मस्त है यह सानिया भी hindi sex erotic adult story

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Fuck_Me
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Re: मस्त है यह सानिया भी hindi sex erotic adult story

Unread post by Fuck_Me » 17 Aug 2015 11:56

चूत को उसने एक दिन पहले ही साफ़ किया था, सो उसकी गोरी चूत बग-बग चमक रही थी। मैंने उसके चूत को पूरा अपने मुट्ठी में पकड़ कर हल्के से दबा दिया, तो वो आआह्ह्ह्ह कर उठी।

मैंने अपना मुँह उसकी चूत से लगा दिया और वो चुसाई की, वो चुसाई की गोरी-गोरी चूत की कि वो एक दम लाल हो गई जैसे अब खून उतर जाएगा।

वो अब चुदास से भर कर कसमसा रही थी, कराह रही थी। उसकी हालत देख मैंने रागिनी की तरफ़ आँख मारी और कहा- सानिया बेटा, अब जरा तुम भी मेरा चूसो, अच्छा लगेगा।

वो काँपते आवाज में बोली- नहीं चाचू, अब कुछ नहीं ! अब बस आप घुसा दो मेरे भीतर ! अब बर्दाश्त नहीं होगा, प्लीज...!

मैंने उसको छेड़ा- क्या घुसा दूँ, जरा ठीक से बोलो ना।

रागिनी मेरे बदमाशी पर हँस दी, बोली- अंकल, क्यों दीदी को तड़पा रहे हो, कर दो जल्दी।

सानिया लगातार प्लीज घुसाओ ! प्लीज ! कर रही थी। मैंने फ़िर कहा- बोलो भी ! अब क्या घुसा दूँ, कहाँ घुसा दूँ, मुझे समझाओ भी जरा।

सानिया सच अब गिड़गिराने लगी, बोली- चाचा, प्लीज...!

वो अपने हाथ से अपनी चूत सहला रही थी।

मैंने भी कहा- एक बार कह दो साफ़ साफ़ डार्लिंग, उसके बाद देखो, जन्न्त की सैर करा दूंगा, बस तुम्हारे मुँह से एक बार सुनना चाहता हूँ पहले।

अब सानिया ने बोल ही दिया- मेरे अच्छे चाचू, प्लीज अपने लण्ड को मेरी चूत में डाल कर मुझे चोद दो एक बार, अब रहा नहीं जा रहा।

मेरा लण्ड जैसे फ़टने को तैयार हो गया था ये सब सुन कर। वर्षों से यही सोच सोच कर मैंने मुठ मारी थी सैकड़ों बार। मैं जोश में भर कह उठा- ओके, मेरे से चुदाना चाहती हो, ठीक है खोलो जाँघें। और मैंने उसकी जाँघों के बीच बैठ कर लण्ड को उसकी लाल भभूका चूत की छेद से भिड़ा दिया।

मैंने कहा- डालूँ अब भीतर?
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Fuck_Me
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Re: मस्त है यह सानिया भी hindi sex erotic adult story

Unread post by Fuck_Me » 17 Aug 2015 12:08

सानिया चिढ़ गई- ओह, अब चोद साले ! बात मत कर ! आह।

इस तरह जब वो बोल पड़ी तो मैं समझ गया कि अब साली को रन्डी बन जाने में देर ना लगेगी। मैंने एक जोर के धक्के के साथ आधा लण्ड भीतर पेल दिया। उसके चेहरे पर दर्द की रेखा उभरी पर उसने होंठ भींच लिए। अगला धक्का और जोर का मारा और पूरा 8" जड़ तक सानिया की चूत में घुसेड़ दिया।

वो चीख पड़ी- हाय माँ, मर गई रे....।

उसकी आँखें बन्द थी और उस जोरदार धक्के के बाद मैं थोड़ा एक क्षण के लिए रुका कि रागिनी की आवाज सुनाई दी- ओह माँ।

मैंने आँख खोली, देखा सानिया की दोनों आँखों से एक-एक बूँद आँसू निकल कर गाल पर बह रहे थे, रागिनी साँस रोके अपने हाथों से मुँह ढ़के बिस्तर देख रही थी।

और तब मुझे अहसास हुआ कि सानिया कुँवारी कली थी और मैंने उसकी सील तोड़ी अभी-अभी। बिस्तर पर उसकी कुँवारी चूत की गवाही के निशान बन गए थे, बल्कि अभी और बन रहे थे।

मैं समझ गया कि कितनी तकलीफ़ हुई है सानिया को, सो अब मैंने उसको पुचकारा- हो गया बेटा हो गया सब, अब कुछ दर्द ना होगा कभी।

रागिनी भी उसके बाल सहला रही थी- सच दीदी, अब सब ठीक है, इतना तो सब लड़की को सहना होता है...।

सानिया भी अब थोड़ा सम्भली और होंठ भींचे भींचे सर को हिलाया कि सब ठीक है। और तब मैंने अपना लण्ड बाहर-भीतर करना शुरु किया। 4-6 बार बाद लण्ड ने अपना रास्ता बना लिया और फ़िर हौले-हौले मैं भी अब सही स्पीड से सानिया की चुदाई करने लगा। वो भी अब साथ दे रही थी। 8-10 मिनट बाद मैंने अपना सारा माल चूत के ऊपर पेट की तरफ़ निकाल दिया। वो निढ़ाल सी बिस्तर पर पड़ी थी। रागिनी ने चादर से ही उसकी चूत पौंछ दी और फ़िर उसको सब दिखाया।

सानिया बोली- अब तो पक्का हुआ ना कि मैंने रेहान के साथ कुछ नहीं किया था, पर ये सब अम्मी-अब्बू कैसे जान पाएँगें?

कहानी जारी है.......
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Re: मस्त है यह सानिया भी hindi sex erotic adult story

Unread post by Fuck_Me » 17 Aug 2015 12:09

उसकी आँखों में आँसू आ गए। मैंने उसे अपनी बाँहों में समेट लिया- छोड़ो यह सब बात, आज तो सिर्फ़ अपनी जवानी का जश्न मनाओ।

मुझे अब पेशाब लग रही थी, सो मैं बिस्तर से उठ गया। अब दोनों लड़कियाँ भी उठ कर कपड़े पहनने लगीं। आधे घन्टे बाद चाय-बिस्कुट के साथ सानिया अपनी पहली चुदाई का अनुभव बता रही थी।

रागिनी ने उसे समझाया कि अभी एक-दो बार और दर्द महसूस होगा पर ऐसा नहीं, मीठा दर्द लगेगा, उसके बाद जब बूर का मुँह पुरा खुल जायेगा तब बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा, चाहे जैसा भी लण्ड भीतर डलवा लो। मुझे अब बिल्कुल भी दर्द नहीं होता।
करीब नौ बजे रागिनी चली गई। सानिया ने उससे वादा लिया कि वो फ़िर एक बार आयेगी, तब शुक्रवार को आने की बात कही, क्योंकि शनि और रविवार को राजिन्दर उसकी मेरे साथ बुकिंग के बाद एक घन्टे में अगले 5 सप्ताह की बुकिंग कर चुका था। मुझे भी रागिनी बहुत अच्छी लगी थी।

जाते-जाते वो मुझे कह गई- अंकल आपको जब मन हो, फ़ोन कर दीजिएगा, सूरी सर वाले दिन छोड़ कर ! चली आऊँगी, अब आपसे पैसे नहीं लूँगी, आपने सच मुझे बहुत इज्ज्त और प्यार दिया, धन्यवाद।

उसके जाने के बाद मैंने और सानिया ने अगले एक घण्टे में घर साफ़ किया और फ़िर कपड़े वाशिंग मशीन में डालने के बाद सानिया मेरे पास आई और बोली- चाचू, एक बार और कीजिएगा, अब दर्द बिल्कुल ठीक हो गया है।

सुबह साढ़े छः के करीब सानिया पहली बार चुदी और अभी साढ़े दस बजे वो दूसरी बार चुदाने को तैयार थी। मेरे लिए तो सानिया का जिस्म दुनिया का सबसे बड़ा नशा था सालों से ! कैसे मना करता। तुरंत ही अपने कपड़े उतार दिए और बोला- आओ।

सानिया आई और घुटनों पर बैठ गई। मैं समझ गया कि अब वो होगा जो मैंने हमेशा सपने में होने की उम्मीद करता था।

हाँ, सानिया ने मेरे ढीले लण्ड को पकड़ अपने मुँह में डाल लिया और उस पर अपनी जीभ चलाने लगी।

अचानक वो बोली-"चाचू, अब आपका बूढ़ा होने लगा है, देखिए कई बाल सफ़ेद हो गए हैं।

वो मेरी झाँट के बारे में बात कर रही थी। उसे इस प्रकार बात करते देख अच्छा लगा कि अब ज्यादा मजा आएगा, पहली बार तो कुछ खास बातचीत हुई नहीं थी।
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