मेरी चूत में तो जैसे आग लगी हुई थी और नशे में मैं खड़ी-खड़ी ही हाई हील सैंडलों में झूमने लगी थी। मैं नीचे बैठ गयी और उसके लंड को किस किया और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी तो उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी गाँड आगे पीछे करके मेरे मुँह को चोदना शुरू कर दिया। अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था। अब तो बस मेरी गरम और गीली चूत को उसका लंबा मोटा कड़क और तगड़ा लंड चाहिये था। मैं बैठे-बैठे ही लेट गयी और उसको अपने ऊपर खींच लिया। बस उसी वक्त बिजली चली गयी और कमरे में एक दम से अंधेरा हो गया पर केंडल की रोशनी से रूम बहुत ही रोमैंटिक लगने लगा। उस वक्त जितने नशे और वासना में मैं चूर थी, उस हालत में म्यूनिसपैलटी का कुढ़ाघर भी मुझे रोमैंटिक लगता। खैर, मैं लेट गयी और उसको अपने ऊपर खींच लिया और अपनी टाँगें फैला लीं। अनिल मेरी दोनों टाँगों के बीच में आ गया। उसने अपने पैर पीछे की तरफ़ को सीधे कर दिये और उसका लंड मेरी चूत के लिप्स के बीच में था। अपनी दोनों कुहनियों को मेरे जिस्म के दोनों तरफ़ रख कर वो मुझ पर झुक गया और मुझे किस करने लगा। उसकी ज़ुबान मेरे मुँह में घुस गयी थी और मुझे अपनी चूत के जूस का टेस्ट उसके मुँह से आने लगा। वो अपने लंड के सुपाड़े को मेरी चिकनी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था। मेरी टाँगें उसकी गाँड पे क्रॉस रखी हुई थी। उसने सुपाड़े को अंदर-बाहर करते-करते एक ज़ोर का धक्का मारा तो मेरे मुँह से मस्ती की “आआआआआहहहहह” निकल गयी और उसका गरम लंड मेरी तंदूर जैसी चूत में ऐसे घुस गया जैसे गरम चाकू मक्खन में घुस जाता है। उसका लंड बेहद मोटा था। उसके लंड से मेरी चूत खुल गयी थी। मेरी आँख से दो बूँद आँसू भी निकल गये। ये आँसू मस्ती के थे जिसे उसने नहीं देखा।
मैंने उसको ज़ोर से पकड़ा हुआ था और मेरी टाँगें उसकी गाँड पे क्रॉस थी। उसने लंड को बाहर निकाल कर चोदना शुरू कर दिया। बहुत ही मज़ा आ रहा था उसकी चुदाई से। उसके हाथ मेरी बगल से निकल कर कंधों को पकड़े हुए थे। वो अपनी टाँगें पीछे दीवार से टिका कर गचागच चोद रहा था। उसके हर झटके से मेरे चूचियाँ डाँस करने लगी थी। कमरे में हल्की सी रोशनी चुदाई में मज़ा दे रही थी। कमरा रोमैंटिक लग रहा था और चुदाने में मज़ा आ रहा था। वो गचागच चोद रहा था और मुझे लग रहा था कि आज उसका लंड मेरी चूत फाड़ डालेगा। लेकिन मैं भी तैयार थी, मैं चाहती थी कि आज वो सच में मेरी चूत को फाड़ डाले और चोदते-चोदते मेरी चूत को अपनी मनि से भर दे। एक हफ़्ते से मेरी चुदाई नहीं हुई थी और मेरी चूत को तो बस लंड चाहिये था। मेरी चूत की खुजली बढ़ गयी थी और मैं चाहती थी कि मस्त चुदाई हो। अनिल का लंड बेहद वंडरफुल था। वो पूरी मस्ती में चोद रहा था। लंड को पूरा सुपाड़े तक बाहर निकाल-निकाल कर चूत में घुसेड़ देता तो उसके लंड का हेल्मेट जैसा सुपाड़ा मेरी बच्चे दानी से टकरा जाता और मेरा सारा जिस्म काँप जाता। अब वो बहुत तेज़ी से चोद रहा था और मैं शायद तीन बार झड़ चुकी थी। मेरे जूस से चूत बहुत ही गीली हो चुकी थी और अब उसका लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था और वो बहुत ही ज़ोर-ज़ोर से चूत फाड़ झटके मार रहा था। यंग था ना, इसी लिये पूरी ताकत से धक्के मार-मार के चुदाई कर रहा था। मेरे मुँह से खुद-ब-खुद निकलना शुरू हो गया, “आआआईईईईईई आहहहहाआआआआआ ऐसे ही...ईईईईई चोदो.... ओओओओ ऊऊऊईईईई आआआआआहहह मज़ा...आआआआ रहा है..... और ज़ोर से...एएएएए आआंआंआंआंहहह” और उसका लंड बड़ी बे-दर्दी से मेरी चूत को चोद रहा था। अब उसके चोदने की रफ़्तार बढ़ गयी थी और उसके मुँह से भी अजीब आवाज़ें निकलने लगी थी। फिर अचानक उसने अपना पूरा लंड बाहर निकाल कर इतनी ज़ोर से मेरी चूत के अंदर धक्का मार कर घुसेड़ दिया कि मेरे मुँह से चींख निकल गयी, “ऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईई अल्लाह...आआआआआ”, और मैंने उसको बहुत ज़ोर से पकड़ लिया और उसके लंड में से मलाई की पिचकारियाँ निकलनी शुरू हो गयी। उसकी पहली पिचकारी जब मेरी चूत के अंदर पड़ी तो मैं फिर से झड़ने लगी और अब उसके लंड में से क्रीम निकल-निकल कर मेरी एक हफते से प्यासी चूत की प्यास बुझाने लगी। उसकी मलाई निकलती रही और मेरी चूत भरती रही। उसकी मलाई भी बहुत ही गाढ़ी थी, मज़ा आ रहा था उसकी मलाई चूत के अंदर महसूस करके।
उसके धक्के अब धीरे होने लगे और अभी भी उसका लंड अंदर ही था। वो मेरे सीने पर गिर गया जिससे मेरे चूचियाँ दब गयी। वो थोड़ी देर ऐसे ही लेटा रहा और उसका लंड अभी अंदर ही था। जब मेरा झड़ना खतम हुआ और मेरी साँसें ठीक हुई तो देखा कि अभी तक उसका लंड मेरी चूत के अंदर ही घुसा हुआ है और वैसे ही तना हुआ है, लोहे जैसा सख्त। उसकी क्रीम निकलने से भी लंड नरम नहीं हुआ था। थोड़ी ही देर में उसकी साँसें भी ठीक हो गयी और फिर उसने मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी और हम एक दूसरे की जीभ को चूसने लगे। कमरे में अभी भी मोमबत्ती जल रही थी और धीमी रोशनी बहुत दिलकश और रोमैंटिक लग रही थी। मैंने गौर किया है कि रूम में अगर थोड़ा अंधेरा हो और लड़की ने शराब पी हुई हो तो लड़की में शरम नहीं रहती और वो हर तरीके से चुदवा सकती है और वो भी कर लेती है जो वो बिना शराब पिये नहीं कर सकती। कुछ यही हाल मेरा भी था। मेरे पास अब कोई शरम -हया बाकी नहीं थी। ऐसा लग रहा था जैसे सारे जहाँ में बस हम दो ही हों और कोई नहीं...... फिर चाहे जिस तरह से चुदाई हो, लंड चूस लो या अपनी चूत चटवा लो... कोई फ़रक नहीं पड़ता।
किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic
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अनिल मेरे ऊपर ही लेटा हुआ था और उसका अकड़ा हुआ सख्त लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर घुसा हुआ था। उसका लंड मेरी चूत के अंदर ऐसे फिक्स बैठा था जैसे बोतल के ऊपर कॉर्क और लंड अंदर ही रहने की वजह से हमारी दोनों की क्रीम भी मेरी चूत के अंदर ही फंसी हुई थी, बाहर नहीं निकली थी। हम दोनों किस कर रहे थे और वो मेरी चूचियों को मसल रहा था। वो मेरे निप्पलों को अंगूठे और उंगली से मसल रहा था। थोड़ी ही देर में उसने मेरी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया जिससे मेरी चूत में फिर से खुजली होने लगी और जिस्म में बिजली सी दौड़ने लगी। पर उसका इरादा तो कुछ और ही था। उसने एक ही हरकत में अपना लंड मेरी चूत में से बाहर निकाल लिया और इस से पहले कि मेरी क्रीम से भरी चूत में से क्रीम बहने लगती, वो पलट गया और अपनी दोनों टाँगें मेरे सिर के दोनों तरफ़ रख के अपना लंड मेरे होंठों से लगा दिया। उसके लंड से हम दोनों की मिक्स क्रीम टपक कर मेरे मुँह पे गिर रही थी तो मैंने मुँह खोल दिया और हम दोनों की मिक्स क्रीम से भीगे हुए उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। बहुत ही टेस्टी था उसका लंड। ऐसे लग रहा था जैसे मैं कोई शहद चूस रही हूँ।
उसका लंड तो अभी तक नरम नहीं हुआ था, बल्कि मेरे चूसने से उसका लंड और भी ज़्यादा अकड़ गया था और अब वो मेरे मुँह को चोद रहा था । वो आगे झुक कर मेरी मेरी चूत में अपनी उंगलियाँ अंदर-बाहर करके चोदने लगा। मैं इतनी मस्ती में आ गयी और गरम हो गयी कि उसके लंड को बहुत ही ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी और वो भी अपनी गाँड उठा-उठा के मेरे मुँह को चोदने लगा। उसने जब मेरी चूत में चार उंगलियाँ घुसेड़ीं और अंगूठे से क्लिटोरिस को रगड़ा तो मैं काँपने लगी और बहुत ज़ोर से झड़ गयी। मेरी चूत से जूस निकलने लगा और मैं कुछ ज़्यादा ही मस्ती से उसके लंड को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी और मुझे महसूस हुआ कि उसका लंड मेरे मुँह में ही और ज़्यादा ही मोटा हो रहा है। मैं समझ गयी कि अब उसकी क्रीम भी निकलने वाली है और उसी वक्त उसने अपने लंड को मेरे हलक में पूरा अंदर तक घुसा दिया जिससे मेरी आँखें बाहर निकल आयीं और साँस बंद होने लगी। उसके लंड से मलाई की गाढ़ी-गाढ़ी पिचकारियाँ निकलनी शुरू हो गयी और डायरेक्ट मेरे हलक में गिरने लगी। उसके लंड में से मलाई निकलती ही चली गयी.... निकलती ही चली गयी और इस कदर निकली कि मुझे लगा जैसे मेरा पेट उसकी क्रीम से ही भर जायेगा। पता नहीं इतनी क्रीम कैसे निकली उसके लंड से।
हम दोनों झड़ चुके थे और दोनों के जूस निकल चुके थे और दोनों गहरी-गहरी साँसें ले रहे थे। उसका लंड मेरे मुँह में ही था और उसका मुँह मेरी चूत पे। अब उसका लंड मेरे मुँह में थोड़ा-थोड़ा नरम हो गया था पर उसके यंग लंड में अभी भी सख्ती थी। थोड़ी ही देर के बाद मैंने उसको अपने ऊपर से हटा दिया और वो नीचे मेरी बगल में लेट गया। हम दोनों करवट से लेटे थे और अभी भी मेरा मुँह उसके लंड के सामने था और मेरी चूत उसके मुँह के सामने। मैंने उसके लंड से खेलना शुरू कर दिया और उसने मेरी चूत में उंगली डाल के फिर से क्लीटोरिस को मसलना शुरू कर दिया। उसका लंड एक ही मिनट के अंदर फिर से कुतुब मिनार जैसे खड़ा हो गया तो मैंने उसको सीधा लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गयी और उसके मूसल लंड को पकड़ के अपनी चूत के छेद पर एडजस्ट करके बैठने लगी। गीला लंड धीरे-धीरे गीली चूत के अंदर घुसने लगा। उसका मूसल जैसा लंड मेरी चूत में घुसता हुआ बेइंतेहा मज़ा दे रहा था। मैं पूरी तरह से उसके लंड पे बैठ गयी और उसका लंड जड़ तक मेरी चूत में घुस चुका था। मेरे मुँह से मस्ती की सिसकियाँ निकल रही थी। अब मैंने उसके लंड पे उछालना शुरू कर दिया जिससे मेरी चूचियाँ उसके मुँह के सामने डाँस कर रही थी। मैं उसके लंड पे ऐसे सवार थी जैसे घुड़सवार हॉर्स रेस के वक्त घोड़े पे सवर होता है। उसने मेरी चूचियों को पकड़ के मुझे अपनी तरफ़ झुकाया और चूसने लगा। अभी हम मस्ती में चुदाई कर रहे थे कि रूम में जलती मोमबत्ती खतम हो गयी थी और कमरे में एक दम से अंधेरा हो गया था। पर हमारा ध्यान तो चुदाई में था। मैं उछल-उछल के उसके लंड पे बैठ रही थी और उसका लंड मेरी चूत के बहुत अंदर तक घुस रहा था।
उसका लंड तो अभी तक नरम नहीं हुआ था, बल्कि मेरे चूसने से उसका लंड और भी ज़्यादा अकड़ गया था और अब वो मेरे मुँह को चोद रहा था । वो आगे झुक कर मेरी मेरी चूत में अपनी उंगलियाँ अंदर-बाहर करके चोदने लगा। मैं इतनी मस्ती में आ गयी और गरम हो गयी कि उसके लंड को बहुत ही ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी और वो भी अपनी गाँड उठा-उठा के मेरे मुँह को चोदने लगा। उसने जब मेरी चूत में चार उंगलियाँ घुसेड़ीं और अंगूठे से क्लिटोरिस को रगड़ा तो मैं काँपने लगी और बहुत ज़ोर से झड़ गयी। मेरी चूत से जूस निकलने लगा और मैं कुछ ज़्यादा ही मस्ती से उसके लंड को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी और मुझे महसूस हुआ कि उसका लंड मेरे मुँह में ही और ज़्यादा ही मोटा हो रहा है। मैं समझ गयी कि अब उसकी क्रीम भी निकलने वाली है और उसी वक्त उसने अपने लंड को मेरे हलक में पूरा अंदर तक घुसा दिया जिससे मेरी आँखें बाहर निकल आयीं और साँस बंद होने लगी। उसके लंड से मलाई की गाढ़ी-गाढ़ी पिचकारियाँ निकलनी शुरू हो गयी और डायरेक्ट मेरे हलक में गिरने लगी। उसके लंड में से मलाई निकलती ही चली गयी.... निकलती ही चली गयी और इस कदर निकली कि मुझे लगा जैसे मेरा पेट उसकी क्रीम से ही भर जायेगा। पता नहीं इतनी क्रीम कैसे निकली उसके लंड से।
हम दोनों झड़ चुके थे और दोनों के जूस निकल चुके थे और दोनों गहरी-गहरी साँसें ले रहे थे। उसका लंड मेरे मुँह में ही था और उसका मुँह मेरी चूत पे। अब उसका लंड मेरे मुँह में थोड़ा-थोड़ा नरम हो गया था पर उसके यंग लंड में अभी भी सख्ती थी। थोड़ी ही देर के बाद मैंने उसको अपने ऊपर से हटा दिया और वो नीचे मेरी बगल में लेट गया। हम दोनों करवट से लेटे थे और अभी भी मेरा मुँह उसके लंड के सामने था और मेरी चूत उसके मुँह के सामने। मैंने उसके लंड से खेलना शुरू कर दिया और उसने मेरी चूत में उंगली डाल के फिर से क्लीटोरिस को मसलना शुरू कर दिया। उसका लंड एक ही मिनट के अंदर फिर से कुतुब मिनार जैसे खड़ा हो गया तो मैंने उसको सीधा लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गयी और उसके मूसल लंड को पकड़ के अपनी चूत के छेद पर एडजस्ट करके बैठने लगी। गीला लंड धीरे-धीरे गीली चूत के अंदर घुसने लगा। उसका मूसल जैसा लंड मेरी चूत में घुसता हुआ बेइंतेहा मज़ा दे रहा था। मैं पूरी तरह से उसके लंड पे बैठ गयी और उसका लंड जड़ तक मेरी चूत में घुस चुका था। मेरे मुँह से मस्ती की सिसकियाँ निकल रही थी। अब मैंने उसके लंड पे उछालना शुरू कर दिया जिससे मेरी चूचियाँ उसके मुँह के सामने डाँस कर रही थी। मैं उसके लंड पे ऐसे सवार थी जैसे घुड़सवार हॉर्स रेस के वक्त घोड़े पे सवर होता है। उसने मेरी चूचियों को पकड़ के मुझे अपनी तरफ़ झुकाया और चूसने लगा। अभी हम मस्ती में चुदाई कर रहे थे कि रूम में जलती मोमबत्ती खतम हो गयी थी और कमरे में एक दम से अंधेरा हो गया था। पर हमारा ध्यान तो चुदाई में था। मैं उछल-उछल के उसके लंड पे बैठ रही थी और उसका लंड मेरी चूत के बहुत अंदर तक घुस रहा था।
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Re: किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic
चुदाई फ़ुल स्पीड से चल रही थी। मैं उछल-उछल कर उसके कुतुब मिनार जैसे लंड पे अपनी चूत मार रही थी। उसके घुटने मुड़े हुए थे और मेरे चूतड़ उसकी जाँघों से लग रहे थे। मेरे बाल सैक्सी स्टाईल में उड़-उड़ क्र मेरे मुँह के सामने आ रहे थे। मैं ज़ोर-ज़ोर से उछल रही थी। मेरे उछलने से कभी तो पूरा लंड चूत के बाहर तक निकल जाता और जब मैं ज़ोर से उसके लंड पे बैठती तो उसका लोहे जैसा लंड गचाक से मेरी चूत में घुस कर मेरी बच्चे दानी से टकराता तो मेरे जिस्म में बिजली सी दौड़ जाती और मैं काँपने लगती। फिर अचानक ऐसे हुआ कि मैं जब उछल रही थी तो उसका पूरा लंड मेरी चूत के बाहर निकल गया और जब मैं ज़ोर से उसके लंड पे बैठी तो उसका लंड थोड़ा सा अपनी पोज़िशन से हिल गया और उसका मूसल लंड मेरी चूत में घुसने की बजाये मेरी गाँड में घुस गया। मेरी गाँड के छेद को पता ही नहीं था कि रॉकेट लंड मेरी गाँड में घुसेगा। इसलिये गाँड के मसल रिलैक्स नहीं थे और एक दम से पूरा का पूरा लंड मेरी टाइट गाँड मैं घुसते ही मेरी चींख निकल गयी, “ऊऊऊऊऊऊईईईईईईईई अल्लाहहह...आंआंआंआंआं”, पर अब क्या हो सकता था, लंड तो गाँड में घुस ही चुका था। मैं थोड़ी देर ऐसे ही उसके लंड को अपनी गाँड में रखे रही और जब मेरी गाँड उसके लंड को अपने अंदर एडजस्ट कर चुकी तो मैं उछल- उछल के अपनी गाँड मरवाने लगी। अब उसका लंड मेरी गाँड में आसानी से घुस रहा था। वो फ़ुल स्पीड से मेरी टाइट गाँड मार रहा था। बीच-बीच में मैं रुक कर अपनी चूत को उसके नाफ़ के हिस्से से रगड़ती थी। मैं फिर से झड़ने लगी और उसका लंड भी मेरी गाँड के अंदर फूलने लगा और अनिल ने अपनी गाँड उठा कर अपना मूसल लंड मेरी गाँड में पूरा अंदर तक घुसा दिया। फिर उसने भी अपनी क्रीम मेरी गाँड के अंदर ही निकाल दी। मैं भी झड़ चुकी थी और मदहोश हो कर उसके जिस्म पर गिर पड़ी। हम दोनों एक दूसरे से लिपट गये और पता नहीं कब हमारी आँख लग गयी और हम एक दूसरे से लिपटे हुए नंगे ही सो गये। इतनी ज़बरदस्त तस्कीन बक़्श चुदाई के बाद नींद भी बहुत मस्त आयी। सुबह मेरे सारे जिस्म में मीठा-मीठा सा दर्द हो रहा था। बार-बार अंगड़ायी लेने का दिल कर रहा था और चुदाई का सोच सोच कर खुद-ब-खुद ही मुँह पे मुस्कुराहट आ रही थी।
मैं सुबह जल्दी ही उठ गयी और देखा तो अनिल के उठने से पहले ही उसका लंड उठ चुका था। उसका मोर्निंग इरेक्शन देख कर मैं मुस्कुरा दी और उसके हिलते हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ के पूछा, “क्या ये अभी भी भूखा है? सारी रात तो चोदता रहा मुझे और अब फिर से अकड़ गया....” तो वो आँखें बंद किये हुए मुस्कुराया और बोला कि “ऐसी प्यारी चूत मिले तो ये रात दिन खड़ा ही रहे” और फिर हम दोनों हँसने लगे।
दोनों नंगे ही थे और उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और एक बार फिर से मुझे चोद डाला। सुबह की पहली चुदाई में भी एक अजीब बात होती है, जल्दी कोई भी नहीं झड़ता। ये चुदाई भी काफ़ी देर तक चलती रही। उसका लोहे के मूसल जैसा लंड मेरी चूत को चोद-चोद कर भोंसड़ा बनाता रहा और तकरीबन आधे घंटे की फर्स्ट-क्लास चुदाई के बाद हम दोनों झड़ गये और कुछ देर तक ऐसे ही नंगे एक दूसरे से लिपट कर लेटे रह और एक दूसरे को किस करते रहे। कभी वो चूचियों को चूसता रहा और कभी मैं उसके लंड को ऐसे दबाती रही जैसे मुझे और चुदाई करनी है और लंड पकड़ के सिसकारियाँ भरती रही।
जल्दी ही मेरी चूत में लगी क्रीम सूख गयी और फिर थोड़ी देर के बाद हम दोनों उठ गये। वहाँ उसके पास शॉवर लेने की कोई जगह तो थी नहीं, बस मैंने वैसे ही अपने कपड़े पहन लिये और अभी मैं अंदर ही बैठी रही। बाहर से रोशनी अंदर आ रही थी।
मेरे घर में भी कोई नहीं था तो मुझे कोई प्रॉबलम नहीं थी कि रात कहाँ सोयी थी। रात भर तेज़ बारिश हो रही थी, इसलिये बिजली और टेलीफोन के तार लूज़ हो गये थे। ना बिजली थी और ना टेलीफोन के कनेक्शन। आज छुट्टी होने की वजह से उसकी दुकान भी बंद थी और उसके पास कोई वर्कर भी नहीं आने वाले थे। इसलिए हमें कोई मुश्किल नहीं हुई। सुबह के करीब दस बजे के करीब उसने दुकान का शटर आधा उठा दिया और मैं अभी भी अंदर के रूम में ही बैठी थी। बाहर अभी भी थोड़ी-थोड़ी बारिश हो रही थी। थोड़ी देर के बाद वो करीब के होटल से कुछ नाश्ता पैक करवा के ले आया और चाय भी। हम दोनों ने नाश्ता किया और चाय पी कर थोड़ी देर अंदर ही बैठे रहे। उसने मुझे बहुत किस किया और मेरी चूचियों को दबाता ही रहा। मुझे लगा कि मेरी चूत फिर से गीली होनी शुरू हो गयी है और वो अब फिर से फ़ुल चुदाई के मूड में आ गया है पर उसने चोदा नहीं। शायद ये सोचा होगा कि फिर कभी मौके से चुदाई करेगा।
मैं सुबह जल्दी ही उठ गयी और देखा तो अनिल के उठने से पहले ही उसका लंड उठ चुका था। उसका मोर्निंग इरेक्शन देख कर मैं मुस्कुरा दी और उसके हिलते हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ के पूछा, “क्या ये अभी भी भूखा है? सारी रात तो चोदता रहा मुझे और अब फिर से अकड़ गया....” तो वो आँखें बंद किये हुए मुस्कुराया और बोला कि “ऐसी प्यारी चूत मिले तो ये रात दिन खड़ा ही रहे” और फिर हम दोनों हँसने लगे।
दोनों नंगे ही थे और उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और एक बार फिर से मुझे चोद डाला। सुबह की पहली चुदाई में भी एक अजीब बात होती है, जल्दी कोई भी नहीं झड़ता। ये चुदाई भी काफ़ी देर तक चलती रही। उसका लोहे के मूसल जैसा लंड मेरी चूत को चोद-चोद कर भोंसड़ा बनाता रहा और तकरीबन आधे घंटे की फर्स्ट-क्लास चुदाई के बाद हम दोनों झड़ गये और कुछ देर तक ऐसे ही नंगे एक दूसरे से लिपट कर लेटे रह और एक दूसरे को किस करते रहे। कभी वो चूचियों को चूसता रहा और कभी मैं उसके लंड को ऐसे दबाती रही जैसे मुझे और चुदाई करनी है और लंड पकड़ के सिसकारियाँ भरती रही।
जल्दी ही मेरी चूत में लगी क्रीम सूख गयी और फिर थोड़ी देर के बाद हम दोनों उठ गये। वहाँ उसके पास शॉवर लेने की कोई जगह तो थी नहीं, बस मैंने वैसे ही अपने कपड़े पहन लिये और अभी मैं अंदर ही बैठी रही। बाहर से रोशनी अंदर आ रही थी।
मेरे घर में भी कोई नहीं था तो मुझे कोई प्रॉबलम नहीं थी कि रात कहाँ सोयी थी। रात भर तेज़ बारिश हो रही थी, इसलिये बिजली और टेलीफोन के तार लूज़ हो गये थे। ना बिजली थी और ना टेलीफोन के कनेक्शन। आज छुट्टी होने की वजह से उसकी दुकान भी बंद थी और उसके पास कोई वर्कर भी नहीं आने वाले थे। इसलिए हमें कोई मुश्किल नहीं हुई। सुबह के करीब दस बजे के करीब उसने दुकान का शटर आधा उठा दिया और मैं अभी भी अंदर के रूम में ही बैठी थी। बाहर अभी भी थोड़ी-थोड़ी बारिश हो रही थी। थोड़ी देर के बाद वो करीब के होटल से कुछ नाश्ता पैक करवा के ले आया और चाय भी। हम दोनों ने नाश्ता किया और चाय पी कर थोड़ी देर अंदर ही बैठे रहे। उसने मुझे बहुत किस किया और मेरी चूचियों को दबाता ही रहा। मुझे लगा कि मेरी चूत फिर से गीली होनी शुरू हो गयी है और वो अब फिर से फ़ुल चुदाई के मूड में आ गया है पर उसने चोदा नहीं। शायद ये सोचा होगा कि फिर कभी मौके से चुदाई करेगा।
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