मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story
मैने धीरे से शरमाते हुए कहा.
रीता-‘एस‚
मेरी ‘एस‚ सुनते ही वो खुशी से झूम उठा वो अपनी चेर से उठा और मुझे खीच कर अपने सीने से लगा लिया. मैं डराती डराती उसके सीने से जा लगी. मेरे दोनो हाथ उसकी छाती पे थे और हाथों के बीच अपना सर उसकी छाती से चिपका रखा था और उसने अपने दोनो हाथों से मेरी कमर को थाम रखा था. फिर उसने अपने दोनो हाथों से मेरे चेहरे को थाम लिया और एक तक मेरा चेहरा देखने लगा. धीरे धीरे उसके होंठ मेरे होंठों की तरफ बढ़ने लगे. मेरे होंठ ड्ऱ के मारे काँपने लगे और मेरा दिल आने वाले पल को सोचकर ही जोरो से धड़कने लगा.
तुषार के होंठ जैसे जैसे मेरे होंठों के नझडीक आ रहे थे वैसे ही मेरे दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी. अब तुषार के होंठ मेरे होंठों के बिल्कुल नझडीक आ चुके थे. हम दोनो को एक दूसरे की सांसो की आवाज़ तक सुनाई दे रही थी. मेरी आँखें अब बंद हो चुकी थी. आचनक मुझे अपने होंठों पे तुषार के होंठ महसूस हुए और उसके होंठों ने मेरे नीचे वाले होंठ को क़ैद कर लिया और बड़े ही प्यार से चूसने लगा. मेरा पूरा शरीर मस्ती में डूबता चला गया और मैं मदहोश होकर उसका साथ देने लगी थी. मेरे हाथ खुद ही उसके चेहरे के उपर पॉंच गये थे. हम दोनो के हाथ एक दूसरे के चेहरे को थामे हुए थे और हमारे बीच एक प्यारा सा चुंबन चल रहा था. ना तो तुषार मेरे होंठों को छोड़ना चाहता था और नही मैं अपने होंठ उसके होंठों की क़ैद से च्छुदाने चाहती थी. अब तुषार ने मेरे नीचे वाले होंठ को छोड़ दिया था और अपनी जीभ निकालकर मेरे होंठों के बीच घूमने लगा था. मैने अपने होंठ थोड़े से खोलकर उसकी जीभ को अंदर जाने का रास्ता दे दिया था. जैसे ही उसकी जीभ मेरे होंठों में घुसी तो मैने उसे अपने होंठ बंद करते हुए उसे अपने होंठों के बीच ही भींच लिया था जैसे मैं उसकी जीभ का सारा रस निकल लेना चाहती थी. चुंबन में मेरे साथ देने की वजह से तुषार को भी खूब मज़ा आ रहा था उसकी खुशी का कोई ठिकाना नही था.
रीता-‘एस‚
मेरी ‘एस‚ सुनते ही वो खुशी से झूम उठा वो अपनी चेर से उठा और मुझे खीच कर अपने सीने से लगा लिया. मैं डराती डराती उसके सीने से जा लगी. मेरे दोनो हाथ उसकी छाती पे थे और हाथों के बीच अपना सर उसकी छाती से चिपका रखा था और उसने अपने दोनो हाथों से मेरी कमर को थाम रखा था. फिर उसने अपने दोनो हाथों से मेरे चेहरे को थाम लिया और एक तक मेरा चेहरा देखने लगा. धीरे धीरे उसके होंठ मेरे होंठों की तरफ बढ़ने लगे. मेरे होंठ ड्ऱ के मारे काँपने लगे और मेरा दिल आने वाले पल को सोचकर ही जोरो से धड़कने लगा.
तुषार के होंठ जैसे जैसे मेरे होंठों के नझडीक आ रहे थे वैसे ही मेरे दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी. अब तुषार के होंठ मेरे होंठों के बिल्कुल नझडीक आ चुके थे. हम दोनो को एक दूसरे की सांसो की आवाज़ तक सुनाई दे रही थी. मेरी आँखें अब बंद हो चुकी थी. आचनक मुझे अपने होंठों पे तुषार के होंठ महसूस हुए और उसके होंठों ने मेरे नीचे वाले होंठ को क़ैद कर लिया और बड़े ही प्यार से चूसने लगा. मेरा पूरा शरीर मस्ती में डूबता चला गया और मैं मदहोश होकर उसका साथ देने लगी थी. मेरे हाथ खुद ही उसके चेहरे के उपर पॉंच गये थे. हम दोनो के हाथ एक दूसरे के चेहरे को थामे हुए थे और हमारे बीच एक प्यारा सा चुंबन चल रहा था. ना तो तुषार मेरे होंठों को छोड़ना चाहता था और नही मैं अपने होंठ उसके होंठों की क़ैद से च्छुदाने चाहती थी. अब तुषार ने मेरे नीचे वाले होंठ को छोड़ दिया था और अपनी जीभ निकालकर मेरे होंठों के बीच घूमने लगा था. मैने अपने होंठ थोड़े से खोलकर उसकी जीभ को अंदर जाने का रास्ता दे दिया था. जैसे ही उसकी जीभ मेरे होंठों में घुसी तो मैने उसे अपने होंठ बंद करते हुए उसे अपने होंठों के बीच ही भींच लिया था जैसे मैं उसकी जीभ का सारा रस निकल लेना चाहती थी. चुंबन में मेरे साथ देने की वजह से तुषार को भी खूब मज़ा आ रहा था उसकी खुशी का कोई ठिकाना नही था.
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वो खुश होता भी किउन ना रीता जैसे नाज़ुक, मुलायम कची काली जो उसके हाथ लग चुकी थी. वो कची काली तो थी ही साथ ही साथ इस काली पे जवानी भी कहर बन कर आई थी. पता नही कितने ही भांबरो पे उसकी जवानी कहर बन कर टूतने वाली थी. तुषार खुद को लकी मन रहा था कीनकी वो पहला मर्द था जिसे रीता के गुलाबी होंठों को चूसने का मौका मिला था.
मैं और तुषार चुंबन में इतना खो गये थे की हमे पता ही नही चला की महक कब हमारे पास आकर खड़ी हो गई. उसकी आवाज़ सुनते ही हम दोनो चौंक कर एक दूसरे से अलग हो गये.
महक-तुषार अब छोड़ भी दे खा ही जाएगे क्या मेरी स्वीतू को.
महक की बात सुनकर मैं शर्मा कर नीचे देखने लगी. तुषार के द्वारा होंठो का रास्पान किए जाने की वजह से मेरे होंठों में हल्का हल्का दर्द होने लगा था.
हमे चुप छाप वही खड़े देख महक बोली.
महक-चलो अब 1स्ट्रीट पीरियड का टाइम हो चुका है.
तुषार महक की बात सुनते ही बाहर निकल गया और मैं और महक भी क्लास की तरफ आने लगी.
महक ने मुझे च्छेदते हुए कहा.
महक-कैसी लगी पहली किस स्वीतू.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया बस मुस्कुराती रही.
महक-ओह हो तो मेडम शर्मा रही है. अभी से शरमाने लगी अभी तो आगे बहुत कुछ करेगा तुषार तेरे साथ.
मैने उसे मराते हुए कहा.
रीता-प्ल्स मिक्कु यार स्टॉप ना.
महक-ओह हो मज़े भी लेना चाहती है और शरमाती भी है.
रीता-मिक्कु तू मुझसे मार खाएगी आज.
बातें करते करते हम क्लास में पॉंच चुके थे. मैं और महक अपनी बेंच पे जाकर बेठ गये और मैने तुषार की और देखा तो वो मुझे ही घूर रहा था. जैसे ही हमारी नज़रें मिली तो हम दोनो मुस्कुराने लगे. आकाश ने जब हमे एक दूसरे की तरफ देखते हुए मुस्कुराते देखा तो उसका चेहरा देखने लायक था. उसका लटका हुया चेहरा देखकर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. सारा दिन क्लास में यही चलता रहा. मैं थोड़े टाइम बाद तुषार की तरफ देखकर मुस्कुराती और बदले में तुषार भी मुझे स्माइल पास कराता फिर मैं शैठानी नज़रो से आकाश की तरफ देखती जिसका की चेहरा देखने लायक होता. उसे ऐसे जलाने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. आकाश के लिए जैसे आज का दिन बहुत ही मुश्क़िल से निकला जैसे ही छुट्टी हुई तो वो जल्दी जल्दी स्कूल से निकल गया.
मैने तुषार को बाये बोला वो मुझे किस करना चाहता था मगर हम क्लास में थे इसलिए मैने उसे माना कर दिया. फिर मैं और महक बस स्टॉप की तरफ चल पड़ी और ऑटो में बैठकर घर के लिए निकल गई.
मैं और तुषार चुंबन में इतना खो गये थे की हमे पता ही नही चला की महक कब हमारे पास आकर खड़ी हो गई. उसकी आवाज़ सुनते ही हम दोनो चौंक कर एक दूसरे से अलग हो गये.
महक-तुषार अब छोड़ भी दे खा ही जाएगे क्या मेरी स्वीतू को.
महक की बात सुनकर मैं शर्मा कर नीचे देखने लगी. तुषार के द्वारा होंठो का रास्पान किए जाने की वजह से मेरे होंठों में हल्का हल्का दर्द होने लगा था.
हमे चुप छाप वही खड़े देख महक बोली.
महक-चलो अब 1स्ट्रीट पीरियड का टाइम हो चुका है.
तुषार महक की बात सुनते ही बाहर निकल गया और मैं और महक भी क्लास की तरफ आने लगी.
महक ने मुझे च्छेदते हुए कहा.
महक-कैसी लगी पहली किस स्वीतू.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया बस मुस्कुराती रही.
महक-ओह हो तो मेडम शर्मा रही है. अभी से शरमाने लगी अभी तो आगे बहुत कुछ करेगा तुषार तेरे साथ.
मैने उसे मराते हुए कहा.
रीता-प्ल्स मिक्कु यार स्टॉप ना.
महक-ओह हो मज़े भी लेना चाहती है और शरमाती भी है.
रीता-मिक्कु तू मुझसे मार खाएगी आज.
बातें करते करते हम क्लास में पॉंच चुके थे. मैं और महक अपनी बेंच पे जाकर बेठ गये और मैने तुषार की और देखा तो वो मुझे ही घूर रहा था. जैसे ही हमारी नज़रें मिली तो हम दोनो मुस्कुराने लगे. आकाश ने जब हमे एक दूसरे की तरफ देखते हुए मुस्कुराते देखा तो उसका चेहरा देखने लायक था. उसका लटका हुया चेहरा देखकर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. सारा दिन क्लास में यही चलता रहा. मैं थोड़े टाइम बाद तुषार की तरफ देखकर मुस्कुराती और बदले में तुषार भी मुझे स्माइल पास कराता फिर मैं शैठानी नज़रो से आकाश की तरफ देखती जिसका की चेहरा देखने लायक होता. उसे ऐसे जलाने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. आकाश के लिए जैसे आज का दिन बहुत ही मुश्क़िल से निकला जैसे ही छुट्टी हुई तो वो जल्दी जल्दी स्कूल से निकल गया.
मैने तुषार को बाये बोला वो मुझे किस करना चाहता था मगर हम क्लास में थे इसलिए मैने उसे माना कर दिया. फिर मैं और महक बस स्टॉप की तरफ चल पड़ी और ऑटो में बैठकर घर के लिए निकल गई.
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घर पॉंच कर मैने खाना खाया और जाकर अपने रूम में घुस गई और आज तुषार के साथ हुए चुंबन के बड़े में सोचने लगी. चुंबन को याद करते ही मेरे होंठो पे मुस्कुराहट फैल गई. मैं मॅन ही मॅन सोचने लगी की कितने अछी तरह से तुषार ने आज मेरे होंठो को चूमा था. आज मेरा दिल खुशी से झूम रहा था. आगे तो ऐसे पहले कभी नही हुया था. एक तरफ यहाँ में खुश थी तो दूसरी तरफ एक बेचैनी भी थी की कब सुबह हो और मैं फिरसे स्कूल जाकर तुषार की बाहों में क़ैद हो जौन.
फिर मैने सोचा चलो थोड़ा गुलनाज़ दीदी के पास जाकर आती हूँ और मैं अपने घर से बाहर निकल गई. मेरे घर के सामने ही आकाश अपने दोस्तो के साथ खड़ा था मुझे देखते ही वो अपनी पेनिस वाली जगह पे हाथ फिरने लगा और अपने होंठो पे जीभ फिरने लगा. मैं मूह सा बनाते हुए वहाँ से आगे चल पड़ी. मुझे पता था की आकाश की नज़र अब मेरी लोवर में क़ैद मेरे नितुंबों पे होगी इस लिए मैं जान बुझ कर अपने कूल्हे कुछ ज़्यादा ही मतकते हुए चलने लगी. पता नही किउन आकाश को ऐसे जलाने में मुझे बहुत मज़ा आता था. गुलनाज़ दीदी के घर के अंदर जाने से पहले मैने उसे घूम कर एक बार देखा तो वो मुझे ही घूर रहा था और तो और उसके 2 दोस्त भी मुझे ही घूर रहे थे. मैं उनकी और से नज़र हटती हुई नाज़ दीदी के घर में घुस गई.
गुलनाज़ दीदी के घर में घुसते ही मैं उन्हे आवाज़ देने लगी. तभी जॉड भैया अपने रूम में से निकले और बोले.
जॉड-ओये रीतू कहा रहती है तू बड़े दीनो बाद देखा आज तुम्हे.
रीता-मैं तो यही होती हूँ भैया आप ही गायब रहते हो.
जॉड-आज कैसे आना हुया.
रीता-गुलनाज़ दीदी कहाँ है उनसे मिलना है मुझे.
जॉड-गुल अपने रूम में होगी. जा जाकर मिल ले उसे.
मैं गुलनाज़ दीदी के रूम में चली गई. दीदी हमेशा की तरह अपने बेड पे बैठ कर पढ़ाई कर रही थी. मैं उनके पास गई और बेड पे चड़ते हुए उन्हे बाहों में भराते हुए पीछे की तरफ गिरा दिया. मेरी इस हरकत से झुंझलते हुए दीदी बोली.
गुल-ओये रीतू तू सीधी तरह से गले नही मिल सकती क्या.
जवाब में मैं सिर्फ़ हंसते हुए दाँत दिखाने लगी.
गुल-अब हास रही है देख मेरी बुक के उपर कैसे घुतने टीका कर बेठी है अगर फट जाती तो.
रीता-तो अब आपकी बुक आपको मुझ से ज़्यादा प्यारी है.
गुल-बची प्यार की बात नही है. अब आप बड़ी हो गई हैं थोड़ा ढंग से पेश आया करो.
रीता-मैं तो ऐसी ही रहूंगी.
गुल-तो रहो जैसी रहना है मुझे क्या.
रीता-ओह हो मेरी दीदी को गुस्सा भी आता है. वैसे दीदी आज आप बहुत खूबसूरात लग रही हो.
सच में गुलनाज़ दीदी आज बहुत खूबसूरात लग रही थी. उन्होने ब्लॅक कलर का सलवार कमीज़ पहना था जो की उनके उपर बहुत फॅब रहा था.
गुल-ओह हो अब हमारी रीतू माखन लगाना भी सीख गई.
रीता-नही दीदी सच में अगर विश्वश नही होता तो आप मार्केट का चक्कर लगाकर आयो फिर देखने लड़के कैसे आहें भरेंगे आपको देखकर.
फिर मैने सोचा चलो थोड़ा गुलनाज़ दीदी के पास जाकर आती हूँ और मैं अपने घर से बाहर निकल गई. मेरे घर के सामने ही आकाश अपने दोस्तो के साथ खड़ा था मुझे देखते ही वो अपनी पेनिस वाली जगह पे हाथ फिरने लगा और अपने होंठो पे जीभ फिरने लगा. मैं मूह सा बनाते हुए वहाँ से आगे चल पड़ी. मुझे पता था की आकाश की नज़र अब मेरी लोवर में क़ैद मेरे नितुंबों पे होगी इस लिए मैं जान बुझ कर अपने कूल्हे कुछ ज़्यादा ही मतकते हुए चलने लगी. पता नही किउन आकाश को ऐसे जलाने में मुझे बहुत मज़ा आता था. गुलनाज़ दीदी के घर के अंदर जाने से पहले मैने उसे घूम कर एक बार देखा तो वो मुझे ही घूर रहा था और तो और उसके 2 दोस्त भी मुझे ही घूर रहे थे. मैं उनकी और से नज़र हटती हुई नाज़ दीदी के घर में घुस गई.
गुलनाज़ दीदी के घर में घुसते ही मैं उन्हे आवाज़ देने लगी. तभी जॉड भैया अपने रूम में से निकले और बोले.
जॉड-ओये रीतू कहा रहती है तू बड़े दीनो बाद देखा आज तुम्हे.
रीता-मैं तो यही होती हूँ भैया आप ही गायब रहते हो.
जॉड-आज कैसे आना हुया.
रीता-गुलनाज़ दीदी कहाँ है उनसे मिलना है मुझे.
जॉड-गुल अपने रूम में होगी. जा जाकर मिल ले उसे.
मैं गुलनाज़ दीदी के रूम में चली गई. दीदी हमेशा की तरह अपने बेड पे बैठ कर पढ़ाई कर रही थी. मैं उनके पास गई और बेड पे चड़ते हुए उन्हे बाहों में भराते हुए पीछे की तरफ गिरा दिया. मेरी इस हरकत से झुंझलते हुए दीदी बोली.
गुल-ओये रीतू तू सीधी तरह से गले नही मिल सकती क्या.
जवाब में मैं सिर्फ़ हंसते हुए दाँत दिखाने लगी.
गुल-अब हास रही है देख मेरी बुक के उपर कैसे घुतने टीका कर बेठी है अगर फट जाती तो.
रीता-तो अब आपकी बुक आपको मुझ से ज़्यादा प्यारी है.
गुल-बची प्यार की बात नही है. अब आप बड़ी हो गई हैं थोड़ा ढंग से पेश आया करो.
रीता-मैं तो ऐसी ही रहूंगी.
गुल-तो रहो जैसी रहना है मुझे क्या.
रीता-ओह हो मेरी दीदी को गुस्सा भी आता है. वैसे दीदी आज आप बहुत खूबसूरात लग रही हो.
सच में गुलनाज़ दीदी आज बहुत खूबसूरात लग रही थी. उन्होने ब्लॅक कलर का सलवार कमीज़ पहना था जो की उनके उपर बहुत फॅब रहा था.
गुल-ओह हो अब हमारी रीतू माखन लगाना भी सीख गई.
रीता-नही दीदी सच में अगर विश्वश नही होता तो आप मार्केट का चक्कर लगाकर आयो फिर देखने लड़के कैसे आहें भरेंगे आपको देखकर.