एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“तुम दाओनो डरना मत अंदर से कुण्डी लगा लो और खिड़की को भी अंदर से बंद कर लो मैं और राजू अभी अकल ठीकने लगाते हैं उष्की.
प़ड़्मिनी खिड़की और दरवाजा बंद कर लेती है और नगमा से कहती है, “चिंता मत करो तुम यहा सुरक्षित हो”
“देखा कितनी हिम्मत की उसने मेरे पीछे-पीछे यहा तक आ पहुँचा” नगमा ने कहा.
“वाकाई…और तो और खिड़की से झाँक कर देख रहा था…मेरी तो रूह काँप गयी थी उसे देख कर…चेहरा ठीक से दीखाई नही दिया नही तो पहचान लेती की वो वही साएको है की नही”
“तुम्हे इसे सब की पड़ी है मेरा तो आज का सारा मज़ा किरकिरा हो गया”
“तू भी अजीब है…अभी तो खुद इसे बड़े में बोल रही थी” प़ड़्मिनी ने कहा.
“वो तो ठीक है पर आज बहुत अजीब हुवा मेरे साथ” नगमा ने कहा.
“वो तुम बता चुकी हो” प़ड़्मिनी ने उसे टोका.
“क्या बता चुकी हूँ?”
“यही की भोलू ने बिना पूछे…..”
“पूरी बात तो शन….बड़ी शैठानी से डाला पाजी ने मेरी गान्ड में”
“ठीक है-ठीक है समझ गयी” प़ड़्मिनी ने उसे फिर टोका.
“अरे शन तो सही…मैने उसे पहले ही बता दिया था की गान्ड में नही लूँगी”
“ठीक है बाबा इतनी डीटेल काफ़ी है”
“मेरी बात तो शन…..उसने पहले चुत में डाला और खूब घिसाई की मेरी”
“घिसाई मतलब?” प़ड़्मिनी को इश्का मतलब नही पता था और अचानक उशके मूह से निकल गया. हालाँकि उसे ये सवाल पूछ कर पचेटाना पड़ा.
“घिसाई मतलब की खूब लंड अंदर बाहर किया मेरी चुत में”
“बस-बस मेरी मा समझ गयी”
“आगे तो शन…फिर उसने मुझे घूमने को कहा ये कह कर की पीछे से चुत में डालूँगा”
“समझ गयी उसने कही और डाल दिया….आगे रहने दो” प़ड़्मिनी ने कहा.
“यही तो चूक गयी तुम समझने में…बड़ा पाजी निकला वो….कुछ देर तक मेरी चुत माराता रहा. बड़ा मज़ा आ रहा था. सब ठीक चल रहा था की अचानक उसने लंड मेरी चुत से बाहर निकाल लिया”
ना चाहते हुवे भी अब प़ड़्मिनी की भी साँसे तेज होने लगी थी. “बस अब सब क्लियर हो गया रहने दे आगे की स्टोरी”
“तुम भी ना पूरी बात तो शुन्ओ….उसने चुत से लंड निकाल कर बड़ी चालाकी से मेरी गान्ड में डाल दिया”
“तो तुम निकलवा देती…इसमे कौन सा बड़ी बात थी” प़ड़्मिनी ने कहा.
“निकालने को ही कहा था मैने पाजी को पर वो बोला…अब जब घुस्स ही गया है गान्ड में तो थोड़ी देर मार लेने दे.”
“तो तुमने उसे करने दिया…चलो बात ख़त्म हुई कुछ और बात करो” प़ड़्मिनी ने गहरी साँस ले कर कहा.
“मैं क्यों करने दूँगी भला….मेरा भी कुछ इस्टंदर्ड है”
“स्टॅंडर्ड बोलते हैं”
“हन-हन वही वही….मैने कहा चलो 2 मिनिट मार लो”
“चलो ठीक है उसने 2 मिनिट किया और बात ख़त्म हुई” प़ड़्मिनी ने झुंजलाहट भरे लहजे में कहा.
“नही बाबा…वो बड़ा चालाक निकला पूरे 2 घंटे छोड़ता रहा वो मेरी गान्ड”
“बकवास कर रही हो…इतनी देर करना क्या मज़ाक है”
“लो कर लो बात…हन वैसे मैं 2 घंटे यू ही कह रही हूँ पर उसने 2 मिनिट से तो बहुत ज़्यादा किया है ये मुझे यकीन है”
“2 मिनिट भी बहुत होते हैं”
“लगता है तेरा पाती तुझे 2 मिनिट छोड़ता था”
“जी नही आराम से 10-15 मिनिट हो जाता था हमारा…अपनी बात को मेरी जींदगी पर मत घुमा”
“पर राजू में बहुत दम है…वो 2 घंटे तक खींच लेता है”
“चल ठीक है हो गयी ना तेरी कहानी पूरी या कुछ और भी बाकी है”
“ही सच तुझे सब बता के यादे ताज़ा हो गयी वरना तो सब गुड गोबर हो गया था थॅंक यू”
“ठीक है-ठीक है”
“पर इसे भोलू को भी ना…इतनी अछी चुदाई के बाद ये सब करने की क्या ज़रूरात थी. मैं पहले ही उशके टाय्लेट में वो कमीज़ देख कर दर गयी थी. तुम्हे नही लगता की उसे मेरा यू पीछा नही करना चाहिए था.
“ह्म….क्या पता तेरा पीछा करने वाला भोलू ना हो, बल्कि कोई और हो”
“उशके सिवा कौन हो सकता है…वही है वो साएको किल्लर…हे भगवान मैं आज साएको किल्लर को दे कर आई हूँ…अब तो मेरा भगवान ही मालिक है”
“मोहित और राजू को आने दे सब पता चल जाएगा की तेरे पीछे कौन था.
“एक घंटा हो गया उन्हे गये हुवे…कहा रह गये दाओनो…मुझे तो दर लग रहा है” नगमा ने कहा.
“अभी तो कूद-कूद कर अपनी कहानी बता रही थी…अब दर लग रहा है तुझे हा” प़ड़्मिनी ने ठाना मारा.
“मैं भी इंसान हू…कोई पठार नही हूँ….एक तो अपनी प्राइवेट बाते बताओ फिर ये सब शुन्ओ…तुम्हे पता नही मेरी सहेलिया रास्ता रोक रोक कर सुनती हैं मेरी बाते और एक तू है जिसे मेरी बातो में कोई रूचि नही है…हा”
“कहा गया वो गुरु?” राजू ने कहा.
“नझडीक ही जंगल शुरू होता है…हो सकता है उष तारा भागा हो” मोहित ने कहा.
“चलो फिर जंगल में ही चलते हैं” राजू ने कहा.
“तुम दाओनो यहा क्या कर रहे हो?” राजू और मोहित को किसी ने पीछे से आवाज़ दी.
वो दाओनो तुरंत घूमे
“अरे रघु तू है…तूने तो डरा दिया….तू बता तू क्या कर रहा है इतनी ठंड में बाहर” राजू ने कहा.
“मैने अभी गोली की आवाज़ शुनि थी…वही शन कर बाहर आया हूँ”
“वो तो हमने भी सुनी थी पर उष बात को तो कोई 20 मिनिट हो गये…तू अब निकला है बाहर”
“हन मैं वो टाय्लेट में था तब अभी आया था देखने की क्या बात है?”
“बड़ी अजीब बात है…किसी और को गोली की आवाज़ शुनाई नही दी…सिर्फ़ तुम निकले हो देखने”
“लोग टीवी में लगे रहते हैं सुनाई नही दिया होगा”
“जाओ अंदर बैठ जाओ जाकर….लगता है आज वो साएको किल्लर इशी इलाक़े में शिकार करेगा”
“शुभ शुभ बोल मुझे दर लगता है ऐसी बातो से…मैं तो चला…तुम भी जाओ अपने-अपने घर”
रघु अपने घर में घुस्स गया और फ़ौरन अंदर से कुण्डी लगा ली.
“कही ये रघु ही तो नगमा का पीछा नही कर रहा था गुरु?”
“नही ये ऐसी हरकत नही कर सकता….ये ज़रूर उशी साएको किल्लर का काम है…मुझे यकीन है की वो आस पास ही है. कल इशी जंगल से तो आए थे हम…..वो भी शायद हमें ढुंड रहा है”
“पर नगमा जो कह रही थी उष्का क्या…हो सकता है भोलू ही उष्का पीछा कर रहा हो.”
“ह्म…..चलो उशके घर चलते हैं….अभी सारी बात क्लियर हो जाएगी”
“पर एक बात है गुरु ये दाओनो बहने अलग अलग इंसान को कातिल बता रही हैं”
“देखो मुझे पूजा की बात पर तो यकीन है….बाकी नगमा का मैं कह नही सकता”
“पर नगमा भी झुटि कहानी नही बनाएगी गुरु”
“चल फिर अभी भोलू के घर जा कर दूध का दूध और पानी का पानी कर देते हैं”
“ठीक है”
राजू और मोहित भोलू के घर की और चल पड़ते हैं.
“अभी 10 भी नही बजे और सदके शुन्सान हो गयी हैं” राजू ने कहा.
“सब उष साएको का कमाल है….आजकल 9 बजते ही लोग घरो में घुस्स जाते हैं” मोहित ने कहा.
कुछ ही देर बाद मोहित और राजू भोलू के घर पहुँच जाते हैं.
“गुरु दरवाजे पर तो टाला है” राजू ने कहा.
“ह्म कहा गया होगा?” मोहित बड़बड़ाया.
“अब तो सब सॉफ हो गया…वही थे नगमा का पीछा करने वाला….पर उसने ऐसा क्यों किया…बेचारी ने गान्ड तो दे ही दी थी” राजू ने कहा.
“क्या पता उसे उष्की गान्ड के बाद जान चाहिए हो” मोहित ने कहा.
“मतलब की तुम मन रहे हो की भोलू ही साएको किल्लर है….पर पूजा ने जो कहा उष्का क्या गुरु”
“अरे मज़ाक कर रहा हूँ राजू तू भी ना….क्या पता टाला लगा कर किसी काम से गया हो…पुलिस की नौकरी है उष्की…शायद ड्यूटी पर गया हो.” मोहित ने कहा.
“पर नगमा ने जो कमीज़ देखी थी खून के धब्बो वाली….और वो चाकू”
“ये टाला खोलना होगा” मोहित ने कहा.
“पर कैसे तोड़ने की कोशिस करेंगे तो लोग उठ जाएँगे और बिना मतलब हम धरे जाएँगे”
“तू देखता जा कैसे खोलता हूँ मैं इसे ताले को” मोहित ने कहा अपनी जेब से एक नुकीली सी चीज़ निकाल कर ताले में घुस्सा दी.
“लो खुल गया” मोहित ने कहा.
“पर कैसे?” राजू हैरानी में बोला.
“वो बाद में बतावँगा…पहले भोलू का टाय्लेट चेक करते हैं”
दाओनो भोलू का दरवाजा खोल कर अंदर आ जाते हैं और दवाजे को झुका लेते हैं
“कहा है टाय्लेट….हन वो रहा” मोहित बड़बड़ाया.
टाय्लेट में अभी भी वो कमीज़ वैसी की वैसी तंगी थी.
“ह्म…नगमा ठीक कह रही थी….ये खून के ही धब्बे हैं…आख़िर किया क्या है इसे भोलू ने…आओ ज़रा अब टीवी पर रखे चाकू को भी देख ले”
“चाकू टीवी पर नही है गुरु”
“तुझे कैसे पता”
“मैने अंदर आते ही सबसे पहले टीवी पर नज़र मारी थी”
तभी अचानक घर का दरवाजा खुलता है. मोहित और राजू टाय्लेट के एक कोने में डुबक जाते हैं.
उन्हे कदमो की आहत सुनाई देती है…तक…तक…
मोहित राजू को बिल्कुल चुप रहने का इशारा कराता है और उसे इशारो-इशारो में कटता देने को कहता है.
राजू, मोहित को कटता पकड़ा देता है.
“कौन घुस्सा है मेरे घर में बिना मेरी इज़ाज़त के…सामने आओ वरना पचेटाओगे” भोलू ने कहा.
भोलू झटके से टाय्लेट का दरवाजा खोलता है. दरवाजा खुलते ही मोहित कटता भोलू की तरफ तां देता है.
“हिलना मत वरना भेजा उसा दूँगा….ये चाकू नीचे फेंको बहुत खून कर लिए तुमने इसे से अब और नही”
“ये क्या बकवास कर रहे हो एक तो मेरे घर का टाला खोल कर अंदर घुसते हो और फिर मुझे कातिल बताते हो”
“क्या तुम नगमा का पीछा नही कर रहे थे” राजू ने कहा.
“मैं क्या पागल हूँ जो उष्का पीछा करूँगा” भोलू ने कहा.
“हन तुम ही हो वो पागल खूनी जीशणे सहर में आतंक मचा रखा है”
“राजू तू भी अपने गुरु की तरह पागल हो गया है..” भोलू ने कहा.
“अछा मैं पागल हो गया हूँ….तो ये बताओ की ये तुम्हारी कमीज़ पर खून के धब्बे क्या कर रहे हैं. और तुम्हारे चाकू पर भी खून के निशान हैं. नगमा ने ये सब देखा था यहा और हमें पूरी बात बताई…तब आए हैं हम यहा”
ये सुनते ही भोलू ज़ोर-ज़ोर से हासने लगा और बोला, “उसने ये सब बताया तुम्हे जाकर….हे..हे…हा…हा…क्या ये नही बताया की मैने कैसे मारी उष्की गान्ड…बड़े नखरे कर रही थी…हा..हा”
“वो भी बताया और ये भी बताया….तुम हंस क्यों रहे हो” मोहित गुस्से में बोला.
“देखो बात ऐसी है की आज के दिन मुझे अपने कुछ रीति रीवाज़ के तहत मुर्गी की बलि देनी थी. मैं बेज़ार से जींदा मुर्गी लाया था और उसे हलाल करते वक्त खून के धब्बे मेरी कमीज़ पर लग गये. मुर्गी बहुत छटपटा रही थी. आम मैं मुरकी कातने में एक्सपर्ट तो हूँ नही…बड़ी मुस्किल से किया सब. तुम चाहो तो ये कमीज़ ले जाओ और इसे पर लगे धब्बो की जाँच करवा लो. रही बात चाकू पर लगे खून की तो उष्का जवाब तो तुम समझ ही गये होंगे…इशी चाकू से काटी थी मैने मुर्गी और बताओ कुछ और सुन-ना हो तो”
मोहित और राजू एक दूसरे की तरफ देखते हैं.
“इश् नगमा की वजह से बहुत अछा चूतिया काट गया हमारा…क्यों राजू” मोहित ने कहा.
“अछा अब मैं समझा वो इतनी जल्दी क्यों भाग गयी यहा से…मुझे तो लग रहा था की सारी रात चुत मरवाएगी पर वो तो एक बार देने के बाद ही भाग खड़ी हुई….दुबारा भेजो उसे मेरे पास मेरा मज़ा अधूरा रह गया.” भोलू ने कहा.
“सच में तुम नगमा के पीछे नही गये थे” राजू ने पूछा.
भोलू ने अपनी जेब से बीड़ी का नया बंड्ल निकाला और बोला, “मैं बीड़ी लेने गया था…यकीन ना हो तो पांवाले से पूछ लो जाकर”
“नही अब सब क्लियर हो गया”
“वैसे एक बात बताओ…पुलिस वाला मैं हूँ और पुलिस की तरह इंक्वाइरी करते तुम घूम रहे हो”
“सॉरी भोलू…वो हम नगमा की बातो में आ गये….हम चलते हैं तुम आराम करो”
“ठीक है…और कोई बात हो तो बेझीजक आ जाना”
“ठीक है गुड नाइट” राजू ने कहा.
डौनो मूह लटकाए वापिस मोहित के कमरे की और चल पड़ते हैं.
“गुरु जो भी हो….नगमा का पीछा करने वाला वही साएको था”
“क्या तूने वाकाई खिड़की में किसी को देखा था”
“क्या बात करते हो गुरु…बिल्कुल देखा था…हन चेहरा सॉफ-सॉफ नही दीखा पर प़ड़्मिनी जी और मैने उसे देखा था”
“ह्म आज की रात हमें चौक्कना रहना होगा…मुझे यकीन है की वो साएको ज़रूर यही कही आस-पास है”
बाते करते करते दाओनो कमरे पर पहुँच जाते हैं.
“क्या हुवा तुम दाओनो के चेहरे क्यों लटके हुवे हैं” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“कुछ नही….कुछ भी हाट नही लगा…पता नही कहा गायब हो गया वो” राजू ने कहा.
“भोलू के घर जाना चाहिए था ना” नगमा ने कहा.
“वही से आ रहे हैं….चिकन का खून था उष्की कमीज़ पर और चाकू पर…मुर्गी काट-ते वक्त लग गया था.
“क्या कह रहे हो इश्का मतलब मैने बिना मतलब के अपना मज़ा खराब किया आज” नगमा ने कहा.
“बिल्कुल अगर तुम यहा ना आती तो अभी दूसरी बार गान्ड मार रहा होता भोलू तुम्हारी” मोहित ने हंसते हुवे कहा.
राजू ने मोहित को इशारा किया.
“गुरु प़ड़्मिनी जी के सामने ऐसी बाते मत करो” राजू ने मोहित के कान में कहा.
“मेरी गान्ड है तुम्हे क्यों दर्द हो रहा है” नगमा बोली.
“जाओ फिर वापिस वो इंतेज़ार कर रहा है तुम्हारी और यहा पर ऐसी बाते मत करो…प़ड़्मिनी जी का ध्यान रखा करो” राजू ने कहा.
नगमा ने पहले राजू को घूरा फिर प़ड़्मिनी को और बोली, “बड़ी हमदर्दी हो रही है…गान्ड में देती हूँ की ये”
“नगमा प्लीज़……” प़ड़्मिनी अपने कान पर हाथ रख कर छील्लाई.
“ठीक है मैं चुप हो गयी ये लो मैने अपने मूह पर उंगली रख ली” नगमा बोली.
“तेरे मूह में लंड डाल दूँगा अगर दुबारा बकवास की तो” मोहित ने नगमा के कान में कहा.
“उशे मूह में डालके क्या मिल जाएगा असली मज़ा तो चुत में आएगा…वैसे भी तुमने चुत में नही डाला अब तक” नगमा भी धीरे से बोली.
“चुत फॅट जाएगी तेरी…इतना बड़ा ले भी लेगी” मोहित फिर धीरे से बोला
“जब गान्ड में ले लिया तेरा पूरा तो क्या चुत में नही जाएगा” नगमा ज़ोर से बोली.
“चुप कर मैं कुछ और पूछ रहा हूँ और तू कुछ और जवाब दे रही है” मोहित ने प़ड़्मिनी की और देखते हुवे कहा.
“तुम लोग मेरा मज़ाक उसा रहे हो मैं जा रही हूँ” नगमा ने कहा.
तभी उन्हे दरवाजे के बाहर कुछ आहत सुनाई दी.
“सस्शह लगता है बाहर कोई है….” राजू ने धीरे से कहा.
मोहित ने तुरंत कमरे की लाइट बंद कर दी.
“कटता कहा है?” मोहित ने राजू से पूछा.
“तुम्हे ही तो दिया था भोलू के घर पे वही चोद आए क्या”
मोहित ने अपने कपड़े टटोले.
“अफ वो मैने भोलू से बात करते करते टाय्लेट के वॉश बेसिन पर रख दिया था. उठाना याद ही नही रहा.
“गयी भंस पानी में अब बाहर निकलना ठीक नही है” राजू ने कहा.
“कोई बात नही होककी तो है ना अपने पास”
“देख लो मुझ बाहर निकलना ठीक नही लग रहा बाकी तुम्हारी मर्ज़ी” राजू ने कहा.
“तू चिंता मत कर देखा जाएगा जो होगा”
“ठीक है फिर खोलो दरवाजा” राजू ने कहा.
मोहित धीरे से दरवाजा खोलता है और डाए बाए झाँक कर देखता है, “यहा तो कोई नही है”
“गुरु चलो अंदर वो गेम खेल रहा है हमारे साथ…हम इसे गेम में नही फसेंगे…चलो सुबह देखेंगे की आगे क्या करना है”
प़ड़्मिनी खिड़की और दरवाजा बंद कर लेती है और नगमा से कहती है, “चिंता मत करो तुम यहा सुरक्षित हो”
“देखा कितनी हिम्मत की उसने मेरे पीछे-पीछे यहा तक आ पहुँचा” नगमा ने कहा.
“वाकाई…और तो और खिड़की से झाँक कर देख रहा था…मेरी तो रूह काँप गयी थी उसे देख कर…चेहरा ठीक से दीखाई नही दिया नही तो पहचान लेती की वो वही साएको है की नही”
“तुम्हे इसे सब की पड़ी है मेरा तो आज का सारा मज़ा किरकिरा हो गया”
“तू भी अजीब है…अभी तो खुद इसे बड़े में बोल रही थी” प़ड़्मिनी ने कहा.
“वो तो ठीक है पर आज बहुत अजीब हुवा मेरे साथ” नगमा ने कहा.
“वो तुम बता चुकी हो” प़ड़्मिनी ने उसे टोका.
“क्या बता चुकी हूँ?”
“यही की भोलू ने बिना पूछे…..”
“पूरी बात तो शन….बड़ी शैठानी से डाला पाजी ने मेरी गान्ड में”
“ठीक है-ठीक है समझ गयी” प़ड़्मिनी ने उसे फिर टोका.
“अरे शन तो सही…मैने उसे पहले ही बता दिया था की गान्ड में नही लूँगी”
“ठीक है बाबा इतनी डीटेल काफ़ी है”
“मेरी बात तो शन…..उसने पहले चुत में डाला और खूब घिसाई की मेरी”
“घिसाई मतलब?” प़ड़्मिनी को इश्का मतलब नही पता था और अचानक उशके मूह से निकल गया. हालाँकि उसे ये सवाल पूछ कर पचेटाना पड़ा.
“घिसाई मतलब की खूब लंड अंदर बाहर किया मेरी चुत में”
“बस-बस मेरी मा समझ गयी”
“आगे तो शन…फिर उसने मुझे घूमने को कहा ये कह कर की पीछे से चुत में डालूँगा”
“समझ गयी उसने कही और डाल दिया….आगे रहने दो” प़ड़्मिनी ने कहा.
“यही तो चूक गयी तुम समझने में…बड़ा पाजी निकला वो….कुछ देर तक मेरी चुत माराता रहा. बड़ा मज़ा आ रहा था. सब ठीक चल रहा था की अचानक उसने लंड मेरी चुत से बाहर निकाल लिया”
ना चाहते हुवे भी अब प़ड़्मिनी की भी साँसे तेज होने लगी थी. “बस अब सब क्लियर हो गया रहने दे आगे की स्टोरी”
“तुम भी ना पूरी बात तो शुन्ओ….उसने चुत से लंड निकाल कर बड़ी चालाकी से मेरी गान्ड में डाल दिया”
“तो तुम निकलवा देती…इसमे कौन सा बड़ी बात थी” प़ड़्मिनी ने कहा.
“निकालने को ही कहा था मैने पाजी को पर वो बोला…अब जब घुस्स ही गया है गान्ड में तो थोड़ी देर मार लेने दे.”
“तो तुमने उसे करने दिया…चलो बात ख़त्म हुई कुछ और बात करो” प़ड़्मिनी ने गहरी साँस ले कर कहा.
“मैं क्यों करने दूँगी भला….मेरा भी कुछ इस्टंदर्ड है”
“स्टॅंडर्ड बोलते हैं”
“हन-हन वही वही….मैने कहा चलो 2 मिनिट मार लो”
“चलो ठीक है उसने 2 मिनिट किया और बात ख़त्म हुई” प़ड़्मिनी ने झुंजलाहट भरे लहजे में कहा.
“नही बाबा…वो बड़ा चालाक निकला पूरे 2 घंटे छोड़ता रहा वो मेरी गान्ड”
“बकवास कर रही हो…इतनी देर करना क्या मज़ाक है”
“लो कर लो बात…हन वैसे मैं 2 घंटे यू ही कह रही हूँ पर उसने 2 मिनिट से तो बहुत ज़्यादा किया है ये मुझे यकीन है”
“2 मिनिट भी बहुत होते हैं”
“लगता है तेरा पाती तुझे 2 मिनिट छोड़ता था”
“जी नही आराम से 10-15 मिनिट हो जाता था हमारा…अपनी बात को मेरी जींदगी पर मत घुमा”
“पर राजू में बहुत दम है…वो 2 घंटे तक खींच लेता है”
“चल ठीक है हो गयी ना तेरी कहानी पूरी या कुछ और भी बाकी है”
“ही सच तुझे सब बता के यादे ताज़ा हो गयी वरना तो सब गुड गोबर हो गया था थॅंक यू”
“ठीक है-ठीक है”
“पर इसे भोलू को भी ना…इतनी अछी चुदाई के बाद ये सब करने की क्या ज़रूरात थी. मैं पहले ही उशके टाय्लेट में वो कमीज़ देख कर दर गयी थी. तुम्हे नही लगता की उसे मेरा यू पीछा नही करना चाहिए था.
“ह्म….क्या पता तेरा पीछा करने वाला भोलू ना हो, बल्कि कोई और हो”
“उशके सिवा कौन हो सकता है…वही है वो साएको किल्लर…हे भगवान मैं आज साएको किल्लर को दे कर आई हूँ…अब तो मेरा भगवान ही मालिक है”
“मोहित और राजू को आने दे सब पता चल जाएगा की तेरे पीछे कौन था.
“एक घंटा हो गया उन्हे गये हुवे…कहा रह गये दाओनो…मुझे तो दर लग रहा है” नगमा ने कहा.
“अभी तो कूद-कूद कर अपनी कहानी बता रही थी…अब दर लग रहा है तुझे हा” प़ड़्मिनी ने ठाना मारा.
“मैं भी इंसान हू…कोई पठार नही हूँ….एक तो अपनी प्राइवेट बाते बताओ फिर ये सब शुन्ओ…तुम्हे पता नही मेरी सहेलिया रास्ता रोक रोक कर सुनती हैं मेरी बाते और एक तू है जिसे मेरी बातो में कोई रूचि नही है…हा”
“कहा गया वो गुरु?” राजू ने कहा.
“नझडीक ही जंगल शुरू होता है…हो सकता है उष तारा भागा हो” मोहित ने कहा.
“चलो फिर जंगल में ही चलते हैं” राजू ने कहा.
“तुम दाओनो यहा क्या कर रहे हो?” राजू और मोहित को किसी ने पीछे से आवाज़ दी.
वो दाओनो तुरंत घूमे
“अरे रघु तू है…तूने तो डरा दिया….तू बता तू क्या कर रहा है इतनी ठंड में बाहर” राजू ने कहा.
“मैने अभी गोली की आवाज़ शुनि थी…वही शन कर बाहर आया हूँ”
“वो तो हमने भी सुनी थी पर उष बात को तो कोई 20 मिनिट हो गये…तू अब निकला है बाहर”
“हन मैं वो टाय्लेट में था तब अभी आया था देखने की क्या बात है?”
“बड़ी अजीब बात है…किसी और को गोली की आवाज़ शुनाई नही दी…सिर्फ़ तुम निकले हो देखने”
“लोग टीवी में लगे रहते हैं सुनाई नही दिया होगा”
“जाओ अंदर बैठ जाओ जाकर….लगता है आज वो साएको किल्लर इशी इलाक़े में शिकार करेगा”
“शुभ शुभ बोल मुझे दर लगता है ऐसी बातो से…मैं तो चला…तुम भी जाओ अपने-अपने घर”
रघु अपने घर में घुस्स गया और फ़ौरन अंदर से कुण्डी लगा ली.
“कही ये रघु ही तो नगमा का पीछा नही कर रहा था गुरु?”
“नही ये ऐसी हरकत नही कर सकता….ये ज़रूर उशी साएको किल्लर का काम है…मुझे यकीन है की वो आस पास ही है. कल इशी जंगल से तो आए थे हम…..वो भी शायद हमें ढुंड रहा है”
“पर नगमा जो कह रही थी उष्का क्या…हो सकता है भोलू ही उष्का पीछा कर रहा हो.”
“ह्म…..चलो उशके घर चलते हैं….अभी सारी बात क्लियर हो जाएगी”
“पर एक बात है गुरु ये दाओनो बहने अलग अलग इंसान को कातिल बता रही हैं”
“देखो मुझे पूजा की बात पर तो यकीन है….बाकी नगमा का मैं कह नही सकता”
“पर नगमा भी झुटि कहानी नही बनाएगी गुरु”
“चल फिर अभी भोलू के घर जा कर दूध का दूध और पानी का पानी कर देते हैं”
“ठीक है”
राजू और मोहित भोलू के घर की और चल पड़ते हैं.
“अभी 10 भी नही बजे और सदके शुन्सान हो गयी हैं” राजू ने कहा.
“सब उष साएको का कमाल है….आजकल 9 बजते ही लोग घरो में घुस्स जाते हैं” मोहित ने कहा.
कुछ ही देर बाद मोहित और राजू भोलू के घर पहुँच जाते हैं.
“गुरु दरवाजे पर तो टाला है” राजू ने कहा.
“ह्म कहा गया होगा?” मोहित बड़बड़ाया.
“अब तो सब सॉफ हो गया…वही थे नगमा का पीछा करने वाला….पर उसने ऐसा क्यों किया…बेचारी ने गान्ड तो दे ही दी थी” राजू ने कहा.
“क्या पता उसे उष्की गान्ड के बाद जान चाहिए हो” मोहित ने कहा.
“मतलब की तुम मन रहे हो की भोलू ही साएको किल्लर है….पर पूजा ने जो कहा उष्का क्या गुरु”
“अरे मज़ाक कर रहा हूँ राजू तू भी ना….क्या पता टाला लगा कर किसी काम से गया हो…पुलिस की नौकरी है उष्की…शायद ड्यूटी पर गया हो.” मोहित ने कहा.
“पर नगमा ने जो कमीज़ देखी थी खून के धब्बो वाली….और वो चाकू”
“ये टाला खोलना होगा” मोहित ने कहा.
“पर कैसे तोड़ने की कोशिस करेंगे तो लोग उठ जाएँगे और बिना मतलब हम धरे जाएँगे”
“तू देखता जा कैसे खोलता हूँ मैं इसे ताले को” मोहित ने कहा अपनी जेब से एक नुकीली सी चीज़ निकाल कर ताले में घुस्सा दी.
“लो खुल गया” मोहित ने कहा.
“पर कैसे?” राजू हैरानी में बोला.
“वो बाद में बतावँगा…पहले भोलू का टाय्लेट चेक करते हैं”
दाओनो भोलू का दरवाजा खोल कर अंदर आ जाते हैं और दवाजे को झुका लेते हैं
“कहा है टाय्लेट….हन वो रहा” मोहित बड़बड़ाया.
टाय्लेट में अभी भी वो कमीज़ वैसी की वैसी तंगी थी.
“ह्म…नगमा ठीक कह रही थी….ये खून के ही धब्बे हैं…आख़िर किया क्या है इसे भोलू ने…आओ ज़रा अब टीवी पर रखे चाकू को भी देख ले”
“चाकू टीवी पर नही है गुरु”
“तुझे कैसे पता”
“मैने अंदर आते ही सबसे पहले टीवी पर नज़र मारी थी”
तभी अचानक घर का दरवाजा खुलता है. मोहित और राजू टाय्लेट के एक कोने में डुबक जाते हैं.
उन्हे कदमो की आहत सुनाई देती है…तक…तक…
मोहित राजू को बिल्कुल चुप रहने का इशारा कराता है और उसे इशारो-इशारो में कटता देने को कहता है.
राजू, मोहित को कटता पकड़ा देता है.
“कौन घुस्सा है मेरे घर में बिना मेरी इज़ाज़त के…सामने आओ वरना पचेटाओगे” भोलू ने कहा.
भोलू झटके से टाय्लेट का दरवाजा खोलता है. दरवाजा खुलते ही मोहित कटता भोलू की तरफ तां देता है.
“हिलना मत वरना भेजा उसा दूँगा….ये चाकू नीचे फेंको बहुत खून कर लिए तुमने इसे से अब और नही”
“ये क्या बकवास कर रहे हो एक तो मेरे घर का टाला खोल कर अंदर घुसते हो और फिर मुझे कातिल बताते हो”
“क्या तुम नगमा का पीछा नही कर रहे थे” राजू ने कहा.
“मैं क्या पागल हूँ जो उष्का पीछा करूँगा” भोलू ने कहा.
“हन तुम ही हो वो पागल खूनी जीशणे सहर में आतंक मचा रखा है”
“राजू तू भी अपने गुरु की तरह पागल हो गया है..” भोलू ने कहा.
“अछा मैं पागल हो गया हूँ….तो ये बताओ की ये तुम्हारी कमीज़ पर खून के धब्बे क्या कर रहे हैं. और तुम्हारे चाकू पर भी खून के निशान हैं. नगमा ने ये सब देखा था यहा और हमें पूरी बात बताई…तब आए हैं हम यहा”
ये सुनते ही भोलू ज़ोर-ज़ोर से हासने लगा और बोला, “उसने ये सब बताया तुम्हे जाकर….हे..हे…हा…हा…क्या ये नही बताया की मैने कैसे मारी उष्की गान्ड…बड़े नखरे कर रही थी…हा..हा”
“वो भी बताया और ये भी बताया….तुम हंस क्यों रहे हो” मोहित गुस्से में बोला.
“देखो बात ऐसी है की आज के दिन मुझे अपने कुछ रीति रीवाज़ के तहत मुर्गी की बलि देनी थी. मैं बेज़ार से जींदा मुर्गी लाया था और उसे हलाल करते वक्त खून के धब्बे मेरी कमीज़ पर लग गये. मुर्गी बहुत छटपटा रही थी. आम मैं मुरकी कातने में एक्सपर्ट तो हूँ नही…बड़ी मुस्किल से किया सब. तुम चाहो तो ये कमीज़ ले जाओ और इसे पर लगे धब्बो की जाँच करवा लो. रही बात चाकू पर लगे खून की तो उष्का जवाब तो तुम समझ ही गये होंगे…इशी चाकू से काटी थी मैने मुर्गी और बताओ कुछ और सुन-ना हो तो”
मोहित और राजू एक दूसरे की तरफ देखते हैं.
“इश् नगमा की वजह से बहुत अछा चूतिया काट गया हमारा…क्यों राजू” मोहित ने कहा.
“अछा अब मैं समझा वो इतनी जल्दी क्यों भाग गयी यहा से…मुझे तो लग रहा था की सारी रात चुत मरवाएगी पर वो तो एक बार देने के बाद ही भाग खड़ी हुई….दुबारा भेजो उसे मेरे पास मेरा मज़ा अधूरा रह गया.” भोलू ने कहा.
“सच में तुम नगमा के पीछे नही गये थे” राजू ने पूछा.
भोलू ने अपनी जेब से बीड़ी का नया बंड्ल निकाला और बोला, “मैं बीड़ी लेने गया था…यकीन ना हो तो पांवाले से पूछ लो जाकर”
“नही अब सब क्लियर हो गया”
“वैसे एक बात बताओ…पुलिस वाला मैं हूँ और पुलिस की तरह इंक्वाइरी करते तुम घूम रहे हो”
“सॉरी भोलू…वो हम नगमा की बातो में आ गये….हम चलते हैं तुम आराम करो”
“ठीक है…और कोई बात हो तो बेझीजक आ जाना”
“ठीक है गुड नाइट” राजू ने कहा.
डौनो मूह लटकाए वापिस मोहित के कमरे की और चल पड़ते हैं.
“गुरु जो भी हो….नगमा का पीछा करने वाला वही साएको था”
“क्या तूने वाकाई खिड़की में किसी को देखा था”
“क्या बात करते हो गुरु…बिल्कुल देखा था…हन चेहरा सॉफ-सॉफ नही दीखा पर प़ड़्मिनी जी और मैने उसे देखा था”
“ह्म आज की रात हमें चौक्कना रहना होगा…मुझे यकीन है की वो साएको ज़रूर यही कही आस-पास है”
बाते करते करते दाओनो कमरे पर पहुँच जाते हैं.
“क्या हुवा तुम दाओनो के चेहरे क्यों लटके हुवे हैं” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“कुछ नही….कुछ भी हाट नही लगा…पता नही कहा गायब हो गया वो” राजू ने कहा.
“भोलू के घर जाना चाहिए था ना” नगमा ने कहा.
“वही से आ रहे हैं….चिकन का खून था उष्की कमीज़ पर और चाकू पर…मुर्गी काट-ते वक्त लग गया था.
“क्या कह रहे हो इश्का मतलब मैने बिना मतलब के अपना मज़ा खराब किया आज” नगमा ने कहा.
“बिल्कुल अगर तुम यहा ना आती तो अभी दूसरी बार गान्ड मार रहा होता भोलू तुम्हारी” मोहित ने हंसते हुवे कहा.
राजू ने मोहित को इशारा किया.
“गुरु प़ड़्मिनी जी के सामने ऐसी बाते मत करो” राजू ने मोहित के कान में कहा.
“मेरी गान्ड है तुम्हे क्यों दर्द हो रहा है” नगमा बोली.
“जाओ फिर वापिस वो इंतेज़ार कर रहा है तुम्हारी और यहा पर ऐसी बाते मत करो…प़ड़्मिनी जी का ध्यान रखा करो” राजू ने कहा.
नगमा ने पहले राजू को घूरा फिर प़ड़्मिनी को और बोली, “बड़ी हमदर्दी हो रही है…गान्ड में देती हूँ की ये”
“नगमा प्लीज़……” प़ड़्मिनी अपने कान पर हाथ रख कर छील्लाई.
“ठीक है मैं चुप हो गयी ये लो मैने अपने मूह पर उंगली रख ली” नगमा बोली.
“तेरे मूह में लंड डाल दूँगा अगर दुबारा बकवास की तो” मोहित ने नगमा के कान में कहा.
“उशे मूह में डालके क्या मिल जाएगा असली मज़ा तो चुत में आएगा…वैसे भी तुमने चुत में नही डाला अब तक” नगमा भी धीरे से बोली.
“चुत फॅट जाएगी तेरी…इतना बड़ा ले भी लेगी” मोहित फिर धीरे से बोला
“जब गान्ड में ले लिया तेरा पूरा तो क्या चुत में नही जाएगा” नगमा ज़ोर से बोली.
“चुप कर मैं कुछ और पूछ रहा हूँ और तू कुछ और जवाब दे रही है” मोहित ने प़ड़्मिनी की और देखते हुवे कहा.
“तुम लोग मेरा मज़ाक उसा रहे हो मैं जा रही हूँ” नगमा ने कहा.
तभी उन्हे दरवाजे के बाहर कुछ आहत सुनाई दी.
“सस्शह लगता है बाहर कोई है….” राजू ने धीरे से कहा.
मोहित ने तुरंत कमरे की लाइट बंद कर दी.
“कटता कहा है?” मोहित ने राजू से पूछा.
“तुम्हे ही तो दिया था भोलू के घर पे वही चोद आए क्या”
मोहित ने अपने कपड़े टटोले.
“अफ वो मैने भोलू से बात करते करते टाय्लेट के वॉश बेसिन पर रख दिया था. उठाना याद ही नही रहा.
“गयी भंस पानी में अब बाहर निकलना ठीक नही है” राजू ने कहा.
“कोई बात नही होककी तो है ना अपने पास”
“देख लो मुझ बाहर निकलना ठीक नही लग रहा बाकी तुम्हारी मर्ज़ी” राजू ने कहा.
“तू चिंता मत कर देखा जाएगा जो होगा”
“ठीक है फिर खोलो दरवाजा” राजू ने कहा.
मोहित धीरे से दरवाजा खोलता है और डाए बाए झाँक कर देखता है, “यहा तो कोई नही है”
“गुरु चलो अंदर वो गेम खेल रहा है हमारे साथ…हम इसे गेम में नही फसेंगे…चलो सुबह देखेंगे की आगे क्या करना है”
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“ठीक कह रहे हो” मोहित कहकर दरवाजा बंद कर देता है.
“क्या हुवा….दीखा कोई” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“नही कोई नही दीखा” मोहित ने कहा.
“मुझे घर चोद आओ मैं यहा एक पल भी नही रुकूंगी….तुम लोगो के पीछे है वो साएको.” नगमा ने कहा.
“भूल गयी यहा तक उसे तू लेकर आई थी” मोहित ने कहा.
“मुझे नही पता मुझे अपने घर जाना है” नगमा ने कहा.
“नगमा इसे वक्त घर से बाहर निकलना ठीक नही है….वो बाहर ही घूम रहा है…तुम आज यही रूको”
“पर पूजा घर में अकेली है” नगमा ने कहा.
“तो क्या हुवा…वो कल भी तो अकेली थी….तू यही शो जा आज…मैं भी यही रुक रहा हूँ” राजू ने कहा.
“चल ठीक है तू कहता है तो रुक जाती हूँ….पर अपने गुरु को समझा देना मेरे साथ कोई ऐसी वैसी हरकत ना करे” नगमा ने मोहित की और देखते हुवे कहा.
“हे भगवान अब ये रात कैसे कटेगी ये तो कल से भी ज़्यादा भयानक बन गयी है” प़ड़्मिनी ने डबल मीनिंग बात कही.
“बीट जाएगी मैं हूँ ना साथ तुम्हारे…तुम डरो मत” नगमा ने कहा.
“तुम हो तभी तो दर है” प़ड़्मिनी धीरे से बड़बड़ाई.
“क्या कहा तुमने?” नगमा ने पूछा.
“कुछ नही यही की बिस्तर एक है और हम चार” प़ड़्मिनी ने कहा.
“कोई बात नही हम दाओनो यहा बिस्तर पर लाते जाअएँगे और ये दाओनो नीचे चटाई पर”
“तुम्हारे साथ नही लेटुंगी मैं” प़ड़्मिनी ने कहा.
“तो क्या इन दाओनो के साथ लेटोगी हे..हे…”
“चुप करो नगमा परेशन मत करो प़ड़्मिनी जी को” राजू बोला.
“भाई मैं तो शोन जा रही हूँ जिसे मेरे साथ शोना हो आ जाए” नगमा ने कहा और रज़ाई में घुस्स गयी. घुसते हुवे उसने मोहित को आँख मारी. मोहित उष्की तरफ हंस दिया.
माराती क्या ना कराती प़ड़्मिनी पैर पटक कर रज़ाई का दूसरा कौना पकड़ कर घुस्स गयी. रज़ाई डबल बेड वाली थी इश्लीए दाओनो आराम से उसमे समा गये.
“आ रही हो क्या”
“हन आ तो रही हूँ पर तुम्हारे घर के बाहर जो पुलिस वाले हैं उष्का क्या”
“उनकी चिंता मत कर वो मेरी सुरक्षा के लिए हैं ना की मज़ा खराब करने के लिए”
“कल रात तो मुझे अकेला चोद कर चले गये थे अब तुम्हे बेचैनी हो रही है”
“कल जाना ज़रूरी था तू नही समझेगी….तडपा मत जल्दी आजा अब”
“कल कितना अछा मोका था…..आज रात मेरे पाती देव भी आ जाएँगे…पहली बार पूरी रात थी हमारे पास……तुमने सब गड़बड़ कर दिया”
“रात के 2 बजे पहुँचेगी उसकी ट्रेन…तब तक तो 2-3 बार कर लेंगे”
“अछा 2-3 बार नही बस एक बार करके में आ जवँगी…मुझे मेरे पाती की भी तो सेवा करनी है…..2-3 बार में तो तक जवँगी मैं”
“अब आ भी जाओ मेरी प्यारी मोनिका….वरना बातो बातो में ही 2 बाज जाएँगे”
“ठीक है मैं आ रही हूँ….पर ध्यान रखना मेरी इज़्ज़त का सवाल है…पुलिस वाले तो मुझे देखेंगे ही घर में आते हुवे”
“तू चिंता मत कर मैं उन्हे संभाल लूँगा”
“ठीक है…मैं 15 मिनिट में पहुँच रही हूँ”
“कैसे आओगी?”
“स्कूटी है ना”
“ठीक है जल्दी आओ” ये कह कर सुरिंदर फोन काट देता है.
सुरिंदर बाहर आता है और एक कॉन्स्टेबल से कहता है, “देखो भाई…मुझसे मिलने मेरा कोई गेस्ट आ रहा है”
“कौन आ रहा है?”
“उष से तुम्हे क्या?”
“देखो सब इनस्पेक्टर साहब का हुकाँ है की उनसे पूछे बिना कोई आपसे नही मिलेगा”
“अजीब बात कर रहे हो तुम भी…..मैं तो वितनेस बन के फँस गया….तभी तो कोई पुलिस के पछदे में नही पड़ना चाहता”
“क्यों महेंदर तू क्या कहता है….विजय सिर से बात करूँ क्या”
“छोड़ ना रमेश….आने दे इशके गेस्ट को….क्या दिक्कत है”
मुझे क्यों दिक्कत होगी…कहीं विजय सिर से ना दाँत पड़े”
“तुम्हारा गेस्ट स्टे तो नही करेगा ना?” महेंदर ने पूछा.
“नही-नही बस हाल चाल पूछ कर चला जाएगा मेरा गेस्ट”
“ह्म ठीक है फिर कोई दिक्कत नही” महेंदर ने कहा.
तभी घर के बाहर एक स्कूटी आ कर रुकी.
“क्या यही गेस्ट है तुम्हारी” रमेश ने मोनिका को देख कर कहा.
“हन” सुरिंदर ने जवाब दिया.
“पहले ही बता देते की गेस्ट एक महिला है तो हम इतना कुछ पूचेटे ही नही” रमेश ने कहा.
सुरिंदर ने रमेश की बात का कोई जवाब नही दिया. “आओ मोनिका…मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहा था”
मोनिका सुरिंदर के साथ अंदर आ गयी. अंदर आते ही सुरिंदर ने दरवाजा अच्छे से बंद कर लिया.
“उन पुलिस वालो के सामने मेरा नाम लेने की क्या ज़रूरात थी” मोनिका ने थोड़ा गुस्से में कहा.
“अचानक मूह से निकल गया……छोड़ ना ये सब”
“बिस्तर वैसे का वैसा पड़ा है जैसा मैं चोद कर गयी थी”
“तुम किश वक्त गयी थी”
“सुबह 6 बजे तक इंतेज़ार किया तुम्हारा….तक हार कर जाना ही पड़ा”
“चिंता मत करो सारी कसर पूरी कर दूँगा अब” सुरिंदर ने मोनिका को बाहों में भर के कहा.
बाहर रमेश, महेंदर से कहता है, “लगता है गरमा गर्मी का सीन बनेगा अंदर….कुछ आइडिया लगा देखने का, टाइम पास हो जाएगा वैसे भी यहा खड़े खड़े बोर ही होना है”
“मैं खुद यही सोच रहा हूँ पर कोई रौंद पे आ गया तो दिक्कत हो जाएगी”
“देखी जाएगी यार….हम क्या यहा बोर होते रहेंगे”
“ठीक है चल फिर करते हैं कुछ”
घर के अंदर सुरिंदर और मोनिका बाहों में बाहें डाले खड़े थे.
“पुलिस वाले बड़ी गंदी नज़र से देख रहे थे मुझे” मोनिका ने कहा.
“उनकी क्या ग़लती है…तू चीज़ ही ऐसी है”
“अछा इश्का कोई भी ऐरा ग़ैरा मुझे कैसे भी घुरेगा”
“छोड़ ना पुलिस वालो को…इनकी तो नज़रे ही गंदी होती हैं”
“वैसे तुम्हारी भी नज़रे कम गंदी नही हैं अभी…क्या देख रहे हो”
“तुम्हारे बूब्स पर टिकी हैं निगाहे ये…यू हॅव गॉट वेरी नाइस टिट्स”
“शुकरिया जनाब….अब जब इनकी इतनी तारीफ़ कर रहे हो तो इनको थोड़ा प्यार दे दो”
“बिल्कुल जी बिल्कुल….अभी शककराता हूँ…निकालो इन्हे बाहर”
मोनिका अपने उपर के सभी कपड़े उतार देती है.
“ही रे क्या चुचियाँ हैं काज़ हमें भी मिल जायें ये चूसने को” महेंदर ने रमेश से कहा.
“सच में…इतनी सेक्सी चुचियाँ मैने कभी नही देखी” रमेश ने कहा.
दाओनो ने घर में झाँकने का इंतेज़ां कर ही लिया था.
सुरिंदर मोनिका के बूब्स को दाओनो हाथो से मसालने लगता है
“आअहह….क्या तुम्हे अच्छे लगते हैं बूब्स मेरे”
“अच्छे….ये तो कयामत हैं….पुलिस वालो की गोई ग़लती नही है….इतने बड़े बड़े चुचो को कोई भी घुरेगा” सुरिंदर ने कहा.
महेंदर और रमेश उनकी बाते शन कर मुस्कुरा रहे थे.
“हम तो अभी भी घूर रहे हैं…हमारी कोई ग़लती नही है. क्यों रमेश” महेंदर ने कहा.
“बिल्कुल…हे…हे..हा”
“ज़ोर से मत हंस उन्होने शन लिया तो मज़ा किरकिरा हो जाएगा” महेंदर ने कहा.
“सॉरी तुम्हारी बात पर हँसी आ गयी” रमेश ने कहा.
“काज़ संजय को रोज कोई ना कोई काम रहे बाहर…हमारे मज़े लग जाएँगे” सुरिंदर ने कहा.
“शकइट नाउ” मोनिका ने कहा.
“एक एक बूब हमें पकड़ा दो हम अच्छे से चूसेंगे…इशके बस्का कुछ नही है” महेंदर ने कहा.
“धीरे बोलो यार कही शन ना ले” रमेश ने कहा.
सुरिंदर बारी-बारी से मोनिका के निपल्स को मूह में दबा कर चूसने लगता है
“आअहह…म्म्म्ममम….एस….मैं गीली हो गयी….आअहह कुछ करो”
“चल नाडा खोल फिर देर किश बात की है” सुरिंदर ने कहा.
मोनिका ने झट से नाडा खोला और सलवार उतार दी. उसने नीले रंग की पेंटी पहनी हुई थी. पेंटी को भी उसने एक झटके में अपने शरीर से अलग कर दिया.
“वाउ…..क्या बॉडी है यार……बूब्स की तरह इश्कि गान्ड भी बड़ी है…लगता है खूब मरवाती है गान्ड ये” मोहिंदर ने कहा.
“चुत तो देख एक दम चिकनी है…एक भी बाल नही है….इट्स आ वंडरफुल चुत” रमेश ने कहा.
“इश् वंडरफुल चुत ने हमारी मुस्किल बढ़ा दी है….लेनी पड़ेगी ये चुत अब तो वरना हर वक्त दीमग में घूमती रहेगी” महेंदर ने कहा.
“पर हम कैसे ले पाएँगे इसे की…..भूलो मत हम यहा ड्यूटी पे हैं” रमेश ने कहा.
“सोचने में क्या बुराई है…मिले ना मिले आगे अपनी किशमत है” महेंदर ने कहा.
“लो थोड़ा चिकना कर दो मेरे मेरे लंड को”
“उष्की ज़रूरात नही पड़ेगी शायद मुझे काफ़ी गीली लग रही मेरी पुसी” मोनिका ने कहा.
सुरिंदर ने मोनिका की चुत में उंगली डाली और बोला, “हम ऐसा लगता है जैसे ये पुसी आज नहा के आई है”
“फक मे नाउ…” मोनिका ने कहा.
“आज तुम चोदा मेरे उपर चढ़ कर…क्या कहती हो?”
“ठीक है लाते जाओ फिर” मोनिका ने कहा.
सुरिंदर बिस्तर पर लाते गया और अपने लंड को हाथ में पकड़ कर बोला, “टके इट बेबी”
मोनिका सुरिंदर के उपर आ गयी और अपनी गान्ड को सुरिंदर के लंड के ठीक उपर हवा में थाम लिया.
“ले आओ अपनी गान्ड नीचे अब क्यों तडपा रही हो” सुरिंदर ने कहा.
“मेरे होल पे रख दो बाकी मैं संभाल लूँगी”
सुरिंदर ने लंड को चुत के द्वार पर टीका दिया और बोला, “अपनी गान्ड नीचे को पुश करो…खुद-ब-खुद घुस्स जाएगा ये चुत में”
मोनिका ने अपनी गान्ड को नीचे की और पुश किया और सुरिंदर का लंड मोनिका की चुत में गायब होता चला गया.
“ही रे क्या एंट्री दी है लंड को….काश मेरा भी ले ले ऐसे ही” मोहिंदर ने कहा.
“क्या किशमत है उष लंड की जो की गरम चुत में घुस्सा हुवा है…एक हमारे लंड हैं जो यहा तुंड में ततूर रहे हैं”
“देख-देख कैसे उछाल रही है उशके उपर” महिनदर ने कहा.
“पूरे लंड को बाहर निकाल के अंदर ले रही है..मज़ा आ गया यार ये तो पॉर्न मूवी से भी अछा लग रहा है” रमेश ने कहा.
“आअहह मोनिका और ज़ोर से उछलो…मज़ा आ रहा है” सुरिंदर ने कहा.
“तक गयी मैं अब तुम करो” मोनिका ने कहा.
मोनिका सुरिंदर के उपर से उतार कर टांगे फैला कर लाते गयी और बोली, “संजय को बहुत पसंद है ये पोज़िशन”
“कौन सी पोज़िशन?”
“यही जीशमे मैं उपर थी”
“क्या हुवा….दीखा कोई” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“नही कोई नही दीखा” मोहित ने कहा.
“मुझे घर चोद आओ मैं यहा एक पल भी नही रुकूंगी….तुम लोगो के पीछे है वो साएको.” नगमा ने कहा.
“भूल गयी यहा तक उसे तू लेकर आई थी” मोहित ने कहा.
“मुझे नही पता मुझे अपने घर जाना है” नगमा ने कहा.
“नगमा इसे वक्त घर से बाहर निकलना ठीक नही है….वो बाहर ही घूम रहा है…तुम आज यही रूको”
“पर पूजा घर में अकेली है” नगमा ने कहा.
“तो क्या हुवा…वो कल भी तो अकेली थी….तू यही शो जा आज…मैं भी यही रुक रहा हूँ” राजू ने कहा.
“चल ठीक है तू कहता है तो रुक जाती हूँ….पर अपने गुरु को समझा देना मेरे साथ कोई ऐसी वैसी हरकत ना करे” नगमा ने मोहित की और देखते हुवे कहा.
“हे भगवान अब ये रात कैसे कटेगी ये तो कल से भी ज़्यादा भयानक बन गयी है” प़ड़्मिनी ने डबल मीनिंग बात कही.
“बीट जाएगी मैं हूँ ना साथ तुम्हारे…तुम डरो मत” नगमा ने कहा.
“तुम हो तभी तो दर है” प़ड़्मिनी धीरे से बड़बड़ाई.
“क्या कहा तुमने?” नगमा ने पूछा.
“कुछ नही यही की बिस्तर एक है और हम चार” प़ड़्मिनी ने कहा.
“कोई बात नही हम दाओनो यहा बिस्तर पर लाते जाअएँगे और ये दाओनो नीचे चटाई पर”
“तुम्हारे साथ नही लेटुंगी मैं” प़ड़्मिनी ने कहा.
“तो क्या इन दाओनो के साथ लेटोगी हे..हे…”
“चुप करो नगमा परेशन मत करो प़ड़्मिनी जी को” राजू बोला.
“भाई मैं तो शोन जा रही हूँ जिसे मेरे साथ शोना हो आ जाए” नगमा ने कहा और रज़ाई में घुस्स गयी. घुसते हुवे उसने मोहित को आँख मारी. मोहित उष्की तरफ हंस दिया.
माराती क्या ना कराती प़ड़्मिनी पैर पटक कर रज़ाई का दूसरा कौना पकड़ कर घुस्स गयी. रज़ाई डबल बेड वाली थी इश्लीए दाओनो आराम से उसमे समा गये.
“आ रही हो क्या”
“हन आ तो रही हूँ पर तुम्हारे घर के बाहर जो पुलिस वाले हैं उष्का क्या”
“उनकी चिंता मत कर वो मेरी सुरक्षा के लिए हैं ना की मज़ा खराब करने के लिए”
“कल रात तो मुझे अकेला चोद कर चले गये थे अब तुम्हे बेचैनी हो रही है”
“कल जाना ज़रूरी था तू नही समझेगी….तडपा मत जल्दी आजा अब”
“कल कितना अछा मोका था…..आज रात मेरे पाती देव भी आ जाएँगे…पहली बार पूरी रात थी हमारे पास……तुमने सब गड़बड़ कर दिया”
“रात के 2 बजे पहुँचेगी उसकी ट्रेन…तब तक तो 2-3 बार कर लेंगे”
“अछा 2-3 बार नही बस एक बार करके में आ जवँगी…मुझे मेरे पाती की भी तो सेवा करनी है…..2-3 बार में तो तक जवँगी मैं”
“अब आ भी जाओ मेरी प्यारी मोनिका….वरना बातो बातो में ही 2 बाज जाएँगे”
“ठीक है मैं आ रही हूँ….पर ध्यान रखना मेरी इज़्ज़त का सवाल है…पुलिस वाले तो मुझे देखेंगे ही घर में आते हुवे”
“तू चिंता मत कर मैं उन्हे संभाल लूँगा”
“ठीक है…मैं 15 मिनिट में पहुँच रही हूँ”
“कैसे आओगी?”
“स्कूटी है ना”
“ठीक है जल्दी आओ” ये कह कर सुरिंदर फोन काट देता है.
सुरिंदर बाहर आता है और एक कॉन्स्टेबल से कहता है, “देखो भाई…मुझसे मिलने मेरा कोई गेस्ट आ रहा है”
“कौन आ रहा है?”
“उष से तुम्हे क्या?”
“देखो सब इनस्पेक्टर साहब का हुकाँ है की उनसे पूछे बिना कोई आपसे नही मिलेगा”
“अजीब बात कर रहे हो तुम भी…..मैं तो वितनेस बन के फँस गया….तभी तो कोई पुलिस के पछदे में नही पड़ना चाहता”
“क्यों महेंदर तू क्या कहता है….विजय सिर से बात करूँ क्या”
“छोड़ ना रमेश….आने दे इशके गेस्ट को….क्या दिक्कत है”
मुझे क्यों दिक्कत होगी…कहीं विजय सिर से ना दाँत पड़े”
“तुम्हारा गेस्ट स्टे तो नही करेगा ना?” महेंदर ने पूछा.
“नही-नही बस हाल चाल पूछ कर चला जाएगा मेरा गेस्ट”
“ह्म ठीक है फिर कोई दिक्कत नही” महेंदर ने कहा.
तभी घर के बाहर एक स्कूटी आ कर रुकी.
“क्या यही गेस्ट है तुम्हारी” रमेश ने मोनिका को देख कर कहा.
“हन” सुरिंदर ने जवाब दिया.
“पहले ही बता देते की गेस्ट एक महिला है तो हम इतना कुछ पूचेटे ही नही” रमेश ने कहा.
सुरिंदर ने रमेश की बात का कोई जवाब नही दिया. “आओ मोनिका…मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहा था”
मोनिका सुरिंदर के साथ अंदर आ गयी. अंदर आते ही सुरिंदर ने दरवाजा अच्छे से बंद कर लिया.
“उन पुलिस वालो के सामने मेरा नाम लेने की क्या ज़रूरात थी” मोनिका ने थोड़ा गुस्से में कहा.
“अचानक मूह से निकल गया……छोड़ ना ये सब”
“बिस्तर वैसे का वैसा पड़ा है जैसा मैं चोद कर गयी थी”
“तुम किश वक्त गयी थी”
“सुबह 6 बजे तक इंतेज़ार किया तुम्हारा….तक हार कर जाना ही पड़ा”
“चिंता मत करो सारी कसर पूरी कर दूँगा अब” सुरिंदर ने मोनिका को बाहों में भर के कहा.
बाहर रमेश, महेंदर से कहता है, “लगता है गरमा गर्मी का सीन बनेगा अंदर….कुछ आइडिया लगा देखने का, टाइम पास हो जाएगा वैसे भी यहा खड़े खड़े बोर ही होना है”
“मैं खुद यही सोच रहा हूँ पर कोई रौंद पे आ गया तो दिक्कत हो जाएगी”
“देखी जाएगी यार….हम क्या यहा बोर होते रहेंगे”
“ठीक है चल फिर करते हैं कुछ”
घर के अंदर सुरिंदर और मोनिका बाहों में बाहें डाले खड़े थे.
“पुलिस वाले बड़ी गंदी नज़र से देख रहे थे मुझे” मोनिका ने कहा.
“उनकी क्या ग़लती है…तू चीज़ ही ऐसी है”
“अछा इश्का कोई भी ऐरा ग़ैरा मुझे कैसे भी घुरेगा”
“छोड़ ना पुलिस वालो को…इनकी तो नज़रे ही गंदी होती हैं”
“वैसे तुम्हारी भी नज़रे कम गंदी नही हैं अभी…क्या देख रहे हो”
“तुम्हारे बूब्स पर टिकी हैं निगाहे ये…यू हॅव गॉट वेरी नाइस टिट्स”
“शुकरिया जनाब….अब जब इनकी इतनी तारीफ़ कर रहे हो तो इनको थोड़ा प्यार दे दो”
“बिल्कुल जी बिल्कुल….अभी शककराता हूँ…निकालो इन्हे बाहर”
मोनिका अपने उपर के सभी कपड़े उतार देती है.
“ही रे क्या चुचियाँ हैं काज़ हमें भी मिल जायें ये चूसने को” महेंदर ने रमेश से कहा.
“सच में…इतनी सेक्सी चुचियाँ मैने कभी नही देखी” रमेश ने कहा.
दाओनो ने घर में झाँकने का इंतेज़ां कर ही लिया था.
सुरिंदर मोनिका के बूब्स को दाओनो हाथो से मसालने लगता है
“आअहह….क्या तुम्हे अच्छे लगते हैं बूब्स मेरे”
“अच्छे….ये तो कयामत हैं….पुलिस वालो की गोई ग़लती नही है….इतने बड़े बड़े चुचो को कोई भी घुरेगा” सुरिंदर ने कहा.
महेंदर और रमेश उनकी बाते शन कर मुस्कुरा रहे थे.
“हम तो अभी भी घूर रहे हैं…हमारी कोई ग़लती नही है. क्यों रमेश” महेंदर ने कहा.
“बिल्कुल…हे…हे..हा”
“ज़ोर से मत हंस उन्होने शन लिया तो मज़ा किरकिरा हो जाएगा” महेंदर ने कहा.
“सॉरी तुम्हारी बात पर हँसी आ गयी” रमेश ने कहा.
“काज़ संजय को रोज कोई ना कोई काम रहे बाहर…हमारे मज़े लग जाएँगे” सुरिंदर ने कहा.
“शकइट नाउ” मोनिका ने कहा.
“एक एक बूब हमें पकड़ा दो हम अच्छे से चूसेंगे…इशके बस्का कुछ नही है” महेंदर ने कहा.
“धीरे बोलो यार कही शन ना ले” रमेश ने कहा.
सुरिंदर बारी-बारी से मोनिका के निपल्स को मूह में दबा कर चूसने लगता है
“आअहह…म्म्म्ममम….एस….मैं गीली हो गयी….आअहह कुछ करो”
“चल नाडा खोल फिर देर किश बात की है” सुरिंदर ने कहा.
मोनिका ने झट से नाडा खोला और सलवार उतार दी. उसने नीले रंग की पेंटी पहनी हुई थी. पेंटी को भी उसने एक झटके में अपने शरीर से अलग कर दिया.
“वाउ…..क्या बॉडी है यार……बूब्स की तरह इश्कि गान्ड भी बड़ी है…लगता है खूब मरवाती है गान्ड ये” मोहिंदर ने कहा.
“चुत तो देख एक दम चिकनी है…एक भी बाल नही है….इट्स आ वंडरफुल चुत” रमेश ने कहा.
“इश् वंडरफुल चुत ने हमारी मुस्किल बढ़ा दी है….लेनी पड़ेगी ये चुत अब तो वरना हर वक्त दीमग में घूमती रहेगी” महेंदर ने कहा.
“पर हम कैसे ले पाएँगे इसे की…..भूलो मत हम यहा ड्यूटी पे हैं” रमेश ने कहा.
“सोचने में क्या बुराई है…मिले ना मिले आगे अपनी किशमत है” महेंदर ने कहा.
“लो थोड़ा चिकना कर दो मेरे मेरे लंड को”
“उष्की ज़रूरात नही पड़ेगी शायद मुझे काफ़ी गीली लग रही मेरी पुसी” मोनिका ने कहा.
सुरिंदर ने मोनिका की चुत में उंगली डाली और बोला, “हम ऐसा लगता है जैसे ये पुसी आज नहा के आई है”
“फक मे नाउ…” मोनिका ने कहा.
“आज तुम चोदा मेरे उपर चढ़ कर…क्या कहती हो?”
“ठीक है लाते जाओ फिर” मोनिका ने कहा.
सुरिंदर बिस्तर पर लाते गया और अपने लंड को हाथ में पकड़ कर बोला, “टके इट बेबी”
मोनिका सुरिंदर के उपर आ गयी और अपनी गान्ड को सुरिंदर के लंड के ठीक उपर हवा में थाम लिया.
“ले आओ अपनी गान्ड नीचे अब क्यों तडपा रही हो” सुरिंदर ने कहा.
“मेरे होल पे रख दो बाकी मैं संभाल लूँगी”
सुरिंदर ने लंड को चुत के द्वार पर टीका दिया और बोला, “अपनी गान्ड नीचे को पुश करो…खुद-ब-खुद घुस्स जाएगा ये चुत में”
मोनिका ने अपनी गान्ड को नीचे की और पुश किया और सुरिंदर का लंड मोनिका की चुत में गायब होता चला गया.
“ही रे क्या एंट्री दी है लंड को….काश मेरा भी ले ले ऐसे ही” मोहिंदर ने कहा.
“क्या किशमत है उष लंड की जो की गरम चुत में घुस्सा हुवा है…एक हमारे लंड हैं जो यहा तुंड में ततूर रहे हैं”
“देख-देख कैसे उछाल रही है उशके उपर” महिनदर ने कहा.
“पूरे लंड को बाहर निकाल के अंदर ले रही है..मज़ा आ गया यार ये तो पॉर्न मूवी से भी अछा लग रहा है” रमेश ने कहा.
“आअहह मोनिका और ज़ोर से उछलो…मज़ा आ रहा है” सुरिंदर ने कहा.
“तक गयी मैं अब तुम करो” मोनिका ने कहा.
मोनिका सुरिंदर के उपर से उतार कर टांगे फैला कर लाते गयी और बोली, “संजय को बहुत पसंद है ये पोज़िशन”
“कौन सी पोज़िशन?”
“यही जीशमे मैं उपर थी”
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“किशके साथ ज़्यादा मज़ा आता है….मेरे साथ या अपने पाती के साथ” सुरिंदर ने कहा.
“ह्म डौनो के साथ अपना मज़ा है” मोनिका ने कहा.
“शन रहे हो रमेश….पाती से दुखी नही है फिर भी अपने यार को देती है…इशे कहते हैं कलयुग”
“देने दो यार उष्की चुत है तेरा क्या जाता है…तू भी तो भाभी से दुखी नही है…क्या तू नही लेता दूसरी लड़कियों की”
“कहा यार बहुत दिन से कोई चुत नही मिली बस बीवी से ही काम चला रहा हूँ”
“तेरे सामने क्या है….इश्कि हम आसानी से ले सकते हैं” रमेश ने कहा.
“ह्म बात तो ठीक है…ऐसा मोका रोज-रोज थोड़ी मिलता है.” महेंदर ने कहा.
अंदर सुरिंदर मोनिका को मिससिओनेरी पोज़िशन मे चोद रहा है.
“उउउहह एस फक मे हार्ड…..” मोनिका ने कहा.
“संजय से हार्ड चोदूगा तुझे हे..हा..हा” सुरिंदर ने कहा.
“एस…डीपर आअहह हार्डर एस ई आम कमिंग….उऊहह” मोनिका बड़बड़ाई.
“मेरा काम होने वाला है….पानी अंदर चोद दु क्या या बाहर छोड़ू”
“छोड़ दो अंदर कोई बात नही”
“देख लो कही संजय की जगह मेरे बचे खेले तुम्हारे आँगन में”
“गोली खा रही हूँ…चिंता की बात नही…आअहह”
“ये लो फिर…..आआहह” ये कह कर सुरिंदर ने बहुत तेज तेज धक्के मारे और अपने पानी को मोनिका की चुत की खाई में गिरा दिया.
“बहुत बढ़िया सीन देखा आज ये हमने” महिनदर ने कहा.
“चलो अब बाहर गाते के पास खड़े होते हैं कहीं साहब रौंद पे आ जाए”
“आआहह मज़ा आ गया…पर एक बात है…जब तुम बहुत तेज तेज धक्के लगा रहे थे कुछ आहत सुनाई दी थी मुझे”
“मुझे तो कुछ सुनाई नही दिया” सुरिंदर ने कहा.
हो सकता है मुझे वहाँ हुवा हो पर फिर भी तुम चेक कर लेना. एक बात और पूछनी थी तुमसे” मोनिका ने कहा.
“क्या तुमने सच में उष लड़की को खून करते देखा था”
“तुझे क्या लगता है मैं झुत बोल रहा हूँ”
“नही मेरा मतलब ये है की वो लड़की देखने में बिल्कुल कातिल नही लगती”
“तुम कौन सा देखने में स्लट लगती हो…पर तुम एक नंबर की स्लट हो”
“ऐसा कुछ नही है जनाब बंदी, अपने पाती के अलावा सिर्फ़ आप को देती है…वरना तो दुनिया घूमती है मेरे पीछे”
“वो तो है…मैं तो मज़ाक कर रहा था.”
वैसे रात को किशके साथ गये थे तुम….और उष सीरियल किल्लर तक कैसे पहुँच गये”
“तुझे क्या करना है ये सब जान के”
“चालू मैं अब?” मोनिका ने कहा.
“अभी तो सादे 11 हुवे हैं अभी जा कर क्या करोगी. ऐसा कर संजय को फोन कर दे की तू किसी मॅरेज में गयी है””
“तो क्या यहा से 2 बजे निकलु. उष वक्त सदके बिल्कुल शुन्सान होंगी. रही बात मॅरेज में जाअनए की तो वो मुमकिन नही है क्योंकि अभी शाम को ही बात हुई थी मेरी संजय से…अचानक मॅरेज का बहाना ठीक नही होगा.”
“सदके तो इसे वक्त भी शुन्सान होंगी….उष साएको किल्लर का ख़ौफ़ जो फैला है चारो और”
“कुछ भी हो मुझे जाना तो पड़ेगा ही”
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी” सुरिंदर ने कहा.
मोनिका ने कपड़े पहने और बोली, “ठीक है फिर…मैं चलती हूँ”
“रूको मैं ज़रा टाय्लेट जा कर आता हूँ, मैं तुम्हे बाहर तक चोद दूँगा”
“मैं निकल रही हूँ लाते हो जवँगी”
“अरे रूको तो”
पर मोनिका दरवाजा खोल कर बाहर आ गयी और अपनी स्कूटी स्टार्ट करने लगी. पर किशी कारण से वो स्टार्ट नही हो पाई.
“क्या हुवा मैं कुछ मदद करूँ” महिनदर ने मोनिका के पास आ कर कहा.
“जी नही ये मेरी स्कूटी है और मैं अच्छे से जानती हूँ की इशे स्टार्ट कैसे करना है”
महिनदर ने मोनिका की गान्ड पर हाथ रखा और बोला, “जी हाँ ये स्कूटी भी आपकी गान्ड की तरह है…बहुत अच्छे से तीकाई थी ये गान्ड आपने सुरिंदर के लंड पे…लंड सीधा घुस्स गया था”
मोनिका ने महिनदर का हाथ अपनी गान्ड से दूर झटक दिया और बोली,”तो तुम सब देख रहे थे हाँ शरम नही आती तुम्हे”
“ईसणे अकेले ने नही देखा मैने भी देखा…बहुत प्यार से देती हो चुत तुम…हमें कब दोगी” रमेश ने कहा.
“शूट उप…मेरे पास फालतू वक्त नही अपनी बकवास किसी और को सूनाओ”
मोनिका ने एक बार फिर से ट्राइ किया और स्कूटी स्टार्ट हो गयी और वो बैठ कर चल दी.
“सोच लेना हम यही है” महिनदर ने मोनिका के पीछे से आवाज़ लगाई
तभी एक आहत होती है.
“ये आवाज़ कहा से आई” रमेश ने कहा.
“पता नही…ऐसा लगता है घर के अंदर से आई है” महिनदर ने कहा.
लेकिन तभी आवाज़ लगातार आने लगी.
“ऐसा लग रहा है जैसे कोई दरवाजा पीट रहा हो” रमेश ने कहा.
“आवाज़ घर के पीछे से आ रही है” महिनदर ने कहा.
“चलो चल कर देखते हैं” रमेश ने कहा.
वो दाओनो घर के पीछे आते है. पर वाहा पहुँचते ही उनके होश उस जाते हैं.
सुरिंदर खून से लथपथ था और खिड़की का शीसा पीट रहा था.
“ओह गोद….अंबूलेंसे बुलाओ जल्दी और हाँ विजार सिर को भी फोन कर दो” मोहिंदर ने कहा और वो घर के दरवाजे की तरफ भागा.
दरवाजा खुला ही था. महिनदर भाग कर घर के अंदर घुस्स गया और वाहा पहुँच गया जहा से सुरिंदर खिड़की को पीट रहा था.
“अंबूलेंसे आ रही है”रमेश भी उशके पीछे-पीछे आ गया.
“अब कोई फ़ायडा नही ये मार चुका है” महिनदर ने कहा.
“अपनी तो नौकरी गयी समझो अब” रमेश बाल पकड़ कर नीचे बैठ गया.
“तुम्हे क्या लगता है…क्या वो लड़की इशे मार कर गयी है” रमेश ने कहा.
“सस्स्शह” महिनदर ने रमेश को चुप रहने का इशारा किया.
“जीशणे भी इशे मारा है..अभी यही छुपा है…तुम उष कमरे में देखो, मैं टाय्लेट किचन और स्टोर रूम में देखता हूँ” महिनदर ने धीरे से कहा.
“ठीक है…कोई भी बात हो तो ज़ोर से आवाज़ देना” रमेश ने कहा.
“ठीक है…चौक्काने रहना”
महिनदर टाय्लेट की तरफ बढ़ता है और रमेश कमरे की तरफ.
महिनदर टाय्लेट का दरवाजा खोलता है….लेकिन वो अपने बिल्कुल पीछे खड़े साए को नही देख पता.
“क्या ढुंड रहे हो” उष साए ने कहा.
महिनदर ने तुरंत मूड कर देखा लेकिन उशके मुड़ते ही उशके पेट को तेज धार चाकू ने चियर दिया.
“रा……..” महिनदर के मूह से सिर्फ़ इतना ही निकल पाया क्योंकि अगले ही पल उष साए ने उशके मूह को दबोच कर उष्का गला काट दिया. साए तो तड़प्ते हुवे खून से लटपथ महिनदर को एक तरफ धकेल दिया. महिनदर मूह के बाल फार्स पर गिर गया. वो दम ताओड चुका था.
जब महिनदर ज़मीन पर गिरा तो ज़ोर की आवाज़ हुई. रमेश उसे शन कर कमरे से बाहर आया.
“महिनदर कहा हो तुम….यहा तो कोई नही है…तुम्हे मिला क्या कुछ” रमेश ने कहा.
जब कोई रेस्पॉन्स नही आया तो रमेश टाय्लेट की और बढ़ा. वो साया रमेश को आता देख दीवार से चिपक गया.
“ओह नो…” रमेश ने महिनदर को फार्स पर पड़े देख कर कहा.
वो तुरंत महिनदर के पास आया और बोला, “महिनदर….महिनदर”
बस इतना ही बोल पाया था रमेश क्योंकि अगले ही पल उष साए ने उष्की गर्दन चियर दी. रमेश लड़खड़ा कर महिनदर के उपर गिर पड़ा.
नीचे गिराते ही रमेश ने उष साए को देखा. उशके आँखे हैरानी से फंती रह गयी.
“मुझे ढुंड रहे थे हा…हो गयी तस्सल्ली अब”
पर रमेश कोई भी जवाब देने से पहले ही दम तौड चुका था.
“गुरु लाइट बंद कर दु या जाली रहने दूं” राजू ने कहा.
“अरे लाइट बंद करो….ये भी क्या पूछने की बात है…रोशनी में मुझे नींद नही आती” नगमा ने कहा.
“ठीक है…मैं बंद कर देता हूँ” राजू ने कहा.
प़ड़्मिनी ने कुछ रिक्ट नही किया और चुपचाप करवट लिए पड़ी रही”
“वैसे तुम्हारी नौकरी का क्या हुवा……या फिर सब काम धनदा चोद कर कातिल के पीछे पड़े हो” नगमा ने कहा.
“अरे भोलू को कहा तो था की पता करे बताया ही नही उसने कुछ अब तक” राजू ने कहा.
“बिना पैसे दिए भाराती नही होती पुलिस में…अपनी उम्मीद चोद दो” मोहित ने कहा.
“कैसी बात करते हो गुरु….लिस्ट में तो मेरा नाम था ना…..जाय्निंग ही लाते हो रही है” राजू ने कहा.
“6 महीने हो गये इसे बात को समझने की कोशिस कर तेरा नाम ग़लती से आ गया था लिस्ट में….जब तुमने कोई पैसा नही दिया तो तुम्हारी सेलेक्षन कैसे होगी…सबने 50-50 लॅक दिए थे लिस्ट में आने के लिए और तुम फ्री में आ गये….ऐसा होता है कभी क्या….सब की जाय्निंग हो गयी बस तुम्हारी लटकी पड़ी है” मोहित ने कहा.
“शायद तुम ठीक कह रहे हो….पर ना जाने क्यों मुझे उम्मीद है की जीश तरह लिस्ट में मेरा नाम आया था वैसे ही मेरी जाय्निंग भी हो जाएगी….और एक बार मैं पुलिस में चला गया तो उष साएको की खैर नही”
“मेरा राजू सपने बहुत देखता है” नगमा अचानक बोली.
“तेरी गान्ड ईसणे पहले सपने में ही मारी थी फिर सचमुच में भी मार ली….हे..हे..हा..हा” मोहित ने कहा.
“तुमने सिखाया है इशे गान्ड मारना वरना मेरा राजू बस मेरी चुत घिसटा था बस” नगमा ने कहा.
राजू ने मोहित को कोहनी मारी, “क्या करते हो गुरु…प़ड़्मिनी जी का तो ख्याल किया करो…तुम भी नगमा की तरह कुछ भी बोल देते हो और उसे भी मोका मिल जाता है कुछ भी बोलने का” राजू ने धीरे से कहा.
“क्या करूँ यार यू ही ज़ुबान फिसल जाती है….वैसे तू ये बता बहुत चिंता रहती है तुझे प़ड़्मिनी जी की दिल आ गया क्या तेरा उष पर उहह” मोहित ने भी धीरे से कहा
“क्या बात करते हो गुर…मैं तो बस”
“प़ड़्मिनी जी की चुत मिलनी मुस्किल है…सपने देखना चोद दे” मोहित ने कहा.
“ऐसा कुछ नही है जैसा तुम सोच रहे हो….मुझे तो बस इंसानियत के नाते हमदर्दी है प़ड़्मिनी जी से. हाँ प़ड़्मिनी जी बहुत शुनदर हैं….पर मैं अब कुछ ऐसा वैसा नही सोचता”
“क्यों बे टीवी पर प़ड़्मिनी जी को देख कर तो मूठ मार ली थी तूने और अब ऐसी बाते कर रहा है”
“तब की बात अलग थी….मैं मिला नही था तब प़ड़्मिनी जी से….मिल कर उनके बड़े में कुछ और ही अहसास हैं”
“सेयेल कही ये प्यार तो नही है….शादी-शुदा है वो”
“ह्म डौनो के साथ अपना मज़ा है” मोनिका ने कहा.
“शन रहे हो रमेश….पाती से दुखी नही है फिर भी अपने यार को देती है…इशे कहते हैं कलयुग”
“देने दो यार उष्की चुत है तेरा क्या जाता है…तू भी तो भाभी से दुखी नही है…क्या तू नही लेता दूसरी लड़कियों की”
“कहा यार बहुत दिन से कोई चुत नही मिली बस बीवी से ही काम चला रहा हूँ”
“तेरे सामने क्या है….इश्कि हम आसानी से ले सकते हैं” रमेश ने कहा.
“ह्म बात तो ठीक है…ऐसा मोका रोज-रोज थोड़ी मिलता है.” महेंदर ने कहा.
अंदर सुरिंदर मोनिका को मिससिओनेरी पोज़िशन मे चोद रहा है.
“उउउहह एस फक मे हार्ड…..” मोनिका ने कहा.
“संजय से हार्ड चोदूगा तुझे हे..हा..हा” सुरिंदर ने कहा.
“एस…डीपर आअहह हार्डर एस ई आम कमिंग….उऊहह” मोनिका बड़बड़ाई.
“मेरा काम होने वाला है….पानी अंदर चोद दु क्या या बाहर छोड़ू”
“छोड़ दो अंदर कोई बात नही”
“देख लो कही संजय की जगह मेरे बचे खेले तुम्हारे आँगन में”
“गोली खा रही हूँ…चिंता की बात नही…आअहह”
“ये लो फिर…..आआहह” ये कह कर सुरिंदर ने बहुत तेज तेज धक्के मारे और अपने पानी को मोनिका की चुत की खाई में गिरा दिया.
“बहुत बढ़िया सीन देखा आज ये हमने” महिनदर ने कहा.
“चलो अब बाहर गाते के पास खड़े होते हैं कहीं साहब रौंद पे आ जाए”
“आआहह मज़ा आ गया…पर एक बात है…जब तुम बहुत तेज तेज धक्के लगा रहे थे कुछ आहत सुनाई दी थी मुझे”
“मुझे तो कुछ सुनाई नही दिया” सुरिंदर ने कहा.
हो सकता है मुझे वहाँ हुवा हो पर फिर भी तुम चेक कर लेना. एक बात और पूछनी थी तुमसे” मोनिका ने कहा.
“क्या तुमने सच में उष लड़की को खून करते देखा था”
“तुझे क्या लगता है मैं झुत बोल रहा हूँ”
“नही मेरा मतलब ये है की वो लड़की देखने में बिल्कुल कातिल नही लगती”
“तुम कौन सा देखने में स्लट लगती हो…पर तुम एक नंबर की स्लट हो”
“ऐसा कुछ नही है जनाब बंदी, अपने पाती के अलावा सिर्फ़ आप को देती है…वरना तो दुनिया घूमती है मेरे पीछे”
“वो तो है…मैं तो मज़ाक कर रहा था.”
वैसे रात को किशके साथ गये थे तुम….और उष सीरियल किल्लर तक कैसे पहुँच गये”
“तुझे क्या करना है ये सब जान के”
“चालू मैं अब?” मोनिका ने कहा.
“अभी तो सादे 11 हुवे हैं अभी जा कर क्या करोगी. ऐसा कर संजय को फोन कर दे की तू किसी मॅरेज में गयी है””
“तो क्या यहा से 2 बजे निकलु. उष वक्त सदके बिल्कुल शुन्सान होंगी. रही बात मॅरेज में जाअनए की तो वो मुमकिन नही है क्योंकि अभी शाम को ही बात हुई थी मेरी संजय से…अचानक मॅरेज का बहाना ठीक नही होगा.”
“सदके तो इसे वक्त भी शुन्सान होंगी….उष साएको किल्लर का ख़ौफ़ जो फैला है चारो और”
“कुछ भी हो मुझे जाना तो पड़ेगा ही”
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी” सुरिंदर ने कहा.
मोनिका ने कपड़े पहने और बोली, “ठीक है फिर…मैं चलती हूँ”
“रूको मैं ज़रा टाय्लेट जा कर आता हूँ, मैं तुम्हे बाहर तक चोद दूँगा”
“मैं निकल रही हूँ लाते हो जवँगी”
“अरे रूको तो”
पर मोनिका दरवाजा खोल कर बाहर आ गयी और अपनी स्कूटी स्टार्ट करने लगी. पर किशी कारण से वो स्टार्ट नही हो पाई.
“क्या हुवा मैं कुछ मदद करूँ” महिनदर ने मोनिका के पास आ कर कहा.
“जी नही ये मेरी स्कूटी है और मैं अच्छे से जानती हूँ की इशे स्टार्ट कैसे करना है”
महिनदर ने मोनिका की गान्ड पर हाथ रखा और बोला, “जी हाँ ये स्कूटी भी आपकी गान्ड की तरह है…बहुत अच्छे से तीकाई थी ये गान्ड आपने सुरिंदर के लंड पे…लंड सीधा घुस्स गया था”
मोनिका ने महिनदर का हाथ अपनी गान्ड से दूर झटक दिया और बोली,”तो तुम सब देख रहे थे हाँ शरम नही आती तुम्हे”
“ईसणे अकेले ने नही देखा मैने भी देखा…बहुत प्यार से देती हो चुत तुम…हमें कब दोगी” रमेश ने कहा.
“शूट उप…मेरे पास फालतू वक्त नही अपनी बकवास किसी और को सूनाओ”
मोनिका ने एक बार फिर से ट्राइ किया और स्कूटी स्टार्ट हो गयी और वो बैठ कर चल दी.
“सोच लेना हम यही है” महिनदर ने मोनिका के पीछे से आवाज़ लगाई
तभी एक आहत होती है.
“ये आवाज़ कहा से आई” रमेश ने कहा.
“पता नही…ऐसा लगता है घर के अंदर से आई है” महिनदर ने कहा.
लेकिन तभी आवाज़ लगातार आने लगी.
“ऐसा लग रहा है जैसे कोई दरवाजा पीट रहा हो” रमेश ने कहा.
“आवाज़ घर के पीछे से आ रही है” महिनदर ने कहा.
“चलो चल कर देखते हैं” रमेश ने कहा.
वो दाओनो घर के पीछे आते है. पर वाहा पहुँचते ही उनके होश उस जाते हैं.
सुरिंदर खून से लथपथ था और खिड़की का शीसा पीट रहा था.
“ओह गोद….अंबूलेंसे बुलाओ जल्दी और हाँ विजार सिर को भी फोन कर दो” मोहिंदर ने कहा और वो घर के दरवाजे की तरफ भागा.
दरवाजा खुला ही था. महिनदर भाग कर घर के अंदर घुस्स गया और वाहा पहुँच गया जहा से सुरिंदर खिड़की को पीट रहा था.
“अंबूलेंसे आ रही है”रमेश भी उशके पीछे-पीछे आ गया.
“अब कोई फ़ायडा नही ये मार चुका है” महिनदर ने कहा.
“अपनी तो नौकरी गयी समझो अब” रमेश बाल पकड़ कर नीचे बैठ गया.
“तुम्हे क्या लगता है…क्या वो लड़की इशे मार कर गयी है” रमेश ने कहा.
“सस्स्शह” महिनदर ने रमेश को चुप रहने का इशारा किया.
“जीशणे भी इशे मारा है..अभी यही छुपा है…तुम उष कमरे में देखो, मैं टाय्लेट किचन और स्टोर रूम में देखता हूँ” महिनदर ने धीरे से कहा.
“ठीक है…कोई भी बात हो तो ज़ोर से आवाज़ देना” रमेश ने कहा.
“ठीक है…चौक्काने रहना”
महिनदर टाय्लेट की तरफ बढ़ता है और रमेश कमरे की तरफ.
महिनदर टाय्लेट का दरवाजा खोलता है….लेकिन वो अपने बिल्कुल पीछे खड़े साए को नही देख पता.
“क्या ढुंड रहे हो” उष साए ने कहा.
महिनदर ने तुरंत मूड कर देखा लेकिन उशके मुड़ते ही उशके पेट को तेज धार चाकू ने चियर दिया.
“रा……..” महिनदर के मूह से सिर्फ़ इतना ही निकल पाया क्योंकि अगले ही पल उष साए ने उशके मूह को दबोच कर उष्का गला काट दिया. साए तो तड़प्ते हुवे खून से लटपथ महिनदर को एक तरफ धकेल दिया. महिनदर मूह के बाल फार्स पर गिर गया. वो दम ताओड चुका था.
जब महिनदर ज़मीन पर गिरा तो ज़ोर की आवाज़ हुई. रमेश उसे शन कर कमरे से बाहर आया.
“महिनदर कहा हो तुम….यहा तो कोई नही है…तुम्हे मिला क्या कुछ” रमेश ने कहा.
जब कोई रेस्पॉन्स नही आया तो रमेश टाय्लेट की और बढ़ा. वो साया रमेश को आता देख दीवार से चिपक गया.
“ओह नो…” रमेश ने महिनदर को फार्स पर पड़े देख कर कहा.
वो तुरंत महिनदर के पास आया और बोला, “महिनदर….महिनदर”
बस इतना ही बोल पाया था रमेश क्योंकि अगले ही पल उष साए ने उष्की गर्दन चियर दी. रमेश लड़खड़ा कर महिनदर के उपर गिर पड़ा.
नीचे गिराते ही रमेश ने उष साए को देखा. उशके आँखे हैरानी से फंती रह गयी.
“मुझे ढुंड रहे थे हा…हो गयी तस्सल्ली अब”
पर रमेश कोई भी जवाब देने से पहले ही दम तौड चुका था.
“गुरु लाइट बंद कर दु या जाली रहने दूं” राजू ने कहा.
“अरे लाइट बंद करो….ये भी क्या पूछने की बात है…रोशनी में मुझे नींद नही आती” नगमा ने कहा.
“ठीक है…मैं बंद कर देता हूँ” राजू ने कहा.
प़ड़्मिनी ने कुछ रिक्ट नही किया और चुपचाप करवट लिए पड़ी रही”
“वैसे तुम्हारी नौकरी का क्या हुवा……या फिर सब काम धनदा चोद कर कातिल के पीछे पड़े हो” नगमा ने कहा.
“अरे भोलू को कहा तो था की पता करे बताया ही नही उसने कुछ अब तक” राजू ने कहा.
“बिना पैसे दिए भाराती नही होती पुलिस में…अपनी उम्मीद चोद दो” मोहित ने कहा.
“कैसी बात करते हो गुरु….लिस्ट में तो मेरा नाम था ना…..जाय्निंग ही लाते हो रही है” राजू ने कहा.
“6 महीने हो गये इसे बात को समझने की कोशिस कर तेरा नाम ग़लती से आ गया था लिस्ट में….जब तुमने कोई पैसा नही दिया तो तुम्हारी सेलेक्षन कैसे होगी…सबने 50-50 लॅक दिए थे लिस्ट में आने के लिए और तुम फ्री में आ गये….ऐसा होता है कभी क्या….सब की जाय्निंग हो गयी बस तुम्हारी लटकी पड़ी है” मोहित ने कहा.
“शायद तुम ठीक कह रहे हो….पर ना जाने क्यों मुझे उम्मीद है की जीश तरह लिस्ट में मेरा नाम आया था वैसे ही मेरी जाय्निंग भी हो जाएगी….और एक बार मैं पुलिस में चला गया तो उष साएको की खैर नही”
“मेरा राजू सपने बहुत देखता है” नगमा अचानक बोली.
“तेरी गान्ड ईसणे पहले सपने में ही मारी थी फिर सचमुच में भी मार ली….हे..हे..हा..हा” मोहित ने कहा.
“तुमने सिखाया है इशे गान्ड मारना वरना मेरा राजू बस मेरी चुत घिसटा था बस” नगमा ने कहा.
राजू ने मोहित को कोहनी मारी, “क्या करते हो गुरु…प़ड़्मिनी जी का तो ख्याल किया करो…तुम भी नगमा की तरह कुछ भी बोल देते हो और उसे भी मोका मिल जाता है कुछ भी बोलने का” राजू ने धीरे से कहा.
“क्या करूँ यार यू ही ज़ुबान फिसल जाती है….वैसे तू ये बता बहुत चिंता रहती है तुझे प़ड़्मिनी जी की दिल आ गया क्या तेरा उष पर उहह” मोहित ने भी धीरे से कहा
“क्या बात करते हो गुर…मैं तो बस”
“प़ड़्मिनी जी की चुत मिलनी मुस्किल है…सपने देखना चोद दे” मोहित ने कहा.
“ऐसा कुछ नही है जैसा तुम सोच रहे हो….मुझे तो बस इंसानियत के नाते हमदर्दी है प़ड़्मिनी जी से. हाँ प़ड़्मिनी जी बहुत शुनदर हैं….पर मैं अब कुछ ऐसा वैसा नही सोचता”
“क्यों बे टीवी पर प़ड़्मिनी जी को देख कर तो मूठ मार ली थी तूने और अब ऐसी बाते कर रहा है”
“तब की बात अलग थी….मैं मिला नही था तब प़ड़्मिनी जी से….मिल कर उनके बड़े में कुछ और ही अहसास हैं”
“सेयेल कही ये प्यार तो नही है….शादी-शुदा है वो”