मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति

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sexy
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Re: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति

Unread post by sexy » 09 Sep 2015 08:09

जूली आआअह्हह्हह्हह्हह अह्ह्ह्हह्ह उउउउउ ओह्ह्ह्ह आह्हआ नहीईईईई तू पागल है ….आअह्ह्ह कितना ……. अंदर ……तक्क्क नहीईईईइ आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाआआआ

कमीने दर्द हो रहा है ……………….

अह्ह्ह्ह्ह्हाआआआआअ

विजय बास्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स

जूली ऊऊ औ ओ ओ ओ तू तो बहुत कमीना है…. आज के बाद मुझसे बात नहीं करना ……

विजय क्यों क्या हुआ भाभी…… प्लीज ऐसा न बोलो… आई लव यू ….सो मच …..

जूली लव होता तो इतना दुःख नहीं देता….न समय देखता है और न जगह …..

विजय क्या भाभी आप भी, अब आपकी ये मस्त गांड देख पेरा पप्पू नहीं मन तो इसमें मेरी क्या गलती…

जूली उन उउउउम जा भाग यहाँ से….

विजय प्लीज मान जाओ न भाभी…..

जूली चल अब जल्दी से घर चल देर हो रही है]

………………..

…………………..
विजय भाभी प्लीज माफ़ कर दो न….. अच्छा अब कभी ऐसी गलती नहीं करूँगा…..प्रोमिस…

जूली अच्छा ठीक है …पर कुछ समय दूर रह …मेरा मूड बहुत ख़राब है….

विजय ओके मेरी प्यारी भाभी …पुचच च च च

………..

विजय भाभी में अभी आता हूँ…………जरा कुछ सामान लेना है….बाजार से भूल गया था ….
………………..
………..
….

काफी देर बाद ………..

टेलीफोन कि रिंग ……..ट्रिन ट्रिन …….ट्रिन ट्रिन

जूली हेल्लो …….

मेरी किस्मत कि जूली ने फ़ोन स्पीकर पे कर लिया था ..

उसकी दोस्त नफीसा हेलो मेरी जान,कहाँ हो आजकल

जूली यहीं हूँ यार तू सुना..कहाँ मस्ती मार रही है…

नफीसा वाह, मस्ती खुद कर रही है और मेरे को बोल रही है….

जूलीओह लगता है अहमद भाई नहीं हैं आजकल जो मुझसे लड़ने लगी…

नफीसा उनको छोड़ तू ये बता आज बाजार में किसके साथ मटक रही थी, बिलकुल छम्मक छल्लो की तरह ..

जूली अरे बो तो रवि का छोटा भाई है ..मैं तेरी तरह नहीं हूँ जो किसी के भी साथ यूँ ही घूमने लागूं…

नफीसा हाँ हाँ मैं तो ऐसी वैसी हूँ…. और तू कैसे घूम रही थी वो सब देखा मैंने…..मेरी आवाज भी नहीं सुनी..और अपने चूतड़ मटकती हुई निकल गई…

जूली अरे यार मैंने सही में नहीं देखा, कहाँ थी तू…

नफीसा उसी बाजार में जहाँ तू बिना कच्छी के अपने नंगे चूतड़ सबको दिखा रही थी…

जूली अरे यार वो जरा वैसे ही हे हे …जरा मस्ती का मूड था तो …. और तू क्या कर रही थी वहाँ ….

नफीसा मैं तो अहमद के साथ शॉपिंग करने गई थी …

जूली हाय तो क्या अहमद भाई ने भी कुछ देखा ..

नफीसा कुछ …अरे सब कुछ देखा …उन्होंने ही तो मुझे बताया ….कि ये आज जूली को क्या हो गया है … उन्होंने तो तेरे उस भाई को तेरे नंगे चूतड़ों पर हाथ से सहलाते भी देखा….तभी तो मैं तुजसे ख रही थी …

जूली ओ माय गॉड, क्या कह रही है तू …

नफीसा बिलकुल वही जो हुआ….अब सच सच बता क्या बात है]

जूली यार अहमद भाई कहीं इनसे तो कुछ नहीं कहेंगे]

नफीसा अरे नहीं यार वो ऐसे नहीं हैं …लेकिन तू मुझे बता ये सब क्या है ….और क्या क्या हुआ …

जूली अरे कुछ नहीं यार, बस थोड़ी मस्ती का मन था. इसलिए बस और कुछ नहीं यार ….

नफीसा हम्म्म वो तो दिख ही रहा था.. तू बताती है या मैं रोबिन भाई जी से पूछूं ….

जूली जा उन्ही से पूछ लेना… साली ब्लॅकमेल करती है …

नफीसा प्लीज बता ना यार क्या क्या हुआ … और वो हैंडसम कौन था …

जूली बताया तो यार मेरा देवर है और बस थोडा मस्ती का मूड था तो ऐसे ही बाहर निकल लिए बस और कुछ नहीं हुआ….और तुझे मस्ती लेनी है तो तू भी बिना चड्डी के जाना, देखना बहुत मजा आएगा..

.नफीसा अरे वो तो सही है.. तू बता न क्या हुआ मेरी जान.. कितनो ने ऊँगली की तेरी में… बता न यार..

जूली नहीं यार ऐसा कुछ नहीं हुआ…. बस जैसे तूने देखा ऐसे ही किसी न किसी देखा होगा बस और तो कुछ नहीं हुआ….

नफीसा अच्छा और तुम्हारे देवर, वो कहाँ तक पहुंचे..

जूली कहीं तक नहीं यार… बस ऐसे ही थोड़ी बहुत मस्ती बस… और क्या मैं ………

……
…..
..

सॉरी दोस्तों टेप ने धोखा दे दिया….. लगता है यहीं तक बेटरी थी …..मगर इतना कुछ सुनकर मुझे ये तो लग गया था कि जूली को अब रोकना मुस्किल है ..

मैं कुछ देर तक बस सोच ही रहा था कि अब आगे क्या और कैसे करना चाहिए…

दोस्तों आप भी अपना मशवरा दें कि आप ऐसी परिस्थिति में क्या करते…

आपके सुझाव के इन्तजार में …

आपका दोस्त …

बहुत समय तक अनाप सनाप सोचने के बाद मैंने सब विचारों को बाहर निकाल फैंका …फिर सोचा कि यार मैंने जूली को अब दिया ही क्या है …

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Re: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति

Unread post by sexy » 09 Sep 2015 08:09

ये घर एस्वर्य या कुछ जरुरी सामान …क्या ये सब ठीक था …

आखिर उसकी भी अपनी ज़िंदगी है ….और सेक्स तो शारीर की जरूरत है… मगर मैंने इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया

पर अब मुझे इस और ध्यान देना होगा…मैंने एक ही पल में सब सोच लिया कि मैं अब जूली का पूरा ध्यान रखूँगा… वो जो भी चाहती है जैसा भी चाहती है मैं उसमे उसका साथ दूंगा] आखिर मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ]

अब अगर उसने ये सब किया तो मैं नहीं समझता कि इसमें उसकी कोई गलती है….अगर उसको ये सब अच्छा लगता है तो उसको मिलना चाहिए…

और मैं भी कौन सा दूध का धुला हूँ] अपनी सेक्रेटरी से लेकर साली तक न जाने कितनी चूतों को मार चूका हूँ]

फिर अगर जूली मजे ले रही है तो ये उसका हक़ है]

अब ये सोचना था कि कैसे मैं उसको अपने विस्वास में लूँ]

ये सब सोचते हुए मैं घर पहुँच गया]

…….

ट्रिीिन्नन्नन्नन्नन्नन तृन्न्नन्न्न्न

जूली कौन…..

मैं खोल ना मैं हूँ]

दरवाजा खुलते ही….

जूली क्या हुआ बड़ी देर लगा दी ….कहाँ रुक गए थे ..विजय का फोन आया कि वो तो २ घंटे पहले ही निकल गया .. वो और मैं दोनों कॉल कर रहे थे पर आपका फोन ही नहीं लग रहा था … कहाँ थे ..कहीं कुछ हुआ तो नहीं….. कितना घबरा रही थी मैं ….. कुछ हुआ तो नहीं ……क्या तुम भी ……एक कॉल भी नहीं कर सकते थे………

ओह माय गॉड, मुझे याद आया …मैं अपना फोन कॉल ऑफ किया था …जब रिकॉर्डिंग सुन रहा था ….और यहाँ ये सब कितने परेशान हो गए वेचारे…

मैं ओह जरा ठहर मेरी जान ….ऐसा कुछ नहीं हुआ … बस कोई मिल गया था ….और मेरा फोन गिरने से ऑफ हो गया था …मुझे पता ही नहीं चला ….

जूली मेरे सीने से लग गई….मैंने कसकर उसे अपनी बाँहों मई जकड़ लिया…मुझे उसके कमसिन शरीर का अहसास होने लगा..जो पिछले १-२ साल से मैंने खो दिया था]

वाक़ई जूली एक बहुत खूबसूरत और कामी स्त्री थी] उसका अंग अंग रस से भरा था…. उसके उठे हुए नुकीले स्तन, चूची मेरे सीने में चुभ रहे थे..

उनके निप्पल तक का अहसास मुझे हो रहा था… मुझे पता था कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी….क्युकि उसकी गहरी लाल रंग की ब्रा, कच्छी हमारे बेड के कोने में लैंप के पास रखीं थी]

जूली अमूमन तो घर पर ब्रा कच्छी पहनती ही नहीं थी] और अगर पहनी हो तो रात को सोने से पहले वो उनको उतार वहीँ रख देती थी]

वो हमेशा मेरे सामने ही ये सब करती थी, मगर मेरा उसके प्रति बिलकुल रूचि ख़त्म हो गई थी] इसलिए कोई ध्यान नहीं देता था]

मगर आज की सारी घटनाओ ने मेरा नजरिया ही बदल दिया था] मुझे जूली संसार की सबसे प्यारी स्त्री लग रही थी]

यकीन मानना मेरा लण्ड उस टेप को सुनने के बाद से खड़ा था और बहुत दिनों बाद आज जूली के शरीर की गर्मी महसूस कर उसको छू रहा था]

इसका एहसास जूली को भी हो रहा होगा…

मैंने अपना हाथ उसकी पीठ से लहराते हुए उसके गदराये चूतड़ों तक ले गया]

कसम से इतने सेक्सी चूतड़ किसी के नहीं हो सकते… ऐसा मखमली अहसास जैसे मक्खन एक पर्वत को चूतड़ का आकर दे दिया गया हो….

जूली ने सफ़ेद मिडी जैसा गाउन पहना था, जो उसके चूतड़ से थोडा ही नीचे होगा…मेरा हाथ सरलता से उसके गाउन के अंदर उसके नग्न नितम्बों (चूतड़ों) के ऊपर पहुँच गया था]

मैं उस मखबली एहसास से सराबोर हो गया था….जूली और कसकर मेरे से लिपट गई…

उसकी इस अदा ने मेरे दिल मैं उसके प्रति और भी प्यार भर दिया ….ये सच है कि वो कभी मुझे किसी बात के लिए मना नहीं करती थी]

आज ना जाने उसकी कितनी मस्ती कि थी और कई बार सेक्स भी किया था…. चाहती तो इस समय वो गहरी नींद सो रही होती …

उसका शरीर इस समय तृप्त होना चाहिए, पर मेरे लिए वो फिर तैयार थी…वो कुछ मना नहीं कर रही थी..

बल्कि मेरे बाहों में सिमटी आहें भर रही थी…उसको मेरी जरुरत का हर पल ख्याल रहता था…

मैंने अपने हाथ को उसके चूतड़ों के चारों ओर सहलाकर, उसके दोनों उभारों को अपनी मुट्ठी में भरने के बाद अपनी दो ऊँगली से उसकी दरार को प्यार से सहलाया फिर अपनी उँगलियों को उसके गुदाद्वार यानि चूतड़ों के छेद पैर ले गया जो एक गरम भाप छोड़ रहा था….फिर वहाँ से मेरी उँगलियों ने उसकी मखमली चूत तक का सफ़र बड़ी रंगीनी के साथ किया…

जूली आअहाआ ह्ह्ह्हह

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Re: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति

Unread post by sexy » 09 Sep 2015 08:09

बस उसके मुह से केवल आहें ही निकल रहीं थीं..

क्या बताऊँ कितना नरम अहसास था…मैं गांड और चूत के मुख को प्यार से ऐसे सहला रहा था कि इन दोनों बेचारो छेदों ने कितनी चोट सही हैं आज…

मगर गांड कि गर्मी और चूत के गीले पन ने मुझे ये बता दिया कि वो फिर चोट सहने के लिए तैयार हैं …

मैंने अपने मुह से ही जूली के कन्धों पर बंधे स्ट्रैप खोल दिए….उसका गाउन नीचे गिर गया…. वो अब पूरी नग्न अवस्था में मेरी बाहों में थी…

मैंने उसको थोडा पीछे कर उसके गदराये मम्मो को देखा …उन पर काफी सारे लाल लाल निसान थे …जो शायद आज हमारे विजय साब बनाकर गए होंगे…

मगर जूली कभी कुछ छिपाने की कोशिश नहीं करती थी इसीलिए मुझे उस पर कभी कोई शक़ नहीं होता था ..
तभीइइइ

जूली सुनो आप कपडे बदली कर लो…. मैं दूध गर्म कर देती हूँ ….

मैं हाँ मेरी जान कितने दिन विजय के कारण हम कुछ नहीं कर पाये.. आज बहुत मन हो रहा है…

जूली के मुख पर एक सेक्सी मुस्कराहट थी…वो एक नई नवेली दुल्हन की तरह शर्मा रही थी … उसने किचन में जाते हुए अपनी आँखों को झुकाकर एक संस्कारी स्त्री की तरह स्वीकृति दी…

उसकी इस अदा को देखकर कोई सपने में भी विस्वास नहीं कर सकता था कि आज पुरे दिन उसने किस तरह अपना अंग प्रदर्शन किया और बुरी तरह से अपने पति के रहते किसी परपुरुष से चुदाई करवाई…

यही होती हैं नारी कि अदाएं जिसे कोई नहीं समझ सकता] समझदार पुरुष को इन सबसे तालमेल बनाना ही होता हैं… वरना होता तो वाही हैं जो नारी चाहती हैं ..
अब या तो आपकी ख़ुशी के साथ या फिर आपका जीवन वर्वाद करने के बाद….

फिलहाल मैं कपडे उतार हल्का सा शावर ले, एक रेसमी लुंगी पहन…. अपने शरीर को deo से महकाकर ….विस्तर पर आ बैठ गया…

मुझे ध्यान आया जब मैंने जूली को छोड़ा था तब वो पूरी नंगी थी]

उसकी नाइटी अभी भी वहीँ पड़ी थी] इसका मतलब वो किचन में नंगी ही होगी]

बस मैं उठकर किचन की और जाने लगा]

ऐसा नहीं है कि ऐसा पहले नहीं होता था, मगर मैं कभी इस सब रोमांच के बारे में नहीं सोचता था]

पहले भी ना जाने कितनी बात जूली घर में नंगी ही और काम करती रहती थी मगर मैं उससे कोई रोमांस नहीं करता था और ना मुझे कोई अजीब लगता था] क्युकि हम दोनों यहाँ अकेले ही रहते थे] तो उस आज़ादी का फ़ायदा उठाते थे]

मैं भी ज्यादातर पूरा नंगा ही सोता हूँ और घर पर काफी कम कपडे ही पहनता हूँ]

मैं जब किचन में गया तो जूली नीचे झुकी हुई कोई सामान निकाल रही थी]

और आज वो ना जाने क्यों इस समय दुनिया की सबसे ज्यादा सेक्सी औरत लग रही थी]

एक पूरी नंगी, मस्त मस्त अंगो वाली नारी जब झुकी हो तो पीछे से उसके नंगे चूतड़ और उसके दोनों भाग से झांकती उसकी सबसे सुन्दर चूत]

क्या बताओ दोस्तों कितना जबर्दस्त दृश्य था] मैंने अपनी लुंगी वहीँ खोली और पीछे से उसको जाकर लिया]

उसने बड़े आश्चर्य से पीछे घूमकर देखा, क्युकि ऐसी अवस्था में शायद ये सब काफी समय बाद हुआ था]

शादी के ६ महीने या १ साल तक तो मैं ये सब रोमांस करता भी था मगर तब जूली घर पर इस तरह नंगी भी नहीं रहती थी]

मगर जब बो इतना खुली रहने लगी तो मैं अपने बिज़नस में व्यस्त हो गया]

इसीलिए उसने मुझे इस तरह देखा मगर वो इतनी ज्यादा प्यारी है कि उसने कुछ नहीं कहा]

वल्कि मेरे लण्ड पैर अपने सेक्सी चूतड़ को हिलाकर कहा, क्या हुआ आ तो रही हूँ…

मैं क्या कर रही हो मेरी जान बहुत देर लगा दी]

जूली बस आपके लिए केसर दूध और कुछ ड्राई फ्रूट तल रही थी]

मैं वाओ जान मजा आ जायगा, क्या कुछ मीठा भी है घर पर…
मैंने साइड खिडकी को खोलते हुए कहा… हमारी किचन की एक तरफ एक छोटी खिडकी है जो वहार गैलरी में खुलती है]

वहाँ कॉलोनी के पीछे वाले रास्ते की सीढ़ी हैं तो दिन में ही वहाँ आना जाना होता है]

और वो भी बहुत कम गर्मी में वो खिडकी खुली ही रहती है]

पहले मैं ही बंद कर देता था कि जूली किचन में कुछ कम कपड़ो में काम करती थी तो कोई देखे ना…

मगर आज ना जाने किस बात से प्रेरित हो मैंने ही वो खिडकी खोल दी थी]

और वो भी तब जब मैं और जूली दोनों ही किचन मैं पुरे नंगे थे…. दोनों के शरीर पर एक कपडा नहीं था..

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