"तुम्हारी गद्रायी रसीली चूचियां पीते ही फीर खड़ा हो जाएगा."
झड़ने से मस्ती हलकी हुयी पर लंड खड़ा था. म्में नंगा ही बाहर आया. मुझे एक तीर से दो शिकार करने थे. बाहर आया तू देखा की बड़ी बहु ससुर के सामने टाँगे फैलाये फटी शलवार से चूत को बाहर किए हाथ से फैलाये छठा रही थी. उसका बुध्हा ससुर उसकी गांड पर हाथ रख घुटने के बल बैठ कुत्ते की तरह जीभ से अपनी बड़ी जवान बहु की चूत को चाट रहा था.
मेरी आहात पा वह खड़ा हो गया. मैं पूरा नंगा था. मुझे देख बड़ी बहु मेरे पास आ मेरे लंड को देखती अपने ससुर के सामने ही बोली, "अब मुझे छोडिये."
"अभी नही."
"हाय उसको कितनी देर से मज़ा दे रहे हैं आप. मुझे भी." उसने मेरे लंड को पकड़कर कहा तऊ तऊ मैं उसकी शमीज़ से बाहर झाँक रही चूचियों को पकड़ दबाते बोला, "अभी ससुर से मज़ा लो न."
"हाय आपका लंड कितना तगड़ा है. मुझे भी एक बार चोदकर ही जियेगा." "घबराओ नही पहले छोटी वाली की कासी चूत को ठीक से चोदकर अपने लायक फैला लूँ फीर प्यार से तुम्हारी जवान चूत को चोदुन्गा. जाओ जब तक ससुर से चट्वाओ."
मैं उसे ससुर के पास पहुंचकर पेशाब करने चला गया. बड़ी बहु को ससुर के सामने ही ख़ुद चुदवाने को कहते सुन बड़ा मज़ा मिला. बड़ी वाली तऊ छोटी वाली से ज्यादा चुदासी लग रही थी पर मज़ा छोटी मैं ज्यादा था. मूत्कर वापस कमरे मैं आया तऊ चुदवाने के लिए सरे कपडे उतार एकदम नंगी बैठी १६ साल की छोटी बहु को देखते झरे लंड मैं गर्मी आने लगी. एकदम चिकना गुलाबी बदन था. चूचियां तनी थी और निप्प्ले भी खड़े थे. मैंने उसको बेताबी के साथ चिपकाया और चुताद पर हाथ फेरते कहा, "अब तुम हमको भी अपनी चूचियां पीलाओ न."
इसपर उसने मस्ती के साथ अनार सी चूची को मेरे मुंह के पास क्या तऊ मैं उसकी चूची को प्यार से चूसते हुवे अपने लूसे लंड को झारी कासी चूत मैं पेलने के लिए तिघ्त करने लगा. चूचियां छोटी थी और मुंह मैं पूरी जा रही थी इसलिए चूसने का मज़ा अनोखा था. वह भी एक पानी झर चुकी थी इसलिए चूचियां चुस्वाने से उसमे भी मस्ती आ रही थी.
दोनों चूचियों को प्यार से चूसकर लंड को खड़ा करते बोला, "बोलो मुझे पिलाने मैं ज्यादा मज़ा आ रहा है या ससुर से?"
"हाय आपसे ओह्ह अब चोदिये न."
"एक बार मुझसे भी चूत चत्वाकर देखो फीर चोंगे ही." मैं उसकी हलके बाल वाली कासी चूत पर हाथ लगा बोला.
जवानी की तड़प के साथ गोद मैं उठा उसे बेद पर लिटाया और चुदासी खूबसूरत मस्त गरम गुलाबी चूत को पूरी नंगी देख मस्त हो गया. चूत चुदने के बाद भी कुंवारी लग रही थी. मैंने झुककर ८-१० बार जीभ से छाता तऊ वह अपने आप हाथ से चूत को फैलती सिसक कर मुझे देखते बोली, "हाय रजा मर गई. बाद मैं चाट लेना अब छोड़ दो. हाय मर गई."
मैं तऊ अब चोदने के चक्कर मैं था ही. लंड भी तैयार था. उसकी फैलाई गई चूत पर लंड लगा उसकी दोनों तंगो के बीच आ चूचियों को पकड़ दबाते बोला, "फट जायेगी रानी."
"फटने दो रजा अब दाल दो." और चूत को लंड पर दबाया.
गांड मरवाने का अनंद fucking of bumps satisfaction
Re: गांड मरवाने का अनंद fucking of bumps satisfaction
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A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
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Re: गांड मरवाने का अनंद fucking of bumps satisfaction
सुपदा गरम था. मैंने उसे बांहों मैं ले इतना करार धक्का मारा की उसने तड़पकर मेरी जांघे पकड़ ली. सिर्फ़ अपने आदमी के मरियल लंड से चुदी थी इसलिए गज़ब का कसाव था. पेलने लगा पर लंड बार-बार बाहर नीकल जाता. चूचियों को पकड़ ताकत से पेला तऊ सुपदा जाते ही मैं मस्त हो गया. नई चूत का मज़ा मिला तऊ धीरे धीरे पेलने लगा. छोटी बहु बहु हून्तो को कसे पेलवा रही थी. आधा गया की वह कराहने लगी तऊ मैंने चूचियों को मसलते हुवे कहा, "लगता है पूरा नही जाएगा. बहुत कासी चूत है तुम्हारी." "फटने दो रजा और पेलो पूरा दाल दो." वह मेरे लंड को पा तड़प उठी थी.
पूरे ९ इंच का लंड जब उसकी चूत को फारते हुवे घुसने लगा तऊ वह हाफ्ने लगी. उसका चेहरा पसीने से भीग गया. आधा घुस चुक्का था. फीर एक कसा धक्का मारा तऊ वह तड़प कर बोली, "हाय अब छोर दो नही तऊ मर जाउंगी."
"तुमने अपने आदमी के सिवा कीसी का लंड नही चखा है न इसीलिए लग रहा है. देखना अभी मज़ा आएगा तऊ अपने मरियल आदमी को भूल जोगी." वह तड़पती बोली, "नही नही रजा नीकल लो, मैं मर जाउंगी."
"ज़रा सा सह लो फीर देखना कितना मज़ा आता है." और ज़ोरदार चुदाई स्टार्ट कर दी.
कुछ देर बाद ही उसे मज़ा मिलने लगा तऊ वह निचे से गांड उछलने लगी. उसकी चूत से फचाफाच पानी निकलने लगा तऊ मैं कहा, "अब कैसा लग रहा है?"
"हाय रजा अब बहुत मज़ा आ रहा है. चोदते रहो ऐसे ही."
मैं उसे आधे लंड से ही छोड़ रहा था. दमदार लंड की चुदाई पा वह हाय हाय करती प्यार से चुद्वा रही थी. मैं भी इतनी खूबसूरत चूत को पा बहुत खुश था. कुछ देर बाद मैं उसे पकड़ हचाहाच चोदने लगा. उसकी चूत अब पहुच-पहुच पानी छोर रही थी. वह दील खोलकर साथ दे रही थी. मैं मस्ती से छोटी बहु को पूरी ताकत से चोद रहा था. छोटी बहु इतनी खूबसूरत और गद्रायी थी देखकर कोई भी तड़प उठता. मैं ऐसी लड़की पा बहुत खुश था. बहुत आराम से चोदकर मज़ा ले रहा था. जल्दी कोई नही थी. वह एक बार झर चुकी थ्जी. दूसरी बार झारी तऊ मेरे लंड की तारीफ लारने लगी जिसपर मैंने कहा, "अभी एक बार और चूत से पानी निकलेगा तब मेरा निकलेगा."मैंने लंड को बाहर कर तोवेल से पूछकर सुखाया और कड़ी-कड़ी चूचियों को दबा उसे फीर तैयार करने लगा. वह फीर मस्त हुयी तऊ उसी तरह से उसको चोदने लगा. वह दो बार झर चुकी थी और अब पस्त हो गई थी. वह मुझे कसती बोली, "चोदो हाय अब हमको अपने पास रख लो. मैं अपने मरियल पती के साथ नही रहूंगी." छोटी बहु तऊ मेरी दीवानी हो गई थी. वह चुदाई को पा तड़प उठी थी. "हाय तुम्हारा तऊ लोहे की तरह है. रजा लगता है तुम पानी नही छोरोगे कभी."
"मेरी जान इतनी जल्दी नही झरता. आज तुम्हारी चूत को चार बार झारकर की लंड का पानी पिलौंगा तुमको."
मैं अभी छोटी बहु को चोद ही रहा था की बड़ी बहु एकदम नंगी हो कमरे मैं आई. वह मेरे पीछे आ अपनी कम उमर की देवरानी को चुदते देखकर मेरे कान मैं बोली, "हाय जल्दी करो न."
मैं बड़ी को मस्त देख छोटी को तेज़ी से चोदने लगा. तभी तीसरी बार झरते ही छोटी बहु सिसक कर हाय हाय करती बोली, "हाय रजा तीसरा पानी भी निकला. हाय दीदी यह बहुत दमदार हैं. मेरी Teen बार झर चुकी है. दीदी अपने पती तऊ २०-२५ सेकंड मैं दम तोड़ देते हैं. हाय रजा पहाड़ दो आज. दीदी अब तऊ मैं इनसे रोज़ चुद्वौंगी. हाय रोज़ दीन मैं हमारे घर आना."
"मज़ा लो देवरानी जी. खूब मज़ा लो." और दमदार चुदाई को देखती अपनी चूत मैं ऊँगली पलती बड़ी बहु.
पूरे ९ इंच का लंड जब उसकी चूत को फारते हुवे घुसने लगा तऊ वह हाफ्ने लगी. उसका चेहरा पसीने से भीग गया. आधा घुस चुक्का था. फीर एक कसा धक्का मारा तऊ वह तड़प कर बोली, "हाय अब छोर दो नही तऊ मर जाउंगी."
"तुमने अपने आदमी के सिवा कीसी का लंड नही चखा है न इसीलिए लग रहा है. देखना अभी मज़ा आएगा तऊ अपने मरियल आदमी को भूल जोगी." वह तड़पती बोली, "नही नही रजा नीकल लो, मैं मर जाउंगी."
"ज़रा सा सह लो फीर देखना कितना मज़ा आता है." और ज़ोरदार चुदाई स्टार्ट कर दी.
कुछ देर बाद ही उसे मज़ा मिलने लगा तऊ वह निचे से गांड उछलने लगी. उसकी चूत से फचाफाच पानी निकलने लगा तऊ मैं कहा, "अब कैसा लग रहा है?"
"हाय रजा अब बहुत मज़ा आ रहा है. चोदते रहो ऐसे ही."
मैं उसे आधे लंड से ही छोड़ रहा था. दमदार लंड की चुदाई पा वह हाय हाय करती प्यार से चुद्वा रही थी. मैं भी इतनी खूबसूरत चूत को पा बहुत खुश था. कुछ देर बाद मैं उसे पकड़ हचाहाच चोदने लगा. उसकी चूत अब पहुच-पहुच पानी छोर रही थी. वह दील खोलकर साथ दे रही थी. मैं मस्ती से छोटी बहु को पूरी ताकत से चोद रहा था. छोटी बहु इतनी खूबसूरत और गद्रायी थी देखकर कोई भी तड़प उठता. मैं ऐसी लड़की पा बहुत खुश था. बहुत आराम से चोदकर मज़ा ले रहा था. जल्दी कोई नही थी. वह एक बार झर चुकी थ्जी. दूसरी बार झारी तऊ मेरे लंड की तारीफ लारने लगी जिसपर मैंने कहा, "अभी एक बार और चूत से पानी निकलेगा तब मेरा निकलेगा."मैंने लंड को बाहर कर तोवेल से पूछकर सुखाया और कड़ी-कड़ी चूचियों को दबा उसे फीर तैयार करने लगा. वह फीर मस्त हुयी तऊ उसी तरह से उसको चोदने लगा. वह दो बार झर चुकी थी और अब पस्त हो गई थी. वह मुझे कसती बोली, "चोदो हाय अब हमको अपने पास रख लो. मैं अपने मरियल पती के साथ नही रहूंगी." छोटी बहु तऊ मेरी दीवानी हो गई थी. वह चुदाई को पा तड़प उठी थी. "हाय तुम्हारा तऊ लोहे की तरह है. रजा लगता है तुम पानी नही छोरोगे कभी."
"मेरी जान इतनी जल्दी नही झरता. आज तुम्हारी चूत को चार बार झारकर की लंड का पानी पिलौंगा तुमको."
मैं अभी छोटी बहु को चोद ही रहा था की बड़ी बहु एकदम नंगी हो कमरे मैं आई. वह मेरे पीछे आ अपनी कम उमर की देवरानी को चुदते देखकर मेरे कान मैं बोली, "हाय जल्दी करो न."
मैं बड़ी को मस्त देख छोटी को तेज़ी से चोदने लगा. तभी तीसरी बार झरते ही छोटी बहु सिसक कर हाय हाय करती बोली, "हाय रजा तीसरा पानी भी निकला. हाय दीदी यह बहुत दमदार हैं. मेरी Teen बार झर चुकी है. दीदी अपने पती तऊ २०-२५ सेकंड मैं दम तोड़ देते हैं. हाय रजा पहाड़ दो आज. दीदी अब तऊ मैं इनसे रोज़ चुद्वौंगी. हाय रोज़ दीन मैं हमारे घर आना."
"मज़ा लो देवरानी जी. खूब मज़ा लो." और दमदार चुदाई को देखती अपनी चूत मैं ऊँगली पलती बड़ी बहु.
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Re: गांड मरवाने का अनंद fucking of bumps satisfaction
मैं झड़ने के करीब पहुंच गयी तो मैंने वीनय को और तेज़ गति से ढके मरने को कह दीया,अब लंड मेरी छुट को पार कर मेरी बच्चेदानी से टकराने लगा था, तभी चूत मैं ऐसा संकुचन हुआ की मैंने खुद बखुद उसके लंड को ज़ोर से चूत के बीच मैं कास लीया. पूरी चूत मैं ऐसी गुद्गुदाहत होने लगी की मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और मेरे मुँह से ज़ोरदार सिस्कारी निकलने लगी. उसने लंड को रोका नहीं और धक्के मारता रहा. मेरी हालत जब कुछ अधीक खराब होने लगी तो मेरी रुलायी चुत नीक्ली. वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. मेरे रो देने पर उसने लंड को रोक लीया और मुझे मानाने का प्रयास करने लगा. मैं उसके रूक जाने पर खुद ही शांत हो गयी और धीरे धीरे मैं अपने बदन को ढीला छोड़ने लगी. कुछ देर तक वो मेरी चूत मैं ही लंड डाले मेरे ऊपर पड़ा रहा. मैं आराम से कुछ देर तक सांस लेटी रही. फीर जब मैंने उसकी ओर ध्यान दीया तो पाय की उसका मोटा लंड चूत की गहराई मैं वैसे का वैसा ही खड़ा और अकादा हुआ पड़ा था. मुझे नॉर्मल देखकर उसने कहा, कहो तो अब मैं फीर से धक्के मारने शुरू करूं. मारो, मैं देखती हूँ की मैं बर्दाश्त कर पाती हूँ या नहीं.
उसने दुबारा जब धक्के मारने स्टार्ट कीए तो मुझे अग जैसे मेरी चूत मैं कांटे उग आये हो, मैं उसके धक्के झेल नहीं पाई और उसे मना कर दीया. मेरे बहुत कहने पर उसने लंड बहार निकलना स्वीकार कर लीया. जब उसने बहार निकाला तो मैंने रहत की सांस ली. उसने मेरी टांगो को अपने कंधे से उतार दीया और मुझे दूसरी तरफ घुमाने लगा तो पहले तो मैं समझ नहीं पाई की वो करना क्या चाहता है. मगर जब उसने मेरी गांड को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसमें लंड घुसाने के लीये मुझे आगे की ओर झुकाने लगा तो मैं उसका मतलब समझ कर रोमांच से भर गयी. मैंने खुद ही अपनी गांड को ऊपर कर लीया और कोशिश करी की गांड का छेद खुल जाये. उसने लंड को मेरी गांड के छेद पर रख्खा और अंदर करने के लीये हल्का सा दबाव ही दीया था की मैं सिसकी लेकर बोली, थूक लगा कर घुसाओ.
उसने मेरी गांड पर थूक चुपड़ दीया और लंड को गांड पर रखकर अंदर डालने लगा. मैं बड़ी मुश्कील से उसे झेल रही थी. दर्द महसूस हो रहा था. कुछ देर मैं ही उसने थोडा सा लंड अंदर करने मैं सफलता प्राप्त कर ली थी. फीर धीरे धीरे धक्के मारने लगा, तो लंड मेरी गांड के अंदर रगड़ खाने लगा तभी उसने अपेख्शाकरत तेज़ गाती से लंड को अंदर कर दीया, मैं इस हमले के लीये तैयार नहीं थी, इसलिए आगे की ओर गिरते बची. सात की पुष्ट को सख्ती से पकड़ लीया था मैंने. अगर नहीं पकद्ती तो जरूर ही गिर जाती. मगर इस झटके का एक फायदा यह हुआ की लंड आधा के करीब मेरी गांड मैं धंस गया था. मेरे मुँह से दर्द भरी सिस्कारियां निकलने लगी … फट गयी मेरी गाआआअन्न्न्न्न्द्द्द्द्द्.. हाआआऐईईईईईइ ऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्…. उसने अपना लंड जहाँ का तहां रोक कर धीरे धीरे धक्के लगाने स्टार्ट कीए. मुझे अभी अनंद ही आना शुरू हुआ था की तभी वो तेज़ तेज़ झटके मारता हुआ काँपने लगा, लंड का सुपादा मेरी गांड मैं फूल पिचक रहा था, आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मेर्र्र्र्रीईईईईई जाआअन्न्न्न्न्न्न्न्न् म्म्म्म्म्म्म्म्म आआआआआअ कहता हुआ वो मेरी गांड मैं ही झाड़ गया. मैंने महसूस कीया की मेरी गांड मैं उसका गाढ़ा और गरम वीर्य टपक रहा था. उसने मेरी पीठ को कुछ देर तक चूमा और अपने लंड को झटके देता रहा. उसके बाद पूरी तरह शांत हो गया. मैं पूरी तरह गांड मरवाने का अनंद भी नहीं ले पाई थी. एक प्रकार से मुझे अनंद आना शुरू ही हुआ था. उसने लंड नीकाल लीया. मैं कपडे पहनते हुए बोली, तुम बहुत बदमाश हो. शादी से पहले ही सब कुछ कर डाला.
वो मुस्कुराने लगा. बोला, क्या कर्ता, तुम्हारी कम्सिन जवानी को देख कर दील पर काबू रखना मुश्कील हो रहा था. कयी दीनो से चोदने का मन था, आज अच्च्चा मौका था तो छोड़ने का मन नहीं हुआ. वैसे तुम इमानदारी से बताओ की तुम्हे मज़ा आया या नहीं?
उसकी बात सुनकर मैं चुप हो गयी और चुपचाप अपने कपडे पहनती रही. मैं मुस्करा भी रही थी. वो मेरे बदन से लिपट कर बोला, बोलो ना ! मज़ा आया?हाँ मैंने हौले से कह दीया. तो फीर एक काम करो, मेरा मन नहीं भरा है. तुम कार अपने ड्राइवर को दे दो और उसे कह दो की तुम अपनी एक सहेली के घर जा रही हो. रात भर उसके घर मैं ही रहोगी. फीर हम दोनो रात भर मौज मस्ती करेंगे. मैं उसकी बात सुनकर मुस्करा कर रह गयी. बोली, दोनो तरफ का बाजा बजाचुके हो फीर भी मन नहीं भरा तुम्हारा?
नहीं ! बल्की अब तो और ज्यादा मन बेचैन हो गया है. पहले तो मैंने इसका स्वाद नहीं लीया था, इसीलिये मालूम नहीं था की चूत और गांड चोदने मैं कैसा मज़ा आता है. एक बार चोदने के बाद और चोदने का मन कर रहा है. और मुझे यकीन है की तुम्हारा भी मन कर रहा होगा.
नहीं मेरा मन नहीं कर रहा है
तुम झूठ बोल रही हो. दील पर हाथ रख कर कहो
मैंने दील की झूठी क़सम नहीं खाई. सच कह दीया की वाकई मेरा मन नहीं भरा है. मेरी बात सुना-ने के बाद वो और भी जिद्द करने लगा. कहने लगा की Please मान जाओ ना ! बड़ा मज़ा आएगा. सारी रात रंगीन हो जायेगी.
उसने दुबारा जब धक्के मारने स्टार्ट कीए तो मुझे अग जैसे मेरी चूत मैं कांटे उग आये हो, मैं उसके धक्के झेल नहीं पाई और उसे मना कर दीया. मेरे बहुत कहने पर उसने लंड बहार निकलना स्वीकार कर लीया. जब उसने बहार निकाला तो मैंने रहत की सांस ली. उसने मेरी टांगो को अपने कंधे से उतार दीया और मुझे दूसरी तरफ घुमाने लगा तो पहले तो मैं समझ नहीं पाई की वो करना क्या चाहता है. मगर जब उसने मेरी गांड को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसमें लंड घुसाने के लीये मुझे आगे की ओर झुकाने लगा तो मैं उसका मतलब समझ कर रोमांच से भर गयी. मैंने खुद ही अपनी गांड को ऊपर कर लीया और कोशिश करी की गांड का छेद खुल जाये. उसने लंड को मेरी गांड के छेद पर रख्खा और अंदर करने के लीये हल्का सा दबाव ही दीया था की मैं सिसकी लेकर बोली, थूक लगा कर घुसाओ.
उसने मेरी गांड पर थूक चुपड़ दीया और लंड को गांड पर रखकर अंदर डालने लगा. मैं बड़ी मुश्कील से उसे झेल रही थी. दर्द महसूस हो रहा था. कुछ देर मैं ही उसने थोडा सा लंड अंदर करने मैं सफलता प्राप्त कर ली थी. फीर धीरे धीरे धक्के मारने लगा, तो लंड मेरी गांड के अंदर रगड़ खाने लगा तभी उसने अपेख्शाकरत तेज़ गाती से लंड को अंदर कर दीया, मैं इस हमले के लीये तैयार नहीं थी, इसलिए आगे की ओर गिरते बची. सात की पुष्ट को सख्ती से पकड़ लीया था मैंने. अगर नहीं पकद्ती तो जरूर ही गिर जाती. मगर इस झटके का एक फायदा यह हुआ की लंड आधा के करीब मेरी गांड मैं धंस गया था. मेरे मुँह से दर्द भरी सिस्कारियां निकलने लगी … फट गयी मेरी गाआआअन्न्न्न्न्द्द्द्द्द्.. हाआआऐईईईईईइ ऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्…. उसने अपना लंड जहाँ का तहां रोक कर धीरे धीरे धक्के लगाने स्टार्ट कीए. मुझे अभी अनंद ही आना शुरू हुआ था की तभी वो तेज़ तेज़ झटके मारता हुआ काँपने लगा, लंड का सुपादा मेरी गांड मैं फूल पिचक रहा था, आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मेर्र्र्र्रीईईईईई जाआअन्न्न्न्न्न्न्न्न् म्म्म्म्म्म्म्म्म आआआआआअ कहता हुआ वो मेरी गांड मैं ही झाड़ गया. मैंने महसूस कीया की मेरी गांड मैं उसका गाढ़ा और गरम वीर्य टपक रहा था. उसने मेरी पीठ को कुछ देर तक चूमा और अपने लंड को झटके देता रहा. उसके बाद पूरी तरह शांत हो गया. मैं पूरी तरह गांड मरवाने का अनंद भी नहीं ले पाई थी. एक प्रकार से मुझे अनंद आना शुरू ही हुआ था. उसने लंड नीकाल लीया. मैं कपडे पहनते हुए बोली, तुम बहुत बदमाश हो. शादी से पहले ही सब कुछ कर डाला.
वो मुस्कुराने लगा. बोला, क्या कर्ता, तुम्हारी कम्सिन जवानी को देख कर दील पर काबू रखना मुश्कील हो रहा था. कयी दीनो से चोदने का मन था, आज अच्च्चा मौका था तो छोड़ने का मन नहीं हुआ. वैसे तुम इमानदारी से बताओ की तुम्हे मज़ा आया या नहीं?
उसकी बात सुनकर मैं चुप हो गयी और चुपचाप अपने कपडे पहनती रही. मैं मुस्करा भी रही थी. वो मेरे बदन से लिपट कर बोला, बोलो ना ! मज़ा आया?हाँ मैंने हौले से कह दीया. तो फीर एक काम करो, मेरा मन नहीं भरा है. तुम कार अपने ड्राइवर को दे दो और उसे कह दो की तुम अपनी एक सहेली के घर जा रही हो. रात भर उसके घर मैं ही रहोगी. फीर हम दोनो रात भर मौज मस्ती करेंगे. मैं उसकी बात सुनकर मुस्करा कर रह गयी. बोली, दोनो तरफ का बाजा बजाचुके हो फीर भी मन नहीं भरा तुम्हारा?
नहीं ! बल्की अब तो और ज्यादा मन बेचैन हो गया है. पहले तो मैंने इसका स्वाद नहीं लीया था, इसीलिये मालूम नहीं था की चूत और गांड चोदने मैं कैसा मज़ा आता है. एक बार चोदने के बाद और चोदने का मन कर रहा है. और मुझे यकीन है की तुम्हारा भी मन कर रहा होगा.
नहीं मेरा मन नहीं कर रहा है
तुम झूठ बोल रही हो. दील पर हाथ रख कर कहो
मैंने दील की झूठी क़सम नहीं खाई. सच कह दीया की वाकई मेरा मन नहीं भरा है. मेरी बात सुना-ने के बाद वो और भी जिद्द करने लगा. कहने लगा की Please मान जाओ ना ! बड़ा मज़ा आएगा. सारी रात रंगीन हो जायेगी.
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