मैंने उसको 5000 दे दिये और कहा कि ये जो सूरी से बात थी, और फ़िर 2000 उसको देकर कहा- कि ये उसका अलग से हैं मेरी बात मानने के लिए।
वो संतुष्ट थी, बोली- एक बारऽऽ सर ! मैं बाथरूम जाना चाहूँगी।
मैंने कहा- ठीक है ! थोड़ा साफ़ कर लेना साबुन से, आगे-पीछे सब !
और मैंने उसको आँख मारी ताकि पहली बार की झिझक कम हो। मुझे उसके चेहरे से लग रहा था कि वो सही में नई थी। मैंने सानिया को उसे पानी पिलाने को कहा और वो पानी लेने चली गई। पानी पीकर रागिनी ने अपना दुपट्टा सोफ़े पर डाला और सानिया से पूछा- बाथरूम...?
करीब दस मिनट बाद वो आई और कहा- मैं तैयार हूँ, किस कमरे में ऽऽ ?
हम सब मेरे बेडरूम में आ गए, तब रागिनी ने पूछा- मैं खुद कपड़े उतारूँ या आप दोनों में से कोई?
मैं सानिया की तरफ़ देख रहा था कि उसका क्या मिजाज है। उसे लगा कि मैं शायद उसको कह रहा हूँ कि वो कपड़े उतारे, इसलिए वो रागिनी की तरफ़ बढ़ गई।
रागिनी ने उसकी तरफ़ अपनी पीठ कर दी। जब सानिया उसके कुर्ते की जीप नीचे कर रही थी, रागिनी ने सानिया से हल्के से पूछा- ये आपके पापा है?
हम सब मेरे बेडरूम में आ गए, तब रागिनी ने पूछा- मैं खुद कपड़े उतारूँ या आप दोनों में से कोई?
मैं सानिया की तरफ़ देख रहा था कि उसका क्या मिजाज है। उसे लगा कि मैं शायद उसको कह रहा हूँ कि वो कपड़े उतारे, इसलिए वो रागिनी की तरफ़ बढ़ गई।
रागिनी ने उसकी तरफ़ अपनी पीठ कर दी। जब सानिया उसके कुर्ते की जीप नीचे कर रही थी, रागिनी ने सानिया से हल्के से पूछा- ये आपके पापा है?
सानिया सिटपिटा गई।
मस्त है यह सानिया भी hindi sex erotic adult story
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A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
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Re: मस्त है यह सानिया भी hindi sex erotic adult story
उसे परेशानी से बचाने के लिए मैंने कहा- नहीं ! सानिया मेरे दोस्त की बेटी है, अभी मेरे साथ रहेगी। इसका ही मन था कि वो एक बार यह सब देखे।
रागिनी के मुँह से एक हल्का सा सॉरी निकला।
सानिया ने उसकी कुर्ते को खोलने के बाद उसकी शमीज (स्लीप) भी निकाल दी। रागिनी काले रंग की एक साटन ब्रा पहने थी। रागिनी का सपाट पेट देख मैं मस्त हो रहा था। चुचियाँ भी मस्त थी, एक दम ठोस ! 18 साल की लड़की की जैसी होनी चाहिए। मैं उसकी गदराई जवानी को घूर रहा था।
सानिया ने उसके सलवार की डोरी खींची और उसको नीचे कर दिया। उसने काले रंग की जालीदार लेस वाली पैन्टी पहनी हुई थी। पैन्टी में से भी उसकी चूत अपने फ़ूले होने का आभास दे रही थी। सुन्दर सी लम्बी टाँगें, एक दम हल्के-हल्के रोएँ थे जाँघों पर। उसके जवान बदन को मस्त निगाह से देखते हुए मैंने कहा- अब रहने दो सानिया, तुम आराम से देखो बैठ कर, बाकी मैं कर लूँगा।
फ़िर मैंने प्यार से रागिनी को बाँहों में उठाया और बेड पर लिटा उसके ओंठ चूमने शुरु किये। दो मिनट भी नहीं लगे और रागिनी के प्रत्युत्तर मुझे मिलने लगे। सानिया अपने कैप्री-टी-शर्ट में पास ही कुर्सी पर बैठ गई थी। मैंने रागिनी की ब्रा खोल दी और उसकी चूचियों से खेलने लगा। उसकी ठस्स चूचियाँ आजाद हो कर झूमने लगीं। एक बड़े से संतरे के आकार की थी उसकी चूचियाँ, जिन पर भूरे रंग के चुचूक मस्त लग रहा था। मैं उन्हें कभी चूमता, कभी चाटता, कभी चुचूक खींचता, कभी दबाता... मेरे दोनों हाथ भी कभी इधर तो कभी उधर मजा ले रहे थे।
करीब दस मिनट की चुम्मा-चाटी के बाद मैंने रागिनी की पैन्टी उसकी कमर से खिसकाई, तो उसकी झाँटों भरी बुर के दर्शन हुए। मैंने रागिनी की झाँटों पर हाथ फ़ेरा। उसकी झाँट करीब आधा-पौन इंच की थी। उसकी चूत पर मैंने अपनी ऊँगली घुमाई और अंदाजा लगाया कि सही में उसकी अभी चुदाई ऐसी नहीं हुई है, जैसी आम रन्डी की हो जाती है। अभी भी वो घर का माल ही थी, सूरी ने सही कहा था।
उसकी चूतड़ों का भी मैंने जायजा लिया, गोल-गोल, मुलायम गद्देदार ! उन चूतड़ों को हल्के से मैंने दबाया फ़िर उन पर एक हल्की चपत लगाई।
मैंने उसकी योनि को सूँघा- सुभानल्लाह... क्या जवानी की खुशबू मिली मुझे !
मेरे लण्ड ने एक अँगड़ाई ली, मेरे मुँह से निकला- बहुत मस्त चीज हो मेरी जान !
उसे अब तक चुप देख मैंने कहा- थोड़ा बातचीत करती रहो स्वीटी, वरना मजा नहीं आयेगा।
रागिनी के मुँह से एक हल्का सा सॉरी निकला।
सानिया ने उसकी कुर्ते को खोलने के बाद उसकी शमीज (स्लीप) भी निकाल दी। रागिनी काले रंग की एक साटन ब्रा पहने थी। रागिनी का सपाट पेट देख मैं मस्त हो रहा था। चुचियाँ भी मस्त थी, एक दम ठोस ! 18 साल की लड़की की जैसी होनी चाहिए। मैं उसकी गदराई जवानी को घूर रहा था।
सानिया ने उसके सलवार की डोरी खींची और उसको नीचे कर दिया। उसने काले रंग की जालीदार लेस वाली पैन्टी पहनी हुई थी। पैन्टी में से भी उसकी चूत अपने फ़ूले होने का आभास दे रही थी। सुन्दर सी लम्बी टाँगें, एक दम हल्के-हल्के रोएँ थे जाँघों पर। उसके जवान बदन को मस्त निगाह से देखते हुए मैंने कहा- अब रहने दो सानिया, तुम आराम से देखो बैठ कर, बाकी मैं कर लूँगा।
फ़िर मैंने प्यार से रागिनी को बाँहों में उठाया और बेड पर लिटा उसके ओंठ चूमने शुरु किये। दो मिनट भी नहीं लगे और रागिनी के प्रत्युत्तर मुझे मिलने लगे। सानिया अपने कैप्री-टी-शर्ट में पास ही कुर्सी पर बैठ गई थी। मैंने रागिनी की ब्रा खोल दी और उसकी चूचियों से खेलने लगा। उसकी ठस्स चूचियाँ आजाद हो कर झूमने लगीं। एक बड़े से संतरे के आकार की थी उसकी चूचियाँ, जिन पर भूरे रंग के चुचूक मस्त लग रहा था। मैं उन्हें कभी चूमता, कभी चाटता, कभी चुचूक खींचता, कभी दबाता... मेरे दोनों हाथ भी कभी इधर तो कभी उधर मजा ले रहे थे।
करीब दस मिनट की चुम्मा-चाटी के बाद मैंने रागिनी की पैन्टी उसकी कमर से खिसकाई, तो उसकी झाँटों भरी बुर के दर्शन हुए। मैंने रागिनी की झाँटों पर हाथ फ़ेरा। उसकी झाँट करीब आधा-पौन इंच की थी। उसकी चूत पर मैंने अपनी ऊँगली घुमाई और अंदाजा लगाया कि सही में उसकी अभी चुदाई ऐसी नहीं हुई है, जैसी आम रन्डी की हो जाती है। अभी भी वो घर का माल ही थी, सूरी ने सही कहा था।
उसकी चूतड़ों का भी मैंने जायजा लिया, गोल-गोल, मुलायम गद्देदार ! उन चूतड़ों को हल्के से मैंने दबाया फ़िर उन पर एक हल्की चपत लगाई।
मैंने उसकी योनि को सूँघा- सुभानल्लाह... क्या जवानी की खुशबू मिली मुझे !
मेरे लण्ड ने एक अँगड़ाई ली, मेरे मुँह से निकला- बहुत मस्त चीज हो मेरी जान !
उसे अब तक चुप देख मैंने कहा- थोड़ा बातचीत करती रहो स्वीटी, वरना मजा नहीं आयेगा।
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Re: मस्त है यह सानिया भी hindi sex erotic adult story
उसने कहा- ठीक है सर।
मेरे दिमाग ने मुझे उकसाया तो मैं बोला- अब ऐसे सर-सर ना करो। मुझे तुम डार्लिंग कहो, राजा कहो, जानू कहो, ऐसा कुछ कहो।
तो रागिनी बोली- अभी ऐसा सब बोलने की आदत नहीं हुई सर, सॉरी डार्लिंग !
फ़िर बोली- मैं डार्लिंग नहीं बोल पाउँगी, आप मेरे से बहुत सीनियर हैं।
मुझे मौका मिल गया, मैं तो अब रागिनी में सानिया को देख रहा था, सो मैंने कहा- ठीक है, तो तुम मुझे अंकल तो कह सकती हो।
रागिनी मुस्कुराई- ठीक है अंकल।
अब मैंने कहा- रागिनी, आज मुझे अपनी झाँट बनाने दो, इसके तुम्हें मैं 500 रूपए और दूँगा।
वो चुप रही तो मैंने सानिया से कहा- सानिया वो शेविंग किट और पानी ले आओ।
सानिया तुरंत उठ कर चली गई।
वो जब तक आई, मैंने रागिनी को बेड पर तौलिया बिछा उस पर बैठा दिया था। मैंने रागिनी को पहले पलट कर घोड़ी बनने को कहा, फ़िर पीछे से उसकी गाँड और योनि के आस-पास के बाल पहले कैंची से काट कर फ़िर रेजर से शेव कर दिया।
बड़े प्यार से मैंने उसकी झाँट बनाई थी, और सोच रहा था काश एक दिन इस सानिया की झाँट बनाने का मौका मिले तो मजा आए।
मैंने रागिनी को अब सीधा लिटा दिया और साईड से उसकी झाँटों को कैंची से काटने लगा। चूत की फ़ाँक के ठीक ऊपर और चूत की होंठ पर निकले बाल रेजर से साफ़ कर दिए। अंत में मैंने उसकी झाँटों को दोनों तरफ़ से छीलना शुरु किया। सीधा-उल्टा दोनों तरफ़ से रेजर चला कर मैंने उसकी झाँट दोनों साईड से छील दी, और बीच में जो जैसे था छोड़ दिया।
मेरे दिमाग ने मुझे उकसाया तो मैं बोला- अब ऐसे सर-सर ना करो। मुझे तुम डार्लिंग कहो, राजा कहो, जानू कहो, ऐसा कुछ कहो।
तो रागिनी बोली- अभी ऐसा सब बोलने की आदत नहीं हुई सर, सॉरी डार्लिंग !
फ़िर बोली- मैं डार्लिंग नहीं बोल पाउँगी, आप मेरे से बहुत सीनियर हैं।
मुझे मौका मिल गया, मैं तो अब रागिनी में सानिया को देख रहा था, सो मैंने कहा- ठीक है, तो तुम मुझे अंकल तो कह सकती हो।
रागिनी मुस्कुराई- ठीक है अंकल।
अब मैंने कहा- रागिनी, आज मुझे अपनी झाँट बनाने दो, इसके तुम्हें मैं 500 रूपए और दूँगा।
वो चुप रही तो मैंने सानिया से कहा- सानिया वो शेविंग किट और पानी ले आओ।
सानिया तुरंत उठ कर चली गई।
वो जब तक आई, मैंने रागिनी को बेड पर तौलिया बिछा उस पर बैठा दिया था। मैंने रागिनी को पहले पलट कर घोड़ी बनने को कहा, फ़िर पीछे से उसकी गाँड और योनि के आस-पास के बाल पहले कैंची से काट कर फ़िर रेजर से शेव कर दिया।
बड़े प्यार से मैंने उसकी झाँट बनाई थी, और सोच रहा था काश एक दिन इस सानिया की झाँट बनाने का मौका मिले तो मजा आए।
मैंने रागिनी को अब सीधा लिटा दिया और साईड से उसकी झाँटों को कैंची से काटने लगा। चूत की फ़ाँक के ठीक ऊपर और चूत की होंठ पर निकले बाल रेजर से साफ़ कर दिए। अंत में मैंने उसकी झाँटों को दोनों तरफ़ से छीलना शुरु किया। सीधा-उल्टा दोनों तरफ़ से रेजर चला कर मैंने उसकी झाँट दोनों साईड से छील दी, और बीच में जो जैसे था छोड़ दिया।
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