सुबह मैंने होटेल के रिसेप्शनिस्ट से पूछा के मुझ से रात को होटेल का एक छोटे से क़द का मुलाज़िम दवा लाने के लिये पैसे ले गया था मगर वापस नही आया. उस ने मेज़रात की और बताया के उस का नाम नज़ीर था और वो रात को काम छोड़ कर भाग गया. था तो वो पंजाब का मगर सारी उमर कराची में रहा था. शायद वहीं चला गया हो. मैंने सुख का साँस लिया.
शादी की तक़रीब में मेरा और खाला अम्बरीन का आमना सामना नही हुआ. हम उसी दिन बारात ले कर लाहोर रवाना हुए. वापसी पर में अब्बू की कार में बैठा और खाला अम्बरीन से कोई बात ना हो सकी. रास्ते में हम लोग भेरा इंटरचेंज पर रुके तो वो मुझे मिलीं और कहा के में कल स्कूल से छुट्टी करूँ और उनके घर आ’ओं लेकिन इस का ज़िक्र अम्मी से ना करूँ. मैंने हामी भर ली. उनके चेहरे पर कोई बहुत ज़ियादा परैशानी के आसार नही थे. वो अच्छे मज़बूत आसाब की औरत साबित हुई थीं वरना इतना बड़ा वाक़िया हो जाने के बाद किसी के लिये भी नॉर्मल रहना मुश्किल था. लेकिन शायद उन्हे इस वक़िये को सब से छुपाना था और इस के लिये ज़रूरी था के वो अपने आप पर क़ाबू रक्खें. जब उन्होने मुझे अपने घर आने का कहा तो में डरा भी के ऐसा ना हो खाला अम्बरीन अब मेरी हरकत पर गुस्से का इज़हार करें. लेकिन अगर वो ऐसा करतीं भी तो इस में हक़-बा-जानिब होतीं. मैंने सोचा अब जो हो गा कल देखा जाए गा.
रात को में सोने के लिये लेटा तो मेरे ज़हन में हलचल मची हुई थी. खाला अम्बरीन के साथ नज़ीर ने जो कुछ किया उस ने मुझे हिला कर रख दिया था और में जैसे एक ही रात में नौ-उमर लड़के से एक तजर्बा-कार मर्द बन गया था. बाज़ तजरबात इंसान को वक़्त से पहले ही बड़ा कर देते हैं. खाला अम्बरीन वाला वाक़िया भी मेरे लिये कुछ ऐसा ही था. मुझे भी अब दुनिया बड़ी मुख्तलीफ़ नज़र आने लगी थी.
उस रात जब नज़ीर खाला अम्बरीन को चोद रहा था तो मैंने फैसला किया था के अब कभी उनके बारे में कोई गलत बात नही सोकचों गा. मै इस फैसला पर कायम रहना चाहता था. मैंने बहुत ब्लू फिल्म्स देखी थीं लेकिन नज़ीर को खाला अम्बरीन की चूत लेते हुए देखना एक नया ही तजर्बा था जिस ने मुझे बहुत कुछ सिखाया था. अब अगर में किसी औरत को चोदता तो शायद मुझे इस में कोई ज़ियादा मुश्किल पेश ना आती. सब से बढ़ कर ये के नज़ीर ने जिस नंगे अंदाज़ में मेरी अम्मी का ज़िक्र किया था उस ने मुझे अम्मी के बारे में एक बिल्कुल मुख्तलीफ़ अंदाज़ में सोचने पर मजबूर कर दिया था.
ये तो में जानता ही था के अम्मी भी खाला अम्बरीन की तरह एक खूबसूरत औरत थीं लेकिन मैंने हमेशा उनके बारे में इस तरह सोचने से गुरेज़ किया था. आख़िर वो मेरी माँ थीं और में उन पर बुरी नज़र नही डाल सकता था. लेकिन ये भी सच था के अम्मी और खाला अम्बरीन में जिस्मानी ऐतेबार से कोई ऐसा ख़ास फ़र्क़ नही था. बल्के अम्मी खाला अम्बरीन से थोड़ी बेहतर ही थीं . उनकी उमर 38 साल थी और वो भी बहुत मज़बूत, भरे हुए और भरपूर बदन की मालिक थीं .
उनका बदन बड़ा जोबन वाला, मोटा ताज़ा और कसा हुआ था. इस उमर में औरतें जिस्मानी तौर पर भारी हो जाती हैं और उनका बदन लटक जाता है लेकिन अम्मी का बदन तंदुरस्त और तवाना होने के साथ साथ बड़ा कसा हुआ भी था. अम्मी के मम्मे मोटे और बड़े बड़े गोल उभारों वाले थे जो खाला अम्बरीन के मम्मों से भी एक आध इंच मोटे ही हूँ गे. अपने मोटे और भारी मम्मों को अम्मी रात दिन ब्रा में छुपा कर रखती थीं . वो अपने मम्मों पर बड़ा टाइट ब्रा पहनती थीं जो उनके मोटे मम्मों को अच्छी तरह बाँध कर रखता था और उन्हे हिलने नही देता था. मैंने उनके बाथरूम में बहुत मर्तबा उनके सफ़ेद और काले ब्रेसियर देखे थे.
चूँके वो कभी अपना ब्रा नही उतारती थीं इस लिये उनके साथ रहने के बावजूद मुझे उनके नंगे मम्मे देखने का इतिफ़ाक़ कम ही हुआ था. जब में 12 साल का था तो मैंने उनके बदन का ऊपरी हिस्सा नंगा देखा था. एक दिन में अचानक ही बेडरूम में दाखिल हो गया था जहाँ अम्मी कपड़े बदल रही थीं . उन्होने शलवार पहनी हुई थी मगर ऊपर से बिल्कुल नंगी थीं . उनके हाथ में एक काले रंग का झालर वाला ब्रा था जिससे वो उलट पुलट कर देख रही थीं . शायद वो उस ब्रा को पहनने वाली थीं .
नंबर वन खाला ( Hindi sex story long)
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मेरी नज़र उनके मोटे ताज़े मम्मों पर पड़ी जो उनके हाथों की हरकत की वजह से आहिस्ता आहिस्ता हिल रहे थे. मुझे देख कर उन्होने फॉरन अपनी पुष्ट मेरी तरफ कर ली और कहा के में कपड़े बदल रही हूँ. मै फॉरन उल्टे क़दमों बेडरूम से बाहर आ गया. वैसे भी वो अपने बदन के बारे में बड़ी हस्सास थीं और ख़ास तौर पर बाहर के लोगों के सामने हमेशा दुपट्टा या चादर ओढ़े रखती थीं . अम्मी की गांड़ मोटी लेकिन टाइट थी. चूतड़ भारी, काफ़ी चौड़े और गोश्त से भरे हुए थे. अम्मी की कमर हैरत-अंगैज़ तौर पर पतली थी और ये बात उनके बदन को सेक्स के लिये गैर-मामूली तौर पर पूर-कशिश बनती थी.
मुझे अचानक एहसास हुआ के अम्मी के बारे में सोचते हुए मेरा लंड खड़ा हो गया है. मैंने फॉरन अपने ज़हन से इन गंदे ख़यालात को झटक दिया और सोने की कोशिश करने लगा. मुझे अगले दिन खाला अम्बरीन ने घर बुलाया था मगर में नदमत और खौफ की वजह से अभी उनका सामना नही करना चाहता था. मैंने सुबह स्कूल जाने से पहले उन्हे फोन कर के बताया के स्कूल में मेरा टेस्ट है में आज उनके घर नही आ सकता.
स्कूल में मुझे खाला अम्बरीन का बेटा राशिद मिला. वो भी दसवीं में ही पढ़ता था मगर उस का सेक्शन दूसरा था. उस से मिल कर मेरा एहसास-ए-जुर्म और भी बढ़ गया. वो मेरा कज़िन भी था और दोस्त भी लेकिन मैंने उस की माँ को चोदने की कोशिश की थी. मेरी इस ज़लील हरकत की वजह से ही नज़ीर जैसे घटिया आदमी ने उस की माँ की चूत ली थी. खैर अब जो होना था हो चुका था.
उस दिन मेरी जेहनी हालत ठीक नही थी लहाज़ा मैंने आधी छुट्टी में ही घर जाने का फ़ैसला किया. हम 12 vi के लड़के सब से सीनियर थे और हमें स्कूल से निकलने में कोई मसला नही होता था. मै खामोशी से स्कूल से निकल कर घर की तरफ चल पड़ा. घर पुहँच कर मैंने बेल बजाई मगर काफ़ी देर तक किसी ने दरवाज़ा नही खोला. तक़रीबन 11/30 का वक़्त था और उस वक़्त घर में सिरफ़ अम्मी होती थीं . अब्बू सरकारी मुलाज़िम थे और उनकी वापसी शाम पाँच बजे होती थी. मेरे छोटे बहन भाई तीन बजे स्कूल से आते थे. खैर कोई 6/7 मिनिट के बाद अम्मी ने दरवाज़ा खोला तो में अंदर गया.
अम्मी मुझे देख कर कुछ हैरान भी लग रही थीं और बद-हवास भी. लेकिन एक चीज़ जिस का एहसास मुझे फॉरन ही हो गया ये थी के उस वक़्त अम्मी ने ब्रा नही पहना हुआ था. जब हम दोनो दरवाज़े से अंदर की तरफ आने लगे तो मैंने अम्मी के दोपटे के नीचे उनके भारी मम्मों को हिलते हुए देखा. जब वो ब्रा पहने होती थीं तो उनके मम्मे कभी नही हिलते थे. ऐसा भी कभी नही होता था के वो ब्रा ना पहनें. मैंने सोचा हो सकता है अम्मी नहाने की तय्यारी कर रही हूँ. खैर मैंने उन्हे बताया के मेरी तबीयत खराब थी इस लिये जल्दी घर आ गया.
अभी में ये बात कर ही रहा था के एक कमरे से राशिद निकल आया. अब हैरानगी की मेरी बारी थी. मै तो उससे स्कूल छोड़ कर आया था और वो यहाँ मोजूद था. उस ने कहा के वो खाला अम्बरीन के कपड़े लेने आया था. उस का हमारे घर आना कोई नई बात नही थी. वो हफ्ते में तीन चार बार ज़रूर आता था. मै उससे ले कर अपने कमरे में आ गया जहाँ अम्मी कुछ देर बाद चाय ले कर आ गईं. मैंने देखा के अब उन्होने ब्रा पहन रखा था और उनके मोटे मम्मे हमेशा की तरह कोई हरकत नही कर रहे थे. मुझे ये बात भी कुछ समझ नही आई. कोई आध घंटे बाद राशिद चला गया.
मुझे ये सब बड़ा अजीब लगा. राशिद का स्कूल से आधी छुट्टी में यों हमारे घर आना और मेरे आने पर अम्मी का परेशां होना. और फिर उनका बगैर ब्रा के होना. वो तो शदीद गर्मी में भी कभी अपने मम्मों को खुला नही रखती थीं लेकिन आज राशिद के घर में होते हुए भी उन्होने ब्रा उतारा हुआ था. पता नही किया मामला था. मुझे ख़याल आया के कहीं राशिद अम्मी की फुद्दी तो नही लेना चाहता. आख़िर में भी तो खाला अम्बरीन पर गरम था बल्के उन्हे चोदने की कोशिश भी कर चुका था. वो भी अपनी खाला यानी मेरी अम्मी पर गरम हो सकता था. मगर अम्मी ने अपने मम्मों को खुला क्यों छोड़ रक्खा था? किया वो राशिद को अपनी मर्ज़ी से चूत दे रही थीं ? मेरे ज़हन में कई सावालात गर्दिश कर रहे थे.
मुझे अचानक एहसास हुआ के अम्मी के बारे में सोचते हुए मेरा लंड खड़ा हो गया है. मैंने फॉरन अपने ज़हन से इन गंदे ख़यालात को झटक दिया और सोने की कोशिश करने लगा. मुझे अगले दिन खाला अम्बरीन ने घर बुलाया था मगर में नदमत और खौफ की वजह से अभी उनका सामना नही करना चाहता था. मैंने सुबह स्कूल जाने से पहले उन्हे फोन कर के बताया के स्कूल में मेरा टेस्ट है में आज उनके घर नही आ सकता.
स्कूल में मुझे खाला अम्बरीन का बेटा राशिद मिला. वो भी दसवीं में ही पढ़ता था मगर उस का सेक्शन दूसरा था. उस से मिल कर मेरा एहसास-ए-जुर्म और भी बढ़ गया. वो मेरा कज़िन भी था और दोस्त भी लेकिन मैंने उस की माँ को चोदने की कोशिश की थी. मेरी इस ज़लील हरकत की वजह से ही नज़ीर जैसे घटिया आदमी ने उस की माँ की चूत ली थी. खैर अब जो होना था हो चुका था.
उस दिन मेरी जेहनी हालत ठीक नही थी लहाज़ा मैंने आधी छुट्टी में ही घर जाने का फ़ैसला किया. हम 12 vi के लड़के सब से सीनियर थे और हमें स्कूल से निकलने में कोई मसला नही होता था. मै खामोशी से स्कूल से निकल कर घर की तरफ चल पड़ा. घर पुहँच कर मैंने बेल बजाई मगर काफ़ी देर तक किसी ने दरवाज़ा नही खोला. तक़रीबन 11/30 का वक़्त था और उस वक़्त घर में सिरफ़ अम्मी होती थीं . अब्बू सरकारी मुलाज़िम थे और उनकी वापसी शाम पाँच बजे होती थी. मेरे छोटे बहन भाई तीन बजे स्कूल से आते थे. खैर कोई 6/7 मिनिट के बाद अम्मी ने दरवाज़ा खोला तो में अंदर गया.
अम्मी मुझे देख कर कुछ हैरान भी लग रही थीं और बद-हवास भी. लेकिन एक चीज़ जिस का एहसास मुझे फॉरन ही हो गया ये थी के उस वक़्त अम्मी ने ब्रा नही पहना हुआ था. जब हम दोनो दरवाज़े से अंदर की तरफ आने लगे तो मैंने अम्मी के दोपटे के नीचे उनके भारी मम्मों को हिलते हुए देखा. जब वो ब्रा पहने होती थीं तो उनके मम्मे कभी नही हिलते थे. ऐसा भी कभी नही होता था के वो ब्रा ना पहनें. मैंने सोचा हो सकता है अम्मी नहाने की तय्यारी कर रही हूँ. खैर मैंने उन्हे बताया के मेरी तबीयत खराब थी इस लिये जल्दी घर आ गया.
अभी में ये बात कर ही रहा था के एक कमरे से राशिद निकल आया. अब हैरानगी की मेरी बारी थी. मै तो उससे स्कूल छोड़ कर आया था और वो यहाँ मोजूद था. उस ने कहा के वो खाला अम्बरीन के कपड़े लेने आया था. उस का हमारे घर आना कोई नई बात नही थी. वो हफ्ते में तीन चार बार ज़रूर आता था. मै उससे ले कर अपने कमरे में आ गया जहाँ अम्मी कुछ देर बाद चाय ले कर आ गईं. मैंने देखा के अब उन्होने ब्रा पहन रखा था और उनके मोटे मम्मे हमेशा की तरह कोई हरकत नही कर रहे थे. मुझे ये बात भी कुछ समझ नही आई. कोई आध घंटे बाद राशिद चला गया.
मुझे ये सब बड़ा अजीब लगा. राशिद का स्कूल से आधी छुट्टी में यों हमारे घर आना और मेरे आने पर अम्मी का परेशां होना. और फिर उनका बगैर ब्रा के होना. वो तो शदीद गर्मी में भी कभी अपने मम्मों को खुला नही रखती थीं लेकिन आज राशिद के घर में होते हुए भी उन्होने ब्रा उतारा हुआ था. पता नही किया मामला था. मुझे ख़याल आया के कहीं राशिद अम्मी की फुद्दी तो नही लेना चाहता. आख़िर में भी तो खाला अम्बरीन पर गरम था बल्के उन्हे चोदने की कोशिश भी कर चुका था. वो भी अपनी खाला यानी मेरी अम्मी पर गरम हो सकता था. मगर अम्मी ने अपने मम्मों को खुला क्यों छोड़ रक्खा था? किया वो राशिद को अपनी मर्ज़ी से चूत दे रही थीं ? मेरे ज़हन में कई सावालात गर्दिश कर रहे थे.
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Re: नंबर वन खाला ( Hindi sex story long)
लेकिन फिर मैंने सोचा के चूँके में खुद खाला अम्बरीन को चोदना चाहता था और मेरे अपने ज़हन में घिलज़ात भारी हुई थी इस लिये राशिद के बारे में ऐसी बातें सोच रहा था. मुझे यक़ीन था के अगर वो अम्मी पर हाथ डालता भी तो वो कभी उससे अपनी चूत देने पर राज़ी ना होतीं. वो बड़े मज़बूत किरदार की औरत थीं . मै ये सोच कर कुछ पूर-सकूँ हो गया लेकिन मेरे ज़हन में शक ने जड़ पकड़ ली थी. मैंने सोचा के अब राशिद पर नज़र रखूं गा.
हमारे घर मैं बड़े दरवाज़े के अलावा एक दरवाज़ा और भी था जो ड्रॉयिंग रूम से बाहर गली में खुलता था. यहाँ से मेहमानों को घर के अंदर लाया जा सकता था. मैंने इस दरवाज़े के लॉक की चाबी की नक़ल बनवा कर रख ली. स्कूल में अब में राशिद की निगरानी करने लगा. कोई चार दिन के बाद मुझे पता चला के राशिद आज स्कूल नही आया. मेरा माथा ठनका और में फॉरन अपने घर पुहँचा. ड्रॉयिंग रूम के रास्ते अंदर जाने में मुझे कोई मुश्किल पेश नही आई. अंदर अम्मी और राशिद के बोलने की हल्की हल्की आवाजें आ रही थीं . वो दोनो बेडरूम में थे. मै दबे पांव चलता हुआ बेडरूम की खिड़की के नीचे आ गया जिस पर अंदर की तरफ पर्दे लगे थे लेकिन बीच में से परदा थोड़ा सा खुला था और तक़रीबन दो इंच की दराज़ से अंदर देखा जा सकता था. मैंने बड़ी एहतियात से अंदर झाँका.
मैंने देखा के राशिद बेडरूम में पड़ी हुई एक कुर्सी पर बैठा हुआ था और चाय पी रहा था. वो स्कूल के बारे में कुछ कह रहा था. अम्मी सामने दीवार वाली अलमारी से कुछ निकाल रही थीं . उनकी पतली कमर के मुक़ाबले में मोटे मोटे चूतड़ बड़े नुमायाँ नज़र आ रहे थे. उनका तौर तरीक़ा उस वक़्त काफ़ी मुख्तलीफ़ था. वो अपने दोपटे को हमेशा अपने मम्मों पर फैला कर रखती थीं लेकिन उस वक़्त उनका दुपट्टा गर्दन में पारा हुआ था और उनके मोटे उभरे हुए मम्मे साफ़ नज़र आ रहे थे जिन की उन्हे कोई परवा नही थी. वो अपने मम्मों को छुपाने की कोई कोशिश नही कर रही थीं . उनके चेहरे पर भी वो ता’असूरात नही थे जो मैंने हमेशा देखे थे.
कुछ देर इधर उधर की बातों के बाद राशिद ने कहा के खाला जान अब तो मुझे चोद लेने दें मैंने स्कूल वापस भी जाना है. अम्मी ने जवाब दिया के राशिद आज वक़्त नही है अभी शाकिर की फूफी ने आना है और उस के साथ और औरतें भी हैं. तुम कल आ जाना सकूँ से सब कुछ कर लें गे. राशिद बोला के खाला जान अभी तो घर में कोई नही है हम क्यों वक़्त ज़ाया कर रहे हैं. मै आज जल्दी जल्दी खलास हो जाऊं गा.
ये बातें मेरे कानो में पहुँचीं तो मेरे दिल-ओ-दिमाग पे जैसे बिजली गिर पड़ी. इन बातों का मतलूब बिल्कुल साफ़ था. राशिद ना सिरफ़ मेरी अम्मी को चोद रहा था बल्के इस में अम्मी की पूरी मर्ज़ी भी शामिल थी. वो अपने भानजे से चुदवा रही थीं जो उन से उमर में 22 साल छोटा था और जिससे उन्होने गोदों में खिलाया था. अम्मी और खाला अम्बरीन की शादी एक ही दिन हुई थी और मेरी और राशिद की पैदाइश का साल भी एक ही था. फिर भी अम्मी अपने भानजे से चूत मरवा रही थीं जो उनके बेटे की उमर का था. मै बेडरूम की दीवार के साथ ज़मीन पर बैठ गया. हैरत, गुस्से, शर्मिंदगी और नफ़रत के मारे मेरी आँखों में आँसू आ गए. मै कुछ देर दीवार के साथ इसी तरह सर झुकाय बैठा रहा. फिर मैंने हिम्मत कर के दोबारा अंदर झाँका.
उस वक़्त राशिद कुर्सी से उठ कर अम्मी के क़रीब पुहँच चुका था जो बेड के साथ पड़ी हुई छोटी मेज़ साफ़ कर रही थीं . उस ने पीछे से अम्मी की गांड़ के साथ अपना जिसम लगा लिया और आगे से उनके मम्मों और पेट पर हाथ फेरने लगा. अम्मी ने मेज़ साफ़ करनी बंद कर दी एर मेज़ पर अपने दोनो हाथ रख दिये. फिर पाशिद एक हाथ से अम्मी के मम्मों को दबाने लगा जबके दूसरा हाथ उस ने उनके मोटे चूतड़ों पर फैरना शुरू कर दिया.
अम्मी ने गर्दन मोड़ कर उस की तरफ देखा. उनके चेहरे पर मुस्कुराहट थी जैसे उन्हे ये सब बड़ा सकूँ और लुत्फ़ दे रहा हो. वो थोड़ा सा खिसक कर साइड पर हो गईं और बेड की तरफ आ कर उस के ऊपर दोनो हाथ रख दिये. राशिद उनके मम्मों और गांड़ से खेलता रहा. अम्मी ने अपना हाथ पीछे कर के राशिद के लंड को पतलून के ऊपर से ही पकड़ लिया. साफ़ नज़र आ रहा था के ये सब कुछ उन्हे अच्छा लग रहा था.
हमारे घर मैं बड़े दरवाज़े के अलावा एक दरवाज़ा और भी था जो ड्रॉयिंग रूम से बाहर गली में खुलता था. यहाँ से मेहमानों को घर के अंदर लाया जा सकता था. मैंने इस दरवाज़े के लॉक की चाबी की नक़ल बनवा कर रख ली. स्कूल में अब में राशिद की निगरानी करने लगा. कोई चार दिन के बाद मुझे पता चला के राशिद आज स्कूल नही आया. मेरा माथा ठनका और में फॉरन अपने घर पुहँचा. ड्रॉयिंग रूम के रास्ते अंदर जाने में मुझे कोई मुश्किल पेश नही आई. अंदर अम्मी और राशिद के बोलने की हल्की हल्की आवाजें आ रही थीं . वो दोनो बेडरूम में थे. मै दबे पांव चलता हुआ बेडरूम की खिड़की के नीचे आ गया जिस पर अंदर की तरफ पर्दे लगे थे लेकिन बीच में से परदा थोड़ा सा खुला था और तक़रीबन दो इंच की दराज़ से अंदर देखा जा सकता था. मैंने बड़ी एहतियात से अंदर झाँका.
मैंने देखा के राशिद बेडरूम में पड़ी हुई एक कुर्सी पर बैठा हुआ था और चाय पी रहा था. वो स्कूल के बारे में कुछ कह रहा था. अम्मी सामने दीवार वाली अलमारी से कुछ निकाल रही थीं . उनकी पतली कमर के मुक़ाबले में मोटे मोटे चूतड़ बड़े नुमायाँ नज़र आ रहे थे. उनका तौर तरीक़ा उस वक़्त काफ़ी मुख्तलीफ़ था. वो अपने दोपटे को हमेशा अपने मम्मों पर फैला कर रखती थीं लेकिन उस वक़्त उनका दुपट्टा गर्दन में पारा हुआ था और उनके मोटे उभरे हुए मम्मे साफ़ नज़र आ रहे थे जिन की उन्हे कोई परवा नही थी. वो अपने मम्मों को छुपाने की कोई कोशिश नही कर रही थीं . उनके चेहरे पर भी वो ता’असूरात नही थे जो मैंने हमेशा देखे थे.
कुछ देर इधर उधर की बातों के बाद राशिद ने कहा के खाला जान अब तो मुझे चोद लेने दें मैंने स्कूल वापस भी जाना है. अम्मी ने जवाब दिया के राशिद आज वक़्त नही है अभी शाकिर की फूफी ने आना है और उस के साथ और औरतें भी हैं. तुम कल आ जाना सकूँ से सब कुछ कर लें गे. राशिद बोला के खाला जान अभी तो घर में कोई नही है हम क्यों वक़्त ज़ाया कर रहे हैं. मै आज जल्दी जल्दी खलास हो जाऊं गा.
ये बातें मेरे कानो में पहुँचीं तो मेरे दिल-ओ-दिमाग पे जैसे बिजली गिर पड़ी. इन बातों का मतलूब बिल्कुल साफ़ था. राशिद ना सिरफ़ मेरी अम्मी को चोद रहा था बल्के इस में अम्मी की पूरी मर्ज़ी भी शामिल थी. वो अपने भानजे से चुदवा रही थीं जो उन से उमर में 22 साल छोटा था और जिससे उन्होने गोदों में खिलाया था. अम्मी और खाला अम्बरीन की शादी एक ही दिन हुई थी और मेरी और राशिद की पैदाइश का साल भी एक ही था. फिर भी अम्मी अपने भानजे से चूत मरवा रही थीं जो उनके बेटे की उमर का था. मै बेडरूम की दीवार के साथ ज़मीन पर बैठ गया. हैरत, गुस्से, शर्मिंदगी और नफ़रत के मारे मेरी आँखों में आँसू आ गए. मै कुछ देर दीवार के साथ इसी तरह सर झुकाय बैठा रहा. फिर मैंने हिम्मत कर के दोबारा अंदर झाँका.
उस वक़्त राशिद कुर्सी से उठ कर अम्मी के क़रीब पुहँच चुका था जो बेड के साथ पड़ी हुई छोटी मेज़ साफ़ कर रही थीं . उस ने पीछे से अम्मी की गांड़ के साथ अपना जिसम लगा लिया और आगे से उनके मम्मों और पेट पर हाथ फेरने लगा. अम्मी ने मेज़ साफ़ करनी बंद कर दी एर मेज़ पर अपने दोनो हाथ रख दिये. फिर पाशिद एक हाथ से अम्मी के मम्मों को दबाने लगा जबके दूसरा हाथ उस ने उनके मोटे चूतड़ों पर फैरना शुरू कर दिया.
अम्मी ने गर्दन मोड़ कर उस की तरफ देखा. उनके चेहरे पर मुस्कुराहट थी जैसे उन्हे ये सब बड़ा सकूँ और लुत्फ़ दे रहा हो. वो थोड़ा सा खिसक कर साइड पर हो गईं और बेड की तरफ आ कर उस के ऊपर दोनो हाथ रख दिये. राशिद उनके मम्मों और गांड़ से खेलता रहा. अम्मी ने अपना हाथ पीछे कर के राशिद के लंड को पतलून के ऊपर से ही पकड़ लिया. साफ़ नज़र आ रहा था के ये सब कुछ उन्हे अच्छा लग रहा था.
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