मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
नही नही रीता ये ठीक नही है तुझे अभी पढ़ना है.
मगर महक भी तो मज़े कर रही है?
हन मुझे भी थोड़ा बहुत तो मज़ा करना चाहिए.
ब्स ऐसे ही बेकार की बातें मेरे दिमाग़ में घूम रही थी मगर मैं किसी नतीज़े के उपर नही पॉंच पा रही थी.
अचानक आंटी की आवाज़ ने मुझे इन ख़यालों से बाहर निकाला. आंटी मुझे चाय पीने के लिए बुला रही थी. मैं अपने रूम से निकली और आंटी के साथ बैठकर चाय पीने लगी. चाय पीने से मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया. मैने सोचा किउन ना इस बड़े में महक से बात की जाए. वैसे भी वो मेरी बेस्ट फ़्रेंड थी हर बात मैं उसी के साथ शेयर कराती थी और फिर ये बात तो उसे ब्ठाना बेहद ज़रूरी था. मैने आंटी का मोबाइल उठाया. मेरे पास अपना मोबाइल नही था इसलिए मुझे जब भी ज़रूरात होती थी तो मैं आंटी का फोन ही उसे कराती थी. मैं मोबाइल और चाय लेकर चत्ट पे जाने के लिए सीडीयान चाड़ने लगी. आंटी ने पीछे से आवाज़ देते हुए पूछा.
आंटी-रीतू किसे फोन करना है.
रीता-आंटी महक को करना है मुझे स्कूल का कुछ काम पूछना है उस से.
आंटी-ओक बेटा.
मैं चत्ट पे पौंची और जल्दी से महक का नो. डाइयल किया. 2-3 रिंग के बाद महक ने उठाया और कहा.
महक-ही स्वीतू कैसी है आज मुझे कैसे याद किया.
रीता-मैं ठीक हूँ मिक्कु. वो बस ऐसे ही तुम्हारा हाल चाल पूछने के लिए किया था.
महक-अरे बता ना क्या बात है अछी तरह से जानती हूँ तुझे मैं कोई बात तो ज़रूर है.
रीता-वो मिक्कु अकटुल्ली मुझे तुमसे कुछ पूछना था.
महक-तो पूछ ना क्या पूछना है.
रीता-वो…..मिक्कु….वो…..उस…….
महक-तू कुछ बोलती है या मैं फोन रखू.
रीता-नही नही मिक्कु यार वो…उस तुषार ने मेरे बड़े में क्या कहा था तुमसे.
महक-ओह हो तो मेडम को तुषार के बड़े में पूछना है. बात क्या है…
रीता-यार तू बीटीये ना प्ल्स.
महक-ओक ओक यार उसने तो मुझे यही कहा था की मैं उसकी तेरे साथ सेट्टिंग करवा डू. तुझे पसंद कराता है वो. तुझे कुछ कहा उसने.
रीता-हन यार उसने मुझे पर्पस किया आज.
महक-हाए मैं मार जावा. कूडीए तूने मुझे ब्टाया किउन नही स्कूल में.
रीता-वो यार बस टाइम ही नही मिला.
महक-अछा चल छोड़ ये बता तूने क्या सोचा है.
रीता-यार उसी के लिए तो तुझे फोन किया है तू ही कुछ बता ना प्ल्स.
महक-अरे स्वीतू पर्पस तुझे किया है मैं क्या बताउन तुझे.
रीता-यही की वो कैसा लड़का है तू तो उसे अच्छे से जानती है.
महक-ह्म्म्म्म लड़का तो एक दम फटू है. फटाफट हाँ बोल दे उसे.
रीता-मिक्कु यार मुझे बहुत दर लग रहा है.
महक-ओह हो तो मेरी स्वीतू डरने भी लगी उस दिन तो बड़ी बोल रही थी की तुषार के सपने में जाकर ही तुषार का क़ातल कर दूँगी
मगर महक भी तो मज़े कर रही है?
हन मुझे भी थोड़ा बहुत तो मज़ा करना चाहिए.
ब्स ऐसे ही बेकार की बातें मेरे दिमाग़ में घूम रही थी मगर मैं किसी नतीज़े के उपर नही पॉंच पा रही थी.
अचानक आंटी की आवाज़ ने मुझे इन ख़यालों से बाहर निकाला. आंटी मुझे चाय पीने के लिए बुला रही थी. मैं अपने रूम से निकली और आंटी के साथ बैठकर चाय पीने लगी. चाय पीने से मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया. मैने सोचा किउन ना इस बड़े में महक से बात की जाए. वैसे भी वो मेरी बेस्ट फ़्रेंड थी हर बात मैं उसी के साथ शेयर कराती थी और फिर ये बात तो उसे ब्ठाना बेहद ज़रूरी था. मैने आंटी का मोबाइल उठाया. मेरे पास अपना मोबाइल नही था इसलिए मुझे जब भी ज़रूरात होती थी तो मैं आंटी का फोन ही उसे कराती थी. मैं मोबाइल और चाय लेकर चत्ट पे जाने के लिए सीडीयान चाड़ने लगी. आंटी ने पीछे से आवाज़ देते हुए पूछा.
आंटी-रीतू किसे फोन करना है.
रीता-आंटी महक को करना है मुझे स्कूल का कुछ काम पूछना है उस से.
आंटी-ओक बेटा.
मैं चत्ट पे पौंची और जल्दी से महक का नो. डाइयल किया. 2-3 रिंग के बाद महक ने उठाया और कहा.
महक-ही स्वीतू कैसी है आज मुझे कैसे याद किया.
रीता-मैं ठीक हूँ मिक्कु. वो बस ऐसे ही तुम्हारा हाल चाल पूछने के लिए किया था.
महक-अरे बता ना क्या बात है अछी तरह से जानती हूँ तुझे मैं कोई बात तो ज़रूर है.
रीता-वो मिक्कु अकटुल्ली मुझे तुमसे कुछ पूछना था.
महक-तो पूछ ना क्या पूछना है.
रीता-वो…..मिक्कु….वो…..उस…….
महक-तू कुछ बोलती है या मैं फोन रखू.
रीता-नही नही मिक्कु यार वो…उस तुषार ने मेरे बड़े में क्या कहा था तुमसे.
महक-ओह हो तो मेडम को तुषार के बड़े में पूछना है. बात क्या है…
रीता-यार तू बीटीये ना प्ल्स.
महक-ओक ओक यार उसने तो मुझे यही कहा था की मैं उसकी तेरे साथ सेट्टिंग करवा डू. तुझे पसंद कराता है वो. तुझे कुछ कहा उसने.
रीता-हन यार उसने मुझे पर्पस किया आज.
महक-हाए मैं मार जावा. कूडीए तूने मुझे ब्टाया किउन नही स्कूल में.
रीता-वो यार बस टाइम ही नही मिला.
महक-अछा चल छोड़ ये बता तूने क्या सोचा है.
रीता-यार उसी के लिए तो तुझे फोन किया है तू ही कुछ बता ना प्ल्स.
महक-अरे स्वीतू पर्पस तुझे किया है मैं क्या बताउन तुझे.
रीता-यही की वो कैसा लड़का है तू तो उसे अच्छे से जानती है.
महक-ह्म्म्म्म लड़का तो एक दम फटू है. फटाफट हाँ बोल दे उसे.
रीता-मिक्कु यार मुझे बहुत दर लग रहा है.
महक-ओह हो तो मेरी स्वीतू डरने भी लगी उस दिन तो बड़ी बोल रही थी की तुषार के सपने में जाकर ही तुषार का क़ातल कर दूँगी
Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
रीता-मिक्कु छोड़ ना पूरेानी बातें यार. ये बता की क्या वो सही है मेरे लिए.
महक-सही ही नही एक दम पर्फेक्ट है वो तेरे लिए. स्मार्ट है हॅंडसम है हाँ उसकी बॉडी मेरे आकाश जितनी नही है. लेकिन बंदा एक दम पर्फेक्ट है. वैसे भी तेरी इस क़ातिलाना जवानी को मसालने के लिए तुषार या आकाश जैसे मर्द की ही ज़रूरात है.
रीता-मिक्कु प्ल्स स्टॉप ना…
महक-रीतू यार मैं तो मज़ाक कर रही हूँ.
रीता-पता है मुझे अछा अब फोन रखती हूँ. मुझे कुछ सोचने दो अब.
महक-अरे सोचना क्या है कल सुबह फाटाक से जाकर उसके सीने से लग जाना.
रीता-ब्स बस अपनी अड्वाइज़ अपने पास ही रख. ओक डार्लिंग मैं रखती हूँ.
महक-ओक बाये स्वीतू.
मेरी चाय ऐसे ही हाथ में ठंडी हो चुकी थी. नीचे जाने के लिए मैं घूमी तो देखा आकाश अपनी चत्ट पे खड़ा मुझे घूर रहा था. पहले मेरी पीठ उसकी तरफ थी इसलिए मुझे वो दिखाई नही दिया था. मुझे देखकर उसने गंदी सी स्माइल पास की मगर मैं उसे जीभ निकल कर ठेंगा दिखाते हुए नीचे उतार गई.
पूरी रात मैं बे-चैन रही और सोचती रही कल क्या होगा. अब मैं फ़ैसला कर चुकी थी की तुषार को हाँ बोल दूँगी. लेकिन मेरे हाँ बोलने के बाद तुषार मेरे साथ क्या करेगा यही सोच कर मैं घबरा रही थी. जैसे तैसे रात ख़त्म हुई और एक नया उजाला हुया. मैं फटाफट उठ कर त्यार हो गई और ब्रेकफास्ट करते वक़्त भैया से कहा की अब मैं बस से ही स्कूल चली जया करूँगी.
मेरी बात सुनकर भैया थोड़े हैरान से होते हुए बोले.
हॅरी-क्या हुया स्वीतू मुझसे नाराज़ हो गई हो क्या.
रीता-भैया केसी बात करते हो आप. वो तो मेरी फ़्रेंड महक रोज़ बस से आती है उसने मुझे बोला था की तू मेरे साथ चला कर.
हॅरी-अरे यू शुवर ना.
रीता-ओफ्कोर्स भैया.
हॅरी-ओक जैसे तेरी मर्ज़ी.
मैने ब्रेकफास्ट किया और अपना बाग उठा कर बस स्टॉप की तरफ चल पड़ी. आकाश कल की तरह ही वहाँ पे खड़ा था. मुझे देखते ही उसका चेहरा गुलाब की तरह खिल्ल उठा. मैने एक दफ़ा उसकी तरफ देखा फिर नज़र दूसरी और कर ली और जाकर उस से थोड़ी दूरी पे खड़ी हो गई. जैसी मुझे उमीद थी वो चुंबक की तरह मेरे पास खिछा आया और बिल्कुल मेरे पास आकर बोला.
आकाश-ही रीता डार्लिंग कैसी हो.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और दूसरी तरफ नज़र किए खड़ी रही.
आकाश-किउन नखरे कर रही हो डार्लिंग कल बस में तो खूब मज़े ले रही थी और शर्मा किउन रही है आज भी तो तू मज़े लेने ही आई है.
महक-सही ही नही एक दम पर्फेक्ट है वो तेरे लिए. स्मार्ट है हॅंडसम है हाँ उसकी बॉडी मेरे आकाश जितनी नही है. लेकिन बंदा एक दम पर्फेक्ट है. वैसे भी तेरी इस क़ातिलाना जवानी को मसालने के लिए तुषार या आकाश जैसे मर्द की ही ज़रूरात है.
रीता-मिक्कु प्ल्स स्टॉप ना…
महक-रीतू यार मैं तो मज़ाक कर रही हूँ.
रीता-पता है मुझे अछा अब फोन रखती हूँ. मुझे कुछ सोचने दो अब.
महक-अरे सोचना क्या है कल सुबह फाटाक से जाकर उसके सीने से लग जाना.
रीता-ब्स बस अपनी अड्वाइज़ अपने पास ही रख. ओक डार्लिंग मैं रखती हूँ.
महक-ओक बाये स्वीतू.
मेरी चाय ऐसे ही हाथ में ठंडी हो चुकी थी. नीचे जाने के लिए मैं घूमी तो देखा आकाश अपनी चत्ट पे खड़ा मुझे घूर रहा था. पहले मेरी पीठ उसकी तरफ थी इसलिए मुझे वो दिखाई नही दिया था. मुझे देखकर उसने गंदी सी स्माइल पास की मगर मैं उसे जीभ निकल कर ठेंगा दिखाते हुए नीचे उतार गई.
पूरी रात मैं बे-चैन रही और सोचती रही कल क्या होगा. अब मैं फ़ैसला कर चुकी थी की तुषार को हाँ बोल दूँगी. लेकिन मेरे हाँ बोलने के बाद तुषार मेरे साथ क्या करेगा यही सोच कर मैं घबरा रही थी. जैसे तैसे रात ख़त्म हुई और एक नया उजाला हुया. मैं फटाफट उठ कर त्यार हो गई और ब्रेकफास्ट करते वक़्त भैया से कहा की अब मैं बस से ही स्कूल चली जया करूँगी.
मेरी बात सुनकर भैया थोड़े हैरान से होते हुए बोले.
हॅरी-क्या हुया स्वीतू मुझसे नाराज़ हो गई हो क्या.
रीता-भैया केसी बात करते हो आप. वो तो मेरी फ़्रेंड महक रोज़ बस से आती है उसने मुझे बोला था की तू मेरे साथ चला कर.
हॅरी-अरे यू शुवर ना.
रीता-ओफ्कोर्स भैया.
हॅरी-ओक जैसे तेरी मर्ज़ी.
मैने ब्रेकफास्ट किया और अपना बाग उठा कर बस स्टॉप की तरफ चल पड़ी. आकाश कल की तरह ही वहाँ पे खड़ा था. मुझे देखते ही उसका चेहरा गुलाब की तरह खिल्ल उठा. मैने एक दफ़ा उसकी तरफ देखा फिर नज़र दूसरी और कर ली और जाकर उस से थोड़ी दूरी पे खड़ी हो गई. जैसी मुझे उमीद थी वो चुंबक की तरह मेरे पास खिछा आया और बिल्कुल मेरे पास आकर बोला.
आकाश-ही रीता डार्लिंग कैसी हो.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और दूसरी तरफ नज़र किए खड़ी रही.
आकाश-किउन नखरे कर रही हो डार्लिंग कल बस में तो खूब मज़े ले रही थी और शर्मा किउन रही है आज भी तो तू मज़े लेने ही आई है.
Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
रीता-बंद करो अपनी बकवास मुझे महक ने बुलाया था मैं इसलिए आई हूँ.
हालाँकि ये बात सच थी की मैं दुबारा इसी लिए आज बस में जाना चाहती थी ताकि आकाश आज फिर मेरे साथ च्छेद-च्छाद करे. शायद उसकी च्छेद-च्छाद में मुझे मज़ा आने लगा था. मैने उसे झूठ बोल दिया था की में महक के कहने पे बस से जाने के लिए आई हूँ. फिर भी जितना हो सके मैं उस से बचना ही चाहती थी.
आकाश-ओये होये गुस्से में तो तुम और भी हसीन लगती हो.
रीता-चुप छाप खड़े रहो वरना मैं ज़ोर ज़ोर से चिल्ला कर सब को बता दूँगी की तुम मुझे च्छेद रहे हो फिर देखना लोग तुम्हारा क्या हाल करेंगे.
आकाश-अरे डार्लिंग यहाँ किसी की क्या मज़ाल कोई मुझ पे हाथ उठाए. एक-2 की बजा डालूँगा.
वो अपनी बक बक कर ही रहा था की मुझे बस आती हुई दिखाई दी. जैसे ही बस रुकी मैं भाग कर सबसे पहले उसमे चड़ गई और आकाश बेचारे पीछे भीड़ में ही फस गया. सब लोग धक्का-मुक्की करते हुए बस में चड़ गये और बस चल पड़ी. मैं बस के बीच में खड़ी और महक मेरे पास ही सीट पे बेठी थी. उसने मुझे सीट ऑफर की मगर मैने माना कर दिया. मैने पीछे की तरफ देखा तो आकाश बेचारा पीछे वाले दूर के पास बुरा सा मूह बनाए खड़ा मुझे ही घूर रहा था. मैं सभ से नज़रें बचाती हुई अपनी जीभ निकल कर उसे छिड़ने लगी. वो भी मेरी हरकत देखकर मुस्कुराने लगा. शायद अब उसे भी इस खेल में मज़ा आने लगा था. वो भी अपने होंठों पे जीभ फिरने लगा जैसे कह रहा हो की कब तक बचोगी मुझसे.
ऐसे ही पूरे रास्ते हम एकदुसरे को चिड़ते रहे और जैसे ही स्कूल का स्टॉप आया तो मैं और महक जल्दी से नीचा उतारकर क्लास की तरफ जाने लगी. आकाश पीछे वाले दूर से उतरा और जाकर अपने दोस्तो के पास खड़ा हो गया. उसके जैसे ही लफंगे दोस्त टड़ उसके हर रोज़ स्कूल के गाते पे खड़े रहते थे बस आती जाती लड़कियों को ताड़ते रहते थे.
महक और में क्लास में पॉंच गई. महक मुझसे पूछ रही थी की तुषार के बड़े में क्या सोचा है मैने उसे बता दिया था की मैं उसे हाँ बोलने वाली हूँ. तुषार मुझे कही दिखाई नही दिया. फिर मुझे याद आया की तुषार ने मुझे लाइब्ररी में आने को बोला था. महक ने मुझे चुप छाप बेठे देखकर कहा.
महक-रीतू तुम्हारा तुषार तो दिखाई ही नही दे रहा आज.
मैने महक को बताया.
रीता-मिक्कु मुझे लाइब्ररी में आने को कहा था उसने.
महक-तो तू यहाँ क्या कर रही है. चल जल्दी से लाइब्ररी में जेया.
रीता-नही यार मुझे दर लग रहा है.
महक-अरे यार तुझे खा थोड़े ना जाएगा वो.
रीता-तू चल ना मेरे साथ.
महक-अछा चल ठीक है अब उठ जल्दी.
हम दोनो लाइब्ररी में पॉंच गई. मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था. तुषार एक कोने में बेठा था. महक और में उसके पास जाकर बैठ गई. मुझे और महक को देखते ही वो खुश हो गया. इस टाइम कोई और स्टूडेंट नही था सिर्फ़ हम तीनो ही थे लाइब्ररी में. महक ने उठते हुए कहा.
महक-तुम दोनो बातें करो मैं दूर के बाहर इंतेज़ार कराती हूँ.
महक के जाते ही तुषार ने मेरे दोनो हाथों को पकड़ लिया और कहा.
तुषार-तो क्या सोचा तुमने रीता.
मैं शर्मा रही थी और कुछ नही बोल पा रही थी.
तुषार-प्ल्स बोलो ना रीता. तुम्हारी ‘एस‚ है या ‘नो‚
हालाँकि ये बात सच थी की मैं दुबारा इसी लिए आज बस में जाना चाहती थी ताकि आकाश आज फिर मेरे साथ च्छेद-च्छाद करे. शायद उसकी च्छेद-च्छाद में मुझे मज़ा आने लगा था. मैने उसे झूठ बोल दिया था की में महक के कहने पे बस से जाने के लिए आई हूँ. फिर भी जितना हो सके मैं उस से बचना ही चाहती थी.
आकाश-ओये होये गुस्से में तो तुम और भी हसीन लगती हो.
रीता-चुप छाप खड़े रहो वरना मैं ज़ोर ज़ोर से चिल्ला कर सब को बता दूँगी की तुम मुझे च्छेद रहे हो फिर देखना लोग तुम्हारा क्या हाल करेंगे.
आकाश-अरे डार्लिंग यहाँ किसी की क्या मज़ाल कोई मुझ पे हाथ उठाए. एक-2 की बजा डालूँगा.
वो अपनी बक बक कर ही रहा था की मुझे बस आती हुई दिखाई दी. जैसे ही बस रुकी मैं भाग कर सबसे पहले उसमे चड़ गई और आकाश बेचारे पीछे भीड़ में ही फस गया. सब लोग धक्का-मुक्की करते हुए बस में चड़ गये और बस चल पड़ी. मैं बस के बीच में खड़ी और महक मेरे पास ही सीट पे बेठी थी. उसने मुझे सीट ऑफर की मगर मैने माना कर दिया. मैने पीछे की तरफ देखा तो आकाश बेचारा पीछे वाले दूर के पास बुरा सा मूह बनाए खड़ा मुझे ही घूर रहा था. मैं सभ से नज़रें बचाती हुई अपनी जीभ निकल कर उसे छिड़ने लगी. वो भी मेरी हरकत देखकर मुस्कुराने लगा. शायद अब उसे भी इस खेल में मज़ा आने लगा था. वो भी अपने होंठों पे जीभ फिरने लगा जैसे कह रहा हो की कब तक बचोगी मुझसे.
ऐसे ही पूरे रास्ते हम एकदुसरे को चिड़ते रहे और जैसे ही स्कूल का स्टॉप आया तो मैं और महक जल्दी से नीचा उतारकर क्लास की तरफ जाने लगी. आकाश पीछे वाले दूर से उतरा और जाकर अपने दोस्तो के पास खड़ा हो गया. उसके जैसे ही लफंगे दोस्त टड़ उसके हर रोज़ स्कूल के गाते पे खड़े रहते थे बस आती जाती लड़कियों को ताड़ते रहते थे.
महक और में क्लास में पॉंच गई. महक मुझसे पूछ रही थी की तुषार के बड़े में क्या सोचा है मैने उसे बता दिया था की मैं उसे हाँ बोलने वाली हूँ. तुषार मुझे कही दिखाई नही दिया. फिर मुझे याद आया की तुषार ने मुझे लाइब्ररी में आने को बोला था. महक ने मुझे चुप छाप बेठे देखकर कहा.
महक-रीतू तुम्हारा तुषार तो दिखाई ही नही दे रहा आज.
मैने महक को बताया.
रीता-मिक्कु मुझे लाइब्ररी में आने को कहा था उसने.
महक-तो तू यहाँ क्या कर रही है. चल जल्दी से लाइब्ररी में जेया.
रीता-नही यार मुझे दर लग रहा है.
महक-अरे यार तुझे खा थोड़े ना जाएगा वो.
रीता-तू चल ना मेरे साथ.
महक-अछा चल ठीक है अब उठ जल्दी.
हम दोनो लाइब्ररी में पॉंच गई. मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था. तुषार एक कोने में बेठा था. महक और में उसके पास जाकर बैठ गई. मुझे और महक को देखते ही वो खुश हो गया. इस टाइम कोई और स्टूडेंट नही था सिर्फ़ हम तीनो ही थे लाइब्ररी में. महक ने उठते हुए कहा.
महक-तुम दोनो बातें करो मैं दूर के बाहर इंतेज़ार कराती हूँ.
महक के जाते ही तुषार ने मेरे दोनो हाथों को पकड़ लिया और कहा.
तुषार-तो क्या सोचा तुमने रीता.
मैं शर्मा रही थी और कुछ नही बोल पा रही थी.
तुषार-प्ल्स बोलो ना रीता. तुम्हारी ‘एस‚ है या ‘नो‚