किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic

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Fuck_Me
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Re: किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic

Unread post by Fuck_Me » 17 Aug 2015 11:39

मैंने भी सोचा कि शायद एक्साइटमेंट में उसकी क्रीम जल्दी निकल गयी होगी और ये कोई नयी बात नहीं होगी। वो गहरी-गहरी साँसें लेता हुआ मेरे जिस्म पे पड़ा रहा और मेरी चूत में पहले से ज़्यादा तूफ़ान उठ रहा था और मेरा मन कर रहा था कि किसी तरह से सुहैल आ जाये और मुझे इतना चोदे कि मेरी चूत फट जाये पर ऐसा हो नहीं सकता था ना। मैं कुछ नहीं कर सकती थी। इंतज़ार किया कि शायद अशफाक के लंड में फिर से जान पड़ेगी और वो कुछ सही ढंग से चुदाई करेगा पर ऐसा कुछ नहीं हुआ और वो मेरे बगल में लेट के गहरी नींद सो गया और एक ही मिनट में उसके खर्राटे गूँजने लगे।

सुबह हुई तो उसकी बहन रुखसाना कमरे में आयी और मुस्कुराते हुए एक आँख बंद कर के पूछा, “क्यों भाभी जान! रात सोयी या भाई जान ने सारी रात जगाया?” मैं उस पगली को क्या बताती कि उसका भाई मेरी चूत में आग लगा के सो गया और मैं सारी रात जागती रही और इंतज़ार करती रही कि हो सकता है कि उसका लंड फिर से जाग जाये पर ऐसा कुछ हुआ नहीं और रुखसाना से कैसे बताती कि उसके भाई को आग लगाना तो आता है पर उस आग को बुझाना नहीं आता। मैंने बनावटी शर्म से नज़र नीचे कर ली और मुस्कुरा दी और दिल में सोचा कि पता नहीं इसे कैसा शौहर मिलेगा, पहली रात को चोद-चोद के चूत का भोंसड़ा बना देगा या मेरी तरह चूत में आग लगा के सो जायेगा। तब मैं पूछूँगी उससे कि रात कैसी गुजरी, रात भर चुदाई होती रही या खुद मलाई निकाल के सो गया और तुम्हारी चूत में आग लगा के तुम्हें सोने नहीं दिया। लेकिन अभी इस सवाल को पूछने के लिये तो टाईम है।

इसी तरह से एक हफ्ता हो गया और मुझे कोई खास मज़ा नहीं आया। बस वो अपने हिसाब से चोदता रहा और हर बार चोद के मुझसे पूछता कि "मज़ा आया किरन?" तो मैं मुँह नीचे कर के चुप हो जाती और वो समझता कि शायद मैं उसकी चुदाई को इंजॉय कर रही हूँ। पता नहीं क्या प्रॉबलम था उसको कि चुदाई से पहले उसका लंड अकड़ता तो था लेकिन चूत की गर्मी से उसकी मलाई दूध बन के निकल जाती थी। ऐसा लगाता था कि लंड चूत के अंदर सिर्फ़ मलाई छोड़ने के लिये ही जाता है। मुश्किल से दो या तीन ही धक्कों में उसका काम तमाम हो जाता था। शुरू-शुरू में तो मैं समझी कि शायद एक्साइटमेंट की वजह से होगा और वक्त के साथ ठीक हो जायेगा पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। शादी के बाद पूरे दो हफ्ता उसके घर रह कर हम शहर में चले आये जहाँ उसका बिज़नेस था।

अशफाक के घर वाले शहर के आऊटर में रहते हैं और अशफाक एक बिज़नेसमैन है। उसका रेडीमेड गार्मेंट्स का बिज़नेस है जो काफी अच्छा चलता है। वो अपने बिज़नेस के लिये डेली आऊटर से शहर में नहीं आ सकता था और इसी लिये उसने एक शानदार फ्लैट शहर में ले रखा था जिस में हम दोनों ही रहते हैं। घर में किसी चीज़ की कमी नहीं थी। कभी-कभी उसके मम्मी और डैडी आ जाते या कभी उसकी बहन रुखसाना आ जाती तो एक या दो दिन रह के चले जाते। घर में मैं अकेली ही रहती हूँ।
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Fuck_Me
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Re: किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic

Unread post by Fuck_Me » 17 Aug 2015 11:39

वक्त ऐसे ही गुजरता रहा। वो मेरी चूत में सारी रात आग लगाता रहता और खुद सुबह सुबह उठ के चला जाता और मैं जलती हुई चूत के साथ सारा दिन गुजारती रहती। करती भी तो क्या करती। इसी तरह से तीन महीने गुज़र गये। बहुत बोर होती रहती थी घर में बैठे-बैठे। सब नये -ये लोग थे। किसी से भी कोई जान पहचान नहीं थी। हमारे घर के करीब ही एक लेडी रहती थी। उनका नाम था सलमा। वो होंगी कोई छत्तीस या सैंतीस साल की। काफी खुश अखलाक़ और तहज़ीब याफ्ता औरत थीं। वो अक्सर हमारे घर आ जाया करती हैं और इधर उधर की बातें करती रहती हैं। मैं उन्हें आँटी कहने लगी। वो जब आती तो दो-तीन घंटे गुज़ार के ही जाती। कभी खाना पकाने में भी मदद कर देती और कभी-कभी तो हम दोनों मिल के खाना भी खा लेते। वो अपने अपियरेंस का बेहद ख़याल रखती थीं और हमेशा सलीके से कपड़े, गहने वगैरह पहने होती थीं और हल्के से मेक अप में बेहद खूबसूरत दिखती थीं। मैंने भी उनसे काफी कुछ सीखा।

अशफाक तो बिज़नेस के सिल सिले में शहर से बाहर जाते ही रहते हैं और जब कभी किसी दूर के शहर जाना होता तो वो तीन-चार दिन के लिये जाते और मैं घर मैं अकेली ही रहती हूँ। कई बार आँटी ने कहा कि “किरन तुम अकेली रहती हो, अगर तुम कहो तो मैं तुम्हारे पास आ के सो जाया करूँ!”

मैंने हमेशा हँसते हुए उनके इस इरादे को टाल दिया और अब वो मेरे साथ सोने की बात नहीं करती। कभी-कभी अगर बातें करते-करते रात को देर भी हो जाती तो वो अपने घर चली जाती थी। उनके शौहर मर्चेंट नेवी में इंजीनियर थे और साल में दो-तीन दफ़ा कुछ हफ़्तों की छुट्टियों में आते थे। उनकी बारह साल की एक बेटी थी जो बोर्डिंग स्कूल में पढ़ती थी। उनके पास एक बड़ा सा कुत्ता था जिसे वो दिल-ओ-जान से चाहती थीं। सलमा आँटी अपने कुत्ते के साथ अकेली रहती थीं।

एक दिन आँटी दोपहर के वक्त आ गयीं। मैं उसी वक्त बाहर से कुछ शॉपिंग करके वापस लौटी थी और चाय पी कर थोड़ा सुस्ताने का दिल कर रहा था क्योंकि आज बादल छाये हुए थे और कभी भी बारिश हो सकती थी और ठंडी हवा चल रही थी। हकीकत में मौसम सुहाना हो रहा था पर मुझे रात के गैर तसल्ली बक्श सैक्स से सारा जिस्म टूटा जा रहा था । मैंने घर में कदम रखा ही था और अभी सैंडल भी नहीं उतारे थे कि ठीक उसी टाईम पे आँटी आ गयी। आँटी ने पूछा कि मैं कहीं जा रही हूँ क्या तो मैने कहा. “नहीं आँटी! बल्कि अभी-अभी आयी हूँ” तो आँटी ने पूछा के “थक गयी होगी... कहो तो मैं तुम्हारा जिस्म दबा दूँ” तो मैंने हँस के कहा कि “नहीं आँटी, ऐसी कोई बात नहीं।“ इतनी देर में एक दम से बहुत ज़ोरों की बारिश शुरू हो गयी। मेरे इस घर में आने के बाद ये पहली बारिश थी तो मेरा जी चाह रहा था कि मैं ऊपर जा के बालकोनी से बारिश देखूँ। इसी लिये मैंने आँटी से कहा कि “चलिये ऊपर चल के बैठते हैं और बारिश का मज़ा लेते हैं।“
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Re: किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic

Unread post by Fuck_Me » 17 Aug 2015 11:39

हम दोनों बालकोनी में आ गये। हमारा फ्लैट आठवीं मंज़िल पर बिल्डिंग का सबसे ऊपर वाला फ्लैट है और हमारी बिल्डिंग के सामने सड़क थी और दूसरी तरफ छोटी सी मार्केट थी जहाँ सब्ज़ी, दूध और तकरीबन डेली इस्तेमल की सभी चीज़ें मिल जाया करती थी। इतनी बारिश की वजह से सारा मार्केट सुना पड़ा हुआ था। कभी-कभी कोई इक्का दुक्का सायकल वाला या कोई आदमी बरसाती ओढ़े गुज़र जाता था। हम दोनों बालकोनी में रखी कुर्सियों पे बैठ गये और बाहर का सीन देखने लगे। कभी-कभी बारिश का थोड़ा सा पानी हमारे ऊपर भी गिर जाता था। मौसम ठंडा हो गया था और ऐसा अंधेरा था कि शाम के पाँच बजे ही ऐसा लग रहा था जैसे रात के आठ-नौ बज रहे हों। मैं चाय़ बनाने उठी तो आँटी ने कहा कि, “ऐसे मौसम में जिन या रम पीने में बहुत मज़ा आता है!” मैं उनकी बात सुनकर चौंक पड़ी। हालांकि मैं खुद अशफाक के कहने पर उसके साथ कभी-कभी बियर पी लेती थी पर आँटी पीने का शौक रखती होंगी, इस बात की मुझे उम्मीद नहीं थी। मैंने आँटी से कहा कि “जिन या रम तो नहीं है क्योंकि अशफाक व्हिस्की पीना पसंद करते हैं...” तो आँटी ने कहा कि “वही ले आओ।“

मैं जा के दो ग्लास और अशफाक की अलमारी से व्हिस्की की बोतल ले आयी। व्हिस्की पीने का ये मेरा पहला मौका था। हम दोनों पैग पीते-पीते बाहर का सीन देखते रहे और इधर उधर की बातें करते-करते बारिश के मज़े लेने लगे। एक छोटा सा पैग पीने से ही जिस्म में थोड़ी सी गर्मी आ गयी। आँटी तो इतनी देर में एक बड़ा पैग पी चुकी थीं और दूसरा पैग खतम होने को था। उन्होंने जोर देकर मेरे लिये अपने जैसा ही बड़ा सा पैग बना दिया। वो मेरे लेफ़्ट साईड में बैठी थीं और ईधर-उधर की बात करते-करते पता नहीं आँटी को क्या सूझा कि मुझसे मेरी सैक्स लाईफ के बारे में पूछने लगी। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बताऊँ और व्हिस्की का हल्का सा सुरूर भी छाने लगा था। आँटी एक्सपीरियंस्ड थीं। शायद मेरी खामोशी को ताड़ गयीं और धीरे से पूछा, “रात को मज़ा नहीं आता ना??”

मैंने ना में सर हिलाया लेकिन कुछ ज़ुबान से बोली नहीं। उन्होंने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और धीरे से दबाया और कहा कि “मुझे भी नहीं आता, मैं भी ऐसे ही तड़पती रहती हूँ।“ और मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर उसका मसाज करने लगी। उन्होंने अपनी सुहाग रात के बारे में बताया जो मेरी सुहाग रात की ही तरह हुई थी और फिर बताया कि कैसे वो अपनी सैक्स की प्यास को बुझाती हैं। मैं हक्की बक्की उनकी कहानी सुन रही थी। उन्होंने बताया कि उनका एक दूर का भाँजा है जो शहर में ही कॉलेज में पढ़ता है और हॉस्टल में रहता है। वो कभी-कभी आँटी की चुदाई करके उनकी प्यासी चूत की प्यास को बुझा देता है। मैं आँटी की कहानी सुन के हैरत में पड़ गयी और सोचने लगी कि मैं अपनी प्यासी चूत की प्यास बुझाने के लिये क्या करूँ।
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