उसने अपनी बड़ी-बड़ी आँखो को गोल-गोल नचाया-"पूरे 41 किलो हूँ मैं !
मैंने तड़ से जड़ दिया- ठीक है, फ़िर तो मैं सुधार कर देता हूँ, फ़िर ४१ ग्राम होगी ब्रा-पैन्टी?
वो मुस्कुरा कर बोली- मेरा मजाक बना रहे हैं, मैं तैयार होने जा रही हूँ।
और वो अपने कमरे में चली गई, मैं अपने कमरे में।
कोई आधे घण्टे बाद हम घर से निकले। सानिया ने एक गहरे हरे रंग की कैप्री और गुलाबी टॉप पहनी थी। बालों को थोड़ा ऊपर उठा पैनीटेल बनाया था, पैर में बिना मोजा रीबॉक के जूते।
मैं उसकी खूबसूरती पर मुग्ध था।
हम लोग पैदल ही एक घण्टा घूमे और फ़िर करीब नौ बजे एक चाईनीज रेस्तराँ में खाना खाकर दस बजे तक घर आ गए। थोड़ी देर टीवी देखने के बाद करीब 11 बजे सानिया अपने कमरा में और मैं अपने कमरा में सोने चले गए। सानिया के बारे में सोचते सोचते बड़ी देर बाद मुझे नींद आई।
अगले दिन करीब छः बजे सानिया ने मुझे जगाया, वो सामने चाय लेकर खड़ी थी। मेरे दिमाग में पहला ख्याल आया कि आज का दिन अच्छा हो गया, उसकी सलोनी सूरत देख कर।
हमने साथ चाय पी। वो तब मेरे बिस्तर पे बैठी थी। उसने एक नाईटी पहनी हुई थी जो उसके घुटने से थोड़ा नीचे तक थी। रेडीमेड होने के कारण थोड़ा लूज थी, और उसके ब्रा के स्टैप्स दिख रहे थे। आज उसे साढ़े आठ बजे निकलना था, सो वो बोली-"आप बाथरूम से हो लीजिए, तब मैं भी नहा लूँगी, आज थोड़ा पहले जाना है।
मैं जब बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि उसने मेरा बिस्तर ठीक कर दिया है और अपने कपड़े हाथ में लेकर मेरे बेड पर बैठी है।
मस्त है यह सानिया भी hindi sex erotic adult story
Re: मस्त है यह सानिया भी hindi sex erotic adult story
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A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
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Re: मस्त है यह सानिया भी hindi sex erotic adult story
जब वो बाथरूम की तरफ़ जाने लगी तब मैंने छेड़ते हुए कहा- आज भी अपना 41 ग्राम छोड़ देना।
वो यह सुन जोर से बोली- छीः ! और हल्के से हँसते हुए बाथरूम का दरवाजा बन्द कर लिया।
मैं बाहर बैठ पेपर पढ़ रहा था, जब वो बोली-"मैं जा रही हूँ चाचू, करीब एक बजे लौटूँगी, मेरा लंच बनवा दीजिएगा, नस्ता मै कैंटीन में कर लूँगी।
मैं उसको कसे पीले सलवार कुर्ते में जाते देखता रहा, जब तक वो दिखती रही। उसकी सुन्दर सी गांड हल्के हल्के मटक रही थी।
थोड़ी देर में मेरी नौकरानी मैरी आ गई और अपना काम करने लगी, मैं भी तैयार होने बाथरूम में आ गाया। मुझे थोड़ा शक था कि आज शायद मुझे ब्रा-पैन्टी ना दिखे, पर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा जब मैंने देखा कि आज फ़िर उसने अपनी ब्रा-पैन्टी धो कर कल की तरह ही जमीन पर छोड़ दी है। कल शायद उससे गलती से छूट गया था, पर आज के लिए मैं पक्का था कि उसने जान-बूझ कर छोड़ा है। मुझे लगने लगा कि यह साली पट सकती है। मैंने आज फ़िर उसकी पैन्टी लंड पे लपेट मूठ मारी और माल उसके पैन्टी में डाल दिया। यह वाली पैन्टी कल वाली से भी पुरानी थी, और उसमें भी दो-एक छोटे छेद थे। पर मुझे मजा आया। मैंने अपने माल से लिपटी पैन्टी को ब्रा के साथ सूखने को डाल दिया।
शाम को मुझे आने में थोड़ी देर हो गई, मैरी हम दोनों का खाना बना कर जा चुकी थी। मैं जब आया तो सानिया ने चाय बनाई और हम दोनों गपशप करते हुए चाय पीने लगे।
सानिया ने ही बात छेड़ दी- आज फ़िर आपको मजा आया मेरी सेवा करके?
मैं समझ न सका तो उसने कहा- वही 41 ग्राम, सुबह ! और मुस्कुराई।
वो यह सुन जोर से बोली- छीः ! और हल्के से हँसते हुए बाथरूम का दरवाजा बन्द कर लिया।
मैं बाहर बैठ पेपर पढ़ रहा था, जब वो बोली-"मैं जा रही हूँ चाचू, करीब एक बजे लौटूँगी, मेरा लंच बनवा दीजिएगा, नस्ता मै कैंटीन में कर लूँगी।
मैं उसको कसे पीले सलवार कुर्ते में जाते देखता रहा, जब तक वो दिखती रही। उसकी सुन्दर सी गांड हल्के हल्के मटक रही थी।
थोड़ी देर में मेरी नौकरानी मैरी आ गई और अपना काम करने लगी, मैं भी तैयार होने बाथरूम में आ गाया। मुझे थोड़ा शक था कि आज शायद मुझे ब्रा-पैन्टी ना दिखे, पर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा जब मैंने देखा कि आज फ़िर उसने अपनी ब्रा-पैन्टी धो कर कल की तरह ही जमीन पर छोड़ दी है। कल शायद उससे गलती से छूट गया था, पर आज के लिए मैं पक्का था कि उसने जान-बूझ कर छोड़ा है। मुझे लगने लगा कि यह साली पट सकती है। मैंने आज फ़िर उसकी पैन्टी लंड पे लपेट मूठ मारी और माल उसके पैन्टी में डाल दिया। यह वाली पैन्टी कल वाली से भी पुरानी थी, और उसमें भी दो-एक छोटे छेद थे। पर मुझे मजा आया। मैंने अपने माल से लिपटी पैन्टी को ब्रा के साथ सूखने को डाल दिया।
शाम को मुझे आने में थोड़ी देर हो गई, मैरी हम दोनों का खाना बना कर जा चुकी थी। मैं जब आया तो सानिया ने चाय बनाई और हम दोनों गपशप करते हुए चाय पीने लगे।
सानिया ने ही बात छेड़ दी- आज फ़िर आपको मजा आया मेरी सेवा करके?
मैं समझ न सका तो उसने कहा- वही 41 ग्राम, सुबह ! और मुस्कुराई।
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Re: मस्त है यह सानिया भी hindi sex erotic adult story
मैंने भी कहा- हाँ, मजा तो खूब आया पर सानिया, इतने पुराने कपड़े मत पहना करो, फ़टे कपड़े पहनना शुभ नहीं माना जाता।
वो समझ गई, बोली- "ठीक है चाचू, आगे से ख्याल रखूँगी।
मैंने देखा कि बात सही दिशा में है तो आगे कहा- अच्छा सानिया, थोड़ा अपने निजी जीवन के बारे में बताओ। जमील कह रहा था कि तुम्हारा किसी लड़के के साथ चक्कर था। अगर न बताना चाहो तो मना कर दो।
वो थोड़ी देर चुप रही, फ़िर उसने रेहान के बारे में कहा, जो उसके साथ स्कूल में 5 साल पढ़ा था, दोनों अच्छे दोस्त थे पर ऐसा कुछ नहीं किया कि उसको इतना डाँटा जाए, रेहान तो फ़िर उस डाँट के बाद कभी मिला भी नहीं। अब तो वो उसको अपना पहला क्रश मानती थी।
मैंने तब साफ़ पूछ लिया- क्यों, क्या सेक्स-वेक्स नहीं किया उसके साथ?
वो अपने गोल-गोल आँख घुमा कर बोली- छीः, क्या मैं आपको इतनी गन्दी लड़की लगती हूँ, रेहान मेरा पहला प्यार था, अब कुछ नहीं है !
मैंने मूड को हलका करने के लिए कहा- अरे नहीं बेटी तुम और गन्दी, कभी नहीं, हाँ थोड़ी शरारती जरूर हो, बदमाश जो अपनी ब्रा-पैन्टी अपने चाचू से साफ़ करवाती हो।
वो बोली- गलत चाचू ! साफ़ तो खुद करती हूँ, आप तो सिर्फ़ सूखने को डालते हो।
हम दोनों हँसने लगे।
फ़िर खाना खा कर टहलने निकल गए। बातों बातों में वो अपने कॉलेज के बारे में तरह तरह की बात बता रही थी और मैं उसके साथ का मजा ले रहा था।
तीसरे दिन भी सुबह सानिया के चेहरे पर नजर डाल कर ही शुरु हुई। उस दिन मैरी थोड़ा सवेरे आ गई थी, सानिया का नाश्ता बना रही थी। मैं भी अपने औफ़िस के काम में थोड़ा व्यस्त था कि सानिया तैयार हो कर आई।
वो समझ गई, बोली- "ठीक है चाचू, आगे से ख्याल रखूँगी।
मैंने देखा कि बात सही दिशा में है तो आगे कहा- अच्छा सानिया, थोड़ा अपने निजी जीवन के बारे में बताओ। जमील कह रहा था कि तुम्हारा किसी लड़के के साथ चक्कर था। अगर न बताना चाहो तो मना कर दो।
वो थोड़ी देर चुप रही, फ़िर उसने रेहान के बारे में कहा, जो उसके साथ स्कूल में 5 साल पढ़ा था, दोनों अच्छे दोस्त थे पर ऐसा कुछ नहीं किया कि उसको इतना डाँटा जाए, रेहान तो फ़िर उस डाँट के बाद कभी मिला भी नहीं। अब तो वो उसको अपना पहला क्रश मानती थी।
मैंने तब साफ़ पूछ लिया- क्यों, क्या सेक्स-वेक्स नहीं किया उसके साथ?
वो अपने गोल-गोल आँख घुमा कर बोली- छीः, क्या मैं आपको इतनी गन्दी लड़की लगती हूँ, रेहान मेरा पहला प्यार था, अब कुछ नहीं है !
मैंने मूड को हलका करने के लिए कहा- अरे नहीं बेटी तुम और गन्दी, कभी नहीं, हाँ थोड़ी शरारती जरूर हो, बदमाश जो अपनी ब्रा-पैन्टी अपने चाचू से साफ़ करवाती हो।
वो बोली- गलत चाचू ! साफ़ तो खुद करती हूँ, आप तो सिर्फ़ सूखने को डालते हो।
हम दोनों हँसने लगे।
फ़िर खाना खा कर टहलने निकल गए। बातों बातों में वो अपने कॉलेज के बारे में तरह तरह की बात बता रही थी और मैं उसके साथ का मजा ले रहा था।
तीसरे दिन भी सुबह सानिया के चेहरे पर नजर डाल कर ही शुरु हुई। उस दिन मैरी थोड़ा सवेरे आ गई थी, सानिया का नाश्ता बना रही थी। मैं भी अपने औफ़िस के काम में थोड़ा व्यस्त था कि सानिया तैयार हो कर आई।
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