जुली को मिल गई मूली compleet

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raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:47

अंजू ने अब अपनी गंद को ढीला छ्चोड़ दिया था जिसकी वजह से मैं आराम से अपनी उंगली उसकी गंद मे घुमा रही थी, अंदर बाहर कर रही थी और अपनी उंगली से उसकी गंद मार रही थी. साथ ही साथ मैं अपनी जीभ से किसी मर्द के लंड की तरह उसकी चूत चोद रही थी.

वो मुझे और मैं उसे चुदाई का भरपूर मज़ा एक दूसरे को, दो सेक्सी औरतों के बीच के चुदाई के खेल मे दे और ले रही थी. मुझे आस्चर्य हुआ और अच्छा भी लगा जब अंजू ने भी अपनी उंगली मेरी गंद मे डाली. मेरी गंद का छेद तो उसकी गंद से बड़ा ही था क्यों कि मेरे पति के लंड ने कई बार मेरी गंद मारी है. उसकी उंगली मेरी गंद मे घूमती पाकर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

दो सेक्सी और गरम, चुदाई की प्यासी औरतें दुनिया का सबसे पुराना, चुदाई का खेल, अपनी पूरी क़ाबलियत के साथ, एक दूसरी को सन्तुस्त करने के लिए बेडरूम मे खेल रही थी. हमारी रागों मे खून का संचार तेज हो गया था और हम दोनो के दिमाग़ मे सिर्फ़ एक ही बात, चुदाई और चुदाई ही थी. हर खेल जो हम खेलतें हैं, उसका परिणाम आता ही है. हम दोनो सेक्शी औरतों ने एक दूसरे की चूत अपनी जीभ से और गंद अपनी अपनी उंगली से चोद्ने की रफ़्तार बढ़ा दी जो हम को झड़ने की तरफ ले जाने लगी.

हमारे नंगे बदन का हिलना डुलना ये साफ बता रहा था की हम दोनो अपनी मंज़िल के, झड़ने के मज़े के कितने पास थी. किसी भी वक़्त हम दोनो झाड़ सकती थी. और……….. और…….और …. आख़िर हम दोनो अपनी अपनी मंज़िल पर पहुँच ही गई. अंजू मुझसे थोड़ा पहले झड़ी थी पर उसने मुझे भी झड़ने की मंज़िल तक पहुँचाया था.

हम दोनो, हम दोनो के सेक्सी नंगे बदन, उसी 69 की हालत मे बिस्तर पड़े थे और हम लंबी लंबी साँसे ले रही थी.

हम ने एक दूसरी की चूत को, उसके आस पास चाट चाट कर पूरी तरह सॉफ कर्दिया. अंजू के चेहरे पर एक चमक और संतुष्टि नज़र आ रही थी.

मैने उस से कहा कि अब मुझे जाना पड़ेगा क्यों कि मेरी सासू मा मेरा इंतज़ार कर रही थी. उस ने मेरा हाथ पकड़ कर मेरी आँखों मे देखा. मैने उसे भरोसा दिया कि जब तक मैं गोआ मे हूँ, हम इसी तरह चुदाई का खेल और भी खेलेंगे अगर मौका मिला तो.

हम दोनो ही नंगी, साथ साथ बाथरूम गई और उसने फ्रेश होने के लिए साथ साथ स्नान करने को कहा. जल्दी ही हम ठंडे पानी के शवर के नीचे, एक दूसरे के नंगे बदन पर हाथ फिराते हुए नहाने लगी. हम अचानक ही फिर एक बार चुदाई के मूड मे आ गयी.

बाथरूम मे, बरसते पानी के नीचे हम पास पास बैठ गयी. मेरा हाथ उसकी चूत पर और उसका हाथ मेरी चूत पर था. हम ने एक दूसरी की चूत के होठों के बीच उंगली घुमानी शुरू की. अचानक, मुझे मेरे हाथ पर गरम गरम लगा. मैने उसकी तरफ देखा तो वो मुस्काई. मैं समझ गई कि गरम गरम लगने का क्या कारण है. मैं जब उसकी चूत पर हाथ, उंगली घुमा रही थी तो उसने मूत दिया था. मुझे बहुत अच्छा लगा और जवाब मे मैने भी, अपनी चूत पर घूमती उसकी उंगलियों पर मूत दिया. और हम दोनो ही ज़ोर से हंस पड़ी.

हम ने एक दूसरी की चूत मे तब तक उंगली की जब तक की हम झाड़ नही गई. हम ने आपस मे चुंबन लिया और बाथरूम से बाहर आ गई. हम ने अपने अपने कपड़े पहने और अंजू ने मुझे गरमा गरम चाइ, एक बहुत शानदार चुदाई के बाद पिलाई.

मैने अंजू को अपना मोबाइल नंबर. दिया और कहा कि जब भी चुदाई का मौका हो, मुझे फोन करे, ताकि हम फिर से आपस मे चुदाई का मज़ा ले सकें.

अंजू से कुछ देर बात करने के बाद मैं अपने घर आ गई जहाँ मेरी सासू मा मेरा इंतेज़ार कर रही थी. मेरी सासू मा ने कहा कि अंजू एक बहुत अच्छी लड़की है और मैं जब तक गोआ मे हूँ, उस से मिलती रहूं.

क्रमशः....................................


raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:49

दोस्तो अब आगे की कहानी दीवाली के बाद पोस्ट कर पाउन्गा
दोस्तो आप सब को दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएँ
आप सब को दीपावली शुभ मंगलमय हो
आपका दोस्त राज शर्मा

raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 07:30

गतान्क से आगे.....................

मैं अपने पति के पास देल्ही आ गई थी गोआ मे 15 दिन रहने के बाद. गोआ मे रहते हुए मैने अंजू के साथ लेज़्बीयन सेक्स का खेल खेला था. मेरे बहुत से चाहने वालों ने अपनी मैल मे लिखा है कि चुदाई मे असंतुष्ट औरत को चोद कर संतुष्ट करना एक समाज सेवा है. मैं तो हमेशा ही चुदाई और चुदाई को प्यार करने वालों को प्यार करती हूँ.

मैं और मेरे पति अभी अभी साउत आफ्रिका मे फुटबॉल का वर्ल्ड कप देख कर लौटें हैं. हमारा साउत आफ्रिका का दौरा और मॅच के टिकेट्स मेरे पति को उनकी ऑफीस की तरफ से हमारी शादी का तोहफा था.

अपने साउत आफ्रिका मे होने के दौरान मैं अपने चाहने वालों को ये नहीं बता पाई कि वहाँ जाने से पहले क्या क्या हुआ था. अब मैने सोचा है कि आप को सिलसिलेवार सब बताउ.

तो……. बात वहाँ से शुरू करती हूँ जहाँ पर हम मेरी पिच्छली कहानी मे थे.

मैं 10 दिन गोआ मे बिताने के बाद अपने पति के पास वापस देल्ही आ गई थी. गोआ मे मेरा ज़्यादातर समय मेरे ससुराल मे ही बीता था. वहाँ मुझे अंजू के साथ ज़्यादा चुदाई का मौका नहीं मिला था पर उस दौरान हमने मिलकर और दो बार लेज़्बीयन चुदाई की थी जब हमको मौका मिला था. अंजू बहुत खुश थी, ये मैने उसके चेहरे पर सॉफ सॉफ देखा. मुझे अंजू के बारे मे सोच कर बहुत दुख होता है. वो जवान है, बहुत खूबसूरत है पर उसका पति उसको चोद कर संतुष्ट नहीं कर पाता. खैर……. ये तो किस्मत की बात है.

गोआ से वापस आने के बाद, एक शाम को मैं मेरे पति का इंतज़ार कर रही थी क्यों कि हमको उनके एक दोस्त की शादी की सालगिरह की पार्टी मे जाना था. मैं जान बूझ कर तय्यार नहीं हुई थी क्यों कि मैं जानती थी कि मेरे पति तय्यार होने के लिए, शायद मेरे साथ ही शाम का स्नान करना पसंद करेंगे. ज़्यादातर हम साथ साथ ही नहाते हैं. मैं सिर्फ़ एक गाउन पहने हुए थी जिसके अंदर मैने कुछ भी नही पहना था. मैं जानती हूँ कि मेरे पति मुझे ऐसे देखना पसंद करतें है. मैं बताना चाहती हूँ कि हम दोनो ही घर मे चाहे जैसे रह सकते हैं क्यों कि यहाँ हमारे साथ कोई तीसरा नहीं रहता है, सिर्फ़ मैं और मेरे पति. खिड़कियों पर पर्दे और गहरे रंग के शीशे होने की वजह से हम घर मे जैसे चाहे रह सकतें हैं, जो चाहे कर सकतें है. बाहर से किसी का भी हमको देख पाना संभव नहीं है. हम एक 9 मंज़िल की इमारत की तीसरी मंज़िल पर रहतें हैं.

मेरे पति अपने पास की चाबी से दरवाजा खोल कर घर मे आए तो मुझे तुरंत ही पता चल गया क्यों कि मैं बाहरी कमरे मे ही बैठ कर टी.वी. देख रही थी. उनकी तेज आँखों ने तुरंत ही भाँप लिया कि मैं उनके साथ नहाने को तय्यार हूँ. वो मुस्कराए तो जवाब मे मैं भी मुस्करा पड़ी. वो मेरे नज़दीक आए और मुझे अपनी बाहों मे भर लिया, जो कि वो हमेशा ही घर आते ही करतें हैं. मैने भी उनको बाहों मे भरा और हमने एक दूसरे के रसीले होंठ चूस्ते हुए चुंबन किया.

वो बोले – तय्यार हो नहाने के लिए ?

मैने कहा – हां जान. मैं तय्यार हूँ.

उन्होने जवाब दिया – ठीक है. एक ग्लास पानी मिलेगा पीने के लिए ?

मैं रसोई से उनके लिए पानी का ग्लास ले कर आई तो मैने देखा कि उन्होने अपने सारे कपड़े उतार दिए हैं और सिर्फ़ चड्डी पहने सोफा पर बैठे हैं. जब मैने उनको पानी का ग्लास दिया तो उन्होने अपने एक हाथ से पानी का ग्लास पकड़ा और दूसरे हाथ से मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी गोद मे बिठा लिया. उन्होने पानी पिया और फिर से मेरे होठों को चूमा. मैं उनके चुंबन का आनंद लेती हुई उनके बालों मे हाथ फिरा रही थी. प्यार और चुदाई की आग हमारे बीच भड़कनी शुरू हो चुकी थी.

यहाँ मैं आप को फिर से बता दूं कि मैं पिच्छले 15 सालों से चुद्वा रही हूँ जब मैं सिर्फ़ 14 साल की थी तब से. अब मेरी शादी को 7 महीने हो चुके हैं. शादी के पहले मैं साप्ताह मे 4 या 5 बार चुद्वाती थी और अब शादी होने के बाद चुद्वाने की गिनती बढ़ कर दिन मे कम से कम दो बार हो गई है. सबसे ज़्यादा खुशी की बात तो ये है कि हमेशा ही, जब भी अकेले होते हैं, एक दूसरे को छुते हैं, चुंबन करतें हैं, मैने पाया है कि चुदाई की गर्मी वही पुरानी गर्मी जैसी है. मैं बहुत किस्मत वाली हूँ कि मुझे मेरे जैसा ही चुदाई का साथी मिला है.

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