किरायेदार hindi long sex story
Re: किरायेदार hindi long sex story
मैं गांड में डालने को उतावला हो रहा था, रजनी फिर झुककर घोड़ी बन गई, दम लगाते हुए मैंने लोड़ा उसकी गांड में घुसाना शुरू कर दिया। ओई उह ओइ ओह की तेज दबी सी आवाज़ निकली। उसकी गांड में अंदर तक लंड घुस चुका था। मैंने धीरे धीरे उसकी गांड मारनी शुरू कर दी। सुरेखा मीठे दर्द वाली सिसकारियां भरने लगी। उसकी चूचियों को दबाते हुए मैंने गांड में लंड की स्पीड बढ़ा दी, बड़ा मज़ा आ रहा था।
रजनी की गांड 5 मिनट तक चुदती रही, इसके बाद वो मेरे वीर्य से भर गई। हम दोनों नीचे आ गए और रजनी के कमरे में एक दूसरे से चिपक कर सो गए। रजनी और मैं सुबह सुबह 7 बजे उठे और एक दूसरे की बाहों में चिपक गए, मेरा लंड सुरेखा की फुद्दी में घुस गया। एक दूसरे के बदन को चुमते हुए सुबह की चुदाई का मज़ा लिया, इसके बाद 8 बजे रजनी ने नाश्ता बनाया और मैं खा पीकर ऑफिस चला गया।
दो दिन बाद सुरेखा का लाइब्रेरी ऑफिसर के लिए इंटरव्यू था। सुरेखा भाभी के साथ इंटरव्यू देने जा रही थी, मैंने कहा- 2-3 फोटो रख लो ! सुरेखा अंदर गई, एक प्लास्टिक का बैग ले आई और अपनी फोटो निकालने लगी। तभी मेरी नज़र एक पोस्टकार्ड साइज़ फोटो पर गई जो मैंने 3-4 साल पहले अपनी MBA की पढाई ख़त्म करने के बाद खिंचवाई थी। मैंने उससे पूछा- यह कहाँ से आई तुम्हारे पास? सुरेखा सकपका गई और बोली- तुम्हारे कमरे से उठा ली थी।
और वो तेजी से अपनी फोटो निकाल कर वहां से चली गई।
मैंने सोचा कि मेरे पास तो यह फोटो यहाँ है नहीं, फिर? मैंने सर को झटका दिया और ऑफिस चला गया। भाभी की मदद से सुरेखा इंटरव्यू दे आई और सेलेक्ट हो गई। 15 दिन बाद सुरेखा को ज्वाइन करना था। अरुण को जब यह बात पता चली तब अरुण ने दारु पीकर उसकी पिटाई कर दी। 15 दिन निकल गए। अरुण ने सुरेखा को नौकरी नहीं करने दी। इस बीच रजनी की शादी तय हो गई और वो चली गई। अरुण दिन पर दिन दारु की लत से कमज़ोर होता जा रहा था। एक दिन उसकी 2-10 बजे की शिफ्ट थी रात को वो घर नहीं आया कोई नई बात नहीं थी, दारु के नशे में कई बार वो अड्डे पर ही सो जाता था। लेकिन अगले दिन भी 2 बजे तक नहीं आया, सबको चिंता हुई पता किया तो पता चला दारु के अड्डे पर जहरीली शराब पीने से 20 लोगों की तबियत खराब हो गई थी सब लोग अस्पताल में भरती हैं।
जब हम लोग अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि अरुण और 2 लोग मर चुके हैं, उसने ज्यादा ही शराब पी ली थी। सुरेखा बेहोश हो गई थी, सुरेखा के घर से कोई नहीं आया था, अरुण के एक मामा आए थे, सब काम 3 दिन में ख़त्म हो गया।
सुरेखा की तबियत खराब रहने लगी। एक दिन उसने मुझसे रोते हुए कहा- मुझे लाइब्रेरी की नौकरी दिला दो। मैंने अपने पूरे प्रयास के बाद उसे वो नौकरी दिला दी। सुरेखा की गाड़ी चल निकली। तीन-चार महीने में वो सामान्य हो गई। उसने दुबारा सुबह बेफिक्र होकर नहाना शुरू कर दिया। एक साल बाद मेरा ट्रान्सफर प्रमोशन पर पूना हो गया। सपना और सुरेखा दोनों दुखी थे। सुरेखा तो रो रही थी। लेकिन मुझे जाना था।
रजनी की गांड 5 मिनट तक चुदती रही, इसके बाद वो मेरे वीर्य से भर गई। हम दोनों नीचे आ गए और रजनी के कमरे में एक दूसरे से चिपक कर सो गए। रजनी और मैं सुबह सुबह 7 बजे उठे और एक दूसरे की बाहों में चिपक गए, मेरा लंड सुरेखा की फुद्दी में घुस गया। एक दूसरे के बदन को चुमते हुए सुबह की चुदाई का मज़ा लिया, इसके बाद 8 बजे रजनी ने नाश्ता बनाया और मैं खा पीकर ऑफिस चला गया।
दो दिन बाद सुरेखा का लाइब्रेरी ऑफिसर के लिए इंटरव्यू था। सुरेखा भाभी के साथ इंटरव्यू देने जा रही थी, मैंने कहा- 2-3 फोटो रख लो ! सुरेखा अंदर गई, एक प्लास्टिक का बैग ले आई और अपनी फोटो निकालने लगी। तभी मेरी नज़र एक पोस्टकार्ड साइज़ फोटो पर गई जो मैंने 3-4 साल पहले अपनी MBA की पढाई ख़त्म करने के बाद खिंचवाई थी। मैंने उससे पूछा- यह कहाँ से आई तुम्हारे पास? सुरेखा सकपका गई और बोली- तुम्हारे कमरे से उठा ली थी।
और वो तेजी से अपनी फोटो निकाल कर वहां से चली गई।
मैंने सोचा कि मेरे पास तो यह फोटो यहाँ है नहीं, फिर? मैंने सर को झटका दिया और ऑफिस चला गया। भाभी की मदद से सुरेखा इंटरव्यू दे आई और सेलेक्ट हो गई। 15 दिन बाद सुरेखा को ज्वाइन करना था। अरुण को जब यह बात पता चली तब अरुण ने दारु पीकर उसकी पिटाई कर दी। 15 दिन निकल गए। अरुण ने सुरेखा को नौकरी नहीं करने दी। इस बीच रजनी की शादी तय हो गई और वो चली गई। अरुण दिन पर दिन दारु की लत से कमज़ोर होता जा रहा था। एक दिन उसकी 2-10 बजे की शिफ्ट थी रात को वो घर नहीं आया कोई नई बात नहीं थी, दारु के नशे में कई बार वो अड्डे पर ही सो जाता था। लेकिन अगले दिन भी 2 बजे तक नहीं आया, सबको चिंता हुई पता किया तो पता चला दारु के अड्डे पर जहरीली शराब पीने से 20 लोगों की तबियत खराब हो गई थी सब लोग अस्पताल में भरती हैं।
जब हम लोग अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि अरुण और 2 लोग मर चुके हैं, उसने ज्यादा ही शराब पी ली थी। सुरेखा बेहोश हो गई थी, सुरेखा के घर से कोई नहीं आया था, अरुण के एक मामा आए थे, सब काम 3 दिन में ख़त्म हो गया।
सुरेखा की तबियत खराब रहने लगी। एक दिन उसने मुझसे रोते हुए कहा- मुझे लाइब्रेरी की नौकरी दिला दो। मैंने अपने पूरे प्रयास के बाद उसे वो नौकरी दिला दी। सुरेखा की गाड़ी चल निकली। तीन-चार महीने में वो सामान्य हो गई। उसने दुबारा सुबह बेफिक्र होकर नहाना शुरू कर दिया। एक साल बाद मेरा ट्रान्सफर प्रमोशन पर पूना हो गया। सपना और सुरेखा दोनों दुखी थे। सुरेखा तो रो रही थी। लेकिन मुझे जाना था।
Re: किरायेदार hindi long sex story
मैं पूना आ गया कम्पनी ने फ्लैट दे दिया था लेकिन मेरा मन नहीं लग रहा था। रोज़ रात को लगता कि सुरेखा अभी आएगी और नंगी होकर मेरी गोद में बैठ जाएगी, सुबह 5 बजे ही आँख खुल जाती और मन सुरेखा को नंगी नहाते देखने के लिए मचलने लगता। इसके अलावा दो बातें और मेरे मन में घूम रही थीं, पहली यह कि सुरेखा ने इतने आराम से मुझसे सम्बन्ध कैसे बना लिए जबकि भाभी ने बताया था कि थोड़ा सा छेड़ने पर ही पिछले किराएदार की उसने पिटाई कर दी थी, दूसरी यह कि मेरी 4 साल पुरानी फोटो उसके पास कहाँ से आई। एक महीने बाद 2 दिन के लिए मैं घर गया, माँ बोली- अब शादी कर ले ! मैंने हँसते हुए कहा- तुम राजश्री से मेरी शादी करवा के मानोगी। राजश्री मेरी माँ की सहेली की बेटी थी। 4 साल पहले जब मैं MBA की पढ़ाई में 4 महीने के लिए विदेश गया था तब पिताजी की पोस्टिंग नासिक हो गई थी, राजश्री और उसकी माँ हमारी पड़ोसन थीं। माँ के पैर की हड्डी टूट गई थी, सारा काम दोनों माँ बेटी ने संभाल लिया था। मेरे वापस आने से पहले ही मेरे पिताजी ने ट्रान्सफर वापस औरंगाबाद करा लिया था। राजश्री के मां बाप से एक बार मैं भी मिला था लेकिन राजश्री को मैंने कभी नहीं देखा था।
माँ थोड़ा गंभीर हो गईं और बोलीं- हमारी और रीता आंटी की बहुत इच्छा थी कि तेरी और राजश्री की शादी हो जाए। मैंने तेरी एक फोटो भी उन्हें भेजी थी। लेकिन राजश्री एक टपोरी लड़के के साथ भाग गई और उसने शादी कर ली। भाईसाहब को हार्ट अटेक पड़ गया। रीता ने राजश्री से रिश्ता तोड़ लिया। रीता मन से उसकी याद नहीं निकाल पाई, उसकी याद मैं रीता अब बहुत बीमार रहने लगी है। माँ आंसू पोंछती हुई बोली- बेटा समय बदल गया है, तुझे शादी अपने मन से करनी हो तो अपने मन से कर लेना, अगर हम लोगों को तेरी शादी करवानी हो तो हमें बता देना। हम तुझ पर शादी थोंपेंगे नहीं। मैंने एक सीटी बजाई और बोला- माँ, तुम तो सेंटी होने लगीं, मैं बाहर घूम कर आता हूँ, फिलहाल शादी बाय बाय। मैं वापस पूना आ गया लेकिन सुरेखा की याद दिल से नहीं निकल पाई। एक दिन दिल कड़ा करके मैंने अपनी माँ को बता दिया कि एक लड़की से शादी करना चाहता हूँ, मैंने यह नहीं बताया कि सुरेखा विधवा है माँ ने हाँ भर दी।
शाम को मैं गाडी से मुंबई पहुँच गया मुझे देखकर सब खुश हो गए।
सुरेखा की आँखों में उदासी छा रही थी। मैंने आगे बढ़कर भाभी के सामनuे उसको बाँहों में जकड लिया और होंट चूस लिए, सुरेखा सकपका गई।
मैंने भाभी को बता दिया कि मैं सुरेखा से शादी कर रहा हूँ। 24 साल की सुरेखा की आँखों से ख़ुशी के आंसू टपक पड़े लेकिन सुरेखा शादी करने को राजी नहीं थी, सुरेखा बोली- मैं शादी तुमसे तभी करुँगी जब तुम्हारे माँ बाप राजी होंगे।
माँ थोड़ा गंभीर हो गईं और बोलीं- हमारी और रीता आंटी की बहुत इच्छा थी कि तेरी और राजश्री की शादी हो जाए। मैंने तेरी एक फोटो भी उन्हें भेजी थी। लेकिन राजश्री एक टपोरी लड़के के साथ भाग गई और उसने शादी कर ली। भाईसाहब को हार्ट अटेक पड़ गया। रीता ने राजश्री से रिश्ता तोड़ लिया। रीता मन से उसकी याद नहीं निकाल पाई, उसकी याद मैं रीता अब बहुत बीमार रहने लगी है। माँ आंसू पोंछती हुई बोली- बेटा समय बदल गया है, तुझे शादी अपने मन से करनी हो तो अपने मन से कर लेना, अगर हम लोगों को तेरी शादी करवानी हो तो हमें बता देना। हम तुझ पर शादी थोंपेंगे नहीं। मैंने एक सीटी बजाई और बोला- माँ, तुम तो सेंटी होने लगीं, मैं बाहर घूम कर आता हूँ, फिलहाल शादी बाय बाय। मैं वापस पूना आ गया लेकिन सुरेखा की याद दिल से नहीं निकल पाई। एक दिन दिल कड़ा करके मैंने अपनी माँ को बता दिया कि एक लड़की से शादी करना चाहता हूँ, मैंने यह नहीं बताया कि सुरेखा विधवा है माँ ने हाँ भर दी।
शाम को मैं गाडी से मुंबई पहुँच गया मुझे देखकर सब खुश हो गए।
सुरेखा की आँखों में उदासी छा रही थी। मैंने आगे बढ़कर भाभी के सामनuे उसको बाँहों में जकड लिया और होंट चूस लिए, सुरेखा सकपका गई।
मैंने भाभी को बता दिया कि मैं सुरेखा से शादी कर रहा हूँ। 24 साल की सुरेखा की आँखों से ख़ुशी के आंसू टपक पड़े लेकिन सुरेखा शादी करने को राजी नहीं थी, सुरेखा बोली- मैं शादी तुमसे तभी करुँगी जब तुम्हारे माँ बाप राजी होंगे।
Re: किरायेदार hindi long sex story
मैने कहा- ठीक है, औरंगाबाद चलो।
सुबह 7 बजे हम लोग मुंबई से निकले, बजे मैं घर पर था। मैंने सोच रखा था कि मैं माँ को ये नहीं बताऊँगा कि सुरेखा विधवा है। 24 साल की सुरेखा लड़की ही लगती थी। मैंने घर की घंटी बजाई, माँ ने दरवाज़ा खोला, लेकिन यह क्या, सुरेखा को देखते ही उन्हें चक्कर आ गया। सुरेखा का भी चेहरा एकदम से सफ़ेद हो गया, सुरेखा ने आगे बढ़कर उन्हें संभाला और बोली- आंटी, मुझे माफ़ कर दो।
अब दिमाग घुमने की बारी मेरी थी। माँ 5 मिनट बाद संभल गई और बोलीं- राजश्री तेरा मुझ पर बहुत एहसान है लेकिन मेरे घर मैं तू तब ही आना जब तेरी माँ तुझे अपने घर में घुसने दे।
अब यह सुन कर मेरा दिमाग 5 मिनट के लिए सुन्न हो गया। माँ ने हमें घर में नहीं बैठने दिया।
मुझे लगा कि यह कहानी सुरेखा के घर जाने पर ही सुलझेगी। मैंने एक टैक्सी किराए पर ली और नासिक की तरफ निकल पड़ा। सुरेखा बुरी तरह से रो रही थी, सुरेखा बोली- मैं तुमसे शादी नहीं करुँगी, मुझे घर नहीं जाना, मेरी माँ बोली थी कि कभी घर आई तो मुझे मार देगी या खुद मर जाएगी। मैंने उससे कहा- ऐसा कुछ नहीं होगा।
सुरेखा से मैंने कुछ बातें पूछीं उसने बताया कि उसके घर का नाम राजश्री है और जब तुम्हारा रिश्ता आया तब तक उसके शारीरिक सम्बन्ध अरुण से बन गए थे, उसकी कुछ गलत आदतों का भी पता चल गया था। तुम्हारे मम्मी पापा बहुत अच्छे हैं, तुम भी फोटो में बहुत सुंदर लग रहे थे, मन कर रहा था अरुण को छोड़ दूँ लेकिन मन में यह बात बैठी थी कि जिससे सील खुलवा लो, वो ही पति होना चाहिए। मैं अरुण के साथ भाग गई लेकिन तुम्हें मन से नहीं निकाल पाई, तुम्हारी फोटो मेरे पास तभी से है। और जब तुम किराएदार बनकर आए तो मैं अपने को नहीं रोक पाई और तुमसे सम्बन्ध बना बैठी।
सुबह 7 बजे हम लोग मुंबई से निकले, बजे मैं घर पर था। मैंने सोच रखा था कि मैं माँ को ये नहीं बताऊँगा कि सुरेखा विधवा है। 24 साल की सुरेखा लड़की ही लगती थी। मैंने घर की घंटी बजाई, माँ ने दरवाज़ा खोला, लेकिन यह क्या, सुरेखा को देखते ही उन्हें चक्कर आ गया। सुरेखा का भी चेहरा एकदम से सफ़ेद हो गया, सुरेखा ने आगे बढ़कर उन्हें संभाला और बोली- आंटी, मुझे माफ़ कर दो।
अब दिमाग घुमने की बारी मेरी थी। माँ 5 मिनट बाद संभल गई और बोलीं- राजश्री तेरा मुझ पर बहुत एहसान है लेकिन मेरे घर मैं तू तब ही आना जब तेरी माँ तुझे अपने घर में घुसने दे।
अब यह सुन कर मेरा दिमाग 5 मिनट के लिए सुन्न हो गया। माँ ने हमें घर में नहीं बैठने दिया।
मुझे लगा कि यह कहानी सुरेखा के घर जाने पर ही सुलझेगी। मैंने एक टैक्सी किराए पर ली और नासिक की तरफ निकल पड़ा। सुरेखा बुरी तरह से रो रही थी, सुरेखा बोली- मैं तुमसे शादी नहीं करुँगी, मुझे घर नहीं जाना, मेरी माँ बोली थी कि कभी घर आई तो मुझे मार देगी या खुद मर जाएगी। मैंने उससे कहा- ऐसा कुछ नहीं होगा।
सुरेखा से मैंने कुछ बातें पूछीं उसने बताया कि उसके घर का नाम राजश्री है और जब तुम्हारा रिश्ता आया तब तक उसके शारीरिक सम्बन्ध अरुण से बन गए थे, उसकी कुछ गलत आदतों का भी पता चल गया था। तुम्हारे मम्मी पापा बहुत अच्छे हैं, तुम भी फोटो में बहुत सुंदर लग रहे थे, मन कर रहा था अरुण को छोड़ दूँ लेकिन मन में यह बात बैठी थी कि जिससे सील खुलवा लो, वो ही पति होना चाहिए। मैं अरुण के साथ भाग गई लेकिन तुम्हें मन से नहीं निकाल पाई, तुम्हारी फोटो मेरे पास तभी से है। और जब तुम किराएदार बनकर आए तो मैं अपने को नहीं रोक पाई और तुमसे सम्बन्ध बना बैठी।