काफ़ी देर के बाद चुपचाप रिचा बिस्तर पे से उठी और ललिता को लेटा देख
अपनी अलमारी से खिलौना लेके टाय्लेट चली गयी.. ललिता को समझ आ गया था कि ये साली भी सोने का नाटक कर रही थी
ताकि मैं सो जाऊ और ये मज़े कर सके.. ललिता ने अपने गुलाबी रंग के टॉप में हाथ डाला और ब्रा के उपर
से ही अपने स्तनो से खेलने लगी.. कमरे काफ़ी ठंड होने का कारण उसकी चूचिया सख़्त हो गयी थी और वो उनको मसल्ने लगी... अपने आप ही उसने अपना दूसरा हाथ अपने पाजामे में डाल लिया और अपनी चूत के सहलाने लगी..
वो सोचने लगी कि अंदर रिचा कितने मज़े से अपनी चूत में खिलौने वाला लंड डाल रही होगी और इस वजह से उसकी प्यास और बढ़ गयी तो वो दो उंगलिया अपनी चूत के अंदर बाहर कर ने लगी... उसने जल्दी से अपनी ब्रा के हुक को खोला ताकि
वो अपने मम्मो से ढंग से खेल सके.. उसकी चूत और उंगलिया काफ़ी गीली हो चुकी थी....
उसने अपने उपर से चादर हटाई और और ज़ोर से अपनी उंगलियाँ चूत में डालने लगी... उसकी पीठ हवा में थी और सिर और पैर बिस्तर में गढ़े हुए...
मगर वो नहीं चाहती थी कि उसकी सहेली को पता चले कि वो जागी हुई है इसलिए वो जल्दी से उठ कर भागी दूसरे टाय्लेट कीतरफ जोकि ड्रॉयिंग रूम की तरफ था.. उसको अब काफ़ी तेज़ पिशाब भी आ रहा था और उसने धदाम से टाय्लेट के दरवाज़ा को मारा..
टाय्लेट के दरवाज़े की कुण्डी टूट गयी और उसके सामने परशु खड़ा हुआ मूत रहा था..
परशु ने ललिता को देख भी लिया मगर फिर भी उसने मूतना बंद नहीं किया.. वो चुपचाप खड़ा हुआ था...
ललिता उसके लंड को देख कर हैरान थी.. पार्सू का लंड पूरी तरह जागा हुआ भी नहीं था तब भी काफ़ी बड़ा/मोटा लग रहा था..
2 सेकेंड के बाद ललिता ने दरवाज़ा वापस बंद कर दिया और किचन में जाके खड़ी हो गई..
जब परशु वहाँ से निकला तो उसने ललिता को किचन की ओर खड़े देखा और उसको देख कर मुस्कुराने लगा...
ललिता की कुच्छ हिम्मत नही हुई बोलने की और वो टाय्लेट चली गयी और पिशाब करके जल्दी कमरे की तरफ भागी और
जाके बिस्तर पे गिर गयी.. उस लंड को सोचते हुए उसे गोलू चौकीदार की याद आ गयी....
दोनो का लंड काफ़ी काला था और मोटा भी था... वो जानती थी कि गोलू ने जब उसे चोदा था तब वो खुशी में झूम
रही थी मगर परशु के साथ ये सब सोचने में भी उसकी हवा टाइट हो रही थी क्यूंकी परशु काफ़ी ख़तरनाक
इंसान मालूम पड़ता था.... खैर कुच्छ देर बार रिचा भी बाहर आ गयी और बिस्तर पे लेटके सो गयी...
अगली सुबह डॉली जल्दी से तैयार होकर अपना आखरी एग्ज़ॅम देने जा रही थी और उसके कुच्छ देर बाद चेतन भी घर
से चला गया था.... शन्नो घर में अकेली फिर से हॉलो मॅन के कॉल का इंतजार कर रही थी....
क्रमशः……………………….
जिस्म की प्यास compleet
Re: जिस्म की प्यास
जिस्म की प्यास--18
गतान्क से आगे……………………………………
आज उसने ठान ली थी कि वो हॉलो मॅन को मिलने के मना लेगी.... कुच्छ 11 बजे तक जब फोन की घंटी बजी तो शन्नो
ने जल्दी से फोन उठाया,..
"हेलो मॅम..... इतनी बेताब थी मेरी आवाज़ सुनने के लिए" हॉलो मॅन अपनी अजीब सी आवाज़ में बोला
शन्नो ने कुच्छ देर तक उसे एहसास दिलाया कि उसकी जिस्म की प्यास ऐसे नही मिट रही है और वो उससे मिलना चाहती है...
हॉलो मॅन ये सारी बात सुनके हँसने लगा जिससे शन्नो को बहुत बुरा लगा... उसके अगले ही सेकेंड घर की घंटी बजी और
ललिता घबरा के बोली "सुनो थोड़ी देर में कॉल करना"
हॉलो मॅन बोला "दरवाज़ा खोलो तुम्हारे लिए तौफा है" शन्नो को लगा शायद हॉलो मॅन ही उसे मिलने के लिए आया है....
वो धीरे धीरे दरवाज़े की तरफ बढ़ी और उसे खोलके देखा तो वहाँ 4 लड़के खड़े हुए थे.... हॉलो मॅन ने कहा
"ये तुम्हारी जिस्म की प्यास मिटाने के लिए है... चारो ने अभी तक किसी लड़की को छुआ तक नही है...
इन्हे खुश करदो और मैं तुम्हारी इच्छा पूरी कर दूँगा.... और इनको मैने तुम्हे मेरी बीवी बताया है"
वो चारो लड़को की नज़र शन्नो के पैरो की तरफ थी यानी कि के ज़मीन पर... वो चारो शन्नो से नज़र मिलाने में भी
घबरा रहे थे... सब चेतन की उम्र के जितने ही लग रहे थे.... चारो ने चस्मा पहेन रखा था... बाल चिपके हुए थे...
और एक साधारण सी शर्ट पॅंट में थे... सब ज़िंदगी से हारे हुए या तो फिर किताबी कीड़ा लग रहे थे....
उनमें से सबसे आगे खड़ा हुआ लड़का घबराके बोला "क्या आप ही शन्नो जी है"
शन्नो बोली "अंदर आ जाओ"
चारो लड़के एक के बाद एक घर के अंदर आ गये और शन्नो ने घर के दरवाज़े पर कुण्डी लगा दी....
शन्नो ने उस वक़्त अपनी हाफ बाजू वाली नीली नाइटी ही पहेन रखी थी... वो चलके उन्न चारो लड़के के सामने खड़ी हो गई... चारो की हिम्मत नही हो रही थी कुच्छ कहने की या पहले शुरुआत करने की.... शन्नो नीचे झुकी और अपनी नाइटी को
पकड़के उतार दिया... उसकी गोरा फूला हुआ जिस्म सिर्फ़ सफेद कॉटन वाली ब्रा और पैंटी से छुपा हुआ था.....
उसके बाल खुले हुए उसकी पीठ से लगे हुए थे... चारो लड़को का गला सूख गया थी इस चुदाई की देवी को देख कर...
उसने अपना एक हाथ पीछे बढ़ाया ब्रा के हुक्स खोलने के लिए और उनको खोलने के बाद उसकी ब्रा ने उसके 38डी मम्मो
को इन्न चार लड़को के सामने खुला छोड़ दिया... मम्मो को देख कर ये चारो लड़के छोटे बच्चो की तरह दूध
पीने के लिए शन्नो के उपर चढ़ गये.... किसी ने शन्नो की जाँघ को पकड़ रखा था तो किसी ने उसकी कमर को...
मगर चारो ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली हुई थी ताकि वो शन्नो के तरबूज़ वाले बदन को चख सके....
चार चार ज़ुबाने शन्नो के बदन पे छूटती हुई शन्नो मस्ती में झूल गई मस्त हो गयी.... फिर एक लड़के ने उत्साहित होकर
शन्नो की सफेद पैंटी को उतार दिया और शन्नो इन्न चारो लड़को के सामने नंगी खड़ी हुई थी....
चारो ने एक बाद अपने कपड़े उतार दिए और शन्नो के नंगे बदन से अपना नंगा बदन चिपकाने लगे...
"मैने इससे पहले कभी भी मम्मो को नही देखा" उनमें से एक लड़के ललिता के मम्मो को काटते हुए कहा
दूसरे ने बोला "सच में आज पहली बारी देख रहा हूँ और वो भी इतने बड़े.... इन्पे तो कोई पिल्लो बनाके सोसकता है..."
गतान्क से आगे……………………………………
आज उसने ठान ली थी कि वो हॉलो मॅन को मिलने के मना लेगी.... कुच्छ 11 बजे तक जब फोन की घंटी बजी तो शन्नो
ने जल्दी से फोन उठाया,..
"हेलो मॅम..... इतनी बेताब थी मेरी आवाज़ सुनने के लिए" हॉलो मॅन अपनी अजीब सी आवाज़ में बोला
शन्नो ने कुच्छ देर तक उसे एहसास दिलाया कि उसकी जिस्म की प्यास ऐसे नही मिट रही है और वो उससे मिलना चाहती है...
हॉलो मॅन ये सारी बात सुनके हँसने लगा जिससे शन्नो को बहुत बुरा लगा... उसके अगले ही सेकेंड घर की घंटी बजी और
ललिता घबरा के बोली "सुनो थोड़ी देर में कॉल करना"
हॉलो मॅन बोला "दरवाज़ा खोलो तुम्हारे लिए तौफा है" शन्नो को लगा शायद हॉलो मॅन ही उसे मिलने के लिए आया है....
वो धीरे धीरे दरवाज़े की तरफ बढ़ी और उसे खोलके देखा तो वहाँ 4 लड़के खड़े हुए थे.... हॉलो मॅन ने कहा
"ये तुम्हारी जिस्म की प्यास मिटाने के लिए है... चारो ने अभी तक किसी लड़की को छुआ तक नही है...
इन्हे खुश करदो और मैं तुम्हारी इच्छा पूरी कर दूँगा.... और इनको मैने तुम्हे मेरी बीवी बताया है"
वो चारो लड़को की नज़र शन्नो के पैरो की तरफ थी यानी कि के ज़मीन पर... वो चारो शन्नो से नज़र मिलाने में भी
घबरा रहे थे... सब चेतन की उम्र के जितने ही लग रहे थे.... चारो ने चस्मा पहेन रखा था... बाल चिपके हुए थे...
और एक साधारण सी शर्ट पॅंट में थे... सब ज़िंदगी से हारे हुए या तो फिर किताबी कीड़ा लग रहे थे....
उनमें से सबसे आगे खड़ा हुआ लड़का घबराके बोला "क्या आप ही शन्नो जी है"
शन्नो बोली "अंदर आ जाओ"
चारो लड़के एक के बाद एक घर के अंदर आ गये और शन्नो ने घर के दरवाज़े पर कुण्डी लगा दी....
शन्नो ने उस वक़्त अपनी हाफ बाजू वाली नीली नाइटी ही पहेन रखी थी... वो चलके उन्न चारो लड़के के सामने खड़ी हो गई... चारो की हिम्मत नही हो रही थी कुच्छ कहने की या पहले शुरुआत करने की.... शन्नो नीचे झुकी और अपनी नाइटी को
पकड़के उतार दिया... उसकी गोरा फूला हुआ जिस्म सिर्फ़ सफेद कॉटन वाली ब्रा और पैंटी से छुपा हुआ था.....
उसके बाल खुले हुए उसकी पीठ से लगे हुए थे... चारो लड़को का गला सूख गया थी इस चुदाई की देवी को देख कर...
उसने अपना एक हाथ पीछे बढ़ाया ब्रा के हुक्स खोलने के लिए और उनको खोलने के बाद उसकी ब्रा ने उसके 38डी मम्मो
को इन्न चार लड़को के सामने खुला छोड़ दिया... मम्मो को देख कर ये चारो लड़के छोटे बच्चो की तरह दूध
पीने के लिए शन्नो के उपर चढ़ गये.... किसी ने शन्नो की जाँघ को पकड़ रखा था तो किसी ने उसकी कमर को...
मगर चारो ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली हुई थी ताकि वो शन्नो के तरबूज़ वाले बदन को चख सके....
चार चार ज़ुबाने शन्नो के बदन पे छूटती हुई शन्नो मस्ती में झूल गई मस्त हो गयी.... फिर एक लड़के ने उत्साहित होकर
शन्नो की सफेद पैंटी को उतार दिया और शन्नो इन्न चारो लड़को के सामने नंगी खड़ी हुई थी....
चारो ने एक बाद अपने कपड़े उतार दिए और शन्नो के नंगे बदन से अपना नंगा बदन चिपकाने लगे...
"मैने इससे पहले कभी भी मम्मो को नही देखा" उनमें से एक लड़के ललिता के मम्मो को काटते हुए कहा
दूसरे ने बोला "सच में आज पहली बारी देख रहा हूँ और वो भी इतने बड़े.... इन्पे तो कोई पिल्लो बनाके सोसकता है..."
Re: जिस्म की प्यास
शन्नो की नज़र उन्न चारो की लंड पे गढ़ी हुई थी जो हर पल बढ़ते ही जा रहे थे... जितना उसको लग रहा था उनसे ज़्यादा बड़े
और तने हुए इन्न चारो के लंड लग रहे थे... शन्नो से रहा नही गया और चारो को अपने बदन से दूर करके फर्श पे
बैठ गयी और सबके लंड को छुने लगी.... उसने दो लंड को अपने हाथो में पकड़ा और बाकी दो को बारी बारी चूसने लगी.... चारो के लंड पे काफ़ी काले घने बाल थे... जिनपे शन्नो अपनी उंगलिया घुमा रही थी... सब अपने जज़्बातो को रोक नही
पा रहे थे और उनपे से एक लड़का बोला "क्या मैं आपको मा बुला सकता हूँ"
शन्नो ने अपना सिर हां में हिलाया और वो लड़का और उस लड़के का लंड और भी मज़बूत लगने लग गया...
शन्नो की बहती चूत को देख कर एक लड़का ने पूछा "क्या इसमे हम अपना लंड डालेंगे" ये सुनके शन्नो ने उनके लंड को
मुक्त कर दिया और अपनी टाँगें चौड़ी करके फर्श पे लेट गयी... चारो लड़के आपस में लड़ने लगे कि पहले कौन
शन्नो की गीली चूत में अपना लंड डालने का सौभाग्य पाएगा...
शन्नो ने फिर खुद एक लड़के को ये करने का मौका दिया और वो उत्साहित होके अपना लंड शन्नो की चूत में घुसाने लग गया... बाकी लड़को ने भी शन्नो के जिस्म को खाली नही छोड़ा और कहीं ना कहीं उससे खेलते रहे....
चूत में डालने से पहले ही उनमें से एक लड़के का पानी निकल गया जिसका उसको एहसास भी नहीं हुआ और उसका वीर्य ललिताके मम्मो पे जा गिरा... फिर बाकी तीन लड़के बारी बारी शन्नो को चोद्ने लगे.... शन्नो जानती थी कि ये चारो
ने पहले कभी किसिको नही चोदा है तो कभी भी ये अपना वीर्य छोड़देंगे.... फर्श पे लेटी लेटी शन्नो अपनी सिसकीओ को
रोक नही पा रही थी... उसके चेहरे पे हल्की सी भी शरम नही थी मानो जैसे उसने एक रांड़ का रूप धारण कर लिया हो...
. बारी सब लड़को का वीर्य निकल गया और सबने शन्नो के जिस्म को टाय्लेट समझके उसपे अपना वीर्यछिड़क दिया....
शन्नो इतना थक गयी थी इस चुदाई से कि उसने वहाँ से उठना भी ज़रूरी नही समझा.... सबने शन्नो को मम्मी
कहते हुआ धन्यवाद कहा और वहाँ से चले गये.... शन्नो ने सोफे पड़े फोन को उठाया और उसपे अभी
हॉलो मॅन की साँसें सुनाई दे रही थी.... फिर उसको आवाज़ "मॅम मज़ा आया ना मेरे तोफे से मिलकर ऊप्स मेरे तोफो से चुद्कर..." शन्नो बोली तुम्हे कैसे पता चला कि मैने फोन उठा लिया है... क्या तुम यही हो??"
शन्नो अपने वीर्य से चिपके हुए बदन को चदडार से लपेटा और चुपके से घर के दरवाज़े को खोलके देखा मगर वहाँ
कोई नही था.... उसके कानो में आवाज़ आई "हेलो मम्मी" वो डर के पीछे मूडी तो वहाँ चेतन खड़ा हुआ था..
घबराहट मे उसकी वो चादर नीचे गिर गयी और उसका नंगा बदन उसके बेटे के सामने आ गया....
चेतन फिर अपनी आवाज़ बनाके बोला "आज तो मज़े ही आ गये मेडम" और ये कहकर चेतन हँसने लगा
"तुम.. तुम हो हॉलो मॅन" फर्श पे नंगी बैठी हुई शन्नो ने अपने बेटे से पूछा
"हां मैं ही हूँ आपका चहिता हॉलो मॅन" चेतन ने शन्नो के नंगे कंधे को चूमते हुए कहा...
शन्नो को कुच्छ समझ नही आ रहा था आख़िर कार उसके ही बेटे ने उसको ऐसे बेवकूफ़ क्यूँ बनाया...
और अब आगे उसकी ज़िंदगी कैसे गुज़रेगी और अगर उसकी बेटियाँ या फिर उसके पति को पता चल जाएगा तो ना जाने कितनी
बड़ी आफ़त आ जाएगी... शन्नो को इस घर में घुटन महसूस कर रही थी... ये सारे सवाल उसका दिमाग़ खा रहे
थे तो वो नाहकार बुआ के घर चली गयी....
और तने हुए इन्न चारो के लंड लग रहे थे... शन्नो से रहा नही गया और चारो को अपने बदन से दूर करके फर्श पे
बैठ गयी और सबके लंड को छुने लगी.... उसने दो लंड को अपने हाथो में पकड़ा और बाकी दो को बारी बारी चूसने लगी.... चारो के लंड पे काफ़ी काले घने बाल थे... जिनपे शन्नो अपनी उंगलिया घुमा रही थी... सब अपने जज़्बातो को रोक नही
पा रहे थे और उनपे से एक लड़का बोला "क्या मैं आपको मा बुला सकता हूँ"
शन्नो ने अपना सिर हां में हिलाया और वो लड़का और उस लड़के का लंड और भी मज़बूत लगने लग गया...
शन्नो की बहती चूत को देख कर एक लड़का ने पूछा "क्या इसमे हम अपना लंड डालेंगे" ये सुनके शन्नो ने उनके लंड को
मुक्त कर दिया और अपनी टाँगें चौड़ी करके फर्श पे लेट गयी... चारो लड़के आपस में लड़ने लगे कि पहले कौन
शन्नो की गीली चूत में अपना लंड डालने का सौभाग्य पाएगा...
शन्नो ने फिर खुद एक लड़के को ये करने का मौका दिया और वो उत्साहित होके अपना लंड शन्नो की चूत में घुसाने लग गया... बाकी लड़को ने भी शन्नो के जिस्म को खाली नही छोड़ा और कहीं ना कहीं उससे खेलते रहे....
चूत में डालने से पहले ही उनमें से एक लड़के का पानी निकल गया जिसका उसको एहसास भी नहीं हुआ और उसका वीर्य ललिताके मम्मो पे जा गिरा... फिर बाकी तीन लड़के बारी बारी शन्नो को चोद्ने लगे.... शन्नो जानती थी कि ये चारो
ने पहले कभी किसिको नही चोदा है तो कभी भी ये अपना वीर्य छोड़देंगे.... फर्श पे लेटी लेटी शन्नो अपनी सिसकीओ को
रोक नही पा रही थी... उसके चेहरे पे हल्की सी भी शरम नही थी मानो जैसे उसने एक रांड़ का रूप धारण कर लिया हो...
. बारी सब लड़को का वीर्य निकल गया और सबने शन्नो के जिस्म को टाय्लेट समझके उसपे अपना वीर्यछिड़क दिया....
शन्नो इतना थक गयी थी इस चुदाई से कि उसने वहाँ से उठना भी ज़रूरी नही समझा.... सबने शन्नो को मम्मी
कहते हुआ धन्यवाद कहा और वहाँ से चले गये.... शन्नो ने सोफे पड़े फोन को उठाया और उसपे अभी
हॉलो मॅन की साँसें सुनाई दे रही थी.... फिर उसको आवाज़ "मॅम मज़ा आया ना मेरे तोफे से मिलकर ऊप्स मेरे तोफो से चुद्कर..." शन्नो बोली तुम्हे कैसे पता चला कि मैने फोन उठा लिया है... क्या तुम यही हो??"
शन्नो अपने वीर्य से चिपके हुए बदन को चदडार से लपेटा और चुपके से घर के दरवाज़े को खोलके देखा मगर वहाँ
कोई नही था.... उसके कानो में आवाज़ आई "हेलो मम्मी" वो डर के पीछे मूडी तो वहाँ चेतन खड़ा हुआ था..
घबराहट मे उसकी वो चादर नीचे गिर गयी और उसका नंगा बदन उसके बेटे के सामने आ गया....
चेतन फिर अपनी आवाज़ बनाके बोला "आज तो मज़े ही आ गये मेडम" और ये कहकर चेतन हँसने लगा
"तुम.. तुम हो हॉलो मॅन" फर्श पे नंगी बैठी हुई शन्नो ने अपने बेटे से पूछा
"हां मैं ही हूँ आपका चहिता हॉलो मॅन" चेतन ने शन्नो के नंगे कंधे को चूमते हुए कहा...
शन्नो को कुच्छ समझ नही आ रहा था आख़िर कार उसके ही बेटे ने उसको ऐसे बेवकूफ़ क्यूँ बनाया...
और अब आगे उसकी ज़िंदगी कैसे गुज़रेगी और अगर उसकी बेटियाँ या फिर उसके पति को पता चल जाएगा तो ना जाने कितनी
बड़ी आफ़त आ जाएगी... शन्नो को इस घर में घुटन महसूस कर रही थी... ये सारे सवाल उसका दिमाग़ खा रहे
थे तो वो नाहकार बुआ के घर चली गयी....