देखने-पढ़ने से मन नहीं भरता अब - Hindi sex strory

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sexy
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Re: देखने-पढ़ने से मन नहीं भरता अब - Hindi sex strory

Unread post by sexy » 01 Oct 2015 09:10

अभी सिर्फ सुपारा ही घुसा था कि उसका मुँह दर्द के मारे लाल हो गया, उसके मुँह से- उई माँ ! की आवाज निकली और फिर बोली- मुन्ना बहुत दर्द हो रहा है।

मैंने कहा- पहली चुदाई में थोड़ा दर्द होता ही है ! और वो तुमको सहना पड़ेगा। बाद में तो मौज ही मौज रहेगी।

यह सुन कर वो शान्त हो गई। फिर मैंने एक जोरदार धक्का मारा और मेरा आधा लण्ड उसकी बुर में घुस गया। वो दर्द से ऐंठने लगी और अपने हाथों से बिस्तर की चादर कस कर पकड़ लिया। लेकिन मैं रुका नहीं और लण्ड को थोड़ा बाहर निकाल कर फिर से तगड़ा धक्का मारा और मेरा 7 इन्च का लौड़ा पूरा ही उसके बुर में घुस गया।

वो एकदम से चीख पड़ी और छटपटाने लगी। मैं रुका नहीं और उसे लगातार चोदने लगा। करीब 10-15 धक्कों के बाद उसके चेहरे से दर्द के भाव गायब हो गये और अपने दोनो हाथों से चूची सहलाने लगी और आँख बन्द करके अपना चेहरा एक तरफ कर लिया।

उसके मुँह से आह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह की आवाज निकलने लगी।

इधर मैं धक्के पे धक्के लगाये जा रहा था कि अचानक मेरी निगाह उसकी गाण्ड के नीचे बिछे रुमाल पर पड़ी, जो कि खून से लथपथ हो गया था। लेकिन मैं रुका नहीं और उसे लगातार चोदे जा रहा था। उसको अब बहुत मजा आ रहा था, उसके चेहरे के भाव से लग रह था कि वो स्वर्गिक आनन्द उठा रही है।

करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मुझे लगा कि उसका पेट तेजी से फड़कने लगा और उसके मुँह से आह्ह्ह्ह्ह की आवाज निकली और खुद पीछे खिसक गई जिससे मेरा लण्ड उसकी बुर से बाहर आ गया और फिर उसकी बुर फव्वारे के साथ झड़ने लगी और वो खुद ऐंठने लगी।

मैंने तुरन्त अपने लौड़े से कन्डोम हटाया और कूद कर उसके सीने पर बैठ गया और उसका सिर ऊपर उठा कर अपना लण्ड उसके मुँह में खोंस दिया और किरण से बोला- इसको जल्दी-जल्दी चूसो।

वो चूसने लगी। फिर मैंने बगल में पड़े दोनों तकियों को उसके सर के नीचे लगा दिया और उसके मुँह को चोदने लगा। 8-10 धक्कों के बाद मैं भी उसके मुँह में ही झड़ने लगा। उसने अपना मुँह हटाने की कोशिश की लेकिन वो हटा नहीं पाई क्योंकि मैं उसके सिर को कस कर पकड़े हुए था।

मैंने उससे कहा- तुम इसे गटक जाओ !

खैर वो मान गई और आराम से पूरा वीर्य पी लिया। मैंने अपना लण्ड उसके मुँह से निकाला, उसने मेरे लण्ड की तरफ देखा और सर उठा कर दो-तीन बार सुपाड़े को जुबान से चाटा। मैं उसके ऊपर से उठा और उसके बगल में लेट गया और उसकी चूची सोहराते हुए मैने उससे पूछा- मजा आया?

उसने अपने होठों पर जबान फेरी और मुस्कराते हुए कहा- बहुत मजा आया ! मुझे तो पता ही नहीं था कि चुदाई में इतना मजा आता है ! आज मुझे सबसे ज्यादा मजा उसमें आया जब आप मेरी बुर चूस रहे थे और आपका वीर्य भी मजेदार है।

फिर मैंने हसते हुए कहा- चलो एक दौर और हो जाए।

तो वो बोली- नहीं ! अब मैं बहुत थक चुकी हूँ, आप मुम्बई से लौट आइये, फिर करते हैं।

मैंने कहा- ओ के माई हाईनेस।

वो हंसने लगी और उठ कर बैठ गई, उसकी निगाह गाण्ड के नीचे बिछा रुमाल पर पड़ी तो वो जोर से बोली- ओह माई गॉड ! इसमें इतना खून कहाँ से आया? यह रुमाल आपने बिछाया था।

मैंने कहा- हाँ इसीलिए नीचे डाला था ताकि तुम्हारी बुर से जो खून निकले वो चादर पर न लगे- इसको तुम बाहर फेंक देना।

वो बोली- तभी मैं सोच रही थी कि इताना दर्द क्यों हो रहा है !

फिर उसने अपनी बुर की तरफ देखा और हाथ लगा कर बुर का जायजा लिया और एक उंगली अन्दर डाली और मुझसे बोली- इसका तो छेद बड़ा हो गया है मुन्ना !

मैंने कहा- हाँ ! अब तुम्हारी बुर चुदने के बाद चूत बन गई है और जब तुमको बच्चा होगा तो तुम्हारी चूत भोसड़ा कहलाएगी।

वो बोली- अच्छा ऐसे नाम पड़ता है क्या?

मैंने कहा- हाँ !

फिर उसने खून से भीगा रुमाल उठाया और बिस्तर से उठी, लेकिन फिर बैठ गई, बोली- मुन्ना ! बहुत दर्द हो रहा है !

मैंने कहा- तुम ऐसा करो, थोड़ी देर लेटी रहो और आराम करो, फिर तुम बाथरूम जाना और अपनी चूत को गरम पानी से थोड़ा सेक लेना। दर्द गायब हो जाएगा।

वो बोली- ठीक है !

फिर मैं उठा, अपने कपड़े पहने, उसको मॉन्ट ब्लैन्क पेन दिया और कहा- तुम इसी से अपना इम्तिहान देना। यू विल बी डेफ्नेटली सेलेक्टेड्।

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Re: देखने-पढ़ने से मन नहीं भरता अब - Hindi sex strory

Unread post by sexy » 01 Oct 2015 09:10

वो बिस्तर पर बैठे ही बोली- थैन्क्स्।

मैंने कहा- बस आज के बाद थैन्क्स शब्द का इस्तेमाल मत करना। मैं दोस्ती में ऐसे शब्दों का प्रयोग बिल्कुल पसन्द नहीं करता। ओ के? बाबा ओके ! वो बोली।

मैंने अपनी घड़ी देखी तो उसमे 1-15 हो चुके थे फिर मैं तुरन्त उसके घर से बाहर आया और अपनी भाभी को फोन कर के कहा- फ्लाइट का समय हो गया है और मैं एयरपोर्ट जा रहा हूँ, घर की चाभी मैं किरण को दे दूंगा।

फिर मैं अपने घर गया, अटैची और बैग उठाया, बाहर आया, घर लॉक किया और वापस किरण के घर चाभी देने गया, किरण अभी भी बिस्तर पर चादर ओढ़े लेटी थी।

मुझे देखते ही बोली- क्या हुआ मुन्ना?

यह घर की चाभी रख लो, भाभी को दे देना।

वो बोली- रुको मैं दरवाजा बन्द कर लूँ।

वो अभी भी बिल्कुल नंगी ही थी। फिर उसने चादर को लपेटा और मेरे पीछे पीछे आई।

दरवाजा बन्द करने से पहले मैं उसकी तरफ घूमा, एक जोरदार चुम्बन लिया और उसकी एक चूची दबा कर कहा- बाय।

वो तेजी से मुस्कराई और बोली- आप बहुत ही बदमाश हैं !

और अपना दरवाजा बन्द कर लिया। वहाँ से निकल कर मैं मुम्बई के लिए निकल पड़ा।

समाप्त !

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