सारे दिन हम इसी तरह से काम क्रीडा करते रहे मेरा इनाम देने के बाद मौसी ने उसे मुझसे पूरा वसूला और दिन भर अपनी चुनमूनियाँ चुसवाई कभी खड़े होकर, कभी लेट कर कभी पीछे से कुतिया जैसी पोज़ीशन में रात को आख़िर उसने मुझे फिर से एक बार चोदने दिया और फिर हम थक कर सो गए
अगले कुछ दिन तो मेरे लिए स्वर्ग से थे मौसी ने पहले तो मुझे दिन दिन भर बिना झडे लंड खड़ा रखना सिखाया इसके बाद वह मुझसे खूब सेवा करवाती जब वह खाना बनाती तो मैं उसके पीछे खड़ा होकर उसके मम्मे दबाता कभी कभी मैं पीछे बैठकर उसकी साड़ी उठाकर उसकी गान्ड चूसा करता था मूड हो तो मौसी मुझे अपने आगे बिठा कर साड़ी उठाकर मेरे सिर पर डाल देती और फिर मुझसे चुनमूनियाँ चुसवाते हुए आराम से चपातियाँ बनाती
मौसी अब अक्सर मुझे पलंग पर लिटा कर मेरे उपर चढ कर मुझे चोदती मेरे पेट पर बैठे बैठे वह उछल उछल कर मुझे चोदती और मैं उसकी चुचियाँ दबाता उछलते उछलते मौसी का मंगलसूत्र उसके स्तनों के साथ डोलाता तो मुझे बहुत अच्छा लगता इस आसन में मैं उसके पैर चूमने का अपना शौक भी पूरा करने लगा मुझे चोदते चोदते मौसी अपने पैर उठाकर मेरे चेहरे पर रख देती और मैं उसके तलवे, आइडियाँ और उंगलियाँ चाटा और चूसा करता
और दिन में कम से कम एक बार वह मुझे गान्ड मारने देती अगर मैं उसकी ठीक से सेवा करता इस एक इनाम के लिए ही मैं मानों उसका गुलाम हो गया था
मौसी का पसीना भी मुझे बहुत मादक लगता था यह ऐसे शुरू हुआ कि एक दिन बिजली नहीं थी और मैं मौसी को चोद रहा था मौसी को बड़ा पसीना आ रहा था और उसे चूमते समय मैं बार बार उसके गालों और माथे को चाट लेता था अचानक मुझे उसकी कांखो का ख्याल आया और मैं बोला "मौसी, अपनी बाँहें सिर के उपर कर लो ना" उसने गान्ड उछालते उछालते पूछा "क्यों बेटे?"
मैं बोला "आप की कांख के बालों को चूमने का मन कर रहा है पसीने से भीगे होंगे" मौसी को मेरी इस हरामीपन की बात पर मज़ा आ गया और उसने तुरंत बाँहें उपर कर लीं उन घने काले बालों को देखकर मेरे मुँह में पानी भर आया और उनमें मुँह डाल कर मैं उन्हें चाटने और फिर मुँह मे बाल ले कर चूसने लगा खारा खारा पसीना मुझे इतना भाया कि मेरा लंड तन्नाकार और खड़ा हो गया मेरे चोदने की गति भी बढ़ गई और मैंने उसे इतनी ज़ोर से चोदा की जैसे शायद मौसाजी भी नहीं चोदते होंगे
मौसी को उस दिन जो कामसुख मिला उसके कारण वह हमेशा मुझसे कांखें चटवाने की ताक में रहने लगी"राज राजा, मेरे प्यारे मुन्ना, कितनी ज़ोर से चोदा मुझे आज तूने, बिलकुल तेरे मौसाजी की तरह मेरी कमर लचका कर रख दी अब तुझसे ज़ोर ज़ोर से चुदवाना या गान्ड मराना हो तो पहले अपनी कांख का पसीना चटवाऊम्गी तुझे"
मौसी के यहाँ मैं दो महने रहा और बहुत कुकर्म किए कुछ दिन बाद की बात है मौसाजी अभी वापस नहीं आए थे और मैं मौसी के साथ अकेला ही रह रहा था हमारी चुदाई दिन रात जोरों से चल रही थी
एक दिन जब हम खाना खा रहे थे तो फ़ोन की घंटी बजी फ़ोन उठाते ही मौसी के चेहरे पर एक आनंद की लहर दौड गई उसने फ़ोन पर ही चुम्मे की आवाज़ की और बड़े प्यार से पूछा "उम्म्म, डॉली डार्लिंग, तू कहाँ थी? एक हफ्ते के लिए गयी थी और आज एक महना हो गया!"
कुछ देर डॉली की बात सुनने के बाद वह गुस्से से बोली "क्या? तू कल फिर जा रही है? फिर मुझसे, अपनी प्यारी दीदी से नहीं मिलेगी क्या?" डॉली की सफाई कुछ देर सुनने के बाद बीच में ही बात काट कर वह और गरम होकर चिल्लाई "आज दोपहर भर मेरे साथ नहीं रही तो तेरी मेरी दोस्ती खतम बात भी मत करना फिर मुझसे"
मौसी ने गुस्से से फ़ोन पटक दिया कुछ देर बाद शांत होकर वह मुस्कराने लगी मैंने पूछा तो बोली "मेरी गर्ल फ्रेन्ड डॉली का फ़ोन था कहती है बहुत बीज़ी है और कल फिर यू एस जा रही है बिना मिले ही भागने वाली थी पर मैंने धमकाया तो कैसे भी करके आज दोपहर आएगी ज़रूर"
मेरे आग्रह पर मौसी ने पूरी कहानी सुनाई औरतों के आपस के कामसंबंध के बारे में यह बड़ा रसीला उदाहरण था डॉली एक साफ्टवेअर इंजीनियर थी मौसी से उसकी मुलाकात एक पार्टी में हुई थी तब मौसी घर में अकेली ही थी क्योंकि मौसाजी दौरे पर गये थे मौसी और डॉली के बीच पहली मुलाकात में ही एक घनी दोस्ती हो गयी मौसी ने यह भी भाँप लिया कि डॉली बार बार उसे ऐसे देख रही थे जैसे उसपर मर मिटी हो उसकी आँखों मे झलकती वासना भी मौसी ने पहचान ली थी
मौसी ने डॉली को दूसरे दिन रात के डिनर पर बुला लिया और डॉली ने यह निमम्त्रण बड़ी खुशी से स्वीकार कर लिया डिनर खतम होते होते दोनों एक दूसरे से ऐसी बंधीं क़ि सीधा बेडरूम में चली गईं रात भर डॉली वहाँ रही और उस रात उनमें जो कामक्रीडा शुरू हुई, आज तक उसका क्रम टूटा नहीं था
मौसी को पता चला कि डॉली एक लेस्बियन थी पुरुषों से उसे नफ़रत थी और इसीलिए छब्बीस साल की होने के बावजूद उसने शादी नहीं की थी और ना करने का इरादा था उसे दूसरी औरतें बहुत आकर्षित करती थीं, ख़ास कर उम्र में बड़ी, भरे पूरे बदन की अम्मा या आँटी टाइप की औरतें चालीस साल होने को आई हुई मौसी और उसका मांसल शरीर तो मानों उसे ऐसे लगे कि भगवान ने उसकी इच्छा सुन ली हो उनका कामसंबंध पिछले साल से जो शुरू हुआ वह आज तक कायम था और बढ़ता ही जा रहा था डॉली मौसी को कभी दीदी कहती तो कभी मामी, ख़ास कर संभोग के समय
मौसी ने हँसते हुए यह भी बताया कि काफ़ी बार मौसी की बाँहों में डॉली यह कल्पना करती कि वह अपनी माँ के आगोश में है और उससे कामक्रीडा कर रही है डॉली को अक्सर बाहर जाना पड़ता पर जब भी वह शहर में होती और मौसाजी दौरे पर होते, तब वह मौसी के यहाँ रहने को चली आती और दोनों एक दूसरे के शरीर का भरपूर आनंद उठाते आज डॉली आने वाली नहीं थी पर मौसी के धमकाने से घबराकर आने का वायदा ज़रूर निभाएगी ऐसा मौसी का विश्वास था
क्रमशः……………………
मौसी का गुलाम compleet
Re: मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---6
गतान्क से आगे………………………….
स्त्री - स्त्री संभोग की यह कहानी सुनते सुनते मेरा लंड बुरी तरह से खड़ा हो गया मौसी ने देखा तो हँसने लगी बोली "बेटे, आज तेरी नहीं चलेगी, डॉली तो बिलकुल बरदाश्त नहीं करेगी कि कोई पुरुष हमारे बीच में आए, भले ही वह तेरे जैसा प्यारा कमसिन किशोर ही क्यों ना हो अगर उसे पता चला की तू यहाँ है तो वह शायद रुकने को भी तैयार नहीं होगी"
मुझे बड़ा बुरा लगा एक तो उस सुंदर युवती के साथ संभोग का मेरा सपना टूट गया, दूसरे यह कि मेरे कारण मौसी की अपनी प्यारी प्रेमिका के साथ चुदाई भी खट्टे में ना पड जाए
मौसी ने मेरा मुरझाया हुआ चेहरा देखा तो मुझे ढाढस बँधाती हुई बोली "तू फिकर मत कर बेटे, तू दूसरे कमरे में रहना दोनों कमरों के बीच एक आईना है मेरे कमरे में से वह आईना लगता है पर दूसरे कमरे में से उसमें से सब सॉफ दिखता है तू आराम से मज़ा लेना हाँ, एक बात यह कि तेरे हाथ-पैर और मुँह मैं बाँध दूँगी अगर अनजाने में कोई आवाज़ की तो सब खटाई में पड जाएगा और दूसरे यह कि उस मस्त छोकरी के रूप को देखने के बाद तू ज़रूर मुठ्ठ मारेगा और यह मैं नहीं होने दूँगी, तेरा लंड मैं अपने लिए बचा कर रखूँगी"
शन्नो मौसी ने फटाफट टेबल और किचन सॉफ किया और मुझे दूसरे कमरे में ले गई यहाँ उसने मुझे उस एक तरफे आईने के सामने (वॅन-वे-मिरर) एक कुर्सी में बिठाया और फिर मेरे हाथ पैर कस के कुर्सी से बाँध दिए फिर धोने के कपड़ों में से अपनी एक मैली ब्रेसियर और पैंटी उठा लाई और मुझसे मुँह खोलने को कहा मुँह में वह ब्रा और चड्डी ठूँसने के बाद उसने एक और ब्रेसियर से मेरे मुँह पर पट्टी बाँध दी
यह करते हुए मेरे थरथराते लंड को देखकर वह दुष्टा हँस रही थी क्योंकि उसे मालूम था कि उसके शरीर की सुगंध और पसीने से सराबोर उन पहने हुए अंतर्वस्त्रों का मुझ पर क्या असर होगा जानबूझकर मुझे उत्तेजित करने और मेरा लंड तन्नाने के लिए उसने ऐसा किया था पूरी तरह मेरी मुश्कें बाँधने के बाद मौसी ने मुझे प्यार से चूमा और दरवाजा लगाती हुई अपने कमरे में तैयार होने को चली गई उसका सजना संवरना मुझे साफ साफ काँच में से दिख रहा था
मौसी ने अपनी डॉली रानी के लिए बड़े मन से तैयारी की नंगी होकर पहले एक कसी हुई काली ब्रेसियार और पैंटी पहनी जो उसके गोरे गदराए बदन पर गजब ढा रही थी, फिर एक साड़ी सफेद साड़ी और लंबे बाहों का अम्मा स्टाइल का ब्लओज़ पहना मेकअप बिल्कुल नहीं किया पर माथे पर एक बड़ी बिंदी लगाई अपने घने बाल जूडे में बाँधे और उसमें गजरा पहना आख़िर में अपनी कलाई में बहुत सी चूड़ियाँ पहन लीं; अब वह एक आकर्षक मध्यम आयु की असली भारतीया नारी लग रही थी मैं समझ गया कि ऐसा उसने डॉली की माँ की चाहत को पूरा करने के लिए किया है
तभी डोरबेल बजी ओर मेरी ओर देख कर मुस्करा कर मौसी ने मुझे आँख मारी कि तैयार रह तमाशा देखने के लिए और कमरे के बाहर चली गई, दरवाजा खोलने के लिए
मुझे हँसने और खिलखिलाने की आवाज़ें आईं और साथ ही पटापट खूब चुंबन लिए जाने के स्वर भी सुनाई दिए कुछ ही देर में एक जवान युवती से लिपटी मौसी कमरे में आई वह युवती इतने ज़ोर ज़ोर से मौसी को चूम रही थी कि मौसी चलते चलते लडखडा जाती थी "अरे बस बस, कितना चूमेगी, ज़रा साँस तो लेने दे" मौसी ने भी डॉली को चूमते हुए कहा पर वह तो मौसी के होंठों पर अपने होंठ दबाए बेतहाशा उसके चुंबन लेती रही
शन्नो मौसी ने किसी तरह से दरवाजा लगाया और फिर तो डॉली मौसी पर किसी वासना की प्यासी औरत जैसी झपट पडी और मौसी के कपड़े नोचने लगी डॉली को मैंने अब मन भर कर देखा वह एक लंबी छरहरे बदन की गोरी सुंदर लड़की थी और जीन और एक टीशर्ट पहने हुए थी अपने रेशमी बॉबी कट बाल उसने कंधे पर खुले छोड़ रखे थे टाइट टीशर्ट में से उसके कसे जवान उरोजो का उभार सॉफ दिख रहा था उसने मौसी की एक ना सुनी और उसकी साड़ी और ब्लओज़ उतारने में लग गयी शन्नो मौसी ने खिलखिलाते हुए कहा "अरे ज़रा ठीक से कपड़े तो उतारने दे बेटी और तू भी उतार ले"
डॉली को बिलकुल धीर नहीं था "मामी, पहले अपनी चूत चुसाओ, फिर बाकी बातें होंगी" ऐसा कहते हुए उसने मौसी को पलंग पर धकेला और फिर मौसी की साड़ी उपर करके खींच कर उसकी चड्डी उतार दी "क्या दीदी, पैंटी क्यों पहनी, मेरा एक मिनट और गया" कहकर उसने मौसी की टाँगों के बीच अपना सिर घुसेड दिया जल्दी ही चूसने और चाटने की आवाज़ें आने लगीं मौसी सिसकारी भरते हुए बोली "अरी पगली, मेरी प्यारी बेटी, तेरी मनपसंद काली ब्रा और पैंटी पहनी है, सोचा था कि धीरे धीरे कपड़े उतारकर तुझे मस्त करूँगी पर तू तो लगता है कब की भूखी है"
डॉली का सिर अब मौसी की मोटी मोटी गोरी जांघों के बीच जल्दी जल्दी उपर नीचे हो रहा और मौसी उसे हाथों में पकड़ कर डॉली के रेशमी बाल सहलाती हुई अपनी टाँगें फटकार रही थी दस मिनट यह कार्यक्रम चला और फिर मौसी तडप कर झड गई डॉली ने अपना मुँह जमा कर चुनमूनियाँ चूसना शुरू कर दिया और पाँच मिनट बाद तृप्त होकर अपने होंठ पोंछते हुए उठ बैठी वह अब किसी बिल्ली की तरह मुस्करा रही थी जिसे की मनपसंद चीज़ खाने को मिल गई हो
गतान्क से आगे………………………….
स्त्री - स्त्री संभोग की यह कहानी सुनते सुनते मेरा लंड बुरी तरह से खड़ा हो गया मौसी ने देखा तो हँसने लगी बोली "बेटे, आज तेरी नहीं चलेगी, डॉली तो बिलकुल बरदाश्त नहीं करेगी कि कोई पुरुष हमारे बीच में आए, भले ही वह तेरे जैसा प्यारा कमसिन किशोर ही क्यों ना हो अगर उसे पता चला की तू यहाँ है तो वह शायद रुकने को भी तैयार नहीं होगी"
मुझे बड़ा बुरा लगा एक तो उस सुंदर युवती के साथ संभोग का मेरा सपना टूट गया, दूसरे यह कि मेरे कारण मौसी की अपनी प्यारी प्रेमिका के साथ चुदाई भी खट्टे में ना पड जाए
मौसी ने मेरा मुरझाया हुआ चेहरा देखा तो मुझे ढाढस बँधाती हुई बोली "तू फिकर मत कर बेटे, तू दूसरे कमरे में रहना दोनों कमरों के बीच एक आईना है मेरे कमरे में से वह आईना लगता है पर दूसरे कमरे में से उसमें से सब सॉफ दिखता है तू आराम से मज़ा लेना हाँ, एक बात यह कि तेरे हाथ-पैर और मुँह मैं बाँध दूँगी अगर अनजाने में कोई आवाज़ की तो सब खटाई में पड जाएगा और दूसरे यह कि उस मस्त छोकरी के रूप को देखने के बाद तू ज़रूर मुठ्ठ मारेगा और यह मैं नहीं होने दूँगी, तेरा लंड मैं अपने लिए बचा कर रखूँगी"
शन्नो मौसी ने फटाफट टेबल और किचन सॉफ किया और मुझे दूसरे कमरे में ले गई यहाँ उसने मुझे उस एक तरफे आईने के सामने (वॅन-वे-मिरर) एक कुर्सी में बिठाया और फिर मेरे हाथ पैर कस के कुर्सी से बाँध दिए फिर धोने के कपड़ों में से अपनी एक मैली ब्रेसियर और पैंटी उठा लाई और मुझसे मुँह खोलने को कहा मुँह में वह ब्रा और चड्डी ठूँसने के बाद उसने एक और ब्रेसियर से मेरे मुँह पर पट्टी बाँध दी
यह करते हुए मेरे थरथराते लंड को देखकर वह दुष्टा हँस रही थी क्योंकि उसे मालूम था कि उसके शरीर की सुगंध और पसीने से सराबोर उन पहने हुए अंतर्वस्त्रों का मुझ पर क्या असर होगा जानबूझकर मुझे उत्तेजित करने और मेरा लंड तन्नाने के लिए उसने ऐसा किया था पूरी तरह मेरी मुश्कें बाँधने के बाद मौसी ने मुझे प्यार से चूमा और दरवाजा लगाती हुई अपने कमरे में तैयार होने को चली गई उसका सजना संवरना मुझे साफ साफ काँच में से दिख रहा था
मौसी ने अपनी डॉली रानी के लिए बड़े मन से तैयारी की नंगी होकर पहले एक कसी हुई काली ब्रेसियार और पैंटी पहनी जो उसके गोरे गदराए बदन पर गजब ढा रही थी, फिर एक साड़ी सफेद साड़ी और लंबे बाहों का अम्मा स्टाइल का ब्लओज़ पहना मेकअप बिल्कुल नहीं किया पर माथे पर एक बड़ी बिंदी लगाई अपने घने बाल जूडे में बाँधे और उसमें गजरा पहना आख़िर में अपनी कलाई में बहुत सी चूड़ियाँ पहन लीं; अब वह एक आकर्षक मध्यम आयु की असली भारतीया नारी लग रही थी मैं समझ गया कि ऐसा उसने डॉली की माँ की चाहत को पूरा करने के लिए किया है
तभी डोरबेल बजी ओर मेरी ओर देख कर मुस्करा कर मौसी ने मुझे आँख मारी कि तैयार रह तमाशा देखने के लिए और कमरे के बाहर चली गई, दरवाजा खोलने के लिए
मुझे हँसने और खिलखिलाने की आवाज़ें आईं और साथ ही पटापट खूब चुंबन लिए जाने के स्वर भी सुनाई दिए कुछ ही देर में एक जवान युवती से लिपटी मौसी कमरे में आई वह युवती इतने ज़ोर ज़ोर से मौसी को चूम रही थी कि मौसी चलते चलते लडखडा जाती थी "अरे बस बस, कितना चूमेगी, ज़रा साँस तो लेने दे" मौसी ने भी डॉली को चूमते हुए कहा पर वह तो मौसी के होंठों पर अपने होंठ दबाए बेतहाशा उसके चुंबन लेती रही
शन्नो मौसी ने किसी तरह से दरवाजा लगाया और फिर तो डॉली मौसी पर किसी वासना की प्यासी औरत जैसी झपट पडी और मौसी के कपड़े नोचने लगी डॉली को मैंने अब मन भर कर देखा वह एक लंबी छरहरे बदन की गोरी सुंदर लड़की थी और जीन और एक टीशर्ट पहने हुए थी अपने रेशमी बॉबी कट बाल उसने कंधे पर खुले छोड़ रखे थे टाइट टीशर्ट में से उसके कसे जवान उरोजो का उभार सॉफ दिख रहा था उसने मौसी की एक ना सुनी और उसकी साड़ी और ब्लओज़ उतारने में लग गयी शन्नो मौसी ने खिलखिलाते हुए कहा "अरे ज़रा ठीक से कपड़े तो उतारने दे बेटी और तू भी उतार ले"
डॉली को बिलकुल धीर नहीं था "मामी, पहले अपनी चूत चुसाओ, फिर बाकी बातें होंगी" ऐसा कहते हुए उसने मौसी को पलंग पर धकेला और फिर मौसी की साड़ी उपर करके खींच कर उसकी चड्डी उतार दी "क्या दीदी, पैंटी क्यों पहनी, मेरा एक मिनट और गया" कहकर उसने मौसी की टाँगों के बीच अपना सिर घुसेड दिया जल्दी ही चूसने और चाटने की आवाज़ें आने लगीं मौसी सिसकारी भरते हुए बोली "अरी पगली, मेरी प्यारी बेटी, तेरी मनपसंद काली ब्रा और पैंटी पहनी है, सोचा था कि धीरे धीरे कपड़े उतारकर तुझे मस्त करूँगी पर तू तो लगता है कब की भूखी है"
डॉली का सिर अब मौसी की मोटी मोटी गोरी जांघों के बीच जल्दी जल्दी उपर नीचे हो रहा और मौसी उसे हाथों में पकड़ कर डॉली के रेशमी बाल सहलाती हुई अपनी टाँगें फटकार रही थी दस मिनट यह कार्यक्रम चला और फिर मौसी तडप कर झड गई डॉली ने अपना मुँह जमा कर चुनमूनियाँ चूसना शुरू कर दिया और पाँच मिनट बाद तृप्त होकर अपने होंठ पोंछते हुए उठ बैठी वह अब किसी बिल्ली की तरह मुस्करा रही थी जिसे की मनपसंद चीज़ खाने को मिल गई हो
Re: मौसी का गुलाम
वह वासना की मारी युवती अब उठ कर अपने कपड़े उतारने लगी उसने जब जींस और टीशर्ट उतार फेका तो मेरा लंड मस्ती से उछल पड़ा डॉली ने एक गुलाबी रंग की लेस वाली बड़ी प्यारी ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी जो उसके गोरे चिकने बदन पर खूब खिल रही थी डॉली ने अब मौसी की साड़ी और ब्लओज़ निकाले और फिर ब्रा के हुक खोल कर खींच कर वह काली ब्रा भी अलग कर दी तब तक मौसी ने भी डॉली की ब्रेसियर और पैंटी उतार दी थी
दोनों औरतें अब एकदम नग्न थीं मौसी के मस्त मांसल बदन के जवाब में डॉली का छरहरा यौवन था मौसी की घनी काली झांतें थीं और उसके ठीक विपरीत डॉली की चिकनी चुनमूनियाँ पर एक भी बाल नहीं था पूरी शेव की हुई चुनमूनियाँ थी पहले तो खिलखिलाते हुए वे एक दूसरे से लिपट गईं और चूमा चाटी करने लगीं फिर पलंग पर चढ कर उन्होंने आगे की कामक्रीडा शुरू की
डॉली ने मौसी को पलंग पर लिटाया और खुद उसकी छाती के दोनों ओर घुटने टेक कर झुक कर तैयार हुई फिर सीधा अपनी चुनमूनियाँ को मौसी के मुँह पर जमा कर वह बैठ गई और उछल उछल कर मौसी का मुँह चोदते हुए अपनी चुनमूनियाँ चुसवाने लगी "माँ, मेरी मामी, अपनी बेटी की चुनमूनियाँ चूस लो, दिन भर से चू रही है हाय माँ हाय दीदी जीभ घुसेडो ना जैसे हमेशा करती हो" कहते हुए डॉली मदहोश होकर मौसी के सिर को अपनी मजबूत जांघों में जकडकर उसके होंठों पर हस्तमैथुन करने लगी मौसी ने भी शायद उसे बड़ी खूबी से चूसा होगा क्योंकि पाँच ही मिनट में डॉली एक हल्की चीख के साथ स्खलित हो गई और लस्त होकर मौसी के शरीर पर ही पीछे लुढक गई
पर मौसी ने उसे नहीं छोड़ा और उसकी टाँगें पकडकर डॉली की चुनमूनियाँ चाटती रही झडी हुई डॉली को यह सहना नहीं हुआ और वह सिसक सिसक कर पैर फटकारती हुई छूटने की कोशिश करने लगी पर मेरी कामुक अनुभवी मौसी के सामने उसकी क्या चलती आख़िर जब वह दूसरी बार झडी और हाथ पैर पटकने लगी तब मौसी ने उसे छोड़ा डॉली पडी पडी हाँफती रही और शन्नो मौसी ने बड़े प्यार से उसकी जांघें और चुनमूनियाँ पर बह आए रस को चाट कर उन्हें बिलकुल सॉफ कर दिया फिर डॉली को बाँहों में भर कर प्यार करते हुए आराम से वह बिस्तर पर लेट गई
"लगता है, बहुत दिन से भूखी थी मेरी लाडली बेटी, तभी तो ऐसे मचल रही थी, और रस भी कितना निकला तेरी चुनमूनियाँ से !" मौसी ने लाड से कहा "हाँ दीदी, एक महना हो गया तुम से मिले उसके बाद सिर्फ़ रोज हस्तमैथुन से संतोष कर रही हूँ तुम्हारी चुनमूनियाँ का रस पीने के लिए मरी जा रही थी कब से"
मौसी ने हँसकर बड़े दुलार से डॉली को चुम्मा लिया और डॉली ने भी बड़े प्यार से मौसी का चुम्मा लौटाया मौसी पलंग के सिरहाने से टिक कर बैठ गई और डॉली को गोद में लेकर प्यार करने लगी बिलकुल ऐसा नज़ारा था जैसे हमेशा माँ बेटी के बीच दिखता है, फ़र्क यही था कि यहाँ बेटी छोटी बच्ची ना होकर एक युवती थी और माँ बेटी दोनों नंगी और उत्तेजित थीं मौसी ने बड़े प्यार से हौले हौले डॉली के गाल, नाक, आँखें और होंठ चूमे और उससे पूछा "डॉली बेटी, अपनी माँ को अपना मीठा प्यारा मुँह चूमने नहीं देगी? ठीक से, पूरे रस के साथ?"
डॉली ने सिसककर अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने रसीले गुलाबी होंठ खोल कर अपनी लाल लाल लोलीपोप जैसी जीभ बाहर निकाल दी शन्नो मौसी के होंठ खुले और उसकी जीभ निकालकर डॉली की जीभ से अठखेलियाँ करने लगी आख़िर मौसी ने अपनी जीभ से धकेलकर डॉली की जीभ वापस उसके मुँह में डाल दी और फिर अपनी जीभ भी उस युवती के मुँह में घुसेड दी डॉली ने अपने होंठ बंद कारा के मौसी की जीभ अपने मुँह में पकड़ ली और चॉकलेट जैसे चूसने लगी यह चुंबन तो ऐसा था जैसे वे एक दूसरे को खाने की कोशिश कर रही हों पूरे दस मिनट बिना मुँह हटाए वे एक दूसरे के मुखरस का पान करती रहीं मैंने ऐसा चुंबन कभी नहीं देखा था और मेरा लंड ऐसा तन्नाया कि लगता था वासना से फट जाएगा
मौसी का हाथ सरककर धीरे धीरे डॉली की जांघों के बीच पहुँच गया अपनी दो उंगलियाँ मौसी ने डॉली की चुनमूनियाँ में डाल दीं और अंदर बाहर करने लगी दूसरे हाथ से वह डॉली की ठोस कड़ी चूची दबाने लगी डॉली ने भी ऐसा ही किया और मौसी की चुनमूनियाँ को अपनी उंगलियों से चोदने लगी अगले बीस पच्चीस मिनट चुपचाप उन दोनों सुंदर मादक औरतों का यह प्रणय चलता रहा
आख़िर तृप्त होकर दोनों शिथिल पड गईं और अलग होकर सुस्ताने लगीं मौसी ने अपनी उंगलियाँ चाटी और प्यार से डॉली को कहा "तेरा स्वाद तो दिन-बा-दिन मस्त होता जा रहा है मेरी जान, चल मुझे ठीक से तेरी चुनमूनियाँ चूसने दे" अपनी टाँगें खोल कर मौसी एक करवट पर लेट गई और डॉली ने उलटी तरफ से उसकी जांघों में सिर छुपा लिया दोनों का मनपसंद सिक्सटी-नाइन आसन शुरू हो गया
मौसी ने अपने हाथों में डॉली के गोल चिकने नितंब पकड़े और उसकी चुनमूनियाँ को अपने मुँह पर सटाकर चूसने लगी डॉली के काले बाल मौसी की गोरी जांघों पर फैले हुए थे उधर मौसी ने डॉली का सिर अपनी गुदाज जांघों में जकड रखा था और उसे अपनी चुनमूनियाँ चुसवाते हुए उसके लाल होंठों पर मुठ्ठ मार रही थी एक दूसरे के गुप्तांगों के रस का पान करते हुए वे अपनी साथिन के चुतड भी मसल और दबा रही थीं लगता है कि यहा दोनों का प्रिय आसन था क्योंकि बिना रुके घंटे भर यह चुनमूनियाँ चूसने की कामक्रीडा चलती रही
जब दोनों आख़िर तृप्त होकर उठीं तो शाम होने को थी डॉली के जाने का समय हो गया था कुछ देर वह शन्नो मौसी से लिपट कर उसकी मोटी मोटी लटकती छातियों में मुँह छुपाकर उनसे बच्चे जैसी खेलती हुई बैठी रही मौसी ने भी प्यार से अपना एक निपल उसके मुँह में दे दिया डॉली छोटी बच्ची जैसे आँखें बंद करके मौसी की चूची चूस रही थी और मौसी प्यार से बार बार उसकी आँखों की पलकों को चूम रही थी बड़ा ही मादक और भावनात्मक दृश्य था क्योंकि यह सॉफ था कि एक दूसरे के शरीर को वासना से भोगने के साथ साथ दोनों औरतें सच में एक दूसरे को बहुत प्यार करती थीं
क्रमशः……………………
दोनों औरतें अब एकदम नग्न थीं मौसी के मस्त मांसल बदन के जवाब में डॉली का छरहरा यौवन था मौसी की घनी काली झांतें थीं और उसके ठीक विपरीत डॉली की चिकनी चुनमूनियाँ पर एक भी बाल नहीं था पूरी शेव की हुई चुनमूनियाँ थी पहले तो खिलखिलाते हुए वे एक दूसरे से लिपट गईं और चूमा चाटी करने लगीं फिर पलंग पर चढ कर उन्होंने आगे की कामक्रीडा शुरू की
डॉली ने मौसी को पलंग पर लिटाया और खुद उसकी छाती के दोनों ओर घुटने टेक कर झुक कर तैयार हुई फिर सीधा अपनी चुनमूनियाँ को मौसी के मुँह पर जमा कर वह बैठ गई और उछल उछल कर मौसी का मुँह चोदते हुए अपनी चुनमूनियाँ चुसवाने लगी "माँ, मेरी मामी, अपनी बेटी की चुनमूनियाँ चूस लो, दिन भर से चू रही है हाय माँ हाय दीदी जीभ घुसेडो ना जैसे हमेशा करती हो" कहते हुए डॉली मदहोश होकर मौसी के सिर को अपनी मजबूत जांघों में जकडकर उसके होंठों पर हस्तमैथुन करने लगी मौसी ने भी शायद उसे बड़ी खूबी से चूसा होगा क्योंकि पाँच ही मिनट में डॉली एक हल्की चीख के साथ स्खलित हो गई और लस्त होकर मौसी के शरीर पर ही पीछे लुढक गई
पर मौसी ने उसे नहीं छोड़ा और उसकी टाँगें पकडकर डॉली की चुनमूनियाँ चाटती रही झडी हुई डॉली को यह सहना नहीं हुआ और वह सिसक सिसक कर पैर फटकारती हुई छूटने की कोशिश करने लगी पर मेरी कामुक अनुभवी मौसी के सामने उसकी क्या चलती आख़िर जब वह दूसरी बार झडी और हाथ पैर पटकने लगी तब मौसी ने उसे छोड़ा डॉली पडी पडी हाँफती रही और शन्नो मौसी ने बड़े प्यार से उसकी जांघें और चुनमूनियाँ पर बह आए रस को चाट कर उन्हें बिलकुल सॉफ कर दिया फिर डॉली को बाँहों में भर कर प्यार करते हुए आराम से वह बिस्तर पर लेट गई
"लगता है, बहुत दिन से भूखी थी मेरी लाडली बेटी, तभी तो ऐसे मचल रही थी, और रस भी कितना निकला तेरी चुनमूनियाँ से !" मौसी ने लाड से कहा "हाँ दीदी, एक महना हो गया तुम से मिले उसके बाद सिर्फ़ रोज हस्तमैथुन से संतोष कर रही हूँ तुम्हारी चुनमूनियाँ का रस पीने के लिए मरी जा रही थी कब से"
मौसी ने हँसकर बड़े दुलार से डॉली को चुम्मा लिया और डॉली ने भी बड़े प्यार से मौसी का चुम्मा लौटाया मौसी पलंग के सिरहाने से टिक कर बैठ गई और डॉली को गोद में लेकर प्यार करने लगी बिलकुल ऐसा नज़ारा था जैसे हमेशा माँ बेटी के बीच दिखता है, फ़र्क यही था कि यहाँ बेटी छोटी बच्ची ना होकर एक युवती थी और माँ बेटी दोनों नंगी और उत्तेजित थीं मौसी ने बड़े प्यार से हौले हौले डॉली के गाल, नाक, आँखें और होंठ चूमे और उससे पूछा "डॉली बेटी, अपनी माँ को अपना मीठा प्यारा मुँह चूमने नहीं देगी? ठीक से, पूरे रस के साथ?"
डॉली ने सिसककर अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने रसीले गुलाबी होंठ खोल कर अपनी लाल लाल लोलीपोप जैसी जीभ बाहर निकाल दी शन्नो मौसी के होंठ खुले और उसकी जीभ निकालकर डॉली की जीभ से अठखेलियाँ करने लगी आख़िर मौसी ने अपनी जीभ से धकेलकर डॉली की जीभ वापस उसके मुँह में डाल दी और फिर अपनी जीभ भी उस युवती के मुँह में घुसेड दी डॉली ने अपने होंठ बंद कारा के मौसी की जीभ अपने मुँह में पकड़ ली और चॉकलेट जैसे चूसने लगी यह चुंबन तो ऐसा था जैसे वे एक दूसरे को खाने की कोशिश कर रही हों पूरे दस मिनट बिना मुँह हटाए वे एक दूसरे के मुखरस का पान करती रहीं मैंने ऐसा चुंबन कभी नहीं देखा था और मेरा लंड ऐसा तन्नाया कि लगता था वासना से फट जाएगा
मौसी का हाथ सरककर धीरे धीरे डॉली की जांघों के बीच पहुँच गया अपनी दो उंगलियाँ मौसी ने डॉली की चुनमूनियाँ में डाल दीं और अंदर बाहर करने लगी दूसरे हाथ से वह डॉली की ठोस कड़ी चूची दबाने लगी डॉली ने भी ऐसा ही किया और मौसी की चुनमूनियाँ को अपनी उंगलियों से चोदने लगी अगले बीस पच्चीस मिनट चुपचाप उन दोनों सुंदर मादक औरतों का यह प्रणय चलता रहा
आख़िर तृप्त होकर दोनों शिथिल पड गईं और अलग होकर सुस्ताने लगीं मौसी ने अपनी उंगलियाँ चाटी और प्यार से डॉली को कहा "तेरा स्वाद तो दिन-बा-दिन मस्त होता जा रहा है मेरी जान, चल मुझे ठीक से तेरी चुनमूनियाँ चूसने दे" अपनी टाँगें खोल कर मौसी एक करवट पर लेट गई और डॉली ने उलटी तरफ से उसकी जांघों में सिर छुपा लिया दोनों का मनपसंद सिक्सटी-नाइन आसन शुरू हो गया
मौसी ने अपने हाथों में डॉली के गोल चिकने नितंब पकड़े और उसकी चुनमूनियाँ को अपने मुँह पर सटाकर चूसने लगी डॉली के काले बाल मौसी की गोरी जांघों पर फैले हुए थे उधर मौसी ने डॉली का सिर अपनी गुदाज जांघों में जकड रखा था और उसे अपनी चुनमूनियाँ चुसवाते हुए उसके लाल होंठों पर मुठ्ठ मार रही थी एक दूसरे के गुप्तांगों के रस का पान करते हुए वे अपनी साथिन के चुतड भी मसल और दबा रही थीं लगता है कि यहा दोनों का प्रिय आसन था क्योंकि बिना रुके घंटे भर यह चुनमूनियाँ चूसने की कामक्रीडा चलती रही
जब दोनों आख़िर तृप्त होकर उठीं तो शाम होने को थी डॉली के जाने का समय हो गया था कुछ देर वह शन्नो मौसी से लिपट कर उसकी मोटी मोटी लटकती छातियों में मुँह छुपाकर उनसे बच्चे जैसी खेलती हुई बैठी रही मौसी ने भी प्यार से अपना एक निपल उसके मुँह में दे दिया डॉली छोटी बच्ची जैसे आँखें बंद करके मौसी की चूची चूस रही थी और मौसी प्यार से बार बार उसकी आँखों की पलकों को चूम रही थी बड़ा ही मादक और भावनात्मक दृश्य था क्योंकि यह सॉफ था कि एक दूसरे के शरीर को वासना से भोगने के साथ साथ दोनों औरतें सच में एक दूसरे को बहुत प्यार करती थीं
क्रमशः……………………