गन्ने की मिठास--33
गतान्क से आगे......................
संगीता- मुझे यकीन नही होता कि मेरे भैया इतने चुड़क्कड़ है, क्या वह सचमुच मुझे चोदने के लिए यहाँ लाए है,
चंदा- कसम से दीदी आज बड़ा अच्छा मौका है उस बगीचे मे जाकर खूब अपने भैया से अपनी चूत मरवा लो सच वह तुम्हे इतनी तबीयत से चोदेगे कि तुम मस्त हो जाओगी, और फिर चंदा ने संगीता के बोबे को कस कर मसल्ते हुए कहा तब तक दीदी अपना पेशाब रोक के रखना जब तुमसे सहा ना जाए और मूत की बूंदे तुम्हारी चूत के दाने से रिस रिस कर बाहर आने लगे तब अपने भैया को अपनी चूत खड़ी खड़ी ऐसे चटाना जैसे सुधिया चाची चटा रही थी और धीरे धीरे रुक रुक कर अपने भैया के मूह मे मुतती जाना ताकि तुम्हारे भैया तुम्हारा मूत तुम्हारी चूत से चाट चाट कर पीते जाए,
संगीता- आह बस कर चंदा नही तो मेरी चूत की नशे फट जाएगी, कितनी चुदासी बाते करती है तू 2 घंटे मे तूने मेरा क्या हाल कर दिया है,
चंदा- हस्ते हुए अरे दीदी मैने तो सिर्फ़ कढ़ाई मे पानी और शक्कर डाल कर बस गरम आँच दी है अभी असली चासनी तो तुम्हारे भैया बनाएगे तब देखना तुम्हे कितनी मस्ती चढ़ती है, आज जब तुम रात को घर पहुचोगी तो तुम्हारा रोम रोम मीठे मीठे दर्द के मारे तुम्हारे सारे बदन को तडपाएगा, जब मर्द लोग औरत को पूरी नंगी करके तबीयत से ठोकते है तब औरत बिल्कुल मस्त हो जाती है,
चंदा और संगीता बाते कर रही थी तब हरिया भी वहाँ आ गया और फिर चंदा ने पुछा बाबा बाबूजी कब तक आएगे, संगीता दीदी बोर हो रही है,
हरिया- अच्छा हम अभी उन्हे बुला कर लाते है और फिर हरिया वहाँ से तालाब की ओर चल दिया, इन सबके बीच चंदा ने संगीता को पूरे गाँव मे कौन किससे अपनी चूत मराता है कौन किसकी बहन चोद्ता है और कौन अपनी मा को रात भर नंगी करके चोद्ता है वह सारे किस्से संगीता को सुना सुना कर उसकी चूत से इतना पानी बहाया कि उसकी पॅंटी के बाद उसकी जीन्स का भी वह हिस्सा गीला हो गया जहाँ संगीता की मस्त फूली हुई चूत दबी हुई थी,
संगीता चुदाई की बातो से ही बहुत गरम हो चुकी थी उपर से चंदा ने उसे रिश्ते मे होने वाली चुदाई के बारे मे जब सारी बाते बताई तो संगीता से सहन करना मुश्किल हो गया और वह अपने भैया के लंड से खूब ज़ोर ज़ोर से चुदने के लिए तड़पने लगी,
उधर हरिया मेरे पास आकर कहने लगा बाबूजी चलिए संगीता आपको याद कर रही है
राज- क्या हुआ हरिया कुच्छ बात बनी कि नही
हरिया- अरे बाबूजी आपकी बहना तो बस अब लंड के सिवाय कुच्छ सोच ही नही रही है उसकी चूत खूब पनिया गई है और वह आपके लंड को लेने के लिए तड़प रही है,
राज- अच्छा लगता है तुम बाप बेटी ने मिल कर उसे खूब गरम कर दिया है, लेकिन हरिया अब उसे कहाँ ले जाकर चोदुगा,
हरिया- बाबूजी सामने वाले आम के बगीचे मे उसे घुमा लाओ और वहाँ कोई आता जाता भी नही है बस वही अपनी बहन को तबीयत से छोड़ लेना,
राज- हाँ यह ठीक रहेगा चलो चलते है उसके बाद मे हरिया के साथ वापस उसके खेत मे आ गया, संगीता मुझे देख कर मुस्कुरा कर खड़ी हो गई लेकिन उसका चेहरा काफ़ी लाल नज़र आ रहा था,
राज- क्या हुआ गुड़िया रानी बोर हो गई क्या
संगीता- नही भैया ऐसी बात नही है यह चंदा बड़ी अच्छी बाते करती है
राज- अच्छा चल हम लोग थोड़ा बहुत और घूमते है फिर घर चलते है उसके बाद मैं संगीता का हाथ पकड़ कर गाँव की पगडंडी पर चलने लगा, संगीता बिल्कुल शांत थी और मैं उसे गाँव के बारे मे बताता हुआ उसके गले मे हाथ डाले चला जा रहा था, बीच बीच मे मैं संगीता के भारी चूतादो को उसकी जीन्स के उपर से सहला देता था तब संगीता मुझसे और भी सॅट जाती थी,
जब हम बगीचे मे पहुचे तब संगीता की चल कुच्छ कम हो गई
राज- क्या हुआ कुच्छ परेशानी है क्या तू कुच्छ बोल भी नही रही है,
संगीता- शर्मा कर अपना सर नीचे करते हुए कहने लगी भैया मुझे बहुत ज़ोर से पेशाब लगी है
राज- अच्छा जा वहाँ सामने जाकर कर ले तब तक मैं तेरे लिए पके हुए आम तोड़ता हू, संगीता धीरे से आगे बढ़ गई और एक पेड़ के पिछे खड़ी होकर जीन्स खोलने लगी, मैं चोर नज़रो से उसे देख रहा था और वह भी मुझे चुपके से देखने की कोशिश कर रही थी, वह बड़े आराम से अपनी जीन्स को नीचे सरका कर कुच्छ देर खड़ी रही,
गन्ने की मिठास compleet
Re: गन्ने की मिठास
मुझे उसकी गुदाज मोटी गंद ब्लॅक पॅंटी मे कसी हुई नज़र आ रही थी लेकिन मैं ऐसे दिखा रहा था जैसे मैं उसे नही देख रहा हू, संगीता की चूत खूब फूल चुकी थी तभी वह बड़े मस्ती भरे अंदाज मे अपनी पॅंटी निच्चे सरका कर जैसे ही बैठी उसकी गंद की दरार एक पल के लिए मुझे नज़र आ गई फिर उसके मोटे मोटे चूतड़ फैल कर खुल गये और संगीता की मोटी गंद मुझे नज़र आने लगी, मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो चुका था,
उधर संगीता का प्रेसॉर भी ज़्यादा था और वह बैठी बैठी मुते जा रही थी, मैं उसकी चूत से निकलती मोटी धार को देख तो नही पाया लेकिन मेरी आँखो के सामने मेरी बहन की गुलाबी रसीली चूत का नज़ारा ज़रूर आ गया और मैं कल्पना मे डूब गया कि संगीता की चूत से कैसे पेशाब की धार निकल रही होगी और उसकी चूत का गुलाबी छेद कैसे भीगा हुआ लसलसा रहा होगा,
राज- क्या हुआ संगीता हो गया क्या
संगीता- एक दम से खड़ी होकर कहने लगी बस भैया आ गई उसके बाद भी संगीता वही खड़ी जीन्स चढ़ा कर ना जाने क्या करने लगी थोड़ी देर बाद मैने फिर उससे पुछा
राज- क्या हुआ गुड़िया कितना टाइम लगाती हो
संगीता- अरे भैया यह जीन्स की चैन बंद नही हो रही है
राज- लाओ इधर मैं लगा देता हू,
संगीता जीन्स को कमर से पकड़े हुए मेरी तरफ आने लगी उसकी कमर से लेकर घुटनो तक का एरिया इतना भरा हुआ नज़र आ रहा था कि मैं तो उसकी मोटी जाँघो को छुने के लिए तड़पने लगा,
संगीता मेरे सामने आकर खड़ी हो गई उसके चेहरे के भाव बता रहे थे कि वह शरारती मूड मे लग रही है और वह मंद मंद मुस्कुरा भी रही थी,
राज- इधर आओ मैं लगाता हू और फिर मैने उसके सामने बैठ कर सबसे पहले मैने दोनो हाथो से उसकी मोटी जाँघो को पकड़ कर सहलाते हुए अपने हाथ को पिछे लेजाकार उसके भारी चूतादो को पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया उसके बाद मैने उसकी जीन्स की चैन को देखा ऐसा लग रहा था जैसे संगीता ने जान बुझ कर चैन की कॅप को तोड़ दिया हो,
मैं उसकी चैन के कॅप को पकड़ने की कोशिश कर रहा था और जैसे ही मैने एक उंगली से चैन के अंदर वाले हिस्से को पकड़ना चाहा मेरी उंगली संगीता की ब्लॅक पॅंटी मे फूली हुई चूत से टच हो गई और संगीता के मूह से आह की आवाज़ निकल पड़ी मैने जब उपर देखा तो संगीता अपनी आँखे बंद किए हुए अपना सर उपर उठाए हुए थी और उसका चेहरा ऐसा लग रहा था जैसे खड़े खड़े लंड लेने को तैयार हो,
जब मेरी उंगली उसकी चूत से च्छू गई तो मुझे भी बड़ा मज़ा आया और इस बार मैने जान बुझ कर उसकी फूली हुई चूत को सहलाते हुए उसकी चैन लगाने का नाटक करने लगा, उसकी चूत का फूला हुआ गुदाज भाग बहुत मस्त लग रहा था तभी मैने उसकी पॅंटी के उपर से उसकी चूत को अपनी हथेली मे थामते हुए उसकी चैन उपर खिचने लगा जिससे मेरा हाथ का दबाव संगीता की फूली हुई चूत पर पड़ा और वह आह भैया सीई करके एक दम से तड़प उठी,
राज- क्या हुआ संगीता क्या चेन चुभ गई
संगीता- नही भैया मैं ठीक हू, क्या नही बंद हो रही है
राज- अरे इस चैन की कॅप टूट गई है इसलिए यह उपर नही चढ़ रही है एक काम करता हू इसे दन्तो से खींच कर उपर चढ़ाने की कोशिश करता हू उसके बाद मैने संगीता की जीन्स को और भी खोल दिया और मुझे नही पता संगीता मेरी तरफ देख रही थी या अपनी आँखे बंद करके खड़ी थी मैने उसकी जीन्स को फैला कर जब उसकी ब्लॅक पॅंटी मे कसी हुई गुदाज फूली चूत को देखा तो मुझसे नही रहा गया और मैने अपने मूह को उसकी मस्त फूली चूत पर पनटी के उपर से दबा दिया और संगीता आह करके एक दम से सीसीयाने लगी और उसके पैर खड़े खड़े काँपने लगे,
मैं चैन तो नही खींच रहा था बस अपने मूह से संगीता की पॅंटी के उपर से उसकी गुदाज बुर को खूब दबा रहा था, और संगीता पूरी मस्ती मे खड़ी मज़ा लूट रही थी,
राज- संगीता तुम ठीक से खड़ी रहना मैं चैन को दन्तो मे फसा कर उपर खिचता हू तुम संभाल कर खड़ी रहना थोड़ा धक्का भी लग सकता है, उसके बाद मैने संगीता की चैन को दन्तो से पकड़ने का नाटक करते हुए अपनी जीभ से संगीता की चूत को उसकी पॅंटी के उपर से चाट लिया और उसकी बुर को अपनी नाक लगा कर कस कर सूँघा तो क्या बताऊ मैं तो एक दम मस्त हो गया,
मैं मनमाने तरीके से कभी संगीता की मोटी गंद को दबा कर उसकी चूत को अपने मूह से दबाने लगता और कभी उसकी चूत को अपनी हथेली मे भर कर दबोच लेता, संगीता खड़ी खड़ी पानी छ्चोड़ रही थी और मैं अपनी जवान कुँवारी बहन की मस्त चूत और गंद का मज़ा सहला सहला कर ले रहा था,
कुच्छ देर मज़ा लेने के बाद जब मुझे लगा कि अब संगीता खूब चुदासी हो चुकी है तब मैने संगीता से कहा संगीता यह तो ऐसे बंद नही होगी,
संगीता- फिर क्या करे भैया मैं घर कैसे जाउन्गि सब लोग देखेगे और हसेगे
राज- एक काम हो सकता है लेकिन उसके लिए तुझे अपनी जीन्स उतारना पड़ेगी
संगीता- लेकिन भैया जीन्स उतार के कैसे बनेगी
राज- जीन्स उतार कर तेरी चैन को दन्तो से थोड़ा उपर खिचना पड़ेगा ताकि वह जहाँ फसि है वहाँ से थोड़ा उपर आ गई तो आसानी से लग जाएगी, अभी तू पहन कर खड़ी है इसलिए पूरी ताक़त लग नही पा रही है, चल जल्दी से जीन्स उतार कर देदे मैं अभी लगा देता हू,
उधर संगीता का प्रेसॉर भी ज़्यादा था और वह बैठी बैठी मुते जा रही थी, मैं उसकी चूत से निकलती मोटी धार को देख तो नही पाया लेकिन मेरी आँखो के सामने मेरी बहन की गुलाबी रसीली चूत का नज़ारा ज़रूर आ गया और मैं कल्पना मे डूब गया कि संगीता की चूत से कैसे पेशाब की धार निकल रही होगी और उसकी चूत का गुलाबी छेद कैसे भीगा हुआ लसलसा रहा होगा,
राज- क्या हुआ संगीता हो गया क्या
संगीता- एक दम से खड़ी होकर कहने लगी बस भैया आ गई उसके बाद भी संगीता वही खड़ी जीन्स चढ़ा कर ना जाने क्या करने लगी थोड़ी देर बाद मैने फिर उससे पुछा
राज- क्या हुआ गुड़िया कितना टाइम लगाती हो
संगीता- अरे भैया यह जीन्स की चैन बंद नही हो रही है
राज- लाओ इधर मैं लगा देता हू,
संगीता जीन्स को कमर से पकड़े हुए मेरी तरफ आने लगी उसकी कमर से लेकर घुटनो तक का एरिया इतना भरा हुआ नज़र आ रहा था कि मैं तो उसकी मोटी जाँघो को छुने के लिए तड़पने लगा,
संगीता मेरे सामने आकर खड़ी हो गई उसके चेहरे के भाव बता रहे थे कि वह शरारती मूड मे लग रही है और वह मंद मंद मुस्कुरा भी रही थी,
राज- इधर आओ मैं लगाता हू और फिर मैने उसके सामने बैठ कर सबसे पहले मैने दोनो हाथो से उसकी मोटी जाँघो को पकड़ कर सहलाते हुए अपने हाथ को पिछे लेजाकार उसके भारी चूतादो को पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया उसके बाद मैने उसकी जीन्स की चैन को देखा ऐसा लग रहा था जैसे संगीता ने जान बुझ कर चैन की कॅप को तोड़ दिया हो,
मैं उसकी चैन के कॅप को पकड़ने की कोशिश कर रहा था और जैसे ही मैने एक उंगली से चैन के अंदर वाले हिस्से को पकड़ना चाहा मेरी उंगली संगीता की ब्लॅक पॅंटी मे फूली हुई चूत से टच हो गई और संगीता के मूह से आह की आवाज़ निकल पड़ी मैने जब उपर देखा तो संगीता अपनी आँखे बंद किए हुए अपना सर उपर उठाए हुए थी और उसका चेहरा ऐसा लग रहा था जैसे खड़े खड़े लंड लेने को तैयार हो,
जब मेरी उंगली उसकी चूत से च्छू गई तो मुझे भी बड़ा मज़ा आया और इस बार मैने जान बुझ कर उसकी फूली हुई चूत को सहलाते हुए उसकी चैन लगाने का नाटक करने लगा, उसकी चूत का फूला हुआ गुदाज भाग बहुत मस्त लग रहा था तभी मैने उसकी पॅंटी के उपर से उसकी चूत को अपनी हथेली मे थामते हुए उसकी चैन उपर खिचने लगा जिससे मेरा हाथ का दबाव संगीता की फूली हुई चूत पर पड़ा और वह आह भैया सीई करके एक दम से तड़प उठी,
राज- क्या हुआ संगीता क्या चेन चुभ गई
संगीता- नही भैया मैं ठीक हू, क्या नही बंद हो रही है
राज- अरे इस चैन की कॅप टूट गई है इसलिए यह उपर नही चढ़ रही है एक काम करता हू इसे दन्तो से खींच कर उपर चढ़ाने की कोशिश करता हू उसके बाद मैने संगीता की जीन्स को और भी खोल दिया और मुझे नही पता संगीता मेरी तरफ देख रही थी या अपनी आँखे बंद करके खड़ी थी मैने उसकी जीन्स को फैला कर जब उसकी ब्लॅक पॅंटी मे कसी हुई गुदाज फूली चूत को देखा तो मुझसे नही रहा गया और मैने अपने मूह को उसकी मस्त फूली चूत पर पनटी के उपर से दबा दिया और संगीता आह करके एक दम से सीसीयाने लगी और उसके पैर खड़े खड़े काँपने लगे,
मैं चैन तो नही खींच रहा था बस अपने मूह से संगीता की पॅंटी के उपर से उसकी गुदाज बुर को खूब दबा रहा था, और संगीता पूरी मस्ती मे खड़ी मज़ा लूट रही थी,
राज- संगीता तुम ठीक से खड़ी रहना मैं चैन को दन्तो मे फसा कर उपर खिचता हू तुम संभाल कर खड़ी रहना थोड़ा धक्का भी लग सकता है, उसके बाद मैने संगीता की चैन को दन्तो से पकड़ने का नाटक करते हुए अपनी जीभ से संगीता की चूत को उसकी पॅंटी के उपर से चाट लिया और उसकी बुर को अपनी नाक लगा कर कस कर सूँघा तो क्या बताऊ मैं तो एक दम मस्त हो गया,
मैं मनमाने तरीके से कभी संगीता की मोटी गंद को दबा कर उसकी चूत को अपने मूह से दबाने लगता और कभी उसकी चूत को अपनी हथेली मे भर कर दबोच लेता, संगीता खड़ी खड़ी पानी छ्चोड़ रही थी और मैं अपनी जवान कुँवारी बहन की मस्त चूत और गंद का मज़ा सहला सहला कर ले रहा था,
कुच्छ देर मज़ा लेने के बाद जब मुझे लगा कि अब संगीता खूब चुदासी हो चुकी है तब मैने संगीता से कहा संगीता यह तो ऐसे बंद नही होगी,
संगीता- फिर क्या करे भैया मैं घर कैसे जाउन्गि सब लोग देखेगे और हसेगे
राज- एक काम हो सकता है लेकिन उसके लिए तुझे अपनी जीन्स उतारना पड़ेगी
संगीता- लेकिन भैया जीन्स उतार के कैसे बनेगी
राज- जीन्स उतार कर तेरी चैन को दन्तो से थोड़ा उपर खिचना पड़ेगा ताकि वह जहाँ फसि है वहाँ से थोड़ा उपर आ गई तो आसानी से लग जाएगी, अभी तू पहन कर खड़ी है इसलिए पूरी ताक़त लग नही पा रही है, चल जल्दी से जीन्स उतार कर देदे मैं अभी लगा देता हू,
Re: गन्ने की मिठास
संगीता- कुकछ शरमाने का नाटक करते हुए कहने लागो पर भैया आपके सामने मैं कैसे अपनी जीन्स उतारू
राज- अरे पागल है जो अपने भैया के सामने शर्मा रही है अभी एक दो साल पहले तक तो मैं तुझे कई बार पूरी नंगी करके नहला देता था, याद नही है क्या तुझे, अब थोड़ी बड़ी क्या हो गई अपने भैया से ही शर्मा रही है
चल जल्दी से जीन्स उतार कर दे दे,
संगीता- मेरी बाते सुन कर एक दम लाल हो गई थी और फिर अपनी जींस उसने जैसे ही नीचे की हाय क्या बताऊ उसकी गुदाज गोरी गोरी मोटी मोटी जंघे और उसके उपर काली पॅंटी मे कसी उसकी मस्त फूली हुई चूत देख कर तो मैं पागल हो गया, मैं तो संगीता को एक जवान लोंड़िया समझ रहा था लेकिन जब मैने उसकी गुदाज नंगी मोटी मोटी जंघे देखी तो मुझे एहसास हुआ कि संगीता तो भरी पूरी औरत नज़र आ रही थी, रुक्मणी के नंगे बदन से कम नही था संगीता का बदन और चिकनी इतनी ज़्यादा थी की उसकी मासल उठी जवानी देख कर ही मूह मे पानी आ गया था,
संगीता ने अपनी जीन्स उतार कर मुझे दे दी और अपनी छ्होटी सी टीशर्ट जो कि उसकी नाभि के उपर से थी को खींच कर अपनी चूत ढकने की कोशिश करने लगी, मैं उसकी चैन को अपने दन्तो से खिचने की कोशिश करता हुआ संगीता की गुदाज जवानी को अपनी आँखो से पी रहा था, तभी मैने संगीता की चोर नज़रो को पकड़ लिया जो कि मेरे पेंट मे उस जगह बड़े गौर से देख रही थी जहा मेरा लंड पूरी तरह तना हुआ तंबू बनाए था,
मैं संगीता की पॅंटी मे कसी मोटी गंद को मटकते हुए देखना चाहता था और मैने संगीता से कहा
राज- गुड़िया ज़रा इधर उधर देख कोई पत्थर पड़ा हो तो लेकर आ इसे पत्थर से ठोक कर सीधा करना पड़ेगा,
संगीता- इधर उधर देखने लगी और फिर उसे कुच्छ दूर एक छ्होटा सा पत्थर नज़र आया और वह अपनी गंद मतकाते हुए उस ओर जाने लगी, मैं उसके भारी चूतादो की मदमस्त थिरकन देख कर अपने लंड को मसल्ने लगा और फिर संगीता जैसे ही उस पत्थर को उठाने के लिए झुकी उसकी गुदाज गंद का उभार देख कर मैं पागल हो गया और फिर संगीता सीधी हुई तो उसकी पॅंटी उसकी गंद की दरार मे फस गई और संगीता ने उसे निकालने की कोशिश नही की और अपनी मोटी गंद मतकाते हुए मेरे पास आ गई, मैने उसके हाथ से पत्थर लेकर चैन पर हल्के से मारा और फिर उसकी चैन लगाने की कोशिश करने लगा,
तभी संगीता एक दम से चहक कर मुझसे कहने लगी
संगीता- भैया वो देखो कितना पका हुआ आम लगा है देखो कितना नीचे है भैया प्लीज़ इस आम को तोड़ लो ना
मैने भी उस आम को देखा जो मेरी हाइट से थोड़ा उपर था मैं जीन्स छ्चोड़ कर खड़ा हो गया और उचक कर उस आम को तोड़ने की कोशिश करने लगा लेकिन वह थोड़ा उपर था और मेरे हाथ से बस दो बीते की दूरी पर था
राज- संगीता ऐसे नही बनेगा तू एक काम कर इधर आ मैं तुझे गोद मे उठाता हू और तू आम तोड़ लेना
राज- अरे पागल है जो अपने भैया के सामने शर्मा रही है अभी एक दो साल पहले तक तो मैं तुझे कई बार पूरी नंगी करके नहला देता था, याद नही है क्या तुझे, अब थोड़ी बड़ी क्या हो गई अपने भैया से ही शर्मा रही है
चल जल्दी से जीन्स उतार कर दे दे,
संगीता- मेरी बाते सुन कर एक दम लाल हो गई थी और फिर अपनी जींस उसने जैसे ही नीचे की हाय क्या बताऊ उसकी गुदाज गोरी गोरी मोटी मोटी जंघे और उसके उपर काली पॅंटी मे कसी उसकी मस्त फूली हुई चूत देख कर तो मैं पागल हो गया, मैं तो संगीता को एक जवान लोंड़िया समझ रहा था लेकिन जब मैने उसकी गुदाज नंगी मोटी मोटी जंघे देखी तो मुझे एहसास हुआ कि संगीता तो भरी पूरी औरत नज़र आ रही थी, रुक्मणी के नंगे बदन से कम नही था संगीता का बदन और चिकनी इतनी ज़्यादा थी की उसकी मासल उठी जवानी देख कर ही मूह मे पानी आ गया था,
संगीता ने अपनी जीन्स उतार कर मुझे दे दी और अपनी छ्होटी सी टीशर्ट जो कि उसकी नाभि के उपर से थी को खींच कर अपनी चूत ढकने की कोशिश करने लगी, मैं उसकी चैन को अपने दन्तो से खिचने की कोशिश करता हुआ संगीता की गुदाज जवानी को अपनी आँखो से पी रहा था, तभी मैने संगीता की चोर नज़रो को पकड़ लिया जो कि मेरे पेंट मे उस जगह बड़े गौर से देख रही थी जहा मेरा लंड पूरी तरह तना हुआ तंबू बनाए था,
मैं संगीता की पॅंटी मे कसी मोटी गंद को मटकते हुए देखना चाहता था और मैने संगीता से कहा
राज- गुड़िया ज़रा इधर उधर देख कोई पत्थर पड़ा हो तो लेकर आ इसे पत्थर से ठोक कर सीधा करना पड़ेगा,
संगीता- इधर उधर देखने लगी और फिर उसे कुच्छ दूर एक छ्होटा सा पत्थर नज़र आया और वह अपनी गंद मतकाते हुए उस ओर जाने लगी, मैं उसके भारी चूतादो की मदमस्त थिरकन देख कर अपने लंड को मसल्ने लगा और फिर संगीता जैसे ही उस पत्थर को उठाने के लिए झुकी उसकी गुदाज गंद का उभार देख कर मैं पागल हो गया और फिर संगीता सीधी हुई तो उसकी पॅंटी उसकी गंद की दरार मे फस गई और संगीता ने उसे निकालने की कोशिश नही की और अपनी मोटी गंद मतकाते हुए मेरे पास आ गई, मैने उसके हाथ से पत्थर लेकर चैन पर हल्के से मारा और फिर उसकी चैन लगाने की कोशिश करने लगा,
तभी संगीता एक दम से चहक कर मुझसे कहने लगी
संगीता- भैया वो देखो कितना पका हुआ आम लगा है देखो कितना नीचे है भैया प्लीज़ इस आम को तोड़ लो ना
मैने भी उस आम को देखा जो मेरी हाइट से थोड़ा उपर था मैं जीन्स छ्चोड़ कर खड़ा हो गया और उचक कर उस आम को तोड़ने की कोशिश करने लगा लेकिन वह थोड़ा उपर था और मेरे हाथ से बस दो बीते की दूरी पर था
राज- संगीता ऐसे नही बनेगा तू एक काम कर इधर आ मैं तुझे गोद मे उठाता हू और तू आम तोड़ लेना