किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic

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Fuck_Me
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Re: किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic

Unread post by Fuck_Me » 17 Aug 2015 11:46

दिन ऐसे ही गुज़रते रहे। ऑफिस आते-जाते अनिल मुझे देखता और मैं उसको देखती और हमारी नज़रें एक दूसरे को एक अंजाना इशारा देती रहीं। हम इशारों ही इशारों में एक दूसरे को विश भी कर लेते। कभी तो आहिस्ता से हाथ भी उठा के इशारा कर लेते जो किसी और को नज़र नहीं आता। ऐसे ही जैसे लवर्स एक दूसरे को इशारा करते हैं। इसी तरह से हम दोनों के बीच में एक अंजाना ब्रिज बन गया। किसी दिन वो दुकान के अंदर होता और मुझे दिखायी नहीं देता तो उस दिन अजीब सा महसूस होता। दिल में एक बेचैनी रहती। मैं चाहने लगी कि मेरे उसकी दुकान के सामने से गुज़रने के टाईम पे वो मैं उसको देख लूँ तो मुझे इत्तमिनान हो जाये। ऐसे ही करीब तीन हफते गुज़र गये।

एक दिन मैं घर में ही थी और ऑफिस नहीं गयी थी। एक हफते से एस-के भी ऑउट ऑफ टाऊन था। अशफाक भी अपने टूर पे थे। सलमा आँटी से तो खैर मैं हर रोज़ मिलती थी लेकिन आज सुबह ही वो भी अपनी किसी मौसी के घर गयी हुई थीं। मैं बहुत ही बोर हो रही थी। शाम से एस-के की भी बहुत याद आ रही थी। मन कर रहा था कि कहीं से एस-के आ जाये और मुझे बड़ी बेदर्दी से चोद डाले और इतना चोदे कि मेरी चूत एक बार फिर से फट जाये और खून निकल आये। एस-के से चुदाई का सोचते ही मेरी चूत गीली होने लगी। मैं अब घर पर अकेली होती तो सिर्फ सैंडल पहने हुए बिल्कुल नंगी ही रहती थी। मैंने झट से व्हिस्की का पैग बनाया और एक झटके में नीट ही पी गयी और फिर दूसरा पैग लेकर एक-ब्लू फिल्म की सी-डी लगाकर बैठ गयी। सोफ़े पर बैठे-बैठे ही अपनी टाँगें खोल दीं और मेरा हाथ खुद-ब-खुद चूत में चला गया। मैं अपनी चिकनी चूत को अपने हाथ से सहलाने लगी और मेरी आँखें बंद हो गयी। मैं अपनी उंगली अंदर-बाहर करने लगी और थोड़ी ही देर में झड़ गयी।

मुझे मार्केट से कुछ खाने का सामान भी लेना था तो सोचा कि मार्केट जाऊँगी तो शायद सैक्सी खयालात मेरे दिल से निकल जायेंगे। फिर खयाल आया कि चलो क्यों ना अपने सलवार कमीज़ का कपड़ा भी ले लूँ और सिलने के लिये दे दूँ। ये सोचते ही मैंने अपनी अलमरी से दो नये सलवार सूट के कपड़े निकाले और बैग में डाल कर बाहर निकल गयी। देर शाम हो चुकी थी। बाहर ठंडी-ठंडी हवा भी चलने लगी थी और लगाता था जैसे बारिश होगी पर हो नहीं रही थी। अनिल की दुकान तो बज़ार में जाते हुए पहले ही पड़ती थी तो मैं पहले वहीं चली गयी। उस वक़्त अनिल कहीं बाहर गया हुआ था। उसका कोई मुलाज़िम बैठा था। उसने बताया कि अनिल अभी दस मिनट में आ जायेगा.... तो मैंने कहा, “ठीक है.... ये कपड़े यहीं रहने दो.... मैं भी बाकी शॉपिंग के लिये जा रही हूँ, वापसी में आ जाऊँगी.... अनिल से कह देना कि किरन मैडम आयी थी और ये कपड़े रख कर गयी है.... अभी आ जायेगी।“ उसने कहा, “ठीक है” और कपड़े एक साईड में रख दिये।

मुझे बाकी शॉपिंग में एक घंटे से कुछ ज़्यादा ही लग गया। वापस आते वक्त तक तो रात के तकरीबन आठ बज गये थे। मैं सोच रही थी कि कहीं अनिल दुकान ना बंद कर दे, इसी लिये जल्दी से उसकी दुकान की ओर बढ़ी। अनिल दुकान में आ चुका था और उसकी दुकान भी खाली हो चुकी थी। वो भी बंद करने की तैयारी कर रहा था और साथ ही मेरा इंतज़ार भी कर रहा था। उसका दूसरा स्टाफ छुट्टी कर चुका था और अनिल दुकान में अकेला ही था। मुझे देख कर वो खुश हो गया और उसका चेहरा चमकने लगा। मैंने देखा कि वो रम पी रहा था। उसने मेरे लिये भी एक पैग बना दिया। हालांकि मैंने शाम को ही दो पैग व्हिस्की के पिये थे और बहुत हल्का सा असर मुझ पर बरकरार था लेकिन ठंडी हवा चल रही थी और मेरा मन पीने का कर रहा था। वैसे भी एस-के और सलमा आँटी के साथ रह कर मैं पीने की बहुत आदी हो गयी थी और जब कभी भी पीने का मौका मिले तो मना नहीं कर पाती थी। दिन भर में आम तौर पे चार-पाँच पैग हो ही जाते थे लेकिन ऐसा कभी-कभार ही होता था कि मैं नशे में बुरी तरह चूर हो जाऊँ। मैंने उसको थैंक्स कहा और अपना ड्रिंक सिप करने लगी जो ठंड में बहुत ही अच्छा लग रहा था। उसने पूछा, “आपके कपड़े हैं मैडम?” तो मैंने कहा, “हाँ.... बहुत दिनों से सोच रही थी कि तुमसे कुछ ड्रेस सिलवाऊँगी तो आज चली आयी।“
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Fuck_Me
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Re: किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic

Unread post by Fuck_Me » 17 Aug 2015 11:46

मैं भी फ्री थी और कोई काम नहीं था। मुझे भी टाईम पास करना था तो दो पैग पीने तक हम इधर-उधर की बातें करते रहे। मेरे पूछने पर उसने बताया कि वो फैशन डीज़ाईनिंग का कोर्स भी कर रहा है तो मैंने उससे फैशन डीज़ाईनिंग के बारे में पूछा। उसने मुझे फैशन डीज़ाईनिंग के बारे में काफी कुछ बताया और बात-बात में बताया कि “मैडम कईं बार किसी खास डिज़ाईन के लिये जिस फैशन-मॉडल का नाप लेना होता है तो उसको नंगा करके नाप लिया जाता है ताकि फिटिंग सही बैठे।“ मैं हैरान रह गयी और पूछा कि “लड़कियाँ नंगी हो जाती हैं?” तो उसने कहा “हाँ मैडम.... अगर किसी को अच्छी तरह से और सही फ़िटिंग का ड्रेस सिलवाना हो तो बहुत अराम से नंगी हो जाती हैं लेकिन उस टाईम पे बस वही डिज़ाईनर अंदर होता है जो नाप ले रहा होता है ताकि फैशन-मॉडल बस एक ही डिज़ाईनर के सामने नंगी हो.... पूरी क्लास के सामने नहीं।“ मैंने कहा कि “ऐसे कैसे हो सकता है?” तो उसने कहा कि “मैं सच कह रहा हूँ मैडम.... हम ऐसे ही नाप लेते हैं!” तो मैंने हँसते हुए कहा कि “क्या मेरा भी ऐसे ही लोगे?” तो उसने कहा कि “अगर आप भी सही और परफेक्ट फिटिंग के डिज़ाईनर कपड़े सिलवाना चाहती हैं और अगर आपको कोई ऑबजेक्शन ना हो तो आप अपने कपड़े निकाल सकती हैं.... नहीं तो हम सैंपल साईज़ से ही काम चला लेते हैं।“ मैंने कहा कि “मैं तो सैंपल नहीं लेकर आयी” तो उसने कहा कि “मैं ऐसे ही ऊपर से आपका साईज़ ले लुँगा.... आप अंदर ड्रेसिंग रूम में चलिये।“ अभी मैं सोच ही रही थी कि क्या करूँ, इतने में हवा बहुत ही तेज़ी से चलने लगी और उसके काऊँटर पर रखे कपड़े उड़के नीचे गिरने लगे और नाप के रजिस्टर के पन्ने फड़फड़ाने लगे तो उसने अपनी दुकान का शटर जल्दी से गिरा दिया और नीचे गिरे हुए कपड़े उठाने लगा। मैंने देखा कि उसने लुँगी पहनी हुई है और टी-शर्ट। जब उसने देखा कि मैं उसकी लूँगी को हैरत से देख रही हूँ तो उसने बताया कि मार्केट में किसी दुकान से नीचे उतरते हुए कील लगने से उसकी पैंट फट गयी तो इसी लिये उसने पैंट चेंज कर के लुँगी बाँध ली थी।

दुकान का शटर बंद करने से दुकान में ठंडी हवा के झोंके नहीं आ रहे थे, वैसे बाहर तो अच्छी खासी सर्दी होने लगी थी। हम दोनों अंदर ड्रेसिंग रूम में आ गये, जहाँ वो मेरा नाप लेने वाला था। दुकान का शटर गिरते ही मुझे लगा जैसे हम एक सेपरेट रूम में अकेले हैं और मेरे खयाल में आया कि इस दुकान में मैं और अनिल अकेले हैं और हमें देखने वाला कोई नहीं। मेरे दिमाग में गर्मी चढ़ने लगी। नशा तो पहले ही चढ़ा हुआ था। जिस्म में खून तेज़ी से दौड़ने लगा साँस तेज़ी से चलने लगी और एक अजीब सा सुरूर महसूस होने लगा। खैर उसने अंदर की लाईट जला दी। ड्रेसिंग रूम बहुत बड़ा तो नहीं था लेकिन बहुत छोटा भी नहीं था। मीडियम साईज़ का था जहाँ पर एक तरफ़ बड़ा सा मिरर लगा हुआ था ताकि अगर कोई लड़की चेक करना चाहे तो कपड़े पहन कर मिरर में देख सकती थी। वो मेरे सामने खड़ा हो गया और पहले उसने सलवार का नाप लेने को कहा। जैसे टेलर्स की आदत होती है, नाप लेने से पहले वो थोड़ा सा झुका और मेरे सामने बैठते-बैठते उसने मेरी सलवार के सामने के हिस्से को पकड़ के थोड़ा सा झटका दिया जिससे सलवार थोड़ी सी सरक के नीचे हुई। मैंने जल्दी से सलवार को ऊपर से पकड़ लिया। उसने अब नाप लेना शुरू किया। साईड से कमर से पैर तक का नाप लेते हुए उसने पूछा कि “मैडम आप अधिकतर इतनी ही ऊँची हील पहनती हैं क्या....? मैं उसी हिसाब से नाप लेना चाहता हूँ।“ मैंने कहा, “हाँ यही चार-साढ़े चार इंच और कईं दफ़ा पाँच इंच तक!” उसके बाद वो फिर टेप का बड़ा वाला हिस्सा जिस पर मेटल लगा होता है, उसको जाँघों के अंदर पकड़ कर साईज़ लेने लगा तो वो मेटल का पीस मेरी चूत से टकराया और मेरे मुँह से एक सिसकरी सी निकल गयी। उसने पूछा, “क्या हुआ मैडम?” तो मैंने कहा, “कुछ नहीं.... तुम नाप लो।“ उसने उस मेटल के पीस को थोड़ा और अंदर किया तो मुझे लगा जैसे वो पीस मेरी चूत के लिप्स को खोल के अंदर घुस गया और क्लीटोरिस को टच करने लगा। जैसा कि मैं पहले ही बता चुकी हूँ कि जब से ऑफिस जाने लगी थी, मैंने अब पैंटी और ब्रा पहनना करीब- करीब छोड़ ही दिया था तो आज भी मैंने ना पैंटी पहनी थी और ना ब्रा ।

उसका हाथ मेरी जाँघों के अंदर वाले हिस्से में था और नाप ले रहा था जिससे मेरी आँखें बंद हो गयी और टाँगें अपने आप ही खुल गयी थी और मैं उसके हाथ को अपनी चूत से खेलने का आसान एक्सेस दे रही थी। मेटल पीस चूत के अंदर महसूस करते ही चूत गीली होना शुरू हो गयी और जिस्म में सनसनी दौड़ने लगी। वो खड़ा हो गया और मेरी कमर का नाप लेने लगा और बोला कि “मैडम कमीज़ को थोड़ा ऊपर उठा लीजिये” तो मैंने कमीज़ को थोड़ा उठाया जिससे मेरा पेट दिखायी देने लगा तो उसने कहा कि “मैडम आपका कलर तो क्रीम जैसा है और बहुत चिकना भी है।“ मैं शर्मा गयी पर कुछ नहीं बोली। जबसे मुझे उसका हाथ मेरी जाँघों के अंदर महसूस हुआ, उसी वक़्त से मुझे तो मस्ती छाने लगी थी और चूत में खुजली भी होने लगी थी। मैं सोचने लगी कि फैशन -मॉडल्स ऐसे कैसे नंगी हो कर नाप देती होंगी। ये सोचते ही मेरा भी मन करने लगा कि अनिल अगर मुझसे भी कहे तो मैं नंगी हो कर नाप दे सकती हूँ और फिर ये खयाल आते ही मैं और गीली हो गयी।
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Re: किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic

Unread post by Fuck_Me » 17 Aug 2015 11:47

इतने में वो खड़ा हो गया और कमीज़ का नाप लेने लगा। लंबाई लेने के लिये कंधों से नीचे तक टेप लगाया। टेप मेरी चूचियों को टच करने लगा तो एक दम से मेरे निप्पल खड़े हो गये और साँसें तेज़ी से चलने लगी। फिर उसने मुझे हाथ सीधे रखने को कहा और मेरी बगल के अंदर से टेप डाल कर चूचियों के ऊपर से नाप लेना शुरू किया। उसी वक़्त पे पीछे से जब वो टेप ठीक कर रहा था तो उसकी गरम साँस मेरे नंगे कंधों पे महसूस होने लगी जिससे मैं और गरम हो गयी। वो भी करीब मेरी ही हाईट का था। जब वो खड़ा हुआ तो मेरे हाथ को ऐसा लगा जैसे उसका लंड मेरे हाथ से टच हुआ हो। बस ऐसा महसूस होते ही मेरे ज़हन में एस-के का लंड घूमने लगा। वो थोड़ा और आगे आया और टेप पीछे से ठीक करने लगा तो इस बार सही में उसका लंड मेरे हाथ पे लगा। उसका लंड एक दम से खड़ा हो चुका था। शायद वो भी गरम हो गया था। उसका लंड मेरे हाथ से टच होते ही मेरी चूत समंदर जैसी गीली हो गयी और मुझे यकीन हो गया कि उसे भी एहसास था कि उसका लंड मेरे हाथ से टकराया है पर वो पीछे नहीं हटा और अपने लंड को मेरे हाथ पे ही रखे-रखे टेप ठीक करने लगा। मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगी और मेरे ज़हन में जो शाम से चुदाई का भूत सवार था वो अब ज़ोर पकड़ने लगा और मैं हवस की आग में जलने लगी। ऊपर से शाम की व्हिस्की और अभी अनिल के साथ पी हुई रम का नशा मेरी हवस को और भड़का रहा था और मैं सोचने लगी कि अगर अनिल ने मुझे नहीं चोदा तो मैं खुद ही उसको चोद डालुँगी आज। नशे भरे मेरे दिमाग में आया कि उसके अकड़े हुए लंड को पकड़ कर अपनी गीली गरम चूत में घुसेड़ डालूँ पर बड़ी मुश्किल से अपने आप को कंट्रोल कर पायी और चाहते हुए भी उसके लंड को अपनी मुट्ठी में ले कर नहीं दबाया।

नशे से मेरी हिम्मत खुल रही थी और अब मैंने फ़ैसला कर लिया कि मैं भी नंगी हो कर ही नाप दुँगी। मैंने कहा, “अनिल! क्या तुम मेरे लिये भी डिज़ाईनर और परफेक्ट फिटिंग की सलवार कमीज़ बना सकते हो?” तो उसने कहा कि “मैडम उसके लिये आपको...।“ मैंने कहा, “कोई बात नहीं यहाँ सिर्फ़ हम दो ही तो हैं.... क्या हुआ, कोई बात नहीं..... जैसा तुम चाहोगे मैं नाप दे दुँगी” तो उसके चेहरे से खुशी छलकने लगी। उसने कहा कि “ओके मैडम, आप अपने कपड़े उतार लीजिये” तो मैंने कमीज़ के अंदर हाथ डाल के कमीज़ को ऊपर उठा कर निकाल दिया जिससे मेरी गोल-गोल चूचियाँ हिलने लगीं। उसके मुँह से ‘वोव वंडरफुल’ निकल गया। अब मैं उसके सामने आधी-नंगी खड़ी थी। उसने कहा कि “अब सलवार भी निकाल दीजिये मैडम, ताकि मैं नाप ले सकूँ” तो मैंने सलवार का स्ट्रिंग खोल दिया और मेरी सलवार फरमान बरदार कनीज़ की तरह से मेरे कदमों में गिर पड़ी। मैंने अपने सैंडलों के स्ट्रैप खोल कर सलवार को अपने पैरों से निकाल कर एक तरफ़ हटा दिया। फिर उसने कहा कि “मैडम आप सैंडल पहन लीजिये ताकि आपके सैंडल की ऊँचाई के अनुसार मैं आपका नाप ले सकुँ और क्योंकि हाई-हील से आपकी चेस्ट और हिप्स का पोसचर भी पर्फेक्ट रहेगा और मैं ठीक से आपकी ड्रेस बना सकुँगा।“

अब मैं सिर्फ हाई-हील सैंडल पहने, उसके सामने बिल्कुल ही नंगी खड़ी थी। मेरी उसी दिन की शेव की हुई चिकनी चमकदार चूत देख कर उसने कहा “आप बहुत ही खूबसूरत हैं मैडम। इतनी खूबसूरत मैंने किसी को नहीं देखा.... आप एक दम से परफेक्ट फिगर की हो... आपको तो मॉडलिंग करनी चाहिये।“ उसके मुँह से अपनी तारीफ सुन कर मुझे बेहद अच्छा लग रहा था। बाहर हवा तेज़ी से चलने लगी थी और लाईट बार-बार जलने-बुझने लगी जैसे कहीं लूज़ कनेक्शन हो गया हो तो उसने साईड में रखी हुई एक केंडल जला दी। नशे और हवस में मेरा रहा-सहा पश-ओ-पेश भी हवा हो गया था और मैंने हँसते हुए पूछा कि “क्या नाप लेते वक्त तुम सिर्फ़ मॉडल्स को ही नंगा करते हो या तुम भी नंगे हो जाते हो?” तो वो शर्मा गया और बोला कि “अगर मॉडल चाहे तो मैं भी नंगा हो कर ही नाप लेता हूँ।“ मैंने फिर हँसते हुए कहा कि “अब क्या इरादा है?” तो उसने कहा कि “मैडम अगर आप चाहें तो मैं भी आपकी तरह ही नंगा हो कर नाप ले सकता हूँ।“ मैंने कहा, “तुम्हारी मर्ज़ी” और अपनी टाँगें थोड़ी खोल दी ताकि वो नाप लेना शुरू कर सके। उसने मेरा इशारा शायद समझ लिया था और बैठे-बैठे ही अपनी टी -शर्ट निकाल दी। अब वो सिर्फ़ लुँगी में बैठा हुआ था और नाप लेना शुरू किया। एक बार फिर से उसके हाथ मेरे जाँघों के अंदर वाले हिस्से पे लगने लगे और मेटल का पीस चूत के अंदर महसूस होने लगा। उसने भी शरारत में मेटल पीस चूत के अंदर घुसा दिया और मैंने अपनी टाँगें खोल दीं। मेटल पीस चूत के अंदर लगते ही मेरे मुँह से मस्ती भरी सिसकरी निकल गयी। उसकी अँगुलियाँ मेरी चूत से टकरा रही थीं और मेरी चूत और ज़्यादा गीली होने लगी। उसने बैठे-बैठे पूछा कि मैडम, “सच आप चाहती हैं कि मैं भी नंगा हो जाऊँ?” तो मैंने मुस्कुरा के कहा, “तुम्हारी मर्ज़ी.... मुझे तो कोई प्रॉबलम नहीं है क्योंकि मैं भी तो तुम्हारे सामने नंगी खड़ी हूँ।“

मेरी चिकनी चूत लाईट में चमक रही थी और गीली भी हो गयी थी और मुझे पक्का यकीन था कि अनिल को मेरी गीली चूत की महक ज़रूर आ रही होगी। जिस तरह वो नीचे बैठा था, मेरी चूत उसके मुँह के सामने थी। उसने ऊपर टेप की तरफ़ देखते-देखते मेरी चूत पे किस कर दिया तो मेरी टाँगें खुद ही खुल गयीं और मेरा हाथ उसके सिर पे चला गया और वो घुटनों के बल झुक गया और मेरी गाँड पे हाथ रख कर मेरी चूत को चूमने और चूसने लगा। मैं तो नशे में मदहोश थी ही और हवस की आग में पहले से ही जल रही थी। उसका मुँह अपनी चूत पे महसूस करते ही मैं तो जैसे दीवानी हो गयी और उसके सिर को पकड़ के अपनी चूत में दबाने लगी। उसने मेरी पूरी चूत को अपने मुँह में लेकर दाँतों से कटा तो मेरे मुँह से मस्ती की चींख निकल गयी, “आआआआहहहहह “और मैं एक दम से झड़ने लगी। मेरी आँखें बंद हो गयीं और मैं अपनी चूत को उसके मुँह से रगड़ने लगी। मैं झड़ती गयी और वो मेरा जूस पीता गया। जब मेरा झड़ना खतम हुआ तो मैंने झुक कर उसके कंधों को पकड़ा तो वो उठ खड़ा हुआ। उसने पहले ही बैठे-बैठे ही अपनी लुँगी को खोल दिया था और मेरी चूत चाटते हुए वो अपना लंड मेरे सैंडलों पर रगड़ रहा था। जब वो खड़ा हुआ तो उसकी लुँगी भी नीचे गिर पड़ी और वो भी नंगा हो चुका था और उसका लंड स्प्रिंग के जैसे ऊपर नीचे हो कर हिल रहा था जैसे मेरी चूत को सेल्यूट कर रहा हो। उसका लंड भी बहुत ही मस्त था.... बड़ा और मोटा बिला-खतना लंड। नशे में मैं पूरी बेशर्म तो हो ही गयी थी और मैंने एक ही सेकेंड में उसका लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और दबाने लगी। वॉव... मस्त और बहुत ही कड़क लंड था उसका। काफी लंबा और मोटा, लोहे जैसा सख्त था। मैंने एक हाथ उसकी बैक पे रख कर उसको अपनी तरफ़ खींच लिया और दूसरे हाथ से उसके लंड को पकड़ के अपनी चूत में ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर रगड़ने लगी। उसने झुक कर मेरी चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। उसके लंड में से प्री-कम निकल रहा था जो चूत को स्लिपरी बना रहा था।
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