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Re: रेखा दीदी की वासना - Rekha Di Ki Vasna
रेखा दीदी की वासना - Rekha Di Ki Vasna
बारिश का मौसम था। एक दिन मैं घर पर अकेला था परिवार के सारे लोग तीन दिनों के लिए बाहर गए थे। मैं टी वी देख रहा था कि अचानक दरवाज़े की घण्टी बजी। मैंने दरवाजा खोला तो पड़ोस की रेखा दी(दी) थी। वे मेरे पड़ोस में अपनी सासू माँ के साथ रहती थी। करीब पैंतीस साल की थी, फिगर सामान्य और रंग गेहुँआ था। हाँ, चूतड़ काफ़ी अच्छे थे। उनके पति ने उन्हें छोड़ कर दूसरी शादी कर ली थी। कारण नहीं पता। उसने अपनी माँ को भी छोड़ दिया था। वे ही अपनी सास का ध्यान रखती थी।
उन्होंने पूछा- कोई है नहीं क्या?
मैंने कहा- नहीं सभी लोग तीन दिनों के लिए बाहर गए हैं।
फिर तो मेरा आना बेकार गया !
मैंने कहा- क्यों? कोई खास काम है क्या ?
उन्होंने कहा- हाँ ! काम तो खास ही है।
मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूँ? मैंने पूछा।
कोई बात नहीं फिर आ जाऊँगी !
ठीक है !
वे जाने लगी और मैंने दरवाजा बंद कर लिया। ज्यों ही मैं वापस टी वी वाले कमरे में पहुँचा कि फिर घण्टी बजी, मैंने फिर दरवाजा खोला तो सामने रेखा दी थी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उन्होंने कहा- प्यास लगी है पानी पिला दोगे?
मैंने कहा- हाँ ! क्यों नहीं ! आइए, बैठिए !
फिर मैं पानी लेने अंदर आया। मैंने उन्हें पानी दिया। वे बैठ कर गप-शप करने लगी, उनका इरादा जाने का नहीं लग रहा था। हल्की हल्की बारिश भी होने लगी।
बातों-बातों में उन्होंने पूछ लिया- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ़्रेन्ड है?
मैंने कहा- हाँ है !
उन्होंने कहा- अच्छा है ! आज के जमाने में गर्लफ़्रेन्ड न होना किसी शर्मिंदगी से कम नहीं होता।
फिर उन्होंने पूछा- घर पर सबको उसके बारे में पता है?
मैंने कहा- नहीं !
तो मुझे क्यों बताया ? उन्होंने फिर पूछा।
मैंने कहा- मुझे यकीन है आप किसी से नहीं कहेंगी।
इतना भरोसा है मुझपर ?
हाँ। क्यों? जब आप मुझसे यह पूछ सकती है तो जाहिर है किसी से कहेंगी नहीं।
फिर उन्होंने कुछ देर बातें की और कहा- तुम्हारा बाथरुम किधर है?
मैंने कहा- क्यों?
उन्होंने कहा- बाथरुम में लोग क्यों जाते हैं?
मैंने कहा- मेरे पीछे आइए।
मैंने उन्हें बाथरूम का रास्ता दिखाया। बारिश तेज होने लगी। वे बाथरुम से निकलकर आंगन में जोरों की बारिश देखने लगी।
मैंने कहा- अब आप घर कैसे जाएंगी।
उन्होंने कहा- कौन सा जंगल में हूँ ! जब बंद होगी तो चली जाउंगी।
अचानक वे बारिश में चली गई और भीगने लगी।
मैंने कहा- अरे यह क्या ? आप बीमार हो जाएँगी।
उन्होंने मुझसे भी पानी में आने को कहा पर मैंने मना कर दिया। फिर भी उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर पानी में खींच लिया। वह पूरी तरह भीग चुकी थी, उनके कपड़े उनके बदन से चिपक गए थे। मैं उनकी सफेद ब्रा और काली पैंटी देख सकता था। मेरा भी खड़ा हो चुका था। मैं समझ रहा था कि उन्हें कुछ चाहिए इसलिए मैंने भी शर्म छोड़ दी। मैंने उन्हें पीछे से अपनी बाहों में भर लिया और उनको अपने लंड का अहसास कराया। उन्होंने हल्की सी आह भरी तो मैं समझ गया कि वे तैयार हैं। फिर क्या था मैं उनके साथ चुम्मा-चाटी करने लगा, उन्होंने भी मेरा पूरा साथ दिया। मैंने उनकी कमीज-सलवार उतार दी। वे अब सिर्फ 2 पीस में थी। मैं पैंटी पर से ही उनकी बुर रगड़ने लगा, वह पानी छोड़ रही थी। फिर वे मेरा लोअर और चढ्ढी सरका कर मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं मजे से चुसवा रहा था कि उन्होंने मुझसे कहा- अब तुम्हारी बारी।
मैं आंगन में बारिश में ही फर्श पर नंगा लेट गया और वे मेरे मुँह पर अपना बुर लेकर बैठ गई। फिर मैंने उनकी जाँघे फैलाई और बुर चाटने लगा। वह पागल सी हो गई और उनकी आँखें बंद हो गई। तभी दीदी ने जोर से मेरे बाल पकड़ लिए और मुँह पर दबाव बढ़ा दिया। मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली हैं। मैंने अपनी एक उंगली उनकी गाँड में डाल दी जिससे उनकी उत्तेजना और बढ़ गई। फिर वह तेजी से झड़ी और मेरे बगल में निढाल हो गई।
मैंने कहा- रेखा दी, आपका तो हो गया और मेरा?
उन्होंने कहा- अभी तो सिर्फ एक बार हुआ है ! अभी तो तीन साल की प्यास बुझानी है। थोड़ा समय दो, तब तक मेरी गाण्ड मार लो !
यह कह कर वह कुतिया बन गई। मैंने उनकी गाण्ड की दरार चौड़ी की, उसके छेद पर अपना लंड टिकाया और एक जोरदार धक्का दिया और पूरा का पूरा लंड एक बार में अंदर चला गया।
वे चिल्लाई- अरे हरामी आराम से !
फिर मैंने धीरे-धीरे चोदना शुरु किया। थोड़ी दिक्कत के बाद मैंने लम्बे लम्बे शॉट लगाने शुरु कर दिए। वे भी मजे से चुदाने लगी।
मैं चरम पर पहुँच गया तो अचानक उन्होंने मुझे रोक दिया और कहा- चलो अब चूत में !
मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ ! कुछ हो गया तो?
उन्होंने कहा- कुछ नहीं होगा ! मैं मां नहीं बन सकती और इसीलिए तेरे जीजा ने मुझे छोड़ दिया ! पर तुम टेंशन मत लो और चोदना चालू रखो।
मैंने अपना लंड उनकी गाण्ड से निकाला और उनकी जांघें फैलाकर पीछे से ही उनकी बुर में डाल दिया। फिर लम्बे-2 शॉट लगाने लगा। वे आराम से चुदा रही थी। मैं तेजी से उनकी बुर में झड़ा और उनके ऊपर ही लेट गया।
मैंने कहा- रेखा दी, एक बात पूछूँ?
उन्होंने कहा- पूछो !
आपको पहली बार किसने चोदा था?
भाई ने ! साला एक नंबर का पेलू था। हम दोनों उम्र में लगभग बराबर थे। वह मेरा चचेरा भाई था। हमारा संयुक्त परिवार था। हमारा कमरा एक था, केवल बिस्तर अलग-अलग थे। एक रात में वह मेरे बिस्तर में घुस आया और मेरी चड्डी सरकाकर मेरी गाण्ड में अपनी नुनी लगाकर पेलने लगा। मुझे अच्छा लग रहा था। उसका लंड मेरे दोनों चूतड़ की दरार के बीच में गति कर रहा था। उसने थोड़ा थूक लगाकर उसे और चिकना किया और तेजी से धक्के लगाने लगा। कुछ देर करने के बाद वह ढीला पड़ गया। अब हम अकसर करने लगे। उसे जब भी मौका मिलता, वह मेरी गाण्ड ऐसे ही ऊपर ऊपर से मारता। धीरे धीरे मेरी वासना बढ़ने लगी और अब मैं उसे अपनी बुर में धक्के लगाने को मजबूर करती।
एक दिन घर पर कोई नहीं था तो उसने तेल लगाकर मेरी गाण्ड में अपना लंड डालने की कोशिश की जिससे मुझे काफ़ी दर्द हुआ और मैंने कसम खाई की अब उसे कुछ नहीं करने दूँगी पर हफ़्ते भर में ही मेरी अकड़ टूट गई और एक दिन जब फिर घर पर कोई नहीं था तो मैंने उससे पेलने को कहा। इस बार उसने सावधानी से काम लिया और अपना मोटा लंड मेरी गाण्ड में पेलने की बजाय उंगली डाली। उसने उंगली डालकर और तेल लगाकर पहले मेरी गाण्ड को अपने लंड के हिसाब से चौड़ा किया फिर धीरे धीरे उसमें अपना लंड उतारा। इस बार मुझे काफ़ी मजा आया। वो मेरी गाण्ड में अपना लंड डालकर पेल रहा था।
एक बार हम स्कूल की तरफ से पिकनिक मनाने एक झरने पर गए थे, वहाँ मुझे शू-शू लगी थी, मैंने भाई से कहा।
उसने कहा- चल मेरे साथ !
और फिर वह मुझे झाड़ियों में ले गया, उसने वहाँ भी मेरी गाण्ड मारी। मैंने किसी को उसकी इस हरकत के बारे में नहीं बताया।
अब मैं अकसर कर उससे अपनी गाण्ड मरवाने लगी। यह सब दो सालों से चल रहा था। फ़िर हमारे कमरे अलग कर दिए गये। अब हम कभी कभी ही कर पाते। एक बार तो तीन महीने तक हमें मौका ही नहीं मिला।
एक दिन मौका पाकर सीढ़ियों पर उसने मुझे पकड़ लिया और अपना लंड चूसने को कहा। मैंने इंकार कर दिया। उसने जबरदस्ती करनी चाही तो मैंने कहा- पहले तुम मेरी बुर चाटो।
तो उसने कहा- ठीक है।
उसने मुझे चड्डी उतारने को कहा। मैंने अपनी चड्डी उतार दी, वह मेरे सामने बैठ गया और मेरी बुर के चारों ओर से चाटने लगा पर बुर पर जीभ नहीं फेरी। फिर उठा और कहा- हो गया ! अब तुम्हारी बारी।
मैंने कहा- पर तुमने तो मेरी बुर चाटी ही नहीं?
उसने कहा- चाटी तो !
मैंने कहा- इधर उधर नहीं बल्कि बुर चाटनी थी।
उसने कहा- अच्छा, चल तू भी क्या याद रखेगी !
यह कहकर उसने मेरी बुर फैला दी और फिर उस पर अपनी जीभ फेरने लगा। मुझे मजा आ रहा था। मेरी बुर गीली हो गई। काफ़ी रस निकल रहा था।
उसने कहा- रेखा, तू तो जवान हो रही है।
मैं सुनकर शरमा गई। मैं उसके सर को पकड़ कर जोर जोर से अपनी बुर में धकियाने लगी। उसने एक उंगली मेरी बुर में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा।
कुछ ही देर में मैं तेजी से झड़ी। फिर उसने कहा- अब तेरी बारी !
मैंने उसका लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। शुरु में तो अजीब लगा पर जल्द ही मुझे आनंद आने लगा मैंने पूरा लुत्फ़ उठाया। एक बार कई दिनों बाद मुझे उसका लंड चूसने का मौका मिला और जब मैं चूस रही थी कि अचानक उसने ढेर सारा पानी छोड़ दिया। मैंने उसे जमीन पर उगल दिया तो देखा- सफेद सफेद सा रस था।
मैंने कहा- यह क्या है?
तो उसने कहा- इधर कुछ दिनों से ऐसा हो रहा है, रात में भी अकसर हो जाता है।
मैंने कहा- तू भी जवान हो रहा है।
फिर एक दिन मेरी एक सहेली ने मुझे बुर की चुदाई के आनंद के बारे में बताया तो मैंने यह बात अपने चचेरे भाई को बताई तो उसने कहा- मौका मिलने ! दो करुंगा।
एक दिन हमें मौका मिल ही गया। मैं नहा रही थी कि किसी ने बाथरुम का दरवाजा खटखटाया। मैंने पूछा- कौन?
उसने कहा- मैं हूँ ! दरवाजा खोलो !
मैंने कहा- नहा रही हूँ !
उसने कहा- जानता हूँ ! घर पर कोई नहीं है, अच्छा मौका है, खोलो !
मैंने खोल दिया और पूछा तो पता चला कि पड़ोस में कोई बीमार है सब वहीं गए हैं। मैं पूरी तरह नंगी थी। उसने मजाक में मेरी चूची पकड़ ली और दबा दिया। मुझे मजा आया तो मैंने फिर से करने के लिए कह दिया तो वह दबाने लगा।
फिर मैंने उसे चुसवाया भी। मेरी बुर गीली हो गई। उसका लंड खड़ा था। मैंने उसे चूसा। फिर उसने मुझे बाथरुम के फर्श पर ही लिटा दिया और मेरी बुर चाटने लगा। कुछ ही देर में मैं उसे चोदने के लिए कहने लगी।
फिर क्या था उसने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी बुर के छेद पर टिकाया और अंदर डालने लगा। बुर कसी थी और मुझे दर्द भी हो रहा था। उसने निकालकर एक बार मुझसे अपना लंड चटवाया और फिर पोजिशन में आ गया। इस बार उसने जोर से धक्का दिया और मेरी झिल्ली फट गई और उसका लंड अंदर चला गया, मुझे तेज दर्द हुआ और मैं रो पड़ी।
मेरी बुर से खून आ रहा था, मैं गिड़ गिड़ाने लगी कि वह मुझे छोड़ दे।
उसने कहा- बस दो मिनट।
वह मेरे ऊपर चुपचाप लेटा था। उसका लंड मेरी बुर में था। दो तीन मिनट बाद मैं थोड़ा सामान्य हुई तो उसने अंदर-बाहर करना शुरु किया। कुछ ही देर में मैं दर्द भूल गई और गाण्ड उठा उठा कर उससे चुदवाने लगी। उसने मुझे जी भर के चोदा। इस दौरान मैं कई बार झड़ी। फिर आधे घंटे तक पेलने के बाद उसने मेरी बुर अपने गर्म वीर्य से भर दी।
अब वह मुझे मेरे तीनों छेदों में चोदता। उसने जमकर मेरी जवानी का मजा लिया। बाद में हमारे परिवार में झगड़ा हो गया और हम अलग हो गए। हमारा मिलना जुलना बंद हो गया। फिर वह बाहर पढ़ाई करने चला गया और वहीं शादी करके बस गया।
मेरा एक बार खड़ा हो चुका था। बारिश भी बंद हो चुकी थी। मैंने उन्हें घोड़ी बनने के लिए कहा, उनके ऊपर चढ गया। फिर क्या था उनकी बुर में पीछे से अपना लंड डालकर मैं चोदने लगा, उनकी कमर पकड़ कर लम्बे लम्बे शॉट लगाने लगा। वे दो बार झड़ी। पर मैं नहीं रुका, वे ठंडी हो रही थी तो मैंने अपना लंड बुर से निकालकर उनकी गाण्ड में डाल दिया और पेलने लगा। वे चुपचाप चुदवा रही थी। मैं चरम पर पहुँच गया और स्पीड बढ़ा दी।
मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ !
तो उन्होंने कहा- मैं तेरा वीर्य पीना चाहती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है !
फिर मैंने अपना लंड निकाला और उसे साफ किया और उनके मुँह में डाल दिया। वे मजे चूसने लगी। फिर मैंने उनका सर पकड़ा और उनके मुँह में ही धक्के लगाने लगा। मेरे लण्ड के उनके गले में फ़ंसने से उनकी आँखों में आँसू आ गए पर उन्होंने मुझे रोका नहीं। मैं तेजी से झड़ा और उनका गला तर कर दिया। हम काफ़ी थक चुके थे। मैंने दोनों के कपड़े उठाए और वाशिंग मशीन में डाल दिए। फिर आकर बिस्तर पर नंगा ही लेट गया। वे भी आई और मेरे बगल में नंगी लेट गई।
कुछ देर उन्होंने एक बार और करने की इच्छा जाहिर की, पर मैंने कहा- आज नहीं ! फ़िर कभी !
सच में वे एक नंबर की चुदक्कड़ थी। जाते जाते उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें किरण आंटी ने मेरे बारे में बताया था। और उन्हीं के कहने पर उन्होंने यह सब स्वांग रचा। वे तीन दिनों तक रोज आई और रोज दो बार चुदाई करवाई।
वे अकसर मुझे अपने यहाँ बुलाती भी हैं। उनकी सास को हमारे संबंधों के बारे में पता है पर वे कुछ नहीं बोलती। शायद यह उनकी लाचारी है या फिर बहू की सेवा।
बारिश का मौसम था। एक दिन मैं घर पर अकेला था परिवार के सारे लोग तीन दिनों के लिए बाहर गए थे। मैं टी वी देख रहा था कि अचानक दरवाज़े की घण्टी बजी। मैंने दरवाजा खोला तो पड़ोस की रेखा दी(दी) थी। वे मेरे पड़ोस में अपनी सासू माँ के साथ रहती थी। करीब पैंतीस साल की थी, फिगर सामान्य और रंग गेहुँआ था। हाँ, चूतड़ काफ़ी अच्छे थे। उनके पति ने उन्हें छोड़ कर दूसरी शादी कर ली थी। कारण नहीं पता। उसने अपनी माँ को भी छोड़ दिया था। वे ही अपनी सास का ध्यान रखती थी।
उन्होंने पूछा- कोई है नहीं क्या?
मैंने कहा- नहीं सभी लोग तीन दिनों के लिए बाहर गए हैं।
फिर तो मेरा आना बेकार गया !
मैंने कहा- क्यों? कोई खास काम है क्या ?
उन्होंने कहा- हाँ ! काम तो खास ही है।
मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूँ? मैंने पूछा।
कोई बात नहीं फिर आ जाऊँगी !
ठीक है !
वे जाने लगी और मैंने दरवाजा बंद कर लिया। ज्यों ही मैं वापस टी वी वाले कमरे में पहुँचा कि फिर घण्टी बजी, मैंने फिर दरवाजा खोला तो सामने रेखा दी थी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उन्होंने कहा- प्यास लगी है पानी पिला दोगे?
मैंने कहा- हाँ ! क्यों नहीं ! आइए, बैठिए !
फिर मैं पानी लेने अंदर आया। मैंने उन्हें पानी दिया। वे बैठ कर गप-शप करने लगी, उनका इरादा जाने का नहीं लग रहा था। हल्की हल्की बारिश भी होने लगी।
बातों-बातों में उन्होंने पूछ लिया- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ़्रेन्ड है?
मैंने कहा- हाँ है !
उन्होंने कहा- अच्छा है ! आज के जमाने में गर्लफ़्रेन्ड न होना किसी शर्मिंदगी से कम नहीं होता।
फिर उन्होंने पूछा- घर पर सबको उसके बारे में पता है?
मैंने कहा- नहीं !
तो मुझे क्यों बताया ? उन्होंने फिर पूछा।
मैंने कहा- मुझे यकीन है आप किसी से नहीं कहेंगी।
इतना भरोसा है मुझपर ?
हाँ। क्यों? जब आप मुझसे यह पूछ सकती है तो जाहिर है किसी से कहेंगी नहीं।
फिर उन्होंने कुछ देर बातें की और कहा- तुम्हारा बाथरुम किधर है?
मैंने कहा- क्यों?
उन्होंने कहा- बाथरुम में लोग क्यों जाते हैं?
मैंने कहा- मेरे पीछे आइए।
मैंने उन्हें बाथरूम का रास्ता दिखाया। बारिश तेज होने लगी। वे बाथरुम से निकलकर आंगन में जोरों की बारिश देखने लगी।
मैंने कहा- अब आप घर कैसे जाएंगी।
उन्होंने कहा- कौन सा जंगल में हूँ ! जब बंद होगी तो चली जाउंगी।
अचानक वे बारिश में चली गई और भीगने लगी।
मैंने कहा- अरे यह क्या ? आप बीमार हो जाएँगी।
उन्होंने मुझसे भी पानी में आने को कहा पर मैंने मना कर दिया। फिर भी उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर पानी में खींच लिया। वह पूरी तरह भीग चुकी थी, उनके कपड़े उनके बदन से चिपक गए थे। मैं उनकी सफेद ब्रा और काली पैंटी देख सकता था। मेरा भी खड़ा हो चुका था। मैं समझ रहा था कि उन्हें कुछ चाहिए इसलिए मैंने भी शर्म छोड़ दी। मैंने उन्हें पीछे से अपनी बाहों में भर लिया और उनको अपने लंड का अहसास कराया। उन्होंने हल्की सी आह भरी तो मैं समझ गया कि वे तैयार हैं। फिर क्या था मैं उनके साथ चुम्मा-चाटी करने लगा, उन्होंने भी मेरा पूरा साथ दिया। मैंने उनकी कमीज-सलवार उतार दी। वे अब सिर्फ 2 पीस में थी। मैं पैंटी पर से ही उनकी बुर रगड़ने लगा, वह पानी छोड़ रही थी। फिर वे मेरा लोअर और चढ्ढी सरका कर मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं मजे से चुसवा रहा था कि उन्होंने मुझसे कहा- अब तुम्हारी बारी।
मैं आंगन में बारिश में ही फर्श पर नंगा लेट गया और वे मेरे मुँह पर अपना बुर लेकर बैठ गई। फिर मैंने उनकी जाँघे फैलाई और बुर चाटने लगा। वह पागल सी हो गई और उनकी आँखें बंद हो गई। तभी दीदी ने जोर से मेरे बाल पकड़ लिए और मुँह पर दबाव बढ़ा दिया। मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली हैं। मैंने अपनी एक उंगली उनकी गाँड में डाल दी जिससे उनकी उत्तेजना और बढ़ गई। फिर वह तेजी से झड़ी और मेरे बगल में निढाल हो गई।
मैंने कहा- रेखा दी, आपका तो हो गया और मेरा?
उन्होंने कहा- अभी तो सिर्फ एक बार हुआ है ! अभी तो तीन साल की प्यास बुझानी है। थोड़ा समय दो, तब तक मेरी गाण्ड मार लो !
यह कह कर वह कुतिया बन गई। मैंने उनकी गाण्ड की दरार चौड़ी की, उसके छेद पर अपना लंड टिकाया और एक जोरदार धक्का दिया और पूरा का पूरा लंड एक बार में अंदर चला गया।
वे चिल्लाई- अरे हरामी आराम से !
फिर मैंने धीरे-धीरे चोदना शुरु किया। थोड़ी दिक्कत के बाद मैंने लम्बे लम्बे शॉट लगाने शुरु कर दिए। वे भी मजे से चुदाने लगी।
मैं चरम पर पहुँच गया तो अचानक उन्होंने मुझे रोक दिया और कहा- चलो अब चूत में !
मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ ! कुछ हो गया तो?
उन्होंने कहा- कुछ नहीं होगा ! मैं मां नहीं बन सकती और इसीलिए तेरे जीजा ने मुझे छोड़ दिया ! पर तुम टेंशन मत लो और चोदना चालू रखो।
मैंने अपना लंड उनकी गाण्ड से निकाला और उनकी जांघें फैलाकर पीछे से ही उनकी बुर में डाल दिया। फिर लम्बे-2 शॉट लगाने लगा। वे आराम से चुदा रही थी। मैं तेजी से उनकी बुर में झड़ा और उनके ऊपर ही लेट गया।
मैंने कहा- रेखा दी, एक बात पूछूँ?
उन्होंने कहा- पूछो !
आपको पहली बार किसने चोदा था?
भाई ने ! साला एक नंबर का पेलू था। हम दोनों उम्र में लगभग बराबर थे। वह मेरा चचेरा भाई था। हमारा संयुक्त परिवार था। हमारा कमरा एक था, केवल बिस्तर अलग-अलग थे। एक रात में वह मेरे बिस्तर में घुस आया और मेरी चड्डी सरकाकर मेरी गाण्ड में अपनी नुनी लगाकर पेलने लगा। मुझे अच्छा लग रहा था। उसका लंड मेरे दोनों चूतड़ की दरार के बीच में गति कर रहा था। उसने थोड़ा थूक लगाकर उसे और चिकना किया और तेजी से धक्के लगाने लगा। कुछ देर करने के बाद वह ढीला पड़ गया। अब हम अकसर करने लगे। उसे जब भी मौका मिलता, वह मेरी गाण्ड ऐसे ही ऊपर ऊपर से मारता। धीरे धीरे मेरी वासना बढ़ने लगी और अब मैं उसे अपनी बुर में धक्के लगाने को मजबूर करती।
एक दिन घर पर कोई नहीं था तो उसने तेल लगाकर मेरी गाण्ड में अपना लंड डालने की कोशिश की जिससे मुझे काफ़ी दर्द हुआ और मैंने कसम खाई की अब उसे कुछ नहीं करने दूँगी पर हफ़्ते भर में ही मेरी अकड़ टूट गई और एक दिन जब फिर घर पर कोई नहीं था तो मैंने उससे पेलने को कहा। इस बार उसने सावधानी से काम लिया और अपना मोटा लंड मेरी गाण्ड में पेलने की बजाय उंगली डाली। उसने उंगली डालकर और तेल लगाकर पहले मेरी गाण्ड को अपने लंड के हिसाब से चौड़ा किया फिर धीरे धीरे उसमें अपना लंड उतारा। इस बार मुझे काफ़ी मजा आया। वो मेरी गाण्ड में अपना लंड डालकर पेल रहा था।
एक बार हम स्कूल की तरफ से पिकनिक मनाने एक झरने पर गए थे, वहाँ मुझे शू-शू लगी थी, मैंने भाई से कहा।
उसने कहा- चल मेरे साथ !
और फिर वह मुझे झाड़ियों में ले गया, उसने वहाँ भी मेरी गाण्ड मारी। मैंने किसी को उसकी इस हरकत के बारे में नहीं बताया।
अब मैं अकसर कर उससे अपनी गाण्ड मरवाने लगी। यह सब दो सालों से चल रहा था। फ़िर हमारे कमरे अलग कर दिए गये। अब हम कभी कभी ही कर पाते। एक बार तो तीन महीने तक हमें मौका ही नहीं मिला।
एक दिन मौका पाकर सीढ़ियों पर उसने मुझे पकड़ लिया और अपना लंड चूसने को कहा। मैंने इंकार कर दिया। उसने जबरदस्ती करनी चाही तो मैंने कहा- पहले तुम मेरी बुर चाटो।
तो उसने कहा- ठीक है।
उसने मुझे चड्डी उतारने को कहा। मैंने अपनी चड्डी उतार दी, वह मेरे सामने बैठ गया और मेरी बुर के चारों ओर से चाटने लगा पर बुर पर जीभ नहीं फेरी। फिर उठा और कहा- हो गया ! अब तुम्हारी बारी।
मैंने कहा- पर तुमने तो मेरी बुर चाटी ही नहीं?
उसने कहा- चाटी तो !
मैंने कहा- इधर उधर नहीं बल्कि बुर चाटनी थी।
उसने कहा- अच्छा, चल तू भी क्या याद रखेगी !
यह कहकर उसने मेरी बुर फैला दी और फिर उस पर अपनी जीभ फेरने लगा। मुझे मजा आ रहा था। मेरी बुर गीली हो गई। काफ़ी रस निकल रहा था।
उसने कहा- रेखा, तू तो जवान हो रही है।
मैं सुनकर शरमा गई। मैं उसके सर को पकड़ कर जोर जोर से अपनी बुर में धकियाने लगी। उसने एक उंगली मेरी बुर में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा।
कुछ ही देर में मैं तेजी से झड़ी। फिर उसने कहा- अब तेरी बारी !
मैंने उसका लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। शुरु में तो अजीब लगा पर जल्द ही मुझे आनंद आने लगा मैंने पूरा लुत्फ़ उठाया। एक बार कई दिनों बाद मुझे उसका लंड चूसने का मौका मिला और जब मैं चूस रही थी कि अचानक उसने ढेर सारा पानी छोड़ दिया। मैंने उसे जमीन पर उगल दिया तो देखा- सफेद सफेद सा रस था।
मैंने कहा- यह क्या है?
तो उसने कहा- इधर कुछ दिनों से ऐसा हो रहा है, रात में भी अकसर हो जाता है।
मैंने कहा- तू भी जवान हो रहा है।
फिर एक दिन मेरी एक सहेली ने मुझे बुर की चुदाई के आनंद के बारे में बताया तो मैंने यह बात अपने चचेरे भाई को बताई तो उसने कहा- मौका मिलने ! दो करुंगा।
एक दिन हमें मौका मिल ही गया। मैं नहा रही थी कि किसी ने बाथरुम का दरवाजा खटखटाया। मैंने पूछा- कौन?
उसने कहा- मैं हूँ ! दरवाजा खोलो !
मैंने कहा- नहा रही हूँ !
उसने कहा- जानता हूँ ! घर पर कोई नहीं है, अच्छा मौका है, खोलो !
मैंने खोल दिया और पूछा तो पता चला कि पड़ोस में कोई बीमार है सब वहीं गए हैं। मैं पूरी तरह नंगी थी। उसने मजाक में मेरी चूची पकड़ ली और दबा दिया। मुझे मजा आया तो मैंने फिर से करने के लिए कह दिया तो वह दबाने लगा।
फिर मैंने उसे चुसवाया भी। मेरी बुर गीली हो गई। उसका लंड खड़ा था। मैंने उसे चूसा। फिर उसने मुझे बाथरुम के फर्श पर ही लिटा दिया और मेरी बुर चाटने लगा। कुछ ही देर में मैं उसे चोदने के लिए कहने लगी।
फिर क्या था उसने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी बुर के छेद पर टिकाया और अंदर डालने लगा। बुर कसी थी और मुझे दर्द भी हो रहा था। उसने निकालकर एक बार मुझसे अपना लंड चटवाया और फिर पोजिशन में आ गया। इस बार उसने जोर से धक्का दिया और मेरी झिल्ली फट गई और उसका लंड अंदर चला गया, मुझे तेज दर्द हुआ और मैं रो पड़ी।
मेरी बुर से खून आ रहा था, मैं गिड़ गिड़ाने लगी कि वह मुझे छोड़ दे।
उसने कहा- बस दो मिनट।
वह मेरे ऊपर चुपचाप लेटा था। उसका लंड मेरी बुर में था। दो तीन मिनट बाद मैं थोड़ा सामान्य हुई तो उसने अंदर-बाहर करना शुरु किया। कुछ ही देर में मैं दर्द भूल गई और गाण्ड उठा उठा कर उससे चुदवाने लगी। उसने मुझे जी भर के चोदा। इस दौरान मैं कई बार झड़ी। फिर आधे घंटे तक पेलने के बाद उसने मेरी बुर अपने गर्म वीर्य से भर दी।
अब वह मुझे मेरे तीनों छेदों में चोदता। उसने जमकर मेरी जवानी का मजा लिया। बाद में हमारे परिवार में झगड़ा हो गया और हम अलग हो गए। हमारा मिलना जुलना बंद हो गया। फिर वह बाहर पढ़ाई करने चला गया और वहीं शादी करके बस गया।
मेरा एक बार खड़ा हो चुका था। बारिश भी बंद हो चुकी थी। मैंने उन्हें घोड़ी बनने के लिए कहा, उनके ऊपर चढ गया। फिर क्या था उनकी बुर में पीछे से अपना लंड डालकर मैं चोदने लगा, उनकी कमर पकड़ कर लम्बे लम्बे शॉट लगाने लगा। वे दो बार झड़ी। पर मैं नहीं रुका, वे ठंडी हो रही थी तो मैंने अपना लंड बुर से निकालकर उनकी गाण्ड में डाल दिया और पेलने लगा। वे चुपचाप चुदवा रही थी। मैं चरम पर पहुँच गया और स्पीड बढ़ा दी।
मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ !
तो उन्होंने कहा- मैं तेरा वीर्य पीना चाहती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है !
फिर मैंने अपना लंड निकाला और उसे साफ किया और उनके मुँह में डाल दिया। वे मजे चूसने लगी। फिर मैंने उनका सर पकड़ा और उनके मुँह में ही धक्के लगाने लगा। मेरे लण्ड के उनके गले में फ़ंसने से उनकी आँखों में आँसू आ गए पर उन्होंने मुझे रोका नहीं। मैं तेजी से झड़ा और उनका गला तर कर दिया। हम काफ़ी थक चुके थे। मैंने दोनों के कपड़े उठाए और वाशिंग मशीन में डाल दिए। फिर आकर बिस्तर पर नंगा ही लेट गया। वे भी आई और मेरे बगल में नंगी लेट गई।
कुछ देर उन्होंने एक बार और करने की इच्छा जाहिर की, पर मैंने कहा- आज नहीं ! फ़िर कभी !
सच में वे एक नंबर की चुदक्कड़ थी। जाते जाते उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें किरण आंटी ने मेरे बारे में बताया था। और उन्हीं के कहने पर उन्होंने यह सब स्वांग रचा। वे तीन दिनों तक रोज आई और रोज दो बार चुदाई करवाई।
वे अकसर मुझे अपने यहाँ बुलाती भी हैं। उनकी सास को हमारे संबंधों के बारे में पता है पर वे कुछ नहीं बोलती। शायद यह उनकी लाचारी है या फिर बहू की सेवा।
Re: छोटी उम्र में बड़ा अनुभव - Chhoti Umr Me Bada Anubhav
छोटी उम्र में बड़ा अनुभव - Chhoti Umr Me Bada Anubhav
मैं पठानकोट की रहने वाली हूँ और सांवली लेकिन भरे फ़ूले शरीर की मालकिन हूँ। मैं एक अच्छे खाते पीते परिवार की लड़की हूँ। मेरे पापा बहुत बडे सरकारी अफसर हैं। मेरी मां एक पढ़ी-लिखी और फ़ेशनेब्ल स्त्री हैं, वहीं मेरे पापा बहुत ही शरीफ़ और इमानदार अफ़सर है। मेरा भाई विदेश में रहता है।
मेरे भाई का एक दोस्त था, जिसका एक छोटा भाई था जिसका नाम राहुल था। राहुल अपने भाई के साथ कई बार हमारे घर आया करता था। मुझे राहुल शुरु से ही बहुत पसन्द था। धीरे धीरे वो भी मुझे पसन्द करने लगा था। अब वो अपने भाई के बिना भी हमारे घर आने लगा था। हम दोनों अक्सर मोबाईल पे बातें किया करते थे, अब हमारी बातें प्रेमियों की तरह होने लगी थी। वो हमारे घर किसी ना किसी बहाने से आ ही जाता था। घर वाले उसके इस तरह घर आने पे शक भी नहीं करते थे।
इस तरह एक साल बीत गया और अब तक मुझे भी दोस्ती और प्यार में फ़र्क पता चल गया था, मेरे मन में भी राहुल को लेकर कई तरह के खयाल आने शुरु हो गये थे। अब हम मोबाइल पर एक दूसरे का चुम्बन आदि करने लगे थे, इसी तरह राहुल ने मिलने पर भी चुम्बन मांगना शुरु कर दिया लेकिन मैं उसे मना कर देती थी।
लेकिन मैं उसको इस तरह ज्यादा दिन मना नहीं कर पाई और एक दिन वो मुझे पढ़ाने के बहाने मेरे घर आया। मेरी माँ अपने कमरे में टी वी देख रही थी, उस वक्त उसने मुझे अचानक कन्धों से पकड़ लिया और मुझे चुम्मा देने के लिये कहने लगा। इस बार मैं उसको मना नहीं कर पाई और उसने माँ के आ जाने के डर से मुझे धीरे से एक बार चूम कर छोड़ दिया। कुछ ही देर बाद वो वापिस अपने घर चला गया।
उस रात मैं बेसब्री से उसके फोन का इन्तजार कर रही थी कि ग्यारह बजे के करीब उसका फोन आया। मैं बहुत खुश थी।
उसने मुझे पूछा- तुम्हें चुम्बन में मजा आया?
तो मैंने अपने दिल का हाल उसे बता दिया।
उस दिन उसने मेरे साथ फोन सेक्स भी किया। मेरी हालत बहुत खराब हो चुकी थी, मेरा दिल चाह रहा था कि राहुल अभी आ जाये और मुझे अपनी बाहों में भर के वो सब कुछ कर डाले जो फोन पे कह रहा था।
अब हम मिलते तो चुम्बन तो आम हो गया था अब राहुल बेझिझक मेरे शरीर पर जहाँ चाहता हाथ फ़ेरता था। हमने घर से बाहर रेस्टोरेन्ट में भी मिलना शुरू कर दिया था। वहाँ राहुल बेझिझक मेज़ के नीचे मेरी स्कर्ट के अन्दर मेरी जांघों पर हाथ फ़ेरता था कभी मौका पा के शर्ट के उपर से ही मेरे स्तनों को सहला देता था । ये सब मुझे बहुत अच्छा लगता था। घर पे मैं अपने भैया का कम्प्यूटर ही प्रयोग करती थी जिस में मैं कई बार ब्लू-फ़िल्म देखा करती थी। अब मुझे इस सबकी अच्छी तरह समझ आ चुकी थी। मैं मन ही मन ना जाने कितनी बार राहुल के साथ सम्भोगग कर चुकी थी। इस बीच मेरे पापा का तबादला कहीं और हो गया लेकिन मेरी पढ़ाई की वजह से मुझे और मेरी माँ को पठानकोट में ही रुकना पड़ा।
इसी बीच एक बार हमारा एसी खराब हो गया और पापा ने जहाँ से एसी लिया था वहाँ फोन से शिकायत लिखवा दी। उस दिन रविवार था और वो शोरूम बन्द था इसलिए शोरूम के मालिक जो हमारे घर के पास ही रहते थे का बेटा खुद एसी चेक करने हमारे घर आ गया। उनके परिवार से हमारे बहुत अच्छे पारिवारिक सम्बंध थे, अक्सर हमारे घर आते जाते रहते थे। उनका नाम रोहण था, मैं उनको रोहण भैया कहती थी। वो करीब 27-28 साल के होंगे। उन्होंने थोड़ी ही देर में एसी ठीक कर दिया। माँ ने उन्हें कोल्ड ड्रिंक वगैरह पिलाई और कुछ देर बातें करने के बाद वो चले गये। लेकिन इसके बाद उनका हमारे घर आना जाना बढ़ गया। अकसर माँ उनसे फोन पे बातें करती रहती थी जो मुझे अच्छा नहीं लगता था। हम शनिवार और रविवार को पापा के पास चले जाया करते थे या पापा यहाँ आ जाया करते थे और घर की चाबियाँ रोहण भैया के पास ही रहती थी, दूसरी चाबी हमारे पास होती थी।
एक बार माँ किट्टी-पार्टी पे जा रही थी। जब माँ जा रही थी तो रोहण भैया भी बाहर खड़े थे, माँ ने उन्हें मेरा ध्यान रखने को बोला और चली गई। माँ के घर से बाहर जाते ही मैंने राहुल को फोन कर दिया तो राहुल ने घर पे मिलने की जिद करनी शुरु कर दी, मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था राहुल को अकेले में मिलने का, मैंने माँ को फोन करके अपनी सहेली के घर जाने का पूछा, माँ ने कह दिया कि मैं 3-4 घंटे में वापिस आ जाउँगी उससे पहले वापिस आ जाना। मैंने राहुल को फोन किया और घर बुला लिया। मैं भी बहुत खुश थी कि आज राहुल के साथ जो अपने सपनों में होते देखा था आज हकीक़त में उसका मजा लूँगी।
इसी बीच राहुल आ गया। राहुल को अन्दर बुला कर मैंने जल्दी से बाहर वाले दरवाज़े को लॉक कर लिया। मैंने उस समय आसमानी रंग की स्कर्ट और सफ़ेद रंग का टोप पहना हुआ था। राहुल ने मुझे वहीं से अपनी बाहों में उठा लिया और बेडरूम में ले गया।
वो कुछ ज्यादा ही जल्दी में लग रहा था। मैंने उसे कहा- माँ ने 3-4 घंटे बाद वापिस आना है, पहले कुछ खा पी तो लो !
लेकिन वो कहने लगा- एक शिफ़्ट हो जाये उसके बाद देखेंगे खाना पीना।
कुछ ही पलों में मैं सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी। उस समय मैं 30 नम्बर की ब्रा पहनती थी जोकि उम्र के हिसाब से कहीं बड़ा था। अब मैं भी आपा खो चुकी थी मैंने जल्दी से राहुल की टी-शर्ट उतार दी और उसकी पैंट की जिप खोलने लगी, उसने मेरी ब्रा की हुक खोल दी और मेरे मम्मों को बाहर निकाल के चूसना शुरु कर दिया। मैंने भी राहुल का लण्ड बाहर निकाल के उसको हाथों से सहलना शुरु कर दिया।
अब राहुल के हाथ भी चल रहे थे, वो मुँह से मेरे मम्मों को चूस रहा था और हाथों से मेरी पेन्टी उतार रहा था। मैं राहुल के सामने बिल्कुल नंगी थी, राहुल मेरे मम्मे चूसता हुआ अपनी एक उँगली को धीरे धीरे मेरी फ़ुद्दी (चूत) में घुसाने की कोशिश कर रहा था, उसकी इस कोशिश की वजह से मैं आपे से बाहर हो गई और राहुल को अपना लण्ड मेरी फ़ुद्दी (चूत) में डालने को कहने लगी।
राहुल ने भी मौके की नजाकत को समझा और मुझे बेड पे पीठ के बल लेट जाने को बोला, मैंने वैसा ही किया।
अब राहुल मेरी दोनों टांगों के बीच में था, उसने कहा- अपनी दोनों टांगों को फ़ैलाओ !
मैंने वैसा ही किया, राहुल ने मेरी टांगों को उठा के अपने कन्धों पर रख लिया और धीरे से अपना लण्ड मेरी फ़ुद्दी पे रख दिया, यह मेरी और राहुल दोनों की ही पहली चुदाई थी। राहुल ने अपना लण्ड मेरी फ़ुद्दी पे रख के दबाव बढ़ाना शुरु किया। लण्ड थोड़ा सा अन्दर गया और फ़िसल कर बाहर आ गया, इस तरह एक दो बार हुआ तो राहुल खुद पे कन्ट्रोल नहीं कर पाया और इतने में ही स्खलित हो गया।
इतने में दरवाजे पर आहट हुई और कोई अन्दर आया। हम दोनों के होश उड़ गये, वो और कोई नहीं रोहण भैया थे। राहुल उठ कर भागने लगा तो भैया ने उस्को पकड़ लिया। हमने भैया से बहुत मिन्नतें की लेकिन भैया ने राहुल को उसी बेडरूम में बन्द कर दिया और मुझे खींच कर दूसरे कमरे में ले गये।
मैंने सोचा- कैसी मुसीबत में फ़न्स गये ? किया भी कुछ नहीं और पकड़े भी गये !
लेकिन भैया का मूड़ कुछ और ही था। या फ़िर मेरा नंगा जिस्म देख के उनके होश उड़ गये थे।
उन्होंने मुझे सीधा ही बोल दिया- अगर तुम बदनामी और अपनी माँ से बचना चाहती हो तो तुम्हें मुझसे चुदना होगा।
मेरे पास और कोई चारा भी नहीं था और वैसे भी मैं अभी चुदी कहाँ थी लण्ड का स्वाद चखने से पहले ही पकड़ी गई थी। रोहण की बात मैं मान गई। लेकिन मैंने रोहण भैया को पहले राहुल को छोड़ने के लिये बोला। भैया मान गये लेकिन उन्होंने पहले मुझे इसी हालत में फोटो खिंचवाने के लिये बोला ताकि मैं अपनी बात से मुकर ना जाऊँ ! लेकिन मैं तो खुद ही तैयार थी इसलिये मैं झट से मान गई।
भैया ने जल्दी से अपना मोबाईल निकाला और मेरे नग्न शरीर की 6-7 तस्वीरें खींची और मुझे कपड़े पहनने को बोल दिया और राहुल को डरा धमका कर घर से भगा दिया।
राहुल के जाने के बाद मैं झट से किचन में गई और रोहण भैया के लिये फ़्रिज से कोल्ड ड्रिन्क ले आई। भैया ने एक दो घून्ट ही कोल्ड ड्रिन्क पी और मुझे बेडरूम में आने का इशारा करके मेरे आगे आगे चल पड़े। बेडरूम में पहुँचते ही उन्होंने मुझे अपनी बाहों में उठा कर बेड पे लिटा दिया।
भैया ने जल्दी से बिना वक्त गंवाए मेरे कपड़े उतारने शुरु कर दिये, देखते ही देखते एक मिनट से भी पहले मैं भैया के सामने नग्न लेटी हुई थी।
अब भैया मेरे सामने खुद के भी कपड़े निकालने लगे, भैया सिर्फ़ अन्डरवियर में मेरे सामने खड़े थे, अन्डरवियर में से उनका लण्ड थोड़ा उभरा हुआ सा नजर आ रहा था। लेकिन भैया ने अपना अन्डरवियर भी निकाल दिया और हम दोनों अब निर्वस्त्र थे। भैया का लण्ड देख के मेरे तो होश ही उड़ गये, रोहण भैया का लण्ड मेरे अनुमान से बहुत ज्यादा बड़ा था।
भैया ने कहा- तुम सिर्फ़ मेरी वजह से चुदना चाहती हो या मजा लेना चाहती हो ?
मैंने बेझिझक बोल दिया- मैं मजा लेना चाहती हूँ।
तो भैया की आँखों में अजीब सी खुशी नजर आई मुझे। मैं बेड पर बैठी थी और रोहण भैया मेरे सामने खड़े थे। रोहण ने कहा- मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लो और इसको लॉलीपॉप की तरह चूसो !
मैं वैसा ही करने लगी। तीन चार मिनट तक यूँ ही मैं उनका लण्ड चूसती रही, रोहण भैया का लगभग नौ इंच का लण्ड अपने पूरे आकार में तन गया था, जिससे मुझे लण्ड को पूरा मुँह में लेने में परेशानी हो रही थी। तभी भैया ने अपना लण्ड मेरे मुँह में से बाहर निकाल लिया। अब भैया ने मेरे मम्मों को अपने हाथों में संभाल लिया, वे उन्हें बड़े प्यार से सहलाने लगे वह कभी मेरे स्तनों को तो कभी गहरे गुलाबी रंग के चुचूकों को चुटकियों से मसल रहे थे। मुझे इस सब में बहुत मजा आ रहा था। भैया ने मम्मे चूसते चूसते अपनी एक उँगली को धीरे धीरे मेरी फ़ुद्दी में घुसा दिया। मैं अब आपा खो चुकी थी, रोहण भैया अब अपनी जीभ से मेरी फ़ुद्दी चाटने लगे थे, मेरे शरीर में बिजलियाँ दौड़ने लगी थी, मैं कामुक स्वर में बोली- रोहण ! अब देर मत करो प्लीज़…
इतना सुनते ही भैया ने मेरी फ़ुद्दी में ढेर सारा थूक लगाया और अपने मोटे लण्ड के मुँह को मेरी फ़ुद्दी के मुँह पर रख कर धक्का मारा, मुझे बहुत दर्द महसूस हुआ लेकिन कुंवारी फ़ुद्दी होने के कारण रोहण का लण्ड भी राहुल की तरह फिसल जाने के कारण ज्यादा दर्द नहीं सहना पड़ा। पर रोहण भैया तो पक्के शिकारी थे, उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और अपने हाथों से मेरी जाँघों को थोड़ा और फ़ैला दिया और लिंग-मुंड को फिर से फंसा कर दोबारा कोशिश करने लगे।
भैया ने इस बार हल्का सा धक्का दिया, लिंग-मुंड मेरी फ़ुद्दी को लगभग फाड़ते हुए अन्दर घुस गया। दर्द के मारे मेरी चीख निकल गई ..... आ ई ई ई ऊई मां मर गई मैं तो .... प्लीज.... निकालो इसे ...
मैं इतना ही कह पाई थी कि रोहण ने थोड़ा पीछे हट कर एक धक्का और मारा !
मैं बुरी तरह चीखी- उफ ..... आई... मां प्लीज ...भैया प्लीज ओह....
और दर्द के मारे मैं आगे कुछ नहीं कह पाई और अपने सिर को बेड से सटा लिया, मेरी आँखों में पानी आ गया था।
भैया ने कहा- बस एक दो इंच बचा है......अगर कहो तो डाल दूँ ?
मैंने कहा- ...अब इतना दर्द नहीं है..... भैया ...अगर एक दो इंच ही रह गया है तो डाल दो ...... मैं झेल लूंगी .... ।
लेकिन भैया झूठ बोल रहे थे, लण्ड अभी आधा बाहर ही था। भैया ने लण्ड को दो तीन इंच पीछे खीच कर एक जोर का धक्का मारा, मेरा मुँह बेड पर घिसटता हुआ सा आगे सरक गया, मुझे लगा जैसे किसी ने कोई तेज़ तलवार मेरी फ़ुद्दी में घुसा दी हो, मेरे हलक से मर्मांतक चीख निकली, मेरा हाथ मेरी फ़ुद्दी पर पहुँच गया, हाथ चिपचिपे से द्रव्य से सन गया। मैंने हाथ को आँखों के सामने ला कर देखा तो और डर गई, अंगुलियाँ खून से लाल थी, उफ.....मेरी फ़ुद्दी तो जख्मी हो गई....अब क्या होगा.......उफ निकालिए इसे..... मैं रोती हुई कह रही थी, भैया मैं मर जाउंगी।
भैया ने मेरे मम्मे मसलते हुए कहा- यह तो थोड़ी सी ब्लीडिंग योनि-पट फटने से होती है ..... अब तुम्हें सिर्फ़ मजा ही मजा आएगा।
उनकी बात सच ही थी- धीरे धीरे मेरा दर्द आनंद में बदलने लगा था। भैया अब थोड़ा जल्दी जल्दी अपने लंबे लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगे। मैं बुरी तरह कांपने लगी थी, मेरे मुँह से कामुक आवाजें फ़ूट रही थी। अब मुझे बहुत मज़ा आने लगा था। मैंने कहा- भैया ! ज़रा जोर-जोर से कीजिये ! उफ....उफ... ! मैं टूटे शब्दों में बोली।
भैया ने रफ़्तार बढ़ा दी, मेरी सिसकारियाँ और भी कामुक हो गई, वो जैसे निर्दयी हो गए थे, फ़च फ़च की आवाज़ सारे कमरे में गूँज रही थी, उत्तेजना में मैंने भैया की पीठ को नोचना शुरु कर दिया था , उसने मेरे स्तनों को और मेरे लबों को चूसना शुरु कर दिया। मैं हुच.. हुच. की आवाजों के साथ बिस्तर पर रगड़ खा रही थी। रोहण भैया अपने पूरे जोश में थे, वह मेरे मम्मों को सहलाते तो कभी मेरे चुचूक को मसलते हुए आगे पीछे हो रहे थे।
अब उनकी गति में और तेजी आ गई, मैं दांतों तले होंठों को दबाये उनके लिंग द्वारा प्राप्त आनंद के सागर में हिलोरें ले रही थी। अब भैया चित्त लेट गए और मुझे अपने लण्ड पर बिठा लिया मैं स्वयं ऊपर नीचे होने लगी, एसी चालू होने के बावजूद हम दोनों को पसीना आ गया था। अचानक भैया का तेवर बदला और उन्होंने बैठ कर मुझे फिर पीठ के बल लिटा दिया और मेरी फ़ुद्दी में अपना लण्ड डाल कर जोर जोर से धक्के मारने लगे। मैं अपने चरम पर आ चुकी थी, अचानक उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि से निकाल लिया और मेरे मुँह में डालकर जोर जोर से धक्के मारे और फिर मेरे सर को थाम कर ढेर से होते चले गए, वह मेरे मुख में ही स्खलित हो गए।
मैंने उनके लिंग को छोड़ा नहीं बल्कि उसे चूस चूस कर दोबारा उत्तेजित करने लगी। रोहण भैया ने मेरे मम्मों से खेलना शुरू कर दिया और बोले- क्यों ? कैसा रहा.....?
बहुत मजा आया भैया ! .... लेकिन मेरी फ़ुद्दी तो जैसे सुन्न हो गई है ..... मैंने उनकी पीठ को सहलाते हुए कहा।
यह सुन्नपन तो ख़त्म हो जायेगा थोड़ी देर में, पहली बार में तो थोड़ा कष्ट उठाना ही पड़ता है, अब तुम अगली बार देखना इतनी परेशानी नहीं होगी बल्कि सिर्फ मजा आएगा, भैया ने मेरे स्तन को चूसते हुए कहा।
उफ भैया.......इन्हें आप चूसते हैं तो कैसी घंटियाँ सी बजती है मेरे शरीर में ! ..... प्लीज भैया चूसिये इन्हें ! .......... मैं कामुक तरंग में खेलती हुई बोली।
अच्छा लो ! कह कर रोहण भैया मेरे गहरे गुलाबी रंग के निप्पलों को बारी बारी चूसने लगे, मैं आनंदित होने लगी।
मैंने भैया से पूछा- आपने पहले किसी को चोदा है ?
हाँ चोदा है । लेकिन इससे पहले मैंने 20 साल से कम उम्र की किसी लड़की को कभी नहीं चोदा।
उस दिन माँ के आने से पहले भैया ने मुझे एक बार और चोदा। इस चुदाई के एक सप्ताह तक मुझे पेशाब करते वक्त पेशाब वाली जगह पे बहुत जलन होती रही। अब यह सिलसिला लगातार चल रहा है।
शेष अगले भाग में !
मैं पठानकोट की रहने वाली हूँ और सांवली लेकिन भरे फ़ूले शरीर की मालकिन हूँ। मैं एक अच्छे खाते पीते परिवार की लड़की हूँ। मेरे पापा बहुत बडे सरकारी अफसर हैं। मेरी मां एक पढ़ी-लिखी और फ़ेशनेब्ल स्त्री हैं, वहीं मेरे पापा बहुत ही शरीफ़ और इमानदार अफ़सर है। मेरा भाई विदेश में रहता है।
मेरे भाई का एक दोस्त था, जिसका एक छोटा भाई था जिसका नाम राहुल था। राहुल अपने भाई के साथ कई बार हमारे घर आया करता था। मुझे राहुल शुरु से ही बहुत पसन्द था। धीरे धीरे वो भी मुझे पसन्द करने लगा था। अब वो अपने भाई के बिना भी हमारे घर आने लगा था। हम दोनों अक्सर मोबाईल पे बातें किया करते थे, अब हमारी बातें प्रेमियों की तरह होने लगी थी। वो हमारे घर किसी ना किसी बहाने से आ ही जाता था। घर वाले उसके इस तरह घर आने पे शक भी नहीं करते थे।
इस तरह एक साल बीत गया और अब तक मुझे भी दोस्ती और प्यार में फ़र्क पता चल गया था, मेरे मन में भी राहुल को लेकर कई तरह के खयाल आने शुरु हो गये थे। अब हम मोबाइल पर एक दूसरे का चुम्बन आदि करने लगे थे, इसी तरह राहुल ने मिलने पर भी चुम्बन मांगना शुरु कर दिया लेकिन मैं उसे मना कर देती थी।
लेकिन मैं उसको इस तरह ज्यादा दिन मना नहीं कर पाई और एक दिन वो मुझे पढ़ाने के बहाने मेरे घर आया। मेरी माँ अपने कमरे में टी वी देख रही थी, उस वक्त उसने मुझे अचानक कन्धों से पकड़ लिया और मुझे चुम्मा देने के लिये कहने लगा। इस बार मैं उसको मना नहीं कर पाई और उसने माँ के आ जाने के डर से मुझे धीरे से एक बार चूम कर छोड़ दिया। कुछ ही देर बाद वो वापिस अपने घर चला गया।
उस रात मैं बेसब्री से उसके फोन का इन्तजार कर रही थी कि ग्यारह बजे के करीब उसका फोन आया। मैं बहुत खुश थी।
उसने मुझे पूछा- तुम्हें चुम्बन में मजा आया?
तो मैंने अपने दिल का हाल उसे बता दिया।
उस दिन उसने मेरे साथ फोन सेक्स भी किया। मेरी हालत बहुत खराब हो चुकी थी, मेरा दिल चाह रहा था कि राहुल अभी आ जाये और मुझे अपनी बाहों में भर के वो सब कुछ कर डाले जो फोन पे कह रहा था।
अब हम मिलते तो चुम्बन तो आम हो गया था अब राहुल बेझिझक मेरे शरीर पर जहाँ चाहता हाथ फ़ेरता था। हमने घर से बाहर रेस्टोरेन्ट में भी मिलना शुरू कर दिया था। वहाँ राहुल बेझिझक मेज़ के नीचे मेरी स्कर्ट के अन्दर मेरी जांघों पर हाथ फ़ेरता था कभी मौका पा के शर्ट के उपर से ही मेरे स्तनों को सहला देता था । ये सब मुझे बहुत अच्छा लगता था। घर पे मैं अपने भैया का कम्प्यूटर ही प्रयोग करती थी जिस में मैं कई बार ब्लू-फ़िल्म देखा करती थी। अब मुझे इस सबकी अच्छी तरह समझ आ चुकी थी। मैं मन ही मन ना जाने कितनी बार राहुल के साथ सम्भोगग कर चुकी थी। इस बीच मेरे पापा का तबादला कहीं और हो गया लेकिन मेरी पढ़ाई की वजह से मुझे और मेरी माँ को पठानकोट में ही रुकना पड़ा।
इसी बीच एक बार हमारा एसी खराब हो गया और पापा ने जहाँ से एसी लिया था वहाँ फोन से शिकायत लिखवा दी। उस दिन रविवार था और वो शोरूम बन्द था इसलिए शोरूम के मालिक जो हमारे घर के पास ही रहते थे का बेटा खुद एसी चेक करने हमारे घर आ गया। उनके परिवार से हमारे बहुत अच्छे पारिवारिक सम्बंध थे, अक्सर हमारे घर आते जाते रहते थे। उनका नाम रोहण था, मैं उनको रोहण भैया कहती थी। वो करीब 27-28 साल के होंगे। उन्होंने थोड़ी ही देर में एसी ठीक कर दिया। माँ ने उन्हें कोल्ड ड्रिंक वगैरह पिलाई और कुछ देर बातें करने के बाद वो चले गये। लेकिन इसके बाद उनका हमारे घर आना जाना बढ़ गया। अकसर माँ उनसे फोन पे बातें करती रहती थी जो मुझे अच्छा नहीं लगता था। हम शनिवार और रविवार को पापा के पास चले जाया करते थे या पापा यहाँ आ जाया करते थे और घर की चाबियाँ रोहण भैया के पास ही रहती थी, दूसरी चाबी हमारे पास होती थी।
एक बार माँ किट्टी-पार्टी पे जा रही थी। जब माँ जा रही थी तो रोहण भैया भी बाहर खड़े थे, माँ ने उन्हें मेरा ध्यान रखने को बोला और चली गई। माँ के घर से बाहर जाते ही मैंने राहुल को फोन कर दिया तो राहुल ने घर पे मिलने की जिद करनी शुरु कर दी, मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था राहुल को अकेले में मिलने का, मैंने माँ को फोन करके अपनी सहेली के घर जाने का पूछा, माँ ने कह दिया कि मैं 3-4 घंटे में वापिस आ जाउँगी उससे पहले वापिस आ जाना। मैंने राहुल को फोन किया और घर बुला लिया। मैं भी बहुत खुश थी कि आज राहुल के साथ जो अपने सपनों में होते देखा था आज हकीक़त में उसका मजा लूँगी।
इसी बीच राहुल आ गया। राहुल को अन्दर बुला कर मैंने जल्दी से बाहर वाले दरवाज़े को लॉक कर लिया। मैंने उस समय आसमानी रंग की स्कर्ट और सफ़ेद रंग का टोप पहना हुआ था। राहुल ने मुझे वहीं से अपनी बाहों में उठा लिया और बेडरूम में ले गया।
वो कुछ ज्यादा ही जल्दी में लग रहा था। मैंने उसे कहा- माँ ने 3-4 घंटे बाद वापिस आना है, पहले कुछ खा पी तो लो !
लेकिन वो कहने लगा- एक शिफ़्ट हो जाये उसके बाद देखेंगे खाना पीना।
कुछ ही पलों में मैं सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी। उस समय मैं 30 नम्बर की ब्रा पहनती थी जोकि उम्र के हिसाब से कहीं बड़ा था। अब मैं भी आपा खो चुकी थी मैंने जल्दी से राहुल की टी-शर्ट उतार दी और उसकी पैंट की जिप खोलने लगी, उसने मेरी ब्रा की हुक खोल दी और मेरे मम्मों को बाहर निकाल के चूसना शुरु कर दिया। मैंने भी राहुल का लण्ड बाहर निकाल के उसको हाथों से सहलना शुरु कर दिया।
अब राहुल के हाथ भी चल रहे थे, वो मुँह से मेरे मम्मों को चूस रहा था और हाथों से मेरी पेन्टी उतार रहा था। मैं राहुल के सामने बिल्कुल नंगी थी, राहुल मेरे मम्मे चूसता हुआ अपनी एक उँगली को धीरे धीरे मेरी फ़ुद्दी (चूत) में घुसाने की कोशिश कर रहा था, उसकी इस कोशिश की वजह से मैं आपे से बाहर हो गई और राहुल को अपना लण्ड मेरी फ़ुद्दी (चूत) में डालने को कहने लगी।
राहुल ने भी मौके की नजाकत को समझा और मुझे बेड पे पीठ के बल लेट जाने को बोला, मैंने वैसा ही किया।
अब राहुल मेरी दोनों टांगों के बीच में था, उसने कहा- अपनी दोनों टांगों को फ़ैलाओ !
मैंने वैसा ही किया, राहुल ने मेरी टांगों को उठा के अपने कन्धों पर रख लिया और धीरे से अपना लण्ड मेरी फ़ुद्दी पे रख दिया, यह मेरी और राहुल दोनों की ही पहली चुदाई थी। राहुल ने अपना लण्ड मेरी फ़ुद्दी पे रख के दबाव बढ़ाना शुरु किया। लण्ड थोड़ा सा अन्दर गया और फ़िसल कर बाहर आ गया, इस तरह एक दो बार हुआ तो राहुल खुद पे कन्ट्रोल नहीं कर पाया और इतने में ही स्खलित हो गया।
इतने में दरवाजे पर आहट हुई और कोई अन्दर आया। हम दोनों के होश उड़ गये, वो और कोई नहीं रोहण भैया थे। राहुल उठ कर भागने लगा तो भैया ने उस्को पकड़ लिया। हमने भैया से बहुत मिन्नतें की लेकिन भैया ने राहुल को उसी बेडरूम में बन्द कर दिया और मुझे खींच कर दूसरे कमरे में ले गये।
मैंने सोचा- कैसी मुसीबत में फ़न्स गये ? किया भी कुछ नहीं और पकड़े भी गये !
लेकिन भैया का मूड़ कुछ और ही था। या फ़िर मेरा नंगा जिस्म देख के उनके होश उड़ गये थे।
उन्होंने मुझे सीधा ही बोल दिया- अगर तुम बदनामी और अपनी माँ से बचना चाहती हो तो तुम्हें मुझसे चुदना होगा।
मेरे पास और कोई चारा भी नहीं था और वैसे भी मैं अभी चुदी कहाँ थी लण्ड का स्वाद चखने से पहले ही पकड़ी गई थी। रोहण की बात मैं मान गई। लेकिन मैंने रोहण भैया को पहले राहुल को छोड़ने के लिये बोला। भैया मान गये लेकिन उन्होंने पहले मुझे इसी हालत में फोटो खिंचवाने के लिये बोला ताकि मैं अपनी बात से मुकर ना जाऊँ ! लेकिन मैं तो खुद ही तैयार थी इसलिये मैं झट से मान गई।
भैया ने जल्दी से अपना मोबाईल निकाला और मेरे नग्न शरीर की 6-7 तस्वीरें खींची और मुझे कपड़े पहनने को बोल दिया और राहुल को डरा धमका कर घर से भगा दिया।
राहुल के जाने के बाद मैं झट से किचन में गई और रोहण भैया के लिये फ़्रिज से कोल्ड ड्रिन्क ले आई। भैया ने एक दो घून्ट ही कोल्ड ड्रिन्क पी और मुझे बेडरूम में आने का इशारा करके मेरे आगे आगे चल पड़े। बेडरूम में पहुँचते ही उन्होंने मुझे अपनी बाहों में उठा कर बेड पे लिटा दिया।
भैया ने जल्दी से बिना वक्त गंवाए मेरे कपड़े उतारने शुरु कर दिये, देखते ही देखते एक मिनट से भी पहले मैं भैया के सामने नग्न लेटी हुई थी।
अब भैया मेरे सामने खुद के भी कपड़े निकालने लगे, भैया सिर्फ़ अन्डरवियर में मेरे सामने खड़े थे, अन्डरवियर में से उनका लण्ड थोड़ा उभरा हुआ सा नजर आ रहा था। लेकिन भैया ने अपना अन्डरवियर भी निकाल दिया और हम दोनों अब निर्वस्त्र थे। भैया का लण्ड देख के मेरे तो होश ही उड़ गये, रोहण भैया का लण्ड मेरे अनुमान से बहुत ज्यादा बड़ा था।
भैया ने कहा- तुम सिर्फ़ मेरी वजह से चुदना चाहती हो या मजा लेना चाहती हो ?
मैंने बेझिझक बोल दिया- मैं मजा लेना चाहती हूँ।
तो भैया की आँखों में अजीब सी खुशी नजर आई मुझे। मैं बेड पर बैठी थी और रोहण भैया मेरे सामने खड़े थे। रोहण ने कहा- मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लो और इसको लॉलीपॉप की तरह चूसो !
मैं वैसा ही करने लगी। तीन चार मिनट तक यूँ ही मैं उनका लण्ड चूसती रही, रोहण भैया का लगभग नौ इंच का लण्ड अपने पूरे आकार में तन गया था, जिससे मुझे लण्ड को पूरा मुँह में लेने में परेशानी हो रही थी। तभी भैया ने अपना लण्ड मेरे मुँह में से बाहर निकाल लिया। अब भैया ने मेरे मम्मों को अपने हाथों में संभाल लिया, वे उन्हें बड़े प्यार से सहलाने लगे वह कभी मेरे स्तनों को तो कभी गहरे गुलाबी रंग के चुचूकों को चुटकियों से मसल रहे थे। मुझे इस सब में बहुत मजा आ रहा था। भैया ने मम्मे चूसते चूसते अपनी एक उँगली को धीरे धीरे मेरी फ़ुद्दी में घुसा दिया। मैं अब आपा खो चुकी थी, रोहण भैया अब अपनी जीभ से मेरी फ़ुद्दी चाटने लगे थे, मेरे शरीर में बिजलियाँ दौड़ने लगी थी, मैं कामुक स्वर में बोली- रोहण ! अब देर मत करो प्लीज़…
इतना सुनते ही भैया ने मेरी फ़ुद्दी में ढेर सारा थूक लगाया और अपने मोटे लण्ड के मुँह को मेरी फ़ुद्दी के मुँह पर रख कर धक्का मारा, मुझे बहुत दर्द महसूस हुआ लेकिन कुंवारी फ़ुद्दी होने के कारण रोहण का लण्ड भी राहुल की तरह फिसल जाने के कारण ज्यादा दर्द नहीं सहना पड़ा। पर रोहण भैया तो पक्के शिकारी थे, उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और अपने हाथों से मेरी जाँघों को थोड़ा और फ़ैला दिया और लिंग-मुंड को फिर से फंसा कर दोबारा कोशिश करने लगे।
भैया ने इस बार हल्का सा धक्का दिया, लिंग-मुंड मेरी फ़ुद्दी को लगभग फाड़ते हुए अन्दर घुस गया। दर्द के मारे मेरी चीख निकल गई ..... आ ई ई ई ऊई मां मर गई मैं तो .... प्लीज.... निकालो इसे ...
मैं इतना ही कह पाई थी कि रोहण ने थोड़ा पीछे हट कर एक धक्का और मारा !
मैं बुरी तरह चीखी- उफ ..... आई... मां प्लीज ...भैया प्लीज ओह....
और दर्द के मारे मैं आगे कुछ नहीं कह पाई और अपने सिर को बेड से सटा लिया, मेरी आँखों में पानी आ गया था।
भैया ने कहा- बस एक दो इंच बचा है......अगर कहो तो डाल दूँ ?
मैंने कहा- ...अब इतना दर्द नहीं है..... भैया ...अगर एक दो इंच ही रह गया है तो डाल दो ...... मैं झेल लूंगी .... ।
लेकिन भैया झूठ बोल रहे थे, लण्ड अभी आधा बाहर ही था। भैया ने लण्ड को दो तीन इंच पीछे खीच कर एक जोर का धक्का मारा, मेरा मुँह बेड पर घिसटता हुआ सा आगे सरक गया, मुझे लगा जैसे किसी ने कोई तेज़ तलवार मेरी फ़ुद्दी में घुसा दी हो, मेरे हलक से मर्मांतक चीख निकली, मेरा हाथ मेरी फ़ुद्दी पर पहुँच गया, हाथ चिपचिपे से द्रव्य से सन गया। मैंने हाथ को आँखों के सामने ला कर देखा तो और डर गई, अंगुलियाँ खून से लाल थी, उफ.....मेरी फ़ुद्दी तो जख्मी हो गई....अब क्या होगा.......उफ निकालिए इसे..... मैं रोती हुई कह रही थी, भैया मैं मर जाउंगी।
भैया ने मेरे मम्मे मसलते हुए कहा- यह तो थोड़ी सी ब्लीडिंग योनि-पट फटने से होती है ..... अब तुम्हें सिर्फ़ मजा ही मजा आएगा।
उनकी बात सच ही थी- धीरे धीरे मेरा दर्द आनंद में बदलने लगा था। भैया अब थोड़ा जल्दी जल्दी अपने लंबे लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगे। मैं बुरी तरह कांपने लगी थी, मेरे मुँह से कामुक आवाजें फ़ूट रही थी। अब मुझे बहुत मज़ा आने लगा था। मैंने कहा- भैया ! ज़रा जोर-जोर से कीजिये ! उफ....उफ... ! मैं टूटे शब्दों में बोली।
भैया ने रफ़्तार बढ़ा दी, मेरी सिसकारियाँ और भी कामुक हो गई, वो जैसे निर्दयी हो गए थे, फ़च फ़च की आवाज़ सारे कमरे में गूँज रही थी, उत्तेजना में मैंने भैया की पीठ को नोचना शुरु कर दिया था , उसने मेरे स्तनों को और मेरे लबों को चूसना शुरु कर दिया। मैं हुच.. हुच. की आवाजों के साथ बिस्तर पर रगड़ खा रही थी। रोहण भैया अपने पूरे जोश में थे, वह मेरे मम्मों को सहलाते तो कभी मेरे चुचूक को मसलते हुए आगे पीछे हो रहे थे।
अब उनकी गति में और तेजी आ गई, मैं दांतों तले होंठों को दबाये उनके लिंग द्वारा प्राप्त आनंद के सागर में हिलोरें ले रही थी। अब भैया चित्त लेट गए और मुझे अपने लण्ड पर बिठा लिया मैं स्वयं ऊपर नीचे होने लगी, एसी चालू होने के बावजूद हम दोनों को पसीना आ गया था। अचानक भैया का तेवर बदला और उन्होंने बैठ कर मुझे फिर पीठ के बल लिटा दिया और मेरी फ़ुद्दी में अपना लण्ड डाल कर जोर जोर से धक्के मारने लगे। मैं अपने चरम पर आ चुकी थी, अचानक उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि से निकाल लिया और मेरे मुँह में डालकर जोर जोर से धक्के मारे और फिर मेरे सर को थाम कर ढेर से होते चले गए, वह मेरे मुख में ही स्खलित हो गए।
मैंने उनके लिंग को छोड़ा नहीं बल्कि उसे चूस चूस कर दोबारा उत्तेजित करने लगी। रोहण भैया ने मेरे मम्मों से खेलना शुरू कर दिया और बोले- क्यों ? कैसा रहा.....?
बहुत मजा आया भैया ! .... लेकिन मेरी फ़ुद्दी तो जैसे सुन्न हो गई है ..... मैंने उनकी पीठ को सहलाते हुए कहा।
यह सुन्नपन तो ख़त्म हो जायेगा थोड़ी देर में, पहली बार में तो थोड़ा कष्ट उठाना ही पड़ता है, अब तुम अगली बार देखना इतनी परेशानी नहीं होगी बल्कि सिर्फ मजा आएगा, भैया ने मेरे स्तन को चूसते हुए कहा।
उफ भैया.......इन्हें आप चूसते हैं तो कैसी घंटियाँ सी बजती है मेरे शरीर में ! ..... प्लीज भैया चूसिये इन्हें ! .......... मैं कामुक तरंग में खेलती हुई बोली।
अच्छा लो ! कह कर रोहण भैया मेरे गहरे गुलाबी रंग के निप्पलों को बारी बारी चूसने लगे, मैं आनंदित होने लगी।
मैंने भैया से पूछा- आपने पहले किसी को चोदा है ?
हाँ चोदा है । लेकिन इससे पहले मैंने 20 साल से कम उम्र की किसी लड़की को कभी नहीं चोदा।
उस दिन माँ के आने से पहले भैया ने मुझे एक बार और चोदा। इस चुदाई के एक सप्ताह तक मुझे पेशाब करते वक्त पेशाब वाली जगह पे बहुत जलन होती रही। अब यह सिलसिला लगातार चल रहा है।
शेष अगले भाग में !
Re: sex stories collection with neighbor (Padosan k saath...
पड़ोस की विधवा भाभी - Pados Ki Vidhva Bhabhi
मेरा नाम जीत है।
सबसे पहले मैं आपको अपना परिचय देता हूँ- नाम जीत, उम्र २९ साल, कद पांच फ़ुट नौ इंच, गुजरात के जामनगर का रहने वाला हूँ। मेरे घर में तीन ही लोग रहते हैं। मेरे घर के सामने एक परिवार रहता था उसके घर में भी तीन ही लोग रहते थे। लेकिन वो क्या भाभी थी, उसकी उम्र करीबन ३८ की होगी, क्या फिगर था ! देखते ही लण्ड झट से खड़ा हो जाए ! वो पहले से ही शौकीन और सेक्सी मिजाज की थी।
एक दिन उसके पति के साथ एक दुर्घटना हो गई और वो विधवा हो गई। मुझे बहुत ही दुख हुआ। कुछ दिन ऐसे ही बीत गए।
एक दिन जब मैं सुबह ऑफिस जा रहा था तो वो अपने घर के दरवाजे पर खड़ी थी। मैंने थोड़ी देर उससे बात की और उसका सेल नंबर ले लिया।
फिर दो दिन बाद मैंने उसे फ़ोन किया, थोड़ी बहुत इधर-उधर की बात की और फिर सीधे मतलब की बात पर आ गया। मैंने कहा- भाभी ! आप जानती हो कि मैंने आपका फ़ोन नंबर क्यों लिया है? उसने कहा- हाँ !
मैं चौंक गया, मैंने कहा- आपको पता है कि मुझे आपसे क्या काम है?
उसने हंसते हुए कहा- देवर को भाभी से और क्या काम होगा !
मेरा तो लण्ड झट से खड़ा हो गया, तो मैंने कहा- कब प्रोग्राम रखना है?
उसने कहा- अभी मेरा बेटा घर आया हुआ है, जब वो वापस अपने बोर्डिंग स्कूल में चला जायेगा, तब कुछ रखेंगे।
मैंने कहा- ठीक है।
कुछ दिनों के बाद उसका बेटा वापस चला गया। मैंने उसे फ़ोन किया और कहा कि आज चुदाई का प्रोग्राम रखते हैं।
वो थोड़ा हिचकिचाई और थोड़ी आनाकानी करने लगी। मेरे घर उस दिन कोई नहीं था, मैंने उसे कहा- मैं आपके घर आ रहा हूँ।
उसने कहा- ठीक है।
फिर मैं उसके घर गया, मेरा लण्ड तना हुआ था, जींस से उभार साफ़ नज़र आ रहा था। मैं उसके घर पहुँचा, वो खाना बना रही थी। हमने थोड़ी देर बात की, मैंने उसे पूछा कि वो अपनी जवानी की प्यास कैसे बुझाती है?
उसने बड़े प्यार से कहा कि वो उंगली-मैथुन कर लेती है। हमने थोड़ी बहुत ऐसी ही बातें कीं। उसकी नज़र मेरे लण्ड पर पड़ी, वो बोली- काफी बड़ा लगता है?
मैंने कहा- खुद ही देख लो !
उसने कहा- अभी नहीं ! मैं खाना खाने के बाद तुमको बुलाती हूं।
मैंने कहा- ठीक है।
फ़िर मैं वहाँ से वापस अपने घर आ गया और उसके फ़ोन का इंतजार करने लगा।
मैं एक बात बता दूँ कि मेरा लण्ड बहुत जल्द ही खड़ा हो जाता है और उसमें से काफी सारा पानी निकलता रहता है, इसलिए मैं कई बार अपने लण्ड पे प्लास्टिक की थैली बांध देता हूँ। उसदिन भी मैंने ऐसा ही किया। फिर थोड़ी देर के बाद उसका फ़ोन आया, मैं झट से उसके घर गया। दरवाज़ा खुला था। मैंने अंदर जाते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया। फिर हम दोनों उसके ऊपर के कमरे में चले गए।ऊपर जाते ही उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मैंने उसके होटों को चूम लिया। हम करीब दस मिनट तक ऐसे ही एक दूसरे को चूमते रहे। फिर मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसके बायें स्तन पर लगाया और उसे मसलने लगा। उसके मुख से सिसकियाँ निकलने लगी- आह......आह.....
मैंने अपना एक हाथ उसके पीछे लगाया और उसकी गांड मसलने लगा। उसने उस दिन नाईट ड्रेस पहना हुआ था। मैं नीचे झुका और उसका ड्रेस नीचे से ऊपर किया और उतार दिया। वाह ! क्या गोरा बदन था उसका ! अब वो सिर्फ काले रंग की ब्रा और पेंटी में थी। मैंने अपने दोनों हाथ उसके स्तनों पर लगाये और मसलने लगा। फिर मैं नीचे झुका, मैंने उसकी पेंटी पर अपना मुँह लगाया और उसकी चूत को पेन्टी के ऊपर से चाटने लगा। वो सिसकियाँ लेने लगी।
फिर मैंने उसको पूरी नंगी कर डाली ! वाह, क्या चूत थी उसकी ! उस पर एक भी बाल नहीं था।
मैंने कहा- भाभी, आज ही सफाई की लगती है?
उसने कहा- पहले कभी किसी औरत को नंगा देखा है?
मैंने कहा- नहीं ! और यह सच भी था।
अब उसकी बारी थी, उसने मेरा टीशर्ट उतारा, मेरे पैंट उतारी और धीरे धीरे करके मुझे बिलकुल नंगा कर दिया और मेरे लण्ड को देख कर तो वो खुश हो गई, बोली- यह तो मेरे पति के लण्ड से दोगुना है। उसने तुंरत ही मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चाटने लगी। मेरा लण्ड और भी बड़ा हो गया।
मैंने उसे कहा- अब बस करो, वर्ना मेरा पानी तुम्हारे मुँह में ही छुट जायेगा।
उसने मेरी बात पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया, और फिर होना किया था.....आह...आह....ऊह... मेरे लण्ड का सारा पानी उसके मुँह में ही छुट गया और वो सारा का सारा पानी पी गई और मेरे लण्ड को बिल्कुल साफ़ कर दिया, मुझसे पूछा- मजा आया?
मैंने कहा- भाभी, कसम से बहुत मजा आया ! इतना मजा तो मुठ मारने में भी नहीं आता !
वो बोली- अब मेरा क्या होगा?
मैंने कहा- भाभी, थोड़ी देर ठहरो, मेरा लण्ड अभी खड़ा हो जायेगा !
फिर मैंने उसे अपनी गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटाया और अपनी जुबान से उसकी चूत चाटने लगा, आह...आह...आह...और ...थोड़ा और.....
मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाली और उसे अंदर-बाहर करने लगा और अपने दूसरे हाथ से उसके स्तन दबाने लगा। वो जोर जोर से सिसकियाँ लेने लगी। उसकी सिसकियाँ सुन कर मेरा लण्ड फिर से लकड़ी की तरह तन गया और उसका ध्यान उस पर गया, बोली अब किसी की राह देख रहे हो? जल्दी से मुझे चोदो और मेरी चूत फाड़ डालो !
मैंने उसके दोनों पैर को उठाकर अपने कंधे की तरफ ले गया और धीरे धीरे से अपना लण्ड उसकी चूत में डालने की कोशिश करने लगा, पर दो तीन बार नाकाम हो गया। फिर उसने अपने हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और मैंने धीरे से धक्का लगाया, मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में चला गया। वाह ! क्या अहसास था ! लगा जैसे स्वर्ग में आ गया !
उसके मुँह से ऊह ....ओउच ...निकलने लगा, बोली- थोड़ा और धक्का लगाओ !
मैंने फिर से धक्का लगाया और मेरा पूरा लण्ड उसकी गीली चूत में चला गया। मैं थोड़ी देर ऐसे ही बना रहा और उसके स्तन चाटता रहा। अब वो थोड़ी सामान्य हो गई थी, मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये।
.....ऊह.....ऊह....आह....अआछ....ओउच....और ...और....और....
मैं भी चिल्लाने लगा- ले रंडी ले ! लेती जा, तेरी माँ का भोसड़ा मारूँ....लेती जा !
ये सुनकर वो और भी कामुक हो गई और सामने से धक्के मारने लगी....आ आ आ आ ......आह....आह........
हम ऐसे ही दस मिनट तक धक्के लगाते रहे। फिर वो बोली- मैं झड़ने वाली हूँ और एक जोर की चीख के साथ वो झड़ गई।
अब मेरी बारी थी, मैंने भी कहा- भेनचोद ! मैं भी अब अपना पानी निकालने वाला हूँ, बोल कहाँ निकालूँ?
उसने कहा- मेरी चूत में ही निकाल दो !
और मेरे एक जोरदार जटके से मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में ही निकाल दिया। फिर मैं उसके ऊपर ही लेट गया और उसके होटों को चूमने लगा। फिर मैं उसकी बाईं ओर सो गया। हम दोनों बिस्तर पर बिल्कुल नंगे अपने पैरों को फ़ैलाए हुए सो रहे थे।
करीब आधे घंटे के बाद वो बोली- अभी और कुछ करने की तमन्ना है?
मैंने कहा- जानेमन ! अभी तो बहुत कुछ करना है !
वो खड़ी होकर किचन में चली गई, बिलकुल नंगी ! पीछे से उसकी गाण्ड बहुत खूबसूरत लग रही थी। वो किचन से दो गिलास दूध के ले आई। मैंने कहा- अरे यार दूध ही पिलाना था तो इन दो बड़े-बड़े चूचों से पिला लेती !
वो हंस पड़ी, हम दोनों ने दूध पी लिया, फिर दोनों सोफे पर बैठ गए, दोनों बिलकुल नंगे ! मैं उसे किस कर रहा था और एक हाथ से उसके स्तन दबा रहा था। थोड़ी देर ऐसे ही चलता रहा। फिर मैंने कहा- और एक राउंड हो जाए?
उसने कहा- क्यूँ नहीं !
मैंने कहा- अब थोड़ा सा अलग राउंड !
उसने कहा- क्या?
मैं उसके ड्रेसिंग-टेबल पर गया और वहां से तेल की बोतल उठाई। वो समझ गई, बोली- देखो जरा ध्यान से ! मुझे डर लगता है !
मैंने कहा- जान कुछ नहीं होगा ! तुम बस घूम जाओ !
हम वापस बिस्तर पर आ गये, वो कुतिया स्टाइल में हो गई। मैंने थोड़ा सा तेल निकाल कर उसकी गांड में लगाया, और थोड़ा तेल ऊँगली अंदर डाल कर गांड के अंदर भी लगाया, बोली- बहुत मजा आरहा है।
मैंने कहा- साली, अभी तो शुरुआत है। थोड़ी देर उसकी गांड की मालिश करके थोड़ा सा तेल मैंने अपने लण्ड पर भी लगाया।
मैंने कहा- तैयार हो ?
बोली- हाँ ! लेकिन ज़रा धीरे से !
मैंने अपने लण्ड को उसकी गांड पर लगाया और एक जोरदार का झटका लगाया और अपने पूरा लण्ड उसकी गांड में घुसा दिया, वो जोर से चीख पड़ी- आ....आ....आ.....अबे भड़वे धीरे से ......
थोड़ी देर उसको आराम देकर मैंने झटके लगाने शुरू कर दिये।
अब उसे भी मजा आने लगा था- आह...आह....आह....ऊह...ऊह.....ऊह...ऊह....
दस मिनट तक झटके मारता रहा और फिर अपना सारा पानी उसकी गांड में ही उडेल दिया, उसकी गांड से अपना लण्ड निकाल कर मैं बिस्तर पर लेट गया पर अभी ही उसकी गांड उपर की ओर ही रखी हुई थी, फिर धीरे धीरे से उसने अपनी गांड नीचे कर ली और वैसे ही सो गई।
उसकी गांड बहुत दर्द कर रही थी, हम एक घंटे तक सोए रहे।
फिर मेरी आँख खुली, मैंने उसे उठाया और कहा- मैं अब चलता हूँ, तू भी खड़ी हो !
वो खड़ी तो हो गई पर ठीक से चल भी नहीं पा रही थी, जैसे तैसे उसने अपने कपड़े पहने और मैंने भी अपने कपड़े पहने, फिर मैं अपने घर वापस आ गया।
मेरा नाम जीत है।
सबसे पहले मैं आपको अपना परिचय देता हूँ- नाम जीत, उम्र २९ साल, कद पांच फ़ुट नौ इंच, गुजरात के जामनगर का रहने वाला हूँ। मेरे घर में तीन ही लोग रहते हैं। मेरे घर के सामने एक परिवार रहता था उसके घर में भी तीन ही लोग रहते थे। लेकिन वो क्या भाभी थी, उसकी उम्र करीबन ३८ की होगी, क्या फिगर था ! देखते ही लण्ड झट से खड़ा हो जाए ! वो पहले से ही शौकीन और सेक्सी मिजाज की थी।
एक दिन उसके पति के साथ एक दुर्घटना हो गई और वो विधवा हो गई। मुझे बहुत ही दुख हुआ। कुछ दिन ऐसे ही बीत गए।
एक दिन जब मैं सुबह ऑफिस जा रहा था तो वो अपने घर के दरवाजे पर खड़ी थी। मैंने थोड़ी देर उससे बात की और उसका सेल नंबर ले लिया।
फिर दो दिन बाद मैंने उसे फ़ोन किया, थोड़ी बहुत इधर-उधर की बात की और फिर सीधे मतलब की बात पर आ गया। मैंने कहा- भाभी ! आप जानती हो कि मैंने आपका फ़ोन नंबर क्यों लिया है? उसने कहा- हाँ !
मैं चौंक गया, मैंने कहा- आपको पता है कि मुझे आपसे क्या काम है?
उसने हंसते हुए कहा- देवर को भाभी से और क्या काम होगा !
मेरा तो लण्ड झट से खड़ा हो गया, तो मैंने कहा- कब प्रोग्राम रखना है?
उसने कहा- अभी मेरा बेटा घर आया हुआ है, जब वो वापस अपने बोर्डिंग स्कूल में चला जायेगा, तब कुछ रखेंगे।
मैंने कहा- ठीक है।
कुछ दिनों के बाद उसका बेटा वापस चला गया। मैंने उसे फ़ोन किया और कहा कि आज चुदाई का प्रोग्राम रखते हैं।
वो थोड़ा हिचकिचाई और थोड़ी आनाकानी करने लगी। मेरे घर उस दिन कोई नहीं था, मैंने उसे कहा- मैं आपके घर आ रहा हूँ।
उसने कहा- ठीक है।
फिर मैं उसके घर गया, मेरा लण्ड तना हुआ था, जींस से उभार साफ़ नज़र आ रहा था। मैं उसके घर पहुँचा, वो खाना बना रही थी। हमने थोड़ी देर बात की, मैंने उसे पूछा कि वो अपनी जवानी की प्यास कैसे बुझाती है?
उसने बड़े प्यार से कहा कि वो उंगली-मैथुन कर लेती है। हमने थोड़ी बहुत ऐसी ही बातें कीं। उसकी नज़र मेरे लण्ड पर पड़ी, वो बोली- काफी बड़ा लगता है?
मैंने कहा- खुद ही देख लो !
उसने कहा- अभी नहीं ! मैं खाना खाने के बाद तुमको बुलाती हूं।
मैंने कहा- ठीक है।
फ़िर मैं वहाँ से वापस अपने घर आ गया और उसके फ़ोन का इंतजार करने लगा।
मैं एक बात बता दूँ कि मेरा लण्ड बहुत जल्द ही खड़ा हो जाता है और उसमें से काफी सारा पानी निकलता रहता है, इसलिए मैं कई बार अपने लण्ड पे प्लास्टिक की थैली बांध देता हूँ। उसदिन भी मैंने ऐसा ही किया। फिर थोड़ी देर के बाद उसका फ़ोन आया, मैं झट से उसके घर गया। दरवाज़ा खुला था। मैंने अंदर जाते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया। फिर हम दोनों उसके ऊपर के कमरे में चले गए।ऊपर जाते ही उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मैंने उसके होटों को चूम लिया। हम करीब दस मिनट तक ऐसे ही एक दूसरे को चूमते रहे। फिर मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसके बायें स्तन पर लगाया और उसे मसलने लगा। उसके मुख से सिसकियाँ निकलने लगी- आह......आह.....
मैंने अपना एक हाथ उसके पीछे लगाया और उसकी गांड मसलने लगा। उसने उस दिन नाईट ड्रेस पहना हुआ था। मैं नीचे झुका और उसका ड्रेस नीचे से ऊपर किया और उतार दिया। वाह ! क्या गोरा बदन था उसका ! अब वो सिर्फ काले रंग की ब्रा और पेंटी में थी। मैंने अपने दोनों हाथ उसके स्तनों पर लगाये और मसलने लगा। फिर मैं नीचे झुका, मैंने उसकी पेंटी पर अपना मुँह लगाया और उसकी चूत को पेन्टी के ऊपर से चाटने लगा। वो सिसकियाँ लेने लगी।
फिर मैंने उसको पूरी नंगी कर डाली ! वाह, क्या चूत थी उसकी ! उस पर एक भी बाल नहीं था।
मैंने कहा- भाभी, आज ही सफाई की लगती है?
उसने कहा- पहले कभी किसी औरत को नंगा देखा है?
मैंने कहा- नहीं ! और यह सच भी था।
अब उसकी बारी थी, उसने मेरा टीशर्ट उतारा, मेरे पैंट उतारी और धीरे धीरे करके मुझे बिलकुल नंगा कर दिया और मेरे लण्ड को देख कर तो वो खुश हो गई, बोली- यह तो मेरे पति के लण्ड से दोगुना है। उसने तुंरत ही मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चाटने लगी। मेरा लण्ड और भी बड़ा हो गया।
मैंने उसे कहा- अब बस करो, वर्ना मेरा पानी तुम्हारे मुँह में ही छुट जायेगा।
उसने मेरी बात पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया, और फिर होना किया था.....आह...आह....ऊह... मेरे लण्ड का सारा पानी उसके मुँह में ही छुट गया और वो सारा का सारा पानी पी गई और मेरे लण्ड को बिल्कुल साफ़ कर दिया, मुझसे पूछा- मजा आया?
मैंने कहा- भाभी, कसम से बहुत मजा आया ! इतना मजा तो मुठ मारने में भी नहीं आता !
वो बोली- अब मेरा क्या होगा?
मैंने कहा- भाभी, थोड़ी देर ठहरो, मेरा लण्ड अभी खड़ा हो जायेगा !
फिर मैंने उसे अपनी गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटाया और अपनी जुबान से उसकी चूत चाटने लगा, आह...आह...आह...और ...थोड़ा और.....
मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाली और उसे अंदर-बाहर करने लगा और अपने दूसरे हाथ से उसके स्तन दबाने लगा। वो जोर जोर से सिसकियाँ लेने लगी। उसकी सिसकियाँ सुन कर मेरा लण्ड फिर से लकड़ी की तरह तन गया और उसका ध्यान उस पर गया, बोली अब किसी की राह देख रहे हो? जल्दी से मुझे चोदो और मेरी चूत फाड़ डालो !
मैंने उसके दोनों पैर को उठाकर अपने कंधे की तरफ ले गया और धीरे धीरे से अपना लण्ड उसकी चूत में डालने की कोशिश करने लगा, पर दो तीन बार नाकाम हो गया। फिर उसने अपने हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और मैंने धीरे से धक्का लगाया, मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में चला गया। वाह ! क्या अहसास था ! लगा जैसे स्वर्ग में आ गया !
उसके मुँह से ऊह ....ओउच ...निकलने लगा, बोली- थोड़ा और धक्का लगाओ !
मैंने फिर से धक्का लगाया और मेरा पूरा लण्ड उसकी गीली चूत में चला गया। मैं थोड़ी देर ऐसे ही बना रहा और उसके स्तन चाटता रहा। अब वो थोड़ी सामान्य हो गई थी, मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये।
.....ऊह.....ऊह....आह....अआछ....ओउच....और ...और....और....
मैं भी चिल्लाने लगा- ले रंडी ले ! लेती जा, तेरी माँ का भोसड़ा मारूँ....लेती जा !
ये सुनकर वो और भी कामुक हो गई और सामने से धक्के मारने लगी....आ आ आ आ ......आह....आह........
हम ऐसे ही दस मिनट तक धक्के लगाते रहे। फिर वो बोली- मैं झड़ने वाली हूँ और एक जोर की चीख के साथ वो झड़ गई।
अब मेरी बारी थी, मैंने भी कहा- भेनचोद ! मैं भी अब अपना पानी निकालने वाला हूँ, बोल कहाँ निकालूँ?
उसने कहा- मेरी चूत में ही निकाल दो !
और मेरे एक जोरदार जटके से मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में ही निकाल दिया। फिर मैं उसके ऊपर ही लेट गया और उसके होटों को चूमने लगा। फिर मैं उसकी बाईं ओर सो गया। हम दोनों बिस्तर पर बिल्कुल नंगे अपने पैरों को फ़ैलाए हुए सो रहे थे।
करीब आधे घंटे के बाद वो बोली- अभी और कुछ करने की तमन्ना है?
मैंने कहा- जानेमन ! अभी तो बहुत कुछ करना है !
वो खड़ी होकर किचन में चली गई, बिलकुल नंगी ! पीछे से उसकी गाण्ड बहुत खूबसूरत लग रही थी। वो किचन से दो गिलास दूध के ले आई। मैंने कहा- अरे यार दूध ही पिलाना था तो इन दो बड़े-बड़े चूचों से पिला लेती !
वो हंस पड़ी, हम दोनों ने दूध पी लिया, फिर दोनों सोफे पर बैठ गए, दोनों बिलकुल नंगे ! मैं उसे किस कर रहा था और एक हाथ से उसके स्तन दबा रहा था। थोड़ी देर ऐसे ही चलता रहा। फिर मैंने कहा- और एक राउंड हो जाए?
उसने कहा- क्यूँ नहीं !
मैंने कहा- अब थोड़ा सा अलग राउंड !
उसने कहा- क्या?
मैं उसके ड्रेसिंग-टेबल पर गया और वहां से तेल की बोतल उठाई। वो समझ गई, बोली- देखो जरा ध्यान से ! मुझे डर लगता है !
मैंने कहा- जान कुछ नहीं होगा ! तुम बस घूम जाओ !
हम वापस बिस्तर पर आ गये, वो कुतिया स्टाइल में हो गई। मैंने थोड़ा सा तेल निकाल कर उसकी गांड में लगाया, और थोड़ा तेल ऊँगली अंदर डाल कर गांड के अंदर भी लगाया, बोली- बहुत मजा आरहा है।
मैंने कहा- साली, अभी तो शुरुआत है। थोड़ी देर उसकी गांड की मालिश करके थोड़ा सा तेल मैंने अपने लण्ड पर भी लगाया।
मैंने कहा- तैयार हो ?
बोली- हाँ ! लेकिन ज़रा धीरे से !
मैंने अपने लण्ड को उसकी गांड पर लगाया और एक जोरदार का झटका लगाया और अपने पूरा लण्ड उसकी गांड में घुसा दिया, वो जोर से चीख पड़ी- आ....आ....आ.....अबे भड़वे धीरे से ......
थोड़ी देर उसको आराम देकर मैंने झटके लगाने शुरू कर दिये।
अब उसे भी मजा आने लगा था- आह...आह....आह....ऊह...ऊह.....ऊह...ऊह....
दस मिनट तक झटके मारता रहा और फिर अपना सारा पानी उसकी गांड में ही उडेल दिया, उसकी गांड से अपना लण्ड निकाल कर मैं बिस्तर पर लेट गया पर अभी ही उसकी गांड उपर की ओर ही रखी हुई थी, फिर धीरे धीरे से उसने अपनी गांड नीचे कर ली और वैसे ही सो गई।
उसकी गांड बहुत दर्द कर रही थी, हम एक घंटे तक सोए रहे।
फिर मेरी आँख खुली, मैंने उसे उठाया और कहा- मैं अब चलता हूँ, तू भी खड़ी हो !
वो खड़ी तो हो गई पर ठीक से चल भी नहीं पा रही थी, जैसे तैसे उसने अपने कपड़े पहने और मैंने भी अपने कपड़े पहने, फिर मैं अपने घर वापस आ गया।