जिस्म की प्यास compleet

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raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 11 Oct 2014 22:47

नारायण अपने सिर को एकता के

स्तनो पे ले गया और अपने दांतो से उसकी कोमल त्वचा को काटने लग गया. एकता के भूरी चुचियाँ को चूसे जा रहा

बड़ा मज़े लेके. अचानक वो रुक गया और उसने रंजना और सिमरन को देखा जोकि बेंच पे बैठी हुई एकता के सामने.

उसने दोनो के गाल पर एक एक तमाचा मारा और ज़ोर से चिल्लाया "सालियो तुम्हे क्या हाथ जोड़के बोलना पड़ेगा??

चलो जल्दी से अपने इस स्कूल के कपड़ो को उतारो और नंगी हो जाओ आज तुम्हे चोद्ने का दिन आ गया है".

ये बोलके वो हँसने लगा और रंजना को गोद में उठाके दूसरी तरफ की टेबल पे रख दिया.

नारायण ने उसकी स्कर्ट उपर करदी और रंजना की गुलाबी पैंटी को देख वो काफ़ी उत्साहित हो गया.

उसने स्कर्ट के अंदर हाथ डाला और गुलाबी पैंटी को उतार के उसकी महक सूंघने लग गया. नारायण ने पैंटी

आशीष के पास फेक दी और अपना ध्यान अब रंजना के 36 इंच मम्मो पे लगा दिया. उसने सारे बटन्स खोले

रंजना की शर्ट के और ब्रा समैत उसको फेक दिया. रंजना के टिट्स का रंग भी हल्का गुलाबी था. नारायण उनको

बड़ी कठोरता से मसल्ने लग गया और फिर अपने दांतो से काटने लग गया. अभी नारायण ने किसी भी लड़की को नीचे

से पूरा नंगा नहीं किया था और उसने सोचा चलो सिमरन को उपर से नंगा कर दिया जाए. उसने सिमरन के पतले बदन की तरफ हाथ बढ़ाया और उसकी कमीज़ के बटन तोड़ दिए. सिमरन की सफेद ब्रा को उसने फाढ़ के एकता के मुँह में दे दिया.

नारायण को सिमरन के स्तन कुच्छ ख़ास पसंद नही आए क्यूंकी वो सिर्फ़ 32इंच के थे मगर उसकी चुचियाँ काफ़ी बड़ी थी.

अब नारायण ने अपने कपड़े उतारे और अपने 6.50 इंच के काले लंड को मसल्ने लग गया. वो सिमरन के हाथ को

लेके अपने काले लंड को मसल्ने लग गया. उसकी छोटी छोटी उंगलिओ का मज़ा नारायण जी भर के ले रहा था. नारायण

ने उसको भी उठाके टेबल पे रख दिया. नारायण अब तीनो के हाथ को अपने लंड को मसलवाने लग गया एक के बाद.

उसकी सिसकिया बहुत दूर तक सुनाई दे सकती थी. नारायण कुच्छ पल के लिए रुका और उसने फिर झट से रंजना की कमर से बेल्ट निकाला और उसकी स्कर्ट को नीचे कर दिया. दूसरे ही पल में उसने सिमरन की स्कर्ट को भी नीचे कर दिया.

अब बारी उसकी सबसे मनपसंद लड़की एकता की थी जैसी ही उसने अपना हाथ बढ़ाया उसे सुनाई दिया

"सर... नारायण सर" और सोचने लगा ये साली बोलने कैसे लग गई??

उसको अब कई लड़कियों की आवाज़ भी सुनाई दी और नारायण की

नींद टूट गयी. उसने एकता को सामने खड़े देख मन ही मन अपने आपको दो गालिया सुनाई.

उसकी नज़ारे झट से एकता की स्कर्ट पे गयी जोकि अभी भी उसने पहेन रखी थी.

"सर स्कूल की छुट्टी हो गयी है.. हम जायें" एकता ने प्यार से नारायण से पूछा.

उसने हां में अपना सिर हिलाया और दुखी होके उठ स्कूल से चला गया.

दिन निकल गया और रात आ गयी.... आज की रात आखरी रात थी डॉली और नारायण की उनके घर पर...

कल रात की ट्रेन से भोपाल जा रहे थे और इस बात का सबको दुख था...

मगर सब से ज़ादा दुख चेतन को था क्यूंकी वो डॉली दीदी से दूर नहीं रहना चाहता था...

डॉली के कहने पर उसने वो रात को भूलने की बहुत कोशिश करी और कुच्छ हद्द तक वो सफल भी रहा मगर

उनके अब कल जाने से उसको रोना आ रहा था... वो किसी भी तरह इस रात को ख़तम नहीं होने देना चाहता था.....

निज़ामुद्दीन स्टेशन पे पहुचने के बाद नारायण और डॉली आसानी से अपनी ट्रेन में बैठ गये....

उनको उपरी और नीचे की साइड बर्थ मिली थी. डॉली ने कहा कि पापा आप उपर सोजाए क्यूंकी उसे ट्रेन में

नींद नही आती है और वो बाहर देख कर वक़्त काट लेगी. वक़्त अपने आप बीतता गया और ट्रेन में एक के

बाद एक लाइट्स बंद होती गयी और अंधेरा छाता गया... रात के कुच्छ 12;30 बाज गये थे और तब जाके ट्रेन

ग्वेलियार पहुचि थी. पूरे डिब्बे में शांति थी जोकि डॉली को कांट रही थी... डॉली कल रात के बारे

में सोचने लग गयी जिस तरह उसके भाई ने उसको कल चोदा था उसमें एक अजब ही मज़ा था...

उसे लग रहा था कि उसने अपने भाई में से एक प्यासा शेर जगा दिया था.... डॉली ने अपने मम्मो को छुआ और

उसके चुचि सख़्त हो गई थी.... शायद ठंड के मारे ये हुआ हो क्यूंकी उसने एक पतली सी चादर ओढ़ रखी थी और

या फिर अपने भाई के साथ गुजारी रात की सोचकर ही उसकी ये हालत हो गयी ... फिर वो अपने मोबाइल पे कुच्छ करने लगी.

उसने यूँही मज़े में ब्लूटूथ डिवाइसस को सर्च किया अपने सेल पे.उसमे 3-4 लोगो के नाम आए और उनमें

से एक का नाम लुवाशिक़ था. उसने ऐसी ही इससे कनेक्षन करने की कोशिश करी और कोड0000 डाल दिया.....

डॉली ने कुच्छ सेकेंड अपने मोबाइल को देख कर और एक मिनट में ही कनेक्षन एस्टॅब्लिश्ड लिखा आ गया.

डॉली हैरान हो गई कि ऐसा कैसा हो सकता है. डॉली का ब्लूटूथ नाम "क्यूट गर्ल" ही था जिससे

लुवाशिक़ को पता ही चल गया था कि ये कोई लड़की ही है.... उसको एक म्‍मस मिला जिसपे आशिक़ ने अपने नंबर देके उसपे

मैसेज करने को कहा. ट्रेन भी अब चलने लगी थी. डॉली ने कफि देर सोचा और बाहर देखने लगी मगर

बोरियत के कारण उसका मन ऊब गया था.... उसको लगा चलो किसी से बात ही हो जाएगी और उसने उस नंबर. पे मैसेज दे दिया

"हाई कौन है आप??" कुच्छ ही सेकेंड में मैसेज आया "मेरा नाम रमेश है 22 साल का हूँ और भोपाल का रहने वाला हूँ आप?? (असली में रमेश नाम का कोई था ही नहीं... मैसेज देने वाले का नाम बंटी था और वो 50 साल का था)

डॉली ने भी अपना नाम नेहा बताया और उमर 22 साल. कुच्छ 3-4 मैसेजस के बाद रमेश ने डॉली से पूछा

"एक बात बोलू बुरा तो नहीं मानेगी आप... आपका फिगर क्या है??

डॉली ने साची साची लिख दिया 34 24 34. बंटी ये पढ़के काफ़ी मचल चुका था. उसको लगा कि लड़की ने इतना बता दिया

है तो आगे भी बहुत कुच्छ बता देगी. बंटी ने लिखा "आप तो एक दम कंचा लगती होंगी... अब तो आपको देखने का

मन कर रहा है"....

डॉली ने इस मैसेज का का कुच्छ जवाब नही दिया और रमेश डर गया था. उसने फिर थोड़ी देर दोस्तो और फ़िल्मो के बारे

में बात की और जब उसे लगा कि लड़की अब लाइन पे आ रही है तब उसने पुछा अभी ब्रा पहनी है?? कौन्से रंग की??

डॉली ये पढ़के शरम के मारे लाल हो गयी..

बिना सोचे समझे उसने लिख दिया "काली ब्रा पहनी हुई है.." रमेश ने लिखा काला तो मेरा पसंदीदा रंग है.

फिर उसने पूछा " नेट वाली है या फिर साधारण वाली" डॉली ने जवाब में "नॉर्मल वाली" लिख दिया

रमेश का अगला सवाल था "तुम क्या रोज़ रात को ब्रा पहने के सो जाती हो?? तकलीफ़ नही होती??? डॉली ने लिखा कि "मुझे ब्रा के साथ कभी नींद ही नही आती."

तो रमेश ने जल्दी से लिखा तो आज कैसे सोओगी?? डॉली फिर से शर्मा गयी.. उसको लग रहा था कि उसका जिस्म इन बातो पे मचलने लगा है. डॉली ने मस्ती में लिखा " वो तुम सोचते रहो कि आज मैं कैसे सोने वाली हूँ."

रमेश ये पढ़के और गरम हो चुका था. उसका सीधा हाथ मैसेज लिखे जा रहा था तो उल्टा हाथ लंड को सहला रहा था...

उसना लिखा कि "तेरा कोई बॉय फ्रेंड है या बना है?" डॉली ने झूट लिख दिया कि नहीं है और अभी तक नहीं बना..

वैसे क्यूँ पुच्छ रहे हो?

रमेश ने बोला "नहीं ऐसी ही पूछा... अगर साची बताया तो तुम बुरा मान जाओगी"डॉली ने लिखा " मैं कभी बुरा नही

मानती और वैसे जब इतनी बात करली तो अब किस बात पे बुरा मानूँगी"

रमेश कुच्छ देर रुका और मैसेज सेंड किया "तो इसका मतलब अभी तक कोई तुम्हे बिस्तर पे लेके नहीं गया?"अब ये पढ़के

डॉली को हल्का सा गीलापन महसूस हुआ उसे कल रात की फिर से याद आगयि.... मगर सच बात तो ये ही थी कि उसके

बिस्तर पर सिर्फ़ उसके पिच्छले बॉय फ्रेंड राज ने ही चोदा था... उसने अपनी जीन्स का बटन खोला और उसके अंदर

हाथ डालके अपने पैंटी को महसूस किया.

डॉली ने लिखा " नहीं. अभी तक ऐसा मौका नहीं आया..तुम्हारी ज़िंदगी में ऐसा मौका आया है क्या?"

रमेश काफ़ी देर सोचके लिखा " मैं सच कहता हूँ मैने अब तक कई लड़कियों और औरतो को चोदा है. और कुच्छ को

कयि बारी उनमें से एक मेरी मामी भी है" ( बंटी पूरा झूठ बोल रहा था)....

उसने फिर लिखा "तुमने अपनी मामी को कैसे पटा लिया"

क्रमशः……………………….

raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 11 Oct 2014 22:48

जिस्म की प्यास--7

गतान्क से आगे……………………………………

रमेश ने कहानी बनाई कि मैं सिर्फ़ 14 साल का था जब मैं अपने मामा के घर रहने गया था और जब भी

मामा काम के लिए जाते थे मेरी मामी मुझे बहला फुसला के कभी डरा के ब्लॅकमेल करती थी...

और कभी तो जब मामा सोते थे तब मेरे रूम में आके चुद्वाती थी. रमेश ने देखा अब उसका बॅलेन्स ख़तम

होने वाला है और वो परेशान हो गया. उसने अगला मैसेज लिखा देखो मैं जानता हूँ तुम मुझसे मिलने

नहीं वाली मगर जब तुम नया नंबर लोगि भोपाल में तो याद से मुझे अपना नंबर सेंड करना. बाइ नेहा...

डॉली ने भी उदास होके मैसेज लिखा "ठीक है कर्दुन्गि... आज तुमसे बात करके अच्च्छा लगा. बाइ!!!

डॉली ने घड़ी देखी कि रात के 3 बज रहे थे. उसने चद्दर अपने मुँह पे डाली और आँख बंद करके सोने लगी.

उसको बस रमेश की बातें रंगीन याद आ रही थी मगर कुच्छ समय के बाद वो गहरी नींद में सो गयी.

जब गाड़ी भोपाल पहुचने लगी तो अपने समान में नारायण ने एक सूटकेस कम पाया...

आस पास देखने के बाद भी वो सूटकेस नहीं मिला... उस बक्से मे डॉली के कपड़े और बाकी ज़रूरी समान था....

डॉली को इस बात से बहुत दुख हो रहा था... ऐसा नहीं था कि उस बक्से में सारे नये कपड़े थे मगर अब

उसके पास सिर्फ़ एक-दो जोड़े कपड़े ही रह गये थे.... उस चोर को डॉली मन में गालिया देने लगी...

नारायण ने डॉली को तस्सली देते हुए कहा कि तुम नये कपड़े ले लेना और ये सुनके डॉली के चेहरे पे हल्की सी

खुशी च्छा गयी... फिर नारायण और डॉली जब स्टेशन के बाहर आए तो एक आदमी उनका इंतजार कर रहा था...

उसके हाथ में एक बोर्ड पे नारायण का नाम लिखा हुआ था. नारायण उसके पास गया और उससे बात करी.

उसने अपना नाम अब्दुल बताया और कहा कि वो उनका ड्राइवर है. अब्दुल ने दोनो का समान स्कॉर्पियो गाड़ी

में डाला और उनको घर ले गया. नारायण शहर से काफ़ी परिचित था मगर फिर भी इतने सालो

से यहाँ आया नहीं था. उसे भोपाल काफ़ी अलग लगा मगर उसकी नयी गाड़ी जो स्कूल की तरफ से उसे मिली थी वो

काफ़ी नयी थी... नारायण ने अब्दुल को बक्से के खोने के बारे में बताया और उसे शाम को

मार्केट ले जाना के लिए बोल दिया... कुच्छ देर बाद जब गाड़ी उल्टे एक गली में मूड के रुकी...

उस गली में बहुत सारी कोठिया बनी हुई थी... अब्दुल ने नारायण और डॉली को उनका नया घर दिखाया...

डॉली ने सोचा था कि उन्हे एक फ्लॅट मिलेगा मगर वो पूरी कोठी देख कर दंग रह गयी. कोठी बाहर से काफ़ी बड़ी

लग रही और वहाँ एक छोटा सा गार्डेन भी था. जब वो अंदर गये तो घर पूरी तरह से सॉफ और फर्निश्ड था.

घर में 3 बड़े कमरे थे 2 बाथरूम किचन और ड्रवोयिंग रूम था. अब्दुल समान रखके गाड़ी लेगया.

नारायण और डॉली इस घर को देख कर काफ़ी खुश हुए. नारायण और डॉली ने अपना अपना समान अपने

पसंदीदा कमरो में रख दिया. दोनो कमरो में टाय्लेट भी थे तो किसी को कोई तकलीफ़ भी नहीं थी. दिक्कत यही थी

कि डॉली का रूम ड्रॉयिंग रूम के साथ लगा हुआ था और नारायण का उसके दूसरी ओर था.

डॉली ने नारायण को बोला "पापा मैं नहाने जा रही हूँ आप भी फ्रेश हो जाइए फिर नाश्ते का सोचते है" नारायण ने कहा "मैं पहले अपना समान रख लू फिर नहा लूँगा."

ये सुनके डॉली अपने कमरे में गयी और उसे अंदर से बंद कर लिया और अपने कमरे की खिड़की पे परदा खीच दिया.

उसके कमरे की अलमारी में बहुत बड़ा शीशा था और उसमें देखक उसने अपनी हरी टी शर्ट को उतारा और

साथ ही में अपनी नीली जीन्स उतारी. फिर उसने अपना ब्रा का हुक खोला और अपनी काली पैंटी उतार दी. डॉली के लंबे

बाल उसके स्तनो को ढक रहे थे. वो नीचे झुकके अपने सूट केस में से कपड़े निकालने लगी. उसने पीला

सलवार कुरती निकाला और उसके सफेद ब्रा पैंटी. जैसे ही वो उठने लगी उसने बड़े से शीशे में अपने हिलते हुए स्तनो

और हल्की गुलाबी चूत को देखा. 2 सेकेंड के लिए वो रुक गयी और फिर नहाने चली गयी. जैसे ही उसने शवर

खोला तो ठंडा पानी तेज़ी से उसके बदन पे गिरने लगा. वो अपने बदन पे हाथ फेरने लगी. उसे ठंडा पानी इतना

अच्छा लगा इतने लंबे सफ़र के बाद. उसने अपने बदन पे साबुन लगाया और उसको सॉफ करके अपने बदन को पौछ लिया.

डॉली बाथरूम के बाहर आ गयी और फिरसे अपने नंगे बदन को शीशे में देखने लगी. उसने फिर कपड़े पहने और अपने कमरे का दरवाज़ा खोल दिया. उसको ध्यान आया कि उसके गंदे कपड़े सूट केस के उपर पड़े हुए है. उसने वो

उठाया और बाथरूम में टाँग दिए. उसने पहले अपनी काली ब्रा और पैंटी टांगी और फिर उसने उपर अपनी जीन्स और टी शर्ट.

ये काम करके वो बाहर निकली अपने बालो को तौलिए से सुखाते हुए. "पापा आप अभी भी गये नहीं....

जल्दी जाओ नहा के आओ मुझे प्यास लग रही है." नारायण उठा और अपने बाथरूम में नहाने चला गया.

थोड़ी देर के बाद दरवाज़े पे नॉक हुआ और डॉली ने दरवाज़ा खोल दिया. वहाँ एक लगभग 30 साल का लंबा

हटता खट्टा आदमी खड़ा था हाथो में गुलदस्ता लिए. डॉली ने पूछा "जी आप कौन" आदमी ने कहा "जी मेरा नाम

सुधीर है मैं नारायण सर से मिलने आया हूँ. पीछे से अब्दुल आया कुच्छ समान लेके और बोला

"छोटी मेमसाब ये सुधीर साब है स्कूल से आए है आपके पापा का स्वागत करने". सुधीर और अब्दुल ने

डॉली के हाथ में तौलिया देखा और समझ गये कि अभी ये नहा के निकली है. डॉली ने दोनो को अंदर बुला के

बिठाया और बोली "अभी पापा तो नहा रहे है वो थोड़ी में निकलने वाले होंगे."

"कोई नहीं हम इतनेज़ार करलेंगे आप ये अब्दुल के हाथ से नाश्ता ले ले लीजिए". डॉली का चेहरे पे नाश्ता सुनते

ही मुस्कान आ गयी और वो उसे लेके किचन ले गयी. कुच्छ ही देर में सुधीर किचन में आया और डॉली

को खाना निकालते देख खड़ा हो गया. डॉली एक दम से पलटी और डर गयी.

सुधीर ने कहा "सॉरी मैने आपको डरा दिया मुझे आक्च्युयली बाथरूम यूज़ करना था". डॉली मुस्कुराते हुए बोली "जी कोई नहीं". डॉली सुधीर को अपने कमरे के बाथरूम लेगयि और

शर्मिंदा होके बोली "सॉरी थोड़ा गीला है बाथरूम" सुधीर मुस्कुरकर अंदर चले गया.

डॉली वापस किचन चली गई और उसे एक दम से अपने गंदे कपड़े याद आए जो टाय्लेट के दरवाज़े पे

टाँगे हुए थे. सुधीर ने अपनी ज़िप खोली और पिशाब करने लग गया. पिशाब करते हुए उसने टाय्लेट के चारो

ओर देखा. दरवाज़े की तरफ कपड़े टँगे हुए देख के वो मचल गया. जैसे पिशाब आनी बंद हुई

उसने अपने हाथ से डॉली की जीन्स और टी-शर्ट को छुआ और हल्के से हटाने पे उसे एक काला स्ट्रॅप सा दिखा.

जब उसने कपड़े निकाले तो उसने काली ब्रा और पैंटी देखी. उन्हे देख के ही वो सूँगने लग गया.

एक महकती पसीने की खुश्बू आ रही थी. डॉली की पैंटी अभी भी हल्की सी नम थी. सुधीर ने ब्रा और पैंटी को

थोड़े समय अपने काले लंड पे रगड़ा. जब उसे लगा वक़्त ज़्यादा हो गया तो उसने कपड़े वैसे ही टाँग दिए

और टाय्लेट से निकला. जब वो कमरे के बाहर आया तो उसने नारायण को देखा और हाथ मिलाने चला गया. नारायण और उसने काफ़ी देर बात करी स्कूल भोपाल और इस घर के बारे में. सुधीर ने कहा सर अगर आप चाहे तो स्कूल

को अभी देख सकते है. नारायण ने भी ठीक समझा और तीनो निकलने लगे. नारायण ने डॉली को कहा

कि वो खाना आके ख़ालेगा. जब ये तीनो चले गये तो डॉली ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया और सीधा

अपने टाय्लेट में गयी. कपड़े उसी जगह टँगे हुए थे.. उसको लगा कि वो खमखा ज़्यादा सोच रही थी. शाम के कुच्छ 5 बजे थे नारायण ने डॉली को फोन करके कहा कि वो सुधीर जी के साथ है अभी तो वो

नहीं जा पाएगा मार्केट... फिर उसने कहा कि मैने अब्दुल को भेज दिया है वो तुम्हे ले जाएगा गाड़ी में और

वापस छोड़ भी देगा तुम जल्दी से तैयार हो जाओ.... डॉली के पास सिर्फ़ एक लाल टॉप और एक सफेद स्कर्ट थी पहेन्ने

को तो उसने वोई पहेन लिया.... लाल टॉप उसके कंधो को ढक रहा था और उसकी लंबाई भी ठीक ठाक थी...

उसके घुटने उस सफेद स्कर्ट की लंबाई की वजह से ढके हुए थे... उसने नीचे एक सफेद हील वाली सॅंडल

पहेन ली थी... .. अच्छे से बाल को कंघी करके और उनको क्लिप से बाँध वो अब्दुल का इंतजार करने लगी....

काफ़ी देर हो गयी थी और अब्दुल का कोई पता नहीं था.. मोबाइल भी ऑफ था और इस बात से उसको गुस्सा आ रहा था...

फिर तकरीबन 5:45 घर की घंटी बजी और डॉली सोफे से उठ कर दरवाज़ा खोलने गयी... अब्दुल वहाँ खड़ा हुआ था

और डॉली को देखकर ही उसे माफी माँगने लगा... डॉली ने उसको कुच्छ नहीं बोला और अपना पर्स लेके

स्कॉर्पियो की बीच वाली सीट पे बैठ गयी... अब्दुल भी गाड़ी में बैठा और गाड़ी चलाने लगा...

अब्दुल दिखने में मान लीजिए राजपाल यादव जैसे था लेकिन उम्र में उसके पापा के जितना ही शायद उनसे 2-3 साल

बड़ा भी हो सकता था... कपड़ो में सदाहरण शर्ट पॅंट पहेनता था मगर तमीज़दार लगता था....

डॉली अंदर ही अंदर खुश हो रही थी कि वो स्कॉर्पियो गाड़ी में एक मालकिन की तरह बैठी हुई थी....

अब्दुल बीच बीच में उसको जगहो के बारे में बता रहा था जिसे वो बड़ी गौर से सुन रही थी...

कुच्छ आधे घंटे के बाद अब्दुल ने गाड़ी रोकदी... अब्दुल ने डॉली को बताया कि ये यहाँ की न्यू मार्केट है आपको

यहा पर काफ़ी कुच्छ मिल जाएगा.... डॉली को लगा कि अब्दुल जी को तंग करना ठीक नहीं रहेगा तो वो अपने

आप ही चली जाएगी....

डॉली गाड़ी से उतरी और मार्केट के अंदर घुसी... मार्केट में ठीक ठाक भीड़ थी तो डॉली सम्भल

सम्भल के दुकाने देखने लगी... बीच बीच में किसी से कंधे टकरा रहे थे या हाथो से हाथ च्छू रहा

था मगर डॉली ने उन बातो पे ज़्यादा ध्यान नहीं दिया... जैसे कि आप लोग जानते हो कि लड़कियों को अकेला

मार्केट में छोड़ दो तो उन्हे वहाँ से निकालना मुश्किल हो जाता है तो वोही हाल डॉली का भी था... वो 3 दुकान

में जाके एक चीज़ ले रही थी... समय ज़्यादा होने की वजह से उसके पास अब्दुल के 1-2 बारी कॉल भी आ गया था...

कुच्छ 8:30 बज गये थे और भीड़ अब कम होने लगी थी... डॉली ने काफ़ी समान खरीदलिया था जिसको अब

वो ज़्यादा देर तक पकड़के घूमने नहीं वाली थी तो उसने अब्दुल को कॉल करके मार्केट के अंदर बुलाया...

अब्दुल से मिलके उसने सारा समान उसको पकड़ा दिया और उसे आधा घंटा और माँग लिया...

अब्दुल ने उसको बताया की 9:15 के बाद मार्केट बंद होजाएगी तो आप जल्दी करिए गा... डॉली ने उसकी बात को सुनके

भी अनसुना कर दिया... अब वो खाली हाथ थी और सबसे ज़रूरत मंद चीज़ तो उसने ली नहीं थी...

फिर वो एक स्टोर के अंदर गयी जोकि ठीक ठाक लग रहा था... स्टोर का नाम गुप्ता आंड सोंस था...

अंदर जाते ही उसको एक सेल्समन दिखा जो डॉली को देख कर ही बोला "आइए मेडम क्या दिखाऊ आपको... टॉप्स? स्कर्ट?जीन्स?

डॉली ने उसकी बात को बीच में काटते हुए धीमी आवाज़ में कहा "मुझे इन्नर वेर चाहिए...'

वो सेल्समन मुस्कुराते हुए बोला "मॅम उसके लिए आपको उपर जाना पड़ेगा...."

डॉली ने फिर छ्होटी छ्होटी सीडीओ को देखा और उनपे सम्भल संभलके उपर जाने लगी...

उसे डर लग रहा कि कहीं वो गिर ना जाए... उधर वो सेल्समन डॉली की लहराती हुई स्कर्ट को देख रहा था...

सेल्समन डॉली की हिल्लती हुई गान्ड को देखकर अपने लंड को मसल्ने लगा... जब डॉली उपर पहुचि तो वहाँ

एक 35-40 साल का आदमी खड़ा था... शकल से वो काफ़ी कमीना सा लग रहा था... वो वाला फ्लोर लड़कियों/औरतो

के इननेरवेार से भरा था... काई लड़कियों के पोस्टर लगे हुए थे अलग अलग ब्रा और पैंटी में....

डॉली को देखते वो आदमी बोला "जी मेडम क्या देखना चाहेंगी आप'

डॉली ने बोला "मुझे इननेरवेार देखने थे"

सेल्समन " ब्रा और पैंटी दोनो दिखाऊ"

डॉली बोली " जी दोनो ही..."

सेल्समन ने डॉली के स्तन का आकार देख कर ही अनुमान लगा लिया था कि उसका साइज़ क्या होगा मगर फिर भी उसने

डॉली से पूछा

डॉली ने बोला "34 बी"

डॉली को देखकर वो समझ गया था कि ये मेह्न्गि पार्टी है तो वो थोड़े महँगा इंपोर्टेड ब्रास दिखाने लग गया....

काफ़ी तरीके की क्वालिटी थी वहाँ और कंपनी सिर्फ़ एक ही थी "फ्लॉरल"... इतनी सारी ब्रास को देखकर डॉली का दिमाग़

ही नही चल रहा था... कुच्छ सेमी ट्रॅन्स्परेंट वाली थी कुच्छ स्पोर्ट्स ब्रा थी कुच्छ बिना स्ट्रॅप वाली.....

डॉली को थोड़ा कन्फ्यूज़ देख कर सेल्समन बोला "मेडम आप चाहे तो चेंजिंग रूम में ट्राइ कर सकती है...

इश्स कंपनी की सबसे अच्छी बात ये है कि हर हर माल का साइज़ सेम होता है... अगर 34 लिखा है तो उतना ही होगा..... "

सेल्समन के कहने पर डॉली ने सारी तरीके की ब्रा उठाके ट्राइयल रूम के बारे में पुच्छने लगी....

उस आदमी ने उसे इशारे करते हुए उल्टे हाथ की तरफ जाने के लिए कहा.... ट्राइयल रूम में एक बहुत बड़ा

शीशा लगा हुआ था जिसको देख कर डॉली खुश हो गयी थी... उसने दरवाज़े को बंद कर्दिआ और अपनी टी-शर्ट

उतारके दरवाज़े के हुक पे टाँग दी.... अपनी पीट की तरफ हाथ लेजा कर उसने ब्रा खोलदी और उतारके साइड में

पड़े स्टूल पे रख दी.... डॉली ने अपने आपको शीशे में अधनग्न देखा... उस दुकान में एसी की

वजह से काफ़ी ठंढक थी और जैसी ही डॉली ने अपनी ब्रा उतारी तो उसके रॉगट खड़े हो गये....

उसने नज़र शीशे पे डाली तो उसके चुचियाँ भी काफ़ी सख़्त हो गयी थी... उसने फिर एक काली रंग की स्पोर्टा ब्रा

उठाई और उसको पहेंके शीशे में देखने लगी... वो ब्रा उसको पूरी तरह से फिट हो गयी थी...

उसके मम्मे उसमें पूरी तरह शूरक्षित महसूस कर रहे थे.... फिर उसे उतारने के बाद उसने एक नॉर्मल

वाली सफेद ब्रा पेहेन्के देखी तो वो भी उसके स्तन को अच्छी तरह से ढक रहे थे.... उस ब्रा में नीचे

की तरफ वाइयर लगी हुई थी जैसे की डॉली की अभी वाली ब्रा थी....

फिर उसने आखरी तर्कीके की ब्रा उठाई जिसमे एक गुलाबी रंग सेमी ट्रॅन्स्परेंट लेसी ब्रा उठाई और उसे पहने लिया...

उसको पहनने में उसे थोड़ी सी दिक्कत हुई मगर जब उसने सारे हुक्स लगा दिए तो शीशे में खड़े देखा

उसके स्तन काफ़ी बड़े और गोल लग रहे थे.... सबसे अच्छी बात उसकी ये थी कि वो अच्छा नज़ारा दिखाकर भी चुचियाँ

को छुपा रही थी... ऐसा ब्रा डॉली ने आज तक नहीं पहनी और इस्पे उसका दिल आ गया था... आख़िर में उसने

एक आखरी ब्रा उठाके पहनी जो पूरी तरह से उसे फिट नहीं हो रही थी... डॉली का अब वापिस कपड़े पेहेन्के बाहर

जाके बताने में आलस आ रहा था तो उसने वहीं से उस सेल्समन को बोला जोकि अपने लंड को सहला रहा था

डॉली के बारे में सोचके जोकि उसे कुच्छ कदम दूर नंगी खड़ी थी..."भैया ये सफेद रंग की ब्रा थी ना जिसपे सफेद

डॉट्स से वो फिट नही हो रही है इसका बड़ा वाला साइज़ दो"

सेल्समन बोला "मेडम वो पुश अप वाली ब्रा है आपको अपनी ब्रेस्ट उपर करके पहन्नी पड़ेगी" डॉली के सामने

ना खड़े रहने का उसने पूरा फ़ायदा उठाया और डॉली ये सुनके भी काफ़ी हैरान थी... खैर उसने जैसे तैसे करके

उस ब्रा के हुक लगा दिया मगर फिर उसे अजीब सा दर्द होने लगा..... उसने अपना हाथो से अपनी अपने

मम्मो को ठीक करा... उसकी ठंडी उंगलिया उसकी चुचियाँ को जैसे छुई वो एक दम से हिल गयी...

वो हल्के से एहसास में ही वो गरम हो गयी थी.... उसने शीशे में देखा कि उस ब्रा में स्तन का उपरी हिस्सा

सॉफ दिख रहा था...

उस सेल्समन ने जान के पूछा "मॅम हुक लग गये आपसे??" डॉली को उस सेल्समन की आवाज़ अब थोड़ी पास से सुनाई दी..

उसे लगा कि वो ट्राइयल रूम के बाहर खड़ा ही पुच्छ रहा है... डॉली ने जैसे ही हाँ कहा उस सेल्समन ने फिर कहा

"मॅम आप पैंटी भी ट्राइ करेंगी?? अभी अभी फ्रेश पीस आए है..."

डॉली को पैंटी तो लेनी ही थी तो उसने बोला "अच्छा मैं देखने आती हूँ"

सेल्समन ने बोला "माँ मैं आपको पकड़ा देता हूँ आप खमखा कष्ट करेंगी बाहर निकलने का... मुझे बस 2 मिनट दीजिए"

क्रमशः……………………….

raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 11 Oct 2014 22:49

जिस्म की प्यास--8

गतान्क से आगे……………………………………

डॉली अपने आपको शीशे में निहारने लगी.. उस पुश अप ब्रा मेवो काफ़ी हसीन लग रही थी...

अपने बालो को खोलके वो उंगलिओ के नाख़ून अपने स्तन के उपरी हिस्से पे चलाने लगी... वो थर्कि सेल्समन उन पैंटी को अपने लंड से लपेट तो नहीं सकता था मगर उनको अच्छी तरह महसूस करकर वो ट्राइयल रूम की तरफ बढ़ा....

सेल्समन चाहता तो था कि वो डॉली को पॅंटीस अपने हाथो से पकड़ाए मगर उपर से फेंकने में ही भलाई थी...

जैसे ही उसने 'मॅम' बोला तो डॉली ने अपने आप ही ट्राइयल रूम का दरवाज़ा खोला और अपना हाथ आगे बढ़ाया...

सेल्समन के चेहरे पे एक लंबी मुस्कुराहट थी... उसने डॉली के हाथ को छुते हुए उसे पॅंटीस थमा

दी और वहाँ से थोड़ा दूर खड़ा हो गया... डॉली ने सबको स्टूल पे रखा और अपनी सफेद स्कर्ट को नीचे उतारा...

. अब वो सिर्फ़ एक पुश अप ब्रा और पैंटी में खड़ी हुई वी थी... उसने अपनी पैंटी को नीचे करा और उसे टाँगो

से निकालने के झुकी तो उसने पुश ब्रा की वजह से बनता हुआ क्लीवेज देखा.... वो अपने आपको वैसे

देखकर थोड़ा शर्मा गयी.... उसकी चूत पर बाल अब ज़्यादा बढ़ गये थे जिनपे खुजली होने लगी...

1 सेकेंड अच्छी तरह खुजाने के बाद उसने पहली पैंटी ट्राइ करी जो उसके नितंभ को पूरी तरह धक रही थी....

वो थोड़ा शर्मा गयी ये सोचके कि उस सेल्समन ने कितनी अच्छी तरह से उसके नितंबो को देखा होगा जो एकदम

सही पैंटी लाके दी....दूसरी पैंटी थोड़ी टाइट थी जिसको पहने की वजह से उसके नितंब थोड़े से दिख रहे थे...

मगर जब उसने अगली पैंटी उठाई तो उन्हे देख कर वो थोड़ा सा हैरान हो गई... उस सेल्समन ने उसे एक काले रंग का

थोन्ग पहनने को दिया था.... डॉली ने मस्ती में उसे पहना और मूड कर अपने नितंब को देखने लगी...

वो काफ़ी उत्साहित हो गयी थी अपनी गान्ड को छुके... हल्के से जब उसने नीचे हिस्से को दबाया तो वो शर्मा गयी.....

वो सेल्समन को समझ आ गया था कि मेडम ने उस थोन्द को भी पहेन ही लिया होगा.... फिर भी उसने पूछा

"मेडम सारी फिट हो रही है ना..." डॉली ने धीमे से हां कहा... फिर उसने अपनी ब्रा आंड पैंटी वापस पेहेन्के

अपने कपड़े पहने और वहाँ से बाहर निकली.... सेल्समन के चेहरे की गंदी मुस्कुराहट देखकर उसे थोड़ा अजीब सा लगा....

खैर फिर उसने सारे ब्रा/पैंटी में अलग अलग रंग ले लिया... आख़िर में उस सेल्समन ने खुद पूछा

(जैसा कि वो चाहती थी) मॅम इसका (थोन्ग) का क्या करू??

डॉली को बहुत चाह थी वो लेने की मगर उसने अभी उसे रहने दिया और वहाँ पैसे देके चली गयी...

उस सेल्समन से रहा नहीं गया और उस थोन्ग को सुंगते सुंगते जिसमें डॉली की खुश्बू बेहद आ रही थी

तकरीबन 10 मिनट तक मूठ मारा....

डॉली ने गाड़ी में बैठके अब्दुल से कयि बारी माफी माँगी और अब्दुल ने भी उसको माफ़ कर्दिआ... कुच्छ 9:30 बजे तक वो पहुच गयी और अपने पापा के साथ खाना ख़ाके जल्दी सो गयी...

उधर दिल्ली में काफ़ी बदलाव आ गया था... शन्नो अब अकेली बिस्तर पर रहती थी अपनी तन्हाइओ में.. उसे सबसे

ज़्यादा दुख इस बात का था कि नारायण के जाने से पहले वो उसे चुदि नहीं.... नारायण के लाख बारी कोशिश करने पर

भी उसने अपने पैर पर कुलहारी मार ली.... ललिता ने अब डॉली का कमरा ले लिया था और वो काफ़ी खुश थी कि आख़िर

कार उसके पास उसका खुद का कमरा है जिसको वो जैसे सजाना चाहे सज़ा सकती है... चेतन के पास भी अब एक पूरा

कमरा आ गया था... मगर दोनो की ज़िंदगी में अधूरापन था... चेतन डॉली के साथ बिताए हुए वो

हसीन पल को भूल नहीं पा रहा था... उनको सोचकर ही उसका लंड खड़ा होने लगता और वो आँखें बंद करके

डॉली को याद करके मूठ मारता... ललिता को चेतन और डॉली के बारे में पता चल गया था...

और ये ख्यालात उसके दिमाग़ में चलता था अब सिर्फ़ वो ही है पूरी दुनिया में जो इतनी साल की होने के बाद भी

चुद्ने का मज़ा नहीं ले पाई.... ललिता को चेतन में कोई दिलचस्पी नहीं थी... उसे वो बिल्कुल भी अच्च्छा नहीं लगता

था और वैसे बात ये थी कि अपने भाई के साथ वो हमबिस्तर नही होना चाहती थी मगर उसकी जिस्म की प्यास

मिटने का नाम ही नहीं ले रही थी...

कुच्छ दिन तक सबकी ज़िंदगी रूखी सूखी चलती रही... फिर एक दिन चेतन ने शन्नो से कहा: मम्मी ऐसा हो सकता है

की कुच्छ दिनो के लिए चंदर यहाँ रहने आ जाए. उसके नाना की तबीयत बहुत बिगड़ी हुई है तो उसके मा बाप

उन्हे देखने ओरिसा जाने वाले है. शन्नो ने कुच्छ देर सोचा और फिर चंदर को घर पे रुकने क लिए इजाज़त देदि.

वो जानती थी चंदर एक अच्छे और अमीर घर का लड़का है और उसकी वजह से ही उसका बेटा स्कूल जाने लग गया है.

शन्नो ने चंदर की मा से बात करके उनको भरोसा दिलाया कि चंदर हमारे साथ बिना किसी परेशानी

से रहेगा और आप बिना चिंता करें ओरिसा जाइए. चंदर काफ़ी खूबसूरत लड़का था और चेतन का

सबसे अच्च्छा दोस्त भी. लंबा कद मज़बूत शरीर और सॉफ गोरा चेहरा की वजह से काई लड़किया उसपे मन ही

मन मरती थी. ललिता चंदर से काई बारी मिली है मगर चंदर कभी भी उसके साथ खुल नहीं पाता था और

यही चंदर की सबसे खराब बात थी. अगर वो चाहता अब तक कयि लड़कियों को पटा सकता था मगर

उसके अंदर हिम्मत नहीं थी. वो मन ही मन लड़कियों के बारे में सोचके मज़े लेता था.

उधर भोपाल में सुबह स्कूल जाने से पहले नारायण ने डॉली को बताया कि 3 दिन में हमारे स्कूल में डिन्नर

रखा गया है हमारे लिए..... स्कूल के सारे लोग अपनी फॅमिली के साथ आ रहे है....

नारायण ने कहा मैं चाहता हूँ कि मेरी बेटी आए और मेरे साथ रहे. ये बोलके नारायण स्कूल के लिए चला गया..... उस दोपेहर दिल्ली में जब ललिता स्कूल से घर आई तो उसने घर की बेल बजाई और घर का दरवाज़ा

चंदर ने खोला. ललिता 2 सेकेंड के लिए कुच्छ बोल नहीं पाई बस चंदर को देखने लगी और वोही हाल

चंदर का भी था. "चंदर तुम यहाँ कैसे आ गये" ललिता ने मुस्कुराते हुए पूछा..

चेतन आया और उसने बोला " आपको बताना भूल गया था... चंदर यहीं रहेगा कुच्छ दिनो के लिए

हमारे साथ क्यूंकी इसके पापा मम्मी ओरिसा गये हुए है"....

ये सुनके ललिता के चेहरे पे मुस्कान आ गयी... फिर सबने साथ में बैठके लंच किया.

चंदर और ललिता आमने सामने बैठे हुए थे और ललिता के चेहरे पे शरारत से भरी हुई मुस्कान

रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. खाना खाने के बाद वो अपने कमरे में चली गयी और

उसे बंद कर लिया. वो सोचने लगी कि अब चंदर घर पे है तो ज़रूर ये दोनो स्कूल नहीं जाएँगे तो

इसका मतलब मुझे भी छुट्टी लेने का प्लान बनाना पड़ेगा. ये सोचते सोचते ललिता बिस्तर पे जाके सो गयी.

जब शाम हो गयी तो उसको दरवाज़े पर खटखटाने की आवाज़ आई. वो अपनी नींद की भरी हुई

आँखों में उठी और दरवाज़ा खोला.

चेतन ने मज़ाक में बोला "क्या अफ़ीम ख़ाके सो जाती हो आप" ये सुनके ललिता हँसने लग गयी...

फिर चेतन ने कहा "सुनो मैं और चंदर बाहर जा रहे है आपको कुच्छ चाहिए तो नही ललिता ने मना कर दिया.

कुच्छ देर बाद जब वो अपने मम्मी के कमरे में गयी तो शन्नो ने बोला "ललिता बेटा क्या कर रखा है

ये तूने. मैने तुझे दोपेहर में बोला था ना के वॉशिंग मशीन ऑन कर दिओ"

ललिता ने माफी माँगते हुए कहा "ओह्ह भूल गयी थी मम्मी"

शन्नो बोली "भूल गयी थी की बच्ची कल क्या पहेन के जाएगी अगर कपड़े ही ना धुले हुए हो" ललिता मज़ाक में बोली

"कोई बात नहीं कल में बिना कपड़ो के चली जाउन्गि ना."

हॉ गंदी लड़की शन्नो ने ललिता के कंधे पे हल्के से मारते हुए कहा. फिर शन्नो ने कहा

"अच्च्छा सुन अपना कमरे को अंदर से बंद करके ना सोया कर सिर्फ़ भेड़ दिया कर". ललिता ने पूछा क्यूँ.

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