समय इसी तरह गुज़रता रहा. मीनाक्षी हफ्ते मे तीन और कभी चार दिन के लिए आती. मीनाक्षी खुद इतनी कामुक थी की जब भी आती मुझे निचोड़ कर रख देती थी. मुझसे कई बार सोनिया ने पूछा कि मुझे दूसरी लड़की चाहिए तो हर बार मेने मना कर दिया. पता नही मीनाक्षी में ऐसी क्या बात थी.
कभी तो मुझे लगता कि सोनिया शायद मीनाक्षी से जलने लगी है और मुझे चिडाने के लिए ऐसा पूछ रही है, कि उसका पति एक दूसरी लड़की के साथ इतने मज़े कर रहा है.
गुज़रते के वक़्त के साथ हम सभी को ये एहसास दिलाने मे कामयाब होते गये कि हमारी शादी शुदा ज़िंदगी काफ़ी अच्छी गुज़र रही है. मेने कई बार राजदीप मिश्रा को हमारे आस पास घूमते देखा. पर मुझे उसे देख कर एक अंजान सा भय दिमाग़ मे आता. में जब भी उसे देखता तो मुझे ऐसा लगता कि वो कुछ और फ़िराग में है. उसका मकसद हम पर नज़र रखने का नही बल्कि वो कुछ और चाहता है.
फिर एक दिन मेरा शक़ यकीन मे बदल गया......
जो मेने सोचा था ठीक वैसा ही हो रहा था. मेरा शक़ यकीन मे बदलने लगा. इस यकीन के कई कारण थे. पहले तो मुझे लगा कि ये सब अलग अलग घटनाए है पर बाद मे एहसास हुआ कि ये सब एक ही जंजीर की कड़ी है.
शुरुआत कुछ इस तरह हुई. जब भी में घर पर सोनिया और अमित के साथ होता तो में अमित को नज़र अंदाज़ करने लगा. पर एक ही छत के नीचे साथ साथ रहते हुए तुम ज़्यादा दिन तक किसी को नज़र अंदाज़ नही कर सकते.
ऐसी ही रात की बात है, में स्टडी रूम मे कंप्यूटर पर गेम खेल रहा था. स्टडी रूम किचन और डिन्निंग रूम के साथ ही सटा हुआ है. सोनिया और अमित डिन्निंग टेबल पर बैठे हुए थे और ऐसा हो नही सकता कि उन दोनो को मेरे स्टडी रूम मे होने की खबर ना हो.
दोनो किसी बात पर बहस कर रहे थे. बहस करते करते उन दोनो की आवाज़ें इतनी ज़ोर से हो गयी कि मुझे स्टडी रूम मे सॉफ सुनाई दे रहा था. अमित चाहता था कि सोनिया का पैसे का मामला सलटने के बाद वो मुझे तलाक़ देकर उससे शादी कर ले.
पर सोनिया कह रही थी कि वो अमित से किसी हाल मे भी शादी नही कर सकती चाहे वो मुझे तलाक़ दे या ना दे. सोनिया की बात सुनकर जितना में चौंका था उतना ही झटका अमित को भी लगा था. वो इसी उम्मीद मे बैठा था कि भविश्य मे सोनिया उससे शादी करेगी. उसका कहना था कि इससे उसकी समाज और सोसाइटी मे इज़्ज़त पे धब्बा लगेगा. इसका बाद क्या हुआ मुझे पता नही क्यों कि अमित गुस्से मे पैर पटकता हुआ घर से बाहर चला गया.
दूसरी घटना करीब एक महीने बाद घटी. हमेशा की तरह एक दोपहर जब में मीनाक्षी को चोद कर हटा था. आज मेने उसके तीनो छेदों की जम कर चुदाई की थी.
"राज तुम्हे पता है, मुझे तुमसे चुद्वाकर बहोत मज़ा आता है. हालाँकि में अपने पति से तकरीबन रोज़ ही चुदवाती हूँ पर पता नही तुम्हारे साथ मे हद से ज़्यादा उत्तेजित हो जाती हूँ और मुझे मज़ा भी बहोत आता है. पर में ये काम सिर्फ़ पैसों के लिए कर रही हूँ." मीनाक्षी ने मुझसे कहा.
मीनाक्षी की बात सुनकर मेरे मन को दुख हुआ, "ये कह तुमने मेरा दिल दुखाया है मीनाक्षी, में तो यही समझ रहा था कि तुम मेरे व्यक्तिक्त्व को देख कर तुम मेरे साथ हो." मेने कहा.
मेरी बात सुनकर मीनाक्षी हँसने लगी, "तुम बेवकूफ़ हो राज. क्या तुम मुझे पागल समझते हो. में यहाँ सिर्फ़ पैसे के लिए हूँ ना कि प्यार या किसी और वजह से. राज तुम्हारी बीवी की ये कहानी की वो बीमारी की वजह से तुम्हारी काम इच्छा पूरी नही कर सकती किसी और को बेवकूफ़ बना सकती है मुझे नही. मेने तुम्हारी बीवी सोनिया को उस बंदर अमित के साथ कई बार होटेल्स मे जाते देखा है. तुम दोनो जो दुनिया के जताना चाहते हो में सब समझती हूँ. राज हमे इस विषय पर बात करनी होगी."
अगली घटना एक हफ्ते बाद हुई जब मुझे राजदीप मिश्रा का फोन आया कि वो मेरे साथ खाना खाना चाहता है.
जब में राजदीप को खाने पर मिला तो सीधा मुद्दे के बात पर आ गया.
"राज में कई महीनो इस शक मे था कि तुम्हारी और सोनिया की शादी एक दिखावा है जिससे वो ट्रस्ट से पैसा हासिल कर सके. हमेशा से मुझे यही लग रहा था कि सोनिया ने तुम्हे पैसे देकर खरीदा है और तुम उसके किराए के पति हो. आज मेरा शक यकीन मे बदल गया है. मेरा पास पक्का सबूत है कि सोनिया ने तुम्हे 50 लाख रुपये दिए हैं उसका पति बनने के लिए."
में कुछ कहने ही जा रहा था कि उसने मेरी बात बीच मे ही काट दी.
क्रमशः…………………………………..
किराए का पति compleet
Re: किराए का पति
किराए का पति--7
गतान्क से आगे……………………………..
"राज अब इनकार करने की कोशिश मत करना क्यों कि में तुम्हारा यकीन नही करूँगा. मेरा पक्का सबूत और गवाह है जो कोर्ट मे खड़ा होकर ये गवाही दे सकता है कि तुम्हारी शादी सोनिया वेर्मा के साथ नकली है और वो वेर्मा फाउंडेशन के पैसे हासिल करना चाहती है. में तुमसे सिर्फ़ इसलिए मिल रहा हूँ कि तुम मेरे लिए गवाही दो." राजदीप ने कहा.
"में कुछ समझा नही आप क्या कहना चाहते है?" मेने कहा.
"अब इतने भी बेवकूफ़ मत बनो राज, तुम कोई दूध पीते बच्चे नही हो. मेरे गवाह को 50 लाख चाहिए कोर्ट मे गवाही देने के नाम के. में जानता हूँ कि उसकी गवाही हमारा ट्रस्ट कोर्ट मे केस जीत जायगा पर में कोई चान्स नही लेना चाहता. अगर तुम कोर्ट मे सोनिया के खिलाफ गवाही दोगे तो हमारी जीत पक्की है. उस गवाह को 50 लाख देने से अच्छा 1 करोड़ तुम्हे देने को तय्यार हूँ." राजदीप ने कहा.
"राजदीप तुम ये कहना चाहते हो कि 1 करोड़ के बदले में कोर्ट मे खड़ा होकर ये गवाही दूं कि सोनिया के साथ मेरी शादी नकली है"
मेने कहा.
"हां मेरे कहने का मतलब यही है." राजदीप ने कहा.
"फिर तो मुझे अफ़सोस के साथ कहना होगा कि तुम्हारी सोच ग़लत है. में कोर्ट मे गीता पर हाथ रख कर झूठी कसम नही खा सकता क्यों कि में जानता हूँ की में सोनिया से प्यार करता हूँ और हमारी शादी असली है." ये कहकर में राजदीप वहीं छोड़ वहाँ से चला आया.
तीन हफ्ते बाद फाउंडेशन और ट्रस्ट्स ने सोनिया पर केस कर दिया.
"हे भगवान अब में क्या करूँगी?" सोनिया ने उस दिन मुझसे कहा.
"इसमे डरने वाली क्या बात है. मेरी सलाह मानो तो किसी अच्छे वकील को कर लो उनसे कोर्ट मे केस लाडो. जब तक केस की तारीख नही पड़ती तब तक कोशिश करो कि तुम गर्भवती हो जाओ." मेने सोनिया से कहा.
"तुम्हारा मतलब है कि प्रेग्नेंट, तुम्हारा दिमाग़ तो नही खराब हो गया है, इस मुसीबत की घड़ी मे तुम मुझे प्रेगञेन्ट होने के लिए कह रहे हो." सोनिया झल्लाते हुए बोली.
"इसमे दिमाग़ खराब होने वाली क्या बात है, वैसे भी तुम्हारे पिताजी की वसीयत के अनुसार तुम्हे मा तो बनना ही पड़ेगा." मेने कहा.
"पर मेने तो सोचा था कि अगर पाँच साल का वक़्त है मेरे पास."
"समय और परिस्थितियाँ बदल जाती है सोनी" मेने कहा.
"नही राज ये नही हो सकता, में अभी मा नही बनना चाहती."
"मेरी बात पर गौर करना सोनी. माना तुम्हारी क़ानूनी मैरिज सर्टिफिकेट, हज़ारों लोग जिन्होने हमारी शादी अटेंड की थी उनकी गवाही भी है. फिर भी तुम कोर्ट मे ये साबित नही कर पाओगी की हमारी शादी जायज़ है. कोर्ट हम दोनो की बात पर यकीन नही करेगा क्यों कि बॅंक मेरे नाम से जमा पैसा तुम्हारी हर बात को झूटला देगा." मेने कहा.
सोनिया मेरी बात सुनती रही.
"सोनी ये तुम्हारा पैसा है और तुम्हे ही फ़ैसला करना है. अगर तुम प्रेगञेन्ट हो गयी तो कोई भी तुम्हारी शादी को झूटला नही सकेगा. ज़्यादा से ज़्यादा ट्रस्ट वाले ये दावा करेंगे कि ये मेरा बच्चा नही है तो में कह दूँगा को वो हमारा डीयेने टेस्ट करा सकते है." मेने कहा.
"तुम्हे सिर्फ़ इतना करना होगा कि हम इस तरह से सब कुछ प्लान करें कि किसी को इस बात की हवा तक ना लगे यहाँ तक कि अमित को भी नही. क्यों कि में उस इंसान पर विश्वास नही करता. तुम ऐसा क्यों नही करती तुम्हारी माहवारी के दस दिन पहले तुम किसी बिज़्नेस ट्रिप के लिए सहर से बाहर चली जाओ और तीन दिन बाद में तुम्हे वहाँ मिल जाउ."
"पता नही राज जो तुम कह रहे वो सही है कि ग़लत. मुझे पता है कि मुझे मा बनना है, पर में हमेशा यही सोचती रही कि इस काम के लिए अभी मेरे पास वक्त है."
"फ़ैसला तुम्हारे हाथ मे है सोनी." मेने कहा.
गतान्क से आगे……………………………..
"राज अब इनकार करने की कोशिश मत करना क्यों कि में तुम्हारा यकीन नही करूँगा. मेरा पक्का सबूत और गवाह है जो कोर्ट मे खड़ा होकर ये गवाही दे सकता है कि तुम्हारी शादी सोनिया वेर्मा के साथ नकली है और वो वेर्मा फाउंडेशन के पैसे हासिल करना चाहती है. में तुमसे सिर्फ़ इसलिए मिल रहा हूँ कि तुम मेरे लिए गवाही दो." राजदीप ने कहा.
"में कुछ समझा नही आप क्या कहना चाहते है?" मेने कहा.
"अब इतने भी बेवकूफ़ मत बनो राज, तुम कोई दूध पीते बच्चे नही हो. मेरे गवाह को 50 लाख चाहिए कोर्ट मे गवाही देने के नाम के. में जानता हूँ कि उसकी गवाही हमारा ट्रस्ट कोर्ट मे केस जीत जायगा पर में कोई चान्स नही लेना चाहता. अगर तुम कोर्ट मे सोनिया के खिलाफ गवाही दोगे तो हमारी जीत पक्की है. उस गवाह को 50 लाख देने से अच्छा 1 करोड़ तुम्हे देने को तय्यार हूँ." राजदीप ने कहा.
"राजदीप तुम ये कहना चाहते हो कि 1 करोड़ के बदले में कोर्ट मे खड़ा होकर ये गवाही दूं कि सोनिया के साथ मेरी शादी नकली है"
मेने कहा.
"हां मेरे कहने का मतलब यही है." राजदीप ने कहा.
"फिर तो मुझे अफ़सोस के साथ कहना होगा कि तुम्हारी सोच ग़लत है. में कोर्ट मे गीता पर हाथ रख कर झूठी कसम नही खा सकता क्यों कि में जानता हूँ की में सोनिया से प्यार करता हूँ और हमारी शादी असली है." ये कहकर में राजदीप वहीं छोड़ वहाँ से चला आया.
तीन हफ्ते बाद फाउंडेशन और ट्रस्ट्स ने सोनिया पर केस कर दिया.
"हे भगवान अब में क्या करूँगी?" सोनिया ने उस दिन मुझसे कहा.
"इसमे डरने वाली क्या बात है. मेरी सलाह मानो तो किसी अच्छे वकील को कर लो उनसे कोर्ट मे केस लाडो. जब तक केस की तारीख नही पड़ती तब तक कोशिश करो कि तुम गर्भवती हो जाओ." मेने सोनिया से कहा.
"तुम्हारा मतलब है कि प्रेग्नेंट, तुम्हारा दिमाग़ तो नही खराब हो गया है, इस मुसीबत की घड़ी मे तुम मुझे प्रेगञेन्ट होने के लिए कह रहे हो." सोनिया झल्लाते हुए बोली.
"इसमे दिमाग़ खराब होने वाली क्या बात है, वैसे भी तुम्हारे पिताजी की वसीयत के अनुसार तुम्हे मा तो बनना ही पड़ेगा." मेने कहा.
"पर मेने तो सोचा था कि अगर पाँच साल का वक़्त है मेरे पास."
"समय और परिस्थितियाँ बदल जाती है सोनी" मेने कहा.
"नही राज ये नही हो सकता, में अभी मा नही बनना चाहती."
"मेरी बात पर गौर करना सोनी. माना तुम्हारी क़ानूनी मैरिज सर्टिफिकेट, हज़ारों लोग जिन्होने हमारी शादी अटेंड की थी उनकी गवाही भी है. फिर भी तुम कोर्ट मे ये साबित नही कर पाओगी की हमारी शादी जायज़ है. कोर्ट हम दोनो की बात पर यकीन नही करेगा क्यों कि बॅंक मेरे नाम से जमा पैसा तुम्हारी हर बात को झूटला देगा." मेने कहा.
सोनिया मेरी बात सुनती रही.
"सोनी ये तुम्हारा पैसा है और तुम्हे ही फ़ैसला करना है. अगर तुम प्रेगञेन्ट हो गयी तो कोई भी तुम्हारी शादी को झूटला नही सकेगा. ज़्यादा से ज़्यादा ट्रस्ट वाले ये दावा करेंगे कि ये मेरा बच्चा नही है तो में कह दूँगा को वो हमारा डीयेने टेस्ट करा सकते है." मेने कहा.
"तुम्हे सिर्फ़ इतना करना होगा कि हम इस तरह से सब कुछ प्लान करें कि किसी को इस बात की हवा तक ना लगे यहाँ तक कि अमित को भी नही. क्यों कि में उस इंसान पर विश्वास नही करता. तुम ऐसा क्यों नही करती तुम्हारी माहवारी के दस दिन पहले तुम किसी बिज़्नेस ट्रिप के लिए सहर से बाहर चली जाओ और तीन दिन बाद में तुम्हे वहाँ मिल जाउ."
"पता नही राज जो तुम कह रहे वो सही है कि ग़लत. मुझे पता है कि मुझे मा बनना है, पर में हमेशा यही सोचती रही कि इस काम के लिए अभी मेरे पास वक्त है."
"फ़ैसला तुम्हारे हाथ मे है सोनी." मेने कहा.
Re: किराए का पति
में भी कितना बेवकूफ़ था, पर क्या करता हर इंसान इस दौर से गुज़रता है और जिंदगी मे उसे किसी ना किसी से प्यार हो जाता है. और मुझे भी प्यार हो गया वो भी अपनी उस बीवी से जो मुझे पाँच साल बाद तलाक़ देने वाली है.
सोनिया को मेरी बात पसंद आ गयी. उसने मेरी बात मानकर अमित को भी कुछ नही बताया. अमित को कुछ ना बताने का मेरा कुछ कारण था जो में फिलहाल सोनिया को नही बता सकता था. सोनिया ने अमित को सिर्फ़ इतना बताया कि वो बिज़्नेस के सिलसिले मे बंगलोर जा रही है. अगले दिन वो बंगलोर के लिए रवाना हो गयी. और उसके दूसरे दिन उसने वहाँ से हयदेराबाद की फ्लाइट पकड़ ली. में भी बिज़्नेस का बहाना बना हैदराबाद पहुँच गया.
अगले छह दिन हमने खूब मस्ती मे गुज़ारे. दिन मे साथ साथ स्विम्मिंग पूल मे नहाते और रात को नाइट क्लब या फिर किसी अच्छे रेस्टोरेंट मे बैठ खाना ख़ाता. और फिर होटेल के कमरे मे पहुँच जम कर चुदाई करते. सोनिया ने वैसे तो चुदाई के वक़्त मेरा भरपूर साथ दिया लेकिन में ये जानता था कि वो सिर्फ़ मा बनने के लिए वो भी अपने बाप की वसीयत की शर्त पूरी करने के लिए कर रही है. मुझे ये भी पता था कि वो अंदर ही अंदर शर्मन्द्गि महसूस कर रही है कि वो ये सब अमित से छुपा कर रही है.
इतना सब कुछ जानने के बाद फिर भी एक बात थी जो उसे बहोत पसंद थी. वो था मेरा उसकी चूत को चूसना और चाटना. जब भी में उसकी फूली फूली चूत को अपने मुँह मे भर अपनी जीब अंदर तक घुसाता वो इतने जोरों से सिसकती, "ओह राज हाां ख़ाा जाओ मेरी चूओत को ऑश हाा ऐसे अपनी जीएब और अंदर तक घुसाआओ ओह हाा."
ऐसा नही था कि उसे चुदाई मे मज़ा नही आता था, कई बार तो खुद वो मुझ पर चढ़ मेरे लंड को अपनी चूत मे लेती और उछल उछल कर चुदाई करती. जब में अपने लंड का पानी उसकी चूत मे छोड़ने के बाद उसकी चूत को चूस्ता तो वो पागल सी हो जाती. खैर मुझे इतना पता था कि वो मुझे प्यार करे या ना करे पर उसने मेरे दिल, दिमाग़ और आत्मा पर क़ब्ज़ा कर लिया था.
छह ही दिन थे जो हम ऑफीस से बाहर रह सकते थे. पर घर पहुँच कर भी चुदाई जारी तो रखनी थी. घर पर हम कर नही सकते थे, कारण वहाँ अमित होता था. इसलिए हम ऑफीस मे सबके चले जाने के बाद करते.
शाम को सबके चले जाने के बाद या तो उसकी ऑफीस मे उसकी मेज़ पर और नही तो कभी मेरी मेज़ पर. एक बात थी सोनिया को कुतिया बन कर चुदने मे बड़ा मज़ा आता. जब में उसकी गोल गोल चुतडो पर थप्पड़ मारते हुए धक्के मारता तो इतनी जोरों से सिसकती, "ऑश राज हां और ज़ोर से मारो ऑश हाआँ ऐसे ही मारो और ज़ोर ज़ोर से चोदो ओह हाां."
हमारी ये चुदाई तब तक चलती रही जब तक की सोनिया ने मुझे ये ना बताया कि वो मा बनने वाली है.
ये खबर सुनकर तो एक बार में सोच में पड़ गया. कहाँ तो मेने सोनिया से शुरुआत मे ये कहा था की शायद पाँच साल ख़तम होते तक में उससे बेइन्ताह नफ़रत करने लगूंगा पर मुझे ये उम्मीद नही थी कि होगा ठीक मेरी सोच के विपरीत. आज में उससे नफ़रत करने के बजाई उससे बेइंतहा मोहब्बत करने लगा था. में उसकी भलाई के लिए क्या क्या कर रहा हूँ वो में उसे अभी बता नही सकता था. नही में उसे ये बता सकता था कि मेने ऐसा किया तो क्यों किया.
जिस रात उसने मुझे ये बताया कि वो मा बानने वाली है दूसरे दिन शाम को में एक बड़ा सा फूलों का गुलदस्ता और एक शैम्पियन की बॉटल लेकर उसकी ऑफीस मे पहुँच गया. पहले तो उसके गालो को चूम कर उसे बधाई दी और फिर शैम्पियन की बॉटल खोल दो ग्लास मे डाल दी. एक दूसरे को चियर्स कर हम पीने लगे.
हम लोग बातें करते हुए तब तक चंपने पीते रहे जब तक की बॉटल ख़तम ना हो गयी. मेने देखा कि सोनिया को नशा होने लगा है तो में उसे सहारा देते हुए ऑफीस से बाहर ले आया. जब तक कि में उसे गाड़ी मे बिठाता वो नशे मे बेहोश सी हो गयी थी.
मेने अपने ड्राइवर संजय से हमे होटेल ताज महल पे छोड़ने को कहा और उसे फिर रात के लिए छुट्टी दे दी. में सोनिया को सहारा देते हुए लिफ्ट से उपर आठवीं मंज़िल के सूयीट मे ले आया.
मेने सूयीट का दरवाज़ा खटखटाया तो उसे मेरे चचेरे भाई रमेश ने खोला. रमेश एक लंबा चौड़ा कसरती बदन का मालिक था. आज मेने उसे एक स्पेशल काम लिए बुलाया था.
सोनिया को मेरी बात पसंद आ गयी. उसने मेरी बात मानकर अमित को भी कुछ नही बताया. अमित को कुछ ना बताने का मेरा कुछ कारण था जो में फिलहाल सोनिया को नही बता सकता था. सोनिया ने अमित को सिर्फ़ इतना बताया कि वो बिज़्नेस के सिलसिले मे बंगलोर जा रही है. अगले दिन वो बंगलोर के लिए रवाना हो गयी. और उसके दूसरे दिन उसने वहाँ से हयदेराबाद की फ्लाइट पकड़ ली. में भी बिज़्नेस का बहाना बना हैदराबाद पहुँच गया.
अगले छह दिन हमने खूब मस्ती मे गुज़ारे. दिन मे साथ साथ स्विम्मिंग पूल मे नहाते और रात को नाइट क्लब या फिर किसी अच्छे रेस्टोरेंट मे बैठ खाना ख़ाता. और फिर होटेल के कमरे मे पहुँच जम कर चुदाई करते. सोनिया ने वैसे तो चुदाई के वक़्त मेरा भरपूर साथ दिया लेकिन में ये जानता था कि वो सिर्फ़ मा बनने के लिए वो भी अपने बाप की वसीयत की शर्त पूरी करने के लिए कर रही है. मुझे ये भी पता था कि वो अंदर ही अंदर शर्मन्द्गि महसूस कर रही है कि वो ये सब अमित से छुपा कर रही है.
इतना सब कुछ जानने के बाद फिर भी एक बात थी जो उसे बहोत पसंद थी. वो था मेरा उसकी चूत को चूसना और चाटना. जब भी में उसकी फूली फूली चूत को अपने मुँह मे भर अपनी जीब अंदर तक घुसाता वो इतने जोरों से सिसकती, "ओह राज हाां ख़ाा जाओ मेरी चूओत को ऑश हाा ऐसे अपनी जीएब और अंदर तक घुसाआओ ओह हाा."
ऐसा नही था कि उसे चुदाई मे मज़ा नही आता था, कई बार तो खुद वो मुझ पर चढ़ मेरे लंड को अपनी चूत मे लेती और उछल उछल कर चुदाई करती. जब में अपने लंड का पानी उसकी चूत मे छोड़ने के बाद उसकी चूत को चूस्ता तो वो पागल सी हो जाती. खैर मुझे इतना पता था कि वो मुझे प्यार करे या ना करे पर उसने मेरे दिल, दिमाग़ और आत्मा पर क़ब्ज़ा कर लिया था.
छह ही दिन थे जो हम ऑफीस से बाहर रह सकते थे. पर घर पहुँच कर भी चुदाई जारी तो रखनी थी. घर पर हम कर नही सकते थे, कारण वहाँ अमित होता था. इसलिए हम ऑफीस मे सबके चले जाने के बाद करते.
शाम को सबके चले जाने के बाद या तो उसकी ऑफीस मे उसकी मेज़ पर और नही तो कभी मेरी मेज़ पर. एक बात थी सोनिया को कुतिया बन कर चुदने मे बड़ा मज़ा आता. जब में उसकी गोल गोल चुतडो पर थप्पड़ मारते हुए धक्के मारता तो इतनी जोरों से सिसकती, "ऑश राज हां और ज़ोर से मारो ऑश हाआँ ऐसे ही मारो और ज़ोर ज़ोर से चोदो ओह हाां."
हमारी ये चुदाई तब तक चलती रही जब तक की सोनिया ने मुझे ये ना बताया कि वो मा बनने वाली है.
ये खबर सुनकर तो एक बार में सोच में पड़ गया. कहाँ तो मेने सोनिया से शुरुआत मे ये कहा था की शायद पाँच साल ख़तम होते तक में उससे बेइन्ताह नफ़रत करने लगूंगा पर मुझे ये उम्मीद नही थी कि होगा ठीक मेरी सोच के विपरीत. आज में उससे नफ़रत करने के बजाई उससे बेइंतहा मोहब्बत करने लगा था. में उसकी भलाई के लिए क्या क्या कर रहा हूँ वो में उसे अभी बता नही सकता था. नही में उसे ये बता सकता था कि मेने ऐसा किया तो क्यों किया.
जिस रात उसने मुझे ये बताया कि वो मा बानने वाली है दूसरे दिन शाम को में एक बड़ा सा फूलों का गुलदस्ता और एक शैम्पियन की बॉटल लेकर उसकी ऑफीस मे पहुँच गया. पहले तो उसके गालो को चूम कर उसे बधाई दी और फिर शैम्पियन की बॉटल खोल दो ग्लास मे डाल दी. एक दूसरे को चियर्स कर हम पीने लगे.
हम लोग बातें करते हुए तब तक चंपने पीते रहे जब तक की बॉटल ख़तम ना हो गयी. मेने देखा कि सोनिया को नशा होने लगा है तो में उसे सहारा देते हुए ऑफीस से बाहर ले आया. जब तक कि में उसे गाड़ी मे बिठाता वो नशे मे बेहोश सी हो गयी थी.
मेने अपने ड्राइवर संजय से हमे होटेल ताज महल पे छोड़ने को कहा और उसे फिर रात के लिए छुट्टी दे दी. में सोनिया को सहारा देते हुए लिफ्ट से उपर आठवीं मंज़िल के सूयीट मे ले आया.
मेने सूयीट का दरवाज़ा खटखटाया तो उसे मेरे चचेरे भाई रमेश ने खोला. रमेश एक लंबा चौड़ा कसरती बदन का मालिक था. आज मेने उसे एक स्पेशल काम लिए बुलाया था.