एक भाई की वासना Ek Bhai Ki Vasna

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Fuck_Me
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Re: एक भाई की वासना Ek Bhai Ki Vasna

Unread post by Fuck_Me » 19 Aug 2015 11:22

हजरात आपने अभी तक पढ़ा..
मैं- देख लो फैजान.. आज बड़ी मुश्किल से तुम्हारी इस चहेती बैकवर्ड माइंडेड बहन को जीन्स पहनाई है और इसकी तो शरम ही नहीं जा रही है.. देखो तो सही क्या कोई खराबी है इसमें.. जो इसने पहनी हुई है?

फैजान ने जाहिरा की तरफ ऊपर से नीचे तक देखा और बोला- नहीं यार.. बिल्कुल परफेक्ट है। जाहिरा तुम तो ऐसे ही घबरा रही हो.. अरे ताबिदा तुमने इसे कोई शर्ट लेकर नहीं दी क्या?

मैं- यार.. मैंने इसके लिए वो भी ले देनी थी.. लेकिन इसने साफ़-साफ़ इन्कार कर दिया कि मैं टी-शर्ट नहीं पहनूंगी… इसलिए मैं नहीं ले कर आई।
फैजान- चलो फिर किसी दिन ला देना… जस्ट रिलेक्स करो जाहिरा.. क्यों परेशान हो रही हो.. यह तो आजकल सब लड़कियाँ कॉलेज में और बाहर भी पहनती हैं।

फिर हम सबने खाना खाया और अपने-अपने कमरों में आ गए।

धीरे-धीरे जाहिरा को जीन्स की आदत होने लगी और वो फ्रीली घर में जीन्स पहनने लगी.. लेकिन अभी भी उसने कभी भी टी-शर्ट नहीं पहनी थी।
अब मेरा अगला कदम उसको लेगिंग पहनाने का था.. जिसमें उसके जिस्म की निचले हिस्से की पूरी गोलाइयां उसके भाई की नज़रों के सामने आ जातीं। काफ़ी बार मैंने उससे कहा.. लेकिन वो शर्मा जाती थी और मेरी बात मानने को तैयार नहीं होती थी।

अब आगे लुत्फ़ लें..

एक रोज़ मैं और जाहिरा दोनों घर पर अकेले थे। फैजान के जाने के बाद जब हम काम से फारिग हुए.. तो मेरे दिमाग में एक ख्याल आया। मैंने अपनी एक ब्लैक कलर की लेगिंग निकाली और जाहिरा को अपने कमरे में बुलाया।

वो आई तो मैंने उससे कहा- जाहिरा देखो इस वक़्त तो तुम्हारे भैया भी घर पर नहीं हैं.. तो तुम एक बार मुझे यह लेगिंग पहन कर तो दिखाओ।

जाहिरा शरम से सुर्ख हो गई और इन्कार करने लगी.. लेकिन मैंने भी आज.. उसकी बात ना मानने का पक्का इरादा कर लिया हुआ था।
जब मैं उससे इसरार करती रही तो फिर वो मानी और मेरी ब्लैक लेगिंग लेकर बाथरूम में चली गई।

कुछ देर के बाद जाहिरा अपनी सलवार उतार कर मेरी वाली ब्लैक टाइट लेगिंग पहन कर बाथरूम से बाहर आई और बाथरूम के दरवाजे के पास ही खड़ी हो गई।

उस देख कर मेरी आँखें चमक उठीं.. वो टाइट ब्लैक लेगिंग जाहिरा की खूबसूरत और सुडौल टाँगों पर बेहद प्यारी और सेक्सी लग रही थी।
उसकी टाँगों का हर एक कर्व उसमें बहुत ही प्यारा और अट्रॅक्टिव लग रहा था। जाहिरा मुझसे दूर अपनी नजरें झुका कर खड़ी हुई थी और उसके चेहरे पर एक शर्मीली सी मुस्कान थी।

मैंने उसे अपने पास आने को कहा.. वो आहिस्ता-आहिस्ता चलती हुई मेरी पास आई.. तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बिस्तर पर बैठा लिया।
ऊपर से उसने अभी भी अपनी लंबी सी कमीज़ पहनी हुई थी। मैंने अपने पास बैठा कर अपना हाथ उसकी टाँग के ऊपर रखा और आहिस्ता-आहिस्ता सहलाने लगी और बोली- देखो इस लेगिंग में तुम कितनी खूबसूरत लग रही हो।

जाहिरा शर्मा कर बोली- लेकिन भाभी इस लेग्गी में तो पूरे का पूरा जिस्म जैसे नंगा ही लग रहा है।
मैं मुस्करा कर बोली- अरे पगली ऐसा क्यों सोचती हो तुम.. यह तो बन्दी की खुद महसूस करने की बात है ना.. अब मुझे देखो.. मैं तो यह पहन कर बाहर भी चली जाती हूँ और तुम्हारे भैया कोई ऐतराज़ भी नहीं करते हैं।

जाहिरा मेरी तरफ देख कर शरमाती हुई बोली- भाभी आपने तो हद ही की है.. भला इतनी खुले गले के कपड़े भी कोई पहनता है क्या?
जाहिरा ने मेरे डीप और लो-नेक गले की तरफ इशारा करते हुए कहा.. जिसमें से मेरी चूचियों का ऊपरी हिस्सा और क्लीवेज साफ़-साफ़ नज़र आ रहा था।

मैंने मुस्करा कर अपनी गले की तरफ देखा और अपना हाथ जाहिरा की टाँग पर ऊपर की तरफ.. जो उसकी टाइट लेग्गी में साफ़ नज़र आ रही थी.. पर ले जाते हुए बोली- अरे यह सब तेरे भैया की ही फरमाइश तो है.. वो ही मुझे घर में ऐसी सेक्सी हालत में ही देखना चाहते हैं.. तो फिर मैं क्या कर सकती हूँ।

मेरी बात पर जाहिरा हँसने लगी।
जाहिरा- भाभी क्या आपको ऐसे कपड़ों में कुछ गलत फील नहीं होता क्या.. या कोई परेशानी तो नहीं होती.. जब बाहर लोग आपको देखते हैं तब?

मैं मुस्कुराई और बोली- अरे बस शुरू-शुरू में होता था.. लेकिन अब मैं आदी हो गई हूँ। अब तो हर लड़की ही ऐसा ही ड्रेस पहनती है.. फैशन ही इस चीज़ का है.. तो अब क्या कर सकते हैं.. अगर फैशन के साथ ना चली.. तो ‘पेण्डू’ ही लगूँगी ना.. इसलिए अब मुझे दूसरों की गंदी नजरें भी बुरी नहीं लगतीं.. बल्कि सच पूछो तो मुझे मज़ा भी आता है.. जब कोई मेरे जिस्म को ऐसी नजरों से देख रहा हो.. पता है इससे औरत को संतुष्टि होती है कि उसका जिस्म इतना अट्रॅक्टिव है कि वो मर्दों की नज़रों को अपनी तरफ खींच सकी।

जाहिरा मेरी बातें हैरान होकर सुन रही थी लेकिन आज उसका दिमाग कुछ-कुछ.. जैसे मेरी बातों को समझ भी रहा था।

मैंने उसे तसल्ली से समझाया- देख तू मेरी बहन की तरह है.. तो मुझे ही तेरा ख्याल रखना है ना.. कि तू वक़्त के साथ-साथ चले.. ताकि कल को तेरा भी किसी अच्छी जगह पर रिश्ता हो जाए और तू अपने शौहर के साथ अपनी ज़िंदगी एंजाय कर सके। अरे यह जो थोड़ा बहुत जिस्म को शो करना होता है ना.. यह तो बस ऐसे ही है और अब तो एक रुटीन ही बन गया है.. इस बात को कोई भी माइंड नहीं करता।

जाहिरा- लेकिन भाभी वो भैया?
मैं- तू क्या समझती है कि यह जो लड़कियाँ बाहर इतनी टाइट जीन्स और लेग्गी पहन कर फिरती हैं.. तो क्या उनके घर में उनके बाप या भाई नहीं होते क्या? अरे पगली सब ही होते हैं.. लेकिन वो लोग अब इस चीज़ को माइंड नहीं करते और वक़्त कि मुताबिक़ चलते हैं.. ऐसे ही तू भी बस अपने भाई से डरती रहती है.. मैं तुमको यकीन दिलाती हूँ कि वो कुछ नहीं कहेंगे तुझे. और अगर कोई ऐसी-वैसी बात की.. तो मैं खुद उनको सम्भाल लूँगी.. और फिर अपना घर तो इस सबकी प्रैक्टिस करने के लिए सबसे अच्छी जगह है..

जाहिरा शायद मेरी बात समझ गई थी.. मैंने उससे कहा- अभी आज तू मेरी वाली यही लेग्गी पहन ले.. फिर मैं तुझे तेरी साइज़ की और भी प्यारी प्यारी सी नई ला दूँगी।

जाहिरा शर्मा गई लेकिन कुछ बोली नहीं। फिर मैं उसे लेकर रसोई में आ गई और हम लोग खाना तैयार करने लगे.. क्योंकि फैजान के आने का टाइम भी हो रहा था। काम करते हुए जाहिरा थोड़ा घबरा भी रही थी.. एक-दो बार उसने मुझसे कहा भी कि भाभी मैं चेंज करना चाहती हूँ.. लेकिन मैंने बड़ी मुश्किल से उसे मना ही लिया कि वो आज अपने भाई के सामने भी यह लेग्गी पहनेगी।

जैसे ही डोर पर फैजान की बेल बजी.. तो जाहिरा ने मुझसे कहा- जाओ दरवाज़ा आप ही खोलो।

खुद वो रसोई मैं ही रुक गई। मैंने मुस्करा कर उसे देखा और फिर दरवाजा खोलने बाहर आ गई। मैंने दरवाज़ा खोल कर जैसे ही फैजान अपनी बाइक पार्क कर रहा था.. तो मैंने उसे बताया।

मैं- फैजान.. देखो आज जाहिरा ने बहुत मुश्किल से हिम्मत करके लेग्गी पहनी है.. तुम से बहुत डर रही थी.. बस तुम को उसकी तरफ कोई तवज्जो नहीं देनी और ना ही उससे कुछ कहना.. ना कोई कमेंट देना है.. और उसकी तरफ ऐसे ही नॉर्मल रहना है.. जैसे कि रोज़ उससे व्यवहार करते हो.. ताकि वो थोड़ी सामान्य हो जाए और आहिस्ता-आहिस्ता इस नई ड्रेसिंग की आदी हो सके। अगर तुमने कोई ऐसी-वैसी बात की.. तो फिर वो दोबारा से अपनी पहली वाली लाइफ में चली जाएगी।

मुझे पता था कि फैजान के लिए अपनी बहन की टाँगों को टाइट लेगिंग में देखने से खुद को रोकना बहुत मुश्किल हो जाएगा.. लेकिन मैं तो खुद ही उसे थोड़ा और तड़पाना चाहती थी और दूसरी बात यह भी है कि सच में मैं जाहिरा को थोड़ा कंफर्टबल भी करना चाहती थी ताकि आइन्दा भी उसे ऐसे और इससे भी थोड़ा ज्यादा ओपन कपड़े पहनने में आसानी हो सके।

बहरहाल फैजान ने मेरी बात मान ली और बोला- अच्छा ठीक है।
अन्दर आ कर फैजान ने अपने कमरे में जाकर चेंज किया। फिर वो फ्रेश होकर वापिस आया और लंच करने कि लिए बैठ गया।

मैं रसोई में गई और कुछ बर्तन ले आई और फिर जाहिरा को भी खाना लेकर आने का कहा। मैं फैजान के पास बैठ गई और जाहिरा का वेट करने लगी।
.......................................

A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.

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Fuck_Me
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Re: एक भाई की वासना Ek Bhai Ki Vasna

Unread post by Fuck_Me » 19 Aug 2015 11:22

हजरात आपने अभी तक पढ़ा..
मैं- फैजान.. देखो आज जाहिरा ने बहुत मुश्किल से हिम्मत करके लेग्गी पहनी है.. तुम से बहुत डर रही थी.. बस तुम को उसकी तरफ कोई तवज्जो नहीं देनी और ना ही उससे कुछ कहना.. ना कोई कमेंट देना है.. और उसकी तरफ ऐसे ही नॉर्मल रहना है.. जैसे कि रोज़ उससे व्यवहार करते हो.. ताकि वो थोड़ी सामान्य हो जाए और आहिस्ता-आहिस्ता इस नई ड्रेसिंग की आदी हो सके। अगर तुमने कोई ऐसी-वैसी बात की.. तो फिर वो दोबारा से अपनी पहली वाली लाइफ में चली जाएगी।

मुझे पता था कि फैजान के लिए अपनी बहन की टाँगों को टाइट लेगिंग में देखने से खुद को रोकना बहुत मुश्किल हो जाएगा.. लेकिन मैं तो खुद ही उसे थोड़ा और तड़पाना चाहती थी और दूसरी बात यह भी है कि सच में मैं जाहिरा को थोड़ा कंफर्टबल भी करना चाहती थी ताकि आइन्दा भी उसे ऐसे और इससे भी थोड़ा ज्यादा ओपन कपड़े पहनने में आसानी हो सके।

बहरहाल फैजान ने मेरी बात मान ली और बोला- अच्छा ठीक है।
अन्दर आ कर फैजान ने अपने कमरे में जाकर चेंज किया। फिर वो फ्रेश होकर वापिस आया और लंच करने कि लिए बैठ गया।

मैं रसोई में गई और कुछ बर्तन ले आई और फिर जाहिरा को भी खाना लेकर आने का कहा। मैं फैजान के पास बैठ गई और जाहिरा का वेट करने लगी।
अब आगे लुत्फ़ लें..

थोड़ी देर के बाद जाहिरा खाने की ट्रे लेकर आई.. तो उसका चेहरा शर्म से सुर्ख हो रहा था.. लेकिन जैसे ही वो बाहर आई तो फैजान ने उसकी तरफ से अपनी नज़र हटा लीं और अख़बार देखने लगा।

फिर जाहिरा ने खाना टेबल पर रखा और मेरे साथ ही बैठ गई। हम तीनों ने हमेशा की तरह खाना खाना शुरू कर दिया और इधर-उधर की बातें करने लगे।
फैजान जाहिरा से उसकी पढ़ाई और कॉलेज की बातें करने लगा।

आहिस्ता-आहिस्ता जाहिरा भी नॉर्मल होने लगी। उसके चेहरे पर जो परेशानी थी.. वो खत्म होने लगी और वो काफ़ी रिलेक्स हो गई.. क्योंकि उसे अहसास हो गया था कि उसका भाई उससे कुछ नहीं कह रहा है।
सब कुछ वैसा ही हो रहा था.. जैसे कि यह सब एक रुटीन में ही हो।

खाने के दौरान मैंने एक-दो बार जाहिरा को पानी और कुछ और लाने के लिए रसोई में भी भेजा.. ताकि फैजान का रिस्पॉन्स देख सकूँ और वो भी अपनी बहन को पहली बार चुस्त लेग्गी में देख सके।
हुआ भी ऐसा ही कि जैसे ही जाहिरा उठ कर गई.. तो फ़ौरन ही फैजान की नजरें उसकी तरफ चली गईं और वो अपनी बहन की लेग्गी में नज़र आती हुई टाँगों को देखने लगा।

मैं दिल ही दिल में मुस्कुराई और बोली- अच्छी लग रही है ना.. इस पर लेग्गी.. यह तो मैंने उसे अभी अपनी पहनाई है.. अब एक-आध दिन में मैं उसे उसकी साइज़ की ही ला दूँगी।
फैजान थोड़ा सा चौंका और बोला- हाँ ला देना उसे भी..

वो ज़ाहिर यह कर रहा था कि उसे इसमें कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं है कि उसकी बहन ने क्या पहना हुआ है.. लेकिन मैं जानती थी कि उसे भी अपनी बहन को ऐसी ड्रेस में देखने का कितना शौक़ है।
मैंने सारी बातें अपनी और फैजान की कल्पनाओं में ही रहने दीं और खाना खाने लगी.. तभी जाहिरा भी वापिस आ गई।
खाना खाकर मैं और फैजान अपने कमरे में आ गए और जाहिरा अपने कमरे में चली गई।

शाम को हम कमरे से बाहर आए तो जाहिरा चाय बना चुकी हुई थी। वो चाय ले आई और हम लोग टीवी देखते हुए चाय पीने लगे। एक चीज़ देख कर मुझे खुशी हुई कि जाहिरा ने लेग्गी चेंज नहीं की थी और अभी भी उसी लेग्गी में थी। शायद अब वो कंफर्टबल हो गई थी कि इस ड्रेस को पहनने में भी कोई मसला नहीं है।

जब वो टीवी देख रही थी तो उसकी शर्ट भी बेख़याली में उसकी जाँघों तक आ गई थी और मैं नोट कर रही थी कि फैजान की नज़र भी बार-बार उसकी लेग्गी की तरफ ही जा रही थी.. और वो उसकी टाँगों और जाँघों को देखता जाता था।
मैं दिल ही दिल में मुस्करा रही थी कि कैसे एक भाई अपनी बहन के जिस्म को ताक रहा है और इस चीज़ को देख कर मेरे अन्दर एक अजीब सी लज़्ज़त की लहरें दौड़ रही थीं।

मैं इस चीज़ को इसी तरह आहिस्ता-आहिस्ता और भी आगे बढ़ाना चाहती थी। मैं देखना चाहती थी कि एक मर्द की लस्ट और हवस दूसरी औरतों की लिए तो होती ही है.. तो अपनी सग़ी बहन के लिए किस हद तक जा सकती है।

कुछ दिन में जाहिरा अब घर में लेग्गी और जीन्स पहनने की आदी हो गई और बहुत रिलेक्स होकर घर में डोलती फिरती थी। उसके भाई फैजान की तो मजे हो गए थे.. वो अपनी बहन और मुझसे नज़र बचा कर वो जाहिरा की स्मार्ट टाँगों को देखता रहता था।

मैंने जाहिरा को 3-4 लैगीज उसकी साइज़ की ला दी थीं.. जिनमें से एक स्किन कलर की थी.. एक ब्लैक एक रेड और एक वाइट थी।

जब जाहिरा ने अपनी साइज़ की लेग्गी पहनी.. तो वो उस कि जिस्म पर और भी फिट आई और उसमें वो और भी सेक्सी लग रही थी। लेकिन मैंने उसे कुछ भी अहसास नहीं होने दिया। पहले दिन के बाद से अब तक कभी भी मैंने फैजान से दोबारा इस टॉपिक पर बात नहीं की थी और ना ही उसने कोई बात की.. बस वो छुप कर सब कुछ देखता रहता और अपनी बहन के जिस्म के नज़ारे एंजाय करता था।

एक रोज़ मैंने जाहिरा को अपनी एक टी-शर्ट निकाल कर दी कि इसे पहन लो। बहुत इसरार करने की बाद जब उसने वो शर्ट पहनी.. तो वो उसको जरा ढीली थी और उसके चूतड़ों को भी कवर कर रही थी। लेकिन उससे नीचे उसकी जाँघों को बिल्कुल भी नहीं ढक रही थी।
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उसने मेरे कहने पर नीचे लेग्गी पहन ली, उसकी चुस्त लैगी में फंसे हुए उसके चूतड़ों को तो मेरी शर्ट ने कवर कर लिया थी.. लेकिन उससे नीचे उसकी जाँघों और टाँगें और भी सेक्सी और अट्रॅक्टिव लग रही थीं।
उसे देख कर मैंने उसकी तारीफ की और कहा- जाहिरा अब तुमको मैं तुम्हारी साइज़ की फिटिंग वाली टी-शर्ट लाकर दूँगी.. फिर मेरी ननद रानी और भी प्यारी लगेगी।

मैंने जानबूझ कर सेक्सी की बजाय प्यारी का लफ्ज़ इस्तेमाल किया था.. ताकि उसे बुरा ना लगे और मेरी बुलबुल मेरे हाथों से ना निकल जाए।

आज मेरी टी-शर्ट पहन कर उसने अपने भाई का भी जिक्र नहीं किया था.. क्योंकि उसे भी अब पता चल गया था कि उसके भैया भी उसकी ड्रेसिंग पर कोई ऐतराज़ नहीं करते हैं। इसी सोच कि चलते आज उसने लेग्गी के साथ टी-शर्ट पहन कर एक काफ़ी बोल्ड क़दम उठा लिया था।

जब फैजान घर आया.. तो आज जब उसने अपनी बहन को देखा.. तो उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया।
जब वो रसोई में काम करती हुई अपनी बहन को देख रहा था.. मैं बेडरूम से छुप कर देखते हुए उसके चेहरे के भावों को देख रही थी।
कुछ देर तक तो वो ऐसे ही चुपचाप देखता रहा.. फिर अचानक ही इधर-उधर मुझे देखने लगा.. जैसे कि उसे पकड़े जाने का डर हो।
मैंने खुद को पीछे हटा लिया ताकि उसे अपने गलती का अहसास या शर्मिंदगी ना हो।

खाने के दौरान भी जाहिरा थोड़ी सी अनकंफर्टबल थी.. लेकिन फैजान भी चुप-चुप सा था और चोरी-चोरी जाहिरा की टाँगों की तरफ ही देख रहा था।

शाम को जब हम लोग टीवी देख रहे थे.. तो भी फैजान की नजरें अपनी बहन के जिस्म के निचले हिस्से पर ही भटक रही थीं.. क्योंकि आज उसके जिस्म का पहले से ज्यादा हिस्सा नज़र आ रहा था और उसी से अंदाज़ा हो रहा था कि उसकी बहन की जाँघों की शेप कितनी प्यारी है।

फैजान अपनी बहन के जिस्म को देख कर मजे ले रहा था और मैं फैजान की हालत को देख कर एंजाय कर रही थी।
मैं इस अलग किस्म की हवस का नज़ारा कर रही थी।

अब तो जब भी फैजान इस तरह अपनी बहन के जिस्म को देख रहा होता था.. तो मेरे अन्दर भी तड़फ और गर्मी सी पैदा होने लगती थी।
फैजान की नज़र अपनी बहन के जिस्म पर होती थीं.. लेकिन गीलापन मेरी चूत कि अन्दर होने लगता था।
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Re: एक भाई की वासना Ek Bhai Ki Vasna

Unread post by Fuck_Me » 19 Aug 2015 11:23

हजरात आपने अभी तक पढ़ा..
शाम को जब हम लोग टीवी देख रहे थे.. तो भी फैजान की नजरें अपनी बहन के जिस्म के निचले हिस्से पर ही भटक रही थीं.. क्योंकि आज उसके जिस्म का पहले से ज्यादा हिस्सा नज़र आ रहा था और उसी से अंदाज़ा हो रहा था कि उसकी बहन की जाँघों की शेप कितनी प्यारी है।

फैजान अपनी बहन के जिस्म को देख कर मजे ले रहा था और मैं फैजान की हालत को देख कर एंजाय कर रही थी।
मैं इस अलग किस्म की हवस का नज़ारा कर रही थी।
अब तो जब भी फैजान इस तरह अपनी बहन के जिस्म को देख रहा होता था.. तो मेरे अन्दर भी तड़फ और गर्मी सी पैदा होने लगती थी।
फैजान की नज़र अपनी बहन के जिस्म पर होती थीं.. लेकिन गीलापन मेरी चूत कि अन्दर होने लगता था।

अब आगे लुत्फ़ लें..

अब मैंने जाहिरा को नए सलवार कमीज़ भी सिलवा कर दिए। उसकी शर्ट्स अब लेटेस्ट फैशन की मुताबिक़ थीं.. जो कि शॉर्ट लेंग्थ और बहुत ही टाइट सिली हुई थीं।
उसके सीने की उभारों पर बहुत टाइट फिटिंग थीं.. जिसकी वजह से उसकी चूचियां बहुत ज्यादा उभर गई थीं।

कमर पर पीछे ज़िप होने की वजह से उसकी शर्ट उसके जिस्म पर बहुत ही फँस कर आती थी. और शर्ट की लम्बाई भी सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी हाफ जाँघों तक होती थी।
मैंने उसकी रुटीन से हट कर उसके गले को भी थोड़ा डीप और लो नेक करवा दिया था। गला ज्यादा डीप नहीं था.. लेकिन उसका खूबसूरत गोरा-गोरा सीना नंगा नज़र आता था.. लेकिन क्लीवेज या चूचियां नज़र नहीं आती थीं।

ज़ाहिर है कि अभी वो इतनी बोल्ड नहीं हुई थी कि अपनी चूचियों को मेरी तरह से शो करती.. लेकिन यह बात ज़रूर थी कि जब वो झुकती थी.. तो अनायास ही उसकी चूचियां और क्लीवेज का कुछ हिस्सा ज़रूर नज़र आ सकता था।
मुझे तो नज़र आ भी जाता था।

अब अक्सर मैं उसे घर में टाइट कुरती और लेग्गी ही पहनाती थी.. जिसमें उसका जिस्म और भी खिल उठता था। उसका खूबसूरत और सुडौल जिस्म बहुत ज्यादा उभर कर आ जाता था। नीचे उसकी जाँघें और चूतड़ चिपकी हुई लेग्गी में मानो नंगे ही नज़र आ रहे होते और ऊपर से उसके कुरते में फंसे हुए उसके चूचे भी बहुत ही खूबसूरत लगते थे।

आहिस्ता-आहिस्ता मेरी तरह ही उसने भी घर में दुपट्टा लेना छोड़ दिया था। इस तरह की टाइट ड्रेस में अपनी बहन को देख कर तो फैजान की ईद हो जाती थी और उसकी नजरें अपनी बहन के जिस्म पर से हटती ही नहीं थीं।
मुझे महसूस होने लगा था कि आहिस्ता-आहिस्ता जाहिरा को भी पता चल रहा है कि उसका भाई उसके जिस्म को देखता है.. लेकिन कोई ऐतराज़ नहीं करता।

तो उसे भी काफ़ी हद तक रिलेक्स फील होता और वो भी कोई ऐतराज़ ना करती कि भाई देख रहा है तो क्यों देख रहा है।

मैंने यह भी महसूस किया था कि फैजान अपनी बहन के नीचे झुकने का मुंतजिर रहता था.. चाहे वो उसकी आगे को हों या पीछे से.. क्योंकि उसे इस तरह थोड़ी बहुत अपनी बहन की चूचियों की झलक भी नज़र आ जातीं थी।

एक रोज़ ऐसा हुआ कि कॉलेज से आकर जाहिरा ने एक सफ़ेद रंग की कुरती और स्किन कलर की लेगिंग पहन ली। फैजान अभी तक नहीं आया था..
मौसम भी कुछ खराब लग रहा था और इसलिए जाहिरा कॉलेज से खुद ही पहले ही आ गई थी।
मैंने फैजान को भी कॉल कर दी थी कि जाहिरा घर आ गई है.. तो वो भी आ जाएं।
तो फैजान आज ड्यूटी ऑफ करके सीधा ही घर आ गया।

जाहिरा ने जो सफ़ेद कुरती पहनी थी उसके नीचे उसने काली ब्रेजियर पहन ली थी।

गर्मी का मौसम होने की वजह से कुरती भी बहुत ही पतले कपड़े की थी.. लेकिन उसमें से जिस्म सीधे तौर पर नज़र नहीं आता था.. बस हल्की सी झलक ही दिखती थी कि नीचे का बदन कैसा गोरा है।

उसकी बैक और फ्रंट पर उसकी ब्लैक ब्रेजियर की स्ट्रेप्स भी हल्की-हल्की नज़र आती थीं। उसकी कुरती की लम्बाई भी ज्यादा नहीं थी.. हस्ब ए मामूल सिर्फ़ उसकी हाफ जाँघों तक ही थी। नीचे स्किन कलर की लेग्गी में उसकी खूबसूरत टांगें और जाँघें बहुत ही प्यारी लग रही थीं और सेक्सी भी..

अपना ड्रेस चेंज करके जाहिरा हस्ब ए मामूल मेरी साथ रसोई में आकर लग गई। अब मैं उससे ज्यादा ड्रेसिंग की बारे में बात नहीं करती थी.. ताकि वो ईज़ी फील करे और किसी प्रेशर या ज़बरदस्ती की वजह से कोई भी काम ना करे।
यही वजह थी कि कॉलेज के माहौल और मेरे सपोर्ट की वजह से वो काफ़ी हद तक खुल चुकी थी।

सुबह सबके जाने के बाद मैंने कपड़े धो कर बाहर बरामदे में सूखने के लिए लटका दिए थे। बारिश का मौसम हो रहा था.. मुझे ख्याल आया कि मैं कपड़े उतार लाऊँ.. कहीं और ना भीग जाएं।

जैसे ही मैं जाहिरा को बाहर से कपड़े उतार कर लाने का कहने लगी.. तो एकदम एक शैतानी ख्याल मेरे दिमाग में कूदा और मैं हौले से मुस्करा कर चुप होकर खामोश ही रह गई।

वो ही हुआ कि थोड़ी देर में बारिश शुरू हो गई.. लेकिन जाहिरा को नहीं पता था कि बाहर कपड़े सूखने के लिए लटक रहे हैं.. इसलिए उसे उनको उठाने का ख्याल नहीं था.. बारिश थी भी काफ़ी तेज.. थोड़ी देर में ही घंटी बजी.. तो मैंने फ़ौरन ही जा कर गेट खोला और फैजान अपनी बाइक समेत अन्दर आ गया। बारिश की वजह से फैजान पूरी तरह से भीग चुका था। उसकी जीन्स और शर्ट भीग चुकी थी।
वो बोला- आज तो बारिश ने भिगो ही दिया है।
मैं भी मुस्कराई और हम दोनों अन्दर आ गए।

फैजान ने अपनी शर्ट उतारी और एक तरफ रख दी और कुर्सी पर बैठ गया।
अब मैंने जाहिरा को आवाज़ दी- पानी लाओ अपने भैया के लिए।
वो फ़ौरन ही रसोई से पानी का गिलास भर कर ले आई।

जैसे ही फैजान की नज़र अपनी बहन की सेक्सी ड्रेस पर पड़ी.. तो एक लम्हे के लिए तो वो चकित ही हो गया.. लेकिन फिर उसने खुद को सम्भाला और फटाफट पानी का गिलास जाहिरा से पकड़ कर पीने लगा।

जाहिरा वापिस रसोई की तरफ बढ़ी.. तो पानी पीते हुए फैजान की नजरें अपनी बहन के मटकते चूतड़ों और जाँघों पर ही थीं।
मैं हौले-हौले मुस्करा रही थी।

जैसे ही जाहिरा रसोई में जाने लगी.. तो मैंने उसे आवाज़ दे कर रोका और कहा- जाहिरा मुझे याद आया.. मैंने तो कपड़े धोकर बाहर डाले हुए हैं.. जल्दी से जाओ और इनको उतार लाओ.. वर्ना सारे कि सारे भीग जाएंगे।

‘जी भाभी..’ कह कर जाहिरा बाहर सहन की तरफ चली गई और अब मैं अपनी स्कीम के मुताबिक़ हो रहे ड्रामे के अगले हिस्से की मुंतजिर थी।

बाहर तेज बारिश हो रही थी.. गर्मी कि इस मौसम में मेरी ननद जाहिरा अपनी पतली सी कुरती और लेग्गी पहने हुई बाहर से कपड़े उतार रही थी और उसका भाई अन्दर बैठा हुआ था और शायद वो भी मुंतजिर था कि अब उसके सामने क्या सीन आने वाला है।
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