ओह मेरे लाल सच सच कह रहा है तू मेरा मूत पीयेगा मेरा लाल मेरी चूत से निकलने वाला मूत पीला शरबत पियेगा मेरा मादरचोद बेटा। ओह मेरे लाल मेरी चूत तो यह सुन कर ही गीली हो गयी और पूरे गर्व से भी भर गयी कि उसे इतना प्यार करने वाला कोई मिला जो उसके मूत को ग्रहण करने को तैयार है मेरे चूतड को पकड मेरे बदन को अपने बदन से सटाती हुये रीमा ने कहा। लेकिन एक बात सोच ले मेरा ये मूत बहुत ही किमती है एक बूंद मेरे मूत की बर्बाद नंही होनी चाहिये एक एक बूंद पीने पडेगी तेरे और और इतना ही नंही अब जब तक तू यंहाँ है रोज मैं तेरे मुँह मे ही मूतूंगी जितनी बार भी मूतूंगी हर बार तुझे मेरा मूत पीना पडेगा। पर तू चिंता मत कर मुझे पता है कि मेरे बेटे को मेरा मूत कितना पंसद है मैं बहुत पानी पियूंगी जिससे ज्यादा से ज्यादा मूत पीला संकू अपने लाल को मुझे पूरा यकिन है तुझे अपनी माँ का मूत बहुत पंसद आयेगा। हाँ माँ मैं अब तो रोज पीयूंगा तुम्हारा मूत मेरे लिये तो ये किसी अमृत से कम नंही है वैसे भी माँ तुम कहती हो कि औरत के जिस्म मैं बनने वाले सारे पर्दाथ मर्दो के लिये कितने लाभकारी है तो फिर तुम्हारा मूत भी मेरे लिये बहुत अच्छा होगा। और मैं तुम्हारे मूत की एक बूंद भी बर्बाद नंही होने दूंगा जब मैंने तुम्हारे चूत रस की एक भी बूंद बर्बाद नंही होने दी तो फिर मूत की कैसे होने दे सकता हूँ।
मै तो मूत को चूत रस से भी किमती मानता हूँ माँ ओह मेरे लाल तूने तो मेरी चूत मैं फिर से आग भडका दी साले पता नंही तेरे में क्या जादू है तू जो भी करता है मैं उससे उत्तेजित हो जाती हूँ। तू इतने दिनो तक कंहा था मेरे लाल मैं तेरे प्यार से कितना वंचित रही हूँ मै तेरे को बता नंही सकती। आ जा मेरे लाल आज तक जो सिर्फ कहानियो में पढा था अब हम करते है चल मैं तेरे को अपना मूत पीलाती हूँ नंही तो तेरा ये मुसल जो मेरी चूत के पास खडा है चूत के छेद का रास्ता ढूंढ लेगा और एक बार अगर ये मेरी इस गर्म चूत मे घुस गया तो फिर मेरी चूत को अच्छे से चोद कर ही निकलेगा और तो और फिर मेरे लिये भी बडा ही मुश्किल हो जायेगा अपने आप को रोकना। चल तेरा ये पहली बार है तू नीचे लेट जा मैं तेरे मुँह पर बैठ कर तुझको मूत पीलाती हूँ। तू मेरा मूत पीते हुये मेरी खुली चूत भी देख सकता है। ठीक है माँ चलो अब और न तडपाओ मुझे अपना मूत पीला ही दो रीमा के गुदाज चूतडो को दबाते हुये मैंने कहा। पर देख एक बात बता देती हूँ मूत पीने की उत्तेजना मैं कंही तू अपने लंड से ज्यादा खेला और झडा तो बस हमारा रिश्ता यंही खत्म हो जायेगा ये तेरा इंम्तहान है अपने पर काबू करने का बिना नाडा बांधे समझ गया बिल्कुल माँ।
मैं पूरा ख्याल रखूंगा मुझे भी पता है तुम्हारे जैसी नायाब औरत रोज रोज नंही मिलती माँ और मैं अपने लंड के मजे के सामने तुम्को नंही खोना चाहाता। और अगर मैं तुम्को खुश रखूंगा तो तुम मेरे बिना कहे मेरे लंड को खुश रखोगी। बडा ही समझदार है तू चल अब लेट जा यंहाँ पॉट के बगल मैं जिससे मुझे लगे मैं पॉट मे ही मूत रही हूँ क्योकी अब तो तू मेरा चलता फिरता प्यारा सा बाथरूम बनने वाला है जिससे मैं रोज मूतूंगी मेरे चूतड पर एक प्यार भरी चपत लगाते हुये रीमा ने कहा। मैंने रीमा के चूतड को दबा कर उसके होंठो का एक हल्का सा चुम्बन लिया और हम दोनो अलग हो गये। मैंने पॉट के बगल में चित लेट गया रीमा के पीठ मेरी तरफ थी और उसके हौदे जैसे चूतड मेरी आँखो के सामने थे जिनको देख कर मस्ती मे तडपता मेरा लंड हिलने लगा। जब मैं लेट गया रीमा पलट कर खडी हो गयी। इस रूप मैं वह मुझे कोई वासना की देवी लग रही थी जो अब अपने भक्त को उसकी भक्ती से प्रंसन्न होकर अमृत रूपी मूत प्रसाद के तौर में दे रही थी। ओह्ह मेरे लाल मैं तो बहुत ज्यादा ही मस्त हो गयी हूँ मेरे शरीर का रोम रोम खडा हो गया है तुम्हारे को मूत पिलाने का सोच कर। मैंने पहले भी अपने किसी प्रिय को अपना मूत पिलाया था पर आज इतने दिना बाद तुझे मूत पिलाने का आंनद मुझे प्राप्त हो रहा है।
माँ बेटे का अनौखा रिश्ता
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता
चल तू अब अपने हाथ अपने बदन से जोड ले ताकि मुझे आसानी हो तेरे मुँह पर बैठने के लिये। मैंने अपने हाथ जोड लिये। रीमा आकर मेरे कंधे के दोनो और पैर करके खडी हो गयी और उसकी झाँटो भरी चूत मेरी चेहरे की बिल्कुल उपर थी। रीमा अपने हाथ अपनी चूचीयो तक ले गयी और प्यार से अपनी मस्ती में खडी घुडी को सहलाते हुये बोली तैयार है बेटा हाँ माँ पूरी तरह तैयार हूँ मैंने कहा। रीमा धीरे धीरे नीचे बैठने लगी उसकी चूत हौले हौले मेरे चेहरे के नजदीक आने लगी। रीमा मेरे चेहरे के सामने उकडू होकर बैठ गयी जैसी औरते नाली मैं मूतने के लिये बैठती है फर्क सिर्फ इतना था कि मेरा मुँह रीमा की नाली थी जिसमे वह मूतने वाली थी। रीमा की चूत एक दम मेरे चेहरे के सामने थी। ऐसे बैठने से रीमा की चूत एक दम खुल गयी थी। उसकी चूत के अंदर का लाल भाग साफ दिखायी दे रहा था जो वासना की गर्मी से गीला हो गया था। उसके उपर रीमा की चूत का दाना मस्त होकर चूत से बाहर उभर कर आ गया था। और उसके उसी चूत के दाने के उपर था रीमा का मूत का छेद। जिसमे से वह अभी थोडी ही देर में मेरे मुँह में मूतने वाली थी।
ले बेटा बैठ गयी तेरी माँ और देख ले ध्यान से मेरी चूत और मेरे मूत का छिद्र इसी मूत के छिद्र से मैं तेरे मुँह मे मूतूंगी। हाँ माँ तुम्हारा मूत की छिद्र बहुत ही सुंदर है और तुम्हारे इस मूत के छिद्र से निकलने वाले मूत को मैं पीने के लिये बैताब हूँ। अब तो तुझे रोज मेरे इस छिद्र को देखना है क्योकी मैं इतना मूत बनाऊंगी अपने अंदर की तुझे पानी की जरुरत ही न पडे मेरा मूत ही तेरे पानी की जरुरत को पूरा कर दे। रीमा की बात सुनकर मस्ती मे मेरा बदन सिहर गया और लंड नयी जान से उछलने लगा। फिर रीमा ने खुद अपनी चूत के द्वार अपने हाथो से खोल कर और भी चौडे कर दिये ले बेटा अब तैयार हो जा अब मैं मूतूंगी मेरे मूत के छिद्र को अपने होंठो में कैद कर ले पहले मैं थोड सा मूतूंगी तेरे मुँह में तू उसका स्वाद का मजा ले जब तेरे मुँह मे मेरा स्वाद बस जायेगा तब थोडा थोडा मूत मुँह मे लेकर मजे लेकर पीना और अपने गले को गीला करना।मैं जानती ही तू बहुत ही गर्म मर्द है और मुझे पता है तुझे मेरे मूत का स्वाद बहुत पंसद आयेगा और जितना भी मूत मैं तुझे पिलाऊंगी उससे तेरा मन नंही भरेगा देख लेना तू। तो माँ अब तडपा क्यो रही हो मूत दो न मेरे मुँह मे देखो मेरा लंड भी अपनी माँ से विनती कर रहा है मेरे मुँह मे मूतने के लिये मूतो न मेरी माँ बरसाओ अपना प्यार अपने बेटे के मुँह मे।
तो फिर तू लगा अपने होंठ मैं मूतती हूँ। मैंने झट से रीमा के मूत के छिद्र को अपने होंठो मे कैद कर लिया। जैसे ही मेरे होंठो ने रीमा की मूत छिद्र को कैद किया रीमा के मुँह से मस्ती भरी आह निकली ओह्ह्ह ले बेटा आया मेरा मूत कह कर रीमा ने अपनी बदन को जरा सा जोर लगाया और रीमा का थोडा सा मूत मेरे मुँह मे गिर गया। रीमा ने झट से अपने चूतडो को सिकोड कर मूत के प्रवाह को रोक लिया। जैसे ही रीमा का गर्म मूत मेरी जीभ पर पडा मैं अपने गले को बंद कर लिया जिससे कंही मूत मेरे गले मे न उतर जाये क्योकी मैं मूत के स्वाद का मजा लेना चाहाता था। रीमा का मूत गर्म और खारा था। पर उसका वह खारा स्वाद दुनिया के किसी भी मिठायी के स्वाद से बढिया था। रीमा ने बहुत थोडा सा ही मूता था जिस्से मैं सिर्फ स्वाद का अहसास ले सकूं मैं मूत को अपनी जीभ पर लेकर ऐसे ही रीमा के मूत के छिद्र को होंठो मे बंद करके रुका रहा जब रीमा के मूत का स्वाद पूरी तरह से मेरी जीभ मे समा गया और मेरी लार भी रीमा के मूत मे मिल गयी मैं उस जरा से मूत को अपने गले के नीचे उतारा। जब रीमा ने देखा की मैंने रीमा का मूत अपने गले के नीचे उतार लिया है तो उसने पूछा बोल बेटा कैसा लग तुझे अपनी माँ का मूत अच्छा है न पंसद आया और मूतू तेरे मुँह मे कि बस।
ले बेटा बैठ गयी तेरी माँ और देख ले ध्यान से मेरी चूत और मेरे मूत का छिद्र इसी मूत के छिद्र से मैं तेरे मुँह मे मूतूंगी। हाँ माँ तुम्हारा मूत की छिद्र बहुत ही सुंदर है और तुम्हारे इस मूत के छिद्र से निकलने वाले मूत को मैं पीने के लिये बैताब हूँ। अब तो तुझे रोज मेरे इस छिद्र को देखना है क्योकी मैं इतना मूत बनाऊंगी अपने अंदर की तुझे पानी की जरुरत ही न पडे मेरा मूत ही तेरे पानी की जरुरत को पूरा कर दे। रीमा की बात सुनकर मस्ती मे मेरा बदन सिहर गया और लंड नयी जान से उछलने लगा। फिर रीमा ने खुद अपनी चूत के द्वार अपने हाथो से खोल कर और भी चौडे कर दिये ले बेटा अब तैयार हो जा अब मैं मूतूंगी मेरे मूत के छिद्र को अपने होंठो में कैद कर ले पहले मैं थोड सा मूतूंगी तेरे मुँह में तू उसका स्वाद का मजा ले जब तेरे मुँह मे मेरा स्वाद बस जायेगा तब थोडा थोडा मूत मुँह मे लेकर मजे लेकर पीना और अपने गले को गीला करना।मैं जानती ही तू बहुत ही गर्म मर्द है और मुझे पता है तुझे मेरे मूत का स्वाद बहुत पंसद आयेगा और जितना भी मूत मैं तुझे पिलाऊंगी उससे तेरा मन नंही भरेगा देख लेना तू। तो माँ अब तडपा क्यो रही हो मूत दो न मेरे मुँह मे देखो मेरा लंड भी अपनी माँ से विनती कर रहा है मेरे मुँह मे मूतने के लिये मूतो न मेरी माँ बरसाओ अपना प्यार अपने बेटे के मुँह मे।
तो फिर तू लगा अपने होंठ मैं मूतती हूँ। मैंने झट से रीमा के मूत के छिद्र को अपने होंठो मे कैद कर लिया। जैसे ही मेरे होंठो ने रीमा की मूत छिद्र को कैद किया रीमा के मुँह से मस्ती भरी आह निकली ओह्ह्ह ले बेटा आया मेरा मूत कह कर रीमा ने अपनी बदन को जरा सा जोर लगाया और रीमा का थोडा सा मूत मेरे मुँह मे गिर गया। रीमा ने झट से अपने चूतडो को सिकोड कर मूत के प्रवाह को रोक लिया। जैसे ही रीमा का गर्म मूत मेरी जीभ पर पडा मैं अपने गले को बंद कर लिया जिससे कंही मूत मेरे गले मे न उतर जाये क्योकी मैं मूत के स्वाद का मजा लेना चाहाता था। रीमा का मूत गर्म और खारा था। पर उसका वह खारा स्वाद दुनिया के किसी भी मिठायी के स्वाद से बढिया था। रीमा ने बहुत थोडा सा ही मूता था जिस्से मैं सिर्फ स्वाद का अहसास ले सकूं मैं मूत को अपनी जीभ पर लेकर ऐसे ही रीमा के मूत के छिद्र को होंठो मे बंद करके रुका रहा जब रीमा के मूत का स्वाद पूरी तरह से मेरी जीभ मे समा गया और मेरी लार भी रीमा के मूत मे मिल गयी मैं उस जरा से मूत को अपने गले के नीचे उतारा। जब रीमा ने देखा की मैंने रीमा का मूत अपने गले के नीचे उतार लिया है तो उसने पूछा बोल बेटा कैसा लग तुझे अपनी माँ का मूत अच्छा है न पंसद आया और मूतू तेरे मुँह मे कि बस।
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता
नंही माँ ऐसा जुल्म मत करना मुझे तुम्हारा मूत बहुत ही पंसद आया मुझे नंही लगता इससे अच्छा कुछ हो सकता है इस दुनिया में तुम और मूतो और मूतो मेरे मुँह में मुझे तुम्हारा पूरा मूत पीना है मैं तुम्हारे मूत की एक भी बूंद बर्बाद नंही होने देना चाहाता। पता नंही बेटा क्या पता मूत से भी स्वादिष्ट कुछ हो वह तो जब तू ग्रहण करगा तभी तुझे पता चलेगा की मूत से अच्छा क्या है। मेरा लंड मस्ती मैं पूरा तन गया था और मेरे लंड का सुपाडा फूल कर मोटा हो गया था। मैंने अपने लंड को खुश करने के लिये प्यार से अपनी उंगलियो से सहलाया। और फिर से अपने होंठ रीमा के मूत के छिद्र पर लगा दिये रीमा ने थोडा अपने चूतड को ढीला छोड कर मेरे मुँह मे मूता अबकी बार रीमा ने थोडा ज्यादा मूता था इतना की मेरा मुँह रीमा के मूत से भर गया। रीमा फिर रुक गयी। अपने अपने हाथ रीमा की मोटे चूतडो पर रखे और उसके चूतडो को मसलते हुये अपने मुँह मे रीमा के मूत को घुमाने लगा। रीमा का वह पीला अमृत तो मुझे पागल बनाये दे रहा था। मैंने थोडा थोडा मूत अपने गले के नीचे उतरना शुरु कर दिया मेरा गला रीमा के मूत से तर होता जा रहा था। मूत पीने के साथ साथ मैं रीमा की चूतडो को सहला और मसल भी रहा था जिससे रीमा और भी मस्त होती जा रही थी। उसकी आँखे भरपूर वासना से भरी हुयी थी। वह मस्ती मे पूरी पागल हो रही थी। मैंने अपना मुँह खोल कर रीमा को अपना मूत से भरा हुया मुँह दिखाया तो रीमा जैसे पागल ही हो गयी।
ओह मेरे गाँडू बेटे पी ना देख तेरा मुँह कैसे मेरे मूत से भरा हुया है ओह्ह्ह तूने तो मुझे बहुत गर्म कर दिया है रे पी ना मेरी जान पी जा मेर मूत। रीमा के कहते ही मैं गटागट रीमा का मूत पी गया। मान गयी रे तुझे मेरे लाल तू मुझे खुश करने के लिये कुछ भी कर सकता है पर बेटा अब मैं और नंही रूक सकती मेरी चूत अब और देर तक अपना ये शरबत अपने अंदर नंही रख सकती अब मैं पूरे जोर से धडाधड मूतूंगी तू अपने होंठ मेरे मूत के छेद पर लगा ज्लदी से। मैं फट से रीमा के मूत का छेद अपने होंठो मे बंद कर लिया। और अपने हन्थो से रीमा के मोटे चूतडो को जोर जोर से दबाने लगा। रीमा ने अपने बदन को थोडा ढीला छोडा और रीमा के मूत की धार उसके मूत के छिद्र से निकल कर सीधा मेरे मुँह मे गिरने लगी। रीमा के मूत से मेरा मुँह भरने लगा मैं रीमा का मूत गटागट अपने गले के नीचे उतरता चला जा रहा था। रीमा ने अभी भी अपने मूतने के रफतार को इस तरह काबू मे किया था कि मूत मेरे मुँह मे गीरे और मैं उसे पी सकूं जरा सा भी मूत मेरे मुँह से निकल कर बाहर न आये। मैं रीमा के चूतडो पर हाथ फेरने के साथ साथ उसकी चूतड की खुली हुयी दरार में भी अपनी उंगलियाँ फिरा रहा था जिस्से कभी कभी मेरी उंगलियाँ उसकी गाँड से भी टकरा जाती और मैं अपनी उंगली से उसकी गाँड कुरेद देता था। पर रीमा तो इस समय सब कुछ भूल कर मुझे अपना मूत पीलाने का आंनद उठा रही थी। और मैं भी पूरी तनलीनता से रीमा का गर्मा गर्म मूत पी रहा था।
रीमा का मूत पीने से मेरा लंड मस्ती में फडफडा रहा था और पागल हुया जा रहा था। रीमा ने कुछी देरे पहले अपने मूत को शरबत कहा था मेरे मन मे विचार आया की शर्बत तो ठंडा पीना चाहिये पर रीमा का ये शरबत तो गर्म था मैंने सोचा अगली बार मैं रीमा से अपना मूत जग मे रख कर फ्रिज में रख कर ठंडा करने को कहुंगा ताकि मैं पूरा चुसकियाँ लेकर मूत का मजा ले सकूं अबकी बार तो रीमा को जल्दी होने की वजह से मैं मूत का पूरा मजा नंही ले पा रहा था। लगता था रीमा को बहुत देर से मुतास लगी थी तभी तो बहुत देर हो गयी थी और रीमा रुकने का नाम ही नंही ले रही थी मेरा पेट भी इतना सारा मूत पीकर भरता जा रहा था। और रीमा बराबर मूत रही थी ओह मेरे लाल बहुत जयादा मूत भरा था मेरे पेट मे बस अब खत्म हुया समझो साला तू गाँडू भी पूरा पीता जा रहा है एक बूंद भी नंही गिराया अभी तक तूने। फिर धीरे धीरे रीमा का बदन थोडा ढीला हो गया और रीमा के मूत की रफतार कम होती हुयी बिल्कुल धीमी हो गयी और फिर एक दम से रुक गयी। रीमा का सारा मूत मेरे पेट मे चला गया। अंत मे थोडा सा जोर लगा कर कुछ और धार मेरे मुँह मे डाली और फिर उसके अपने चूतड को एक दम से ढीला छोड दिया रीमा पूरा मूत चुकी थी और मैंने उसका सारा मूत ग्रहण कर लिया था। ओह मेरे लाल बता कैसा लगा मूत पीना अच्छा लगा न अबकि बार मुझे थोडे जल्दी इसलिये पूरे स्वाद लेकर तुझको मूत नंही पीला सकी पर चिंता मत कर अगली बार पूरा स्वाद लेकर पीना बिल्कुल धीरे धीरे मूतूंगी पूरा समय लेकर तेरे मुँह में।
ओह मेरे गाँडू बेटे पी ना देख तेरा मुँह कैसे मेरे मूत से भरा हुया है ओह्ह्ह तूने तो मुझे बहुत गर्म कर दिया है रे पी ना मेरी जान पी जा मेर मूत। रीमा के कहते ही मैं गटागट रीमा का मूत पी गया। मान गयी रे तुझे मेरे लाल तू मुझे खुश करने के लिये कुछ भी कर सकता है पर बेटा अब मैं और नंही रूक सकती मेरी चूत अब और देर तक अपना ये शरबत अपने अंदर नंही रख सकती अब मैं पूरे जोर से धडाधड मूतूंगी तू अपने होंठ मेरे मूत के छेद पर लगा ज्लदी से। मैं फट से रीमा के मूत का छेद अपने होंठो मे बंद कर लिया। और अपने हन्थो से रीमा के मोटे चूतडो को जोर जोर से दबाने लगा। रीमा ने अपने बदन को थोडा ढीला छोडा और रीमा के मूत की धार उसके मूत के छिद्र से निकल कर सीधा मेरे मुँह मे गिरने लगी। रीमा के मूत से मेरा मुँह भरने लगा मैं रीमा का मूत गटागट अपने गले के नीचे उतरता चला जा रहा था। रीमा ने अभी भी अपने मूतने के रफतार को इस तरह काबू मे किया था कि मूत मेरे मुँह मे गीरे और मैं उसे पी सकूं जरा सा भी मूत मेरे मुँह से निकल कर बाहर न आये। मैं रीमा के चूतडो पर हाथ फेरने के साथ साथ उसकी चूतड की खुली हुयी दरार में भी अपनी उंगलियाँ फिरा रहा था जिस्से कभी कभी मेरी उंगलियाँ उसकी गाँड से भी टकरा जाती और मैं अपनी उंगली से उसकी गाँड कुरेद देता था। पर रीमा तो इस समय सब कुछ भूल कर मुझे अपना मूत पीलाने का आंनद उठा रही थी। और मैं भी पूरी तनलीनता से रीमा का गर्मा गर्म मूत पी रहा था।
रीमा का मूत पीने से मेरा लंड मस्ती में फडफडा रहा था और पागल हुया जा रहा था। रीमा ने कुछी देरे पहले अपने मूत को शरबत कहा था मेरे मन मे विचार आया की शर्बत तो ठंडा पीना चाहिये पर रीमा का ये शरबत तो गर्म था मैंने सोचा अगली बार मैं रीमा से अपना मूत जग मे रख कर फ्रिज में रख कर ठंडा करने को कहुंगा ताकि मैं पूरा चुसकियाँ लेकर मूत का मजा ले सकूं अबकी बार तो रीमा को जल्दी होने की वजह से मैं मूत का पूरा मजा नंही ले पा रहा था। लगता था रीमा को बहुत देर से मुतास लगी थी तभी तो बहुत देर हो गयी थी और रीमा रुकने का नाम ही नंही ले रही थी मेरा पेट भी इतना सारा मूत पीकर भरता जा रहा था। और रीमा बराबर मूत रही थी ओह मेरे लाल बहुत जयादा मूत भरा था मेरे पेट मे बस अब खत्म हुया समझो साला तू गाँडू भी पूरा पीता जा रहा है एक बूंद भी नंही गिराया अभी तक तूने। फिर धीरे धीरे रीमा का बदन थोडा ढीला हो गया और रीमा के मूत की रफतार कम होती हुयी बिल्कुल धीमी हो गयी और फिर एक दम से रुक गयी। रीमा का सारा मूत मेरे पेट मे चला गया। अंत मे थोडा सा जोर लगा कर कुछ और धार मेरे मुँह मे डाली और फिर उसके अपने चूतड को एक दम से ढीला छोड दिया रीमा पूरा मूत चुकी थी और मैंने उसका सारा मूत ग्रहण कर लिया था। ओह मेरे लाल बता कैसा लगा मूत पीना अच्छा लगा न अबकि बार मुझे थोडे जल्दी इसलिये पूरे स्वाद लेकर तुझको मूत नंही पीला सकी पर चिंता मत कर अगली बार पूरा स्वाद लेकर पीना बिल्कुल धीरे धीरे मूतूंगी पूरा समय लेकर तेरे मुँह में।