मैने कहा, सुनो मैने कोई ग़लत करतूत नही की…
पर उसका फोन कट चुका था.
अब मेरे पास सोचने का भी वक्त नही था.
मैने फिर से महेश को फोन मिलाया, पर उसका फोन स्विच्ड ऑफ ही आ रहा था.
सब कुछ इतना अचानक हुवा था कि मेरे पास रिक्ट करने का भी वक्त नही था. पर मैं इतना ज़रूर सोच रही थी कि अगर ये टेप मार्केट में आ गयी तो मेरा करियर डूब जाएगा. मार्केट में मेरी रेप्युटेशन खराब हो जाएगी.
मैने अपने ड्राइवर को फोन मिलाया और कहा, गाड़ी निकालो, मैं आ रही हूँ.
मैने ड्राइवर से कहा, मैं खुद चली जाउन्गि, तुम अब जा सकते हो, कल सुबह टाइम से आ जाना.
मैं इतना परेशान थी कि मुझसे ड्राइव करना मुश्किल हो रहा था, और उपर से ट्रॅफिक.
कोई 20 मिनूट में मैं होटेल सूर्या के बाहर पहुँच गयी. मैने कार में बैठे बैठे ही वाहा चारो और नज़र दौड़ाई, वो आदमी वाहा कहीं नज़र नही आ रहा था.
तभी मेरा मोबाइल बज उठा,
ये उसी आदमी का फोन था.
वो बोला, कार पार्क कर दो.
मैने पूछा, तुम कहा हो.
वो बोला, पहले कार पार्क कर दो.
मैने कार पार्क कर दी.
वो बोला, अब होटेल सूर्या के बिल्कुल सामने देखो तुम्हे सम्राट होटेल नज़र आएगा. सीधी रूम नो 113 में आ जाओ.
मैने कहा, तुम मुझे समझते क्या हो, मैं अभी पोलीस को फोन करती हूँ, तुम्हे रूम नो 113 से निकाल कर नही पिट वाया तो मेरा नाम भी दीप्ति नही.
वो बोला, ठीक है फिर बुला लो पोलीस को, मैं भी यहा अपना लॅपटॉप खोल कर तैयार बैठा हूँ, एक मिनूट में तुम्हारी वीडियो दुनिया के सामने होगी.
मैने कहा, देखो ये सब जो तुम कर रहे हो वो ठीक नही है, प्लीज़ ऐसा मत करो, मैं बर्बाद हो जाउन्गि.
वो बोला, तुम इसी लायक हो, तुम्हारे जैसी लड़की की यही सज़ा है. जाओ जो करना है कर लो, मैं तुम्हारी वीडियो उपलोआड कर रहा हूँ.
मैने चील्ला कर कहा, रूको मैं आ रही हूँ.
वो बोला, ठीक है, जल्दी आओ, मेरे पास ज़्यादा वक्त नही है.
मैं तेज़ी से चलते हुवे उशके रूम के बाहर पहुँच गयी.
ऋतु, तुम सोच ही सकती हो की मेरी क्या हालत रही होगी, मेरा पूरा शरीर काँप रहा था, और मेरी साँसे फूल रही थी.
मेरे बेल बजाने से पहले ही दरवाजा खुल गया.
सामने वही आदमी खड़ा था.
मुझे देख कर वो बोला, आओ अंदर आ जाओ.
मैं भारी भारी पाँव रखते हुवे अंदर आ गयी.
उसने बाहर दायें बायें झाँक कर देखा और दरवाजा बंद कर लिया.
मैं मन ही मन सोच रही थी, ओह गॉड, वाइ ईज़ दिस हॅपनिंग टू मी ?
वो बोला, बैठ जाओ
मैने गुस्से में कहा, मैं यहा बैठने नही आई हूँ, जल्दी बताओ, ये सब क्यों कर रहे हो तुम ?
वो बोला, मैं तो कुछ नही कर रहा, तुम कर रही हो जो कर रही हो, मुझे लगता है, तुम्हारे जैसी लड़की की सचाई दुनिया को पता चलनी चाहिए.
मैने कहा, ये क्या बकवास है ?
वो बोला, मुझे बकवास करने की आदत नही है, बकवास तुम्हारे जैसे लोग करते है.
मैने पूछा, तुमने मुझे यहा क्यों बुलाया ?
वो बोला, जब तुम इस रास्ते पर चल ही पड़ी हो तो थोड़ा सा मुझे भी खुस कर दो.
मैने गुस्से मैने कहा, क्या मतलब ?
वो बोला, मतलब कि मुझ से भी मरवा लो एक बार ?
मैने कहा, देखो मैं ऐसी वैसी लड़की नही हूँ, मुझ से ऐसी बाते मत करो, मैं अभी चेक काट कर दे देती हूँ, बताओ कितना अमाउंट भरूं.
वो बोला, पैसे की मुझे कोई कमी नही है, मुझे बस तुम्हारी मारनी है, सौदा मंजूर हो तो बोलो.
मैने कहा, तुम्हे क्या लगता है ? ये मुझे मंजूर होगा, इस से अछा तो मैं बदनाम ही हो जाउ तो ज़्यादा अछा है. कर लो तुम्हे जो करना है, आइ डॉन’ट केर.
वो बोला, हम नेगोशियेट कर सकते है.
मैने पूछा, किश बारे में.
वो बोला, सेक्स के बारे में.
मैने पूछा, क्या मतलब ?
वो बोला, तुम्हे जो पसंद हो वो कर लेते है.
छोटी सी भूल compleet
Re: छोटी सी भूल
मैने गुस्से में कहा, मुझे कुछ पसंद नही है.
वो बोला, बट यू सक वेरी वेल, आइ गेस यू लाइक डिक इन युवर माउथ, डॉन’ट यू ?
आइ सेड, वॉट नॉनसेन्स ?
वो बोला, सेक्स एक नॉनसेन्स ही है, तभी तो कुछ लोग घर हो या ऑफीस, कहीं भी शुरू हो जाते है, है ना.
मैं क्या कहती, मैने अपनी नज़रे झुका ली.
मैं उसे बताना तो चाहती थी कि वो मेरा फियान्से था, कोई और नही, पर मैं ये सोच कर चुप हो गयी कि मैं इस कामीने को क्यों कुछ एक्सप्लेन करूँ.
ही सेड, सो व्हाट यू से, सक मी डिक आंड टेक युवर वीडियो विथ यू.
मुझे ऐसा लग रहा था कि मुझे किसी भी तरह से इसके पास से अपनी वीडियो ले लेनी चाहिए.
मैने पूछा, इश्कि क्या गारंटी है कि इशके बाद भी तुम्हारे पास कोई कॉपी नही होगी.
वो बोला, नही मेरे पास अब एक ही कॉपी है, वो भी मेरे कमेरे के कार्ड में पड़ी है, तुम खुद उसे डेलीट कर देना.
वो मेरे पास आ गया और बोला, बैठ जाओ.
मैने पूछा, तुम कौन हो ? और ये सब क्यों कर रहे हो ?
वो बोला, इन सब बातो का वक्त नही है, जल्दी बताओ सकिंग करोगी कि नही. मैं चाहूं तो तुम्हे बिस्तर पर गिरा के तुम्हारी चूत भी मार सकता हूँ, यहा तुम्हे कोई बचाने नही आएगा. पर मैं ऐसा कुछ नही कर रहा, मैने पूरी बात तुम्हारे उपर छोड़ दी है, जैसा तुम्हे पसंद हो वैसा करो.
मैने कहा ठीक है, सकिंग से ज़्यादा कुछ नही.
वो झट से बोला, हां हां ठीक है, आइ जस्ट लव ओरल सेक्स. वॉन’ट अस्क एनितिंग आफ्टर दट.
मैं उशके आगे बैठ गयी और वो अपनी ज़िप खोलने लगा.
उसने अपने पेनिस को बिल्कुल मेरे होंटो के पास झूला दिया.
मैने अपनी आँखे बंद कर ली.
वो बोला, ओपन युवर माउथ.
आइ वांटेड टू फिनिश इट क्विक्ली सो आइ ओपंड माइ माउथ ए बिट.
जैसे ही मैने मूह खोला उसने मेरे मूह में अपना पेनिस डाल दिया. और मेरे सर को पकड़ के हल्के हल्के धक्के मारने लगा.
धक्के मारते हुवे वो बोला, वाउ………तेरा मूह किसी भी होल से कम नही है, आइ विल फक युवर माउथ टिल आइ कम.
मेरा मूह उशके धक्के नही संभाल पा रहा था, उपर से वो हर धक्के के साथ अपना पेनिस थोड़ा थोड़ा और अंदर सरका रहा था.
मेरे लिए साँस लेना मुश्किल हुवा जा रहा था.
वो बोला, मुझ से रहा नही जाएगा, अब चूत मारने की इच्छा हो रही है. तुम्हे मुझे चूत भी देनी पड़ेगी ?
मैं कुछ कहना चाहती थी पर उसने मेरे सर को ज़ोर से पकड़ रखा था और मेरे मूह में लगातार धक्के मार रहा था.
वो फिर बोला, और हां थोड़ी सी गांद भी मारूँगा. बहुत दिन हो गये गांद में लंड डाले. तूने तो मरवाई होगी ना अपने यार से. मरवाई होगी तो मेरा लेना आसान हो जाएगा.
मैं खुद को रोक नही पाई और मेरी आँखो से अपने आप आंशु बहने लगे, मैने कभी खुद को इतना मजबूर नही पाया था.
वो बोला, तुम रो क्यों रही हो, मैं कोई ज़बरदस्ती नही कर रहा.
मैने ज़ोर लगा कर अपने मूह को उशके पेनिस से हटाया और पूछा, तो क्या मैं यहा अपनी मर्ज़ी से आई हूँ ?
वो बोला, अछा उस सुरेश के साथ तेरी मर्ज़ी होती है, शरम नही आती तुझे किसी का घर बर्बाद करते हुवे ?
मैने कहा, सुरेश नही महेश. और ये क्या बकवास है, मैं किसी का घर बर्बाद नही कर रही.
वो बोला, महेश ?? आर यू स्योर ?
मैने कहा, वो मेरे फियान्से है, मुझे श्योर नही होगा तो किस को होगा ?
वो बोला, क्या फियान्से !!
पता नही उसे क्या हुवा उसने झट से अपने पेनिस को वापस अपनी पॅंट में डाल लिया और बोला, दीप्ति जी लगता है हम दोनो ही किसी ग़लत फ़हमी के शिकार है.
मुझे लग रहा था कि आप कोई चरित्र-हीन लड़की है, इश्लीए मैं आपको ब्लॅकमेल कर रहा था. मैं सोच रहा था कि एक बार आप यहा आ गयी तो खुद भी मज़ा लेंगी और मुझे भी मज़ा देंगी.
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि वो क्या कह रहा है.
वो बोला, जिस आदमी को आप महेश कह रही है, उसका असली नाम सुरेश है और वो शादी शुदा है.
वो बोला, बट यू सक वेरी वेल, आइ गेस यू लाइक डिक इन युवर माउथ, डॉन’ट यू ?
आइ सेड, वॉट नॉनसेन्स ?
वो बोला, सेक्स एक नॉनसेन्स ही है, तभी तो कुछ लोग घर हो या ऑफीस, कहीं भी शुरू हो जाते है, है ना.
मैं क्या कहती, मैने अपनी नज़रे झुका ली.
मैं उसे बताना तो चाहती थी कि वो मेरा फियान्से था, कोई और नही, पर मैं ये सोच कर चुप हो गयी कि मैं इस कामीने को क्यों कुछ एक्सप्लेन करूँ.
ही सेड, सो व्हाट यू से, सक मी डिक आंड टेक युवर वीडियो विथ यू.
मुझे ऐसा लग रहा था कि मुझे किसी भी तरह से इसके पास से अपनी वीडियो ले लेनी चाहिए.
मैने पूछा, इश्कि क्या गारंटी है कि इशके बाद भी तुम्हारे पास कोई कॉपी नही होगी.
वो बोला, नही मेरे पास अब एक ही कॉपी है, वो भी मेरे कमेरे के कार्ड में पड़ी है, तुम खुद उसे डेलीट कर देना.
वो मेरे पास आ गया और बोला, बैठ जाओ.
मैने पूछा, तुम कौन हो ? और ये सब क्यों कर रहे हो ?
वो बोला, इन सब बातो का वक्त नही है, जल्दी बताओ सकिंग करोगी कि नही. मैं चाहूं तो तुम्हे बिस्तर पर गिरा के तुम्हारी चूत भी मार सकता हूँ, यहा तुम्हे कोई बचाने नही आएगा. पर मैं ऐसा कुछ नही कर रहा, मैने पूरी बात तुम्हारे उपर छोड़ दी है, जैसा तुम्हे पसंद हो वैसा करो.
मैने कहा ठीक है, सकिंग से ज़्यादा कुछ नही.
वो झट से बोला, हां हां ठीक है, आइ जस्ट लव ओरल सेक्स. वॉन’ट अस्क एनितिंग आफ्टर दट.
मैं उशके आगे बैठ गयी और वो अपनी ज़िप खोलने लगा.
उसने अपने पेनिस को बिल्कुल मेरे होंटो के पास झूला दिया.
मैने अपनी आँखे बंद कर ली.
वो बोला, ओपन युवर माउथ.
आइ वांटेड टू फिनिश इट क्विक्ली सो आइ ओपंड माइ माउथ ए बिट.
जैसे ही मैने मूह खोला उसने मेरे मूह में अपना पेनिस डाल दिया. और मेरे सर को पकड़ के हल्के हल्के धक्के मारने लगा.
धक्के मारते हुवे वो बोला, वाउ………तेरा मूह किसी भी होल से कम नही है, आइ विल फक युवर माउथ टिल आइ कम.
मेरा मूह उशके धक्के नही संभाल पा रहा था, उपर से वो हर धक्के के साथ अपना पेनिस थोड़ा थोड़ा और अंदर सरका रहा था.
मेरे लिए साँस लेना मुश्किल हुवा जा रहा था.
वो बोला, मुझ से रहा नही जाएगा, अब चूत मारने की इच्छा हो रही है. तुम्हे मुझे चूत भी देनी पड़ेगी ?
मैं कुछ कहना चाहती थी पर उसने मेरे सर को ज़ोर से पकड़ रखा था और मेरे मूह में लगातार धक्के मार रहा था.
वो फिर बोला, और हां थोड़ी सी गांद भी मारूँगा. बहुत दिन हो गये गांद में लंड डाले. तूने तो मरवाई होगी ना अपने यार से. मरवाई होगी तो मेरा लेना आसान हो जाएगा.
मैं खुद को रोक नही पाई और मेरी आँखो से अपने आप आंशु बहने लगे, मैने कभी खुद को इतना मजबूर नही पाया था.
वो बोला, तुम रो क्यों रही हो, मैं कोई ज़बरदस्ती नही कर रहा.
मैने ज़ोर लगा कर अपने मूह को उशके पेनिस से हटाया और पूछा, तो क्या मैं यहा अपनी मर्ज़ी से आई हूँ ?
वो बोला, अछा उस सुरेश के साथ तेरी मर्ज़ी होती है, शरम नही आती तुझे किसी का घर बर्बाद करते हुवे ?
मैने कहा, सुरेश नही महेश. और ये क्या बकवास है, मैं किसी का घर बर्बाद नही कर रही.
वो बोला, महेश ?? आर यू स्योर ?
मैने कहा, वो मेरे फियान्से है, मुझे श्योर नही होगा तो किस को होगा ?
वो बोला, क्या फियान्से !!
पता नही उसे क्या हुवा उसने झट से अपने पेनिस को वापस अपनी पॅंट में डाल लिया और बोला, दीप्ति जी लगता है हम दोनो ही किसी ग़लत फ़हमी के शिकार है.
मुझे लग रहा था कि आप कोई चरित्र-हीन लड़की है, इश्लीए मैं आपको ब्लॅकमेल कर रहा था. मैं सोच रहा था कि एक बार आप यहा आ गयी तो खुद भी मज़ा लेंगी और मुझे भी मज़ा देंगी.
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि वो क्या कह रहा है.
वो बोला, जिस आदमी को आप महेश कह रही है, उसका असली नाम सुरेश है और वो शादी शुदा है.
Re: छोटी सी भूल
मैने हैरानी भरे शब्दो में कहा, क्या ??? ऐसा नही हो सकता.
वो बोला, ऐसा हुवा है दीप्ति जी, सुरेश की पत्नी संजना ने ही मुझे उसकी जासूसी करने भेजा है. उन्हे शक था कि उनके पति के किसी के साथ नज़ायज़ संबंध है, इश्लीए मैं आपके साथ ऐसा बर्ताव कर रहा था, मुझे माफ़ कर दिजीये. मैं समझ रहा था कि आप ही वो लड़की हो जिसके साथ सुरेश के नज़ायज़ संबंध है.
मैने पूछा, मैं कैसे मान लूँ कि तुम जो कह रहे हो वो सच है ?
वो बोला, ओह हां, मेरे पास सुरेश की शादी की कुछ पिक्चर्स है जिसमे संजना और सुरेश साथ साथ है.
उसने अपने सूटकेस से निकाल कर मुझे कुछ पिक्चर्स दिखाई. पिक्चर्स से ये सॉफ हो गया कि सुरेश/महेश शादी शुदा है.
मैने उस से पूछा, तो तुम कौन हो ?
वो बोला, मेरा नाम मनीष है और मैं प्राइवेट डीटेक्टिव हूँ. पर आज मुझ से बहुत बड़ी भूल हो गयी, मैने कहीं से भी ये जान-ने की कोशिस नही की, कि आपका सुरेश के साथ क्या रिस्ता है, आपको सुरेश के साथ आपके कॅबिन में देख कर यही लगा कि आप वही लड़की हो जिस के साथ सुरेश के अवैध संबंध है, इसलिए आगे कुछ जान-ने की कोशिस नही की.
मैने कहा, पर फिर भी मुझे कुछ अजीब लग रहा है.
वो बोला, कल सुरेश किसी और लड़की के साथ होटेल सूर्या में रुकने वाला है. तभी मैने आपको आज बुला लिया क्योंकि कल मुझे सुरेश पर नज़र रखनी है. आप खुद कल अपनी आँखो से देख सकते हो.
मैने कहा, ह्म्म्म…….. ठीक है, मैं अपनी आँखो से देखना चाहूँगी.
वो बोला, ठीक है फिर मैं इंतज़ाम करता हूँ, ताकि आप अपने फियान्से की करतूत अपनी आँखो से देख सको.
मैने दीप्ति से पूछा, तो क्या मनीष सच बोल रहा था या फिर ये उसकी कोई साजिश थी.
दीप्ति ने कहा, काश वो कोई साजिश कर रहा होता, पर ये सच था कि सुरेश (महेश) की शादी हो चुकी थी. बाद में मुझे पता चला कि उसने अपनी बीवी संजना से पैसे के लिए शादी कर रखी थी और वो अपनी बीवी की दौलत पर ही ऐश कर रहा था.
मैने कहा, ह्म्म……. फिर तो वाकाई में ये बहुत बड़ी ट्रॅजिडी थी. मैने यू ही तुम्हे कह दिया था कि शादी से पहले फियान्से के साथ थोडा बहुत तो चलता है, मेरा मकसद बस तुम्हारे मन को दिलासा देना था, ये मैं भी आछे से जानती हूँ कि फियान्से के साथ एक हद तक ही हम आगे बढ़ सकते है. आज कल किसी का भरोसा नही है, इंशान की खाल में यहा भेड़िए घूमते है.
दीप्ति बोली, शुक्र है कि वक्त रहते मुझे पता चल गया, वरना मेरे साथ और भी ज़्यादा भयानक हो सकता था. अभी पीछले हफ्ते कोई मुझे बता रहा था कि एक लड़की को उशके फियान्से ने प्रेग्नेंट कर के छ्चोड़ दिया.
मैने कहा, हां तुम सही कह रही हो. भगवान का लाख लाख शुक्र है. मैं अपनी बात बताउ तो, मैने तो संजय से कभी फोन पर भी बात नही की थी और ना ही उन्होने मुझे कभी परेशान किया था. शादी से पहले वो मुझ से मुश्किल से कोई चार या पाँच बार ही मिले होंगे. और उन्होने हमेशा मुझ से शालीनता से बात की थी. अब मुझे और ज़्यादा दुख हो रहा है कि मैने एक देवता जैसे इंशान को धोका दिया है.
दीप्ति ने कहा, पता है, मुझे सबसे ज़्यादा तुम्हारे अंदर क्या अछा लगता है,
मैने पूछा, क्या बताओ ?
वो बोली, यही की तुम हमेशा खुले मन से अपनी ग़लती मान लेती हो. किसने सिखाया तुम्हे ये सब.
मैने कहा, पापा मुझे हमेशा से अछी बाते सिखाते आए है, पर मैं जाने क्यो अछाई का दामन छ्चोड़ कर बुराई के दलदल में फँस गयी.
दीप्ति बोली, एक बात बताओ ?
मैने कहा, हां पूछो ?
तुमने बताया कि जब तुम संजय के क्लिनिक में बिस्तर पर पड़ी थी तो तुमने संजय और क्या नाम था उसका उहह ?
मैने कहा, विवेक.
उसने कहा, हां विवेक, तुमने बताया कि तुमने संजय और विवेक की बाते सुनी थी.
मैने कहा, हाँ, मैं तुम्हे सब कुछ बता चुकी हूँ.
वो बोली, क्या तुम्हे नही लगता कि डाल में कुछ काला है ?
मैने कहा, हैरान तो मैं भी हूँ की संजय और विवेक बिल्लू को कैसे जानते है, पर जाने दे अब इन बातो का क्या फ़ायदा मेरे साथ जो होना था सो हो चुका.
वो बोली, बात फाय्दे या नुक-सान की नही है, मुझे ये बात परेशान कर रही है कि कहा वो बिल्लू एक रिक्सा चलाने वाला और कहा संजय और विवेक. उन्हे बिल्लू का नाम कैसे पता है ?
मैने कहा, जाने दे यार अब मेरे ज़ख़्मो को मत कुरेदो मैं अभी भी बहुत परेशान हूँ.
वो बोली, ऋतु क्या हो गया है तुम्हे ? तुम तो ऐसी हारगीज़ नही थी. हिम्मत रखो, जिंदगी में वक्त बदलते देर नही लगती.
मैने कहा, वो तो ठीक है यार, पर जिस पर गुजरती है वही जानता है.
दीप्ति ये सुन कर गुस्सा हो गयी और बोली, लगता है अपनी कहानी मैने तुम्हे यू ही शुनाई, ऐसे कह रही हो जैसे मैने अपनी जींदगी में गम देखा ही ना हो. मैं चलती हूँ.
वो बोला, ऐसा हुवा है दीप्ति जी, सुरेश की पत्नी संजना ने ही मुझे उसकी जासूसी करने भेजा है. उन्हे शक था कि उनके पति के किसी के साथ नज़ायज़ संबंध है, इश्लीए मैं आपके साथ ऐसा बर्ताव कर रहा था, मुझे माफ़ कर दिजीये. मैं समझ रहा था कि आप ही वो लड़की हो जिसके साथ सुरेश के नज़ायज़ संबंध है.
मैने पूछा, मैं कैसे मान लूँ कि तुम जो कह रहे हो वो सच है ?
वो बोला, ओह हां, मेरे पास सुरेश की शादी की कुछ पिक्चर्स है जिसमे संजना और सुरेश साथ साथ है.
उसने अपने सूटकेस से निकाल कर मुझे कुछ पिक्चर्स दिखाई. पिक्चर्स से ये सॉफ हो गया कि सुरेश/महेश शादी शुदा है.
मैने उस से पूछा, तो तुम कौन हो ?
वो बोला, मेरा नाम मनीष है और मैं प्राइवेट डीटेक्टिव हूँ. पर आज मुझ से बहुत बड़ी भूल हो गयी, मैने कहीं से भी ये जान-ने की कोशिस नही की, कि आपका सुरेश के साथ क्या रिस्ता है, आपको सुरेश के साथ आपके कॅबिन में देख कर यही लगा कि आप वही लड़की हो जिस के साथ सुरेश के अवैध संबंध है, इसलिए आगे कुछ जान-ने की कोशिस नही की.
मैने कहा, पर फिर भी मुझे कुछ अजीब लग रहा है.
वो बोला, कल सुरेश किसी और लड़की के साथ होटेल सूर्या में रुकने वाला है. तभी मैने आपको आज बुला लिया क्योंकि कल मुझे सुरेश पर नज़र रखनी है. आप खुद कल अपनी आँखो से देख सकते हो.
मैने कहा, ह्म्म्म…….. ठीक है, मैं अपनी आँखो से देखना चाहूँगी.
वो बोला, ठीक है फिर मैं इंतज़ाम करता हूँ, ताकि आप अपने फियान्से की करतूत अपनी आँखो से देख सको.
मैने दीप्ति से पूछा, तो क्या मनीष सच बोल रहा था या फिर ये उसकी कोई साजिश थी.
दीप्ति ने कहा, काश वो कोई साजिश कर रहा होता, पर ये सच था कि सुरेश (महेश) की शादी हो चुकी थी. बाद में मुझे पता चला कि उसने अपनी बीवी संजना से पैसे के लिए शादी कर रखी थी और वो अपनी बीवी की दौलत पर ही ऐश कर रहा था.
मैने कहा, ह्म्म……. फिर तो वाकाई में ये बहुत बड़ी ट्रॅजिडी थी. मैने यू ही तुम्हे कह दिया था कि शादी से पहले फियान्से के साथ थोडा बहुत तो चलता है, मेरा मकसद बस तुम्हारे मन को दिलासा देना था, ये मैं भी आछे से जानती हूँ कि फियान्से के साथ एक हद तक ही हम आगे बढ़ सकते है. आज कल किसी का भरोसा नही है, इंशान की खाल में यहा भेड़िए घूमते है.
दीप्ति बोली, शुक्र है कि वक्त रहते मुझे पता चल गया, वरना मेरे साथ और भी ज़्यादा भयानक हो सकता था. अभी पीछले हफ्ते कोई मुझे बता रहा था कि एक लड़की को उशके फियान्से ने प्रेग्नेंट कर के छ्चोड़ दिया.
मैने कहा, हां तुम सही कह रही हो. भगवान का लाख लाख शुक्र है. मैं अपनी बात बताउ तो, मैने तो संजय से कभी फोन पर भी बात नही की थी और ना ही उन्होने मुझे कभी परेशान किया था. शादी से पहले वो मुझ से मुश्किल से कोई चार या पाँच बार ही मिले होंगे. और उन्होने हमेशा मुझ से शालीनता से बात की थी. अब मुझे और ज़्यादा दुख हो रहा है कि मैने एक देवता जैसे इंशान को धोका दिया है.
दीप्ति ने कहा, पता है, मुझे सबसे ज़्यादा तुम्हारे अंदर क्या अछा लगता है,
मैने पूछा, क्या बताओ ?
वो बोली, यही की तुम हमेशा खुले मन से अपनी ग़लती मान लेती हो. किसने सिखाया तुम्हे ये सब.
मैने कहा, पापा मुझे हमेशा से अछी बाते सिखाते आए है, पर मैं जाने क्यो अछाई का दामन छ्चोड़ कर बुराई के दलदल में फँस गयी.
दीप्ति बोली, एक बात बताओ ?
मैने कहा, हां पूछो ?
तुमने बताया कि जब तुम संजय के क्लिनिक में बिस्तर पर पड़ी थी तो तुमने संजय और क्या नाम था उसका उहह ?
मैने कहा, विवेक.
उसने कहा, हां विवेक, तुमने बताया कि तुमने संजय और विवेक की बाते सुनी थी.
मैने कहा, हाँ, मैं तुम्हे सब कुछ बता चुकी हूँ.
वो बोली, क्या तुम्हे नही लगता कि डाल में कुछ काला है ?
मैने कहा, हैरान तो मैं भी हूँ की संजय और विवेक बिल्लू को कैसे जानते है, पर जाने दे अब इन बातो का क्या फ़ायदा मेरे साथ जो होना था सो हो चुका.
वो बोली, बात फाय्दे या नुक-सान की नही है, मुझे ये बात परेशान कर रही है कि कहा वो बिल्लू एक रिक्सा चलाने वाला और कहा संजय और विवेक. उन्हे बिल्लू का नाम कैसे पता है ?
मैने कहा, जाने दे यार अब मेरे ज़ख़्मो को मत कुरेदो मैं अभी भी बहुत परेशान हूँ.
वो बोली, ऋतु क्या हो गया है तुम्हे ? तुम तो ऐसी हारगीज़ नही थी. हिम्मत रखो, जिंदगी में वक्त बदलते देर नही लगती.
मैने कहा, वो तो ठीक है यार, पर जिस पर गुजरती है वही जानता है.
दीप्ति ये सुन कर गुस्सा हो गयी और बोली, लगता है अपनी कहानी मैने तुम्हे यू ही शुनाई, ऐसे कह रही हो जैसे मैने अपनी जींदगी में गम देखा ही ना हो. मैं चलती हूँ.