चुदसी आंटी और गान्डू दोस्त sex hindi long story
Re: चुदसी आंटी और गान्डू दोस्त sex hindi long story
फिर मेने दोस्त को आपनी गोद में बैठा लिया और उसकी बानयन भी निकल दी. भैया का प्यारा मुन्ना पूरा नंगा मेरी गोद में बैठ हुवा था. में अजय के फूले हुए गालों को मुख में भर रहा था. मस्त दोस्त की लड़की जैसी जवानी पर में अत्यंत कामुक हो लार टपका रहा था. फिर मेने उसके होंठ आपने होंठों में ले लिए और उन्हें चुभलाने लगा. अजय की च्चती पर बिल्कुल भी बाल नहीं थे जब की मेरी च्चती पर काफ़ी थे. अजय के स्तन हल्के उभार लिए हुए थे. में उन्हें धीरे धीरे दबाता जा रहा था और उसके मुँह में आपनी ज़ुबान तेल रहा था. कभी उसके निपल भी चींटी में ले हल्के मसल देता. मुझे दोस्त का साथ ये सब करने में बहुत मज़ा आ रहा था. तभी मेने हाथ नीचे करके अजय का लंड पकड़ लिया. अजय का लंड बिल्कुल सख़्त था. मेरी इच्छा दोस्त के लंड को देखने की और उससे खिलवाड़ करने की होने लगी. मेने अजय का मुख मेरी ओर करके उसे घुटनों के बाल खड़ा कर लिया. अजय ने आपने हाथ आपने लंड पर रख लिए और आँखें बंद कर ली.
अजय का करीब 10″ लंबा और 3″ मोटा लंड मेरी आँखों के आयेज पूरा ठाना हुवा था. बिल्कुल सीधे लंड के आयेज गुलाबी सूपड़ा बड़ा प्यारा लग रहा था. उसके अंडकोष कड़े थे. अजय की झाँटेन बहुत ही कम थी और उसकी दाढ़ी की तरह बहुत कोमल थी. छ्होटे दोस्त के कठोर मस्तने लंड को देख कर मुझे कोई शक़ नहीं रहा की मेरा दोस्त एक पूर्ण मर्द है, यह अलग बात है की उसके शरीर में कई लड़कियों वाले चिन्ह भी थे जैसे बहुत हल्की दाढ़ी और मूँछचे, लड़कियों जैसे फैले और छोरे नितंब, त्वचा की कोमलता, शरीर में खाश कर चेहरे पर कमसिनी, शर्मिलपन और सबसे बढ़कर बात की मर्दों को देने के लिए लालायित रहना जो उस जैसी उमरा की लड़कियों में कुदराती दें होती है.
मेरे छ्होटे दोस्त का 10″ का मस्ठाना लंड मेरे आयेज ठाना हुवा था. लंड बिल्कुल सीधा और सपाट था. में बहुत खुश था की मेरा दोस्त एक पूर्ण मर्द है. में अजय के लंड को मुट्ठी में भींच उसके कठोर्पन को महसूस करने लगा और बड़े चाव से उसे दबा दबा के देख रहा था. उसके दोनो अंडकोषों को हथेली में रख उपर की ओर झटका दे रहा था. पिच्चे उसके गुदाज चुततादों पर हथेली रख उसे आपनी मर्दानी च्चती पर दबा रहा था और उसके लंड के कडेपन को च्चती पर महसूस कर खुश हो रहा था.
में: “मुन्ना, जितनी मस्त तेरी गान्ड है उतना ही मस्त तेरा यह प्यारा सा लंड है. तू तो पूरा जवान गबरू मर्द है रे. तेरे जैसे मर्डाने दोस्त की मस्ती करते हुए, बोल बोल के गान्ड मारने में जो मज़ा है वा दूसरे किसी की मारने में थोड़ा ही है. अरे मारनी है तो किसी तेरे जैसे कमसिन लौंदे की मारो जिसे मराने में मज़ा आता हो और खुशी खुशी मराए, जिसे पूरा पता हो की उसके साथ क्या हो रहा है. कुच्छ लोग भोले भाले बच्चों को बहला फुसला के आपनी हवस मिटाते हैं तो कुच्छ तो इतने गिर जाते हैं की हिंजदों को पैसे देके उनकी ठोकते हैं और कई तो ऐसे बुद्धों की भी मिल जाती है तो ले लेते हैं जिनकी जवानी ढाल चुकी है और जिनका खड़ा तक नहीं होता. तेरे भैया तो ऐसे लोगों पर थूकते हैं. मुझे तेरे जैसा ही मस्त, मक्खन सा चिकना लौंडा चाहिए था जो पूरा मर्द हो और मराने का शौकीन हो. क्यों पूरा मस्त होके मज़ा लेगा ना?”‘
अजय: “हन भैया. आप भी तो आपना दिखाओ ना.”
“हा मुन्ना तो तू भैया का मुन्ना देखेगा. क्या भैया के साँप के साथ खेलेगा. पर देखना मेरा साँप बहुत ज़ोर से फुफ्कार माराता है, और कहीं उसको तुम्हारा बिल दिख गया तो उसमें फ़ौरन घुस जाएगा.” यह कह मेने पयज़ामे का नाडा खोल दिया और चड्डी सहित पयज़ामा टाँगों से बाहर कर दिया. मेरा 11″ का मस्ठाना लंड अजय की आँखों के आयेज हवा में लहरा उठा. काली काली झांतों के घने गुच्छों के बीच से मेरा लंड बॅमबू की तरह एक दम सीधा होके सर उठाए हुए था. सुरख लाल सुपाड़ा फूल के मुर्गी के अंडे जैसा बड़ा दिख रहा था. नीली नसें फूल के ऐसे लग रही थी जैसे चंदन के तने पर नागिनें लिपटी हुई हो. मेने आपनी स्पोर्ट गांजी भी खोल दी और अजय को मेने आपने बगल में कर लिया और उसके सर को आपनी च्चती पर टीका लिया तथा उसे आपने लंड को जड़ से पकड़ हिला हिला दिखाने लगा. मुन्ना आपने नये खिलौने को बड़े चाव से देख रहा था.
में: “मुन्ना, भैया का यह मस्ठाना लंड ठीक से देख ले. खूब प्यार से इसके साथ खेल. क्यों पसंद आया ना? बठाना कैसा लगा भैया का लॅंड.”
अजय: “भैया आपका तो बहुत बड़ा और मोटा है.”
में हंसते हुए, “क्यों ऐसा बड़ा लंड गाँव में कभी देखा नहीं? एक बार इससे मरवा लेगा ना तो गाँवलों को भूल जाएगा और दोस्त के लंड का दीवाना हो जाएगा.”
अजय: “भैया मेने सारे गाँववालों के थोड़े ही देखें हैं. भैया आप भी…. में तो बस दो लोगों के साथ कभी………. कभी……..”
“अरे तू तो बुरा मन गया. अब में आपने लंड के शौकीन दोस्त को लंड के लिए किसी का मुँह नहीं ताकने दूँगा. मेरा यह हल्लाबी लंड एक बार भी तेरे अंदर चला गयाना तो छ्होटे मोटे लंड से तो तेरी गान्ड की खुजली मितेगी भी नहीं. बड़ी मस्ती से आज तेरी माअरूँगा. तू भी क्या याद रखेगा की आज तो किसी पक्के लौंडेबाज़ से पाला पड़ा है. तेरी औरातों जैसी फूली गान्ड को तो ऐसा ही मस्ठाना सोता चाहिए.” यह कह मेने अजय के एक गाल को मुख में ले लिया और उसे चूसने लगा. मेरी आँखें वासना के अतिरेक से लाल हो उठी. में बहुत ही कामुक अंदाज़ में आपने इस कमसिन लौंदे पर लार टपका रहा था और बहुत खुल के उससे गान्ड मारने की बात कर रहा था.
में: “ले दोस्त के गुड्डे से खेल.” अजय ने एक हाथ नीचे कर मेरे लंड को जड़ से पकड़ लिया और उस पर मुट्ठी कस ली. अब वा लंड को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
में: “क्यों एक दम मस्त है ना? देख तेरी गान्ड में जाने के लिए कैसे मचल रहा है? आज तेरी इतने प्यार से माअरूँगा की आपने उन दोनो दोस्तों की तुझे काभी भी याद नहीं आएगी. जितनी दिल खोल के मरवाएगाना तुझे उतना ही मज़ा आएगा.”
अजय: “भैया आपका कितना मोटा और कड़ा है. बहुत दर्द होगा ना?”
में: “अरे चिंता मत कर. तेरी इतने प्यार से लूँगा की तुझे पता ही नहीं चलेगा की कब तेरी गान्ड मेरे पुर लंड को लील गई. मेरे प्यारे मुन्ने को दर्द थोड़े ही होने दूँगा. आख़िर तेरा बड़ा दोस्त हूँ तेरा दर्द मेरा दर्द.”
“भैया आप कितने अच्छे हैं. मुझे कितना प्यार करते हैं. इतना प्यार तो मुझे किसी ने नहीं किया.” यह कह अजय दोनो हाथों से मेरे लंड को सहलाने लगा, मरोड़ने लगा, लंड की चाँदी उपर नीचे करने लगा.
में: “अरे तू प्यार करने की चीज़ ही है. तू इतना प्यारा, नाज़ुक और एक दम नही नई जवान हुई लड़की जैसा है. उससे भी बढ़ कर तेरे पास भी मर्दों जैसा मस्ठाना लंड है. तेरे जैसे के साथ ही लौंडेबाज़ी का असली मज़ा है.” यह कह मेने पास की साइड टेबल पर पड़ी आपनी ब्रीफकेस आपनी गोद में रख खोली और कॉंडम का पॅकेट और वॅसलीन का जर उसमें से निकाल लिया.
अजय का करीब 10″ लंबा और 3″ मोटा लंड मेरी आँखों के आयेज पूरा ठाना हुवा था. बिल्कुल सीधे लंड के आयेज गुलाबी सूपड़ा बड़ा प्यारा लग रहा था. उसके अंडकोष कड़े थे. अजय की झाँटेन बहुत ही कम थी और उसकी दाढ़ी की तरह बहुत कोमल थी. छ्होटे दोस्त के कठोर मस्तने लंड को देख कर मुझे कोई शक़ नहीं रहा की मेरा दोस्त एक पूर्ण मर्द है, यह अलग बात है की उसके शरीर में कई लड़कियों वाले चिन्ह भी थे जैसे बहुत हल्की दाढ़ी और मूँछचे, लड़कियों जैसे फैले और छोरे नितंब, त्वचा की कोमलता, शरीर में खाश कर चेहरे पर कमसिनी, शर्मिलपन और सबसे बढ़कर बात की मर्दों को देने के लिए लालायित रहना जो उस जैसी उमरा की लड़कियों में कुदराती दें होती है.
मेरे छ्होटे दोस्त का 10″ का मस्ठाना लंड मेरे आयेज ठाना हुवा था. लंड बिल्कुल सीधा और सपाट था. में बहुत खुश था की मेरा दोस्त एक पूर्ण मर्द है. में अजय के लंड को मुट्ठी में भींच उसके कठोर्पन को महसूस करने लगा और बड़े चाव से उसे दबा दबा के देख रहा था. उसके दोनो अंडकोषों को हथेली में रख उपर की ओर झटका दे रहा था. पिच्चे उसके गुदाज चुततादों पर हथेली रख उसे आपनी मर्दानी च्चती पर दबा रहा था और उसके लंड के कडेपन को च्चती पर महसूस कर खुश हो रहा था.
में: “मुन्ना, जितनी मस्त तेरी गान्ड है उतना ही मस्त तेरा यह प्यारा सा लंड है. तू तो पूरा जवान गबरू मर्द है रे. तेरे जैसे मर्डाने दोस्त की मस्ती करते हुए, बोल बोल के गान्ड मारने में जो मज़ा है वा दूसरे किसी की मारने में थोड़ा ही है. अरे मारनी है तो किसी तेरे जैसे कमसिन लौंदे की मारो जिसे मराने में मज़ा आता हो और खुशी खुशी मराए, जिसे पूरा पता हो की उसके साथ क्या हो रहा है. कुच्छ लोग भोले भाले बच्चों को बहला फुसला के आपनी हवस मिटाते हैं तो कुच्छ तो इतने गिर जाते हैं की हिंजदों को पैसे देके उनकी ठोकते हैं और कई तो ऐसे बुद्धों की भी मिल जाती है तो ले लेते हैं जिनकी जवानी ढाल चुकी है और जिनका खड़ा तक नहीं होता. तेरे भैया तो ऐसे लोगों पर थूकते हैं. मुझे तेरे जैसा ही मस्त, मक्खन सा चिकना लौंडा चाहिए था जो पूरा मर्द हो और मराने का शौकीन हो. क्यों पूरा मस्त होके मज़ा लेगा ना?”‘
अजय: “हन भैया. आप भी तो आपना दिखाओ ना.”
“हा मुन्ना तो तू भैया का मुन्ना देखेगा. क्या भैया के साँप के साथ खेलेगा. पर देखना मेरा साँप बहुत ज़ोर से फुफ्कार माराता है, और कहीं उसको तुम्हारा बिल दिख गया तो उसमें फ़ौरन घुस जाएगा.” यह कह मेने पयज़ामे का नाडा खोल दिया और चड्डी सहित पयज़ामा टाँगों से बाहर कर दिया. मेरा 11″ का मस्ठाना लंड अजय की आँखों के आयेज हवा में लहरा उठा. काली काली झांतों के घने गुच्छों के बीच से मेरा लंड बॅमबू की तरह एक दम सीधा होके सर उठाए हुए था. सुरख लाल सुपाड़ा फूल के मुर्गी के अंडे जैसा बड़ा दिख रहा था. नीली नसें फूल के ऐसे लग रही थी जैसे चंदन के तने पर नागिनें लिपटी हुई हो. मेने आपनी स्पोर्ट गांजी भी खोल दी और अजय को मेने आपने बगल में कर लिया और उसके सर को आपनी च्चती पर टीका लिया तथा उसे आपने लंड को जड़ से पकड़ हिला हिला दिखाने लगा. मुन्ना आपने नये खिलौने को बड़े चाव से देख रहा था.
में: “मुन्ना, भैया का यह मस्ठाना लंड ठीक से देख ले. खूब प्यार से इसके साथ खेल. क्यों पसंद आया ना? बठाना कैसा लगा भैया का लॅंड.”
अजय: “भैया आपका तो बहुत बड़ा और मोटा है.”
में हंसते हुए, “क्यों ऐसा बड़ा लंड गाँव में कभी देखा नहीं? एक बार इससे मरवा लेगा ना तो गाँवलों को भूल जाएगा और दोस्त के लंड का दीवाना हो जाएगा.”
अजय: “भैया मेने सारे गाँववालों के थोड़े ही देखें हैं. भैया आप भी…. में तो बस दो लोगों के साथ कभी………. कभी……..”
“अरे तू तो बुरा मन गया. अब में आपने लंड के शौकीन दोस्त को लंड के लिए किसी का मुँह नहीं ताकने दूँगा. मेरा यह हल्लाबी लंड एक बार भी तेरे अंदर चला गयाना तो छ्होटे मोटे लंड से तो तेरी गान्ड की खुजली मितेगी भी नहीं. बड़ी मस्ती से आज तेरी माअरूँगा. तू भी क्या याद रखेगा की आज तो किसी पक्के लौंडेबाज़ से पाला पड़ा है. तेरी औरातों जैसी फूली गान्ड को तो ऐसा ही मस्ठाना सोता चाहिए.” यह कह मेने अजय के एक गाल को मुख में ले लिया और उसे चूसने लगा. मेरी आँखें वासना के अतिरेक से लाल हो उठी. में बहुत ही कामुक अंदाज़ में आपने इस कमसिन लौंदे पर लार टपका रहा था और बहुत खुल के उससे गान्ड मारने की बात कर रहा था.
में: “ले दोस्त के गुड्डे से खेल.” अजय ने एक हाथ नीचे कर मेरे लंड को जड़ से पकड़ लिया और उस पर मुट्ठी कस ली. अब वा लंड को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
में: “क्यों एक दम मस्त है ना? देख तेरी गान्ड में जाने के लिए कैसे मचल रहा है? आज तेरी इतने प्यार से माअरूँगा की आपने उन दोनो दोस्तों की तुझे काभी भी याद नहीं आएगी. जितनी दिल खोल के मरवाएगाना तुझे उतना ही मज़ा आएगा.”
अजय: “भैया आपका कितना मोटा और कड़ा है. बहुत दर्द होगा ना?”
में: “अरे चिंता मत कर. तेरी इतने प्यार से लूँगा की तुझे पता ही नहीं चलेगा की कब तेरी गान्ड मेरे पुर लंड को लील गई. मेरे प्यारे मुन्ने को दर्द थोड़े ही होने दूँगा. आख़िर तेरा बड़ा दोस्त हूँ तेरा दर्द मेरा दर्द.”
“भैया आप कितने अच्छे हैं. मुझे कितना प्यार करते हैं. इतना प्यार तो मुझे किसी ने नहीं किया.” यह कह अजय दोनो हाथों से मेरे लंड को सहलाने लगा, मरोड़ने लगा, लंड की चाँदी उपर नीचे करने लगा.
में: “अरे तू प्यार करने की चीज़ ही है. तू इतना प्यारा, नाज़ुक और एक दम नही नई जवान हुई लड़की जैसा है. उससे भी बढ़ कर तेरे पास भी मर्दों जैसा मस्ठाना लंड है. तेरे जैसे के साथ ही लौंडेबाज़ी का असली मज़ा है.” यह कह मेने पास की साइड टेबल पर पड़ी आपनी ब्रीफकेस आपनी गोद में रख खोली और कॉंडम का पॅकेट और वॅसलीन का जर उसमें से निकाल लिया.
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अजय: “भैया आप्टो पूरी तैयारी करके आए हो.”
में: “तैयारी तो करनी ही पड़ती है. तेरे जैसे चिकने दोस्त की तो खूब चिकनी कर के ही लेनी होगी ना. अब तो दर नहीं लग रहा है ना? क्यों पूरा तैयार है ना?”
यह कहके मेने कॉंडम के पॅकेट से एक कॉंडम निकाल ली और आपने लंड पर चढ़ा ली. यह बहुत ही झीनी हाइ क्वालिटी की कॉंडम थी, चढ़ने के बाद पता ही नहीं चल रहा था की लंड पर कॉंडम चढ़ि हुई है. कॉंडम चढ़ने के बाद लंड बिल्कुल चिकना प्लास्टिक के डंडे जैसा लग रहा था. तभी मेने अजय को झुका लिया और उसकी गान्ड की दरार में अंगुल फेरने लगा. फिर वॅसलीन का जर खोला और अंगुल में ढेर सारी वॅसलीन लेकर अजय की गान्ड पर लगा दी. गान्ड में आधी के करीब अंगुल घुसा और फिर ढेर सी वॅसलीन अंगुल में लगा उसकी गान्ड में वापस अंगुल घुसा दी. थोड़ी देर गान्ड के अंदर चारों ओर अंगुल घुमा गान्ड अंदर से अच्छी तरह से चिकनी कर दी. फिर मेने ढेर सी वॅसलीन आपने लंड पर भी चुप़ड़ ली. अब में आपने छ्होटे दोस्त पर चढ़ने के लिए पूरा तैयार था.
में अजय के पिच्चे आ गया और घुटनों के बाल उसके पिच्चे खड़ा हो आपने लंड का सुपाड़ा उसकी गान्ड के खुले च्छेद पर टीका दिया. धीरे धीरे लंड को अंदर ठेलने की कोशिश करने लगा पर मेरा मोटा सूपड़ा उसके अंदर नहीं जा रहा था. थोड़ा और ज़ोर लगाया तो मुश्किल से लंड मूंद उसकी गान्ड में अटक भर पाया. मूंद अटकते ही एक बार अजय नीचे कसमासाया पर शांत हो गया. अब मेने लंड निकल लिया और थोड़ी वॅसलीन लंड पर ओर लगा ली. इस बार वापस चढ़ के थोड़ा ज़्यादा ज़ोर लगाया तो सुपाड़ा पूरा अंदर समा गया. सुपाड़ा समाते ही झट मेने पूरा लंड वापस निकाल लिया. अजय की गान्ड का च्छेद पूरा खुला हुवा था. हल्की गुलाबी वॅसलीन गान्ड में मति हुई थी.
में: “मुन्ना तेरी गान्ड तो बहुत टाइट है, मारने में पूरा मज़ा आएगा. तू चिंता मत कर. पूरी चिकनी कर के खूब आराम से मारूँगा.”
अजय: “भैया धीरे धीरे करना. आपका बहुत मोटा है.” अजय की गान्ड पर थोड़ी सी और वॅसलीन लगा में दोस्त पर फिर चढ़ गया. इस बार गान्ड पर लंड रख थोड़ा दबाते ही लंड मूंद भीतर समा गया. अब मेने दो टीन बार उसकी गान्ड में लंड घुमा कर थोड़ी जगह बना ली और भीतर ज़ोर देने लगा. अजय भी गान्ड ढीली छोड़ रहा था. नतीज़ा यह हुवा की धीरे धीरे लंड अंदर सरकने लगा. आधा के करीब जब लंड अंदर समा गया तब में आधा लंड ही गान्ड में थोड़ा थोड़ा अंदर बाहर करने लगा. फिर मेने पूरा लंड वापस निकाल लिया. इस बार लंड और गान्ड पर फिर अच्छी तरह से वॅसलीन चुपड़ी और दोस्त का पूरा किला फ़तह करने फिर उस पर सवार हो गया.
दोस्त पर चढ़ते ही मेने लंड गान्ड में छापना शुरू कर दिया. अजय की गान्ड का च्छेद पूरा खुल के चौड़ा हो चुका था. अजय गान्ड मराने का आदि था. उसे पता था की गान्ड को कैसे खुला छोड़ा जाता है ताकि वा लंड को लील सके. मेरा लंड दोस्त की गान्ड में साँप की तरह रेंगता हुवा अंदर जा रहा था. जब टीन चोथाई लंड आराम से अंदर सम गया तो में 2-3 इंच बाहर निकलता और वापस भीतर पेल देता. इससे गान्ड में ओर जगह बनती गई ओर जल्द ही मुझे महसूस हुवा की मेरे लंड की जड़ अजय के चुततादों से टकराने लगी है. इसका मतलब मेरा 11″ का हल्लाबी लॅंड मेरे मासूम दोस्त की गान्ड में जड़ तक समा गया है ओर पत्ते ने इस बीच चूं तक नही की.
“मुन्ना मन गये तुमको, पक्का गान्डू है तू. पूरा का पूरा आपने भीतर ले लिया और चूं छाप़ड़ तक नहीं की.” में मुन्ना का शौक देख जोश में भाट गया और ज़ोर ज़ोर से लंड उसकी गान्ड में बाहर भीतर करने लगा. लंड और गान्ड दोनो ही अत्यंत चिकनी वॅसलीन में चूप़ड़े हुए थे इसलिए ‘पच्छ‚ ‘पच्छ‚ कराता मेरा लंड लोकोमोटिव के पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था. अब मुझे छ्होटे दोस्त की मस्त गान्ड मारने का पूरा मज़ा मिल रहा था. अब अजय भी मेरे धक्कोन का जबाब गान्ड पिच्चे तेल देने लगा. में ताबड़तोड़ गान्ड मारे जा रहा था और मुन्ना मस्त होके मारा रहा था.
में: “क्यों मुन्ना भैया से गान्ड मराने में मज़ा आ रहा है ना? किसीने इतने प्यार से आज से पहले तेरी मारी थी क्या. भैया का इतना लंबा और मोटा लॅंड देख कितने आराम से भीतर जा रहा है.”
अजय: “आपसे कराने में बहुत मज़ा आ रहा है, अब कभी भी आपके साइवा किसीसे नहीं करौंगा.” अजय की इस बात से में दुगने जोश में भर धुनवाधार तरीके से उसकी गान्ड चोदने लगा. मेने उसकी च्चती पर आपनी बाँहें कस ली और ज़ोर ज़ोर से आपना लंड उसकी गान्ड में पेलने लगा.
में: “तेरी मारके तो बहुत मज़ा आ रहा है. अरे तेरी कसी गान्ड तो कुँवारी छ्छोकरी की चुत जैसी टाइट है. देख मेरा लॅंड तेरी गान्ड में कैसे फ़च फ़च करके जा रहा है. अरे मुन्ना मेरे लंड को आपनी गान्ड में कस ले रे. अब तेरे भैया का माल निकालने वाला है. आज जैसा मज़ा पहले कभी नहीं आया. अरे मेने तो मूठ मार मारके यूँ ही ना जाने कितना माल बर्बाद कर दिया. आज से तो तू मेरी लुगाई बन गया है. अब जब भी खड़ा होगा तो तेरे पर ही चढ़ूंगा रे. वा क्या मस्त और चिकना है मेरा दोस्त. जीतने प्यार से तूने गान्ड मराई है उतने प्यार से तो घर की औरात भी ना चुद़वाए. साली देने के पहले 100 नखरे दिखाती है और दुनिया की फरमाशें रख देती है.” अब में झड़ने की कगार पर था. मेरे धक्कोन की बढ़ता बढ़ गई. लंड से पिघला लावा बहने लगा. मेने 4-5 कस के धाक्के मारे और में सिथिल पड़ता गया. फिर में मुन्ना पर से उतार बेड पर बैठ गया. लंड से कॉंडम निकल साइड टेबल पर रख दी. मेरा लंड काफ़ी मुरझा चुका था. में पास में ही घुटनों के बाल बैठे अजय की ओर देख रहा था. मेरी चेहरे पर पूर्ण तृप्ति के भाव थे. में कई बार मूठ माराता रहता हूँ पर जीवन में आज जैसा मज़ा मिला वैसा कभी भी नहीं मिला.
“क्यों मुन्ना खाली लोगों को ही मज़ा देते हो या इसका भी मज़ा लेते हो?” मेने अजय के लंड को पकड़ते हुए उससे पूछा. अजय का लंड बिल्कुल ठाना हुवा था और फूल के एकदम कड़ा था.
अजय: “भैया मेरे से करने के बाद वे लोग मेरी मूठ मार देते थे.”
में: “अरे तुम तो आपनी गान्ड ठुकवाते हो और खुद मूठ मरवा के राज़ी हो जाते हो. क्या कभी बदले में उन दोनो मातेरचोड़ों की नहीं मारी जो गाँव में मेरे प्यारे मुन्ना की माराते थे. मूठ तो तुम खुद ही मार सकते हो.”
अजय: “नहीं भैया मुझे खुद मूठती मार के मज़ा नहीं आता दूसरे लोग मेरी मूठ माराते हैं तब मज़ा आता है.”
“अरे आज तो तूने मेरी तबीयत खुश कर दी. चल आज में तुझे ऐसा मज़ा दूँगा की तू भी क्या याद रखेगा की भैया ने तेरी फोकट में नहीं मारी.” यह कह के अजय को मेने मेरे सामने बेड पर घुटनों के बाल खड़ा कर लिया और प्यार से उसके लंड को पकड़ हल्के हल्के सहलाने लगा. लंड की चमड़ी उपर नीचे कर रहा था और गुलाबी फूले सुपादे पर आपनी अंगुल फेर रहा था. तभी में नीचे झुका और मुन्ना के मस्त लंड मूंद पर आपनी जीभ फिरने लगा. फिर मुख गोल करके सुपारा मुख के बाहर भीतर करने लगा. जब लंड मेरे थूक से ठीक तरह से गीला हो गया तब में उसके लंड को धीरे धीरे मुख में लेने लगा.
अजय: “भैया यह क्या कर रहे हैं? इसे आपने मुख से निकाल दीजिए. मेरे इस गंदे को मुख में मत लीजिए. मुझे बहुत शरम आ रही है.”
में: “अरे मुन्ना जिससे प्यार होता है उसकी किसी चीज़ से घृणा नहीं हो सकती. में तेरे से बहुत प्यार कराता हूँ; तुम्हारी किसी चीज़ से घृणा नहीं हो सकती. फिर यह तो तुम्हारा इतना प्यारा लंड है. जितना प्यार मुझे तुमसे है, तुम्हारी गान्ड से है, उतना ही तुम्हारे लंड से है, तुम्हारे लंड के रस से है. उन दोनो छूतियों का क्या उन्हें तो आपनी मस्ती करनी थी सो तुम्हारी मारी ओर अलग हो गये. मूठ तो तुम्हारी इसलिए मार देते थे की उन्हें आयेज भी तेरी गान्ड मारनी थी. उन्हे तुमसे प्यार थोड़े ही था. अब कुच्छ भी मत बोल और देख भैया तुझे कैसा मज़ा देते हैं.”
में: “तैयारी तो करनी ही पड़ती है. तेरे जैसे चिकने दोस्त की तो खूब चिकनी कर के ही लेनी होगी ना. अब तो दर नहीं लग रहा है ना? क्यों पूरा तैयार है ना?”
यह कहके मेने कॉंडम के पॅकेट से एक कॉंडम निकाल ली और आपने लंड पर चढ़ा ली. यह बहुत ही झीनी हाइ क्वालिटी की कॉंडम थी, चढ़ने के बाद पता ही नहीं चल रहा था की लंड पर कॉंडम चढ़ि हुई है. कॉंडम चढ़ने के बाद लंड बिल्कुल चिकना प्लास्टिक के डंडे जैसा लग रहा था. तभी मेने अजय को झुका लिया और उसकी गान्ड की दरार में अंगुल फेरने लगा. फिर वॅसलीन का जर खोला और अंगुल में ढेर सारी वॅसलीन लेकर अजय की गान्ड पर लगा दी. गान्ड में आधी के करीब अंगुल घुसा और फिर ढेर सी वॅसलीन अंगुल में लगा उसकी गान्ड में वापस अंगुल घुसा दी. थोड़ी देर गान्ड के अंदर चारों ओर अंगुल घुमा गान्ड अंदर से अच्छी तरह से चिकनी कर दी. फिर मेने ढेर सी वॅसलीन आपने लंड पर भी चुप़ड़ ली. अब में आपने छ्होटे दोस्त पर चढ़ने के लिए पूरा तैयार था.
में अजय के पिच्चे आ गया और घुटनों के बाल उसके पिच्चे खड़ा हो आपने लंड का सुपाड़ा उसकी गान्ड के खुले च्छेद पर टीका दिया. धीरे धीरे लंड को अंदर ठेलने की कोशिश करने लगा पर मेरा मोटा सूपड़ा उसके अंदर नहीं जा रहा था. थोड़ा और ज़ोर लगाया तो मुश्किल से लंड मूंद उसकी गान्ड में अटक भर पाया. मूंद अटकते ही एक बार अजय नीचे कसमासाया पर शांत हो गया. अब मेने लंड निकल लिया और थोड़ी वॅसलीन लंड पर ओर लगा ली. इस बार वापस चढ़ के थोड़ा ज़्यादा ज़ोर लगाया तो सुपाड़ा पूरा अंदर समा गया. सुपाड़ा समाते ही झट मेने पूरा लंड वापस निकाल लिया. अजय की गान्ड का च्छेद पूरा खुला हुवा था. हल्की गुलाबी वॅसलीन गान्ड में मति हुई थी.
में: “मुन्ना तेरी गान्ड तो बहुत टाइट है, मारने में पूरा मज़ा आएगा. तू चिंता मत कर. पूरी चिकनी कर के खूब आराम से मारूँगा.”
अजय: “भैया धीरे धीरे करना. आपका बहुत मोटा है.” अजय की गान्ड पर थोड़ी सी और वॅसलीन लगा में दोस्त पर फिर चढ़ गया. इस बार गान्ड पर लंड रख थोड़ा दबाते ही लंड मूंद भीतर समा गया. अब मेने दो टीन बार उसकी गान्ड में लंड घुमा कर थोड़ी जगह बना ली और भीतर ज़ोर देने लगा. अजय भी गान्ड ढीली छोड़ रहा था. नतीज़ा यह हुवा की धीरे धीरे लंड अंदर सरकने लगा. आधा के करीब जब लंड अंदर समा गया तब में आधा लंड ही गान्ड में थोड़ा थोड़ा अंदर बाहर करने लगा. फिर मेने पूरा लंड वापस निकाल लिया. इस बार लंड और गान्ड पर फिर अच्छी तरह से वॅसलीन चुपड़ी और दोस्त का पूरा किला फ़तह करने फिर उस पर सवार हो गया.
दोस्त पर चढ़ते ही मेने लंड गान्ड में छापना शुरू कर दिया. अजय की गान्ड का च्छेद पूरा खुल के चौड़ा हो चुका था. अजय गान्ड मराने का आदि था. उसे पता था की गान्ड को कैसे खुला छोड़ा जाता है ताकि वा लंड को लील सके. मेरा लंड दोस्त की गान्ड में साँप की तरह रेंगता हुवा अंदर जा रहा था. जब टीन चोथाई लंड आराम से अंदर सम गया तो में 2-3 इंच बाहर निकलता और वापस भीतर पेल देता. इससे गान्ड में ओर जगह बनती गई ओर जल्द ही मुझे महसूस हुवा की मेरे लंड की जड़ अजय के चुततादों से टकराने लगी है. इसका मतलब मेरा 11″ का हल्लाबी लॅंड मेरे मासूम दोस्त की गान्ड में जड़ तक समा गया है ओर पत्ते ने इस बीच चूं तक नही की.
“मुन्ना मन गये तुमको, पक्का गान्डू है तू. पूरा का पूरा आपने भीतर ले लिया और चूं छाप़ड़ तक नहीं की.” में मुन्ना का शौक देख जोश में भाट गया और ज़ोर ज़ोर से लंड उसकी गान्ड में बाहर भीतर करने लगा. लंड और गान्ड दोनो ही अत्यंत चिकनी वॅसलीन में चूप़ड़े हुए थे इसलिए ‘पच्छ‚ ‘पच्छ‚ कराता मेरा लंड लोकोमोटिव के पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था. अब मुझे छ्होटे दोस्त की मस्त गान्ड मारने का पूरा मज़ा मिल रहा था. अब अजय भी मेरे धक्कोन का जबाब गान्ड पिच्चे तेल देने लगा. में ताबड़तोड़ गान्ड मारे जा रहा था और मुन्ना मस्त होके मारा रहा था.
में: “क्यों मुन्ना भैया से गान्ड मराने में मज़ा आ रहा है ना? किसीने इतने प्यार से आज से पहले तेरी मारी थी क्या. भैया का इतना लंबा और मोटा लॅंड देख कितने आराम से भीतर जा रहा है.”
अजय: “आपसे कराने में बहुत मज़ा आ रहा है, अब कभी भी आपके साइवा किसीसे नहीं करौंगा.” अजय की इस बात से में दुगने जोश में भर धुनवाधार तरीके से उसकी गान्ड चोदने लगा. मेने उसकी च्चती पर आपनी बाँहें कस ली और ज़ोर ज़ोर से आपना लंड उसकी गान्ड में पेलने लगा.
में: “तेरी मारके तो बहुत मज़ा आ रहा है. अरे तेरी कसी गान्ड तो कुँवारी छ्छोकरी की चुत जैसी टाइट है. देख मेरा लॅंड तेरी गान्ड में कैसे फ़च फ़च करके जा रहा है. अरे मुन्ना मेरे लंड को आपनी गान्ड में कस ले रे. अब तेरे भैया का माल निकालने वाला है. आज जैसा मज़ा पहले कभी नहीं आया. अरे मेने तो मूठ मार मारके यूँ ही ना जाने कितना माल बर्बाद कर दिया. आज से तो तू मेरी लुगाई बन गया है. अब जब भी खड़ा होगा तो तेरे पर ही चढ़ूंगा रे. वा क्या मस्त और चिकना है मेरा दोस्त. जीतने प्यार से तूने गान्ड मराई है उतने प्यार से तो घर की औरात भी ना चुद़वाए. साली देने के पहले 100 नखरे दिखाती है और दुनिया की फरमाशें रख देती है.” अब में झड़ने की कगार पर था. मेरे धक्कोन की बढ़ता बढ़ गई. लंड से पिघला लावा बहने लगा. मेने 4-5 कस के धाक्के मारे और में सिथिल पड़ता गया. फिर में मुन्ना पर से उतार बेड पर बैठ गया. लंड से कॉंडम निकल साइड टेबल पर रख दी. मेरा लंड काफ़ी मुरझा चुका था. में पास में ही घुटनों के बाल बैठे अजय की ओर देख रहा था. मेरी चेहरे पर पूर्ण तृप्ति के भाव थे. में कई बार मूठ माराता रहता हूँ पर जीवन में आज जैसा मज़ा मिला वैसा कभी भी नहीं मिला.
“क्यों मुन्ना खाली लोगों को ही मज़ा देते हो या इसका भी मज़ा लेते हो?” मेने अजय के लंड को पकड़ते हुए उससे पूछा. अजय का लंड बिल्कुल ठाना हुवा था और फूल के एकदम कड़ा था.
अजय: “भैया मेरे से करने के बाद वे लोग मेरी मूठ मार देते थे.”
में: “अरे तुम तो आपनी गान्ड ठुकवाते हो और खुद मूठ मरवा के राज़ी हो जाते हो. क्या कभी बदले में उन दोनो मातेरचोड़ों की नहीं मारी जो गाँव में मेरे प्यारे मुन्ना की माराते थे. मूठ तो तुम खुद ही मार सकते हो.”
अजय: “नहीं भैया मुझे खुद मूठती मार के मज़ा नहीं आता दूसरे लोग मेरी मूठ माराते हैं तब मज़ा आता है.”
“अरे आज तो तूने मेरी तबीयत खुश कर दी. चल आज में तुझे ऐसा मज़ा दूँगा की तू भी क्या याद रखेगा की भैया ने तेरी फोकट में नहीं मारी.” यह कह के अजय को मेने मेरे सामने बेड पर घुटनों के बाल खड़ा कर लिया और प्यार से उसके लंड को पकड़ हल्के हल्के सहलाने लगा. लंड की चमड़ी उपर नीचे कर रहा था और गुलाबी फूले सुपादे पर आपनी अंगुल फेर रहा था. तभी में नीचे झुका और मुन्ना के मस्त लंड मूंद पर आपनी जीभ फिरने लगा. फिर मुख गोल करके सुपारा मुख के बाहर भीतर करने लगा. जब लंड मेरे थूक से ठीक तरह से गीला हो गया तब में उसके लंड को धीरे धीरे मुख में लेने लगा.
अजय: “भैया यह क्या कर रहे हैं? इसे आपने मुख से निकाल दीजिए. मेरे इस गंदे को मुख में मत लीजिए. मुझे बहुत शरम आ रही है.”
में: “अरे मुन्ना जिससे प्यार होता है उसकी किसी चीज़ से घृणा नहीं हो सकती. में तेरे से बहुत प्यार कराता हूँ; तुम्हारी किसी चीज़ से घृणा नहीं हो सकती. फिर यह तो तुम्हारा इतना प्यारा लंड है. जितना प्यार मुझे तुमसे है, तुम्हारी गान्ड से है, उतना ही तुम्हारे लंड से है, तुम्हारे लंड के रस से है. उन दोनो छूतियों का क्या उन्हें तो आपनी मस्ती करनी थी सो तुम्हारी मारी ओर अलग हो गये. मूठ तो तुम्हारी इसलिए मार देते थे की उन्हें आयेज भी तेरी गान्ड मारनी थी. उन्हे तुमसे प्यार थोड़े ही था. अब कुच्छ भी मत बोल और देख भैया तुझे कैसा मज़ा देते हैं.”
Re: चुदसी आंटी और गान्डू दोस्त sex hindi long story
यह कह मेने मुन्ना का लंड वापस आपने मुख में ले लिया और आधे के करीब भीतर लेके लंड चुभलाने लगा. मेने अजय के दोनो फूले फूले नितंब आपनी मुति में जाकड़ लिए और आपने मुख को आयेज और पिच्चे करते हुए दोस्त का लंड बहुत ही मस्ती में चूसने लगा. मुझे मेरे मुन्ना का लंड चूसने में मज़ा भी आ रहा था और एक आवरनाणिया संतुष्टि भी मिल रही थी. अब में उसका लगभग पूरा लंड मुख में ले चूस रहा था, मुख में लंड आयेज पिच्चे कर आपना मुख पेल्वा रहा था. अब अजय भी पूरी मस्ती में आ गया. उसे आज अनोखा स्वाद मिल रहा था जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी. अब वा स्वयं आपने लंड को मेरे मुख में पेलने लगा, आयेज पिच्चे करने लगा. तभी उसकी पेलने की गति बढ़ गई. में समझ गया की अजय अब झड़ने वाला है अतः में लंड को ज़ोर लगा के चूसने लगा. तभी अजय लंड को मेरे मुख से निकालने की कोशिस करने लगा. में समझ गया की यह ऐसा क्यों कर रहा है और मेने उसके नितंब कस के पकड़ आपनी ओर खींच लिए. अजय का लंड मेने जड़ तक मुख में ले लिया और मुख में इस प्रकार कस लिया की उसके रस की एक एक बूँद में निचोड़ लूँ.
अजय: “भैया मेरा निकालने वाला है. इसे मुख से निकाल दीजिए. जल्दी कीजिए, देखिए कहीं आपके मुख में गिर जाएगा.” अजय मेरे मुख से लंड निकालने की कोशिस कर रहा था और में उसके चुततादों पर आपनी ओर दबाव बढ़ा रहा था. तभी अजय के लंड ने गरम गाढ़े वीर्या का फव्वारा मेरे मुख में छोड़ दिया. मेने आपनी जीभ और मुख के भीतरी भाग से उसके गाढ़े वीर्या से लंड को लपेट दिया और वीर्या से चिकने हुए लंड को तेज़ी से मुख में आयेज पिच्चे करने लगा. अजय का रस रह रह मेरे मुख में छूट रहा था. में मुन्ना का लंड चूज़ जा रहा था और दोस्त के तरोताज़ा रस का पॅयन कर रहा था. धीरे धीरे लंड, अजय और में तीनो सिथिल पड़ते चले गये. अजय ने लंड मेरे मुख से निकाल लिया. उसकी मेरे से नज़रें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी. वा सीधा बाथरूम में घुस गया और में बेड पर चिट लेट गया और आपनी आँखें मूंद ली. थोड़ी देर में अजय भी बाथरूम से निकल आया; पर ना तो उसने कोई बात की ना ही मेने. सुबह रात के तूफान का नामोनिशान नहीं था.
रोज की तरह आज रात भी खाने खाने के बाद में, अजय और आंटी तीनों टीवी के सामने आ बैठ गये.
में: “आंटी, आज गाँव से चाचजी का फोन आया था, कह रहे थे की हमारे खेत गाँव का सुरपंच खरीदना चाह रहा है. 20 लाख में उससे बात हुई है. मेने चाचजी से कह दिया है की यहाँ से अजय सारे कागजात और पवर ऑफ अटर्नी लेकर गाँव आ जाएगा और रिजिस्ट्री का काम कर देगा. तो मुन्ना कल वक़ील से कागजात तैयार करा लेते हैं और कागज तैयार होते ही तुम गाँव के लिए निकल जाओ. कम से कम आधे पैसे तो खड़े करो. क्यों आंटी मुन्ना ही ठीक रहेगा ना?”
आंटी: “हन, फिर वहाँ चाचजी है, कोई फ़िक़र की बात नहीं है. अजय कभी शहर में तो रहा नहीं है. यहाँ दो महीने हो गये उसे गाँव की याद आती होगी.”
में: “तभी तो मुन्ना को भेज रहा हूँ. वहाँ इसके खाश दोस्त हैं. आंटी यह वहाँ बहुत मस्ती कराता था. यह आपने दो दोस्तों को तो बहुत हे खाश बता रहा था. कहता था की इसके दोनो दोस्त खेतों में पहले तो अच्छी तरह से सकर्कंड सएकते थे फिर इसे खिला खिला के मज़ा देते थे. क्यों मुन्ना कभी आंटी को भी सकर्कंड खिलाते थे या सकर्कांडों का सारा मज़ा अकेले ही ले लेते थे.अब यहाँ शहर में तो इसे गाँव जैसे सकर्कंड कहाँ मिलेंगे.”
“भैया नहीं जाना मुझे और ना ही सकर्कंड खाने; मुझे तो यहाँ के बड़े बड़े केले अच्छे लगते हैं. में तो यहीं स्टोर में रोज नये दोस्तों से केले लेके खाया करूँगा. साकार कांड का इतना ही शौक है तो गाँव आप चले जाओ.” अजय ने मेरी ओर देख मुस्करते हुए कहा.
में: “भैया के रहते तुझे दोस्तों से केले ले खाने की क्या ज़रूरात है? भैया क्या तेरे लिए केलों की भी कमी रखेगा. तुझे दिन में और रात में जीतने केले खाने है में खिलवँगा. अभी तो तुम गाँव जाओ और वहाँ खेतों में मज़ा लो. तूने तो आंटी को कभी सकर्कंड खिलाए नहीं पर में आंटी के लिए केलों की कमी नहीं रखूँगा.” हम इसी तरह कई देर बातों का मज़ा लेते रहे. फिर आंटी आपने कमरे में चली गई तो हम दोनों दोस्त आपने कमरे में आ गये. में आपने कामरे में आदमकद शीशा लगी ड्रेसिंग टेबल के सामने सिंगल सीटर सोफे पर बैठ गया.
अजय: “भैया आप बड़े वो हो. आंटी के सामने ऐसी बातें करने की क्या ज़रूरात थी? कल मेने कहा तो था की मुझे उन सब कामों की लिए अब किसी भी दोस्त की ज़रूरात नहीं है. जब आप जैसा बड़ा भैया मौजूद है तो मुझे नहीं जाना किसी दोस्त के पास.”
“अरे अजय तू कौन से ‘उन सब‚ कामों की बात कर रहा है, में कुच्छ समझा नहीं.” मेने अजय का हाथ पकड़ उसे खींच आपनी गोद में बैठा लिया और बहुत प्यार से पूछा.
अजय: “वही जो कल आपने आपने छ्होटे दोस्त के साथ किया था.”
में: “अरे दोस्त कुच्छ बताओ भी तो की मेने तेरे साथ ऐसा कल क्या कर दिया था? कहीं कुच्छ ग़लत सलत हो गया तो बड़ा दोस्त समझ कर माफ़ कर दे.”
अजय: “कल आपने आपना केला मेरे में दिया तो था. 11″ का सिंगपुरी केला छ्होटे दोस्त के पिच्चे में देते समय दया नहीं आई और अब माफी माँग रहे हाईन. अभी भी गोद में बैठा आपना केला खड़ा कर के नीचे गाड़ा रहे हैं.”
में: “मुन्ना बताओ ना कल मेने आपनी कौन सी चीज़ तेरी किस में दी थी?”
अजय: “भैया आप मुझे आपने जैसा बेशरम बनाना चाहते हैं. आपने आपना लंड मेरी गान्ड में दिया था. जाइए में आपसे ओर ऐसी बातें नहीं करूँगा.”
में: “अरे तू मेरा प्यारा दोस्त तो है ही पर अब से तू मेरा गान्ड दोस्त भी बन गया. जब हम आपस में गान्ड मारा मारी का खेल खेलने लग गये तो हम दोनों एक दूसरे के गान्ड दोस्त हो गये. जब तुझे आपनी गान्ड मराने में शरम नहीं है तो लंड, गान्ड, मारना, चूसना इन सब की खुल के बातें करने का मज़ा ही ओर है.”
में: “चल मुन्ना उठ, आपनी पेंट खोल.”
अजय: “भैया मेरा निकालने वाला है. इसे मुख से निकाल दीजिए. जल्दी कीजिए, देखिए कहीं आपके मुख में गिर जाएगा.” अजय मेरे मुख से लंड निकालने की कोशिस कर रहा था और में उसके चुततादों पर आपनी ओर दबाव बढ़ा रहा था. तभी अजय के लंड ने गरम गाढ़े वीर्या का फव्वारा मेरे मुख में छोड़ दिया. मेने आपनी जीभ और मुख के भीतरी भाग से उसके गाढ़े वीर्या से लंड को लपेट दिया और वीर्या से चिकने हुए लंड को तेज़ी से मुख में आयेज पिच्चे करने लगा. अजय का रस रह रह मेरे मुख में छूट रहा था. में मुन्ना का लंड चूज़ जा रहा था और दोस्त के तरोताज़ा रस का पॅयन कर रहा था. धीरे धीरे लंड, अजय और में तीनो सिथिल पड़ते चले गये. अजय ने लंड मेरे मुख से निकाल लिया. उसकी मेरे से नज़रें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी. वा सीधा बाथरूम में घुस गया और में बेड पर चिट लेट गया और आपनी आँखें मूंद ली. थोड़ी देर में अजय भी बाथरूम से निकल आया; पर ना तो उसने कोई बात की ना ही मेने. सुबह रात के तूफान का नामोनिशान नहीं था.
रोज की तरह आज रात भी खाने खाने के बाद में, अजय और आंटी तीनों टीवी के सामने आ बैठ गये.
में: “आंटी, आज गाँव से चाचजी का फोन आया था, कह रहे थे की हमारे खेत गाँव का सुरपंच खरीदना चाह रहा है. 20 लाख में उससे बात हुई है. मेने चाचजी से कह दिया है की यहाँ से अजय सारे कागजात और पवर ऑफ अटर्नी लेकर गाँव आ जाएगा और रिजिस्ट्री का काम कर देगा. तो मुन्ना कल वक़ील से कागजात तैयार करा लेते हैं और कागज तैयार होते ही तुम गाँव के लिए निकल जाओ. कम से कम आधे पैसे तो खड़े करो. क्यों आंटी मुन्ना ही ठीक रहेगा ना?”
आंटी: “हन, फिर वहाँ चाचजी है, कोई फ़िक़र की बात नहीं है. अजय कभी शहर में तो रहा नहीं है. यहाँ दो महीने हो गये उसे गाँव की याद आती होगी.”
में: “तभी तो मुन्ना को भेज रहा हूँ. वहाँ इसके खाश दोस्त हैं. आंटी यह वहाँ बहुत मस्ती कराता था. यह आपने दो दोस्तों को तो बहुत हे खाश बता रहा था. कहता था की इसके दोनो दोस्त खेतों में पहले तो अच्छी तरह से सकर्कंड सएकते थे फिर इसे खिला खिला के मज़ा देते थे. क्यों मुन्ना कभी आंटी को भी सकर्कंड खिलाते थे या सकर्कांडों का सारा मज़ा अकेले ही ले लेते थे.अब यहाँ शहर में तो इसे गाँव जैसे सकर्कंड कहाँ मिलेंगे.”
“भैया नहीं जाना मुझे और ना ही सकर्कंड खाने; मुझे तो यहाँ के बड़े बड़े केले अच्छे लगते हैं. में तो यहीं स्टोर में रोज नये दोस्तों से केले लेके खाया करूँगा. साकार कांड का इतना ही शौक है तो गाँव आप चले जाओ.” अजय ने मेरी ओर देख मुस्करते हुए कहा.
में: “भैया के रहते तुझे दोस्तों से केले ले खाने की क्या ज़रूरात है? भैया क्या तेरे लिए केलों की भी कमी रखेगा. तुझे दिन में और रात में जीतने केले खाने है में खिलवँगा. अभी तो तुम गाँव जाओ और वहाँ खेतों में मज़ा लो. तूने तो आंटी को कभी सकर्कंड खिलाए नहीं पर में आंटी के लिए केलों की कमी नहीं रखूँगा.” हम इसी तरह कई देर बातों का मज़ा लेते रहे. फिर आंटी आपने कमरे में चली गई तो हम दोनों दोस्त आपने कमरे में आ गये. में आपने कामरे में आदमकद शीशा लगी ड्रेसिंग टेबल के सामने सिंगल सीटर सोफे पर बैठ गया.
अजय: “भैया आप बड़े वो हो. आंटी के सामने ऐसी बातें करने की क्या ज़रूरात थी? कल मेने कहा तो था की मुझे उन सब कामों की लिए अब किसी भी दोस्त की ज़रूरात नहीं है. जब आप जैसा बड़ा भैया मौजूद है तो मुझे नहीं जाना किसी दोस्त के पास.”
“अरे अजय तू कौन से ‘उन सब‚ कामों की बात कर रहा है, में कुच्छ समझा नहीं.” मेने अजय का हाथ पकड़ उसे खींच आपनी गोद में बैठा लिया और बहुत प्यार से पूछा.
अजय: “वही जो कल आपने आपने छ्होटे दोस्त के साथ किया था.”
में: “अरे दोस्त कुच्छ बताओ भी तो की मेने तेरे साथ ऐसा कल क्या कर दिया था? कहीं कुच्छ ग़लत सलत हो गया तो बड़ा दोस्त समझ कर माफ़ कर दे.”
अजय: “कल आपने आपना केला मेरे में दिया तो था. 11″ का सिंगपुरी केला छ्होटे दोस्त के पिच्चे में देते समय दया नहीं आई और अब माफी माँग रहे हाईन. अभी भी गोद में बैठा आपना केला खड़ा कर के नीचे गाड़ा रहे हैं.”
में: “मुन्ना बताओ ना कल मेने आपनी कौन सी चीज़ तेरी किस में दी थी?”
अजय: “भैया आप मुझे आपने जैसा बेशरम बनाना चाहते हैं. आपने आपना लंड मेरी गान्ड में दिया था. जाइए में आपसे ओर ऐसी बातें नहीं करूँगा.”
में: “अरे तू मेरा प्यारा दोस्त तो है ही पर अब से तू मेरा गान्ड दोस्त भी बन गया. जब हम आपस में गान्ड मारा मारी का खेल खेलने लग गये तो हम दोनों एक दूसरे के गान्ड दोस्त हो गये. जब तुझे आपनी गान्ड मराने में शरम नहीं है तो लंड, गान्ड, मारना, चूसना इन सब की खुल के बातें करने का मज़ा ही ओर है.”
में: “चल मुन्ना उठ, आपनी पेंट खोल.”