Hindi Sex Stories By raj sharma
Re: Hindi Sex Stories By raj sharma
परीक्षाएं शुरू हो गई थी. मेरा उन तीनो से मिलाना नहीं हो पा रहा था, मैं मैरी और हरप्रीत से संभोग की राह देख रहा था. दस दिन के बाद परीक्षाएं ख़त्म हुई. साधना अगले ही दिन दोपहर में उन दोनों के साथ मेरे घर आ गई. साधना ने आते ही कहा कि आज ये दोनों भी तैयार होकर आई है. हम चारों बेडरूम में आ गए. मैंने उन तीनो के कपडे उतार दिए. फिर तीनों ने मिलकर मेरे सारे कपडे उतार दिए. साधना ने मेरे लिंग पर कंडोम लगा दिया. फिर साधना सबसे पहले गद्दे पर लेट गई. मैं उस पर लेट गया और उसकी टांगों को को मैंने अपने हाथों की मदद से फैला दिया और अपना गुप्तांग उसके जननांग में एक झटके से ठूंस दिया. साधना की एक जोर से चीख निकल गई. लेकिन वो मुझसे चिपटी रही. मैंने उसके जननांग को अपने गुप्तांग से लगभग एक घंटे तक अन्दर बाहर कर के खूब रगडा और पूरा पूरा मजा लिया. साधना तो पूरी तरह से मदहोश होकर मजा लेटो रही और आहें भर भर कर अपनी दोनों सहेलियों को भी उत्साहित करती रही. लेकिन मैरी और हरप्रीत हिम्मत नहीं जुटा पाई. साधना संतुष्ट होकर और मेरे होंठों पर एक गहरा चुम्बन देकर उन दोनों को लेकर चली गई. एक बार फिर मैं मैरी और हरप्रीत से संभोग नहीं कर सका.
दो दिन के बाद एक बार फिर साधना मैरी और हरप्रीत के साथ आई. आज मैरी ने अपने कपडे उतारे और पलंग पर लेटते हुए कहा " सर आज मैं तैयार हूँ." मैं खुश हो गया. मैंने तुरंत साधना से कंडोम लिया और मैरी से लिपट गया. मैरी ने मरे घबराहट के मुझे जोर से पकड़ लिया. मैंने उसके जननांग के दरवाजे को अपने लिंग से खोल दिया. उसकी आह और चीख एक साथ निकली.लेकिन अगले दो मिनट के बाद वो पूरी तरह से सामने होकर मुझसे अपनी प्यास बुझवा रही थी. हरप्रीत बहुत गौर से यह सब देख रही थी क्यूंकि अगला नंबर उसका था. उसके साधना को पकड़ रखा था और बार बार उससे चिपट रही थी. जब मैरी ने और आगे करवाने में अपनी मजबूरी जताई तो मैंने उसे छोड़ दिया. अब मैंने हरप्रीत को ले लिया. हरप्रीत थोड़ी मजबूत निकली. मैरी केवल दस मिनट के बाद ही अपनी हार मान चुकी थी जबकि हरप्रीत ने पूरे आधे घंटे तक अपने जननांग को मेरे लिंग से खूब रगड़वाया और भरपूर मजा लिया. आखिर में साधना ने भी मुझे पकड़ा. अब मेरी हालत थोड़ी पतली हो रही थी. लेकिन साधना की जिद के आगे मैं मजबूर था. साधना आज तीसरी बार मेरे साथ थी,. मैंने रुकते ठहरते साधना के जननांग को पूरे पौने घंटे तक रगड़ कर और अन्दर बाहर करकर पूरी तरह से लाल कर दिया.
जब तीनों रवाना होने लगी तो साधना ने फोर वे किस करने को कहा. हम सभी ने इस किस को जबरदस्त मजे से किया.
अब जब भी समय और मौका मिलाता है ये तीनो एक साथ ही मुझसे इस ट्यूशन के लिए आ जाती है और घंटों तक रुककर अपनी और मेरी सारी प्यास बुझा जाती है. आप भी ऐसी ट्यूशन करिए खूब मजा आयेगा दोस्तों फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा
Hindi Sex Stories By raj sharma--मेरी चाची रागिनी
मेरी चाची रागिनी
ये तब की बात है जब मेने अपने 18 वे साल में कदम रखा था.
मेरे चाचा जो मुझसे सिर्फ़ 8 साल बड़े थे उनकी शादी हो गयी. मेरे
दादा दादी ना रहने पर पिताजी ने ही चाचाजी को पल पोस कर बड़ा
किया था. चाचा ने पिताजी के साथ कारोबार संभाल लिया था. मेरी
चाची रागिनी मुझसे सिर्फ़ 4 साल बड़ी थी.
एक बार छुट्टियों में पिताजी ने माताजी के साथ यात्रा पर जाने का मन
मना लिया. हम लोगो का कपड़े का व्यापार था. जिसकी वजह से चाचा
अक्सर टूर पर जाते रहते थे. मेरी चाची मुझे बहुत पसंद करती
थी अक्सर कहती थी कि एक में ही हूँ जिससे वो बात कर सकती है.
जब पिताजी यात्रा पर चले गये तो चाची मेरा कुछ ज़्यादा ही ध्यान
रखने लगी. वो हर तरह से मेरा ख्याल रखती और मुझे अपनी माताजी
की कमी नही खलने देती थी. मुझे भी उसके साथ रहने बहुत ही
मज़ा आता था. हम अकस्सर खाली समय में हँसी मज़ाक करते, तो
कभी एक दूसरे को जोक्स सुनते तो कभी गेम्स खेलते.
ना जाने क्यों चाची मुझे और अच्छी लगने लगी और मेरे मन में
उनके प्रति काम वासना जाग उठी. में अक्सर उनकी चुचियों को घूरता
रहता. जब वो चलती तो पीछे से मटकते उनके चूतड़ मेरे लंड को
और खड़ा कर देते. उनके पतले गुलाबी होंठ देख कर मन करता उन्हे
अपने होंठों मे जाकड़ चूस लू.
ये वाक़या तब हुआ जब चाचा जी को एक ज़रूरी काम से बाहर जाना पड़ा.
चाचा शादी के बाद पहली बार बाहर जा रहे थे. मा पिताजी भी
नही थे सो उन्होने मुझे समझाते हुए कहा, "राज तुम अपना ज़्यादा
समय घर पर ही बिताना जिससे तुम्हारी चाची को अकेलेपन का अहसास
ना हो. में दो तीन दिन में आ जाउन्गा."
"आप चिंता ना करें चाचा मैं चाची का पूरा ख्याल रखूँगा."
मेने जवाब दिया.
दूसरे दिन चाचा ने ट्रेन पकड़ी और चले गये. जब मैं स्टेशन से
वापस घर पहुँचा तो मेने देखा कि चाची आज बहुत खुस थी.
उसने मुझे अपने पास बुलाया और कहा, "राज आज तुम मेरे साथ मेरे
कमरे में ही सोना. अकेले में मुझे नींद नही आएगी."
में भी चाची की बात सुन कर खुश हो गया. उस रात चाची ने
बहुत ही स्वादिष्ट खाना बनाया और बड़े प्यार से मुझे खिलाया. खाना
खाने के बाद चाची ने मुझे फल दिए खाने को. फल देते समय
चाची ने शरारत से मेरे हाथ को मरोड़ दिया और मुस्कुरा दी. में भी
समझ गया कि ये मुस्कान रोज़ से अलग है.
ये तब की बात है जब मेने अपने 18 वे साल में कदम रखा था.
मेरे चाचा जो मुझसे सिर्फ़ 8 साल बड़े थे उनकी शादी हो गयी. मेरे
दादा दादी ना रहने पर पिताजी ने ही चाचाजी को पल पोस कर बड़ा
किया था. चाचा ने पिताजी के साथ कारोबार संभाल लिया था. मेरी
चाची रागिनी मुझसे सिर्फ़ 4 साल बड़ी थी.
एक बार छुट्टियों में पिताजी ने माताजी के साथ यात्रा पर जाने का मन
मना लिया. हम लोगो का कपड़े का व्यापार था. जिसकी वजह से चाचा
अक्सर टूर पर जाते रहते थे. मेरी चाची मुझे बहुत पसंद करती
थी अक्सर कहती थी कि एक में ही हूँ जिससे वो बात कर सकती है.
जब पिताजी यात्रा पर चले गये तो चाची मेरा कुछ ज़्यादा ही ध्यान
रखने लगी. वो हर तरह से मेरा ख्याल रखती और मुझे अपनी माताजी
की कमी नही खलने देती थी. मुझे भी उसके साथ रहने बहुत ही
मज़ा आता था. हम अकस्सर खाली समय में हँसी मज़ाक करते, तो
कभी एक दूसरे को जोक्स सुनते तो कभी गेम्स खेलते.
ना जाने क्यों चाची मुझे और अच्छी लगने लगी और मेरे मन में
उनके प्रति काम वासना जाग उठी. में अक्सर उनकी चुचियों को घूरता
रहता. जब वो चलती तो पीछे से मटकते उनके चूतड़ मेरे लंड को
और खड़ा कर देते. उनके पतले गुलाबी होंठ देख कर मन करता उन्हे
अपने होंठों मे जाकड़ चूस लू.
ये वाक़या तब हुआ जब चाचा जी को एक ज़रूरी काम से बाहर जाना पड़ा.
चाचा शादी के बाद पहली बार बाहर जा रहे थे. मा पिताजी भी
नही थे सो उन्होने मुझे समझाते हुए कहा, "राज तुम अपना ज़्यादा
समय घर पर ही बिताना जिससे तुम्हारी चाची को अकेलेपन का अहसास
ना हो. में दो तीन दिन में आ जाउन्गा."
"आप चिंता ना करें चाचा मैं चाची का पूरा ख्याल रखूँगा."
मेने जवाब दिया.
दूसरे दिन चाचा ने ट्रेन पकड़ी और चले गये. जब मैं स्टेशन से
वापस घर पहुँचा तो मेने देखा कि चाची आज बहुत खुस थी.
उसने मुझे अपने पास बुलाया और कहा, "राज आज तुम मेरे साथ मेरे
कमरे में ही सोना. अकेले में मुझे नींद नही आएगी."
में भी चाची की बात सुन कर खुश हो गया. उस रात चाची ने
बहुत ही स्वादिष्ट खाना बनाया और बड़े प्यार से मुझे खिलाया. खाना
खाने के बाद चाची ने मुझे फल दिए खाने को. फल देते समय
चाची ने शरारत से मेरे हाथ को मरोड़ दिया और मुस्कुरा दी. में भी
समझ गया कि ये मुस्कान रोज़ से अलग है.
Re: Hindi Sex Stories By raj sharma
थोड़ी देर बाद चाची अपने कमरे में बिस्तर पर लेट गयी और में
वही उनके कमरे में स्टडी टेबल पर पढ़ने लगा. गर्मी के दिन थे
और कमरा पूरी तरह तप रहा था. मेने अपनी शर्ट उतार दी और
पॅंट पहने ही पढ़ने लगा. बिस्तर के सामने की दीवाल पर एक शीशा
लगा था. में उस शीशे मे चाची को देखने लगा.
मेने देखा की गर्मी की वजह से चाची अपनी सारी उतार रही है.
चाची ने घूम कर मेरी तरफ देखा, पर वो नही जान पाई कि में
उन्हे शीशे में से देख रहा था. फिर उसने अपने ब्लाउस के बटन
खोल ब्लाउस को उतार दिया. चाची के मम्मे इतने बड़े और भारी थे
कि उनको खाली ब्रा उन्हे सम्हाल नही पा रही थी.
चाची बिस्तर पर जाकर पीठ के बल लेट गयी. अपनी चुचियों को
धाँकने के लिए उन्होने एक हल्का सा दुपपत्ता अपने उपर डाल लिया. एक
पल के लिए मेरे मन में आया की में चाची की चुचियों को देखू
पर ना जाने क्यों मेने अपनी ख्वाइश मार अपना ध्यान पढ़ाई मे लगा
दिया.
नींद में जाने के बाद दुपट्टा खसक गया और उनके भारी मम्मे
साफ दिखाई दे रहे थे. हर सांस के साथ जब मम्मे उठते और बैठते
तो एक अलग ही द्रिश्य बनता. मेरे लंड तन कर खड़ा हो रहा था.
12.00 बज चुके थे, जैसे ही में अपनी किताब बंद कर लाइट बंद
करने जा रहा था कि चाची की नींद भरी आवाज़ सुनाई दी, "राज ज़रा
यहाँ आना."
"क्या है चाची?" मैने बिस्तर के नज़दीक खड़े होकर पूछा. चाची ने
तब तक अपने उपर फिर से दुपट्टा डाल लिया था.
"पता नही क्यों आज नींद नही आ रही. ऐसा करो तुम यही मेरे पास
लेट जाओ. हम लोग कुछ देर बातें करेंगे फिर तुम सोने चले जाना."
चाची बोली.
पहले तो मैं थोड़ा झिज़्का फिर तैयार हो गया. में अक्सर अपने
शॉर्ट्स में सोया करता था और आज पॅंट पहनकर सोने मे थोड़ा अजीब
सा लग रहा था. शायद चाची समझ गयी कि में क्या सोच रहा
हूँ, "राज शरमाओ मत. रोज जैसे सोते हो वैसे ही मेरे साथ सो जाओ."
मुझे अपने नसीब पे यकीन नही हो रहा था. कमरे की लाइट बंद कर
मेने टेबल लॅंप जला दिया. में बिस्तर पर उनके बगल में आकर लेट
गया. चाची की चुचियाँ मुझे सॉफ दिखाई दे रही थी.