मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
आकाश-ही रीता कैसी हो.
रीता-ठीक हूँ तुम बताओ.
आकाश-आज तुम बस से किउन जा रही हो हॅरी कहाँ है.
रीता-उसे आज जाना है कही पे.
आकाश-ओक. वो कल कुछ देखा तो नही तुमने.
रीता-कब.
आकाश-मुझे और महक को क्लास रूम में.
रीता-नही नही मैने नही देखा.
आकाश का ये बात पूछना मुझे कुछ अछा नही लगा.
आकाश-थॅंक गोद तुमने नही देखा. वैसे पता है हम क्या कर रहे थे.
आकाश के इस सवाल ने मुझे एक दम से चौंका दिया. मैने थोड़ा गुस्से में कहा.
रीता-मुझे नही पता.
और मैने अपने नज़रे दूसरी और करली.
आकाश-देखना चाहोगी हम क्या करते हैं.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया. वो आगे कुछ बोलता उस से पहले ही बस आ गई और मैं गोद का थॅंक कराती हुई बस की तरफ बढ़ गई. धीरे धीरे सभी बस में चाड़ने लगे. मैने जब बस में चाड़ने के लिए अपनी एक टाँग उठा कर बस की सीधी पे न्यू एअर तभी किसी ने मेरे नितुंबों के बीच की दरार में तेज़ी से उंगली फिरा दी. पहली बार किसी मर्द की उंगली अपने नितुंबों के बीच पा कर मेरे पूरे शरीर में कुरृूणत सा दौड़ गया. मैने पीछे मूड कर देखा तो वो आकाश ही था. मैं उसे गुस्से से घूराती हुई बस में चड़ गई और आकाश भी मेरे पीछे बस में चड़ गया. बस में भीड़ देख कर मेरा दिल घबराने लगा कीनकी मैं जानती थी की ये कमीना भीड़ का फ़ायदा ज़रूर उठाएगा. तभी मुझे महक दिखाई दी वो मुझसे 3-4 लोग छोड़कर खड़ी थी. उसने मुझे पास आने का इशारा किया और मैं उन लोगो को साइड कराती हुई महक के पास जा पौंची. मैने चेहरा घुमा कर आकाश की तरफ देखा तो बेचारा का चेहरा ऐसे लटका हुया था जैसे भगवान ने उसे एल**द ना दिया हो. मैं उसे मुस्कुराते हुए उंगूठा दिखा कर छिड़ने लगी जैसे की बहुत बड़ी मॅट दे दी हो मैने उसे. मैने महक का हाल पूछा और बातें करते करते अगला स्टॉप आ गया. मेरी बदक़िस्मती थी की जो लोग मेरे और आकाश के बीच खड़े थे वो तीनो उतार गये और आकाश दाँत निकलता हुया बिल्कुल मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया. उसने महक को ‘ही‚ बोला और फिरसे एक उंगली सलवार के उपर से मेरे नितुंबों की दरार में फिरने लगा. मेरे मूह से एक हल्की सी आ निकली जो की बस के चलने की वजह से हो रहे शोर में ही खो गई. आकाश की उंगली को मेरे नितुंबों ने दरार के बीच जाकड़ रखा था. ये सभ उत्तेजना के मारे हो रहा था मैं ना चाहते हुए भी उत्तेजित हो गई थी और खुद ही थोड़ा पीछे को हट गई थी शायद मैं आकाश की उंगली को अच्छे से फील करना चाहती थी. मुझे पीछे हट ता देख आकाश ने अपना चेहरा मेरे कान के पास किया और कहा.
आकाश-मज़ा आ रहा है ना तुम्हे.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया. तभी हमारा स्कूल आ गया और मैने गोद का तांकष किया और बस से उतार गई.
रीता-ठीक हूँ तुम बताओ.
आकाश-आज तुम बस से किउन जा रही हो हॅरी कहाँ है.
रीता-उसे आज जाना है कही पे.
आकाश-ओक. वो कल कुछ देखा तो नही तुमने.
रीता-कब.
आकाश-मुझे और महक को क्लास रूम में.
रीता-नही नही मैने नही देखा.
आकाश का ये बात पूछना मुझे कुछ अछा नही लगा.
आकाश-थॅंक गोद तुमने नही देखा. वैसे पता है हम क्या कर रहे थे.
आकाश के इस सवाल ने मुझे एक दम से चौंका दिया. मैने थोड़ा गुस्से में कहा.
रीता-मुझे नही पता.
और मैने अपने नज़रे दूसरी और करली.
आकाश-देखना चाहोगी हम क्या करते हैं.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया. वो आगे कुछ बोलता उस से पहले ही बस आ गई और मैं गोद का थॅंक कराती हुई बस की तरफ बढ़ गई. धीरे धीरे सभी बस में चाड़ने लगे. मैने जब बस में चाड़ने के लिए अपनी एक टाँग उठा कर बस की सीधी पे न्यू एअर तभी किसी ने मेरे नितुंबों के बीच की दरार में तेज़ी से उंगली फिरा दी. पहली बार किसी मर्द की उंगली अपने नितुंबों के बीच पा कर मेरे पूरे शरीर में कुरृूणत सा दौड़ गया. मैने पीछे मूड कर देखा तो वो आकाश ही था. मैं उसे गुस्से से घूराती हुई बस में चड़ गई और आकाश भी मेरे पीछे बस में चड़ गया. बस में भीड़ देख कर मेरा दिल घबराने लगा कीनकी मैं जानती थी की ये कमीना भीड़ का फ़ायदा ज़रूर उठाएगा. तभी मुझे महक दिखाई दी वो मुझसे 3-4 लोग छोड़कर खड़ी थी. उसने मुझे पास आने का इशारा किया और मैं उन लोगो को साइड कराती हुई महक के पास जा पौंची. मैने चेहरा घुमा कर आकाश की तरफ देखा तो बेचारा का चेहरा ऐसे लटका हुया था जैसे भगवान ने उसे एल**द ना दिया हो. मैं उसे मुस्कुराते हुए उंगूठा दिखा कर छिड़ने लगी जैसे की बहुत बड़ी मॅट दे दी हो मैने उसे. मैने महक का हाल पूछा और बातें करते करते अगला स्टॉप आ गया. मेरी बदक़िस्मती थी की जो लोग मेरे और आकाश के बीच खड़े थे वो तीनो उतार गये और आकाश दाँत निकलता हुया बिल्कुल मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया. उसने महक को ‘ही‚ बोला और फिरसे एक उंगली सलवार के उपर से मेरे नितुंबों की दरार में फिरने लगा. मेरे मूह से एक हल्की सी आ निकली जो की बस के चलने की वजह से हो रहे शोर में ही खो गई. आकाश की उंगली को मेरे नितुंबों ने दरार के बीच जाकड़ रखा था. ये सभ उत्तेजना के मारे हो रहा था मैं ना चाहते हुए भी उत्तेजित हो गई थी और खुद ही थोड़ा पीछे को हट गई थी शायद मैं आकाश की उंगली को अच्छे से फील करना चाहती थी. मुझे पीछे हट ता देख आकाश ने अपना चेहरा मेरे कान के पास किया और कहा.
आकाश-मज़ा आ रहा है ना तुम्हे.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया. तभी हमारा स्कूल आ गया और मैने गोद का तांकष किया और बस से उतार गई.
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बस से उतारकर मैं और महक क्लास की तरफ चल पड़ी. चलते हुए मुझे अपनी योनि के पास कुछ गीलापन महसूस हो रहा था. मैने महक को क्लास में जाने को बोल कर खुद सीधा वॉशरूम में जाकर घुस गई. अंदर जाते ही मैने सलवार खोल कर थोड़ा नीचे की तो देखा मेरी रीड कलर की पेंटी के उपर मेरी योनि से निकले कम की वजह से एक गीलेपन का निशान पड़ा हुया था. जो की उस कामीने आकाश की मेहरबानी थी. फिरसे मेरे दिमाग़ में आकाश की बस वाली हरकत घूमने लगी. मुझे ऐसा लगने लगा जैसे अब भी आकाश की उंगली मेरे नितुंबों की दरार में घूम रही है मेरे पूरे शरीर में एक तूफान सा मच गया. मैने एक दम से खुद को संभाला और ख्यालों की दुनिया से बाहर आई और मुस्कुराते हुए अपने सर पे हाथ माराते हुए कहा.
रीता-ये मैं क्या सोच रही थी.
मैने जल्दी से सलवार पहनी और वॉशरूम से बाहर निकल गई और क्लास की तरफ चल पड़ी. क्लास में जाकर देखा तो आकाश मेरी सीट पे बैठा था महक भी उसके साथ अपनी सीट पे ही बेठी थी. आकाश ने अपना हाथ उसकी पीठ के पीछे से घुमा कर उसकी कमर पे रखा हुया था. मैं उनके पास गई और कहा.
रीता-ये मेरी सीट है उठो यहाँ से.
महक-रीतू जब तक टीचर नही आ जाते तब तक तुम प्ल्स आकाश की सीट पे बैठ जयो.
रीता-मुझे नही बेठना किसी की सीट पे.
महक-प्ल्स स्वीतू मेरी प्यारी कजिन है ना तू प्ल्स जा ना यार.
मैं गुस्से से उनके पास से चलकर आकाश की सीट पे जाकर बैठ गई. वहाँ पे पहले से ही तुषार बेठा हुया था. मेरे बैठते ही वो बोला.
तुषार-ही रीता.
रीता-हेलो.
तुषार-आज तुम जल्दी कैसे आ गई.
रीता-वो आज मैं बस से आई हूँ इसलिए.
तुषार-ओक ओक. वो रीता एक बात पूचु.
रीता-नही रहने दो और प्ल्स चुप छाप बेठे रहो.
रीता-ये मैं क्या सोच रही थी.
मैने जल्दी से सलवार पहनी और वॉशरूम से बाहर निकल गई और क्लास की तरफ चल पड़ी. क्लास में जाकर देखा तो आकाश मेरी सीट पे बैठा था महक भी उसके साथ अपनी सीट पे ही बेठी थी. आकाश ने अपना हाथ उसकी पीठ के पीछे से घुमा कर उसकी कमर पे रखा हुया था. मैं उनके पास गई और कहा.
रीता-ये मेरी सीट है उठो यहाँ से.
महक-रीतू जब तक टीचर नही आ जाते तब तक तुम प्ल्स आकाश की सीट पे बैठ जयो.
रीता-मुझे नही बेठना किसी की सीट पे.
महक-प्ल्स स्वीतू मेरी प्यारी कजिन है ना तू प्ल्स जा ना यार.
मैं गुस्से से उनके पास से चलकर आकाश की सीट पे जाकर बैठ गई. वहाँ पे पहले से ही तुषार बेठा हुया था. मेरे बैठते ही वो बोला.
तुषार-ही रीता.
रीता-हेलो.
तुषार-आज तुम जल्दी कैसे आ गई.
रीता-वो आज मैं बस से आई हूँ इसलिए.
तुषार-ओक ओक. वो रीता एक बात पूचु.
रीता-नही रहने दो और प्ल्स चुप छाप बेठे रहो.
Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
मैं पहले से ही गुस्से में थी उपर से तुषार का बचा सवाल पे सवाल किए जा रहा था.
तुषार-ओक जैसे तुम्हारी मर्ज़ी.
मैने आकाश और महक की तरफ देखा. महक मेरी तरफ बेठी थी जबकि आकाश दूसरी तरफ था. आकाश का हाथ ही मुझे दिख रहा था जो की महक की कमर पे घूम रहा था. क्लास में ज़्यादा स्टूडेंट नही थे. बस हमारे इलावा 2-4 स्टूडेंट्स ही थे और वो अपनी बातों में लगे हुए थे. मैने देखा अब आकाश ने महक का कमीज़ थोड़ा उपर सरका दिया था. जिसकी वजह से महक की कमर का और पेट का थोड़ा सा हिस्सा नंगा हो गया था और आकाश का हाथ अब उस नंगे हिस्से पे ही घूम रहा था. एक डेन दफ़ा महक ने उसका हाथ वहाँ से हटाने की कोशिश की मगर आकाश के मज़बूत हाथ को वो हिला तक नही पाई. आख़िरकार वो भी उसके स्पर्श का मज़ा लेने लगी. फिर आकाश का हाथ नीचे जाने लगा और महक के नितुंबों की साइड पे घूमने लगा और नितुंबों और बेंच के बीच घुसने का रास्ता तलाश करने लगा. मेरी नज़र तो जैसे उसकी हरकतों के उपर ही अटक गई थी. आकाश की हरकतें देखकर मैं गरम हो गई थी और मुझे इतना भी ख्याल नही रहा था की तुषार मुझे ये सब देखते हुए देख रहा है. मैने देखा अब महक थोड़ा सा उठी और आकाश ने झट से अपना हाथ उसके नीचे कर दिया और महक फिरसे नीचे बेठ गई. लेकिन अब वो बेंच पे नही बल्कि आकाश के हाथ के उपर बेठी थी. महक आकाश के हाथ के उपर धीरे धीरे अपने चूतड़ हिला रही थी. आकाश महक को कुछ कह रहा था लेकिन क्या कह रहा था ये हम तक सुनाई नही दे रहा था. महक ने आकाश की बात सुन ने के बाद ना में सर हिलाया. पता नही शायद वो कुछ करने से माना कर रही थी लेकिन आकाश नही मन रहा था. थोड़ी देर बाद महक एक बार फिर से उठी और आकाश ने भी अपना हाथ नीचे से निकाल लिया और उसने अपना हाथ महक की पीठ पे रखा और नीचे को सरकते हुए अपना हाथ सीधा उसकी सलवार में डाल दिया उसका हाथ आसानी से महक की सलवार के भीतर घुस गया. इसका मतलब था की महक की सलवार खुल चुकी थी. महक एक दफ़ा फिर से बेठ गई थी और आकाश का हाथ उसके नितुंबों के नीचे था लेकिन इस दफ़ा वो सलवार के उपर से नही था बल्कि सलवार के अंदर से महक के नंगे नितुंबों के उपर था. महक फिरसे अपने चूतड़ उसके हाथ पे रगार्डने लगी थी. महक को ऐसा करते देख मेरा पूरा शरीर काम अग्नि में जल उठा था और मुझे पता ही नही चला था की कब मैं भी अपने नितुंबों को महक की तरह बेंच पे रगार्डने लगी थी लेकिन मुझे मज़ा नही आ रहा था जबकि महक के चेहरे से सॉफ झलक रहा था की उसे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं उसी तरह से अपने नितूंभ बेंच के उपर रग़ाद रही थी तभी तुषार ने अपना चेहरा मेरे कान के पास किया और कहा.
तुषार-खाली बेंच पे रगार्डने से मज़ा नही आएगा रीता. महक की तरह हाथ भी तो लो नीचे.
तुषार-ओक जैसे तुम्हारी मर्ज़ी.
मैने आकाश और महक की तरफ देखा. महक मेरी तरफ बेठी थी जबकि आकाश दूसरी तरफ था. आकाश का हाथ ही मुझे दिख रहा था जो की महक की कमर पे घूम रहा था. क्लास में ज़्यादा स्टूडेंट नही थे. बस हमारे इलावा 2-4 स्टूडेंट्स ही थे और वो अपनी बातों में लगे हुए थे. मैने देखा अब आकाश ने महक का कमीज़ थोड़ा उपर सरका दिया था. जिसकी वजह से महक की कमर का और पेट का थोड़ा सा हिस्सा नंगा हो गया था और आकाश का हाथ अब उस नंगे हिस्से पे ही घूम रहा था. एक डेन दफ़ा महक ने उसका हाथ वहाँ से हटाने की कोशिश की मगर आकाश के मज़बूत हाथ को वो हिला तक नही पाई. आख़िरकार वो भी उसके स्पर्श का मज़ा लेने लगी. फिर आकाश का हाथ नीचे जाने लगा और महक के नितुंबों की साइड पे घूमने लगा और नितुंबों और बेंच के बीच घुसने का रास्ता तलाश करने लगा. मेरी नज़र तो जैसे उसकी हरकतों के उपर ही अटक गई थी. आकाश की हरकतें देखकर मैं गरम हो गई थी और मुझे इतना भी ख्याल नही रहा था की तुषार मुझे ये सब देखते हुए देख रहा है. मैने देखा अब महक थोड़ा सा उठी और आकाश ने झट से अपना हाथ उसके नीचे कर दिया और महक फिरसे नीचे बेठ गई. लेकिन अब वो बेंच पे नही बल्कि आकाश के हाथ के उपर बेठी थी. महक आकाश के हाथ के उपर धीरे धीरे अपने चूतड़ हिला रही थी. आकाश महक को कुछ कह रहा था लेकिन क्या कह रहा था ये हम तक सुनाई नही दे रहा था. महक ने आकाश की बात सुन ने के बाद ना में सर हिलाया. पता नही शायद वो कुछ करने से माना कर रही थी लेकिन आकाश नही मन रहा था. थोड़ी देर बाद महक एक बार फिर से उठी और आकाश ने भी अपना हाथ नीचे से निकाल लिया और उसने अपना हाथ महक की पीठ पे रखा और नीचे को सरकते हुए अपना हाथ सीधा उसकी सलवार में डाल दिया उसका हाथ आसानी से महक की सलवार के भीतर घुस गया. इसका मतलब था की महक की सलवार खुल चुकी थी. महक एक दफ़ा फिर से बेठ गई थी और आकाश का हाथ उसके नितुंबों के नीचे था लेकिन इस दफ़ा वो सलवार के उपर से नही था बल्कि सलवार के अंदर से महक के नंगे नितुंबों के उपर था. महक फिरसे अपने चूतड़ उसके हाथ पे रगार्डने लगी थी. महक को ऐसा करते देख मेरा पूरा शरीर काम अग्नि में जल उठा था और मुझे पता ही नही चला था की कब मैं भी अपने नितुंबों को महक की तरह बेंच पे रगार्डने लगी थी लेकिन मुझे मज़ा नही आ रहा था जबकि महक के चेहरे से सॉफ झलक रहा था की उसे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं उसी तरह से अपने नितूंभ बेंच के उपर रग़ाद रही थी तभी तुषार ने अपना चेहरा मेरे कान के पास किया और कहा.
तुषार-खाली बेंच पे रगार्डने से मज़ा नही आएगा रीता. महक की तरह हाथ भी तो लो नीचे.