगा बदन देखा

तो वो उसे भूल नही पाई..." चेतन का लंड फिर से जाग गया था और उसने अपना लंड शन्नो की चूत में डाल दिया....

वो फिर बोला "आपके बदन के लिए तो में ऐसी सौ मॅडमो को बेच डालू" ये बोलके चेतन अपना लंड

बुर्री तरह शन्नो की चूत में घुसाने लगा और शन्नो भी चेतन के लंड की ताक़त को महसूस कर पागल हुई जा रही थी... चेतन ने अपने सीधे हाथ से डिल्डो की रफ़्तार को फुल कर दिया और शन्नो की चुचीॉ को मसल्ने लगा...

शन्नो का पूरा बदन टूटा पड़ा था मगर वो किसी भी हालत में इसे रुकवाना नहीं चाहती थी....

आह आऊओह ऑश शन्नो अपनी सिसकिओं को रोक नही पा रही थी मगर फिर कमरे में शांति फेल गयी जब चेतन ने अपना लंड शन्नो का चूत में से निकाल कर उसके बदन पे छिड़क दिया..... कुच्छ देर तक दोनो मा बेटे बिस्तर पे लेटे

रहे और देखते ही देखते दोनो की आँख लग गयी....

raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 28 Oct 2014 08:40

उधर भोपाल में सुधीर नारायण के घर रहने आ गया था... नारायण जब सुधीर की शकल देखता तो मन ही मन उसकी

किस्मत पे हंस पड़ता... वो सोचता बिचारे को ये भी नहीं मालूम शाम को ही उसकी गर्ल फ्रेंड को उसने इसी बिस्तर पे

नंगा करके चोदा था.... उसमें अब इतनी हिम्मत आ गयी थी कि आने वालो दिनो को अब वो रंगीन बना सकता था...

दिल्ली मे रात के कुच्छ 1 बज रहे थे और रिचा के खर्रातो की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी...

ललिता का पढ़ने का बिल्कुल भी मन नही था क्यूंकी उसका मन कुच्छ और बातो पे लगा हुआ था.... पूरे कमरे में

अंधेरा था और ललिता रिचा के लॅपटॉप पर गंदी मूवी (पॉर्न) देख रही थी... उनमें से कयि पॉर्न का नाम सर्वेंट से

था और उनमें नौकर-मालकिन के चोद्ने की कहानी थी.. ललिता को 99% लग गया था कि रिचा और उसके नौकर

परशु के बीच में कुच्छ ना कुच्छ तो चल रहा है.. उसने कानो में हेड फोन लगा रखे थे ताकि वो आवाज़

भी सुन पाए और रिचा को पता भी ना चले.... पॉर्न देख देख कर वो काफ़ी गरम हो गयी थी उसने अपने

बदन को रज़ाई से ढका हुआ था और अपनी चुचियाँ को कभी कबार हल्के से मसल रही थी....

उसना सोच रखा था कि थोड़ी देर और पॉर्न देखने के बाद वो रिचा के खिलौने से मज़े लेगी...

मगर उसके प्लान चौपट हो गया जैसी ही कमरे का दरवाज़ा खुला और बाहर से हल्की रोशनी कमरे में फेल गयी....

ललिता का मुँह दरवाज़े की तरफ नही था और घबरा गयी कि कहीं रिचा के मा-बाप ना हो.. जैसी उसने अडल्ट मूवी को

च्छूपा दिया (मिनट मे) वैसी ही उसकी नज़र दरवाज़े की ओर पड़ी और उसके सामने परशु खड़ा था..

ललिता की नज़रे परशु को झिझक में देख रही थी मगर परशु की आँखें ललिता को घूर रही थी...

परशु ने दरवाज़े को धीरे से बंद कर दिया और दबे पाओ ललिता की तरफ गया.. ललिता अभी भी उसको देखे जा रही...

उसको समझ नहीं आ रहा था कि वो अब क्या करें.. वो ललिता के सिर पे हाथ फेरने लगा गया और फिर अपने दूसरे हाथ से अपने पाजामे को नीचे उतार दिया..... उसने अंदर कुच्छ नही पहना और उसका लंड उचक कर ललिता के सामने आया..

लॅपटॉप की रोशनी में परशु का लंड सॉफ दिखाई दे रहा था.... उस रोशनी में ऐसा लग रहा था कि मानो वो लंड

नही बल्कि काला नाग हो.. परशु ने ललिता के हाथ को पकड़ा और अपने लंड को उसे सहलाने लग गया..

परशु का लंड एक दम से जागने लग गया...कुच्छ सेकेंड बाद ललिता अपने आप ही परशु के लंड को सहलाने लग गयी..

ललिता की नज़र परशु की नज़रो पे टिकी हुई थी.. फिर परशु ने हाथ बढ़ाया और ललिता मुँह को अपने लंड के पास ले गया..

उसने ललिता के होंठो को अपने लंड पे लगा दिया और उसके गुलाबी होंठो पे अपने लंड का हल्का सा पानी मलने लगा....

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