ससुराल सिमर का—7
गतान्क से आगे……………
सब आराम कर चुके तो शन्नो जी ने कहा "चलो, एक पारी और हो जाए तो फिर सब लोग सो लेना आज रात भर जागना है अमित कल जाने वाला है"
सब ने कहा रुक जाओ मैं बोला कि ज़रूर रुक जाता पर घर में काम है और माँ को भी लाना है मांजी बोलीं "हाँ बेटे, जा और तैयारी से आना माँ के साथ, दो तीन महने के लिए तेरी तो गर्मी की छुट्टी है हम सब एक परिवार जैसे रहेंगे"
सब सरक कर पास पास आ गये और` एक दूसरे को चूमने और बदन पर हाथ फेरने लगे तीनों लंड फिर तैयार थे शन्नो जी बोलीं "अब ऐसा करो, सब मिलकर बहू पर चढ जाओ रांड़ इतनी चुदक्कड है, इसे आज पूरा मज़ा दो तीन तीन लंडों से चोदो इसके सब छेद भर दो"
जीजाजी बोले "अम्मा, तू क्या करेगी, अकेली रह जाएगी"
अम्माजी बोलीं "मेरे चिंता ना करो, मैं सब के मुँह से काम चला लूँगी फिर रात भी तो पडी है रात को यही सुख मुझे देना"
"चलो भाई अपने अपने छेद ढूढ लो इस छिनाल के बदन से बोल अमित, तुझे कौन सा चाहिए? वैसे मुझे मालूम है तू क्या पसंद करेगा" दीपक जीजाजी बोले
"हाँ दीदी, अब तो मैं तेरी गान्ड मारूँगा, चल लेट जा नीचे" मैंने दीदी को पलंग पर पटककर कहा वह नखरा करने लगी मन में तो बड़ी खुश हुई होगी "अरे नहीं, तीन तीन लंड! मुझे मार डालोगे क्या" और उठाने की कोशिश करने लगी
जीजाजी बोले "ये रांड़ ऐसे नहीं मानेगी, ज़बरदस्ती करनी पडेगी, चल मुँह खोल हरामजादी" कहकर उन्होंने दीदी के गाल पिचकाकर उसका मुँह खोला और लंड डाल कर उसका मुँह बंद कर दिया दीदी अम अँ करने लगी रजत तुरंत दीदी पर चढ गये और उसकी चूत में लंड पेल दिया फिर दीदी को बाँहों में पकडकर पलट कर नीचे हो गये
दीदी के चूतड अब उपर थे मैंने झपटकर उसके चूतडो को चूमना शुरू कर दिया "वाह दीदी, तेरी गान्ड तो यहाँ ससुराल में और मोटी हो गयी है जल्द ही अम्माजी जैसी हो जाएगी, तरबूजों जैसी" और फिर उसकी गान्ड का छेद चूसना शुरू कर दिया
जीजाजी बोले "वाह मेरे शेर, गान्डो का बहुत शौकीन है तू तुझे यहाँ बहुत गांडे मिलेंगी अम्मा तुम भी अमिता का लंड गीला कर दो, तेल लगाने की ज़रूरत नहीं पडेगी"
शन्नो जी ने मेरे लंड को मुँह में ले कर गीला कर दिया मैंने अब दीदी की गान्ड में लंड पेलना शुरू कर दिया सुपाडा अंदर जाते ही दीदी छटपटाकर गों गों करने लगी "अरे काफ़ी दिनों के बाद मरा रही है ना इतने बड़े लंड से, साली का छेद फिर टाइट हो गया है लगता है अब आएगा मज़ा जब गान्ड फटेगी छिनाल की" रजत बोले
"अरे, तेरा लंड भी तो है चूत में, गान्ड और टाइट हो जाती है ऐसे में" शन्नो जी बोलीं वे दीदी के मम्मे मसल रही थीं मैंने लंड पेलना जारी रखा आज धीरे धीरे जा रहा था नहीं तो हमेशा दीदी एक बार में ले लेती थी पूरा पेल के मैं दीदी पर लेट गया और उसकी गान्ड मारने लगा रजत जेठजी के लंड का आकार मुझे महसूस हो रहा था
हमा तीनों दीदी को चोदने लगे "आराम से चोदो हरामन को, घंटे भर कूटो, पूरा मज़ा लो और इसकी खूब दुर्गति करो" शन्नो जी ने कहा उन्होंने एक चुची मेरे मुँह में दे दी थी और रजतजी को चूम रही थीं
हमने खूब देर दीदी की धुनाई की पलट पलट कर चोदा कभी मैं उपर होता कभी रजत जो उपर होता वो कस के हचक हचक के चोदता, नीचे वाला चूतड उछाल कर नीचे से पेलता जीजाजी तो मज़े में दीदी के सिर को फ़ुटबाल जैसा पकडकर पेट से सटाये उसका गला चोद रहे थे बिलकुल रेप जैसा मज़ा आ रहा था दीदी पहले खूब चटपटाई, छूटने की कोशिश करती रही, फिर लस्त हो गयी और रबड की गुडिया जैसी निढाल पडी रही
मांजी जैसे उनसे बनता था मज़ा ले रही थी बारे बारी से हम तीनों को चूमती या अपनी चूत हमारे मुँह से लगा देतीं बीच बीच में दीदी की चूचिया गूँध देतीं
आख़िर हम तीनों झडे और पूरा वीर्य दीदी के शरीर में उगल दिया "मज़ा आ गया साले, आज इसकी सही चुदाई हुई है" जीजाजी बोले
लंड निकाले तो दीदी बेहोश थी "अरे अभी जाग जाएगी छिनाल, चिंता मत कर" शन्नो जी ने कहा और बारी बारी से दोनों बेटों का लंड चूसने लगीं जीजाजी दीदी की चूत में मुँह डाल कर चालू हो गये, अपने बड़े भाई की मलाई और बुर के रस का स्वाद लेने लगे और रजत ने दीदी की गान्ड को मुँह लगा दिया पता नहीं उन्हें दीदी की गान्ड का स्वाद लेना था या मेरे वीर्य का, या फिर दोनों
दीदी दस मिनिट बाद होश में आई और रोने लगी मुझे लगा कि शायद ज़्यादती हो गयी पर शन्नो जी को मालूम था उन्होंने आँखो के इशारे से मुझे कहा कि कुछ नहीं होगा बात सच थी जब दीदी शांत हुई तो अपनी सास से लिपट गयी "मांजी, आज मैं निहाल हो गयी, इतना सुख कभी नहीं मिला आप सब मुझे इतना प्यार करते हो, मुझे तो लगता था कि मर ना जाऊ, इतना मज़ा आ रहा था"
मांजी ने पुचकार कर उसे चुप कराया सब थक गये थे इसलिए वहीं पलंग पर जैसे बने, लुढक कर सो गये
रात को बाहर से खाना मँगाया गया दीदी ने सबके लिया बादाम का दूध बनाया खाना खाकर थोड़ी देर सब ने टी वी देखा फिर दीदी के कमरे में इकठ्ठे हुए
इस बार शन्नो जी की सेवा की गयी मैं आतुर था देखने को कि उनकी गान्ड किसको मिलती है मुझे उन्होंने मना कर दिया "बेटे, तेरा बहुत बड़ा है, मैं झेल नहीं पाऊन्गि तू तो मेरे चूत में आजा"
मेरी निराशा देखकर बोलीं "दिल छोटा ना कर, जब माँ के साथ आएगा, तब देखूगी एक दो चीज़ें हैं मेरे दिमाग़ में"
मैंने उनकी चूत में लंड डाला, रजत ने उनके मुँह को निशाना बनाया और जीजाजीने अपनी प्यारी माँ के चूतडो के बीच लंड उतारा, धीरे धीरे प्यार से, वे सी सी कर रही थीं जैसे तकलीफ़ हो रही हो फिर हम शुरू हो गये
दीदी पास बैठकर अपनी बुर में उंगली कर रही थी थोड़ी देर बाद बोली "क्या धीरे धीरे पुकूर पुकूर कर रहे हो इस चुदैल औरत को क्या मज़ा आएगा मुझे चोदा था वैसे चोदो, हचक हचक के तब साली झडेगी, ये मेरी सास तो मुझसे ज़्यादा चुदक्कड है, जनम भर दो लंडों से चुदवाती आई है"
हम धीरे धीरे चोद रहे थे पर दीदी की बात सुनकर तैश में आ गये पूरे ज़ोर से शन्नो जी के तीन छेदों में लंड पेलने लगे उनकी लटकी छातियाँ मेरे सीने से भिडी थीं, नरम नरम गद्दे जैसी लग रही थीं उनका चेहरा मेरे पास था और रजत का लंड उनके मुँह में अंदर बाहर होता हुआ मुझे सॉफ दिख रहा था मेरा मन ना माना और मैंने वैसे ही शन्नो जी के होंठों का किनारा चूम लिया जीजाजी का लंड मेरे होंठों से घिसता हुआ शन्नो जी के मुँह में पिल रहा था
कुछ देर बाद मैंने देखा कि शन्नो जी ने अपना एक हाथ उनके चूतडो के इर्द गिर्द लपेट लिया था और उनकी उंगली जीजाजी की गान्ड में घुसी हुई थी वे उसे अंदर बाहर कर रही थीं रजत जिस जोश से अपनी माँ का मुँह चोद रहे थे, उससे सॉफ था कि उन्हें बड़ा मज़ा आ रहा था मांजी की आँखें भी खूआरी से लाल हो गयी थीं जैसे ढेरों ग्लास शराब पी रखी हो साली सेठानी को मज़ा आ रहा है, मैंने मन ही मन सोचा और कस के चोदने लगा
क्रमशः………………
कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का compleet
Re: कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का
ससुराल सिमर का—8
गतान्क से आगे……………
जब चुदाई खतम हुई तो शन्नो जी बोलीं "बहुत दिन के बाद ऐसे चुदाया है मैंने पहले जवान थी तो रोज बेटों से आगे पीछे से एक साथ चुदाती थी अब सहन नहीं होता, ख़ास कर गान्ड दुखती है तुम तीनों मिलकर अब मेरी बहू को हफ्ते में एक दो बार ऐसे ही चाँप दिया करो रोज मत करना नहीं तो टें बोल जाएगी"
कुछ आराम करने के बाद सब सोचने लगे कि अब क्या किया जाए कोई बोला जोड़ियाँ बना लेते हैं, बचा हुआ मेंबर बारी बारी से हर जोड़ी में शामिल हो जाएगा कोई बोला सब मिलकर करते हैं
मांजी मुझे प्यार से चूम रही थीं मेरे लंड को वे दोनों हथेलियों में लेकर बेलन सा घूमा रही थीं बोलीं "झगड़ा मत करो, अब मैं बताती हू क्या करना है अमित को कल जाना है, अब सोना चाहिए उससे पहले आमित के साथ और मस्ती कर लो मैं और बहू बहुत चुदवा चुके, कोई छेद नहीं बचा, लंडों ने घिस घिस के हमारे छेद छिल दिए हैं, अब ऐसा करते हैं कि मैं और बहू ज़रा आपस में इश्क कर लड़ाते हैं, दो औरतें ही जानती हैं कि एक दूसरे को कैसे मज़ा दिया जाता है और तुम तीनों बच्चे आपस में खेल लो, जान पहचान बढ़ा लो"
मेरा दिल धडकने लगा दीदी वहाँ एक हाथ में जीजाजी का और एक हाथ में रजत का लंड लेकर उपर नीचे कर रही थी बोली "हाँ भैया, यही अच्छा रहेगा आज जान पहचान हो जाएगी तो आगे आसानी रहेगी" जीजाजी और रजत भी मेरी ओर देख रहे थे, और मंद मंद मुस्करा रहे थे
मेरा लंड खड़ा होने लगा था "अम्मा, तू जा और सिमर का मन बहला, मैं देखता हू अमित को" कहकर जीजाजी ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया रजत भी खिसककर मेरे पास आ गये और अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया "देख ले अमित, तेरे जितना बड़ा तो नहीं है पर तेरी दीदी को बहुत पसंद है" उनका लंड भी आधा खड़ा था एकदमा गोरा और सटीक
जीजाजी मेरे पीछे बैठ गये और मेरे लंड को सहलाते हुए पीछे से मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगे रजत मेरे सामने बैठे थे उन्होंने मेरे शरीर को सामने से सहलाना शुरू कर दिया "अमित, तेरी जवानी जोरदार है, बदन भी अच्छा चिकना है, कोई ताज्जुब नहीं कि तेरी माँ और दीदी तुझपर मरती हैं"
मैं पहले झिझक रहा था थोड़ा अजीब सा लग रहा था पर जीजाजी मेरे लंड को बहुत प्यार से सहला रहे थे उनकी उंगलियाँ मेरे लंड के आसपास लिपटी थीं और अंगूठे से वे सुपाडे के नीचे के हिस्से को घिस रहे थे इस कला में वे माहिर लगते थे जल्द ही मेरा तन्नाने लगा
झेंप मिटाने को मैंने दीदी की ओर देखा दीदी को शन्नो जी ने अपनी गोद में बिठा लिया था और उसके मुँह को खोल कर उसे मिठाई जैसे चूस रही थीं हमारी ओर उनका ध्यान नहीं था दोनों एक दूसरे की बुर अपनी उंगलियों से खोद रही थीं कई बार माँ भी दीदी को ऐसे ही गोद में लेकर प्यार किया करती थी मेरा और जम कर खड़ा हो गया
अब जीजाजी और जेठजी की हरकतों में मुझे मज़ा आने लगा मैंने पीछे घूम कर जीजाजी को कहा "आप मस्त मुठियाते हो लंड को जीजाजी, कला है आपके हाथ में" वे मेरे पीछे से उठकर मेरे बाजू में बैठ गये "और कला देखनी है मेरी साले राजा?" और झुक कर मेरे लंड को चूसने लगे एक ही बार में उन्होंने पूरा लंड गले में उतार लिया
मैं अचंभे में था रजत मुस्करा कर बोले "अरे ये माहिर है इसमें, हम दोनों को ही ये अच्छे से आता है, आख़िर माँ के साथ बचपन से प्यार करते हुए आपस में भी मज़ा करना हमने बहुत पहले सीख लिया है, कोई चीज़ ऐसी नहीं है जो हमने ना आज़माई हो"
जीजाजी पलंग पर लेट गये और मुझे भी नीचे खींच लिया "आरामा से लेट जा अमित, ज़रा मज़ा करेंगे" और फिर मेरा लौडा चूसने लगे उनका आधा खड़ा आधा नरम लंड मेरे ठीक सामने था अच्छा ख़ासा गोरा चिकना लंड था, भले ही बहुत बड़ा ना हो उनके चिकने पेट पर वह ऐसा फॅब रहा था जैसे किसी किशोर का लंड हो जिसकी झांतें भी ना उगी हों
गतान्क से आगे……………
जब चुदाई खतम हुई तो शन्नो जी बोलीं "बहुत दिन के बाद ऐसे चुदाया है मैंने पहले जवान थी तो रोज बेटों से आगे पीछे से एक साथ चुदाती थी अब सहन नहीं होता, ख़ास कर गान्ड दुखती है तुम तीनों मिलकर अब मेरी बहू को हफ्ते में एक दो बार ऐसे ही चाँप दिया करो रोज मत करना नहीं तो टें बोल जाएगी"
कुछ आराम करने के बाद सब सोचने लगे कि अब क्या किया जाए कोई बोला जोड़ियाँ बना लेते हैं, बचा हुआ मेंबर बारी बारी से हर जोड़ी में शामिल हो जाएगा कोई बोला सब मिलकर करते हैं
मांजी मुझे प्यार से चूम रही थीं मेरे लंड को वे दोनों हथेलियों में लेकर बेलन सा घूमा रही थीं बोलीं "झगड़ा मत करो, अब मैं बताती हू क्या करना है अमित को कल जाना है, अब सोना चाहिए उससे पहले आमित के साथ और मस्ती कर लो मैं और बहू बहुत चुदवा चुके, कोई छेद नहीं बचा, लंडों ने घिस घिस के हमारे छेद छिल दिए हैं, अब ऐसा करते हैं कि मैं और बहू ज़रा आपस में इश्क कर लड़ाते हैं, दो औरतें ही जानती हैं कि एक दूसरे को कैसे मज़ा दिया जाता है और तुम तीनों बच्चे आपस में खेल लो, जान पहचान बढ़ा लो"
मेरा दिल धडकने लगा दीदी वहाँ एक हाथ में जीजाजी का और एक हाथ में रजत का लंड लेकर उपर नीचे कर रही थी बोली "हाँ भैया, यही अच्छा रहेगा आज जान पहचान हो जाएगी तो आगे आसानी रहेगी" जीजाजी और रजत भी मेरी ओर देख रहे थे, और मंद मंद मुस्करा रहे थे
मेरा लंड खड़ा होने लगा था "अम्मा, तू जा और सिमर का मन बहला, मैं देखता हू अमित को" कहकर जीजाजी ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया रजत भी खिसककर मेरे पास आ गये और अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया "देख ले अमित, तेरे जितना बड़ा तो नहीं है पर तेरी दीदी को बहुत पसंद है" उनका लंड भी आधा खड़ा था एकदमा गोरा और सटीक
जीजाजी मेरे पीछे बैठ गये और मेरे लंड को सहलाते हुए पीछे से मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगे रजत मेरे सामने बैठे थे उन्होंने मेरे शरीर को सामने से सहलाना शुरू कर दिया "अमित, तेरी जवानी जोरदार है, बदन भी अच्छा चिकना है, कोई ताज्जुब नहीं कि तेरी माँ और दीदी तुझपर मरती हैं"
मैं पहले झिझक रहा था थोड़ा अजीब सा लग रहा था पर जीजाजी मेरे लंड को बहुत प्यार से सहला रहे थे उनकी उंगलियाँ मेरे लंड के आसपास लिपटी थीं और अंगूठे से वे सुपाडे के नीचे के हिस्से को घिस रहे थे इस कला में वे माहिर लगते थे जल्द ही मेरा तन्नाने लगा
झेंप मिटाने को मैंने दीदी की ओर देखा दीदी को शन्नो जी ने अपनी गोद में बिठा लिया था और उसके मुँह को खोल कर उसे मिठाई जैसे चूस रही थीं हमारी ओर उनका ध्यान नहीं था दोनों एक दूसरे की बुर अपनी उंगलियों से खोद रही थीं कई बार माँ भी दीदी को ऐसे ही गोद में लेकर प्यार किया करती थी मेरा और जम कर खड़ा हो गया
अब जीजाजी और जेठजी की हरकतों में मुझे मज़ा आने लगा मैंने पीछे घूम कर जीजाजी को कहा "आप मस्त मुठियाते हो लंड को जीजाजी, कला है आपके हाथ में" वे मेरे पीछे से उठकर मेरे बाजू में बैठ गये "और कला देखनी है मेरी साले राजा?" और झुक कर मेरे लंड को चूसने लगे एक ही बार में उन्होंने पूरा लंड गले में उतार लिया
मैं अचंभे में था रजत मुस्करा कर बोले "अरे ये माहिर है इसमें, हम दोनों को ही ये अच्छे से आता है, आख़िर माँ के साथ बचपन से प्यार करते हुए आपस में भी मज़ा करना हमने बहुत पहले सीख लिया है, कोई चीज़ ऐसी नहीं है जो हमने ना आज़माई हो"
जीजाजी पलंग पर लेट गये और मुझे भी नीचे खींच लिया "आरामा से लेट जा अमित, ज़रा मज़ा करेंगे" और फिर मेरा लौडा चूसने लगे उनका आधा खड़ा आधा नरम लंड मेरे ठीक सामने था अच्छा ख़ासा गोरा चिकना लंड था, भले ही बहुत बड़ा ना हो उनके चिकने पेट पर वह ऐसा फॅब रहा था जैसे किसी किशोर का लंड हो जिसकी झांतें भी ना उगी हों
Re: कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का
मैंने एक हाथ में जीजाजी का लंड लिया और एक में जेठजी का, और खेलने लगा जेठजी का अब मस्त खड़ा हो गया था वे मेरे पीछे लेट गये और उसे मेरे नितंबों पर रगडने लगे मैं दुविधा में था कि ये ना जाने क्या करें पर वे बस उसे मेरी जांघों और चूतड पर रगडते रहे और पीछे से मेरी पीठ चूमने लगे
काफ़ी मज़ा आ रहा था मैंने जीजाजी का लंड अपने गालों और होंठों पर रगडा और और सुपाडा मुँह में लेकर चूसने लगा मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं कभी ऐसा करूँगा पर दो दिन की इस कामुक चुदाई के बाद समाँ ही कुछ ऐसा बन गया था की हर काम में मज़ा आ रहा था
जीजाजी अब मेरे लंड को चूस रहे थे और एक उंगली से मेरी गुदा को टटोल रहे थे उनकी उंगली धीरे धीरे अंदर हो गयी मैंने भी उनके लंड को मुँह में लिया आराम से पूरा मेरे मुँह में समा गया उसे चूसते हुए मैंने भी उनके चिकने चूतड रगडे और एक उंगली उनकी गान्ड में डाल दी
थोड़ी देर लंड चूसने के बाद उन्होंने मेरा लंड मुँहसे निकाला और रजत को बोले "भैया, अब तुम चख लो, अमित का बड़ा जानदार लंड है, मुझे अपना लंड दे दो, हफ़्ता हो गया उसे मुँह में लिए"
"हफ़्ता तो बहुत चीज़ों को हो गया छोटे, तूने उसे अपनी गान्ड में भी नहीं लिया है बहुत दिन से, चल चूस ले" कहकर वे हमारे पास लेट गये "अमित, ज़रा खिसक यार, अब ज़रा एक बड़ा त्रिकोण बनाना पड़ेगा"
मैं खिसका रजत ने मेरा लंड मुँह में लिया और खुद अपना लंड अपने छोटे भाई के मुँह में दे दिया हम एक दूसरे के लंड चूसने लगे रजत तो लगता है मेरे चूतडो पर फिदा हो गये थे उन्हें दबा और मसल रहे थे और मेरे लंड को गले तक निगलाकर जीभ से रगड रगडकर चूस रहे थे मेरे मुँह में घुसा जीजाजी का लंड अब तक पूरा तन गया था और मेरे हलक तक उतर गया था, मुँह पूरा भर गया था लंड अब मुँह में ज़िंदा जानवर जैसा थिरक रहा था अब मुझे समझ में आया कि क्यों औरतें लंड चूसने के लिए तैयार रहती हैं
जेठजी मेरी गान्ड में अब ज़ोर से उंगली कर रहे थे, अंदर बाहर करके घूमा भी रहे थे मेरी वासना ऐसे भडकी कि मैंने जीजाजी का लंड ज़ोर ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया उन्होंने मेरे सिर को अपने पेट पर दबा लिया और धक्के मारने लगे मुँह चुदवाने में मुझे बड़ा आनंद आ रहा था मैंने ऐसा चूसा कि दो मिनिट में वे झड गये उनका वीर्य मेरे मुँह में भर गया पहले भी मैंने उसे चखा था पर अब सीधा मुँह में लेकर मुझे वह और स्वादिष्ट लगा मेरा लंड भी अब कस के तनतना रहा था इसलिए जीजाजी की मलाई पीने में और मज़ा आ रहा था
मैंने रजत का सिर पकडकर उनके मुँह में लंड पेलना शुरू कर दिया एक बार लगा कि पता नहीं वे नाराज़ ना हो जाएँ, पर मज़ा इतना आ रहा था कि मैंने उस बात पर ख़याल नहीं किया रजत भी मज़े से मेरे लंड को मुँह में पिलावाते रहे मेरे झडने पर लंड को और कस के मुँह में दबा कर उन्होंने पूरा वीर्य चूस डाला अब तक वे भी शायद अपने भाई के मुँह में झड गये थे
पड़े पड़े हम हाँफटे हुए आराम करने लगे अब झडने के बाद मुझे थोड़ा अटपटा लग रहा था अभी अभी मैंने दो जवान मर्दों के साथ समलिंगी संभोग किया था पर आनंद बहुत आया था जीजाजी बोले "क्यों साले, मज़ा आया?"
मैंने बस मूंडी हिलाई फिर जेठजी से माफी माँगी "रजत, सॉरी, मैं ज़रा बहक गया था इसलिए आपके मुँह में लंड पेलने लगा"
वे मेरे पास आए और मुझे बाँहों में भरके सीधे चूम लिया अच्छा गहरा लंबा चूम्मा लिया, मेरी आँखों में देखते हुए उनके मुँह में अब भी मेरे वीर्य की खुशबू थी "तू मेरे साथ कुछ भी करा सकता है अमित, तेरे साथ हर चीज़ करने में मुझे मज़ा आएगा वैसे आज हमने किया ही क्या है? अगली बार आना, माँ के साथ तब दिखाएँगे की लंडों के साथ कैसे मज़ा करते हैं" उनकी उंगली फॉरन मेरी गुदा में घुस गयी थी मैं उनका मतलब समझ गया, अजीब सी गुदगुदी दिल में होने लगी
क्रमशः………………
काफ़ी मज़ा आ रहा था मैंने जीजाजी का लंड अपने गालों और होंठों पर रगडा और और सुपाडा मुँह में लेकर चूसने लगा मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं कभी ऐसा करूँगा पर दो दिन की इस कामुक चुदाई के बाद समाँ ही कुछ ऐसा बन गया था की हर काम में मज़ा आ रहा था
जीजाजी अब मेरे लंड को चूस रहे थे और एक उंगली से मेरी गुदा को टटोल रहे थे उनकी उंगली धीरे धीरे अंदर हो गयी मैंने भी उनके लंड को मुँह में लिया आराम से पूरा मेरे मुँह में समा गया उसे चूसते हुए मैंने भी उनके चिकने चूतड रगडे और एक उंगली उनकी गान्ड में डाल दी
थोड़ी देर लंड चूसने के बाद उन्होंने मेरा लंड मुँहसे निकाला और रजत को बोले "भैया, अब तुम चख लो, अमित का बड़ा जानदार लंड है, मुझे अपना लंड दे दो, हफ़्ता हो गया उसे मुँह में लिए"
"हफ़्ता तो बहुत चीज़ों को हो गया छोटे, तूने उसे अपनी गान्ड में भी नहीं लिया है बहुत दिन से, चल चूस ले" कहकर वे हमारे पास लेट गये "अमित, ज़रा खिसक यार, अब ज़रा एक बड़ा त्रिकोण बनाना पड़ेगा"
मैं खिसका रजत ने मेरा लंड मुँह में लिया और खुद अपना लंड अपने छोटे भाई के मुँह में दे दिया हम एक दूसरे के लंड चूसने लगे रजत तो लगता है मेरे चूतडो पर फिदा हो गये थे उन्हें दबा और मसल रहे थे और मेरे लंड को गले तक निगलाकर जीभ से रगड रगडकर चूस रहे थे मेरे मुँह में घुसा जीजाजी का लंड अब तक पूरा तन गया था और मेरे हलक तक उतर गया था, मुँह पूरा भर गया था लंड अब मुँह में ज़िंदा जानवर जैसा थिरक रहा था अब मुझे समझ में आया कि क्यों औरतें लंड चूसने के लिए तैयार रहती हैं
जेठजी मेरी गान्ड में अब ज़ोर से उंगली कर रहे थे, अंदर बाहर करके घूमा भी रहे थे मेरी वासना ऐसे भडकी कि मैंने जीजाजी का लंड ज़ोर ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया उन्होंने मेरे सिर को अपने पेट पर दबा लिया और धक्के मारने लगे मुँह चुदवाने में मुझे बड़ा आनंद आ रहा था मैंने ऐसा चूसा कि दो मिनिट में वे झड गये उनका वीर्य मेरे मुँह में भर गया पहले भी मैंने उसे चखा था पर अब सीधा मुँह में लेकर मुझे वह और स्वादिष्ट लगा मेरा लंड भी अब कस के तनतना रहा था इसलिए जीजाजी की मलाई पीने में और मज़ा आ रहा था
मैंने रजत का सिर पकडकर उनके मुँह में लंड पेलना शुरू कर दिया एक बार लगा कि पता नहीं वे नाराज़ ना हो जाएँ, पर मज़ा इतना आ रहा था कि मैंने उस बात पर ख़याल नहीं किया रजत भी मज़े से मेरे लंड को मुँह में पिलावाते रहे मेरे झडने पर लंड को और कस के मुँह में दबा कर उन्होंने पूरा वीर्य चूस डाला अब तक वे भी शायद अपने भाई के मुँह में झड गये थे
पड़े पड़े हम हाँफटे हुए आराम करने लगे अब झडने के बाद मुझे थोड़ा अटपटा लग रहा था अभी अभी मैंने दो जवान मर्दों के साथ समलिंगी संभोग किया था पर आनंद बहुत आया था जीजाजी बोले "क्यों साले, मज़ा आया?"
मैंने बस मूंडी हिलाई फिर जेठजी से माफी माँगी "रजत, सॉरी, मैं ज़रा बहक गया था इसलिए आपके मुँह में लंड पेलने लगा"
वे मेरे पास आए और मुझे बाँहों में भरके सीधे चूम लिया अच्छा गहरा लंबा चूम्मा लिया, मेरी आँखों में देखते हुए उनके मुँह में अब भी मेरे वीर्य की खुशबू थी "तू मेरे साथ कुछ भी करा सकता है अमित, तेरे साथ हर चीज़ करने में मुझे मज़ा आएगा वैसे आज हमने किया ही क्या है? अगली बार आना, माँ के साथ तब दिखाएँगे की लंडों के साथ कैसे मज़ा करते हैं" उनकी उंगली फॉरन मेरी गुदा में घुस गयी थी मैं उनका मतलब समझ गया, अजीब सी गुदगुदी दिल में होने लगी
क्रमशः………………