मेरी आशिकी - Hindi Love romance long story
Re: मेरी आशिकी - Hindi sex long story
” शिट … एस्केप्ड… ” इन्स्पेक्टर झुंझलाए.
और कुछ पल कुछतो सोचनेजैसा करनेके बाद वह मोबाईलपर बोले,
” अब एक काम करो … वहांसे उसके फिंगर प्रिट्स लो … जिस कॉम्प्यूटरपर वह बैठा था उसके फोटोग्राफ्स लो … ऍन्ड सी द हिस्ट्री लॉग ऑफ द कॉम्प्यूटर”
” यस सर ” उधरसे जवाब आया.
इन्सपेक्टरने मोबाईल डिस्कनेक्ट किया और निराशासे अंजलीकी तरफ देखते हूए उसे किस तरह कहां जाए यह सोचने लगे.
” द ब्लडी बास्टर्ड हॅज एस्केप्ड…” उन्होने कहा.
लेकिन उनके बातचित और हावभावसे कमरेमें उपस्थित सारे लोग यह बात पहलेही समझ चुके थे.
जंगलमें सब तरफ सुखे पत्ते फैले हूए थे. उन सुखे पत्तोकों रौंदते हूए एक काले शिशे चढाई हूई कार धीरे धीरे उस जंगलसे गुजरने लगी. वह कार जब जंगलसे गुजर रही थी तब उन सुखे पत्तोंके रौंदनेसे एक अजिबसी आवाज उस जंगलके शांतीमे बाधा डाल रही थी. आखिर एक पेढके पास वह कार रुक गई. उस कारके ड्रायव्हर सिटवाला शिशा धीरे धीरे निचे खिसकने लगा और अब वहां ड्रायव्हीग सिटपर बैठी हुई काला चष्मा लगाई हूई अंजली दिखने लगी. उसने एक पेढपर लगाई लाल निशानी देखी और उसने बगलके सिटपर रखी एक ब्रिफकेस उठाकर खिडकीसे उस निशान लगाए पेढकी तरफ फेंक दी. ब्रिफकेसका ‘धप्प’ ऐसा आवाज आ गया. उसने फिरसे अपनी पैनी नजर चारो तरफ घुमाई और अपनी कार स्टार्ट कर वह वहांसे चली गई.
जंगलसे बाहर निकलकर अंजलीकी कार अब प्रमुख रस्तेपर आ गई थी. तभी अंजलीका मोबाईल बजा.
अंजलीने डिस्प्ले ना देखते हूएही वह अटेंड किया, ” हॅलो…”
” हॅलो… मै इन्स्पेक्टर कंवलजीत बोल रहा हूं …” उधरसे आवाज आया.
” यस अंकल..”
” पैसे कब और कहां भेजने है इसके बारेमें ब्लॅकमेलरकी मेल तुम्हे आईही होगी ” इन्स्पेक्टर कंवलजीतने पुछा.
” हां आई थी .. सच कहूं तो मै अब वहां पैसे पहूंचाकर वापसही आ रही हूं ” अंजलीने कहा.
” व्हॉट… ” इन्स्पेक्टरके स्वरमें आश्चर्य स्पष्ट झलक रहा था.
”आय जस्ट कांन्ट बिलीव्ह धीस… तुमने मुझे बताया नही … हम जरुर कुछ कर सकते थे. ” इन्स्पेक्टरने आगे कहा.
” नही अंकल अब यहां मुझे पुलिसका शामिल होना नही चाहिए था . … एक बार तो पुलिस पुरी तरहसे नाकामयाब रही है … यहां मै चान्स लेना नही चाहती थी … और मुझे चिंता सिर्फ विवेककी है … पैसे जानेका अफसोस मुझे नही … बस ब्लकमेलरको पैसे मिलनेके बाद वह विवेकको छोड देगा … और पुरा मसलाही खत्म हो जाएगा ” अंजलीने कहा.
” मै प्रार्थाना करता हूं की तूम जैसा सोचती हो… सब वैसाही हो … लेकिन मुझे चिंता होती है तो बस इस बातकी की अगर वैसा नही हुवा तो ?” इन्स्पेक्टरने कहा.
” मतलब ?” अंजलीने पुछा.
” मतलब … तुमने पैसे देकरभी उसने अगर विवेकको नही छोडा तो ?” इन्स्पेक्टरने अपना डर जाहिर किया.
अंजली एकदम सोचमें पड गई.
अतूल और अलेक्स उस काले ब्रिफकेसके सामने बैठे थे. उनके चेहरेपर खुशी झलक रही थी. आखिर अतूलने अपने आपको ना रोक पाकर वह बॅग खोली. दोनो आंखे फाडकर उन पैसोंकी तरफ देख रहे थे. अतूलने उस बॅगसे एक पैसोंका बंडल उठाया, अपने नाकके पास लिया और वह उस बंडलसे अपनी उंगली फेरते हूए उस नोटोंकी खुशबु लेने लगा.
” देख तो कितनी अच्छी खुशबु आ रही है … ” अतूलने कहा.
अलेक्सनेभी एक बंडल उठाकर उसकी खुशबु लेते हुए वह बोला,
” और देखोतो अपने मेहनतके कमाईके पैसेकी खुशबु कुछ औरही आती है … नही?”
दोनोंने हंसते हूए एक दुसरेकी जोरसे ताली ली.
” इतने सारे पैसे वहभी एकसाथ… मै तो पहली बार देख रहा हूं ” अलेक्सने कहा.
दोनों उस बैगमें हाथ डालकर सारे बंडल्स उलट पुलटकर देखने लगे.
” नोटोंके बंडल्स देखते हूए अलेक्स बिचमेही रुककर बोला, ” अब उस पंटरका क्या करना है … उसे छोड देना है ? ”
” छोड देना है ? … कहीं तुम पागल तो नही हूए ? … अरे अब तो शुरवात हूई है … मुर्गीने अंडे देनेकी अबतो शुरवात हुई है ” अतूल बिभत्स हास्य धारण करते हूए बोला.
अंजली अपने कुर्सीपर बैठकर कुछ ऑफीशियल कागजाद उलट पुलटकर देख रही थी और उसके बगलमेंही शरवरी कॉम्प्यूटरपर बैठकर कुछ ऑफीशियल काम कर रही थी. तभी कॉम्प्यूटरका बझर बजा. अंजलीने पलटकर मॉनिटरकी तरफ देखा.
” उसकाही मेसेज है ” शरवरीने बताया.
अंजली उठकर कॉम्प्यूटरके पास गई. उसके आतेही कॉम्प्यूटरके सामनेसे उठकर उसने अंजलीको जगह दे दी.
” जा जल्दी जा ‘ अंजलीने कॉम्प्यूटरके सामने बैठते हूए शरवरीसे कहा.
शरवरी तुरंत वहांसे निकलकर कॅबिनके बाहर चली गई. अंजलीके कॅबिनसे बाहर आकर शरवरी सीधे बगलके रुममें चली गई. वहां इन्स्पेक्टर कंवलजित और वे दोनो कॉम्प्यूटर एक्स्पर्टस एक कॉम्प्यूटरके सामने बैठे थे. शरवरी जल्दी जल्दी उनके पास गई. उसकी आहट होतेही तिनो पलटकर उसकी तरफ मुडकर देखने लगे.
और कुछ पल कुछतो सोचनेजैसा करनेके बाद वह मोबाईलपर बोले,
” अब एक काम करो … वहांसे उसके फिंगर प्रिट्स लो … जिस कॉम्प्यूटरपर वह बैठा था उसके फोटोग्राफ्स लो … ऍन्ड सी द हिस्ट्री लॉग ऑफ द कॉम्प्यूटर”
” यस सर ” उधरसे जवाब आया.
इन्सपेक्टरने मोबाईल डिस्कनेक्ट किया और निराशासे अंजलीकी तरफ देखते हूए उसे किस तरह कहां जाए यह सोचने लगे.
” द ब्लडी बास्टर्ड हॅज एस्केप्ड…” उन्होने कहा.
लेकिन उनके बातचित और हावभावसे कमरेमें उपस्थित सारे लोग यह बात पहलेही समझ चुके थे.
जंगलमें सब तरफ सुखे पत्ते फैले हूए थे. उन सुखे पत्तोकों रौंदते हूए एक काले शिशे चढाई हूई कार धीरे धीरे उस जंगलसे गुजरने लगी. वह कार जब जंगलसे गुजर रही थी तब उन सुखे पत्तोंके रौंदनेसे एक अजिबसी आवाज उस जंगलके शांतीमे बाधा डाल रही थी. आखिर एक पेढके पास वह कार रुक गई. उस कारके ड्रायव्हर सिटवाला शिशा धीरे धीरे निचे खिसकने लगा और अब वहां ड्रायव्हीग सिटपर बैठी हुई काला चष्मा लगाई हूई अंजली दिखने लगी. उसने एक पेढपर लगाई लाल निशानी देखी और उसने बगलके सिटपर रखी एक ब्रिफकेस उठाकर खिडकीसे उस निशान लगाए पेढकी तरफ फेंक दी. ब्रिफकेसका ‘धप्प’ ऐसा आवाज आ गया. उसने फिरसे अपनी पैनी नजर चारो तरफ घुमाई और अपनी कार स्टार्ट कर वह वहांसे चली गई.
जंगलसे बाहर निकलकर अंजलीकी कार अब प्रमुख रस्तेपर आ गई थी. तभी अंजलीका मोबाईल बजा.
अंजलीने डिस्प्ले ना देखते हूएही वह अटेंड किया, ” हॅलो…”
” हॅलो… मै इन्स्पेक्टर कंवलजीत बोल रहा हूं …” उधरसे आवाज आया.
” यस अंकल..”
” पैसे कब और कहां भेजने है इसके बारेमें ब्लॅकमेलरकी मेल तुम्हे आईही होगी ” इन्स्पेक्टर कंवलजीतने पुछा.
” हां आई थी .. सच कहूं तो मै अब वहां पैसे पहूंचाकर वापसही आ रही हूं ” अंजलीने कहा.
” व्हॉट… ” इन्स्पेक्टरके स्वरमें आश्चर्य स्पष्ट झलक रहा था.
”आय जस्ट कांन्ट बिलीव्ह धीस… तुमने मुझे बताया नही … हम जरुर कुछ कर सकते थे. ” इन्स्पेक्टरने आगे कहा.
” नही अंकल अब यहां मुझे पुलिसका शामिल होना नही चाहिए था . … एक बार तो पुलिस पुरी तरहसे नाकामयाब रही है … यहां मै चान्स लेना नही चाहती थी … और मुझे चिंता सिर्फ विवेककी है … पैसे जानेका अफसोस मुझे नही … बस ब्लकमेलरको पैसे मिलनेके बाद वह विवेकको छोड देगा … और पुरा मसलाही खत्म हो जाएगा ” अंजलीने कहा.
” मै प्रार्थाना करता हूं की तूम जैसा सोचती हो… सब वैसाही हो … लेकिन मुझे चिंता होती है तो बस इस बातकी की अगर वैसा नही हुवा तो ?” इन्स्पेक्टरने कहा.
” मतलब ?” अंजलीने पुछा.
” मतलब … तुमने पैसे देकरभी उसने अगर विवेकको नही छोडा तो ?” इन्स्पेक्टरने अपना डर जाहिर किया.
अंजली एकदम सोचमें पड गई.
अतूल और अलेक्स उस काले ब्रिफकेसके सामने बैठे थे. उनके चेहरेपर खुशी झलक रही थी. आखिर अतूलने अपने आपको ना रोक पाकर वह बॅग खोली. दोनो आंखे फाडकर उन पैसोंकी तरफ देख रहे थे. अतूलने उस बॅगसे एक पैसोंका बंडल उठाया, अपने नाकके पास लिया और वह उस बंडलसे अपनी उंगली फेरते हूए उस नोटोंकी खुशबु लेने लगा.
” देख तो कितनी अच्छी खुशबु आ रही है … ” अतूलने कहा.
अलेक्सनेभी एक बंडल उठाकर उसकी खुशबु लेते हुए वह बोला,
” और देखोतो अपने मेहनतके कमाईके पैसेकी खुशबु कुछ औरही आती है … नही?”
दोनोंने हंसते हूए एक दुसरेकी जोरसे ताली ली.
” इतने सारे पैसे वहभी एकसाथ… मै तो पहली बार देख रहा हूं ” अलेक्सने कहा.
दोनों उस बैगमें हाथ डालकर सारे बंडल्स उलट पुलटकर देखने लगे.
” नोटोंके बंडल्स देखते हूए अलेक्स बिचमेही रुककर बोला, ” अब उस पंटरका क्या करना है … उसे छोड देना है ? ”
” छोड देना है ? … कहीं तुम पागल तो नही हूए ? … अरे अब तो शुरवात हूई है … मुर्गीने अंडे देनेकी अबतो शुरवात हुई है ” अतूल बिभत्स हास्य धारण करते हूए बोला.
अंजली अपने कुर्सीपर बैठकर कुछ ऑफीशियल कागजाद उलट पुलटकर देख रही थी और उसके बगलमेंही शरवरी कॉम्प्यूटरपर बैठकर कुछ ऑफीशियल काम कर रही थी. तभी कॉम्प्यूटरका बझर बजा. अंजलीने पलटकर मॉनिटरकी तरफ देखा.
” उसकाही मेसेज है ” शरवरीने बताया.
अंजली उठकर कॉम्प्यूटरके पास गई. उसके आतेही कॉम्प्यूटरके सामनेसे उठकर उसने अंजलीको जगह दे दी.
” जा जल्दी जा ‘ अंजलीने कॉम्प्यूटरके सामने बैठते हूए शरवरीसे कहा.
शरवरी तुरंत वहांसे निकलकर कॅबिनके बाहर चली गई. अंजलीके कॅबिनसे बाहर आकर शरवरी सीधे बगलके रुममें चली गई. वहां इन्स्पेक्टर कंवलजित और वे दोनो कॉम्प्यूटर एक्स्पर्टस एक कॉम्प्यूटरके सामने बैठे थे. शरवरी जल्दी जल्दी उनके पास गई. उसकी आहट होतेही तिनो पलटकर उसकी तरफ मुडकर देखने लगे.
Re: मेरी आशिकी - Hindi sex long story
” जैसे आपने बोला था वैसाही हो गया … ब्लॅकमेलरका फिरसे मेसेज आ गया है … ” शरवरी जल्दी जल्दी आनेसे सांस फुले स्थितीमें बोली.
वे दोनों कॉम्प्यूटर एक्सपर्टस कुछ ना बोलते हूए अपने काममें लग गए.
” सुरज… कम ऑन… इस बार किसीभी हालमें साला छुटना नही चाहिए…. ”
” सर ऍज बिफोर दिस टाईम ऑल्सो हि इज कॉलींग फ्रॉम मुंबई… और उसका आय पी ऍड्रेस देखिए …” एक्सपर्टने सॉफ्टवेअरके कुछ रिपोर्ट्स देखते हूए कहा.
वह बोलनेके पहलेही इन्सपेक्टरने मुंबईको इन्स्पेक्टर राजको फोन लगाया,
” हां राज … फिरसे हमने ब्लॅकमेलरको ट्रेस किया है … अबभी वह चटींगही कर रहा है … तुम उसकी एक्सॅक्ट लोकेशनका पता करो … ऍन्ड सी दॅट दिस टाईम द बास्टर्ड शुड नॉट एस्केप… और हां उसका आय पी ऍड्रेस लिख लो …”
अतूल सायबर कॅफेमें एक कॉम्प्यूटरके सामने बैठकर चॅटींगमें उलझा हुवा था.
” मिस अंजली… हाय कैसी हो ?” उसने मेसेज टाईप कर भेजा.
काफी समय हो गया था फिरभी उसका जवाब नही आया था. लेकिन उसका नामतो चॅटींगमें दिख रहा था.
कॉम्प्यूटर खुला छोडकर कही गई तो नही साली…
या फिर अपना अचानक मेसेज आनेसे गडबडा गई होगी …
उसने सोचा. अबभी उसका मेसेज आया नही था. गुस्सेसे उसका चेहरा लाल होने लगा था. तभी उधरसे मेसेज आ गया , ” ठिक हूं ”
तब कहा अतूलने चैनकी सांस ली. वह अब अगला मेसेज, जो उसके लिए बहुत महत्वपुर्ण था, टाईप करने लगा,
” तुम्हे फिरसे तकलिफ देते हूए मुझे बुरा लग रहा है … लेकिन क्या करे? … पैसा यह साली चिजही ऐसी है … कितनेभी संभलकर इस्तमाल करो तो भी खतम हो जाती है … मुझे इस बार 20 लाख रुपएकी सख्त जरुरत है …”
अतूलने टाईप कर मेसेज भेजभी दिया.
” अभी तो तुम्हे 50 लाख रुपए दिए थे मैने … अब मेरे पास पैसे नही है …” उधरसे अंजलीका दोटूक जवाब आया.
” बस यह आखरी बार … क्योंकी यह पैसे लेकर मै परदेस जानेकी सोच रहा हूं ” विवेकने कुछ सोचकर टाईप किया और ‘सेंड’ बटनपर क्लिक किया.
” तुम परदेस जावो … या और कही जावो … मुझे उससे कुछ लेना देना नही है … देखो … मेरे पास कोई पैसोका पेढ तो है नही … ” अंजलीका मेसेज आया.
अतुलको फिरसे गुस्सा आ रहा था, लेकिन अपने गुस्सेपर काबू करते हूए उसने टाईप किया.
” ठिक है … तुम्हे अब मुझे कमसे कम 10 लाख रुपए तो भी देने पडेंगे … पैसे कब कहा और कैसे पहूंचाने है वह मै तुम्हे मेल कर सब बता दुंगा …”
उसने ‘सेंड’ बटनपर क्लिक कर मेसेज भेज दिया, और चॅटींग सेशनसे लॉग आऊटभी कर दिया. वह अंजलीसे जादा बहस नही करना चाहता था.
अब अतुल मेलबॉक्स खोल रहा था, तभी उसका ध्यान यूंही खिडकीके बाहर गया और वह भौंचक्का होकर उधर देखने लगा. बाहर एक पुलिस इन्स्पेक्टर और, और एक दो पुलिस तेजीसे सायबर कॅफेके तरफही आ रहे थे. अब अतूलके हरकतोंमे तेजी आ गई. उसने झटसे अपना कॉम्प्यूटर ऑफ किया और काऊंटरपर पैसे देकर वह सायबर कॅफेसे बाहर निकल गया. वह बाहर निकल गया उसके बाद कुछ पलही गुजर गए होंगे जब जल्दी जल्दी पुलिस इन्स्पेक्टर और उसके साथी सायबर कॅफेमें घुस गए. सायबर कॅफेमें प्रवेश करतेही इन्सपेक्टरने ऐलान किया,
” नो बडी वील गो आऊट ऑफ दी कॅफे… ऑल ऑफ यू स्टे व्हेअर यू आर… नो बडी वील मुव्ह ”
अंजलीके कॅबिनके बगलके रुममें दो कॉम्प्यूटर एक्सपर्टस, अंजली और शरवरी बडी आस लगाए मोबाईलपर बोल रहे इन्स्पेक्टर कंवलजितकी तरफ देख रहे थे.
इन्स्पेक्टरने मोबाईल अपने कानसे हटाया और मायूसीसे अंजलीकी तरफ देखते हूए कहा,
” द बास्टर्ड इस मॅनेज्ड टू एस्केप अगेन…”
अंजली और शरवरी ने एकदुसरेकी तरफ देखा, उनके खिले हूए चेहरे मायूस हो गए थे.
अंजली अपने कॅबिनमें अपने काममें व्यस्त थी. तभी फोनकी घंटी बजी.
” हॅलो ” अंजलीने फोन उठाया.
” अंजली देअर इज गुड न्यूज फॉर यू…”” उधरसे इन्स्पेक्टर कंवलजित बोल रहे थे.
” यस अंकल”
” ब्लॅकमेलरने विवेकको छोड दिया है …” इन्स्पेक्टरने अंजलीको खुशखबरी सुनाई.
” ओ.. थॅंक गॉड … आय कान्ट एक्सप्लेन … आय ऍम सो हॅपी…”
अंजलीको विवेकके छुटनेकी खबर जबसे मिली थी तबसे उसे कुछभी सुझ नही रहा था. उसे कब मिलती हूं ऐसा उसे हो रहा था. वह ऑफीसका सारा काम वैसाही छोडकर सिधे एअरपोर्टकी तरफ निकल पडी.
… उसे पहले बताना कैसा रहेगा ?
नही … उसे सरप्राईज देते है …
और उसे डायरेक्ट बतानेका कोई रास्ताभी तो नही …
इमेल थी. लेकिन आजकल अंजलीको इमेल, चॅटींग इन सारी चिजोंसे सक्त नफरत और मनमें डरसा बैठ गया था.
एअरपोर्ट आया वैसे उतरकर उसने ड्रायव्हरको गाडी वापस ले जानेके लिए कहकर वह लगभग दौडते हूए तिकिट काऊंटरके पास गई.
” मुंबईके लिए … अब कोई फ्लाईट है ?” उसने पुछा.
” वन फ्लाईट इज देअर .. जस्ट रेडी टू टेक ऑफ…” काऊंटरपर बैठे लडकिने बताया.
” वन टीकट प्लीज” अंजली अपना क्रेडीट कार्ड आगे करते हूए बोली.
उसने काऊंटरसे टिकट खरीदा और लगभग दौडते हूए ही वह फ्लाईटकी तरफ दौड पडी. तभी उसका मोबाईल बजा. उसने मोबाईलका डिस्प्ले देखा. डिस्प्लेपर उसके ऑफिसका नंबर था. उसने आगे कुछ ना सोचते हूए ही फोन बंद किया और दौडते हूएही फ्लाईटमें जाकर बैठ गई. सिटवर बैठतेही फिरसे उसका मोबाईल बजने लगा. उसने मोबाईलका डिस्प्ले देखा. वही ऑफीसका नंबर
ऑफीसचा नंबर… क्या काम होगा ?… शरवरी एक कामभी ठिकसे नही संभाल सकती ..
उसने फोन बंद किया. लेकिन वह फिरसे बजने लगा.
शरवरी कभी ऐसा बार बार फोन नही करती …
कुछ तो जरुरी काम होगा …
उसने फोन उठाया और उधर फ्लाईटका लास्ट कॉल हो गया.
” क्या है शरवरी?… ” वह लगभग चिढकरही बोली.
लेकिन यह क्या? उधरसे आनेवाला आवाज आदमीका था – हां विवेकका आवाज था.
” विवेक तूम… ” वह एकदमसे सिटसे उठकर खडी होते हूए बोली, ” ऑफीसमें तुम कैसे .. कब.. और वहां क्या कर रहे हो …?” उसे क्या बोला जाए कुछ समझ नही आ रहा था.
वह बोलते हूए जल्दी जल्दी प्लेनके दरवाजेकी तरफ जा रही थी.
” तुम्हे मिलनेके लिए आया था ” उधरसे विवेकका आवाज आया.
वह जब प्लेनके दरवाजेके पास पहूंची तब प्लेनका दरवाजा बंद किया जा रहा था.
” रुको मुझे उतरना है … ”
” क्यों क्या हुवा ?” अटेंडंट्ने पुछा.
” आय ऍम नॉट फीलींग वेल” उसके पास अब पुरी बात समझानेका वक्त नही था.
वह दरवाजा बंद करते हूए रुक गया. और वह तेजीसे चलते हूए प्लेनसे उतर गई.
वह अटेंडंट उसकी तरफ आश्चर्यसे देख रहा था.
“इसकी तबीयत ठिक नही … फिर वह इतने जल्दी जल्दी और जोशके साथ कैसे उतर रही है ?’ उसके मनमें आया होगा.
उसकी टॅक्सी लगभग अब उसके घरके पास पहूंच गई थी. टॅक्सी जैसेही उसके घरतक आकर पहूंची उसके दिलकी धडकने तेज हो रही थी. प्लेनसे बाहर निकलतेही वह सिधे एअरपोर्टके बाहर आ गई थी और टॅक्सी लेकर उसने टॅक्सीवालेको सिथे उसके घर ले जानेके लिए कहा था. और प्लेनमें जब विवेकका फोन आया था तभी उसने उसे अपने घर आनेके लिए कहा था. उसे ऑफीसमें सिन नही चाहिए था. तबतक टॅक्सी उसके घरके आहातेमें आकर रुकी. उसे पोर्चमेही विवेक उसकी बडी अधिरतासे राह देखता हूवा दिखाई दिया. उसकी टॅक्सी आतेही वह पोर्चसे उतरकर उसके टॅक्सीके पास आ गया. उसेभी अब रहा नही जा रहा था. टॅक्सीका दरवाजा खोलकर सिधे वह उसके बाहोंमे घुस गई. न जाने कितने दिनोंसे वे एक दुसरेकों मिल रहे थे. अंजली के आंखोमें आंसू आ गए और वे फिर रुकनेका नाम नही ले रहे थे.
” अरे अरे… यह क्या ?” विवेक उसे थपथपाते हूए बोला.
” देखो तो मै पुरा की पुरा सहीसलामत तुम्हारे पास पहूंच गया हूं ” वह मजाकिया अंदाजमे, मौहोल थोडा ढीला करनेके लिए बोला.
लेकिन वह उसे इतनी मजबुतीसे चिपक गई थी की वह उसे छोडनेके लिए तैयार नही थी.
वे दोनों कॉम्प्यूटर एक्सपर्टस कुछ ना बोलते हूए अपने काममें लग गए.
” सुरज… कम ऑन… इस बार किसीभी हालमें साला छुटना नही चाहिए…. ”
” सर ऍज बिफोर दिस टाईम ऑल्सो हि इज कॉलींग फ्रॉम मुंबई… और उसका आय पी ऍड्रेस देखिए …” एक्सपर्टने सॉफ्टवेअरके कुछ रिपोर्ट्स देखते हूए कहा.
वह बोलनेके पहलेही इन्सपेक्टरने मुंबईको इन्स्पेक्टर राजको फोन लगाया,
” हां राज … फिरसे हमने ब्लॅकमेलरको ट्रेस किया है … अबभी वह चटींगही कर रहा है … तुम उसकी एक्सॅक्ट लोकेशनका पता करो … ऍन्ड सी दॅट दिस टाईम द बास्टर्ड शुड नॉट एस्केप… और हां उसका आय पी ऍड्रेस लिख लो …”
अतूल सायबर कॅफेमें एक कॉम्प्यूटरके सामने बैठकर चॅटींगमें उलझा हुवा था.
” मिस अंजली… हाय कैसी हो ?” उसने मेसेज टाईप कर भेजा.
काफी समय हो गया था फिरभी उसका जवाब नही आया था. लेकिन उसका नामतो चॅटींगमें दिख रहा था.
कॉम्प्यूटर खुला छोडकर कही गई तो नही साली…
या फिर अपना अचानक मेसेज आनेसे गडबडा गई होगी …
उसने सोचा. अबभी उसका मेसेज आया नही था. गुस्सेसे उसका चेहरा लाल होने लगा था. तभी उधरसे मेसेज आ गया , ” ठिक हूं ”
तब कहा अतूलने चैनकी सांस ली. वह अब अगला मेसेज, जो उसके लिए बहुत महत्वपुर्ण था, टाईप करने लगा,
” तुम्हे फिरसे तकलिफ देते हूए मुझे बुरा लग रहा है … लेकिन क्या करे? … पैसा यह साली चिजही ऐसी है … कितनेभी संभलकर इस्तमाल करो तो भी खतम हो जाती है … मुझे इस बार 20 लाख रुपएकी सख्त जरुरत है …”
अतूलने टाईप कर मेसेज भेजभी दिया.
” अभी तो तुम्हे 50 लाख रुपए दिए थे मैने … अब मेरे पास पैसे नही है …” उधरसे अंजलीका दोटूक जवाब आया.
” बस यह आखरी बार … क्योंकी यह पैसे लेकर मै परदेस जानेकी सोच रहा हूं ” विवेकने कुछ सोचकर टाईप किया और ‘सेंड’ बटनपर क्लिक किया.
” तुम परदेस जावो … या और कही जावो … मुझे उससे कुछ लेना देना नही है … देखो … मेरे पास कोई पैसोका पेढ तो है नही … ” अंजलीका मेसेज आया.
अतुलको फिरसे गुस्सा आ रहा था, लेकिन अपने गुस्सेपर काबू करते हूए उसने टाईप किया.
” ठिक है … तुम्हे अब मुझे कमसे कम 10 लाख रुपए तो भी देने पडेंगे … पैसे कब कहा और कैसे पहूंचाने है वह मै तुम्हे मेल कर सब बता दुंगा …”
उसने ‘सेंड’ बटनपर क्लिक कर मेसेज भेज दिया, और चॅटींग सेशनसे लॉग आऊटभी कर दिया. वह अंजलीसे जादा बहस नही करना चाहता था.
अब अतुल मेलबॉक्स खोल रहा था, तभी उसका ध्यान यूंही खिडकीके बाहर गया और वह भौंचक्का होकर उधर देखने लगा. बाहर एक पुलिस इन्स्पेक्टर और, और एक दो पुलिस तेजीसे सायबर कॅफेके तरफही आ रहे थे. अब अतूलके हरकतोंमे तेजी आ गई. उसने झटसे अपना कॉम्प्यूटर ऑफ किया और काऊंटरपर पैसे देकर वह सायबर कॅफेसे बाहर निकल गया. वह बाहर निकल गया उसके बाद कुछ पलही गुजर गए होंगे जब जल्दी जल्दी पुलिस इन्स्पेक्टर और उसके साथी सायबर कॅफेमें घुस गए. सायबर कॅफेमें प्रवेश करतेही इन्सपेक्टरने ऐलान किया,
” नो बडी वील गो आऊट ऑफ दी कॅफे… ऑल ऑफ यू स्टे व्हेअर यू आर… नो बडी वील मुव्ह ”
अंजलीके कॅबिनके बगलके रुममें दो कॉम्प्यूटर एक्सपर्टस, अंजली और शरवरी बडी आस लगाए मोबाईलपर बोल रहे इन्स्पेक्टर कंवलजितकी तरफ देख रहे थे.
इन्स्पेक्टरने मोबाईल अपने कानसे हटाया और मायूसीसे अंजलीकी तरफ देखते हूए कहा,
” द बास्टर्ड इस मॅनेज्ड टू एस्केप अगेन…”
अंजली और शरवरी ने एकदुसरेकी तरफ देखा, उनके खिले हूए चेहरे मायूस हो गए थे.
अंजली अपने कॅबिनमें अपने काममें व्यस्त थी. तभी फोनकी घंटी बजी.
” हॅलो ” अंजलीने फोन उठाया.
” अंजली देअर इज गुड न्यूज फॉर यू…”” उधरसे इन्स्पेक्टर कंवलजित बोल रहे थे.
” यस अंकल”
” ब्लॅकमेलरने विवेकको छोड दिया है …” इन्स्पेक्टरने अंजलीको खुशखबरी सुनाई.
” ओ.. थॅंक गॉड … आय कान्ट एक्सप्लेन … आय ऍम सो हॅपी…”
अंजलीको विवेकके छुटनेकी खबर जबसे मिली थी तबसे उसे कुछभी सुझ नही रहा था. उसे कब मिलती हूं ऐसा उसे हो रहा था. वह ऑफीसका सारा काम वैसाही छोडकर सिधे एअरपोर्टकी तरफ निकल पडी.
… उसे पहले बताना कैसा रहेगा ?
नही … उसे सरप्राईज देते है …
और उसे डायरेक्ट बतानेका कोई रास्ताभी तो नही …
इमेल थी. लेकिन आजकल अंजलीको इमेल, चॅटींग इन सारी चिजोंसे सक्त नफरत और मनमें डरसा बैठ गया था.
एअरपोर्ट आया वैसे उतरकर उसने ड्रायव्हरको गाडी वापस ले जानेके लिए कहकर वह लगभग दौडते हूए तिकिट काऊंटरके पास गई.
” मुंबईके लिए … अब कोई फ्लाईट है ?” उसने पुछा.
” वन फ्लाईट इज देअर .. जस्ट रेडी टू टेक ऑफ…” काऊंटरपर बैठे लडकिने बताया.
” वन टीकट प्लीज” अंजली अपना क्रेडीट कार्ड आगे करते हूए बोली.
उसने काऊंटरसे टिकट खरीदा और लगभग दौडते हूए ही वह फ्लाईटकी तरफ दौड पडी. तभी उसका मोबाईल बजा. उसने मोबाईलका डिस्प्ले देखा. डिस्प्लेपर उसके ऑफिसका नंबर था. उसने आगे कुछ ना सोचते हूए ही फोन बंद किया और दौडते हूएही फ्लाईटमें जाकर बैठ गई. सिटवर बैठतेही फिरसे उसका मोबाईल बजने लगा. उसने मोबाईलका डिस्प्ले देखा. वही ऑफीसका नंबर
ऑफीसचा नंबर… क्या काम होगा ?… शरवरी एक कामभी ठिकसे नही संभाल सकती ..
उसने फोन बंद किया. लेकिन वह फिरसे बजने लगा.
शरवरी कभी ऐसा बार बार फोन नही करती …
कुछ तो जरुरी काम होगा …
उसने फोन उठाया और उधर फ्लाईटका लास्ट कॉल हो गया.
” क्या है शरवरी?… ” वह लगभग चिढकरही बोली.
लेकिन यह क्या? उधरसे आनेवाला आवाज आदमीका था – हां विवेकका आवाज था.
” विवेक तूम… ” वह एकदमसे सिटसे उठकर खडी होते हूए बोली, ” ऑफीसमें तुम कैसे .. कब.. और वहां क्या कर रहे हो …?” उसे क्या बोला जाए कुछ समझ नही आ रहा था.
वह बोलते हूए जल्दी जल्दी प्लेनके दरवाजेकी तरफ जा रही थी.
” तुम्हे मिलनेके लिए आया था ” उधरसे विवेकका आवाज आया.
वह जब प्लेनके दरवाजेके पास पहूंची तब प्लेनका दरवाजा बंद किया जा रहा था.
” रुको मुझे उतरना है … ”
” क्यों क्या हुवा ?” अटेंडंट्ने पुछा.
” आय ऍम नॉट फीलींग वेल” उसके पास अब पुरी बात समझानेका वक्त नही था.
वह दरवाजा बंद करते हूए रुक गया. और वह तेजीसे चलते हूए प्लेनसे उतर गई.
वह अटेंडंट उसकी तरफ आश्चर्यसे देख रहा था.
“इसकी तबीयत ठिक नही … फिर वह इतने जल्दी जल्दी और जोशके साथ कैसे उतर रही है ?’ उसके मनमें आया होगा.
उसकी टॅक्सी लगभग अब उसके घरके पास पहूंच गई थी. टॅक्सी जैसेही उसके घरतक आकर पहूंची उसके दिलकी धडकने तेज हो रही थी. प्लेनसे बाहर निकलतेही वह सिधे एअरपोर्टके बाहर आ गई थी और टॅक्सी लेकर उसने टॅक्सीवालेको सिथे उसके घर ले जानेके लिए कहा था. और प्लेनमें जब विवेकका फोन आया था तभी उसने उसे अपने घर आनेके लिए कहा था. उसे ऑफीसमें सिन नही चाहिए था. तबतक टॅक्सी उसके घरके आहातेमें आकर रुकी. उसे पोर्चमेही विवेक उसकी बडी अधिरतासे राह देखता हूवा दिखाई दिया. उसकी टॅक्सी आतेही वह पोर्चसे उतरकर उसके टॅक्सीके पास आ गया. उसेभी अब रहा नही जा रहा था. टॅक्सीका दरवाजा खोलकर सिधे वह उसके बाहोंमे घुस गई. न जाने कितने दिनोंसे वे एक दुसरेकों मिल रहे थे. अंजली के आंखोमें आंसू आ गए और वे फिर रुकनेका नाम नही ले रहे थे.
” अरे अरे… यह क्या ?” विवेक उसे थपथपाते हूए बोला.
” देखो तो मै पुरा की पुरा सहीसलामत तुम्हारे पास पहूंच गया हूं ” वह मजाकिया अंदाजमे, मौहोल थोडा ढीला करनेके लिए बोला.
लेकिन वह उसे इतनी मजबुतीसे चिपक गई थी की वह उसे छोडनेके लिए तैयार नही थी.
Re: मेरी आशिकी - Hindi sex long story
अंजली और विवेक जबसे आए थे तबसे अंजलीके बेडरुममें, एक दुसरेकों बाहोंमे भरकर, लेटे हूए थे. ना उन्हे खानेकी सुध ती ना पिनेकी.
” जब उसकी पहली मेल आई, तब तुम्हे क्या लगा?” विवेकने पुछा.
” सच कहूं … मुझे तो मानो मेरे पैर के निचेसे जमिन और सर के उपरसे आसमान खिसक गया ऐसा लगा था… मैने तो दिलसे तुम्हे स्विकारा था और ऐसी स्थितीमें ऐसाभी कुछ हो सकता है, मैने सपनेभी नही सोचा था….” अंजलीने कहा.
” इसका मतलब तुम्हे सब सच लगा था ” विवेकने मजाकिया अंदाजमें पुछा.
” अरे.. मतलब ?… भलेही दिल नही मानता था पर परिस्थितीयां उसीके ओर इशारा कर रही थी. ” अंजलीने अपना बचाव करते हूए कहा.
” और तुम्हे क्या लगा था ?” अंजलीने पुछा.
” नही तुम ठिक कहती हो … मेराभी हाल कुछ कुछ तुम जैसाही था … भलेही दिल ना माने परिस्थितीयां किसी ओर इशारा कर रही थी. ” विवेकने उसे सहलाते हूए कहा.
” ऐसा वक्त फिरसे अपने जिंदगीमें कभी ना आए ” अंजलीने कहा.
” सचमुछ… पहले तो मुझे अपने प्यारको किसीकी नजर लगी हो ऐसाही लग रहा था. ” विवेक उसके माथेको चुमते हूए बोला.
उसने उसके माथेको चुम लिया और वह उसके होंठोके पास अपने होंठ ले जाकर बडे बडे सांस लेते हूए वही रुक गया. और फिर आवेशके साथ एकदुसरेके होठोंको अपने मुंहमें लेकर वे एक बडे चुंबनमें मशगुल हो गए.
अचानक अंजलीको उनका पहले हॉटेलमें हुवा वह प्रणय याद आ गया और उसीके साथ कोई उनके फोटो खिंच रहा है ऐसा आभास हो गया.
वह झटसे अपने होंठ उसके होठोंसे हटाते हूए वह पिछे हट गई.
” क्या हुवा ?” विवेकने पुछा.
” हम वही गलती दुबारा तो दोहरा नही रहे है ” अंजलीने मानो खुदसेही पुछा.
” मतलब ?” विवेकने पुछा.
” यह सब और वहभी शादीसे पहले… तूम मेरे बारेंमे क्या सोच रहे होगे ” अंजलीने अपने जहनमें उठा दुसरा सवालभी पुछा.
” डोन्ट बी सिली” वह फिरसे पहल करते हूए बोला.
लेकिन उसके हाथपैर मानो ठंडे पड चुके थे. वह कुछभी प्रतिक्रिया नही दे रही थी.
” तुम्हे अगर इसमें गलत लगता है और… तुम्हारा दिल अब नही मान रहा है तो ठिक है … ” वह उससे अलग होते हूए वहांसे उठते हूए बोला.
” वैसा नही हनी … डोन्ट मिसअंडरस्टॅंड मी” वह उसे फिरसे अपने पास खिंचते हूए बोली.
उसने फिरसे उठनेका प्रयास किया लेकिन अब वह उसे छोडनेके लिए तैयार नही थी. विवेकको कुछ समझ नही रहा था की. वह शिथील होकर सिर्फ उसके पास बैठा रहा. लेकिन अब मानो अंजलीके शरीरमें किसी चिजका संचार हुवा था. वह कॉटपर उसे एक तरफ गिराकर उसके उपर चढ गई और उसके शरीरपर सब तरफ चुंबनोकी मानो बरसात करने लगी. और फिर उनके बिच कुछ पलके लिए क्यों ना हो तैयार हुवा फासला मिट गया और वे एकदुसरेमें कब समा गए उन्हे कुछ पताही नही चला.
अंजली सुबह सुबह निंदसे जब जाग गई तब वह अपने पास पडे विवेकके मासूम चेहरेकी तरफ एकटक देखने लगी. उसने खिडकीसे बाहर झांककर देखा. बाहर अभीभी अंधेरा था. वह फिरसे विवेकके चेहरेकी तरफ एकटक देखने लगी. अचानक उसके खयालमें आगयाकी उसका मासूम चेहरा धीरे धीरे उग्र होता जा रहा है.
शायद वह कोई बुरा सपना देख रहा हो….
उसने उसके चेहरेपर हाथ फेरनेकी कोशीश की. लेकिन उसके हाथका स्पर्ष होतेही वह चौंककर उठ गया और गुस्सेसे बोला, ‘ मै तुम्हे छोडूंगा नही … मै तुम्हे छोडूंगा नही ”
कुछ पलके लिए तो अंजलीभी घबराकर असमंजसमें पड गई.
” क्या हुवा ?” अंजलीने पुछा.
लेकिन कुछ पलमेंही उसका गुस्सा ठंडा पडा दिखाई दिया. और वह इधर उधर देखते हूए फिरसे सोनेके लिए लेटते हूए बोला,
” कुछ नही ”
और फिरसे सो गया.
सुबह सुबह अंजली, विवेक, शरवरी और इन्स्पेक्टर कंवलजीत कॉन्फरंन्स रुममें इकठ्ठा हूए थे.
” मै इस बातसे संतुष्ट हूं की आखिर ब्लॅकमेलरने विवेकको कोईभी हानी ना पहूंचाते हूए छोड दिया.” अंजली काफी समयसे चल रहे चर्चाके बाद एक गहरी सांस लेते हूए बोली.
” एक मिनीट” विवेकने हस्तक्षेप किया.
सब लोग एकदम गंभीर होकर उसकी तरफ देखने लगे.
” मुझे लगता है …. ब्लकमेलरकी वजहसे हमे, मुझे, आपको, अंजलीको – सबकोही काफी तकलिफ उठानी पडी…. ” विवेकने कहा.
” विवेक… पैसा चला गया इस बातका मुझे दुख नही है … तुझे कुछ हानी नही हुई यह मेरे लिए सबसे महत्वपुर्ण है ” अंजलीने बिचमेही उसे काटते हूए कहा.
इन्स्पेक्टर कंवलजीतभी उसकी हां मे हां मिलाएंगे इस आशासे अंजलीने उनकी तरफ देखा. लेकिन वे कुछ नही बोले.
” जब उसकी पहली मेल आई, तब तुम्हे क्या लगा?” विवेकने पुछा.
” सच कहूं … मुझे तो मानो मेरे पैर के निचेसे जमिन और सर के उपरसे आसमान खिसक गया ऐसा लगा था… मैने तो दिलसे तुम्हे स्विकारा था और ऐसी स्थितीमें ऐसाभी कुछ हो सकता है, मैने सपनेभी नही सोचा था….” अंजलीने कहा.
” इसका मतलब तुम्हे सब सच लगा था ” विवेकने मजाकिया अंदाजमें पुछा.
” अरे.. मतलब ?… भलेही दिल नही मानता था पर परिस्थितीयां उसीके ओर इशारा कर रही थी. ” अंजलीने अपना बचाव करते हूए कहा.
” और तुम्हे क्या लगा था ?” अंजलीने पुछा.
” नही तुम ठिक कहती हो … मेराभी हाल कुछ कुछ तुम जैसाही था … भलेही दिल ना माने परिस्थितीयां किसी ओर इशारा कर रही थी. ” विवेकने उसे सहलाते हूए कहा.
” ऐसा वक्त फिरसे अपने जिंदगीमें कभी ना आए ” अंजलीने कहा.
” सचमुछ… पहले तो मुझे अपने प्यारको किसीकी नजर लगी हो ऐसाही लग रहा था. ” विवेक उसके माथेको चुमते हूए बोला.
उसने उसके माथेको चुम लिया और वह उसके होंठोके पास अपने होंठ ले जाकर बडे बडे सांस लेते हूए वही रुक गया. और फिर आवेशके साथ एकदुसरेके होठोंको अपने मुंहमें लेकर वे एक बडे चुंबनमें मशगुल हो गए.
अचानक अंजलीको उनका पहले हॉटेलमें हुवा वह प्रणय याद आ गया और उसीके साथ कोई उनके फोटो खिंच रहा है ऐसा आभास हो गया.
वह झटसे अपने होंठ उसके होठोंसे हटाते हूए वह पिछे हट गई.
” क्या हुवा ?” विवेकने पुछा.
” हम वही गलती दुबारा तो दोहरा नही रहे है ” अंजलीने मानो खुदसेही पुछा.
” मतलब ?” विवेकने पुछा.
” यह सब और वहभी शादीसे पहले… तूम मेरे बारेंमे क्या सोच रहे होगे ” अंजलीने अपने जहनमें उठा दुसरा सवालभी पुछा.
” डोन्ट बी सिली” वह फिरसे पहल करते हूए बोला.
लेकिन उसके हाथपैर मानो ठंडे पड चुके थे. वह कुछभी प्रतिक्रिया नही दे रही थी.
” तुम्हे अगर इसमें गलत लगता है और… तुम्हारा दिल अब नही मान रहा है तो ठिक है … ” वह उससे अलग होते हूए वहांसे उठते हूए बोला.
” वैसा नही हनी … डोन्ट मिसअंडरस्टॅंड मी” वह उसे फिरसे अपने पास खिंचते हूए बोली.
उसने फिरसे उठनेका प्रयास किया लेकिन अब वह उसे छोडनेके लिए तैयार नही थी. विवेकको कुछ समझ नही रहा था की. वह शिथील होकर सिर्फ उसके पास बैठा रहा. लेकिन अब मानो अंजलीके शरीरमें किसी चिजका संचार हुवा था. वह कॉटपर उसे एक तरफ गिराकर उसके उपर चढ गई और उसके शरीरपर सब तरफ चुंबनोकी मानो बरसात करने लगी. और फिर उनके बिच कुछ पलके लिए क्यों ना हो तैयार हुवा फासला मिट गया और वे एकदुसरेमें कब समा गए उन्हे कुछ पताही नही चला.
अंजली सुबह सुबह निंदसे जब जाग गई तब वह अपने पास पडे विवेकके मासूम चेहरेकी तरफ एकटक देखने लगी. उसने खिडकीसे बाहर झांककर देखा. बाहर अभीभी अंधेरा था. वह फिरसे विवेकके चेहरेकी तरफ एकटक देखने लगी. अचानक उसके खयालमें आगयाकी उसका मासूम चेहरा धीरे धीरे उग्र होता जा रहा है.
शायद वह कोई बुरा सपना देख रहा हो….
उसने उसके चेहरेपर हाथ फेरनेकी कोशीश की. लेकिन उसके हाथका स्पर्ष होतेही वह चौंककर उठ गया और गुस्सेसे बोला, ‘ मै तुम्हे छोडूंगा नही … मै तुम्हे छोडूंगा नही ”
कुछ पलके लिए तो अंजलीभी घबराकर असमंजसमें पड गई.
” क्या हुवा ?” अंजलीने पुछा.
लेकिन कुछ पलमेंही उसका गुस्सा ठंडा पडा दिखाई दिया. और वह इधर उधर देखते हूए फिरसे सोनेके लिए लेटते हूए बोला,
” कुछ नही ”
और फिरसे सो गया.
सुबह सुबह अंजली, विवेक, शरवरी और इन्स्पेक्टर कंवलजीत कॉन्फरंन्स रुममें इकठ्ठा हूए थे.
” मै इस बातसे संतुष्ट हूं की आखिर ब्लॅकमेलरने विवेकको कोईभी हानी ना पहूंचाते हूए छोड दिया.” अंजली काफी समयसे चल रहे चर्चाके बाद एक गहरी सांस लेते हूए बोली.
” एक मिनीट” विवेकने हस्तक्षेप किया.
सब लोग एकदम गंभीर होकर उसकी तरफ देखने लगे.
” मुझे लगता है …. ब्लकमेलरकी वजहसे हमे, मुझे, आपको, अंजलीको – सबकोही काफी तकलिफ उठानी पडी…. ” विवेकने कहा.
” विवेक… पैसा चला गया इस बातका मुझे दुख नही है … तुझे कुछ हानी नही हुई यह मेरे लिए सबसे महत्वपुर्ण है ” अंजलीने बिचमेही उसे काटते हूए कहा.
इन्स्पेक्टर कंवलजीतभी उसकी हां मे हां मिलाएंगे इस आशासे अंजलीने उनकी तरफ देखा. लेकिन वे कुछ नही बोले.