Police daughter sex story

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Police daughter sex story

Unread post by admin » 13 Dec 2025 13:08

स्पेक्टर की बेटी ​

मेरा नाम सलोनी है
शायद मेरे रंग रूप को देखकर ही मेरे माँ बाप ने मेरा ये नाम रखा था
सुन्दर तो मैं थी



मैं ही नहीं, मेरी क्लास ओर अड़ोस - पड़ोस के सभी लोग ये मानते थे
पापा पुलिस में थे इसलिए स्कूल में मुझे सभी इंस्पेक्टर की बेटी कहकर बुलाते थे
और अब तो मेरा कॉलेज भी स्टार्ट हो गया था
हालाँकि वहां ये नाम इतना पॉपुलर नही हुआ था पर मेरी स्कूल की फ्रेंड्स जो मेरे साथ ही कॉलेज में भी थी, वो मुझे उसी नाम से बुलाती थी
सब कुछ ठीक था
सिवाए मेरे घर के माहौल के
कारण था मेरे पापा का गुस्सा
पता नही वो खानदानी था या उनकी जॉब का असर
वो हमेशा गुस्से में ही रहते थे
उनके चेहरे पर शायद ही कभी हँसी आती थी
मैने तो आज तक उन्हे खुल कर हंसते हुए नही देखा
हां , गुस्से में लगभग रोज ही देखती थी
घर से निकलते हुए उनके कपड़े ढंग से इस्त्री नही हुए तो मम्मी पर गुस्सा
मैं टाइम से घर पर नही आई या बिना बताए कही फ्रेंड्स के साथ चली गयी तो मुझपर गुस्सा
रात को जब वो पुलिस स्टेशन से आकर ड्रिंक करने बैठते तो बर्फ या चखना कुछ भी मिस्सिंग हुआ तो हम दोनो माँ बेटी की तो खेर नही होती थी
माँ को तो वो गंदी गलियां भी देते थे
जो शायद मेरे पड़ोस वालों को भी सुनाई देती होगी
और उसी वजह से मेरा हंसता खेलता चेहरा बुझा-2 सा रहता था

जब से मुझे होश आया था यानी 14 साल के बाद से जब से मैं चीज़ों को समझने लगी थी, तब से मैं मायूस सी रहने लगी थी
जिसका असर मेरी पढ़ाई पर भी हुआ
कम नंबर आते पर पास हो जाया करती थी
इस वजह से भी पापा मुझसे और गुस्सा रहने लगे
कई बार तो रात को रोते -2 मैं उनको जी भरकर गालियां देती थी
उपर वाले को शिकायत करती की मेरी लाइफ में यही पापा क्यों लिखे

एक दिन तो बात हद से ज़्यादा बड़ गयी
मेरी फ्रेंड श्रुति का बर्थडे था, उसने एक दिन पहले ही बर्थडे का पूरा प्लान बनाकर मुझे बता दिया था
कॉलेज जाने से पहले मैंने माँ से कहा की कॉलेज के बाद मैं फ्रेंड्स के साथ मूवी जा रही हूँ और बाद में श्रुति की बर्थडे पार्टी के लिए एक क्लब में
माँ और मुझे दोनो को पता था की पापा इस बात की पर्मिशन नही देंगे

इसलिए ना तो मैने पापा से पूछा और ना ही मॉम ने उन्हे बताया की मुझे क्लब जाना है
पर इस बात की हिदायत दे दी की मैं उनके आने से पहले घर आ जाऊं
वो 9 बजे तक आते थे
कॉलेज मेरा 2 बजे ख़त्म होता था और मूवी 6 बजे तक निपट जानी थी
2 घंटे बहुत थे हमे क्लब में मस्ती करने के लिए

और इस तरह से प्लान बनाकर मैं एक सेक्सी सी ड्रेस अपने बेग मे छुपाकर कॉलेज के लिए निकल गयी
सब कुछ ठीक हुआ
कॉलेज में दिन अच्छा बीता
मूवी भी अच्छी थी
श्रुति का बाय्फ्रेंड भी आया हुआ था

वो मेरी बगल में बैठकर ही उसे किस्स करने में लगी हुई थी
हालाँकि मैं भी 21 साल की हो चुकी थी पर इन सब बातों की तरफ मेरी ख़ास रूचि नही थी
अब ये हालात की वजह से थी या पापा का डर पर इन बातों के बारे में सोचकर ही डर सा लगता था
पर आज श्रुति को अपने बाय्फ्रेंड के साथ गहरी स्मूच करते हुए देखकर मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था

उनकी गहरी साँसे मुझे सॉफ सुनाई दे रही थी



मेरी तिरछी नज़रों ने उनकी फिल्म बनाना शुरू कर दी
उन्हें ऐसा करते देखकर मेरे निप्पल्स एकदम कड़क हो गये
ये पहली बार हो रहा था मेरे साथ
ऐसा लग रहा था जैसे अंदर से मेरे बूब्स में कोई हवा भर गयी हो
श्रुति का बाय्फ्रेंड नितिन उसके बूब्स को दोनो हाथो से दबा रहा था
उफफफफफफफफफ्फ़…..
काश मेरी बगल में भी कोई बैठा होता
जो मेरे बूब्स को दबाता
ऐसा सोचते-2 मेरे खुद के हाथ अपने बूब्स पर जा लगे और मैने उन्हे धीरे से दबा दिया
हालाँकि ये पहली बार था जब ऐसे विचार मेरे जहन में आए थे
और ये भी पहली बार था की मेरे बूब्स को मैने इस अंदाज से छुआ था

आआआहहहहह……..
क्या एहसास था ये
मेरा हाथ तो जैसे सुन्न सा हो गया था
और वो मुझे मेरे शरीर का हिस्सा लग भी नही रहा था
बस ऐसा लग रहा था जैसे कोई और मेरे बूब्स को दबा रहा है

मेरी आँखे खुद ब खुद बंद होती चली गयी और मैने आवेश में आकर अपने निप्पल को च्यूंटी भरके ज़ोर से दबा दिया

“अअअअहह……सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…..”

मैं खुद ही चिल्ला पड़ी
और एकदम से हड़बड़ा कर इधर उधर देखने लगी
मेरी चीख़ सुनकर श्रुति का ध्यान भी मेरी तरफ गया और मेरी हालत देखकर वो समझ गयी की क्या चल रहा था यहाँ
वो मुस्कुरा दी

कुछ ही देर में मूवी भी ख़त्म हो गयी
हालाँकि मूवी अच्छी थी पर आख़िरी में आकर मैं उसका पूरा मज़ा नही ले पाई

कुछ ही देर में हम उसी माल के टॉप फ्लोर पर बने एक क्लब में पहुँच गये
अंदर जाने का रास्ता एक काली सुरंग जैसा था
और एक भारी भरकम दरवाजे को पार करते ही अंदर से आ रहे तेज म्यूज़िक के शोर ने हमारे मूड को एकदम से बदल का रख दिया
कपड़े तो मैने माल में आने के बाद ही चेंज कर लिए थे

मैने एक घुटनो तक की वन पीस ड्रेस पहनी हुई थी, जिसमे मेरा पूरा बदन काफ़ी सैक्सी लग रहा था



हमने एक कॉर्नर टेबल लिया और खाने पीने का सामान मंगवा कर एंजाय करने लगे
श्रुति और उसका बॉयफ्रेंड तो बियर भी पी रहे थे , पर मैंने उनका साथ देने से मना कर दिया

सामने ही डांस फ्लोर था
मेरी कुछ सहेलियां आने के साथ ही डांस फ्लोर पर कूद पड़ी और खुल कर एंजाय करने लगी

श्रुति भी नितिन के साथ एकदम चिपक कर डांस कर रही थी
मैं अभी तक सोफ़े पर बैठकर उन्हे देख रही थी और अपनी कोल्ड ड्रिंक एंजाय कर रही थी

कुछ देर बाद श्रुति मुझे ज़बरदस्ती उठाकर फ्लोर पर ले गयी और हम सब एकसाथ एन्जॉय करने लगे
कई बार डांस करते-2 नितिन के हाथ मेरे शरीर को छू रहे थे
पता नही जान बूझकर या फिर अंजाने में
पर मैने उसका कोई विरोध नही किया

ऐसा कुछ करके मैं उनका दिन खराब नही करना चाहती थी
हालाँकि मुझे भी अच्छा लग रहा था
पर मैं खुलकर उसे कुछ बोल भी तो नही सकती थी

इसलिए मैं उन पलों को एंजाय करते हुए खुलकर डांस करने लगी
आज कई सालो बाद मैंने इतना ख़ूलकर डांस किया था शायद
और इतना खुश भी बहुत टाइम बाद हुई थी

पर ये खुशी ज़्यादा देर तक कायम नही रह सकी

मैं नाच रही थी और अचानक मेरे सामने पापा आकर खड़े हो गये
वो भी पूरी यूनिफॉर्म में
मैं तो हक्की बक्की रह गयी

“प…प…पापा…..आअप य…यहां ……..ओह”

मैने खुद को संभाला, और फिर अपने कपड़ो को, जो शायद मेरे पापा ने आज पहली बार देखे होंगे
ऐसी ड्रेस मैं पहन सकती हूँ ऐसा उन्होने सपने में भी नही सोचा होगा
पापा की आग उगलती नज़रों से सॉफ पता चल रहा था की जो वो देख रहे है उन्हे बिल्कुल पसंद नही आया
उनके गुस्से को मैं जानती थी

आज तो मेरी खैर नही थी

क्लब का म्यूज़िक बंद हो चूका था,
पोलीस यूनिफॉर्म में कोई एकदम से डॅन्स फ्लोर पर आ जाए तो अच्छे अच्छों की हवा टाइट हो जाती है
क्लब के स्टाफ का भी यही हाल था

मैं जल्दी से श्रुति और दूसरी फ्रेंड्स के साथ बाहर निकल गयी
श्रुति जानती थी मेरे पापा और उनके गुस्से के बारे में

इसलिए उसे भी अब मेरी चिंता हो रही थी
मैने वॉशरूम में जाकर अपने कपड़े चेंज किए और कैब पकड़ कर जल्दी से घर की तरफ निकल गयी

आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन होने वाला था

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Unread post by admin » 13 Dec 2025 13:24

क्लब का म्यूज़िक बंद हो चूका था,
पुलिस यूनिफॉर्म में कोई एकदम से डॅन्स फ्लोर पर आ जाए तो अच्छे अच्छों की हवा टाइट हो जाती है
क्लब के स्टाफ का भी यही हाल था
मैं जल्दी से श्रुति और दूसरी फ्रेंड्स के साथ बाहर निकल गयी
श्रुति जानती थी मेरे पापा और उनके गुस्से के बारे में

इसलिए उसे भी अब मेरी चिंता हो रही थी
मैने वॉशरूम में जाकर अपने कपड़े चेंज किए और कैब पकड़ कर जल्दी से घर की तरफ निकल गयी
आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन होने वाला था

*********
आगे
**********
घर पहुँची तो मामला कुछ और ही निकला
माँ ने दरवाजा खोला
उनके चेहरे पर पहले से बारह बज रहे थे, हवाइयाँ उड़ रही थी
मैं समझ गयी की उन्हे भी पता है की पापा ने मुझे क्लब में देख लिया है

मैं अंदर आई, मेरे मुँह से घबराहट के मारे कुछ नही निकल रहा था

माँ : “बेटा….वो ..... वो……आ ........ आज तेरे पापा घर जल्दी आ गये थे…..और तब तक तो तू भी कॉलेज से आ ही जाती है….घर पर तू नही मिली तो…तो..उन्होने मुझे बहुत डांटा और मजबूरन मुझे बताना ही पड़ा की तू कहाँ गयी है….आई एम् सॉरी मेरी बच्ची ….ये सब…ये सब…मेरी वजह से हुआ है….”

इतना कहकर वो फफक -2 कर रोने लगी….
मैने गोर से देखा तो उनके चेहरे पर उंगलियो के निशान थे…..
यानी पापा ने उन्हे मारा भी था…

ये वहशी इंसान…..
मन तो करता है उनपर एफ आई आर कर दूँ …
फिर सड़ते रहेंगे पूरी लाइफ जेल में

ऐसे और भी विचार मेरे दिमाग़ में पहले भी कई बार आ चुके थे
पर मैं कितनी डरपोक थी ये सब करने में, ये मुझे भी पता था

अब जैसे भी उन्हे पता चला, खैर तो मेरी नही थी इन सबमे..
सच कहूं तो आज जितना डर मुझे अपनी लाइफ में कभी नही लगा था
हालाँकि आज के जमाने में इतना तो चलता ही है
कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे अपने दोस्तो के साथ मूवी और क्लब्बिंग के लिए जाते है
ये तो आम बात है

पर पता नही मेरे पापा को ही इसमें इतनी दिक्कत क्यों है
माँ भी तो मेरा साथ देती है, उन्हे तो ये सब बुरा नही लगता
उन्हे तो पता है की मैं अगर ये काम कर भी रही हूँ तो समझदारी से कर रही हूँ
पता नही पापा को ही क्यो दिक्कत है

मेरी आँखो से आँसू निकल आए ये सोचते-2
माँ ने लपककर मुझे अपने गले से लगा लिया और बोली
“मत रो सलोनी….तू अपने रूम में जा …और पापा के आने पर भी बाहर मत आना, मैं बोल दूँगी की तू सो रही है….बाकी मैं देख लूँगी….पर किसी भी हालत में बाहर मत आना”

माँ का यही प्यार मुझे एक सुरक्षा कवच का एहसास देता था
पर मुझे क्या पता था की मुझे तो सुरक्षा मिल रही है माँ से, माँ को कौन सुरक्षा देगा उस राक्षस से…

मैं अपने रूम में गयी और कपड़े बदल कर बेड पर लेट गयी
रह रहकर मुझे क्लब की बातें और पापा का गुस्से से भरा चेहरा नज़र आ रहा था
करीब 1 घंटे बाद बाहर की बेल बजी

मेरे दिल की धड़कन एकदम से बढ़ गयी
बाहर पापा ही थे
अंदर आते ही उनकी और माँ की तेज आवाज़ें आने लगी
पापा गुस्से में गालियां दिए जा रहे थे
और वो मेरे बारे में ही बोल रहे थे

ऐसे शब्द जो मैने आज से पहले अपने बारे में उनके मुँह से कभी नही सुने थे

“कहाँ है वो रंडी साली….क्लब में छोटे कपड़े पहन कर लड़को के साथ डांस कर रही थी…आज तो उसकी गांड मैं लाल करूँगा….बाहर निकाल उसे…आज उसे पता चलेगा की पुलिस वाले का डंडा जब चलता है तो कैसे फट जाती है….निकाल उस हरामजादी को बाहर…”

माँ : “कुछ तो शर्मा करो, जवान बेटी को ऐसे कौन गालियां देता है….मानती हूँ उस से ग़लती हो गयी, मैने समझा दिया है, आगे से वो ऐसा कुछ नही करेगी, तुमसे पूछ कर ही करेगी वो सब…”

चटाख की एक जोरदार आवाज़ से पापा ने माँ को चुप करा दिया और बोले : “साली…..ये तेरी सरपरस्ती में ही बिगड़ रही है….कॉलेज शुरू होते ही इसे चाचा जी के पास भेज देना था, वो इसका सही से इलाज करते…”

पापा के चाचा जी, यानी रंजीत अंकल, वो पंजाब में रहते है, आर्मी से रिटाइर्ड है और अपने घर को भी उन्होने आर्मी केंट की तरह अनुशासन में बाँध कर रखा हुआ है, उनके बच्चे, बहु, नाती पोते सब उनसे डरते है, कोई उनके खिलाफ जाने की जुर्रत नही करता

पापा ने अपने पिताजी के गुजर जाने के बाद उन्ही को अपना आदर्श माना था
और परिणामस्वरूप वो भी उन्ही की तरह बन गये थे
और उनके घर का माहौल अपने घर पर लागू करने की फिराक में हमेशा रहते थे

यही कारण था की मेरे उपर इतनी पाबंदिया थी, ये तो माँ थी वरना उन्होने मुझे सच में अपने चाचा के पास भेज देना था
और वहां की लाइफ सोचकर ही मैं काँप उठती थी

पापा गुस्से में गालियां देते हुए मेरे कमरे की तरफ आ ही रहे थे की अचानक पता नही क्या हुआ की उनकी आवाज़ निकलना ही बंद हो गयी
माँ की भी कोई आवाज़ नही आ रही थी

मैने कान लगाकर सुनने की कोशिश की पर कुछ सुनाई नही दिया…

थोड़ी देर बाद बहुत धीरे से पापा के कराहने की आवाज़ सुनाई दी
ओह्ह माय गॉड

कहीं माँ ने उनके सिर पर तो कुछ नही दे मारा…
मैं झट्ट से उठी और दरवाजे का हेंडल खोलने के लिए लपकी
पर हेंडल तक मेरा हाथ जाने से पहले ही मुझे पापा की एक आवाज़ सुनाई दी
ये एक लंबी सिसकारी थी

“आआआआआआहह………सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…….”

ये…..ये सिसकारी तो मैं पहचानती हूँ

ये ठीक वैसी ही थी जैसे श्रुति के मुंह से निकल रही थी जब उसका बाय्फ्रेंड किस्स कर रहा था और उसके बूब को दबा रहा था
यानी……यानी….मॉम इस वक़्त पापा के साथ
मेरा तो दिमाग़ ठनक सा गया
मैं दबे पाँव दरवाजे तक आई

और कान लगाकर सुना
मेरा अंदाज़ा सही था
ये वही सिसकारी थी
पिताजी के मुँह से निकल रही थी ये..

“ओह्ह साआआली…..अपनी बेटी को बचाने का सही तरीका ढूँढ निकाला है तूने भेंन की लोड़ी …..आआहह….चूस ज़ोर से मादरचोद ….और ज़ोर से चूस मेरा लॅंड”

पिताजी के मुँह से आख़िरी शब्द “लॅंड” सुनकर मेरा पूरा शरीर झनझना उठा
यानी इस वक़्त माँ मेरे रूम के बाहर बैठकर पिताजी का लॅंड चूस रही थी…
हे भगवान् …

पर अगले ही पल मेरे दिल में माँ के प्रति एकदम से प्यार उभर आया
मुझे बचाने के लिए उन्हे पिताजी के साथ….उनके…उनके….लॅंड की सकिंग करनी पड़ रही है…

मैं जानती थी की उनकी उम्र की औरतों में पहले शायद ये सब नही होता था
श्रुति ने भी मुझे कई बार ऐसी ज्ञान की बाते बताई थी की पहले की औरतों को डिक सकिंग करना अच्छा नही लगता था
ये तो आजकल के नोजवानों का कल्चर सा बन चूका है
पहले उपर के होंठ चूस्टे है और फिर दोनो एक दूसरे के नीचे के हिस्से को

पर माँ ऐसा कर रही थी तो सिर्फ़ मेरे लिए…हां, मुझे बचाने के लिए..
क्योंकि श्रुति ने बताया था की मर्द चाहे आज का हो या पहले का, उसे लॅंड चुसवाना बहुत पसंद आता है

पहले के जमाने में लॅंड चुसाई होती नही थी इसलिए अपनी बिबियो से उन्हे ये सुख मिल नही पाया मर्दों को
पर आजकल की एडल्ट मूवीस में ये सब देखकर उन्हे भी ये इच्छा होती है की उनका भी कोई चूसे…
और शायद इसी वजह से आज पिताजी को जब ये सुख मिला तो वो अपनी सुध बुध खोकर उस मज़े का लुत्फ़ ले रहे थे

मैं तो अंदर थी पर मेरे दिमाग़ ने पिक्चर बनानी शुरू कर दी की कैसे पिताजी जब गुस्से में अंदर आ रहे होंगे तो एकदम से माँ उनके सामने आकर बैठ गयी…उनकी जीप खोलकर उनका लॅंड बाहर निकाला और उसे चूसने लगी
ठीक मेरे रूम के बाहर

उफफफ्फ़



मेरे निप्पल्स एकदम से टाइट हो गये
बूब्स में थोड़ी और हवा भर गयी
ये वही एहसास था जो मैने मूवी हाल में महसूस किया था
जब श्रुति और नितिन एक दूसरे को स्मूच कर रहे थे

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Re: Police daughter sex story

Unread post by admin » 13 Dec 2025 13:27

और ये गाड़ी मलाई देखकर मेरे हाथ भी और तेज़ी से चलने लगे, और जल्द ही मैने अपने हिस्से के बच्चे अपनी चूत से निकालने शुरू कर दिए

अअअअअहह

एक शरारत भरी बात अचानक मेरे दिमाग़ में आई की पापा और मेरा कम अगर मिल जाता तो वो 2-4 बच्चे मैं ही पैदा कर देती

अपनी बात पर मुझे ही हँसी आ गयी, चल पागल, ऐसा थोड़े ही होता है , अब सब शांत हो चूका था, मैं भी, पापा भी , और माँ भी

पिताजी लड़खड़ाते कदमो से बाथरूम में जाकर नहाने लगे, पीछे-2 माँ ने भी अपने और पापा के कपड़े इकट्ठे किए और अपने बेडरूम की तरफ चल दी, उनकी चाल मे एक अलग ही लचक थी आज

शायद अपनी बेटी को बचाने का रोब था उनकी कमर में , आज तो बचा लिया था माँ ने मुझे पापा से, पर अगले दिन जब मैं उनके सामने जाउंगी तो पता नही क्या होगा

**********
अब आगे
**********

अगले दिन कॉलेज की छुट्टी थी, कोई जयंती थी शायद
सोचा तो यही था की आज देर तक सोऊंगी
पर मेरी नींद पापा और मम्मी की तेज आवाजों से खुली

अभी रात को ही तो दोनो ने एक दूसरे को मज़े दिए थे
सुबह होते ही वो सब भूल गये
फिर से लड़ाई करने लगे
ये शादीशुदा लोग भी ना
कसम से
इनका कुछ नही हो सकता

मैने मींची आँखो से घड़ी की तरफ देखा
अभी 9 बजे थे
ये पापा के स्टेशन जाने का टाइम था
मैने कान लगाकर सुना तो मेरी नींद एक ही पल में छू मंतर हो गयी
पापा फिर से वही रात वाला राग अलाप रहे थे

पापा : “मुझे सिर्फ़ एक बार बात करनी है उस से….तू मेरे बीच से हट जा ज्योति…रात को तो तूने उसे बचा लिया, अब नही बच पाएगी वो…उसे सबक सीखाना ज़रूरी है….”

इतना कहकर उनके कदमो की तेज आहट मेरे कमरे की तरफ आने लगी
बीच में शायद माँ ने फिर से उन्हें रोका पर एक धड़ाम की आवाज़ के साथ माँ के कराहने की आवाज़ आई
यानी पापा ने माँ को धक्का देकर बीच से हटा दिया था

अगले ही पल पापा धड़धड़ाते हुए मेरे कमरे में घुसते चले आए
मेरी हालत तो ऐसे हो गयी जैसे साँप ने काट लिया हो
एकदम जड़वत सी होकर रह गयी मैं…

और अंदर से उन्होने दरवाजे पर चटखनी लगा दी ताकि माँ अंदर ना आ सके
माँ बाहर खड़ी दरवाजा पीट रही थी और मुझे कुछ भी ना कहने की गुहार लगा रही थी पापा से

वो आगे बढ़े
पर अचानक वहीं ठिठक कर रुक गये
पता नही क्यों
मेरा सीना रेल के इंजन की तरह आवाज़े निकाल रहा था
शांत कमरे में सिर्फ़ मेरी धड़कन की आवाज़ें गूँज रही थी
पापा की तरफ से कुछ हलचल नही हुई

मैने मूंदी आँखो को हल्के से खोल कर देखा
वो मुझसे 2 फीट दूर खड़े थे और मेरी टांगो को देख रहे थे
पूरे कमरे में अंधेरा था पर खिड़की से आ रही मद्धम रोशनी मेरे चेहरे को छोड़कर पूरे शरीर पर थी

ओह्ह शीटssss

रात को मम्मी पापा का कार्यकर्म देखने और मास्टरबेट करने के बाद मैने शॉर्ट्स तो पहनी ही नही थी
सिर्फ़ पेंटी पहनी थी
ऊपर टी शर्ट थी जो मेरे पेट तक चड़कर मेरा नंगा पेट भी उजागर कर रही थी



ऐसा नही था की मैं पहले ऐसे नही सोती थी
अक्सर मैं शॉर्ट्स और टी शर्ट में ही सोती थी
या कभी शॉर्ट्स उतार कर भी

एक बार तो बिना शॉर्ट्स और पेंटी के भी सो गयी थी
माँ ही आती थी मुझे उठाने
उन्हे मेरे पहनावे से ज़्यादा फ़र्क नही पड़ता था
पर जिस दिन मैं नीचे से नंगी होकर सोई थी उस दिन उन्होने मुझे खूब डांटा था की अब तू जवान हो गयी है
ऐसे मत सोया कर
मैने मज़ाक में बोला था उस दिन, “क्यो रात को कोई भूत आकर चूस लेगा मुझे वहां से”

इस बात पर माँ भी मुस्कुराइ थी
यानी उन्हे और मुझे दोनो को इस चूसम चुसाई के बारे में पता था
पर शायद ऐसा कुछ दोनो ने अभी तक किया नही था

खैर, वो अलग बात थी, आई मीन माँ का मुझे इस तरह से देखना और पापा का मुझे इस हालत में सोते देखना
दोनो में काफ़ी अंतर था

एक तो पहले ही कल की बात से वो मुझसे नाराज़ थे
उपर से मुझे ऐसे बिना शॉर्ट्स या पायज़ामी के सोते देखने के बाद वो मुझे माँ की तरह गुस्सा भी करेंगे और अपना कल का गुस्सा भी उतारेंगे

पर एक मिनट
ये पापा के चेहरे पर गुस्सा तो नही दिख रहा
मैने अपनी आँख थोड़ी सी और खोल दी
क्योंकि उनकी नज़रें तो मेरे चेहरे पर थी ही नही
चेहरे पर नज़र होती भी तो अंधेरे की वजह से मेरी अधखुली आँखे दिख ही नही पाती शायद

वो तो मेरी नंगी टांगो और कसावट लिए पेट को देख रहे थे
और शायद मेरी नाभि को भी

और मेरे आश्चर्य की सीमा तब नही रही जब उनका हाथ अपने पेनिस की तरफ गया और वो उसे मसलने लगे

हैंssssss
अब ये क्या बकवास है

कोई पिता अपनी बेटी को देखकर ऐसे कैसे कर सकता है भला

मैने देखा उनकी पेंट के अंदर जैसे कोई नाग अपना सिर उठाकर बड़ा हो रहा हो
और वो उसका फन हाथ में लेकर उसे बिठाने का असफल प्रयास कर रहे थे
बाहर माँ का अपना ड्रामा चल रहा था

वो दरवाजा पीट रही थी और रो रोकर मुझे ना मारने की सलाह दे रही थी पापा को
पर उन्हे क्या पता था की अंदर आकर उनके पति को क्या हो गया है

मैं चाहती तो अभी उठकर जाती और झट्ट से दरवाजा खोलकर माँ से लिपट जाती
पर ना जाने कौनसे वशीकरण ने मुझे बाँध रखा था
मैं हिल भी नहीं पा रही थी

मेरे दिलो दिमाग़ में हैरानी और परेशानी के मिले जुले भाव थे
पर फिर मैने सोचा
है तो वो एक मर्द ही ना

एक औरत के जिस्म को देखकर यही इच्छा तो आती है अक्सर मर्दों में

उपर से 21 साल की जवान लड़की का ऐसा जिस्म
और वैसे भी
मैने भी तो रात को उन्हे देखा था
ये ग़लत है तो वो भी तो ग़लत ही था

उन्हें देखकर मैने जिस तरह मास्टरबेट किया था, उस जैसा मज़ा तो आजतक नही आया था मुझे
पर वो मैने जान बूझकर तो नही किया था ना

मैने खुद ही अपना बचाव किया
पर
पापा भी तो जान बूझकर ये नही का रहे ना

ना तो मई ऐसे अधनंगी होकर सोती और ना ही उनके मन में ऐसे विचार आते
पर मैं ऐसे नही सो रही होती तो अब तक वो मुझे नींद से उठाकर मेरी कुटाई कर रहे होते

बचपन में मैने उनके भारी भरकम हाथो से इतने चांटे खाए है की उनकी झंझनाहट मुझे आज तक फील होती है
पर झंझनाहट तो मुझे तब फील हुई जब पापा ने अचानक आगे बढ़कर मेरी जाँघो को छू लिया उन्ही भारी भरकम हाथो से

मेरा पूरा शरीर झनझना उठा उनके स्पर्श से
बदन पर सैंकड़ो चींटियां सी रेंगने लगी

मैं सिसकारी मारना चाहती थी पर अपने होंठो को मैने अपने दांतो तले दबा लिया
उन्होने एकदम से मेरे चेहरे की तरफ देखा की मैं जाग तो नही गयी उनके टच से
मैने बिल्ली की तेज़ी से अपनी आँखे मूँद ली

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