छोटी सी भूल compleet

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raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 21:57

वो बोला, पहले तू बाहर झाँक कर देख ना कोई आस पास तो नही.

मैने बाहर देखा और बोली, कोई नही है, अब जाओ.

वो बाहर जाते हुवे बोला, आज तो मज़ा आ गया, तेरी बहुत याद आएगी.

मैने कोई जवाब नही दिया और दरवाजा बंद करके कुण्डी लगा ली.

मैं वापस बेडरूम में आकर अपने बेड पर गिर गयी.

मेरे तन बदन में अजीब सी घबराहट और बेचानी हो रही थी.
मैं इस कदर मदहोश हो कर बिल्लू के साथ खो जाउन्गि मैने सोचा भी नही था. वो पहली बार था कि मैं थोडा सा खुल कर बिल्लू के साथ खो पाई थी.

ना जाने ऐसी क्या बात थी बिल्लू में कि मैं अपनी शादी शुदा जिंदगी से खिलवाड़ कर बैठी थी. मुझे बार बार यही डर सता रहा था कि अगर कोई आ जाता तो मेरा क्या होता. मैं कहीं की ना रहती. कोई भी ये बात नही समझ सकता था कि मैने जो कुछ भी किया भावनाओ में बहक कर किया.

होशो हवाश में, मैं कभी बिल्लू के साथ ये सब नही कर सकती थी.

पर इतना ज़रूर था कि सेक्स का जो अनुभव मुझे बिल्लू के साथ हुवा था, वो मुझे बहुत अनमोल सा लग रहा था, क्योंकि मैने आज तक ऐसे सेक्स की कल्पना भी नही की थी.

बिल्लू मुझे सेक्स की अजीब सी गहराई में ले गया था. ऐसा लग रहा था जैसे की बिल्लू में साक्षात , कामदेव उतर आए हो.

दुख बस इस बात का था कि ये अनुभव मुझे अपने पति के साथ नही बल्कि बिल्लू के साथ हुवा था.

यही बात थी जो मुझे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी. मुझे समझ नही आ रहा था कि जिस रास्ते पर मैं जाने अंजाने चल पड़ी हूँ वो मुझे कहा ले जाएगा. मुझे चारो तरफ अंधेरा ही अंधेरा नज़र आ रहा था.

मुझे बार बार यही डर सता रहा था कि अगर संजय को कही से ये सब पता चल गया तो मैं उन्हे कैसे समझा पाउन्गि. क्योंकि ये सब तो मेरी खुद की समझ से भी बाहर था. जो भी हो मुझे अपनी शादी शुदा जिंदगी ख़तरे में लग रही थी.

पर मेरी चिंता का कारण यही सब नही था. एक और बात थी जो कि शुरू से मुझे परेशान किए हुवे थी.

एक तरफ तो मेरे मन में ये सब करने के बाद गिल्ट और शर्मिंदगी की भावना उभर जाती थी, और एक तरफ दुबारा यही सब करने की इच्छा उभर आती थी, किस वक्त मुझ पर कौन सी बात हावी होगी मुझे कुछ पता नही था. सब कुछ एक माया जाल की तरह लग रहा था.

उस दिन बिल्लू के जाने के बाद मैं अपने बेड पर थोड़ी देर तकिये में मूह छुपाए पड़ी रही. मैं पड़े पड़े यही सोच रही थी कि सूकर है बिल्लू किसी के आने से पहले चला गया.

मेरी साँसे अभी भी उखड़ी हुई थी. और दिल की धड़कन तो जैसे थमने का नाम ही नही ले रही थी.

चिंटू आने वाला था इसलिए मैं जैसे तैसे बेड से उठ कर लड़खड़ते हुवे कदमो से बेडरूम से बाहर आ गयी. मेरा पूरा शरीर बिल्लू के कारण दुख रहा था.

जैसे ही मैं बाहर निकली चिंटू की स्कूल बस आ गयी.

2 बज चुके थे, इसलिए मैं लंच बनाने के लिए किचन में आ गयी. खाना बनाते वक्त अचानक मेरा ध्यान बंद खिड़की पर चला गया.

मैं सोचने लगी की ये खिड़की तो बंद है पर इसके कारण मेरी जींदगी में जो तूफान आया था, वो अभी भी चल रहा है, ना जाने मेरा क्या होगा.

खाना बनाने के बाद मैं नहाने चली गयी. नहाते हुवे मुझे ना चाहते हुवे भी अपने अंग अंग पर बिल्लू के हाथो की छुवन महसूष हो रही थी. मैने अपने अंग अंग को रगड़ रगड़ कर सॉफ किया कि कही बिल्लू का कोई निशान ना रह जाए, पर जो अहसास वो दे गया था उन्हे मिटाना मुस्किल था.

संजय ठीक 3 बजे आ गये और मैं लंच सर्व करने लगी.

मेरा कुछ भी खाने का मन नही था पर मैं फिर भी थोड़ा थोड़ा निगलने लगी

अचानक संजय ने कुछ ऐसा पूछा की मेरे गले में नीवाला अटक गया.

संजय ने पूछा, कोई आया था क्या घर में आज ?

मैने पूछा क्यो क्या हुवा ?

उन्होने कहा, नही यू ही शर्मा अंकल का फोन आया था कि उन्होने किसी लड़के को हमारे घर से निकलते हुवे देखा है , वो पूछ रहे थे कि कोई मेहमान आया है क्या आपके घर.

मैं डर तो बहुत गयी थी, पर मुझे अचानक बिल्लू की बात याद आ गयी कि मुझे एलेक्ट्रीशियन बता देना.

मैने अपनी सांसो को थामते हुवे कहा, अछा वो तो एक एलेक्ट्रीशियन को बुलाया था, वो वॉशिंग मशीन वाला प्लग अचानक खराब हो गया था, वही ठीक करने के लिए बुलाया था उशे.

मुझे ही पता है कि उस वक्त एक एक शब्द मैने कैसे कहा, मेरा गला डर के मारे सूखा जा रहा था.

raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 21:58

संजय ने कहा, अरे मुझे अपने क्लिनिक में भी एलेक्ट्रीशियन की ज़रूरत है, तुमने जिशे बुलाया था, उसका नंबर, या अड्रेस दे दो मैं उसे क्लिनिक बुला लूँगा.

मुझे समझ नही आ रहा था कि मैं क्या करूँ.

मैने कहा, अभी तो नंबर नही है एक कागज पर लिखा था, जाने कहा पड़ा होगा अब, मैं शाम को ढूंड कर दे दूँगी.

संजय ने कहा ठीक है शाम को दे देना मैं उशे कल बुला लूँगा.

जैसे तैसे मेरी जान में जान आई. पर अब मैं ये सोच रही थी कि अब शाम को क्या जवाब दूँगी.

संजय के जाने के बाद, मैं और ज़्यादा बेचन हो गयी.

बार बार मुझे यही डर सता रहा था की कही संजय को मुझ पर शक तो नही हो गया.

मैं अब सोच रही थी कि शायद अब वक्त आ गया है जब मुझे संजय को सब कुछ बता देना चाहिए. मुझे लग रहा था कि इस से पहले की संजय को ये सब कही और से पता चले मुझे खुद उन्हे सब कुछ बता कर उनसे माफी माँग लेनी चाहिए.

पर मुझ में संजय को कुछ बताने की हिम्मत नही हो पा रही थी.

मैं ये सब सोच ही रही थी कि अचानक फोन की घंटी बज उठी.

ये बिल्लू का फोन था.

मैने कहा, अछा हुवा तुमने फोन किया ?

उसने पूछा, क्यो क्या हुवा ?

मैने कहा, तुमने मुझे अजीब मुसीबत में फँसा दिया है.

उसने कहा, बताओ तो सही की बात क्या है.

मैने कहा, हमारे घर के सामने शर्मा अंकल रहते है, उन्होने तुम्हे मेरे घर से निकलते हुवे देख लिया और बातो बातो में संजय को फोन पर पूछ लिया कि आपके घर कोई आया है क्या ?

वो बोला, मुझे इसी बात का डर था, मैने भी उस अंकल को देख लिया था, तभी तो मैने तुझे फोन किया.

मैने कहा, मैने अपने पति को बता दिया कि एक एलेक्ट्रीशियन को बुलाया था, वॉशिंग मशीन का प्लग ठीक करने के लिए.

वो बोला, ये तूने अछा किया.

मैने गुस्से में कहा, क्या खाक अछा है, मेरे पति ने एलेक्ट्रीशियन का पता माँगा है, उन्हे अपने क्लिनिक में कुछ ठीक करवाना है.

वो बोला, तू इतनी चिंता क्यो करती है, मैं अभी अपनी एलेक्ट्रिक शॉप का नंबर दे देता हू.

मैने पूछा, तो तुम खुद जाओगे ना उनके क्लिनिक.

वो बोला, नही किसी और को भेजूँगा.

मैने कहा, अरे तुम पागल हो क्या, किसी और को तुम कैसे भेज सकते हो, मेरे पति ने मेरे घर की वॉशिंग मशीन के प्लग की प्राब्लम के बारे में उस से पूछा तो.

वो बोला, तो इस में क्या दिक्कत है, मैं जीशको भेजूँगा उसे सब कुछ समझा दूँगा, तू चिंता मत कर.

मैने कहा, क्या तुम किसी और को हमारे बारे में सब कुछ बता कर मुझे बदनाम करोगे.

वो बोला, ऐसा कर तू इस सब को छोड़, और अपने पति को सब कुछ सच सच बता दे, कब तक उसे धोका देगी, यही मोका है उसे सब कुछ बताने का.

मैने कहा, मज़ाक मत करो.

वो बोला, मैं मज़ाक नही कर रहा, जो हमारे बीच शुरू हुवा, वो कही ना कही तो ख़तम होगा ही ना. तो अभी सब ख़तम हो जाने दे.

एक पल को मैं गहरी चिंता में डूब गयी.

मुझे बिल्लू से ये सब सुन-ने की उम्मीद नही ही. मुझे तो अपने कानो पर विश्वास ही नही हो रहा था.

मैने पूछा, आख़िर तुम चाहते क्या हो.

वो बोला, मैं ये चाहता हूँ कि तू अपने पति को सब कुछ बता कर अपना मन हल्का कर ले कब तक यू ही सब कुछ छुपाटी रहेगी.

मैने गुस्से में पूछा, तुम्हे क्या लगता है, वो ये सब कुछ सुन कर मुझे ख़ुसी से गले लगा लेंगे और मुझ से खुश हो जाएँगे कि मैने सब सच-सच बता दिया. ये सब पाप करके तो मैं खुद अपने आप को माफ़ नही कर पा रही हूँ. उनकी तो बात ही दूर है.

वो बोला, कुछ भी बोल पर हमारे रिस्ते को पाप मत बोल, बड़ी गहराई से प्यार किया है मैने तुझे.

raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 21:58

मैने कहा, ना जाने कैसा प्यार है तुम्हारा जो मुझे बर्बाद करने पर उतारू है. कभी तुम मुझे किसी और के आगे परोस देते हो, कभी मेरी चिंता करते हो और मेरे लिए किसी की जान भी ले लेते हो और कभी मुझे कामदेव की तरह किसी दूसरी दुनिया में ले जाते हो, आख़िर तुम कौन हो, क्या हो ? मुझे लग रहा है तुम ज़रूर मेरे साथ कोई ख़तरनाक खेल खेल रहे हो.

वो मुस्कुराते हुवे बोला, अछा अछा ठीक है भाई, मैं देखता हूँ कि मैं क्या कर सकता हूँ, ज़्यादा एमोशनल मत हो, तू मेरी एलेक्ट्रिक शॉप का नंबर लिख ले.

बिल्लू ने मुझे नंबर दे दिया और बोला, देखता हूँ या तो तेरे पति के क्लिनिक मैं खुद जाउन्गा या फिर राज शर्मा को भेज दूँगा

मैने पूछा ये राज शर्मा कोन है

वो बोला, अरे वही जो तुम्हे करियर देने आया था,सब उसे राजू कह कर बुलाते है उसे तो सब पता ही है, तू चिंता मत कर. वैसे मैं खुद जाने की कोशिस करूँगा. मैं ये इश्लीए बोल रहा हूँ कि हो सकता है मुझे कल या परसो कही बाहर कम से जाना पड़े. मेरे पीछे राज सब संभाल लेगा.

मैने कहा, देख लो तुम्हे जैसा ठीक लगे, मैं अब चलती हूँ

वो बोला, अरे रुक तो

मैने पूछा, क्यो क्या बात है.

वो बोला, सच बता आज कैसा लगा तुझे.

मैने कहा, मुझे नही पता, मैं अभी बहुत परेशान हूँ मुझ से ऐसी बाते मत करो, तुमने मुझे आज बुरी तरह फँसा दिया.

वो बोला, अब सल्यूशन हो तो गया, अब किस बात की चिंता है तुझे.

मैने कहा, वो तो ठीक है पर मैं खुद को माफ़ नही कर पा रही हूँ, तुम्हारे बहकावे में आ कर मैने अपने पति को धोका दे दिया, मैं अंदर ही अंदर घुट रही हूँ.

वो बोला, तू इतना क्यो सोचती है, मुझे देख मैं तो खूब मज़े से सब कुछ करता हूँ और किसी बात की चिंता नही करता.

मैने कहा, तुम मेरी जगह होते तो तुम्हे पता चलता

वो बोला, छोड़ ना ये बाते कुछ अछी बात कर.

मैने कहा, मेरे पास अभी वक्त नही है बाद में बात करेंगे.

वो बोला, जाते जाते एक बात तो बता जा.

मैने पूछा, क्या ?

वो बोला, जब मैने तेरी पीछे से मारते हुवे पूछा था कि, “कैसा….. लग… रहा…..है… अब” तब तूने कहा था “आ…आ…अक्चहाा…बहुत…आचाअ”

क्या सच में तुझे आज बहुत अछा लगा.

जो बात मैने मदहोशी में कही थी वो मैं अब होशो हवाश में नही दोहरा सकती थी. मैं चुप ही रही.

उसने फिर पूछा, बता ना शरमाती क्यो है, मुझे पता तो चलना चाहिए कि मैं तुम्हे वाकाई में कुछ ख़ास दे रहा हूँ या नही ताकि मैं यू ही तुम्हे प्यार करता रहूं.

मैने कहा, बिल्लू मुझे नही पता इन बातो के पीछे तुम्हारा मकसद क्या है, हाँ पर तुमने मुझे कुछ नये अहसाश दिए है, पर मैं इस रास्ते पर तुम्हारे साथ दूर तक नही जा सकती ये रास्ता ग़लत है और ग़लत ही रहेगा.

वो बड़े विश्वास के साथ बोला, ये ग़लत रास्ता नही है बिल्कुल सही रास्ता है. प्यार कभी ग़लत नही होता.

मैने कहा ये प्यार नही है बिल्लू ये पाप है तुम समझते क्यो नही.

वो बोला, ठीक है बाद में बात करेंगे.

मैने कहा, रूको

वो बोला, हाँ कहो

मैने कहा, तुम अब यहा मत आना, आज मैं फँसते फँसते बची हूँ. मैं नही चाहती कि फिर से कोई तुम्हे यहा देखे. और वैसे भी मैं अब तुम्हे घर के अंदर नही घुसने दूँगी.


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