
भिवानी जाने के लिए जैसे तैसे उसने बस पकड़ी, भीड़ ज़्यादा होने की वजह से वो बस में पिछे जाकर खड़ा हो गया।
शमशेर सिंह मन ही मन बहुत खुश था. ९ साल की सर्विस में पहली बार उसकी पोस्टिंग गर्ल स्कूल में हुई थी. ६ फीट से लंबा कद, कसरती बदन रौबिला चेहरा, उसका रौब देखते ही बनता था. ३२ का होने के बावजूद उसने शादी नही की थी. ऐसा नही था की उसको किसी ने दिल ही ना दिया हो, क्या शादी-शुदा क्या कुँवारी, शायद ही कोई ऐसी हो जो उसको नजर भर देखते ही मर ना मिटे, पिछले स्कूल में भी २-४ मॅडमो को वो अपनी रंगिनियत के दर्शन करा चुका था. पर आम राय यही थी की वो निहायत ही सिन्सियर और सीरीयस टाइप का आदमी है. असलियत ये थी की वो कलियों का रसिया था, फूलों का नही. और कलियों का रस पीने का अवसर उसको ६-७ साल से नही मिला था. यही वजह थी की आज वो खुद पर काबू नही कर पा रहा था.
उसका इंतज़ार ख़तम होने ही वाला था
अचनाक उसके अग्रभाग में कुछ हल-चल होने से उसकी तंद्रा भंग हुई. २६-२७ साल की एक औरत का पिछवाड़ा उसके लिंग से जा टकराया. उसने उस औरत की और देखा तो औरत ने कहा, "सॉरी, भीड़ ज़्यादा है"
"इट्स ओक", शमशेर ने कहा और थोड़ा पिछे हो गया
औरत पढ़ी लिखी और सभ्य मालूम होती थी. रंग थोड़ा सांवला जरूर था पर यौवन पूरे शबाब पर था. वो भी शमशेर को देखकर अट्रॅक्ट हुए बिना न रह सकी. कनखियों से बार-बार पिछे देख लेती.
तभी बस ड्राइवर ने अचानक ब्रेक लगा दिए जिससे शमशेर का बदन एक-दम उस औरत से जा टकराया. वो गिरने को हुई तो शमशेर ने एक हाथ आगे ले जाकर उसको मजबूती से थाम लिया. किस्मत कहें या दुर्भाग्य, शमशेर के हाथ में उसका दायां स्तन था
जल्दी ही शमशेर ने सॉरी बोलते हुए अपना हाथ हटा लिया, पर उस औरत पर जो बीती उसको तो वो ही समझ सकती थी.
"उफ, इतने मजबूत हाथ!" सोचते हुए औरत के पुरे बदन में सिहरन दौड़ गयी
उसके एक बार छुने से ही उसकी पैंटी गीली हो गयी. वो खुद पे शर्मिंदा सी हुई पर कुछ बोल ना सकी
उधर शमशेर भी ताड़ गया की वो कुँवारी है. इतना कसा हुआ बदन शादीशुदा का तो हो नही सकता. उसने उससे पूछ ही लिया, जी क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ?"
थोड़ा सोचते हुए उसने जवाब दिया,
"जी मेरा नाम अंजलि है"
शमशेर: कहाँ तक जा रही हैं आप?
अंजलि: जी भिवानी से आगे लोहरू गाँव है, मैं वहाँ गर्ल स्कूल में प्रिन्सिपल हूँ
सुनते ही शमशेर चौंक गया. यही नाम तो बताया गया था उसे प्रिन्सिपल का पर कुछ सोचकर उसने अपने बारे में कुछ नही बताया
अजीब संयोग था, अंजलि को पकड़ते ही वो भाँप गया था की यहाँ चान्स हैं
धीरे-धीरे बस में भीड़ बढ़ने लगी और अंजलि ने पिछे घूम कर शमशेर की और मुँह कर लिया. तभी एक सीट खाली हुई पर जाने क्यूँ अंजलि को शमशेर से दूर जाना अच्छा नही लगा उसने सीट एक बुढ़िया को ऑफर कर दी और खुद वही खड़ी रही
अंजलि,"कहाँ खो गये आप"
शमशेर: अजी जिन बातों का समय आने पर खुद ही पता चल जाना है उनके बारे में क्या बात करनी आप अपनी बताइए, आपने शादी क्यूँ नही की?
अंजली कुछ देर सोचते हुए, है तो पर्सनल मेटर पर मैं नही समझती की आपको बताने से कोई नुकसान होगा आक्च्युली मेरी छोटि बहन ६ साल पहले किसी लड़के के साथ भाग गयी थी. बस तब से ही सब कुछ बिखर गया पापा पहले ही नही थे, मम्मी ने स्यूसाइड कर लिया... कहते हुए अंजलि फफक पड़ी. मुझे नही पता मेरी गलती क्या है, पर अब मैने अकेले ही जीने की सोच ली है
शमशेर बुरी तरह विचलित हो गया उसे कहने को कुछ नही मिल रहा था फिर धीरे से बोला,"सॉरी अंजलि जी" मैने तो बस यूँही पूछ लिया था
अंन्जलि ने उसके कंधे पर सर रखा और सुबकने लगी
शमशेर को और कुछ नही सूझा तो वो बोला मुझसे नही पूछेंगी क्या मैने शादी क्यूँ नही की!
अंजलि की आँखों में अचानक जैसे चमक आ गयी और हड़बड़ा कर बोली,"
क्या आपने भी... मतलब क्या आपकी शादी...क्यूँ नही की आपने
शमशेर: कुछ फिज़िकल प्राब्लम है?
अंजलि जैसे अपने गुम को भूल गयी थी,"क्या प्राब्लम है"
शमशेर ने मज़ाक में कहा,"बताने लायक नही है मेडम"
अंजलि: क्यूँ नही है, क्या हम दोस्त नही हैं?
शमशेर: जी वो एररेक्टिओं में प्राब्लम है
अंजलि एररेक्टिओं का मतलब अच्छि तरह समझती थी की वो अपना लंड खड़ा ना हो सकने के बारे में कह रहा है पर ये तो झूठ था, वो खुद महसूस कर चुकी थी पर वो कह क्या सकती थी? सो चुप रही
शमशेर: क्या हुआ? मैने तो पहले ही कहा था की बताने लायक नही है
अंजलि: (शरमाते हुए) मुझे नही पता, मुझे नींद आ रही है, क्या मैं आपकी गोद में सर रखकर सो जाउ
शमशेर: हां हां क्यूँ नही और उसने अंजलि को अपनी गोद में लिटा लिया
अंजलि ने वही किया, अपने हाथ को सर के नीचे रख लिया और धीरे-धीरे हाथ हिलाने लगी ऐसा करने से उसने महसूस किया की शमशेर का लंड अपने विकराल आकर में आता जा रहा है अंजलि सोच रही थी की उसने झूठ क्यूँ बोला. उधर शमशेर ने भी सोने की आक्टिंग करते हुए अपने हाथ धीरे-धीरे अंजलि के कंधे से सरका कर उसकी मांसल तनी हुई चूंचियों पर ले गया दोनो की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. जैसे ही शमशेर आगे बढ़कर उसकी चूत पर हाथ ले जाने ही वाला था की अचानक अंजलि उठी और बोली,"झुठे, तुमने झूठ क्यूँ बोला" उसकी आवाज में मानो नाराजगी नही, एक बुलावा था; सेक्स के लिए
शमशेर आँखें बंद किए हुए ही बोला,"क्या झूठ बोला मैने आपसे"
अंजलि: यही की एररेक्ट नही होता.
शमशेर: तो मैने झूठ कहाँ बोला? हां नही होता
अंजलि: मैने चेक किया है वो धीरे-धीरे बोल रही थी
शमशेर: क्या चेक किया है आपने
अंजलि उसके बाद कुछ बोलने ही वाली थी की अचानक बस बंद हो गयी कंडक्टर ने बताया की बस खराब हो गयी है आगे दूसरी बस मैं जाना पड़ेगा
आमतौर पर इस सिचुयेशन में ख़ासकर अकेली लेडीस की हालत खराब हो जाती है
पर अंजलि ने चहकते हुए कहा,"अब मैं कैसे जाउंगी"
शमशेर," मैं हूं ना""चलो समान उतारो"
बस से उतारकर दोनों सड़क के किनारे खड़े हो गये अंजलि से कंट्रोल नही हो रहा था वो सोच रही थी इतना कुछ होने के बाद भी ये पता नही किस बात का इंतज़ार कर रहा है एक-एक करके सभी लोग चले गये लेकिन ना तो शमशेर और ना ही अंजलि को जाने की जल्दी थी दोनों चाह कर भी शुरुआत नही कर पा रहे थे फिर ड्राइवर और कंडक्टर भी चले गये तो वहाँ सब सुनसान नजर आने लगा
अचानक अंजलि ने चुप्पी तोड़ी,"अब क्या करेंगे?"
शमशेर: बोलो क्या करें?
अंजलि: अरे तुम्ही तो कह रहे थे,"मैं हूँ ना" अब क्या हुआ?
शमशेर चलना तो नही चाहता था पर बोला"ठीक है", अब की बार कोई भी वेहिकल आएगा तो लिफ्ट ले लेंगे
अंजलि: मैं तो बहुत तक गयी हूँ. क्या कुछ देर बस में चलकर बैठें? मुझे प्यास भी लगी है
वो दोनों जाकर बस में बैठ गये फिर अचानक शमशेर को कोल्ड्रींक याद आई जो उसने बैग में रखी थी वो अपना रंग दिखा सकती थी शमशेर ने कहा,"प्यास का तो मेरे पास एक ही इलाज है
अंजलि:क्या?
शमशेर: वो कोल्ड्रींक!
अंजलि: अरे हां...थैंक्स... उससे प्यास मिट जाएगी.. लाओ प्लीज!
शमशेर ने बैग से निकाल कर वो बोतल अंजलि को दे दी. अंजलि ने सारी बोतल खाली कर दी, १०-१५ मीं. में ही गोली अपना रंग दिखाने लगी थी अंजलि ने शमशेर से कहा," क्या हम यही सो जायें सुबह चलेंगे
अंजलि पर नशे का सुरूर सॉफ दिखाई दे रहा था अब शमशेर को लगा बात बढ़ानी चाहिए. वो बोला," आप बस में क्या कह रही थी"
अंजलि,"मुझे आप क्यू कहते हो तुम? मुझे अंजलि कहो ना
शमशेर: वो तो ठीक है पर आप प्रिन्सिपल हो
अंजलि: फिर आप, मैं कोई तुम्हारी प्रिन्सिपल थोड़े ही हूँ, मुझे अंजलि कहो ना प्लीज.. नही अंजू कहो और हां तुमने झूठ क्यूँ बोला की एररेक्टिओं की प्राब्लम है
शमशेर: तुम्हे कैसे पता की मैने झूठ बोला
अंजलि: मैने चेक किया था ये
शमशेर: ये क्या!
अंजलि खूब उत्तेजित हो चुकी थी उसने कुछ सोचा और शमशेर की पैंट को आगे से हाथ लगाकर बोली,"ये"... "अरे तुम्हारी तो जीप खुली है. हा हा हा
शमशेर को पता था वो नशे में है वो बोला," क्या तुम्हे नींद नही आ रही?
आओ मेरी गोद में सिर रख लो!
अंजलि: नही मुझे देखना है ये कैसे खड़ा नही होता, अगर मैं इसको खड़ा कर दूं तो तुम मुझे क्या दोगे
शमशेर कुछ नही बोला
अंजलि: बोलो ना...
शमशेर: जो तुम चाहोगी!
अंजलि: ओके निकालो बाहर!
शमशेर: क्या निकालू?
अंजलि: छि-छि नाम नही लेते, ठीक है मैं खुद निकाल लेती हूँ, कहते हुए वो भूखी शेरनी की तरह शमशेर पर टूट पड़ी
शमशेर तो जैसे इसी मौके के इंतज़ार मैं था उसने अंजलि को जैसे लपक लिया
नीचे सीट पर गिरा लिया और उसे कपड़ों के उपर से ही चूमने लगा अंजलि बदहवास हो चुकी थी उसने शमशेर का चेहरा अपने हाथों में लिया और उसके होंठों को अपने होठों में दबा लिया शमशेर के हाथ उसकी चूंचियों पर कहर ढा रहे थे एक-एक करके वह दोनो चूंचियों को बुरी तरह मसल रहे थे अंजलि अब उसकी छाति सहलाते हुए बड़बड़ाने लगी थी..ओह लव मि प्लीज़.. लव मि... आइ कांट वेट.. आइ कांट लिव.. विदाउट यू जान..
सुनसान सड़क पर खड़ी बस में तूफान आया हुआ था एक-एक करके जब शमशेर ने अंजलि का हर कपड़ा उसके शरीर से अलग कर दिया तो वो देखता ही रह गया स्वर्ग से उतरी मेनका जैसा जिस्म... सुडौल चुचियाँ... एक दम तनी हुई सुराहिदार चिकना पेट और मांसल जांघें... चूत पर एक भी बाल नही था उसकी चूत एक छोटी सी मछली जैसी सुंदर लग रही थी उसने दोनों चूंचियों को दोनों हाथों से पकड़ कर उसकी चूत पर मुँह लगा दिया अंजलि उबल पड़ी साँसे इतनी तेज़ चल रही थी जैसे अभी उखड़ जाएँगी पहले पहल तो उसे अजीब लगा अपनी चूत चटवाते हुए पर बाद में वह खुद अपनी गांड उछाल-उछाल कर उसकी जीभ को अपने योनि रस का स्वाद देने लगी
शमशेर ने अपनी पैंट उतार फेकी और अपना ८.५ इंच लंबा और करीब ४ इंच मोटा लंड उसके मुँह में देने लगा पर अंजलि तो किसी जल्दबाज़ी में थी. बोली,"प्लीज़ घुसा दो ना मेरी चूत में प्लीज़ शमशेर ने भी सोचा अब तो कयी सालों का साथ है ओरल बाद में देख लेंगे
उसने अंजलि की टाँगों को अपने कंधे पर रखा और अपने लंड का सूपाड़ा अंजलि की चूत पर रखकर दबाव डाला पर वो तो बिल्कुल टाइट थी शमशेर ने उसकी योनि रस के साथ ही अपना थूक लगाया और दोबारा ट्राइ किया अंजलि चिहुँक उठी सूपाड़ा योनि के अंदर था और अंजलि की हालत आ बैल मुझे मार वाली हो रही थी उसने अपने को पीछे हटाने की कोशिश की लेकिन उसका सिर खिड़की से लगा था अंजलि बोली,"प्लीज़ जान एक बार निकाल लो फिर कभी करेंगे पर शमशेर ने अभी नही तो कभी नही वाले अंदाज में एक धक्का लगाया और आधा लंड उसकी चूत में घुस गया अंजलि की चीख को सुनके अपने होटो से दबा दिया कुछ देर इसी हालत में रहने के बाद जब अंजलि पर मस्ती सवार हुई तो पूछो मत उसने बेहयाई की सारी हदें पर कर दी वह सिसकारी लेते हुए बड़बड़ा रही थी. "हाय रे, मेरी चूत...मज़ा दे दिया... कब से तेरे लंड... की .. प .. प्यासी थी
चोद दे जान मुझे... आ. आ कभी मत निकलना इसको ... मेरी चू...त आ उधर शमशेर का भी यही हाल था उसकी तो जैसे भगवान ने सुन ली जन्नत सी मिल गयी थी उसको.. उछल-उछल कर वो उसकी चूत में लंड पेले जा रहा था की अचानक अंजलि ने ज़ोर से अपनी टांगे भींच ली उसका सारा बदन अकड़ सा गया था उसने उपर उठकर शमशेर को ज़ोर स पकड़ लिया उसकी चूत पानी छोडती ही जा रही थी उससे शमशेर का काम आसान हो गया अब वो और तेज़ी से धक्के लगा रहा था पर अब अंजलि गिड-गिडाने लगी प्लीज़ अब निकल लो सहन नही होता
थोड़ी देर के लिए शमशेर रुक गया और अंजलि की होटो और चूंचियों को चूसने लगा वो एक बार फिर अपने चूतड़ उछलने लगी इस बार उसने अंजलि को उल्टा लिटा लिया अंजलि की गांड सीट के किनारे थी और उसकी मनमोहक चूत बड़ी प्यारी लग रही थी अंजलि के घुटने ज़मीन पर थे और मुँह खिड़की की और इस पोज़ में जब शमशेर ने अपना लंड अंजलि की चूत में डाला तो एक अलग ही आनंद प्राप्त हुआ अब अंजलि को हिलने का अवसर नही मिल रहा था पर मुँह से मादक सिसकारियाँ निकल रही थी हर पल उसे जन्नत तक लेकर जा रहा था
इस बार करीब २० मिनट बाद वो दोनों एक साथ झडे और शमशेर उसके उपर ढेर हो गया कुछ देर बाद वो दोनों उठे लेकिन अंजलि उससे नज़रें नही मिला पा रही थी प्यार का खुमार जो उतार गया था उसने जल्दी से अपने कपड़े पहने और एक सीट पर जाकर बाहर की और देखने लगी शमशेर को पता था की क्या करना है वो उसके पास गया, और आके पास बैठकर बोला... आइ लव यू अंजलि. अंजलि ने उसकी छाति में मुँह छिपा दिया और सुबकने लगी ये नही पता.. पश्याताप के आँसू थे या मंज़िल पाने की खुशी के....
एक दूसरे की बाहों में लेटे-लेटे कब सुबह हो गयी पता ही नही चला. सुबह के ५ बाज चुके थे अभी वो भिवानी से २० मिनट की दूरी पर थे जबकि अंजलि को आगे लोहरू तक भी जाना था जाना तो शमशेर को भी वही था पर अंजलि को नही पता था की उनकी मंज़िल एक ही है वो तो ये सोचकर मायूस थी की उनका अब कुछ पल का ही साथ बाकी है रात को जिसने उसको पहली बार औरत होने का अहसास कराया था और जिसकी छाती पर उसने आँसू बहाए थे उससे बात करते हुए भी वो कतरा रही थी
अंत में शमशेर ने ही चुप्पी तोड़ी,"चलें"
अंजलि: जी... आप कहाँ तक चलेंगे?
शमशेर: तुम्हारे साथ... और कहाँ?
अंजलि: नही!...म..मेरा मतलब है ये पासिबल नही है
शमशेर: भला क्यूँ?
अंजलि: वो एक गाँव है और सबको पता है की मैं कुँवारी हूँ वहाँ लोग इस बात को हल्के से नही लेंगे की मेरे साथ कोई मर्द आया था फिर वहाँ मेरी इज़्ज़त है.
शमशेर ने चुटकी ली," हां, आपकी इज़्ज़त तो मैं रात अच्छि तरह देख चुका हूँ
अंजलि बुरी तरह झेंप गयी काटो तो खून नही तभी बस आने पर वो उसमें बैठ गये अंजलि ने फिर उसको टोका,"बता दीजिए ना की आप क्या करते हैं, कहाँ रहते हैं कोई कॉंटॅक्ट नंबर
शमशेर ने फिर चुटकी ली,"अब तो आपके दिल मैं रहता हूँ आपसे प्यार करता हूँ, और आपका कॉंटॅक्ट नंबर ही मेरा कॉंटॅक्ट नंबर. है
अंजलि: मतलब आप बताना नही चाहते ये तो बता दीजिए की जा कहाँ रहे हैं? तभी भिवानी बस स्टॉप पर पहुँच कर बस रुक गयी अंजलि और शमशेर बस से उतर गये अंजलि ने हसरत भारी निगाह से शमशेर को आखरी बार देखा और लोहरू की बस में बैठ गयी उसकी आँखो में तब भी आँसू थे
कुछ देर बाद ही वह चौक गयी जब शमशेर आकर उसकी साथ वाली सीट पर बैठ गया
अंजलि को भी अब अपनी ग़लती का अहसास हो रहा था ये आदमी जिसको उसने स्वयं को सौप दिया, ना तो अपने बारे में कुछ बता रहा है ना ही उसका पीछा छोड. रहा है उसकी साथ आने वाली हरकत तो उसको बचकानी लगी कहीं ये उसको ब्लॅकमेल करने की कोशिश तो नही करेगा वो सिहर गयी वो उठी और दूसरी सीट पर जाकर बैठ गयी
शमशेर उसका डर समझ रहा था वो अचानक ही बस से उतार गया और बिना मुड़े उसकी आँखों से गायब हो गया
अंजलि ने राहत की साँस ली. पर उसको दुख भी था की उस मर्द से दोबारा नही मिल पाएगी सोचते-सोचते लोहरू आ गया और वो अनमने मन से स्कूल में दाखिल हो गयी
ऑफीस मैं बैठे-बैठे वो शमशेर के बारे मैं ही सोच रही थी, जब दरवाजे पर अचानक शमशेर प्रकट हुआ,"मे आई कम इन मेम?"
अंजलि अवाँक रह गयी, मुश्किल से उसने अपने आप पर कंट्रोल किया और बाकी स्टाफ लॅडीस को बाहर भेजा
अंजलि(धीरे से) आप क्या लेने आए हो यहाँ प्लीज मुझे माफ़ कर दीजिए और यहाँ से चले जाइए
शमशेर: रिलेक्स मेम! आइ'एम हियर फॉर माइ ड्यूटी. आइ हॅव टू जायन हियर अस साइंस टीचर. प्लीज़ लेट मे जायन आंड ऑब्लाइज
अंजलि अपनी कुर्सी से उछल पड़ी,"वॉट?" ख़ुशी और आशचर्य का मिला जुला रूप उसके "वॉट" में था पहले तो उसको यकीन ही नही हुआ पर औतॉरिटी लेटर को देखकर सारा माजरा उसकी समझ में आ गया पर अपनी ख़ुशी को दबाते हुए उसने पिओन को बुलाकर रिजिस्टर निकलवाया और शमशेर को जाय्न करा लिया फिर अपनी झेंप छिपाते हुए बोली, मिस्टर. शमशेर आप १० क्लास के इंचार्ज
है पर पीरियड्स आपको ६थ से १०थ तक सभी लेने होंगे हमारे यहाँ पर मैथ्स का टीचर नही है अगर आप ८थ और १०थ की एक्सट्रा क्लास ले सकें तो मेहरबानी होगी
शमशेर: थॅंक्स मेम पर एक प्राब्लम है?
अंजलि: जी बोलिए!
शमशेर: जी मैं कुँवारा हूँ....मतलब मैं यहाँ अकेला ही रहूँगा. अगर गाँव में कहीं रहने का इंतज़ाम हो जाए तो...
अंजलि उसको बीच में ही टोकते हुए बोली मैं पिओन को बोल देती हूँ देखते हैं हम क्या कर सकते हैं
शमशेर (आँख मरते हुए) थॅंक्स मेम!
अंजलि उसकी इस हरकत पर मुस्कुराए बिना नही रह सकी
शमशेर ने रिजिस्टर उठाए और १०थ क्लास की और चल दिया...
शमशेर क्लास तक पहुँचा ही था की एक लड़की दौड़ती हुई आई और बोली, गुड
मॉर्निंग सर. लड़की १०थ क्लास की लगती थी. शमशेर ने उसको गौर से उपर से नीचे तक देखा. क्या कोरा माल था हाए! भारी-भारी अमरूद जैसी गोल-गोल चुचियाँ, गोल मस्त गांड., रसीले गुलाबी अनछुए होंट, लगता था मानो भगवान ने फ़ुर्सत से बनाया है. और बोल भी उतना ही मधुर," सर, आपको बड़ी मेम बुला रही हैं
शमशेर," चलो बेटा"
"सर, क्या आप हमें भी पढ़ाएँगे?"
"कौनसी क्लास में हो बेटा? क्या नाम है?"
"सर मेरा नाम वाणी है और मैं ८वी में हूँ"
"क्या... ८वी में!" मैं तपाक ही गया था जैसे उस्स पर! ८वी का ये हाल है
तो उपर क्या होगा." हां बेटा, तुम्हे मैं साइंस पढ़ाउंगा"
कहकर मैं ऑफीस की तरफ चल पड़ा. वाणी मुझे मूड-मूड कर देखती जा रही थी
ऑफीस में गया तो अंजलि अकेली बैठी थी मैने जाते ही जुमला फेका,"यस, बड़ी मेम"
अंजलि सीरीयस थी," सॉरी शमशेर...आइ मीन शमशेर जी मैं आपको ग़लत समझ बैठी थी पर आपने मुझे बताया क्यूँ नही."
शमशेर: बता देता तो तुम्हे अपना थोड़े ही बना पता
अंजलि के सामने रात की बात घूम गयी अब उसको ये भी अहसास हो गया की शमशेर
ने रात को चुदाई में पहल क्यूँ नही की फिर मीठी आवाज़ में बोली," शमशेर
जी, हम स्कूल में ऐसे ही रहेंगे मैने आपके रहने खाने का मॅनेज करने को बोला है हो सका तो मेरे घर के आसपास ही कोशिश करूँगी.
शमशेर: अपने घर में क्यूँ नही?
अंजलि: अरे मैं भी तो किराए पर ही रहती हूँ हालाँकि वहाँ नीचे २ कमरे खाली हैं पर गाँव का माहौल देखते हुए ऐसा करना ठीक नही है लोग तरह-तरह की बातें करेंगे
शमशेर: बड़ी मेम, प्यार किया तो डरना क्या?
अंजलि: ष्ह..ह! प्लीज़.... खैर मैने आपको कुछ ज़रूरी बातों पर डिसकस करने के लिए बुलाया है
शमशेर: जी बोलिए!
अंजलि: आपने देखा भी होगा यहाँ पर कोई भी मेल टीचर या स्टूडेंट नही है
शमशेर: क्या मैं नही हूँ?
अंजलि: अरे आप अभी आए हो सुनिए ना!
शमशेर: जी सुनाए!
अंजलि: लड़कियाँ लड़कों के बगैर काफ़ी उद्दंड हो जाती हैं ज़रा भी ढिलाई बरतने पर वो अश्लीलता की हदों को पार कर जाती हैं इसीलिए उनको डिसिप्लिन में रखने के लिए सखतायी बहुत ज़रूरी है मैने गाँव वालों को विस्वास में ले रखा है आप उन्हे जो भी सज़ा देनी पड़े पर डिसिप्लिन नही टूटना चाहिए
वैसे भी यहाँ लड़कियाँ उमर में काफ़ी बड़ी हैं १०+२ में तो एक लड़की मुझसे ५ साल छ्होटी है बस
शमशेर मॅन ही मॅन उछल रहा था पर अपनी ख़ुसी छुपाकर बोला, ओके बड़ी मॅम! मैं संभाल लूँगा!
अंजलि: प्लीज़ आप ऐसे ना बोलिए!
शमशेर: ओक अंजू! सॉरी मॅम!
अंजलि मुस्कुरा दी!
"आप एक बार स्कूल का राउंड लगा लीजिए!"
"ओक" कहकर शमशेर राउंड लगाने के लिए निकल गया अंजलि भी उसके साथ थी. एक क्लास में उसने देखा, २ लड़कियाँ मुर्गा सॉरी मुर्गी बनी हुई थी गॅंड उपर उठाए दोनो ने शमशेर को देखा तो शर्मा कर नीचे हो गयी नीचे होते ही मेडम ने गांड पर ऐसी बेंट जमाई कि बेचारी दोहरी हो गयी एक की जाँघो से सलवार फटी पड़ी थी शमशेर के जी में आया जैसे वो अपना लंड उस फटी सलवार में से ही लड़की की गांड में घुसा दे सोचते ही उसका लंड पैंट के अंदर ही फुंकारने लगा
उसने अंजलि से पूछा," मॅम, किस बात की सज़ा मिल रही है इन्हे?"
अंदर से मॅम ने आकर बताया," अजी, दोनु आपस मे लडन लग री थी भैरोइ. सारा दिन कोए काम नही करना, गॅंड मटकंडी हांडे जा से"
उसकी बात सुनकर शमशेर हक्का बक्का रह गया उसने अंजलि की और देखा लेकिन वो आगे बढ़ गयी
आगे चल कर उसने बताया ये इसी गाँव की है सरपंच की बहू है बहुत बदला पर ये नही सुधरी बाकी टीचर्स अच्च्ची हैं"
स्कूल का राउंड लगाकर शमशेर वापस ऑफीस में आ गया लंच हो चुका था और चाय बनकर आ गयी थी अंजलि ने सभी टीचर्स से शमशेर का परिचय करवाया पर उसको तो लड़कियों से मिलने की जल्दी थी जल्दी जल्दी चाय पीकर स्कूल देखने के बहाने बाहर चला आया...
घूमता फिरता १०थ क्लास में पहुँच गया लंच होने की वजह से वहाँ सिर्फ़ २ लड़कियाँ बैठी थी और कुछ याद कर रही थी एक तो बहुत ही सुंदर थी. जैसे यौवन ने अभी दस्तक दी ही हो चेहरे पर लाली, गोल चेहरा और... ज़्यादा क्या कहें कुल मिलकर सेक्स कि प्रतिमा थी शमशेर को देखते ही नमस्ते करना तो दूर उल्टा सवाल करने लगी," हां, क्या काम है?" शमशेर ने मुस्कुराते हुए पूछा, क्या नाम है तुम्हारा?" वह तुनक गयी, "क्यूँ सगाई लेवेगा के?"
तेरे जैसे शहरा के बहुत हीरो देख रखे हैं आ गया लाइन मारन" जाउ के मेडम के पास" शमशेर को इस तीखे जवाब की आशा ना थी फिर भी वो मुस्कुराते हुए ही बोला," हां जाओ, चलो मैं भी चलता हूं." ये सुनते ही वो गुस्से से लाल हो गयी और प्रिन्सिपल के पास जाने के लिए निकली ही थी कि सामने से वाणी और उसकी दोस्त सामने से आ गयी दूसरी लड़की ने कहा," गुड मॉर्निंग सर, सस्स...सर? कौन सर?" वाणी ने जवाब दिया,"अरे दीदी ये हमारे नये सर हैं, हमें साइंस पढ़ाएँगे" इतना सुनते ही उस लड़की का रंग सफेद पड़ गया उसकी शमशेर की और मुँह करने की हिम्मत ही ना हुई और वो खड़ी खड़ी काँपने लगी वो रो रही थी शमशेर ने पूछा," क्या नाम है तुम्हारा?" वो बोली," सस्स..सॉरी स..सर." शमशेर ने मज़ाक में कहा," सॉरी सर... बड़ा अच्छा नाम है तभी बेल हुई और शमशेर हंसते हुए वहाँ से चला गया