मेरी पत्नी मिन्नी और डोली भाभी

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
User avatar
sexy
Platinum Member
Posts: 4069
Joined: 30 Jul 2015 19:39

Re: मेरी पत्नी मिन्नी और डोली भाभी

Unread post by sexy » 25 Jul 2015 11:14

तभी कमरे के बाहर से डोली भाभी की आवाज़ आयी- “राज़, क्या हुआ? मिन्नी इतना क्यों चिल्ला रही है?”

मैंने कहा- “मैं अपना औज़ार अंदर घुसा रहा था लेकिन ये मुझे घुसाने ही नहीं दे रही है। बहुत चिल्ला रही है…”

डोली भाभी ने कहा- “तुम दोनों बाहर आ जाओ। मैं मिन्नी को समझा देती हूँ…”

मैंने लुंगी पहन ली और मिन्नी से कहा- “बाहर चलो। डोली भाभी बुला रही है…”

वो उठना चाहती थी लेकिन उठ नहीं पा रही थी। मैंने उसे सहारा देकर खड़ा किया। उसने केवल अपनी साड़ी बदन पर लपेट ली। मैं उसे सहारा देकर बाहर ले आया क्योंकी वो दर्द के मारे ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। साथ ही उसे ऊँची एंड़ी के सैंडल पहनने की आदत भी नहीं थी।

डोली भाभी ने मिन्नी से पूछा- “इतना क्यों चिल्ला रही थी?”

वो रोते हुए डोली भाभी से कहने लगी- “ये अपना औज़ार मेरे छेद में घुसा रहे थे इसलिये मुझे बहुत दर्द हो रहा था…”

डोली भाभी ने कहा- “पहली-पहली बार दर्द तो होगा ही। सभी औरतों को होता है। ये कोई नयी बात थोड़े ही है…” डोली भाभी ने मुझसे कहा- “मैंने तुझसे कहा था ना की तेल लगाकर धीरे-धीरे घुसाना…”

मैंने कहा- “मैं तेल लगाकर धीरे-धीरे ही घुसाने की कोशिश कर रहा था। जैसे ही मैंने थोड़ा सा जोर लगाया और मेरे औज़ार का टोपा ही इसके छेद में घुसा कि ये जोर-जोर से चिल्लाने लगी। इसके चिल्लाने से मैं डर गया और मैंने अपना औज़ार बाहर निकाल लिया। उसके बाद मैंने इसे समझाया तो ये राज़ी हो गयी। मैंने फिर से कोशिश की तो ये फिर जोर-जोर से चिल्लाने लगी और मेरा औज़ार केवल जरा सा ही अंदर घुस पाया। तभी आपने हम दोनों को बुलाया और हम बाहर आ गये…”

डोली भाभी ने कहा- “इसका मतलब तुमने अभी तक कुछ भी नहीं किया?”

मैंने कहा- “बिल्कुल नहीं… तुम चाहो तो मिन्नी से पूछ लो…”

डोली भाभी ने मिन्नी से पूछा- “क्या ये सही कह रहा है?”

उसने अपना सिर हाँ में हिला दिया। डोली भाभी ने मिन्नी से कहा- “तुम कमरे में जाओ। मैं इसे समझा बुझाकर भेजती हूँ…”

मिन्नी कमरे में चली गयी। मैंने देखा कि डोली भाभी की आँखें नशे में लाल सी थीं और उन्होंने अभी तक अपने कपड़े नहीं बदले थे। उन्होंने मुझे समझाते हुए कहा- “इस बार बहुत ही धीरे-धीरे घुसाना नहीं तो मैं बहुत मारूँगी…”

मैंने कहा- “मैं तो बहुत धीरे-धीरे ही घुसा रहा था लेकिन इसका छेद भी बहुत तो छोटा है…”

डोली भाभी ने कहा- “फिर तो ऐसे काम नहीं बनेगा। तुम इसके साथ थोड़ी सी जबरदस्ती करना लेकिन ज्यादा जबरदस्ती मत करना। ये अभी 18 साल की है। इसलिये इसे ज्यादा दिक्कत हो रही है…”

मैंने कहा- “ठीक है…”

इतना कहकर डोली भाभी मुश्कुराने लगी। मैं कमरे में आ गया और मैंने अपनी लुंगी उतार दी। मैंने मिन्नी से अपनी साड़ी उतारने को कहा तो उसने इस बार खुद ही अपनी साड़ी उतार दी। साड़ी उतारने के बाद मिन्नी खुद ही बेड पर सैंडल पहने हुए पेट के बल लेट गयी। मैंने अपने लण्ड पर ढेर सारा तेल लगाया और उसके ऊपर आ गया। उसके बाद मैंने जैसे ही अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी गाण्ड के छेद पर रखा तो उसने अपना मुँह दबा लिया। उसके बाद मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो इस बार वो ज्यादा जोर से नहीं चीखी।

मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी गाण्ड में घुस गया। मैंने अपने लण्ड के सुपाड़े को उसकी गाण्ड में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया तो वो आहें भरने लगी। थोड़ी देर के बाद जैसे ही मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो उसने जोर की आह भरी और मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में दो इंच तक घुस गया। मैंने थोड़ा जोर और लगाया तो वो जोर-जोर से चिल्लाने और रोने लगी। मेरा लण्ड बहुत मोटा था ही। अब तक उसकी गाण्ड में तीन इंच ही घुस पाया था। मैं रुक गया लेकिन वो दर्द के मारे अभी भी बहुत जोर-जोर से चिल्ला रही थी। मुझे गुस्सा आ गया तो मैंने जोर का एक धक्का लगा दिया। इस धक्के के साथ ही मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में चार इंच तक घुस गया।

वो और ज्यादा जोर-जोर से चिल्लाने लगी- “दीदी, बचाओ मुझे। मैं मर जाऊँगी…”

उसके चिल्लाने की आवाज़ सुन्कर डोली भाभी ने बाहर से पूछा- “अब क्या हुआ?”

वो रोते हुए कहने लगी- “दीदी, मुझे बचा लो नहीं तो मैं मर जाऊँगी…”

डोली भाभी ने कहा- “अच्छा तुम दोनों बाहर आ जाओ…”

मैंने अपना लण्ड उसकी गाण्ड से बाहर निकाला और हट गया। मेरे लण्ड पर ढेर सारा खून लगा हुआ था। उसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और बाहर आ गये। मिन्नी ठीक से चल नहीं पा रही थी। मैं उसे सहारा देकर बाहर ले आया।

बाहर आने के बाद डोली भाभी मिन्नी को समझाने लगी- “देखो मिन्नी अगर तुम ऐसे ही चिल्लाओगी तो काम कैसे बनेगा। हर औरत को पहली-पहली बार दर्द होता है और उसे उस दर्द को बर्दाश्त करना पड़ता है…”

मिन्नी रो रो कर कहने लगी- “दीदी, मैंने अपने आपको संभालने की बहुत कोशिश की। लेकिन मैं दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पायी, इसलिये मेरे मुँह से चीख निकल गयी। इनका औज़ार भी तो बहुत बड़ा है…”

डोली भाभी ने कहा- “औज़ार तो सबका बड़ा होता है। लेकिन एक बार जब अंदर घुस जाता है फिर कभी भी बड़ा नहीं लगाता। उसके बाद हर औरत को मज़ा आता है और तुम्हें भी आयेगा…”

मिन्नी बोली- “दीदी, मेरी बात पर विश्वास करो, इनका औज़ार बहुत बड़ा है। मैंने बहुत से आदमियों को पेशाब करते समय देखा है लेकिन इनके जैसा औज़ार मैंने आज तक कभी नहीं देखा। तुम चाहो तो खुद ही देख लो, तुम्हें मेरी बात पर विश्वास हो जायेगा…”

डोली भाभी के हाथ में शराब का भरा ग्लास था। उन्होंने एक घूँट पीते हुए मुझसे कहा- “राज़, दिखा तो सही अपना औज़ार। जरा मैं भी तो देखूँ कि ये बार-बार क्यों तेरे औज़ार को बहुत बड़ा कह रही है…”

मैंने कहा- “भाभी, मुझे शरम आती है…”

डोली भाभी ने कहा- “मैं तो तेरी भाभी हूँ, मुझसे कैसी शरम… अपना औज़ार बाहर निकालकर दिखा मुझे। “

मैंने शरमाते हुए अपनी पैंट खोल दी। मेरा लण्ड पहले से ही खड़ा था। मेरा नौ इंच लंबा और खूब मोटा लण्ड फनफनाता हुआ बाहर आ गया। उसपर खून भी लगा हुआ था।

डोली भाभी ने जैसे ही मेरा लण्ड देखा तो उन्होंने अपना हाथ मुँह पर रख लिया और बोली- “बाप रे… तेरा औज़ार सचमुच बहुत ही बड़ा है। मैंने भी ऐसा औज़ार तो कभी देखा ही नहीं था। अब मेरी समझ में आया की मिन्नी क्यों इतना चिल्लाती है…”

मैंने देखा की डोली भाभी की आँखें जो पहले से नशे में लाल थीं, अब मेरे लण्ड को देखकर चमक उठी थीं। उन्हें भी जोश आने लगा था क्योंकी मेरा लण्ड देखने के बाद उन्होंने गटागट अपना ग्लास खाली किया और अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख लिया था।

मैंने कहा- “भाभी, तुम ही बताओ मैं क्या करूँ। मैं अपना औज़ार छोटा तो नहीं कर सकता…”

User avatar
sexy
Platinum Member
Posts: 4069
Joined: 30 Jul 2015 19:39

Re: मेरी पत्नी मिन्नी और डोली भाभी

Unread post by sexy » 25 Jul 2015 11:14

डोली भाभी ने मिन्नी से कहा- “इसका औज़ार तो सच में बहुत बड़ा है। तुम्हें दर्द को बर्दाश्त करना ही पड़ेगा नहीं तो बड़ी बदनामी होगी…” डोली भाभी ने मिन्नी को बहुत समझाया तो वो मान गयी।

डोली भाभी ने मिन्नी से कहा- “अब तुम अपने कमरे में जाओ। मैं इसे समझा बुझाकर तुम्हारे पास भेज देती हूँ…”

मिन्नी कमरे में चली गयी। रात के दो बज रहे थे। डोली भाभी ने फिर अपने ग्लास में शराब ले ली और दो घूँट पीकर मुश्कुराते हुए मुझसे कहने लगी- “देवर जी, तुम्हारा औज़ार तो वाकयी बहुत ही बड़ा है और शनदार भी। मैंने आज तक अपनी ज़िंदगी में ऐसा औज़ार कभी नहीं देखा था। मेरा मन इसे हाथ में पकड़कर देखने को कह रहा है, देख लूँ?” उनकी आवाज़ नशे में काँप रही थी।

मैंने कहा- “भाभी, आप क्या कह रही हो? आज आपने बहुत ज्यादा पी ली है और आप नशे में हो…”

वो बोली- “तुम्हारे भैया को गुजरे हुए एक साल हो गया। आखिर मैं भी तो औरत हूँ और जवान भी। मेरा मन भी कभी-कभी इधर-उधर होने लगाता है। तुम तो मेरे देवर हो। हर औरत अच्छे औज़ार को पसंद करती है। मुझे भी तुम्हारा औज़ार बहुत ही अच्छा लग रहा है। अगर मैं तुमसे लग जाती हूँ तो मेरी भी इच्छा पूरी हो जायेगी और किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा…” इतना कहकर उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ लिया और सहलाने लगी।

मैं भी आखिर मर्द ही था। मुझे डोली भाभी का लण्ड सहलाना बहुत अच्छा लगने लगा इसलिये मैं कुछ नहीं बोला।

थोड़ी देर तक मेरा लण्ड सहलाने के बाद वो बोली- “तुमने अभी तक सुहागरात का मज़ा भी नहीं लिया है और मैं समझती हूँ की तुम भी एकदम भूखे होगे। मेरी इच्छा पूरी करोगे?”

मैंने कहा- “अगर तुम कहती हो भला मैं कैसे इनकार कर सकता हूँ। आखिर मैं भी तो मर्द हूँ और तुम्हारे सिवा मेरा इस दुनिया में और कौन है…”

वो बोली- “फिर तुम यहीं रुको, मैं अभी आती हूँ…” इतना कहकर डोली भाभी मिन्नी के पास चली गयी।

मैंने देखा की वो काफी नशे में थीं और उनके कदम लड़खड़ा रहे थे। ऊँची एंड़ी के सैंडलों में उन्हें डगमगाते देखकर मेरे लण्ड में एक लहर सी दौड़ गयी। उन्होंने मिन्नी से कहा- “अब तुम सो जाओ। रात बहुत हो चुकी है। मैं राज़ को सब कुछ समझा दूँगी। उसके बाद मैं उसे सुबह तुम्हारे पास भेज दूँगी। मैं बाहर से दरवाजा बंद कर देती हूँ…”

मिन्नी बोली- “ठीक है, दीदी…”

डोली भाभी मिन्नी के कमरे से बाहर आ गयी और उन्होंने मिन्नी के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर लिया। उसके बाद वो मुझे अपने कमरे में ले गयी। मेरे बदन पर कुछ भी नहीं था। लूँगी तो मैंने पहले ही उतार दी थी। कमरे में पहुँचते ही डोली भाभी ने कहा- “देवर जी, तुमने अपना औज़ार इतने दिनों तक कहाँ छिपा रखा था। बड़ा ही प्यारा औज़ार है तुम्हारा…”

मैंने कहा- “मैंने कहाँ छिपाया था, यहीं तो था तुम्हारे पास…”

वो स्टूल से शराब की बोतल उठा उसपे सीधे मुँह लगाकर पीते हुए बोली- “मेरे पास आओ…”

मैं उनके नज़दीक चला गया और बोला “भाभी… आपको मैंने इतनी ज्यादा शराब पीते हुए पहले नहीं देखा। मुझे भी एक पैग दो ना…”

User avatar
sexy
Platinum Member
Posts: 4069
Joined: 30 Jul 2015 19:39

Re: मेरी पत्नी मिन्नी और डोली भाभी

Unread post by sexy » 25 Jul 2015 11:14

मैं उनके नज़दीक चला गया और बोला “भाभी… आपको मैंने इतनी ज्यादा शराब पीते हुए पहले नहीं देखा। मुझे भी एक पैग दो ना…”

उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ लिया और सहलाते हुए बोली- “देवर जी। आज तो बहुत ही खास दिन है। मैं बस मदहोश हो जाना चाहती हूँ पर तुझे नहीं दूँगी। मुझे पता है तू पहले से पीकर आया था। और तू मर्द है। थोड़ी सी भी ज्यादा हो गयी तो तेरा ये बेहतरीन औज़ार ठंडा पड़ जायेगा…” फिर वो कहने लगी- “मैंने आज तक ऐसा औज़ार कभी नहीं देखा था। हर औरत अच्छा औज़ार पसंद करती है। मुझे तो तुम्हारा औज़ार बहुत पसंद आ गया है। आज मैं तुमसे लग जाती हूँ। तुमसे चुदवाने में मुझे बहुत मज़ा आयेगा। लेकिन जैसे तुमने मिन्नी के साथ किया था उस तरह मेरे साथ मत करना नहीं तो मुझे भी बहुत तकलीफ होगी और मेरे मुँह से भी चीख निकल जायेगी। मिन्नी पास के ही कमरे में है, इसका ख्याल रखना…”

मैंने कहा- “अच्छा…”

थोड़ी देर तक डोली भाभी मेरा लण्ड सहलाती रही और शराब पीती रही। उसके बाद उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिये और एकदम नंगी हो गयी। डोली भाभी भी बहुत ही खूबसूरत थी। वो अपने सैंडल उतारने लगी तो मैंने उन्हें रोका।

वो मुश्कुराते हुए बोली- “तो तू भी अपने भैया की तरह औरतों के ऊँची एंड़ी के सैंडल देखकर उत्तेजित होता है?”

मैं थोड़ा सा शरमाया।
तो वो बोली- “शमार्ता क्यों है। ज्यादातर मर्दों को ऊँची एंड़ी के सैंडल पहनी औरतें उत्तेजक लगती हैं। इसीलिये तो मैं हरदम ऊँची एंड़ी के सैंडल पहने रहती हूँ…” उसके बाद वो सैंडल पहने हुए ही बेड पर लेट गयी और बोली- “अब थोड़ा सा तेल अपने लण्ड पर लगा लो और आ जाओ…”

मैंने कहा- “क्या भाभी, आपने तो भैया से बहुत बार चुदवाया है, आप मुझसे तेल लगाने को कह रही हैं। बिना तेल के ज्यादा मज़ा आयेगा…”

वो बोली- “फिर देर किस बात की। आ जाओ…”

मैं डोली भाभी के पैरों के बीच आ गया।

डोली भाभी ने कहा- “आराम से घुसाना, जल्दी मत करना। जब मैं रोकूँगी तो रुक जाना…”

मैंने कहा- “ठीक है…”

वो बोली- “चलो अब धीरे-धीरे अंदर घुसाओ…”

मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा डोली भाभी की चूत के मुँह पर रख दिया और धीरे-धीरे अपना लण्ड डोली भाभी की चूत में घुसाने लगा। जैसे ही मेरे लण्ड का सुपाड़ा डोली भाभी की चूत में घुसा तो उनके मुँह से आह निकल गयी। उनकी चूत मुझे ज्यादा टाइट लग रही थी। मेरा लण्ड आसानी से घुस नहीं पा रहा था। मैं जोर लगाकर धीरे-धीरे अपना लण्ड डोली भाभी की चूत में घुसाने लगा। डोली भाभी आहें भरती रही। जब मेरा लण्ड पाँच इंच तक घुस गया तो दर्द के मारे उनका बुरा हाल होने लगा लेकिन उन्होंने मुझे रोका नहीं। उन्होंने अपने होंठों को जोर से जकड़ लिया था। मैं जोर लगाता रहा।

जब मेरा लण्ड डोली भाभी की चूत में छः इंच तक घुस गया तो वो बोली- “अब रुक जाओ…”

मैं रुक गया तो वो बोली- “बहुत दर्द हो रहा है। अब बर्दाश्त करना मुश्किल है। कितना बाकी है अभी?”

मैंने कहा- “तीन इंच…”

वो बोली- “अब और ज्यादा अंदर मत घुसाना। धीरे-धीरे चुदाई करना शुरू कर दो…”

मैंने धीरे-धीरे डोली भाभी की चुदाई शुरू कर दी। उनकी चूत ने मेरे लण्ड को बुरी तरह से जकड़ रखा था। वो आहें भरती रही। मुझे भी खूब मज़ा आ रहा था। आज मैं किसी औरत को पहली बार चोद रहा था। पाँच मिनट की चुदाई के बाद डोली भाभी झड़ गयी। उन्होंने बहुत दिनों से चुदवाया नहीं था इसलिये उनकी चूत से ढेर सारा जूस निकला। उनकी चूत और मेरा लण्ड एकदम गीले हो गये तो उन्होंने कहा- “अब धीरे-धीरे बाकी का भी घुसा दो…”

मैंने इस बार थोड़ा ज्यादा ही जोर लगा दिया तो वो अपने आपको रोक नहीं पायी। उनके मुँह से चीख निकल ही गयी लेकिन उन्होंने तुरंत ही खुद को संभाल लिया। मैंने इस बार एक धक्का लगा दिया तो वो दर्द के मारे तड़पने लगी और बोली- “अब कितना बाकी है?”

मैंने कहा- “एक इंच…”

वो बोली- “अब चोदो मुझे, बाकी का चुदाई करते समय घुसा देना…”

मैंने डोली भाभी की चुदाई शुरू कर दी। मुझे खूब मज़ा आ रहा था। डोली भाभी दर्द के मारे आहें भर रही थी। जैसे-जैसे समय गुजरता गया वो शाँत होती गयी। अब उन्हें भी मज़ा आने लगा था। तभी मैंने एक धक्का लगाकर बाकी का लण्ड भी उनकी चूत में घुसा दिया।

Post Reply