तड़पति जवानी

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rajaarkey
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Re: तड़पति जवानी

Unread post by rajaarkey » 30 Dec 2014 09:04


तड़पति जवानी-पार्ट-4

गतान्क से आगे.........
अंदर से आ रही आवाज़े मुझे बेचैन करने लगी.. उन आवाज़ो को सुन कर मेरे दोनो पैर कप कपाने लगे.. समझ नही आरहा था कि यहा पर रुक कर ये सब सुनू या आवाज़ लगा कर उन को रोकू.. या फिर बिना कुछ कहे अपने कमरे मे वापस आ जाउ.. एक अजीब सी बेचैन कर देने वाली इस्थिति ने मुझको घेर लिया था.. कुछ भी समझना बोहोत मुस्किल होता जा रहा था..

मैं अभी अपनी ही सोच मे डूबी थी कि अंदर से आ रही आवाज़ ने मेरा ध्यान तोड़ दिया..

रूपा तेरी मेम्साब एक दम मस्त माल है.. मनीष भैया तो जम कर मज़े लेते होंगे..? अमित ने रूपा से पूछा..

आऐईयइ…. धीरे धीरे दबाओ ना साहिब दर्द होता है.. हां ये बात तो है.. मेम्साब बोहोत सुन्दर है.. एक दो बार मैने उनके कमरे की सफाई करते हुए जब उनके बेड की चादर देखी तो समझ गयी थी कि रात को साहिब ने मेम्साब की जम कर चुदाई की है.. पूरी की पूरी चादर पर लंड चूत के पानी के निशान थे.. ऑर कयि बार तो सफाई करते हुए मुझे वो रबर के गुब्बारे क्या बोलते है उन्हे कॉंडम भी मिले थे.. बड़ा गिल-गीला सा होता है.. आअहह…. इसको भी चूसो ना… एक ही चुचि को कितनी देर तक चुसोगे.. उउईइ….माआ….

तूने कभी देखा है उनको चुदाई करते हुए ?

नही ऐसा मौका कभी नही मिला.. हां पर जब साहिब की छुट्टी होती है तो साहिब मेम्साब को एक दूसरे से लिपट’ते हुए ज़रूर देखा है..

अच्छा तुझे क्या लगता है मनीष भैया भाभी की चूत ही चूत मारते होंगे या गांद भी..?

हे भगवान ये क्या हो रहा है.. ये लड़का मेरे बारे मे सब पूछता जा रहा है.. ऑर ये हरम्खोर रूपा भी उसे मज़े ले कर सब कुछ बताए जा रही है.. उन दोनो की बाते सुन कर मेरा खून खोले जा रहा था.. एक काम करती हू.. मनीष को दिखाने के लिए की ये लड़का कितना गंदा है ऑर हमारे बारे मे कितनी गंदी गंदी बाते कर रहा है.. मोबाइल मे इसकी वीडियो बना लेती हू ऑर म्‍मस बना कर मनीष को सेंड कर देती हू.. तब पता चलेगा इसको.. लेकिन उस से पहले ये तो देख लूँ कि ये दोनो दिखाई किस जगह से दे रहे है..

यही सोच कर मैं इधर उधर जगह देखने लगी ताकि अंदर का जो कुछ चल रहा है दिख जाए.. इधर उधर देखते हुए मैं एक दम खिड़की के पास आ गयी.. जो किस्मत से खुली हुई थी.. मैने खिड़की का दरवाजा हल्का सा खोल कर अंदर झाँक कर देखा तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी..

रूपा एक दम नंगी बिस्तर पर लेटी हुई थी.. ऑर वो अमित का बच्चा उसके उपर चढ़ कर उसके एक उरोज को अपने मुँह मे ले कर चूस रहा था ओर दूसरे को अपने एक हाथ से दबा रहा था उसका एक हाथ नीचे की तरफ रूपा की योनि के उपर था..

रूपा की उमर करीब 27-28 साल के आस-पास होगी.. उसकी हाइट करीब 5’6”.. रंग हल्का सांवला था.. बिस्तर पर लेटी रूपा को नंगा देख कर पहली बार मैने किसी औरत को एक दम नंगा देखा था.. कुछ पल के लिए तो मेरी निगाहे रूपा के नंगे जिस्म पर जम गयी.. उसके दोनो उरोज बिल्कुल मेरे जैसे ही बड़े बड़े थे.. जिनके साथ इस वक़्त अमित खेल रहा था.. अमित के खेलने से उसके दोनो उरोज एक दम तन कर हिमालय पर्वत की तरह खड़े हो गये थे.. उसके निपल जो ब्राउन कलर के जिनका साइज़ लगभग 1cम के बराबर होगा.. पेन्सिल की नोक के जैसे एक दम शख्त हो गये थे..

पता नही पर मेम्साब अपनी गांद मे शायद ही साहिब का लंड लेती हो.. रूपा ने अमित की बात का जवाब देते हुए कहा..

ये लड़का एक दम पागल हो गया है.. अनल सेक्स भी कोई करने की चीज़ है.. मैने मन ही मन मे सोचा.. उन दोनो को इस तरह देख कर ओर उनकी बाते सुन कर मेरी खुद की हालत खराब होने लग गयी थी.. मेरी योनि ने कब रिसना शुरू कर दिया पता ही नही चला..

rajaarkey
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Re: तड़पति जवानी

Unread post by rajaarkey » 30 Dec 2014 09:05


मेरी योनि से बहता हुआ पानी धीरे धीरे करके बहता हुआ मेरी झांघो तक आ गया..

आअहह……. साहिब… मार डालोगे क्या.. आराम से करो.. मेम्साब कही जाग ना जाए…

अरे वो आराम से सो रही है.. सोने दे उसके चक्कर मे तू अपने मज़े क्यू खराब कर रही है.. और तू ये मुझे साहिब कहना बंद कर दे.. मेरा नाम पीनू है मुझे पीनू कह कर बुला या अमित कह कर कर ये साहिब मत कह..

अब अमित उसके उरोज को छ्चोड़ कर थोड़ा सा नीचे को खिसक गया ओर उसकी दोनो टाँगो के बीच मे आ कर बैठ गया.. वो उसके जिस्म पर खिसकता हुआ नीचे की तरफ गया था जिस कारण मुझे उसका लिंग नही दिखाई दिया.. उसका मुँह खिड़की की तरफ ही था.. मैं इस बात का पूरा ध्यान रख रही थी कि कही वो मुझे देख ना ले.. पर मुझे उसका लिंग देखे का बड़ा मन कर रहा था.. क्यूकी रूपा ने जैसा आवाज़ करते हुए कहा था कि साहिब तुम्हारा तो बोहोत बड़ा है, इस लिए मैं देखना चाहती थी कि उसका लंड कितना बड़ा है.. लंड शब्द मेरे दिमाग़ मे रूपा की बात सुन सुन कर आया था.. पर उन दोनो के मुँह से लंड-चूत सुन-सुन कर मुझे मज़ा आने लगा था..

वो उसकी टाँगो के बीच मे आकर उसकी दोनो टाँगो को उसके घुटनो से मोड़ कर उसके मुँह की तरफ कर दिया.. ओर उसकी योनि को देखने लग गया.. थोड़ी देर देखने के बाद उसने अपने एक हाथ को उसकी योनि के उपर ले कर फिराना शुरू कर दिया.. रूपा अपनी योनि पर अमित का हाथ महसूस करते ही बुरी तरह से मचल उठी.. ऑर ज़ोर ज़ोर से सिसकारिया मुँह से निकालने लगी..

सस्स्स्स्स्शह…….उूउउम्म्म्म………..आआअहह……………

उसकी निकलने वाली तेज तेज सांसो की आवाज़ मुझे सॉफ सुनाई दे रही थी.. अंदर का सीन देख कर मेरी खुद की हालत बिगड़ती जा रही थी.. मेरा पूरा गला सूखा जा रहा था.. ऑर दोनो पैर बुरी तरह से कांप-कपा रहे थे.. मुझे अपने दोनो पैरो के बीच बोहोत कमज़ोरी महसूस होने लगी थी.. इतनी उत्तेजित तो मैं आज तक मनीष के साथ सेक्स करते हुए नही हुई थी जितनी अंदर का सीन देख कर हो गयी थी..

इसी उत्तेजना के कारण कब मेरी योनि ने अपना पानी बहा दिया.. पानी छ्चोड़ते हुए मैने अपनी दोनो आँखे बंद कर ली थी ऑर खिड़की के डोर को कस कर पकड़ ल्लिया था, मेरी योनि से निकले पानी के कारण जो मेरी जाँघो पर लगा हुआ था, मुझे बड़ा अजीब सा फील हो रहा था.. मैं पानी छूट जाने से थोड़ा लड़खड़ा गयी जिस कारण खिड़की का दरवाजा बंद हो गया..

खिड़की का दरवाजा बंद होने की आवाज़ से मैने अपने आप को संभाला ऑर फुर्ती के साथ खिड़की से दूर हो गयी.. खिड़की से हट कर कुछ देर बाद जब मैने दोबारा खिड़की के अंदर झाँक कर देखा तो अमित ने उसकी दोनो टांगे हवा मे उठा रखी थी ऑर उसकी योनि पर अपना मुँह लगा रखा था…

पिनुउऊुउउ…स्शह…. आआआआआआआअहह…….. ओर ज़ोर सीईईई… ओर ज़ोर सीईईई चतो खा जऊऊ इसेसीईई … ये तुम्हारी है…. चबा दू…. रुकना मात्त्तटटतत्त…

अमित बिल्कुल डॉगी स्टाइल मे जैसे डॉगी चाट’ता है…(मैने घर के बाहर एक-दो बार कुत्ते-कुतिया को देखा है.. ) ठीक वैसे ही रूपा की योनि को चाट रहा था.. ओर रूपा भी पूरी मस्ती के साथ अपने दोनो हाथो से उसके सर को पकड़ कर अपनी योनि पर दबाए चले जा रही थी.. अमित को इस तरह देख कर मुझे ज़रा भी नही लगा कि उसने मुझे देख लिया होगा.. क्यूकी जिस तरह से रूपा के साथ लगा हुआ था उसे देख कर तो लग रहा था कि उसने दरवाजे की तरफ ध्यान ही नही दिया.. अमित को रूपा की योनि चाट’ता हुआ देख कर मेरे मन मे आया…. छ्चीईई कितना गंदा आदमी है वाहा भी कोई मुँह लगाने की जगह है ?

थोड़ी देर मे मे रूपा की सिसकारिया भरी आवाज़े ऑर भी तेज़ी के साथ आनी शुरू हो गयी, ऑर उसका पूरा बंदन अकड़ना शुरू हो गया.. उसने अमित का सर पकड़ कर अपनी योनि पर कस कर दबा लिया ओर ज़ोर ज़ोर से पिनुउऊुुुुउउ मैंन्न्न् गाययययययययययीीईईई करते हुए शांत हो गयी..

अमित जब उसकी दोनो टाँगो के बीच मे से उठ कर खड़ा हुआ ऑर मेरी नज़र उसके लिंग पर गयी तो मेरा मुँह खुला का खुला रह गया.. अमित का लिंग, लिंग नही लंड या लॉडा वर्ड ही एक दम सही है.. करीब 8” के आस-पास का था.. उसका तना हुआ लिंग देख कर मैं हैरत मे पड़ गयी कि क्या सच मे लिंग इतना बड़ा ओर मोटा भी हो सकता है, जैसा इस अमित का है.. उसने अपने दोनो हाथ रूपा के दोनो उरोज पर जमा दिए..

rajaarkey
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Re: तड़पति जवानी

Unread post by rajaarkey » 30 Dec 2014 09:06


रूपा एक बात कहु निशा भाभी की बस एक बार मिल जाए कसम से मज़ा आ जाए.. कह कर उसने ज़ोर ज़ोर से उसके दोनो मम्मो को मसलना शुरू कर दिया..

साहिब.. धीरे बोलो कही मेम्साब आप की बात ना सुन ले.. रूपा ने लेट कर मस्ती भरे अंदाज मे अमित के बालो मे हाथ फिराते हुए कहा..

अरे सुन लेने दे उन्हे भी तो पता चले कि कोई है जो उनकी चूत के दीदार का बेसब्री से इंतजार कर रहा है.. कहते हुए उसने बैठे बैठे ही अपने एक हाथ मे अपना लिंग ले लिया ओर लिंग की खाल को जैसे ही पीछे किया उसका रेड कलर का सूपड़ा सामने आ गया.. वो अपने लिंग पर इस तारह से हाथ फिरा रहा था जैसे उसने मुझे देख लिया हो ओर मुझे ही अपना लिंग दिखा रहा हो..

थोड़ी देर ओर उसने के मम्मो को मसला ओर रूपा को बैठा दिया ओर अपने लिंग को उसके मुँह की तरफ ले जाने लगा.. मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा था कि रूपा उसके लिंग को अपने मुँह मे ले रही है.. खिड़की पर खड़े हुए मैं सब देख रही थी मुझे समझ मे नही आ रहा था की ये दोनो इतनी गंदी तरह से सेक्स कैसे कर रहे है..

रूपा की पीठ मेरी आँखो के आगे आ जाने के कारण अब मुझे केवल अमित का फेस ही दिखाई पड़ रहा था.. थोड़ी देर रूपा ने उसके लिंग को अपने मुँह मे लेकर चूसा ऑर फिर वापस सीधे हो कर लेट गयी.. अमित अब दोबारा उसकी टाँगो के बीच मे आ गया ओर उसकी दोनो टाँगो को उसकी छाती से मोड़ कर उसने अपने लिंग को हाथ मे लेकर हिलाया, वो इस तरह से हरकत कर रहा था जैसे की मुझे जानबूझ कर दिखा रहा हो.. अपने लिंग को हिलाते हुए उसने अपने लिंग को रूपा की योनि पर रख दिया..

उसने जैसे ही अपने लिंग को रूपा की योनि पर रखा मेरा दिल फुल स्पीड के साथ धड़कने लग गया.. मेरे दिमाग़ मे यही ख़याल आ रहा था कि क्या रूपा इस लिंग को अपनी योनि के उस छ्होटे से छेद मे ले पाएगी ? क्या ये लिंग सच मे योनि के अंदर जाएगा.. ऑर हर बार मेरा दिमाग़ मुझे ना मे आन्सर देता..

अमित ने अपने लिंग को योनि पर टीकाया ओर सीधे अपनी नज़र सामने खिड़की पर जहा पर मैं खड़ी हुई थी देखने लग गया.. मुझे उसके यूँ इस तरह खिड़की पर देखने की उम्मीद नही थी इस लिए मैं पूरी तरह से खिड़की पर आ कर उनका गंदा खेल देख रही थी.. एक पल के लिए हम दोनो की नज़र एक दूसरे से टकराई ओर उसने मेरी तरफ देख कर वही गंदी सी स्माइल पास कर दी..

अमित को अपनी तरफ देख कर मेरी हालत खराब हो गयी.. मेरा मन बुरी तरह से डर की चपेट मे आ गया.. समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू क्या नही.. अभी मैं कुछ ओर सोचती इस से पहली ही रूपा की दर्द भरी आवाज़ ने मेरा ध्यान तोड़ दिया..

आआआआआआआआहह……………. मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्

र्ररर…… गाइिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई…….. बाहर निकालूऊऊऊ…..

मैं मर गाइिईईईईईईईईईईईई….

रूपा दर्द से बुरी तरह तड़प रही थी उसने बिस्तर की चादर अपने दोनो हाथो से कस कर पकड़ रखी थी ऑर अपनी आँखे बंद कर ली थी.. मेरी नज़र जब रूपा से हट कर वापिस अमित पर गयी तो वैसे ही मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था.. उसके चेहरे पर वो हँसी देख कर मेरा खून खोल उठा.. मुझे देखते हुए ही वो थोड़ा पीछे की तरफ हुआ ऑर वापस एक धक्का लगा दिया.. रूपा फिर दर्द से कराह उठी.. वो धक्के रूपा की योनि मे लगा रहा था पर एक तक देखे मेरी तरफ जा रहा था.. मुझे भी पता नही उस वक़्त क्या हो गया था जो मैं वाहा से नही हटी थी.. थोड़ी ही देर मे रूपा की चीन्खे कम हो गयी ओर वो मज़े से सिसकारिया निकालने लग गयी..

रूपा के मुँह से चीखे ऑर उसकी सिसकारिया सुन कर मेरी योनि ने ना चाहते हुए भी फिर से रिसना शुरू कर दिया था.. मुझसे अब ओर बर्दाश्त नही हो रहा था मैं वाहा से हट कर अपने कमरे मे आ गयी ऑर अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया…
क्रमशः

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