तड़पति जवानी

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: तड़पति जवानी

Unread post by rajaarkey » 30 Dec 2014 09:38

तड़पति जवानी-पार्ट-12

गतान्क से आगे.........
अपनी ननद की बात सुन कर मैं शरम से लाल हो गयी और चुप चाप हो कर चाइ नाश्ता करने लग गयी. चाइ नाश्ता करने के बाद मैं वहाँ से उठ कर अनिता के साथ अपने कमरे मे जो मनीष का कमरा था वहाँ आ गयी. शाम भी हो गयी थी और मुझे इन कपड़ो मे गर्मी भी बोहोत लग रही थी. इस लिए मैने जैसे ही कपड़े निकालने के लिए सूटकेस उठाया जो लॉक्ड था. मुझे याद आया कि मैने चाबी तो मनीष को दे दी थी. मुझे यू परेशान देख कर अनिता बोली..”क्या हुआ भाभी जी बड़ी परेशान देख रही हो… अभी भी भैया को ही याद कर रही हो… हहे” कह कर वो हंस दी.

“नही.. वो मुझे कपड़े चेंज करने है और सूटकेस की चाबी मनीष के पास है.” मैने अपनी समस्या उसे बताते हुए कहा.

“ले बस इतनी सी बात के पीछे इतना दुखी हो रही हैं हमारी प्यारी भाभी… अरे भाभी जी आप मेरे साथ आइए” कह कर अनिता ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने साथ अपने रूम मे ले आई.

उसका रूम काफ़ी सुंदर था और उसने अपने कमरे की दीवार पर शाहरुख और अजय देवगन के पोस्टर लगा रखे थे. मैं बड़े गौर से उसके रूम को देख रही थी… “तो आप को शाहरुख और अजय देवगन काफ़ी पसंद है” मैने पोस्टर देखने के बाद मुस्कुराते हुए उस से कहा.

“अरे ये पोस्टर तो बस ऐसे ही लगा रखे है… अच्छा आप ये ट्राइ करके देखो” उसने अपनी अलमारी से एक सूट निकाल कर मुझे देते हुए कहा. देखने मे सूट काफ़ी अच्छा था पर मैं आते ही सूट नही पहनना चाहती थी. इस लिए मैने अनिता को सूट के लिए मना कर दिया.

थोड़ी देर इधर उधर अपनी अलमारी मे कपड़ो को करने के बाद उसने एक साड़ी को निकाल कर मुझे दी…”ये साडी पहन लो भाभी जी आप हल्की भी है और आप पर काफ़ी अच्छी भी लगेगी” कह कर उसने वो सारी मेरे हाथ मे थमा दी.

साडी सच मे काफ़ी हल्की और सुंदर थी पर दिक्कत पेटिकोट और ब्लाउस की थी. जो अनिता ने साडी के साथ मुझे पहनने के लिए दिए थे. “अनिता साडी तो ठीक है पर मुझे नही लगता कि तुम्हारे ब्लाउस और पेटिकोट मेरे फिट आएगे” मैने अपने मन की बात उसे बता दी.

“ अरे भाभी केवल आज की ही तो बात है और वैसे भी थोड़ी देर मे भैया तो वैसे ही घर आ जाएगे फिर आप को कॉन सा साडी पहन्नी है… हहे” कह कर वो मेरे एक दम पास आ कर हँसने लग गयी.

उसकी बात सुन कर मैं एक दम हैरान रह गयी मुझे उम्मीद नही थी कि वो इतनी जल्दी मेरे साथ इतना फ्रॅंक हो कर बात करना शुरू कर देगी. शादी के समय मैं ज़्यादा दिन गाँव मे नही रही थी इस लिए मेरी घर वालो से अच्छे से बात चीत नही हो पाई थी. मम्मी पापा कभी कभी घर पर आ जाते थे तो उनसे बात चीत होती रही. उसकी बात सुन कर मैने प्यार से उसकी सर पर एक चपत लगाई और कहा… “चल बदमाश.. बोहोत शरारत सूझ रही है तुझे.”

“अब भाभी देखती रहोगी या पहनोगी भी” अनिता ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.

मैने साडी को खोला तो वो एक दम पतली झिल्ली दार साड़ी थी ऐसी कि आर पार का सब कुछ सॉफ सॉफ दिखाई दे. मैने जब पूरी सारी खोल कर देखी तो मेरी हिम्मत नही हुई उसे पहनने की.. “अनिता मैं ये सारी नही पहन सकती ये नेट सारी यहाँ पर नही पहन सकती किसी ने देखा तो क्या कहेगा.. लो अपनी साडी वापस रख लो.” कह कर मैने उसे साडी वापस पकड़ा दी.

“अरे भाभी ये साडी सिल्क की है और क्रीम कलर मे है. ये मैने पीछले साल शर्मा अंकल के लड़के की शादी मे खरीद कर पहनी थी. और आप पर तो ये सारी एक दम फिट रहेगी.” अनिता ने ज़ोर दे कर मुझे साडी वापस दी और पहन कर ट्राइ करने को कहा.

rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: तड़पति जवानी

Unread post by rajaarkey » 30 Dec 2014 09:38


मैने साडी ले ली और ब्लाउस को देखने लगी.. वो बॅक ओपन ब्लाउस था. घर पर तो मेरे सारे ब्लाउस ऐसे ही बॅक ओपन टाइप ही थे पर ये गाँव था इस लिए मैने यहाँ के लिए अलग ब्लाउस सिलवाए थे. पर वो सब सूटकेस मे बंद थे. मैने ब्लाउस को हाथ मे लिया और वहाँ से उसे ले कर अपने कमरे मे जाने लगी.

“अरे कहाँ जा रही हो भाभी यही पर ट्राइ कर लो मुझे कोई दिक्कत नही है.” उसने इस अंदाज से कहा जैसे मैं उसे देख कर शर्मा कर वहाँ से अपने कमरे मे जा रही थी.

उसका वो मुस्कुराता चेहरा देख कर मैं अपने कमरे मे जाते जाते रुक गयी. और वही उसके कमरे मे ही अपना ब्लाउस उतार कर उसका दिया हुआ ब्लाउस ट्राइ करने लगी. उसका दिया हुआ ब्लाउस मेरे काफ़ी टाइट था पूरी ताक़त लगाने के बाद भी वो मेरे फिट नही आ रहा था. थक हार कर मैने अनिता को आवाज़ लगा कर उसे बुलाया ताकि उसे दिखा सकु कि उसका दिया हुआ ब्लाउस मेरे ज़रा भी फिट नही आ रहा है…

मेरी आवाज़ सुन कर वो मेरे एक दम नज़दीक आ गयी और मैं उस से कुछ कहती उस से पहले ही वो बोल पड़ी..”भाभी इसमे ब्लाउस की कोई ग़लती नही है आप के दोनो पर्वत ही इतने उँचे उँचे है कि ब्लाउस मे क़ैद हो ही नही रहे है. भैया काफ़ी महनत करते है लगता है इन पर्वतो पर..हहे” कह कर उसने ब्लाउस को आगे से थोड़ा सा खींच कर उसके हुक लगा दिए. ब्लाउस पहनने मे ही मुझे 10-15 मिनट लग गये…

ब्लाउस पहनने के बाद अब मैने पेटिकोट को ले लिया पहनने के लिए. अनिता से टवल ले कर मैने अपने नितंब पर टवल लपेट लिया और अपना पेटिकोट उतार कर अनिता का दिया हुआ पेटिकोट पहन लिया. अनिता का दिया हुआ पेटिकोट मेरे नितंब पर एक दम कस रहा था. उस पेटिकोट को पहन कर ऐसा लग रहा था जैसे मैने कोई स्किन टाइट स्कर्ट पहन ली हो. एक दम कसी कसी. पेटिकोट पहन ने के बाद मुझे नाडा बाँधने की भी ज़रूरत नही थी पूरा का पूरा पेटिकोट मेरे नितंब पर कसा हुआ था.

पेटिकोट पहन कर जब मैने अनिता की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ एक तक देखे जा रही थी. अगर कोई लड़का या आदमी मेरी तरफ इस तरह देखता तो मैं समझ भी सकती थी की वो क्यू देख रहा है पर अनिता क्यू देख रही है… मुझसे रहा नही गया और मैने उस से पूछ ही लिया… “ऐसे क्या देख रही हो किसी को पहले नही देखा क्या ?”

“भाभी जी देखा तो बोहोत सारी औरतो को है पर आप अपने आप को एक बार शीशे मे देख लो आप खुद को देखने से रोक नही पाओगे… काश की मैं लड़का होती तो आज आप को..” कह कर वो मुस्कुरा दी.

उसकी बात सुन कर मुझसे रहा नही गया और मैं शीशे के सामने हो गयी और खुद को देखने लगी जैसे ही शीशे मे मैने खुद को देखा. मेरा मुँह खुला का खुला रह गया. शीशे मे जो मेरी झलक मुझे मिल रही थी वो किसी काम की देवी से कम नही थी. शीशे मे देखने पर मेरे दोनो उरोज मेरे ब्लाउस से झाँकते हुए मेरे गले को छूने की कोसिस कर रहे थे. सांसो के साथ उपर नीचे होते हुए उरोज देख कर मैं खुद ही शर्मा गयी. और नीचे पेटिकोट जो मेरे नितंब पर एक दम कसा हुआ था जिस कारण मेरे नितंब की शेप सॉफ दिखाई दे रही थी.

थोड़ी देर तक खुद को शीशे मे देखने के बाद मैने अनिता से कहा कि “अनिता क्या मुझे तुम्हारे ये कपड़े सही मे पहन ने चाहिए ?”

“अरे भाभी क्या बुराई है इसमे और वैसे भी आप अपने घर पर इसी तरह के कपड़े तो पहनती होगी. ना और वैसे भी आप पर ये साडी बोहोत अच्छी लगेगी और वैसे भी थोड़ी देर के लिए ही तो आप को साडी पहन नी है.” अनिता ने शरारती मुस्कुराहट के साथ कहा.

मैने भी अपने आप को शीशे मे देख कर जोश मे आ गयी थी. और साडी पहन ली. साडी पहन कर जब मैने अनिता से पूछा कि “कैसी लग रही है साडी अनिता ज़्यादा ओल्ड तो नही लग रही है ?”

“भाभी जान आप तो बिजलिया गिराने वाले हो पूरे गाँव पर जो भी आप को देखेगा रात भर सो नही पाएगा. और भैया तो आज आप को नही छ्चोड़ने वाले है. हहहे” उसने फिर से वही शरारती हँसी हंसते हुए कहा.

rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: तड़पति जवानी

Unread post by rajaarkey » 30 Dec 2014 09:39


साडी पहन कर मैं वापस अपने कमरे मे आ कर अपने कपड़े बॅग मे रखे और थोड़ा आराम करने की सोच ही रही थी कि मा जी की आवाज़ आ गयी..

“अरे निशा बेटी…” आवाज़ लगते हुए मम्मी मेरे कमरे मे आ गयी. मैं इस साडी को पहन कर शरमा रही थी. मेरे दिमाग़ मे यही चल रहा था कि पता नही मम्मी क्या सोचेगी कि मैं इस तरह के कपड़े पहनती हू… “अरे बेटा सुन आज गीत संगीत का प्रोग्राम है और बाहर मेहमान भी आ रहे है चल मेरे साथ वहाँ मेहमानो के बीच चल कर बैठ यहाँ अकेले मे क्या करेगी”

मैने सोचा था कि थोड़ी देर आराम कर लू पर “जी मम्मी जी चलिए” मैने अपने कपड़े बॅग मे रखते हुए कहा.

मैं मम्मी के साथ कमरे से बाहर निकली ही थी कि तभी सामने से अमित आता हुआ दिखाई दिया. अमित को देख कर मेरे दिल की धड़कने बढ़ गयी. वो भी मुझे देख कर मुस्कुरा दिया.

“अरे पीनू कहाँ डोल रहा है. अंदर वाले कमरे मे लाइट का इंतज़ाम कर दिया ? पंखे वगेरा सब चल रहे या नही “ मम्मी ने उसे सामने से आता हुआ देख कर टोकते हुए कहा.

वो आगे बढ़ कर मेरे करीब आया और मुस्कुराते हुए मेरे पैर छू कर बोला “नमस्ते भाभी जी गाँव कब आए आप ?” उसकी शकल देख कर मुझे गुस्सा तो बोहोत आ रहा था पर मम्मी के सामने कुछ बोल नही सकती थी. “जी वही इंतज़ाम करने मे लगा हुआ हू. एक दो पंखे और लगाने है बस” अमित ने हसते हुए मम्मी से कहा जिसे सुन कर मम्मी ने कहा “अच्छा चल ठीक है जल्दी जाकर सब काम कर और बिजल्ली भी देख ले रोशनी हो रही है कि नही.” कह कर मम्मी मेरे साथ आगे बढ़ गयी और वो दूसरी तरफ चला गया.

उसके वहाँ से चले जाने से मुझे कुछ शांति मिली वरना मेरा दिल जोरो से घबराए जा रहा था. मैं मम्मी जी के साथ आगन मे आ गयी जहाँ गाने बजाने का प्रोग्राम होना था. घर बड़ा होने की वजह से वहाँ इस सब प्रोग्राम को करने के लिए जगह खूब सारी थी और फिर गाँव मे शादी थी तो मेहमान लोग भी खूब सारे आने थे. थोड़ी ही देर मैं देखते ही देखते खूब सारी औरते जमा हो गयी. मैं भी अपनी उमर की औरते जो रिश्ते मे मेरी भाभी थी उनके साथ बैठ गयी और मम्मी जी वहाँ से किसी काम के चक्कर मे चली गयी.

मैं जिन भाभी वगेरह के साथ बैठी थी वो मुझे देख कर मेरी फिटनेस की तारीफ किए बिना नही रह सकी. तभी उनमे से एक भाभी जो मुझसे उमर मे थोड़ी बड़ी थी बोली “नये मेहमान के आने मे कितना टाइम बाकी है ?” भाभी जी बात सुन कर मैं शरमा गयी “अभी कुछ सोचा नही है” मैने शरमाते हुए लहजे मे धीरे से जवाब दिया.

मेरी बात सुन कर पास मे ही जो एक और भाभी थी वो बोल पड़ी “कुछ सोचा नही नही है तभी इतना सुंदर शरीर बना रखा है, वरना शादी के बाद च्चरहरा शरीर कहाँ रहता है… हहहे”

"अच्छा हुआ हमारे जैसे मरद नही है जो कि एक महीने मे ही सारा फिगर बिगाड़ देते है दबा दबा के लटका देते है" फिर से मुझसे उमर मे बड़ी जो भाभी थी वो बोल पड़ी. उन भाभी जी बात सुन कर सब लोगो की हँसी निकल गयी. गाँव की औरतो की ऐसी बात सुन कर मुझे बोहोत शरम आ रही थी. तभी मेरी नज़र सामने की तरफ गयी जहाँ पर शर्मा अंकल खड़े हुए थे और मेरी तरफ ही देखे जा रहे थे.

थोड़ी ही देर मे वहाँ पर परदा टाइप का कपड़ा लगा दिया गया जिस से कोई भी आदमी अंदर का प्रोग्राम ना देख सके. ये इंतज़ाम देख कर मुझे बोहोत ख़ुसी हुई पर मैं इन कपड़ो मे अपने आप को बोहोत कसा हुआ महसूस कर रही थी.

थोड़ी ही देर मे गाने बजाने का प्रोग्राम शुरू हो गया. बाकी की जो गाँव वाली पुरानी लॅडीस थी वो वही गाँव वाले स्टाइल मे गाने गा रही थी. जिन पर कुछ औरते डॅन्स भी कर रही थी और बाकी की क्लॅप्स कर रही थी. थोड़ी देर उस तरह गाने का प्रोग्राम चलने के बाद. म्यूज़िक सिस्टम ऑन कर दिया गया जिस पर “मेरे हाथो मे नो नो चूड़िया है” गाना चल रहा था फिल्म चाँदनी का. और उस गाने पर सब औरतो के बीचो बीच मे एक लड़की डॅन्स कर रही थी.

उस लड़की का डॅन्स देख कर मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ गये जब मैं कॉलेज मे डॅन्स सीखा करती थी. “ये लड़की अच्छा डॅन्स कर रही है.” मैने अपने पास बैठी भाभी से कहा.

“अरे वो सुजाता है हमारे गाँव मे सबसे अच्छा डॅन्स करती है.” भाभी ने भी उसकी तारीफ करते हुए कहा.

“डॅन्स तो अच्छा कर रही है भाभी जी पर एक्सप्रेशन मे मजेदारी नही आ रही है.” मैने उसकी तारीफ से जलते हुए अंदाज मे कहा.

“ आरीए हां मेने सुना है तुम भी बहुत अच्छा डॅन्स करती हो चलो आज तुम्हारा ही डॅन्स देखते है” भाभी ने मेरी बात को सुन कर कुछ याद करते हुए कहा.

“नही..भी ने मेरी बात को सुन कर कुछ याद करते हुए कहाँ.मजेदारी नही आ रही है."हुआ महसूस कर ..म करने लगी. मेहमान ल नही.. भाभी मैं नही कर सकती. डॅन्स छ्चोड़े हुए मुझे बहुत टाइम हो गया है” मैने उन्हे सॉफ सा इनकार कर दिया और वैसे भी अगर मैं जिस तरह के कपड़े पहने हुए थी उन्हे पहन कर डॅन्स करती तो मेरे शरीर का पूरा फिगर दिखने लग जाता...

“ अब कोई बहाना नही चलेगा और वैसे भी तुम्हारे देवर की शादी है.. अरे सुनो निशा बहुत अच्छा डॅन्स करती है, अब ये डॅन्स करेगी” भाभी जी ने इतने ज़ोर से कहा कि वहाँ मौजूद सभी औरते एक साथ उनकी और मेरी तरफ देखने लग गयी.

“ वो मईएईन.. नो नू वो मी… नही नही…” मेरे मुँह से कुछ कहते ही नही बन रहा था.

तभी वहाँ दो लॅडीस आई और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सब औरतो के बीचो बीच खड़ा कर दिया. अब मेरे पास कोई ऑप्षन ही नही बचा था सिवाए इसके की मैं अब डॅन्स करू. मैने चारो तरफ नज़र घुमा कर वहाँ बैठी औरतो को देखा. वहाँ पर कुछ काम करने वाले लड़के भी थे जो औरतो को चाइ नाश्ता बाँट रहे थे. चारो तरफ नज़र भर देखने के बाद मैने आँख बंद करके डॅन्स करने का फ़ैसला कर लिया.
क्रमशः................

Post Reply