माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

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The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 22:08

गतांक से आगे.....................

फिर मैंने रीमा के चूतडो को बेतहाशा चूमना शुरु कर दिया। अच्छे से उसके चूतडो को चूम कर मैंने अपने दूसरे हाथ की उंगली अपने थूक से गीली करी और रीमा की गाँड पर रख दी। और गोल गोल उसकी गाँड के चारो और फिराने लगा। मेरा दूसरे हाथ की तीन उंगलियाँ अभी भी रीमा की चूत मे जबर्दस्त चल रही थी। अंत मे मैंने अपनी उंगली उसकी गाँड के छेद पर रखी और थोडा जोर लगाया जिससे मेरी आधी उंगली उसकी कसे हुये छेद मे समा गयी। उंगली गाँड मे जाते ही रीमा मचल उठी उयी माँ ये क्या किया मेरी गाँड मे उंगली घुसा दी मादर चोद मर गयी रे दोनो छेद चोदेगा मेरे एक साथ मेरे लाल मजा आ गया तेरा दिमाग भी चुदायी शास्त्र की भाषा सिखने लग गया है मेरे जैसी मस्तानी औरतो को दोनो छेद मे एक साथ चुदवाने मे बडा मजा आता है मेरे लाल चोद माँ की चूत और गाँड एक साथ कर ले मजा मर गयी रे बडा ही मजा आ रहा है। रीमा खुद आगे पीछे अपने चूतड हिला कर अपनी चूत और गाँड दोनो चुदाने लगी और मैंने रीमा की चूतड को चूमना शुरु कर दिया। रीमा की चूत चोदते हुये मेरी उंगलियाँ उसके चूत रस से पूरी तरह सन गयी थी और अब वही चूत रस मेरी हथेली पर बहने लगा था। मैंने अपना हाथ रीमा की चूत से निकाल लिया मेरा चूत रस के सने हाथ को अपनी नाक पर रख कर सूंघने लगा। हाय मादर चोद भोसडी की औलाद क्या कर रहा है उंगली क्यो निकाल ली मेरी चूत से कितना मजा आ रहा था चुदने में और थोडी देर करता तो मैं झड ही जाती। सारा मजा किरकिरा कर दिया तूने।

अरे माँ देखो मेरे हाथ मे कितना सारा तुम्हारा चूत रस लग गया है अगर थोडी देर और इसी तरह तुम्हारी चूत चोदता तो सारा रस बह जाता और बर्बाद हो जाता तो मैंने इसको चाटने के लिये हाथ बाहर निकाला है। ताकि मैं इसको चाट कर साफ कर संकू। तो रुक अपनी उंगली मेरी गाँड के कसे छेद से भी निकाल मैं भी देखना चाहाती हूँ की मेरा बेटा कैसे मेरे चूत रस को चाटता है। ये देखना तो किसी किसी माँ को ही नसीब होता है। ठीक है माँ मैंने रीमा की दोनो चूतडो को आखरी बार चुम्बन लिया और अपनी उंगली उसकी गाँड से निकाल ली। गाँड से निकालने के बाद मैंने उसकी उंगली अपनी नाक के पास रखी और सुंघने लगा। उसकी गाँड की सौधी गंध मुझे बहुत ही मस्तानी लगी और मेरे लंड ने भी एक झटका मार कर रीमा की गाँड को एक सलामी दी। मेरे लंड की हालत बहुत ही खराब थी एक तो वह मस्ती मे बहुत तन गया था दूसरा नडा बंधा होने के कारण लंड की सारी नसे फटने को तैयार थी। और लंड मे दर्द भी हो रहा था पर इस दर्द में भी मेरा लंड पूरा मस्त था और उसे भरपूर मजा आ रहा था। श्याद मैं पूरी तरह से रीमा के मस्ताने बदन का सेवक हो चुका था वह जो भी कहती मैं मना कर ही नंही सकता था। फिर रीमा उठ कर मेरे तरफ मुँह करके अपने नंगे चूतड कालीन पर टिका कर बैठ गयी वह मुझे अपने चूत रस का सेवन करते हुये देखना चाहाती थी। मेरे अंदर उसके लिये जो प्यार था वह इस सब के जरीये महसूस करना चाहाती थी।

जैसे ही रीमा मुड कर बैठी मैंन वह उंगली जो रीमा की गाँड मे घुसायी थी अपने मुँँह मे भर ली और रीमा की और देख कर चूसने लगा। मैंने अपनी ऊंगली को अपने थूक मे लथेडा और चूस कर गाँड रस को पी गया रीमा मुझे यह सब करते हुये देख रही थी और मुझे अपनी उंगली चूसते देख कर रीमा बहुत ही मस्त हो गयी और उसकी हाथ खुद अपनी आप अपनी चूचीयो पर चले गये वह खुद ही अपने हाथ से अपनी घुंडियो से खेलने लगी। थोडी देर मैं ही चाट कर मैंने अपनी ऊगली साफ कर दी। फिर मैंन अपनी दूसरी हथेली को अपने चेहरे के पास लाकर उस पर लगे हुये रीमा के चूत रस को हथेली पर से चाटने लगा। मुझे ऐसा करते देख कर रीमा की आँखो मे प्यार और वासना के भाव जाग उठे। वह पहले से ही गर्म थी पर मेरी इस हरकत से बहुत ज्यादा गर्मा गयी उसका एक हाथ खुद ही फिसल कर अपनी चूत कर चल गया और अपनी गीली चूत के मस्ताने चूत के दाने से रीमा खेलने लगी। मैं अपनी जीभ से रीमा का रस लेता और अपनी जीभ रीमा को दिखाते हुये मुँह मे भर कर चूस लेता। पहले मैंने हथेली मे लगा माल पिया और फिर उंगलियो मे लगे रस को चाट कर पीने लगा। रीमा का मस्ती भरा चूत रस मेरे अंदर एक नयी ही ऊर्जा भर रहा था।

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 22:08

रीमा ने अपनी दो ऊंगलिया अपने चूत मे घुसेडी और अपने अंगूठे से अपने चूत के दाने को रगडते हुये अपनी चूचीया जोर जोर से मसलने लगी। अपनी मुँह बोली माँ के चूत रस से प्यार करने वाली संतान पा कर माँ बहुत ही प्रसन्न थी। और अब वह मुझे खोना नंही चाहाती थी। धीरे धीरे मैंने अपनी सारी उंगलिया और उसके बीच भी जमा रस को अपनी जीभ से चाट कर चूस लिया। फिर मैंने अपनी ऊंगली अपने मुँह मे डाली और चूसने लगा जैसे कोई लालीपॉप चूस रहा हूँ रीमा भी जोर जोर से अपनी चूत में उंगलियाँ चला रही थी म्म्म्म्म्म ओह्ह्ह्ह्ह मेरे लाल म्म्म्म्म और ऐसा लग रहा था जैसे वह अपना पूरा हाथ ही अपनी चूत मे घुसा देगी। श्याद मेरा उसके चूत रस के प्रति प्यार उसे और भी उत्तेजित कर रहा था। मैंन अच्छी तरह से सारी ऊंगलियाँ चूस कर रीमा का सारा चूत रस पी लिया। रीमा की ऊंगलियाँ उसकी चूत मे घुसी होने के बाद अपने चूत रस से भीग गयी थी। जब मैंने चूसना बंद कर दिया तो रीमा मेरे तरफ देख कर बोली म्म्म्म बेटा मजा आ गया तेरी रंडी माँ को देख खुद अपनी चूत चोद कर मेरी उंगलियाँ भी चूत रस से गीली हो गयी है बेटा आ जा इनको भी चूस ले इनको भी चूस कर साफ कर दे देख नंही तो सारा रस बर्बाद हो जायेगा। अपनी उंगलियो को मेरी तरफ करती हुयी रीमा ने कहा। हाँ माँ कह कर मैं घुटनो के बल चलता हुया रीमा के पास गया और रीमा ने एक हाथ से मेरे सर पर प्यार से हाथ फेरा और अपनी उंगलियाँ मेरे नाक के नीचे कर दी। मैंने पहले रीमा की उंगलियो को सूंघा और फिर प्यार से उसकी उंगलियो को चूमने लगा।

क्रमशः........................

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 22:09

गतांक से आगे.....................

फिर मैंने उसकी उंगलियाँ एक साथ अपने मुँह मे भर ली और चूसने लगा रीमा खुद ही दूसरे हाथ से अपनी चूची को मसलते हुये मुझे अपना चूत रस पीते हुये निहारने लगी। रीमा की आँखो मे वासाना भाव साफ दिख रहा था। मैं रीमा की उंगलियो को जोर जोर से चूस रहा था और उसके रस को पीता जा रहा था फिर मैंने जीभ लगा कर उसकी उंगलियो के बीच को भी चाटना शुरु कर दिया काफी मदमस्त रस जमा था रीमा की उंगलियो पर। थोडी ही देर मे सारा पी लिया मैंने। माँ देखो अब तो मैंने सारा रस पी लिया अब तो मुझे गाँड चाटने दो बडा मजा आ रहा था तुम्हारी गाँड चाटने मे। साले गाँडू यहाँ मेरी चूत गर्मी मे जल रही है और तुझे गाँड की पडी है माँ थोडी देर गाँड से खेल लेने दो फिर मैं तुम्हारी चूत को झडा कर शांत कर दूंगा चलो ना माँ अब कुतिया बन जाओ और मुझे अपनी गाँड से खेलने दो। रहने दे गाँडू अब मैं अपनी चूत का ख्याल खुद करूंगी तुझे गाँड चाटनी है न ठीक है चटवाऊंगी पर एक अलग आसन मे चल अब तो यहाँ कालीन पर चित लेट जा जैसे रीमा ने कहा मैं फौरन लेट गया रीमा ने सोफे का एक कुशन मेरे सर के नीचे रख दिया। जिस्से मेरा सर थोडा सा उपर उठ गया।

जैसे ही मैंने अपना सर कुशन पर रखा रीमा कालीन पर से उठी और अपने दोनो पैर मेरे चेहरे के दोनो और रख खडी हो गयी मैंने उपर सर उठा कर देखा तो रीमा मुझे नीचे लेट कर मुस्कुरा रही थी और उसकी गीली चूत उसकी खुली टांगो के बीच साफ नजर आ रही थी। ले बेटा अब मैं बैठती हूँ. मेरी नज़र माँ के चूतडो की तरफ थी जो उसके बदन से बाहर निकल कर पहाड की चोटी के सामान उभरे हुये थे। तैयार है बेटा बैठूं मैं तेरे मुँह पर हाँ माँ मै तैयार हूँ। फिर रीमा धीरे धीरे नीचे बैठने लगी। उसके मोटे चूतड धीरे धीरे मेरी आँखो के सामने आने लगे। उन मोटे चूतडो के गोलाई उनका उभार चूतडो के बीच के दरार कमर से फैल के बनाते दिल का आकार सभी धीरे धीरे मेरी आँखो के सामने था वह नजारा मेरे लिये किसी जंन्नत के नजारे से कम नंही था। फिर रीमा बैठ गयी और रीमा के शानदार चूतड मेरी आँखो के सामने थे। रीमा ऐसे बैठी थी जैसे औरते मूतने के लिये बैठती है। रीमा का चेहरा मेरे बदन से दूसरी और था। रीमा के चूतड पूरी तरह खुल गये थे और रीमा की मतवाली गाँड का छेद मेरी आँखो के सामने था। उसकी गाँड का छेद भी खुल गया था अभी कुछ देर पहले मैंने रीमा की गाँड चाटी थी इसकी वजह से रीमा की गाँड का छेद अभी भी गीला था। रीमा की चूत भी नीचे बैठने के कारण खुल गयी थी और उसके अंदर का लाल हिस्सा नजर आ रहा था।

मैंने अपने चेहरे हो थोडा था व्यवस्थित किया जिससे मेरी नाक रीमा की चूत और गाँड के छेद के बीच के हिस्से पर आ गयी रीमा की गीली नंगी चूत मेरे सामने थी और मेरे होंठ गाँड के नीचे आ चुके थे। अब मैं आसाने से अपनी जीभ निकाल कर रीमा की गाँड का मस्त बदबू भरा छेद चाट सकता था। और उसके मस्त स्वाद का मजा ले सकता था। ले बेटा तेरी माँ तेरे मुँह पर बैठ गयी और अब चाट मेरी गाँड बडी विनती कर रहा था न कि गाँड चाटने दो ले अब चाट सोच क्या रहा है रंडी की औलाद हराम जादे चाट मेरी गाँड साली बडी खुजली हो रही है मेरी गाँड मे मिटा दे मेरी खुजली चाट कर फिर तुझे अभी मेरा पेट और मेरी छातीयो से भी तो मेरा पसीना चाटना है और फिर से मेरी चूत गर्म हो जायेगी तो उस्को शांत भी तो तू ही करेगा हरामी अब देर न कर जल्दी से मिटा मेरे गाँड की खुजली। मैंने अपनी जीभ निकाली और रीमा की गाँड पर अपनी जीभ फिराने लगा रीमा ने भी अपने भारी भरकम चूतड को स्थिर कर लिया जिससे मैं रीमा की गाँड के छेद को गीला कर संकू। मैं रीमा की गाँड के चारो और अपनी जीभ की नोक फिराता और फिर उसके छेद पर अपनी जीभ की नोक जमा कर उसकी गाँड कुरेदता। रीमा आरम से बैठ कर अपनी गाँड चटवाने लगी रीमा की ऊंगलियाँ अपनी झाँटो मे चल रहे थे और वह प्यार से अपनी झाँट सहला रही थी। रीमा मस्ती मे ज्यादा देर तक अपनी गाँड को स्थिर नंही रख सकी और मेरी जीभ पर गोल गोल घुमाने लगी। और जब मैं अपनी जीभ रीमा की गाँड के छेद पर रखता तो रीमा अपने चूतड नीचे दबा देती जैसे वह मेरी जीभ अपनी गाँड मे लेना चाह रही हो।

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