मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
उसकी बात सुनकर मैं एक दम से चौंक गई और अपने नितुंबों को रगड़ना बंद कर दिया और मैं बुरी तरह से शरम-सार हो गई थी.
तुषार ने फिरसे मेरे कान में कहा.
तुषार-रीता एक बार मेरा हाथ नीचे लेकर फिर रागडो देखना कितना मज़ा आएगा.
मैं उसकी बात का कोई जवाब देने की हालत में नही थी. एक मन कर रहा था की उसकी बात मन लू और एक मॅन था की रीता संभाल जा. मैं सोच ही रही थी की तुषार का हाथ मेरे नितुंबों की साइड पे आकर उनके नीचे जाने का रास्ता तलाशने लगा था. अब मैं आपा खो चुकी थी और मुझे पता ही नही चला की कब मैं थोड़ा उपर उठी और तुषार का हाथ मेरे नीचे आया और मैं उसके उपर बैठ गई.
तुषार के हाथ को जैसे ही मैने अपने नितुंबों के नीचे महसूस किया तो मेरे पूरे शरीर में मस्ती की एक लेहायर सी दौड़ गई. लेकिन अब मैं अपने नितुंबों को उसके हाथ के उपर हिला नही रही थी कीनकी मुझे बहुत शरम आ रही थी ये सोच सोच कर की मैं तुषार के हाथ के उपर बेठी हूँ. तुषार की उंगलियाँ मुझे अपने पीछे वाले च्छेद के उपर महसूस हो रही थी. मुझे हिलते ना देख तुषार ने फिरसे मेरे कान में कहा.
तुषार-अब महक की तरह हिलो भी देखना कितना मज़ा आएगा.
मैने थोड़ा तोड़ा खुद को उसके हाथ के उपर हिलना शुरू कर दिया और फिर मेरी बढ़ता बढ़ती गई और मैं मैं अच्छे से अपने नितूंब उसके हाथ पे रगार्डने लगी. मैं बेकाबू हो चुकी थी और मेरे पूरे शरीर में मस्ती भर गई थी. मेरी योनि ने एक बार फिरसे रस टपकाना शुरू कर दिया था. तुषार का एक हाथ मेरे नितुंबों के नीचे था और उसका दूसरा हाथ अब मेरी जांघों पे घूमने लगा था. उसकी हरकतों ने मुझे मदहोश कर दिया था और मैं उसके हाथों की कठपुतली बन चुकी थी. झंघों के उपर घूम रहा उसका हाथ अब मेरी योनि की तरफ बढ़ चुका था. मेरे अंदर एक आग सी लगी हुई थी जो बहुत तेज़ी से मेरी योनि की तरफ बढ़ती हुई महसूस हो रही थी. जैसे ही उसका हाथ मेरी योनि के उपर पौंचा तो मैने अपनी जांघों को कस कर भींच लिया मेरी आँखें अपने आप बंद हो गई और मेरी साँसें तेज़ तेज़ चलने लगी और मेरे अंदर की आग मेरे कम के रूप में मेरी योनि में से बाहर निकल गई. मैने अपने नितुंबों को उसके हाथ पे घिसना अब बंद कर दिया था और मैं अपने दोनो हाथों से उसका हाथ जो की मेरी योनि पे था उसे बाहर निकालने लगी थी. जब तुषार ने अपना हाथ वहाँ से हटाया तो मैने देखा की मेरी योनि से निकालने वाला कम उसके हाथ के उपर भी लगा हुया था. जिसे देखकर मैं बुरह तरह से शर्मा गई मैने थोड़ा सा उपर उठकर तुषार का हाथ अपने नीचे से निकाल दिया. तुषार से आँखें मिलने की मेरी हिम्मत नही हो रही थी. मैने चुपके से उसख तरफ देखा तो वो उस हाथ को चाट रहा था जो की थोड़ी देर पहले मेरी योनि पे लगा हुया था. उसने धीरे से मुझसे पूछा.
तुषार ने फिरसे मेरे कान में कहा.
तुषार-रीता एक बार मेरा हाथ नीचे लेकर फिर रागडो देखना कितना मज़ा आएगा.
मैं उसकी बात का कोई जवाब देने की हालत में नही थी. एक मन कर रहा था की उसकी बात मन लू और एक मॅन था की रीता संभाल जा. मैं सोच ही रही थी की तुषार का हाथ मेरे नितुंबों की साइड पे आकर उनके नीचे जाने का रास्ता तलाशने लगा था. अब मैं आपा खो चुकी थी और मुझे पता ही नही चला की कब मैं थोड़ा उपर उठी और तुषार का हाथ मेरे नीचे आया और मैं उसके उपर बैठ गई.
तुषार के हाथ को जैसे ही मैने अपने नितुंबों के नीचे महसूस किया तो मेरे पूरे शरीर में मस्ती की एक लेहायर सी दौड़ गई. लेकिन अब मैं अपने नितुंबों को उसके हाथ के उपर हिला नही रही थी कीनकी मुझे बहुत शरम आ रही थी ये सोच सोच कर की मैं तुषार के हाथ के उपर बेठी हूँ. तुषार की उंगलियाँ मुझे अपने पीछे वाले च्छेद के उपर महसूस हो रही थी. मुझे हिलते ना देख तुषार ने फिरसे मेरे कान में कहा.
तुषार-अब महक की तरह हिलो भी देखना कितना मज़ा आएगा.
मैने थोड़ा तोड़ा खुद को उसके हाथ के उपर हिलना शुरू कर दिया और फिर मेरी बढ़ता बढ़ती गई और मैं मैं अच्छे से अपने नितूंब उसके हाथ पे रगार्डने लगी. मैं बेकाबू हो चुकी थी और मेरे पूरे शरीर में मस्ती भर गई थी. मेरी योनि ने एक बार फिरसे रस टपकाना शुरू कर दिया था. तुषार का एक हाथ मेरे नितुंबों के नीचे था और उसका दूसरा हाथ अब मेरी जांघों पे घूमने लगा था. उसकी हरकतों ने मुझे मदहोश कर दिया था और मैं उसके हाथों की कठपुतली बन चुकी थी. झंघों के उपर घूम रहा उसका हाथ अब मेरी योनि की तरफ बढ़ चुका था. मेरे अंदर एक आग सी लगी हुई थी जो बहुत तेज़ी से मेरी योनि की तरफ बढ़ती हुई महसूस हो रही थी. जैसे ही उसका हाथ मेरी योनि के उपर पौंचा तो मैने अपनी जांघों को कस कर भींच लिया मेरी आँखें अपने आप बंद हो गई और मेरी साँसें तेज़ तेज़ चलने लगी और मेरे अंदर की आग मेरे कम के रूप में मेरी योनि में से बाहर निकल गई. मैने अपने नितुंबों को उसके हाथ पे घिसना अब बंद कर दिया था और मैं अपने दोनो हाथों से उसका हाथ जो की मेरी योनि पे था उसे बाहर निकालने लगी थी. जब तुषार ने अपना हाथ वहाँ से हटाया तो मैने देखा की मेरी योनि से निकालने वाला कम उसके हाथ के उपर भी लगा हुया था. जिसे देखकर मैं बुरह तरह से शर्मा गई मैने थोड़ा सा उपर उठकर तुषार का हाथ अपने नीचे से निकाल दिया. तुषार से आँखें मिलने की मेरी हिम्मत नही हो रही थी. मैने चुपके से उसख तरफ देखा तो वो उस हाथ को चाट रहा था जो की थोड़ी देर पहले मेरी योनि पे लगा हुया था. उसने धीरे से मुझसे पूछा.
Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
तुषार-मज़ा आ गया रीता तुम्हारी योनि का पानी बहुत टेस्टी है. तुम्हे मज़ा आया ना.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और नज़रें नीची कर मुस्कुराने लगी.
अब मैं वहाँ से उतना चाहती थी और वॉशरूम में जाना चाहती थी. मैने महक और आकाश की तरफ देखा वो दोनो अब भी वैसे ही लगे हुए थे. मैं ये सोच कर घबराने लगी की कही इन्होने मुझे तुषार के साथ ये सब करते देख तो नही लिया. मैं आकाश की सीट से उठी और क्लास से बाहर निकल गई और सीधा वॉशरूम में जाकर घुस गई मैने अपनी सलवार खोल कर नीचे की तो देखा मेरी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी. मैने सलवार उतार दी और फिर पेंटी भी उतारकर वहीं एक कोने में फेंक दी और जल्दी से वापिस सलवार पहन कर वॉशरूम से निकल गई. जब में क्लास में पौंची तो हमारे टीचर क्लास में आ चुके थे. मैं जाकर अपनी सीट पे बैठ गई आकाश अपनी सीट पे जा चुका था. मेरा बिल्कुल भी मॅन नही लग रहा था पढ़ाई में. जैसे तैसे पहला पीरियड ख़त्म हुया. नेक्स्ट पीरियड आज फ्री था कीनकी मेद्स के माँ आज नही आए थे. मैने महक को लाइब्ररी चलने को कहा लेकिन उसने माना कर दिया. मैं अकेली ही उठ कर लाइब्ररी में चली गई. वहाँ कुछ और स्टूडेंट्स भी बैठे थे. मैने एक किताब उठाई और एक कोने में जाकर बैठ गई और पढ़ने लगी. थोड़ी देर बाद मुझे तुषार लाइब्ररी में दिखाई दिया. वो सीधा आकर मेरे साथ वाली चेर पे बैठ गया. मैं चेर के उपर बैठी थी और सामने लगे टेबल जो की मेरे ब्रेस्ट्स तक आता था उसके उपर बुक रख कर पढ़ रही थी. तुषार ने अपने दोनो हाथों में मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला.
तुषार-रीता तुम्हे पता है तुम बहुत खूबसूरात हो. तुम्हे देखकर तो कोई साधु संत भी तुम पर मोहित हो जाए.
मैं उसकी बातें सुनकर अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी.
उसने आगे कहा.
तुषार-रीता शायद तुम्हे महक ने ब्टाया होगा की मैं तुम्हे पसंद कराता हूँ. पहले मेरी हिम्मत नही होती थी तुमसे कुछ कहने की लेकिन आज क्लास में तुमने मेरा साथ दिया तो मुझे लगा की तुम भी मुझे चाहती हो.
ई लव यू ऱीट.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और नज़रें नीची कर मुस्कुराने लगी.
अब मैं वहाँ से उतना चाहती थी और वॉशरूम में जाना चाहती थी. मैने महक और आकाश की तरफ देखा वो दोनो अब भी वैसे ही लगे हुए थे. मैं ये सोच कर घबराने लगी की कही इन्होने मुझे तुषार के साथ ये सब करते देख तो नही लिया. मैं आकाश की सीट से उठी और क्लास से बाहर निकल गई और सीधा वॉशरूम में जाकर घुस गई मैने अपनी सलवार खोल कर नीचे की तो देखा मेरी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी. मैने सलवार उतार दी और फिर पेंटी भी उतारकर वहीं एक कोने में फेंक दी और जल्दी से वापिस सलवार पहन कर वॉशरूम से निकल गई. जब में क्लास में पौंची तो हमारे टीचर क्लास में आ चुके थे. मैं जाकर अपनी सीट पे बैठ गई आकाश अपनी सीट पे जा चुका था. मेरा बिल्कुल भी मॅन नही लग रहा था पढ़ाई में. जैसे तैसे पहला पीरियड ख़त्म हुया. नेक्स्ट पीरियड आज फ्री था कीनकी मेद्स के माँ आज नही आए थे. मैने महक को लाइब्ररी चलने को कहा लेकिन उसने माना कर दिया. मैं अकेली ही उठ कर लाइब्ररी में चली गई. वहाँ कुछ और स्टूडेंट्स भी बैठे थे. मैने एक किताब उठाई और एक कोने में जाकर बैठ गई और पढ़ने लगी. थोड़ी देर बाद मुझे तुषार लाइब्ररी में दिखाई दिया. वो सीधा आकर मेरे साथ वाली चेर पे बैठ गया. मैं चेर के उपर बैठी थी और सामने लगे टेबल जो की मेरे ब्रेस्ट्स तक आता था उसके उपर बुक रख कर पढ़ रही थी. तुषार ने अपने दोनो हाथों में मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला.
तुषार-रीता तुम्हे पता है तुम बहुत खूबसूरात हो. तुम्हे देखकर तो कोई साधु संत भी तुम पर मोहित हो जाए.
मैं उसकी बातें सुनकर अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी.
उसने आगे कहा.
तुषार-रीता शायद तुम्हे महक ने ब्टाया होगा की मैं तुम्हे पसंद कराता हूँ. पहले मेरी हिम्मत नही होती थी तुमसे कुछ कहने की लेकिन आज क्लास में तुमने मेरा साथ दिया तो मुझे लगा की तुम भी मुझे चाहती हो.
ई लव यू ऱीट.
Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
मैं कुछ नही बोल पा रही थी मुझे कुछ ना बोलते देख वो फिरसे बोला.
तुषार-मुझे पता है रीता तुम मेरी बातों का जवाब देने की हालत में नही हो. आज घर जा कर अच्छे से सोचना और अगर तुम्हारी हाँ हुई तो कल सुबह जल्दी आ जाना और मुझे यहाँ लाइब्ररी में आकर मिलना मैं यहीं तुम्हारा इंतेज़ार करूँगा.
फिर उसने मेरे हाथ को चूमा और उठ कर वहाँ से बाहर निकल गया.
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की मैं क्या करू. फिर मैने सोचा की इस मामले में अगर घर जा कर ही सोचा जाए तो ज़्यादा बेटर रहेगा.
फिर मैं वहाँ से उठी और अपनी क्लास में जाकर बैठ गई कीनकी नेक्स्ट पीरियड अब शुरू होने वाला था.
पूरा दिन बड़ी मुश्क़िल से निकला और आख़िरकार स्कूल ऑफ होने के बाद मैं और महक बस स्टॉप की तरफ चल पड़े. मुझे खामोश देखकर महक बोली.
महक-रीतू आज तू बड़ी चुप छाप सी है क्या बात है.
रीता-कुछ नही महक बस थोड़ा सर दर्द कर रहा है.
मैं उसे अभी कुछ बठाना नही चाहती थी. मैने एक ऑटो को रोका और मैं और महक उसमे बैठ कर घर की तरफ निकल पड़े.
मैं घर पौंची, खाना खाया और फिर टीवी देखने लगी. टीवी पे चेनेई सूपर किंग्स का रॉयल चॅलेनजर्स के साथ मॅच चल रहा था. कशकख टीम एक दम फुड़दू थी मुझे बिल्कुल भी अछी नही लगती थी वो टीम. आज मैं र्क्ब के साथ थी कीनकी उसमे इंडिया का सूपर स्टायलिश बॅट्स्मन विराट कोहली जो खेल रहा था. वो भी मुझे बहुत पसंद था और इस क़दर तक पसंद था की मैं कभी-2 सोचती थी की ‘काश मुझे विराट एक बार जमकर किस करे तो मज़ा आ जाए‚
अब क्या करे वो था ही इतना हॅंडसम. मैं कुछ देर बेठ कर मॅच देखती रही. विराट और करिस पूरी धमाल मचा रहे थे. फोर‚स और सिक्सस की बरसात हो रही थी लेकिन मेरा दिल आज मॅच में इंट्रेस्टेड नही था.
मैने टीवी ऑफ किया और अपने रूम में जाकर घुस गई. आज मेरे साथ स्कूल में जो कुछ भी हुया सब कुछ मेरे सामने घूमने लगा. पहले बस में आकाश का टच और फिर क्लास में महक और आकाश को देखकर गरम होना और तुषार के साथ बहक जाना. ये सब सोचते ही मेरे पूरे शरीर में मस्ती भरने लगी. मैं मॅन ही मॅन सोचने लगी की आज जो मज़ा आया था वो एहसास सचमुच बहुत बढ़िया था. आकाश की उंगली का मेरे नितुंबों के उपर घूमना और तुषार के हाथ के उपर अपने कोमल और मुलायम नितूंभ रखना एक शानदार अनुभव था जो की मुझे रोमांचित कर रहा था.
फिर तुषार की कही बातें मेरे दिमाग़ में घूमने लगी. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की मैं करू तो क्या करू. तुषार ने मुझे पर्पस किया था मगर मैं उसे क्या जवाब दम मेरी समझ से बाहर था. मैं खुद से ही सवाल जवाब कर रही थी.
क्या मुझे उसे हा बोल देनी चाहिए?
तुषार-मुझे पता है रीता तुम मेरी बातों का जवाब देने की हालत में नही हो. आज घर जा कर अच्छे से सोचना और अगर तुम्हारी हाँ हुई तो कल सुबह जल्दी आ जाना और मुझे यहाँ लाइब्ररी में आकर मिलना मैं यहीं तुम्हारा इंतेज़ार करूँगा.
फिर उसने मेरे हाथ को चूमा और उठ कर वहाँ से बाहर निकल गया.
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की मैं क्या करू. फिर मैने सोचा की इस मामले में अगर घर जा कर ही सोचा जाए तो ज़्यादा बेटर रहेगा.
फिर मैं वहाँ से उठी और अपनी क्लास में जाकर बैठ गई कीनकी नेक्स्ट पीरियड अब शुरू होने वाला था.
पूरा दिन बड़ी मुश्क़िल से निकला और आख़िरकार स्कूल ऑफ होने के बाद मैं और महक बस स्टॉप की तरफ चल पड़े. मुझे खामोश देखकर महक बोली.
महक-रीतू आज तू बड़ी चुप छाप सी है क्या बात है.
रीता-कुछ नही महक बस थोड़ा सर दर्द कर रहा है.
मैं उसे अभी कुछ बठाना नही चाहती थी. मैने एक ऑटो को रोका और मैं और महक उसमे बैठ कर घर की तरफ निकल पड़े.
मैं घर पौंची, खाना खाया और फिर टीवी देखने लगी. टीवी पे चेनेई सूपर किंग्स का रॉयल चॅलेनजर्स के साथ मॅच चल रहा था. कशकख टीम एक दम फुड़दू थी मुझे बिल्कुल भी अछी नही लगती थी वो टीम. आज मैं र्क्ब के साथ थी कीनकी उसमे इंडिया का सूपर स्टायलिश बॅट्स्मन विराट कोहली जो खेल रहा था. वो भी मुझे बहुत पसंद था और इस क़दर तक पसंद था की मैं कभी-2 सोचती थी की ‘काश मुझे विराट एक बार जमकर किस करे तो मज़ा आ जाए‚
अब क्या करे वो था ही इतना हॅंडसम. मैं कुछ देर बेठ कर मॅच देखती रही. विराट और करिस पूरी धमाल मचा रहे थे. फोर‚स और सिक्सस की बरसात हो रही थी लेकिन मेरा दिल आज मॅच में इंट्रेस्टेड नही था.
मैने टीवी ऑफ किया और अपने रूम में जाकर घुस गई. आज मेरे साथ स्कूल में जो कुछ भी हुया सब कुछ मेरे सामने घूमने लगा. पहले बस में आकाश का टच और फिर क्लास में महक और आकाश को देखकर गरम होना और तुषार के साथ बहक जाना. ये सब सोचते ही मेरे पूरे शरीर में मस्ती भरने लगी. मैं मॅन ही मॅन सोचने लगी की आज जो मज़ा आया था वो एहसास सचमुच बहुत बढ़िया था. आकाश की उंगली का मेरे नितुंबों के उपर घूमना और तुषार के हाथ के उपर अपने कोमल और मुलायम नितूंभ रखना एक शानदार अनुभव था जो की मुझे रोमांचित कर रहा था.
फिर तुषार की कही बातें मेरे दिमाग़ में घूमने लगी. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की मैं करू तो क्या करू. तुषार ने मुझे पर्पस किया था मगर मैं उसे क्या जवाब दम मेरी समझ से बाहर था. मैं खुद से ही सवाल जवाब कर रही थी.
क्या मुझे उसे हा बोल देनी चाहिए?